वैज्ञानिक पद्धति

वैज्ञानिक पद्धति

( SCIENTIFIC METHOD )

 

 

वैज्ञानिक पद्धति का तात्पर्य अनुसन्धान की किसी भी ऐसी पद्धति से है , जिसके द्वारा निष्पक्ष एवं व्यवस्थित ज्ञान को प्राप्त किया जाता है । ” ए . वल्फ कहते हैं कि ” विस्तृत अर्थों में कोई भी अनुसन्धान विधि जिसके द्वरा विज्ञान का निर्माण एवं विस्तार होता है , वैज्ञानिक पद्धति कही जाती है  वैज्ञानिक विधि ( Scientific Method ) आधुनिक युग विज्ञान का युग है । कोई भी घटना कितनी ही सरल और जटिल क्यों न हो , उनका अध्ययन वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है । साधारणतया लोग विज्ञान शब्द से विशिष्ट प्रकार की विषय – सामग्री समझ लेते हैं ।

उदाहरणस्वरूप – जीव विज्ञान , रसायनशास्त्र , इन्जीनियरिंग , भौतिकशास्त्र इत्यादि । किन्तु ऐसा समझना गलत है । विज्ञान का विषय – सामग्री से कोई सम्बन्ध नहीं है । कोई भी विषय – सामग्री विज्ञान हो सकती है यदि उसे वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा अध्ययन किया जा सके । इसलिए स्टुअर्ट चेज ने लिखा है – ” विज्ञान का सम्बन्ध वैज्ञानिक पद्धति से है न कि विषय – सामग्री से । ” इसी प्रकार की बात बेनबर्ग और शेबत ने कही है – ” विज्ञान संसार की ओर देखने की एक निश्चित पद्धति है । ” ? वास्तव में विज्ञान का तात्पर्य उस क्रमबद्ध ज्ञान से है जिसे वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा प्राप्त किया जाता है । अर्थात् व्यवस्थित ज्ञान ही विज्ञान है । वैज्ञानिक पद्धति सभी शाखाओं में केवल एक और वही है सभी विज्ञानों की एकता इसकी पद्धति में है , अकेले इसकी सामग्री में नहीं । वह व्यक्ति चाहे किसी भी प्रकार के तथ्यों को वर्गीकृत करता है , जो इनके पारस्परिक सम्बन्धी को देखता है तथा उनके क्रम का दर्शन करता है , वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करता है और एक विज्ञान का व्यक्ति है । ये तथ्य मानब मात्र के प्रतीत के इतिहास , हमारे महान शहरों की सामाजिक सांख्यिकी , सुदूर तारों के वातावरण से सम्बन्धित हो सकते हैं . ये स्वयं तथ्य नहीं है जो विज्ञान का निर्माण करते हैं बल्कि वह पद्धति है जिसके द्वारा इन पर कार्य किया जाता है ।

 

” ‘ एनसाइक्लोपीडिया विटेनिका ‘ के अनुसार , ” वैज्ञानिक पद्धति एक सामूहिक शब्द है जो उन अनेक प्रक्रियाओं को स्पष्ट करता है जिनकी सहायता से विज्ञान का निर्माण होता है ।

 

 

गुडे एवं हर्ट ने लिखा है – ” विज्ञान को प्रचलित रूप से व्यवस्थित ज्ञान से संचय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है । ” भौतिक शास्त्र भौतिक अंगों का अध्ययन करता है , प्राणिशास्त्र जीवों का अध्ययन करता है और वनस्पति शास्त्र पेड़ – पौधों का अध्ययन करता है । इस प्रकार अन्य विज्ञानों में भी अलग – अलग विषय – सामग्री होते हैं और ये सभी विषय सामग्री एक – दूसरे से भिन्न होते हैं । किन्तु ये सभी विज्ञान कहलाते हैं । अब सवाल उठता है कि वह कौन – सी बात है जो इन सभी को विज्ञान की इकाई के रूप में लाती है ? इसका एक मात्र उत्तर है अध्ययन पद्धति अर्थात् वैज्ञानिक पद्धति ।

 

कार्ल पियरसन के अनुसार – ” समस्त विज्ञान की एकता उसकी पद्धति में है न कि उसकी विषय – वस्तु में

 

 लुण्डबर्ग ने भी इसी प्रकार की बात कही है “ समस्त शाखाओं में वैज्ञानिक पद्धति एक ही है । उपर्युक्त विवेचनाओं से स्पष्ट होता है कि वैज्ञानिक पद्धति द्वारा जो अध्ययन किया जाता है उससे प्राप्त ज्ञान को विज्ञान कहते हैं ।

 

विजान का अर्थ वैज्ञानिक पद्धति से है , जानने के बाद यह जानना जरूरी है कि किस विधि को बैज्ञानिक पति कहेंगे । साधारणतः उस पद्धति को वैज्ञानिक पद्धति कहा जाता है जिसमें अध्ययनकर्ता तटस्थ या निष्पक्ष रहकर किसी विषय , समस्या या घटना का अध्ययन करता है । इसके अन्तर्गत अवलोकन , तथ्य संकलन . वर्गीकरण सारणीकरण , विश्लेषण तथा सामान्यीकरण आता है ।

 

अगस्ट कौम्ट का कहना था कि सम्पूर्ण विश्व का संचालन ‘ स्थिर प्राकृतिक नियमों द्वारा होता है और इन नियमों की व्याख्या वैज्ञानिक पद्धति द्वारा ही संभव है । चूँकि सामाजिक घटनाएँ इसी प्रकृति की अंग है इसलिए प्राकृतिक घटनाओं की तरह सामाजिक घटनाओं का भी अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति द्वारा ही सम्भव है । वैज्ञानिक पद्धति भावनात्मक तात्विक चिन्तन पर आश्रित न होकर अवलोकन , परीक्षण , प्रयोग एवं वर्गीकरण की व्यवस्थित कार्य प्रणाली पर आश्रित होती है । विभिन्न विद्वानों ने वैज्ञानिक पद्धति को अपने – अपने शब्दों में परिभाषित किया है ।

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 लुण्डबर्ग ने वैज्ञानिक पद्धति के सम्बन्ध में लिखा है – ” मोटे तौर पर वैज्ञानिक पद्धति तथ्यों का व्यवस्थित अवलोकन , वर्गीकरण एवं विश्लेषण है ।

 

कार्ल पियर्सन ने वैज्ञानिक पद्धति की प्रकृति को बताते हुए लिखा है ” वैज्ञानिक पद्धति निम्नलिखित विशेषताओं द्वारा स्पष्ट होती है – ( अ ) तथ्यों का सतर्क एवं यथार्थ वर्गीकरण तथा उनके सह सम्बन्ध एवं अनुक्रम का अवलोकन ( ब ) रचनात्मक कल्पना के द्वारा वैज्ञानिक नियमों की खोज ( स ) आत्म आलोचना तथा सामान्य बुद्धि के सभी व्यक्तियों के लिए समान रूप से उपयोगी । “

 

 बर्नाड ने वैज्ञानिक पद्धति की परिभाषा देते हुए कहा है , ” विज्ञान की परिभाषा उसमें होनेवाली प्रमुख छ : प्रक्रियाओं के रूप में किया जा सकता है – परीक्षण , सत्यापन , परिभाषा , वर्गीकरण , संगठन तथा परिमार्जन जिसमें पूर्वानुमान एवं व्यवहार में लाना सम्मिलित है । ” उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि वैज्ञानिक पद्धति एक व्यवस्थित प्रणाली है । इसके अन्तर्गत तथ्यों का संकलन , सत्यापन , वर्गीकरण एवं विश्लेषण किया जाता है । इससे सामान्य नियमों की खोज की जाती है तथा उसके सम्बन्ध में पूर्वानुमान भी किया जाता है ।

 

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वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ

( Characteristics of Scientific Method )

 

वैज्ञानिक पद्धति की परिभाषाओं के आधार पर इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं । इन विशेषताओं का निम्नलिखित ढंग से समझा जा सकता है

 

तार्किकता ( Logicality ) – वैज्ञानिक पद्धति भावना , संवेग अथवा अन्धविश्वास पर आधारित नहीं होती । इसमें तार्किक विचारों पर बल दिया जाता है । वैज्ञानिक पद्धति घटनाओं के काय – कारण सम्बन्धों पर जोर देती हैं । दसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि प्रत्येक घटना का कोई न कोई कारण जरूर होता है और बिना कारण के कोई भी घटना नहीं घटती । वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत कार्य – कारण ढूँढने का प्रयास किया जाता है । उदाहरण स्वरूप अन्धविश्वास के तहत किसी बीमारी के पीछे किसी दैवी शक्ति का हाथ न मानकर उसके असली रोगाणओं का खोज करना ही वैज्ञानिक पद्धति की विशेषता है । वास्तव में बीमारी के पीछे रोगाणु विशेष का हाथ होता है । कहने का तात्पर्य यह है कि यहाँ रोगाणु विशेष ही बीमारी का कारण है ।

 

  सामान्यता ( Generality ) – वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा ऐसे नियमों या तथ्यों को ढूंढने का प्रयास किया जाता है जो कि सदैव समान अवस्थाओं में प्रमाणिक हो सकें । यह पद्धति किसी विशेष घटना अथवा इकाई के अध्ययन पर बल नहीं देता बल्कि सामान्य घटनाओं के अध्ययन पर जोर देता है । अर्थात् वैज्ञानिक पद्धति बिल्कुल विशिष्ट का विज्ञान नहीं हो सकता , यह सामान्य खोज पर बल देता है ताकि विभिन्न तथ्यों के आधार पर सामान्य सिद्धान्त एवं नियमों का प्रतिपादन किया जा सके । यदि किसी विशेष घटना या तथ्य को लेकर किसी सामान्य नियम का प्रतिपादन होता है तो उसका क्षेत्र बहुत ही संकुचित होता है । वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत एकत्रित की जाने वाली इकाइयाँ व्यक्ति विशेष का न होकर सम्पूर्ण वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं । इसका मतलब यह नहीं होता कि ये सभी परिस्थितियों एवं अवस्थाओं में बिना शर्त के प्रामाणिक होंगे । ये सामान्य परिस्थिति में ही प्रामाणिक होते हैं । इस अर्थ में एक सामान्य वैज्ञानिक नियम बन सकता है । वैज्ञानिक पद्धति की विशेषता इस अर्थ में भी सामान्य है कि इसका प्रयोग विभिन्न विज्ञानों में एक समान होता है । इस सन्दर्भ में कार्ल पियर्सन ने लिखा भी है ” समस्त विज्ञानों की एकता उसकी पद्धति में है न कि विषय – वस्त में । ” साधारण तौर पर वैज्ञानिक पद्धति विज्ञान की समस्त शाखाओं में एक समान होती है ।

 

 . कार्य – कारण सम्बन्धों पर आधारित ( Cause and Effect Relationship ) – वैज्ञानिक पद्धति कार्य – कारण सम्बन्धों पर आधारित होता है । प्रत्येक घटना का कोई कारण होता है । कोई भी धाटना पूर्णतया स्वतन्त्र नहीं होती . उसके घटित होने के पीछे कोई न कोई कारण होता है । वैज्ञानिक पद्धति उन सभी कारणों को ढूँढने का प्रयास करती है जिनके कारण घटनाएँ घटिस होती हैं । अर्थात् विभिन्न घटनाओं के बीच कार्य – कारण सम्बन्धों की व्याख्या करती है । उदाहरण स्वरूप यदि काई व्यकित बीमार है तो वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा उसके बीमार होने के कारण को ढूँढने का प्रयास किया जाता न किसी देवी – देवता का प्रकोप समझा आता है ।

 

. अवलोकन ( Observation ) – अवलोकन वैज्ञानिक पद्धति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है । वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत तथ्यों के संकलन हेतु अनुसंधानकर्ता प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करता है । अवलोकन को वैज्ञानिक खोज की शास्त्रीय पद्धति कहा जाता है । वैज्ञानिक पद्धति में अवलोकन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए गुडे एवं हैट ने कहा है ” विज्ञान अवलोकन से प्रारम्भ होता है एवं इसकी पुष्टि के लिए अन्त में अवलोकन पर ही लादना पडता है । इसलिए समाजशास्त्री को सावधानीपूर्वक अवलोकन करने में अपने आप को प्रशिक्षित करना चाहए । अवलोकन में उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण से घटना का निरीक्षण – परीक्षण करके तथ्य संकलन किया जाता है जो लज्ञा क पद्धति का आधार बनता है । m

 

 

 . सत्यापनशीलता ( Verification ) – वैज्ञानिक पद्धति द्वारा प्राप्त निष्कर्ष किसी समय भी सत्यापित किये जा सकते हैं । पूर्व में प्राप्त किया गया सत्य अब कहाँ तक सत्य है . इस बात की जानकारी सत्यापन कबाद होती है । कहने का तात्पर्य यह है कि एक बार जब वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है , दूसरी बार भी समान निष्कर्ष प्राप्त होता है तो उसे सत्यापित समझा जाता है । अर्थात वैज्ञानिक पद्धति में प्राप्त निष्कर्षों की पुन : परीक्षा की जा सकती है । इस सन्दर्भ में लथर का कहना है कि जिस विधि के द्वारा तथ्यों की पुन : परीक्षा नहीं की जा सकती है वह वैज्ञानिक पद्धति न होकर दार्शनिक अथवा काल्पनिक हो सकती है । अत : वैज्ञानिक पद्धति के लिए सत्यापन अत्यन्त आवश्यक है । वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ

 

. वस्तुनिष्ठता ( Objectivity ) – वैज्ञानिक पद्धति में वस्तुनिष्ठता का महत्वपूर्ण स्थान है । वस्तुनिष्ठता का अर्थ जो ( Characterstics of Scientific Method ) वस्तु या घटना जैसा है उसे उसी रूप में देखना या जानना | अवलोकन होता है । वैज्ञानिक पद्धति में पक्षपात एवं पूर्वाग्रह का कोईस्थान नहीं होता । अर्थात् व्यक्ति अध्ययन के समय अपनी सत्यापन शीलता व्यक्तिगत इच्छा , पसन्द एवं धारणाओं को महत्व नहीं देता है । ग्रीन के अनुसार ‘ वस्तुनिष्ठता का तात्पर्य किसी तथ्य 3 . वस्तुनिष्ठता अथवा प्रमाण की निष्पक्षतापूर्वक जाँच करने की इच्छा तथा योग्यता है । ‘ सामाजिक विज्ञानों में वस्तुनिष्ठता एक कठिन कार्य है । इसलिए अनुसंधानकर्ता को आत्मनियंत्रण केसाथ – साथ ऐसी प्रविधियों का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि पक्षपात एवं पूर्वाग्रह की गुंजाइश कम से कम हो । अध्ययनकर्ता को बिल्कुल तटस्थ रहकर अध्ययन करना पड़ता है । उसे किसी प्रकार का नैतिक पक्षपात या मानसिक बेईमानी का सहारा नहीं लेना चाहिए ।

 

–  निश्चितता वैज्ञानिक पद्धति में निश्चितता होती है । इसके अन्तर्गत निश्चित आधारों पर निश्चित तथ्य ढूंढने का प्रयास किया जाता है । वैज्ञानिक पद्धति में संदेह उत्पन्न करने वाले तत्वों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है । वैज्ञानिक अध्ययन में निश्चित पदों का प्रयोग होता है । अनिश्चित पदों के प्रयोग से निश्चित निष्कर्ष प्राप्त होना कठिन है । यदि अध्ययन वस्तुनिष्ठ है और पुन : परीक्षण द्वारा उसका सत्यापन हो सकता है तब उससे प्राप्त निष्कर्ष में निश्चितता अवश्य होगी ।

 

 

 

 भविष्यवाणी करने की क्षमता ( Predictability ) – वैज्ञानिक पद्धति की एक महत्वपूर्ण विशेषता भविष्यवाणी अथवा पूर्वानुमान करने की क्षमता है । कार्य – कारण सम्बन्धों एवं विभिन्न कारकों के अध्ययन के आधार पर किसी वस्तु या घटना की जानकारी होती है । इस जानकारी के आधार पर भविष्य में उस वस्तु अथवा घटना का क्या स्वरूप होगा इस सम्बन्ध में पूर्वानुमान किया जा सकता है । वैज्ञानिक पद्धति के अन्तर्गत किया जानेवाला भविष्यवाणी ज्योतिषी या अन्य भविष्यवाणी से भिन्न होता है । अध्ययनकर्ता जब किसी घटना के कारणों को खोजकर उसके सम्बन्ध में सामान्य नियम एवं सिद्धान्त प्रतिपादित करता है तब जाकर उसके आधार पर वैसी दशाओं में उस प्रकार की घटनाओं के घटित होने के सम्बन्ध में भविष्यवाणी करता है । कहने का तात्पर्य है कि वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर अध्ययन करने से अध्ययनकर्ता में ऐसी क्षमता विकसित होती है जिससे वह समान घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान कर सके ।

 

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