समायोजन
( ACCOMODATION)
समाज में व्यक्तियों और समूहों का अलग – अलग स्वार्थ होता है जिसके कारण विभिन्न व्यक्तियों और समूहों के बीच टकराव होता है। कुछ व्यक्तियों या समूहों।के बीच संघर्ष उत्पन्न होता है जो किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं है। इस परिस्थिति से बचने के लिए व्यक्ति अपने व्यवहारों में शांत परिवर्तन व संशोधन करता है, जिससे वह दूसरे लोगों के विरोध को कम करके अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों की पूर्ति कर सके। इससे दोनों पक्षों को फायदा होता है। दोनों पक्षों के सामंजस्य या मिलाप काले की इसी प्रक्रिया को समायोजन कहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि जब भी दो व्यक्तियों व समूहों में संघर्ष होता है तो इससे बचने के लिए दोनों ओर से लोग अपने संघर्ष को कम करने की कोशिश करते हैं और परिस्थिति के साथ अनुकूलन करते हैं। वह अनुकूलन या सामंजस्य समायोजन कहलाता है। समायोजन स्थायी नहीं बल्कि तात्कालिक होता है। यह वर्तमान संघर्ष को दूर करने के लिए किया जाता है। समायोजन की परिभाषा विभिन्न समाजशास्त्रियों के द्वारा दी गयी है। यहाँ कुछ प्रमुख परिभाषाओं का उल्लेख किया जा रहा है।
जोन्स (जोन्स) ने लिखा है, “एक अर्थ में समायोजन असहमत रहने के लिए एक समझौता है।”
मेकाइवर और पेज (मैकाइवर और पेज) के अनुसार, “समायोजन शब्द उस प्रक्रिया को अभिव्यक्त करता है, जिसके द्वारा मानव अपने पर्यावरण के साथ। संतुलन स्थापित करता है। “
यूटर एंड हार्ट (रेउटर एंड हार्ट) ने समायोजन की परिभाषा देते हुए लिखा है,” समायोजन एक प्रक्रिया के रूप में वह क्रम है जिसके माध्यम से मनुष्य बदली हुई अवस्थाओं में आवश्यक बनाए आदतों और रवैये का निर्माण करके जीवन की बदली हुई अवस्थाओं को दर्शाता है। सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं। “
ऑगवर्न और निमकॉफ (ओगबर्न और निमकॉफ़) ने लिखा है,” समायोजन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति और समूहवाद स्थापित करने के लिए एक – दूसरे के साथ विरोधपूर्ण क्रियाओं के साथ अभियोजन करता है।
पार्क और बर्गेस (पार्क और बर्गेस) के अनुसार, समायोजन समायोजन का स्वाभाविक परिणाम है। समायोजन में विरोधी तत्त्वों का विरोध थोड़े समय के लिए नियमित हो जाता है। बाहरी क्रिया के रूप में संघर्ष समाप्त हो जाता है, लेकिन आन्तरिक रूप से इसकी प्रबल शक्ति बनी रहती है।
उपर्यक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि समायोजन वह सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दो विरोधी व्यक्ति या समह आपस में सामंजस्य स्थापित होते हैं। अर्थात् समायोजन विरोधी शक्तियों के मध्य संतलन स्थापित करने की प्रक्रिया है। इसके अन्तर्गत विरोध वर्तमान समय के लिए ऊपरी तौर पर समाप्त होता है लेकिन आन्तरिक रूप में मौजूद रहता है। इसलिए समर ने इसे ‘विरोध – सहयोग’ (प्रतिपक्षी – संचालन) कहा है। एक उदाहरण द्वारा इसे समझा जा सकता है। मिल मजदूर और मिल मालिक के बीच संघर्ष व तनाव उत्पन्न होता है, फलस्वरूप मजदूर हड़ताल पर चले जाते हैं। इससे उत्पादन रुक जाता है और मालिक की आमदनी भी रुक जाती है। उत्पादन नहीं रुके इसलिए मिल मालिक और मजदूर आपस में प्रतिबद्धता करते हैं जिसमें दोनों पक्षों में लेन – देन होती है और दोनों अपने व्यवहारों में परिवर्तन लाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया समायोजन कहलायेगी।
समायोजन की विशेषता
(CHARACTERISTICS OF ACCOMODATION)
1.समायोजन एक संगठन सामाजिक प्रक्रिया है।
- समायोजन में प्रेम व संघर्ष दोनों साथ – साथ पाया जाता है। विरोध व तनाव के कारण संघर्ष होता है। और वचन से प्रेम का भाव भी बना रहता है।
3.समायोजन की विधि में परिस्थिति के अनुसार परिवर्तन होता रहता है। दो विरोधियों के बीच समझौता का ढंग समय और आवश्यकता के अनुसार मोड़ रहता है।
4.समायोजन की प्रक्रिया चेतन प्रकृति की होती है, क्योंकि व्यक्ति सोचने – विचारने के बाद ही समंजस्य के लिए तैयार होता है, किंतु इसकी प्रक्रिया अचेतन रूप से भी होती रहती है।
5.यह सदैव होने वाली प्रक्रिया है। हर परिस्थिति के साथ हर समय व्यक्ति और समूह को सामंजस्य स्थापित करना पड़ता है।
- समायोजन की प्रक्रिया सभी समाज में पायी जाती है। यह धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी पायी जाती है।
समायोजन के प्रकार
(TYPES OF ACCOMODATION)
समायोजन दो प्रकार के होते हैं। गिलिन और गिलिन ने इसके दो रूपों की चर्चा की है
समान समूह के बीच समायोजन – समान समूहों व पक्षों के बीच होने वाले समायोजन में दोनों पक्ष परस्पर लेन – देन करते हैं। येमे दोनो ही ओर से त्याग होता है। व्यावहारिक जीवन में इस प्रकार का समायोजन सबसे अधिक होता है। इस प्रकार के समायोजन में दोनो विरोधी पक्ष समान रूप से शक्तिशाली होते हैं। पारिवारिक स्तर पर इस तरह के समझौते होते हैं। दो समान स्थिति के कंपनियों के बीच भी इस तरह का समायोजन होता है।
असमान समूहों के बीच समायोजन – इस प्रकार के समायोजन में दोनों पक्ष असमान होते हैं। इसमें एक की तुलना में दूसरा पक्ष अधिक या कमतर रहता है। उनके बीच साधन, शक्ति व स्थिति का अंतर भी होता है। इस समायोजन में वरीयता: कमजोर पार्टी को ही प्रतिस्पर्धी समह की बातों को मानना पड़ता है। उदाहरण के लिए, नौकर और मालिक के बीच होने वाला समझौता, आक्रामक और कमजोर राष्ट के बीच होने वाला समझौता। इसमें एक और दूसरा और दूसरा उसकी तुलना में कमतर होता है।
समायोजन का महत्त्व
(IMPORTANCE OF ACCOMODATION)
वर्तमान युग में समायोजन का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। आधुनिक व जटिल समाज में समायोजन के द्वारा ही व्यक्ति व समूह समाज में सामंजस्य स्थापित करता है। समायोजन के महत्त्व को हम इस प्रकार सत् कर रहे हैं समायोजन के द्वारा वर्तमान विरोध समाप्त हो जाता है और सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूलन करने में मदद मिलती है। इससे विभिन्न व्यक्तियों व समन्स के बीच पायी जाने वाली जाड़ा और संघर्ष कम। हो जाते हैं। इससे लोगों के बीच सहयोग की भावना का विकास होता है। समायोजन के द्वारा समाज में वांछित। परिवर्तन होता है। आर्थिक प्रगति के लिए भी समायोजन आवश्यक है। समायोजन करने में समय, शक्ति और साधन तीनों की बचत होती है। वस्तुओं की स्क्वी कम होने से ये कम मुल पर प्राप्त हो सकते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि समायोजन के द्वारा व्यक्ति व समूह अन्य व्यक्ति व समूह के लगभग आते हैं।