Major Theories of International Politics
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अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के प्रमुख सिद्धांत
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति (International Politics) में विभिन्न सिद्धांत (Theories) विकसित किए गए हैं, जो देशों के बीच संबंधों, संघर्षों, और सहयोग को समझने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं। नीचे मुख्य सिद्धांतों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
1. यथार्थवाद (Realism)
यथार्थवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का एक प्रमुख और सबसे प्राचीन सिद्धांत है।
मुख्य बिंदु:
- सत्ता का महत्व: यह सिद्धांत मानता है कि राष्ट्रों के बीच संबंधों में शक्ति (Power) सबसे महत्वपूर्ण होती है।
- राष्ट्रवाद (National Interest): प्रत्येक राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य अपना राष्ट्रीय हित (National Interest) सुरक्षित करना है।
- अराजकता (Anarchy): अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली अराजक है, क्योंकि कोई केंद्रीकृत सरकार नहीं है।
- शक्ति संतुलन (Balance of Power): राष्ट्र अपने शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
- युद्ध और संघर्ष का स्वाभाविकता: यथार्थवादियों के अनुसार, युद्ध और संघर्ष अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के अभिन्न अंग हैं।
- प्रतिनिधि विचारक: थ्यूसीडाइड्स, थॉमस हॉब्स, और हैंस मॉर्गेंथाऊ।
- आलोचना: यह सिद्धांत सहयोग और वैश्विक संस्थाओं की भूमिका को नज़रअंदाज करता है।
2. उदारवाद (Liberalism)
उदारवाद अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और संस्थाओं की भूमिका पर जोर देता है।
मुख्य बिंदु:
- सहयोग की संभावना: राष्ट्र आपस में सहयोग कर सकते हैं और संघर्षों को टाल सकते हैं।
- वैश्विक संस्थाओं की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व बैंक (World Bank) जैसी संस्थाएँ शांति बनाए रखने में सहायक होती हैं।
- अंतर-निर्भरता (Interdependence): आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध देशों के बीच शांति को बढ़ावा देते हैं।
- मानवाधिकार और लोकतंत्र: उदारवाद मानवाधिकार, लोकतंत्र, और स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।
- प्रतिनिधि विचारक: इमैनुएल कांट, वुडरो विल्सन।
- आलोचना: यह सिद्धांत यथार्थवादी अराजकता को कम करके आंकता है।
3. रचनावाद (Constructivism)
यह सिद्धांत मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंध सामाजिक निर्माण (Social Construction) पर आधारित हैं।
मुख्य बिंदु:
- आइडिया और पहचान का महत्व: देशों के व्यवहार उनके विचारों और पहचानों पर आधारित होते हैं।
- संस्कृति और इतिहास का प्रभाव: राष्ट्रों के संबंध उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर निर्भर करते हैं।
- सामाजिक संरचनाएँ: शक्तियाँ और संस्थाएँ समाज द्वारा निर्मित होती हैं।
- प्रतिनिधि विचारक: एलेक्जेंडर वेंड्ट।
- आलोचना: यह सिद्धांत ठोस शक्ति संतुलन को कम महत्व देता है।
4. नव-यथार्थवाद (Neorealism)
इसे संरचनात्मक यथार्थवाद (Structural Realism) भी कहा जाता है।
मुख्य बिंदु:
- संरचना का महत्व: अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की संरचना देशों के व्यवहार को प्रभावित करती है।
- सत्ता वितरण (Distribution of Power): शक्ति का वितरण बहुध्रुवीय (Multipolar), द्विध्रुवीय (Bipolar), या एकध्रुवीय (Unipolar) हो सकता है।
- प्रमुख विचारक: केनेथ वाल्ट्ज।
- यथार्थवाद की उन्नत शाखा: यह पारंपरिक यथार्थवाद के सिद्धांतों को विस्तार देता है।
5. नव-उदारवाद (Neoliberalism)
नव-उदारवाद उदारवाद का एक उन्नत संस्करण है।
मुख्य बिंदु:
- संस्थाओं का महत्व: वैश्विक संस्थाएँ देशों को सहयोग के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
- आर्थिक निर्भरता: व्यापार और वाणिज्य राष्ट्रों को आपसी सहयोग के लिए बाध्य करता है।
- आलोचना: यह यथार्थवाद की अराजकता की धारणा को नकारता है।
6. समालोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory)
यह सिद्धांत पारंपरिक दृष्टिकोणों को चुनौती देता है।
मुख्य बिंदु:
- शक्ति के दुरुपयोग का विरोध: यह शक्ति के दमनकारी स्वरूप की आलोचना करता है।
- सामाजिक न्याय पर जोर: यह सामाजिक समानता और न्याय पर बल देता है।
- प्रतिनिधि विचारक: एंटोनियो ग्राम्शी।
7. स्त्रीवादी सिद्धांत (Feminist Theory)
यह सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में लैंगिक असमानताओं का अध्ययन करता है।
मुख्य बिंदु:
- लैंगिक विभाजन: पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता पर ध्यान केंद्रित करता है।
- सामाजिक न्याय: महिलाओं के अधिकारों और उनकी भूमिका को बढ़ावा देता है।
- आलोचना: इसे मुख्यधारा के सिद्धांतों में पर्याप्त मान्यता नहीं मिली है।
8. विश्व प्रणाली सिद्धांत (World System Theory)
इमैनुएल वालरसटीन द्वारा प्रस्तुत यह सिद्धांत वैश्विक पूंजीवादी प्रणाली पर केंद्रित है।
मुख्य बिंदु:
- कोर, सेमी-पेरिफेरी, पेरिफेरी: दुनिया को तीन भागों में विभाजित करता है।
- असमानता का अध्ययन: यह पूंजीवादी असमानता को समझाता है।
- प्रतिनिधि विचारक: इमैनुएल वालरसटीन।
9. उत्तर-आधुनिकतावाद (Postmodernism)
यह सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के पारंपरिक विचारों को चुनौती देता है।
मुख्य बिंदु:
- भाषा और संरचना: राजनीति में भाषा और प्रतीकों का महत्व।
- सत्य की चुनौती: यह पारंपरिक “सत्य” को प्रश्नों के घेरे में रखता है।
10. पर्यावरणीय सिद्धांत (Environmental Theories)
यह सिद्धांत पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
मुख्य बिंदु:
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय आपदाएँ।
- सतत विकास: पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन।
महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
- प्रश्न: यथार्थवाद के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर: शक्ति का महत्व, अराजकता, राष्ट्रीय हित, शक्ति संतुलन। - प्रश्न: उदारवाद और यथार्थवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर: उदारवाद सहयोग और संस्थाओं पर बल देता है, जबकि यथार्थवाद शक्ति और अराजकता पर। - प्रश्न: रचनावाद का मूल विचार क्या है?
उत्तर: विचार, पहचान, और सामाजिक संरचना का महत्व। - प्रश्न: नव-यथार्थवाद और यथार्थवाद में क्या अंतर है?
उत्तर: नव-यथार्थवाद संरचना पर बल देता है, जबकि यथार्थवाद शक्ति पर। - प्रश्न: विश्व प्रणाली सिद्धांत की मुख्य अवधारणा क्या है?
उत्तर: कोर, सेमी-पेरिफेरी, और पेरिफेरी।
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1. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के सिद्धांत क्या होते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के सिद्धांत वह विचारधाराएँ हैं जो देशों के आपसी संबंधों, वैश्विक मुद्दों और उनके समाधान के तरीकों को समझाने का प्रयास करती हैं। इन सिद्धांतों में मुख्य रूप से यथार्थवाद, उदारवाद, और समाजवादी दृष्टिकोण शामिल हैं। ये सिद्धांत यह बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शक्ति, आर्थिक हित और राज्य के हितों का क्या महत्व है।
मुख्य शब्द: सिद्धांत, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, यथार्थवाद, उदारवाद, समाजवाद
2. यथार्थवाद (Realism) क्या है?
उत्तर:
यथार्थवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का एक प्रमुख सिद्धांत है, जो मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शक्ति और राष्ट्रीय हित सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य अपनी सुरक्षा और शक्ति बढ़ाने के लिए संघर्ष करते हैं, और युद्ध की संभावना हमेशा बनी रहती है। यथार्थवाद के प्रमुख विचारक थ्यूसीडिडीज, निकोलो माचियावेली और हांस मोर्गेन्थाऊ हैं।
मुख्य शब्द: यथार्थवाद, शक्ति, राष्ट्रीय हित, युद्ध, हांस मोर्गेन्थाऊ
3. यथार्थवाद के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर:
यथार्थवाद के प्रमुख सिद्धांत हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में राज्य सर्वोच्च हैं।
- राज्यों के बीच शक्ति का संतुलन महत्वपूर्ण है।
- मानव स्वभाव स्वार्थी है और यह राज्य की नीति को प्रभावित करता है।
- राज्यों के बीच संघर्ष और युद्ध की संभावना बनी रहती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ सीमित प्रभाव रखती हैं।
मुख्य शब्द: शक्ति संतुलन, संघर्ष, स्वार्थी स्वभाव, युद्ध
4. उदारवाद (Liberalism) क्या है?
उत्तर:
उदारवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का दूसरा प्रमुख सिद्धांत है, जो मानता है कि राज्य सहयोग और समन्वय के माध्यम से विश्व शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह सिद्धांत विश्वास करता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, मानवाधिकार और लोकतंत्र से शांति कायम हो सकती है।
मुख्य शब्द: उदारवाद, सहयोग, संयुक्त राष्ट्र, लोकतंत्र, व्यापार
5. उदारवाद के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?
उत्तर:
उदारवाद के प्रमुख सिद्धांत हैं:
- राज्य, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग करते हैं।
- शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ और कानून जरूरी हैं।
- मानवाधिकार और लोकतंत्र के सिद्धांतों का सम्मान किया जाता है।
- व्यापार और आर्थिक संबंध शांति को बढ़ावा देते हैं।
- वैश्विक स्तर पर राज्य अपने आपसी हितों में संतुलन साधते हैं।
मुख्य शब्द: शांति, मानवाधिकार, लोकतंत्र, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ
6. समाजवाद (Socialism) का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में क्या योगदान है?
उत्तर:
समाजवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यह मानता है कि पूंजीवाद और असमानता से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ देशों के बीच संघर्ष का कारण बनती हैं। समाजवादी दृष्टिकोण के अनुसार, वैश्विक शांति और समृद्धि तभी संभव है जब राज्य और समाज के बीच असमानताएँ कम की जाएं और एक न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था स्थापित की जाए।
मुख्य शब्द: समाजवाद, पूंजीवाद, असमानता, वैश्विक शांति
7. यथार्थवाद और उदारवाद के बीच अंतर क्या है?
उत्तर:
यथार्थवाद और उदारवाद के बीच मुख्य अंतर यह है कि यथार्थवाद राज्य को अपनी सुरक्षा और शक्ति बढ़ाने के लिए संघर्ष करते हुए देखता है, जबकि उदारवाद सहयोग और समन्वय के माध्यम से वैश्विक शांति की संभावना पर विश्वास करता है। यथार्थवाद में शक्ति का संतुलन और युद्ध की संभावना महत्वपूर्ण है, जबकि उदारवाद में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और कानूनों का महत्व है।
मुख्य शब्द: यथार्थवाद, उदारवाद, युद्ध, सहयोग, शक्ति संतुलन
8. संरचनात्मक यथार्थवाद (Structural Realism) क्या है?
उत्तर:
संरचनात्मक यथार्थवाद, जिसे नेओ-यथार्थवाद भी कहा जाता है, यह मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की संरचना, यानी राज्यों के बीच शक्ति का संतुलन, युद्ध और संघर्ष के कारणों को निर्धारित करता है। यह सिद्धांत कहता है कि राज्यों की नीतियाँ उनके भौतिक शक्ति संतुलन के आधार पर निर्धारित होती हैं।
मुख्य शब्द: संरचनात्मक यथार्थवाद, नेओ-यथार्थवाद, शक्ति संतुलन
9. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में धर्म का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में धर्म का प्रभाव सांस्कृतिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है। विभिन्न धर्मों के मानने वाले देशों के बीच संघर्ष, संप्रभुता की रक्षा और प्रभाव क्षेत्र की बढ़ोतरी के कारण हो सकता है। हालांकि, धर्म से संबंधित संघर्षों को शांति और सहयोग के माध्यम से भी हल किया जा सकता है।
मुख्य शब्द: धर्म, सांस्कृतिक ध्रुवीकरण, संघर्ष, संप्रभुता
10. ग्लोबलिज़ेशन का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव है?
उत्तर:
ग्लोबलिज़ेशन का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वैश्वीकरण के कारण देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध बढ़े हैं। इससे राज्य अपनी राष्ट्रीय सीमाओं से बाहर जा कर वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान देने लगे हैं। वैश्विक व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी, और मानवाधिकार जैसे मुद्दे अब अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं।
मुख्य शब्द: ग्लोबलिज़ेशन, आर्थिक संबंध, वैश्विक मुद्दे, मानवाधिकार
11. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में “सामूहिक सुरक्षा” का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सामूहिक सुरक्षा का अर्थ है कि एक राज्य के खिलाफ हमले पर अन्य सभी राज्यों को उस राज्य की रक्षा के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए। इसका उद्देश्य युद्ध और संघर्षों को रोकने के लिए एक साझा सुरक्षा ढांचा बनाना है। इसे संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा लागू किया जाता है।
मुख्य शब्द: सामूहिक सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र, युद्ध, रक्षा
12. यथार्थवाद के आलोचक कौन हैं?
उत्तर:
यथार्थवाद के आलोचक मुख्य रूप से उदारवादी और समाजवादी विचारक हैं। वे यथार्थवाद के इस विचार का विरोध करते हैं कि राज्यों के बीच संघर्ष और युद्ध अपरिहार्य हैं। वे मानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, आर्थिक सहयोग और मानवाधिकार की रक्षा से वैश्विक शांति संभव हो सकती है।
मुख्य शब्द: आलोचक, उदारवाद, समाजवाद, वैश्विक शांति
13. राष्ट्रवाद (Nationalism) और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उसका प्रभाव क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रवाद एक भावना है जो एक राष्ट्र को उसकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक पहचान में महत्वपूर्ण मानती है। यह सिद्धांत मानता है कि राज्य की स्वतंत्रता और संप्रभुता महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रवाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में तनाव और संघर्ष उत्पन्न कर सकता है, विशेषकर जब यह अन्य देशों की संप्रभुता और हितों से टकराता है।
मुख्य शब्द: राष्ट्रवाद, संप्रभुता, तनाव, संघर्ष
14. विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अंतर क्या है?
उत्तर:
विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में मुख्य अंतर उनके आर्थिक, सैन्य और राजनीतिक संसाधनों में होता है। विकसित देश अक्सर वैश्विक संस्थाओं में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जबकि विकासशील देशों को अपनी आवाज़ उठाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसके अलावा, विकासशील देशों की प्राथमिकताएँ जैसे गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य, अधिक महत्वपूर्ण होती हैं।
मुख्य शब्द: विकसित देश, विकासशील देश, वैश्विक संस्थाएँ, गरीबी उन्मूलन
15. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बल (Power) का क्या महत्व है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बल (power) का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह एक राज्य को अपनी सुरक्षा, आर्थिक हितों और राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने में मदद करता है। बल के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे कि सैन्य बल, आर्थिक बल और सॉफ़्ट पावर।
मुख्य शब्द: बल, शक्ति, सैन्य बल, सॉफ़्ट
पावर
16. संविधान और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के रिश्ते क्या हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में संविधान का बड़ा महत्व है, क्योंकि यह राज्य की संप्रभुता और अधिकारों को परिभाषित करता है। संविधान के अनुसार राज्य अपनी नीतियाँ निर्धारित करता है, जो अन्य देशों के साथ उसके रिश्तों को प्रभावित करती हैं।
मुख्य शब्द: संविधान, संप्रभुता, अधिकार, नीतियाँ
17. किसी राज्य की विदेश नीति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?
उत्तर:
विदेश नीति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं:
- राज्य की आंतरिक राजनीति
- आर्थिक हित
- राष्ट्रीय सुरक्षा
- अंतर्राष्ट्रीय दबाव
- सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते
मुख्य शब्द: विदेश नीति, आंतरिक राजनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा
18. शक्ति संतुलन सिद्धांत (Balance of Power Theory) क्या है?
उत्तर:
शक्ति संतुलन सिद्धांत के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति के संतुलन को बनाए रखने के लिए विभिन्न राज्य आपस में सहयोग करते हैं और अपनी शक्ति का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इसका उद्देश्य युद्ध को रोकना और शांति बनाए रखना है।
मुख्य शब्द: शक्ति संतुलन, शांति, युद्ध
19. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में क्या स्थान है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र (UN) एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो वैश्विक शांति, सुरक्षा, और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करता है। इसके पास युद्ध को रोकने, मानवीय सहायता देने, और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य दुनिया भर में संघर्षों को हल करना और शांति बनाए रखना है।
मुख्य शब्द: संयुक्त राष्ट्र, शांति, सुरक्षा, मानवीय सहायता, वैश्विक सहयोग
20. विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों की विदेश नीति में अंतर क्या है?
उत्तर:
विकसित देशों और विकासशील देशों की विदेश नीति में बड़ा अंतर होता है। विकसित देशों की विदेश नीति प्रौद्योगिकी, व्यापार और वैश्विक शक्ति की बढ़ोतरी पर केंद्रित होती है, जबकि विकासशील देशों की विदेश नीति का उद्देश्य अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, और मानवाधिकारों की सुरक्षा होता है। विकासशील देशों को अक्सर अपनी आवाज़ को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने में कठिनाई होती है, जबकि विकसित देशों के पास पर्याप्त संसाधन और प्रभाव होते हैं।
मुख्य शब्द: विदेश नीति, विकसित देश, विकासशील देश, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानवाधिकार
21. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में आतंकवाद का प्रभाव क्या है?
उत्तर:
आतंकवाद का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह देशों के बीच तनाव और संघर्ष को बढ़ावा देता है। आतंकवादी गतिविधियाँ न केवल सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित करती हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए देशों के बीच सहयोग आवश्यक होता है, और इसे रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा और सहयोग की आवश्यकता होती है।
मुख्य शब्द: आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा, कानूनी ढांचा, सहयोग
22. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में “सॉफ्ट पावर” का क्या मतलब है?
उत्तर:
“सॉफ्ट पावर” वह शक्ति होती है जो एक राज्य अपनी सांस्कृतिक, राजनीतिक, और आर्थिक आकर्षण के माध्यम से अन्य देशों पर प्रभाव डालता है। यह सैन्य बल या आर्थिक दबाव के बजाय आकर्षण और सहमति पर आधारित होती है। सॉफ्ट पावर का उदाहरण लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के रूप में देखा जा सकता है।
मुख्य शब्द: सॉफ्ट पावर, सांस्कृतिक प्रभाव, लोकतांत्रिक मूल्य, मानवाधिकार
23. आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में “सुरक्षा दुविधा” (Security Dilemma) क्या है?
उत्तर:
“सुरक्षा दुविधा” वह स्थिति होती है जब एक राज्य अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए सैन्य ताकत बढ़ाता है, और इसे दूसरे राज्य एक खतरे के रूप में देखता है। इसके परिणामस्वरूप, दूसरे राज्य अपनी सुरक्षा बढ़ाते हैं, और इस प्रक्रिया में दोनों देशों के बीच तनाव और संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है। यह सिद्धांत यथार्थवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
मुख्य शब्द: सुरक्षा दुविधा, सैन्य ताकत, तनाव, यथार्थवाद
24. संघर्ष और सहयोग के बीच अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में क्या संतुलन है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में संघर्ष और सहयोग दोनों महत्वपूर्ण हैं। जहां एक ओर देशों के बीच शक्ति संघर्ष, आर्थिक लाभ, और राजनीतिक प्रभाव के लिए टकराव होते हैं, वहीं दूसरी ओर देशों को वैश्विक मुद्दों पर सहयोग करने की आवश्यकता होती है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, और व्यापार। यह संतुलन वैश्विक शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
मुख्य शब्द: संघर्ष, सहयोग, शक्ति संघर्ष, वैश्विक शांति
25. विविधतावाद (Pluralism) सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
विविधतावाद सिद्धांत यह मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में केवल राज्य ही नहीं, बल्कि अन्य गैर-राज्य अभिनेता, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन, एनजीओ और मल्टीनेशनल कंपनियां, भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, वैश्विक नीति निर्णय विभिन्न हितों और दबावों का परिणाम होते हैं, और केवल एक ही राज्य या समूह का प्रभाव नहीं होता।
मुख्य शब्द: विविधतावाद, गैर-राज्य अभिनेता, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, मल्टीनेशनल कंपनियां
26. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में मानवाधिकारों का क्या स्थान है?
उत्तर:
मानवाधिकार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, क्योंकि ये किसी भी राज्य के नागरिकों की मूल स्वतंत्रताओं और अधिकारों की रक्षा करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकारों की निगरानी करते हैं और देशों के बीच मानवाधिकारों का उल्लंघन होने पर दबाव डालते हैं। मानवाधिकारों के सिद्धांतों का पालन अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग में मदद करता है।
मुख्य शब्द: मानवाधिकार, स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, शांति, सहयोग
27. यथार्थवाद में शक्ति का प्रमुख सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
यथार्थवाद में शक्ति को एक केंद्रीय तत्व माना जाता है। इसके अनुसार, राज्य अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रभुत्व को सुनिश्चित करने के लिए शक्ति का उपयोग करते हैं। यह शक्ति सैन्य, आर्थिक, और राजनीतिक रूपों में हो सकती है। यथार्थवाद का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का संतुलन और संघर्ष अनिवार्य है।
मुख्य शब्द: शक्ति, राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रभुत्व, सैन्य, आर्थिक
28. सामूहिक सुरक्षा सिद्धांत का अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव है?
उत्तर:
सामूहिक सुरक्षा सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यह मानता है कि देशों को एकजुट होकर किसी भी बाहरी खतरे का सामना करना चाहिए। इसका उद्देश्य युद्ध को रोकना और शांति बनाए रखना है। इस सिद्धांत के अंतर्गत, एक राज्य पर हमला करने पर अन्य राज्यों को उस राज्य की रक्षा करनी चाहिए। यह सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संगठनों में महत्वपूर्ण है।
मुख्य शब्द: सामूहिक सुरक्षा, शांति, युद्ध, सुरक्षा संगठन
29. न्याय और समानता का सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में कैसे लागू होता है?
उत्तर:
न्याय और समानता का सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में यह मानता है कि सभी देशों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। यह सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में असमानताओं और भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करता है। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर न्यायपूर्ण और समान अवसर प्रदान करना है, ताकि सभी देशों को समान रूप से विकास और सुरक्षा का लाभ मिल सके।
मुख्य शब्द: न्याय, समानता, अधिकार, अवसर
30. संघर्ष और सहयोग के बीच संतुलन बनाने के उपाय क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
संघर्ष और सहयोग के बीच संतुलन बनाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
- अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का सशक्त होना
- वैश्विक आर्थिक सहयोग बढ़ाना
- मानवाधिकारों की रक्षा करना
- सैन्य संघर्षों को रोकने के लिए संवाद बढ़ाना
- अंतर्राष्ट्रीय कानून और समझौतों का पालन
मुख्य शब्द: संतुलन, संघर्ष, सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, संवाद