कालचक्र का मंथन: 25 प्रश्न, जो बदल देंगे आपकी तैयारी!
नमस्कार, भविष्य के दिग्गजों! इतिहास के विशाल सागर में गोता लगाने और अपने ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम आपके लिए लाए हैं 25 ऐसे प्रश्न, जो प्राचीन भारत की नींव से लेकर विश्व के महत्वपूर्ण मोड़ों तक फैले हैं। यह केवल एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि आपकी सफलता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। तो पेन उठाइए और अपनी तैयारी को परखिए!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी धातु हड़प्पा सभ्यता के लोग नहीं जानते थे?
- तांबा
- कांसा
- लोहा
- सोना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हड़प्पा सभ्यता (लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व) के लोग कांस्य युग से संबंधित थे और उन्होंने तांबे और टिन को मिलाकर कांसा बनाना सीख लिया था। वे सोना और चांदी से भी परिचित थे।
- संदर्भ और विस्तार: हड़प्पा वासियों ने धातु विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रगति की थी, विशेषकर कांसे के उपयोग में। हालांकि, लोहे का ज्ञान उन्हें नहीं था; लोहे का प्रयोग उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000 ईसा पूर्व) के आसपास भारत में शुरू हुआ।
- गलत विकल्प: तांबा, कांसा और सोना हड़प्पा सभ्यता में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते थे, जैसा कि पुरातात्विक साक्ष्यों से पता चलता है।
प्रश्न 2: ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक कौन हैं, जिसमें राज्य-व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और सैन्य रणनीति पर विस्तृत चर्चा है?
- कालिदास
- बाणभट्ट
- चाणक्य
- विशाखदत्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक कौटिल्य (जिन्हें चाणक्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है) हैं। यह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो शासन कला, कूटनीति, नागरिक और सैन्य जीवन, करों, न्याय प्रणाली और गुप्तचरों के प्रबंधन जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: कालिदास संस्कृत के महान कवि और नाटककार थे (चंद्रगुप्त द्वितीय के समकालीन), बाणभट्ट हर्षचरित के लेखक थे, और विशाखदत्त ‘मुद्राराक्षस’ के लेखक थे।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी उपाधि समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहने के लिए उचित ठहराती है?
- विक्रमादित्य
- सर्व-राज-उच्छेत्ता
- पराक्रमांक
- चंद्रगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समुद्रगुप्त (गुप्त वंश के शासक) को उनके विजय अभियानों और साम्राज्य विस्तार के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। उनकी एक उपाधि ‘पराक्रमांक’ थी, जो उनकी सैन्य शक्ति को दर्शाती है।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने अपने शासनकाल में उत्तर भारत के कई राज्यों को विजित किया और दक्षिण के शासकों को भी हराया। इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख में उनकी विजयों का विस्तृत विवरण है।
- गलत विकल्प: ‘विक्रमादित्य’ उपाधि चंद्रगुप्त द्वितीय ने धारण की थी। ‘सर्व-राज-उच्छेत्ता’ का अर्थ है सभी राजाओं का नाश करने वाला, जो उनकी विजयों का वर्णन करता है लेकिन ‘पराक्रमांक’ उनकी उपाधि थी। ‘चंद्रगुप्त’ उनके दादा का नाम था।
प्रश्न 4: ऐहोल शिलालेख, जिसमें पुलकेशिन द्वितीय की नर्मदा नदी पर हर्षवर्धन पर विजय का उल्लेख है, किसने लिखा था?
- हरिषेण
- रविकृति
- कालिदास
- दंडी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऐहोल शिलालेख (634 ईस्वी) चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय के दरबारी कवि रविकृति द्वारा लिखा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में पुलकेशिन द्वितीय की सैन्य सफलताओं का वर्णन है, जिसमें विशेष रूप से चालुक्य और उत्तर भारतीय सम्राट हर्षवर्धन के बीच 618-619 ईस्वी में नर्मदा नदी के तट पर हुई लड़ाई का उल्लेख है, जिसमें हर्षवर्धन की हार हुई थी।
- गलत विकल्प: हरिषेण समुद्रगुप्त के दरबारी कवि थे जिन्होंने प्रयाग प्रशस्ति लिखी थी। कालिदास और दंडी भी प्रसिद्ध कवि थे लेकिन ऐहोल शिलालेख से उनका संबंध नहीं है।
प्रश्न 5: ‘इक्ता’ प्रणाली का प्रारंभ निम्न में से किस मध्यकालीन भारतीय शासक ने किया था?
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन बलबन
- इल्तुतमिश
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इल्तुतमिश (दिल्ली सल्तनत का तीसरा शासक) को ‘इक्ता’ प्रणाली को संगठित रूप देने का श्रेय दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इक्ता प्रणाली में, राज्य की भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों (इक्ता) में विभाजित किया जाता था, जिन्हें सैन्य अधिकारियों या अमीरों को उनके वेतन के बदले राजस्व वसूलने के अधिकार के साथ सौंपा जाता था। यह एक प्रशासनिक और वित्तीय व्यवस्था थी।
- गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रणाली में सुधार किया और अमीरों को नियंत्रित किया, लेकिन इसे शुरू नहीं किया। बलबन ने इक्ता की वंशानुगत प्रकृति को रोकने की कोशिश की, और मुहम्मद बिन तुगलक ने भी इसमें बदलाव किए।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य की सबसे प्रसिद्ध शासक वंश कौन सा था, जिसने 14वीं से 16वीं शताब्दी तक शासन किया?
- संगम वंश
- सालुव वंश
- तुलुव वंश
- अराविडु वंश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 7: ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म की शुरुआत किस मुगल सम्राट ने की थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक धर्मनिरपेक्ष दर्शन था जिसका उद्देश्य सभी प्रमुख धर्मों के सार को एक साथ लाना था। अकबर ने सभी धर्मों के विद्वानों से चर्चा की और सर्वधर्म समभाव पर जोर दिया। हालाँकि, यह धर्म अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका और इसे व्यापक स्वीकृति नहीं मिली।
- गलत विकल्प: जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने अपने-अपने शासनकाल में अलग-अलग नीतियों का पालन किया, लेकिन उन्होंने ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत या उसे आगे नहीं बढ़ाया।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस मराठा पेशवा को ‘नादिर-उल-असर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था?
- बाजीराव प्रथम
- बालाजी बाजीराव
- माधवराव
- बाजीराव द्वितीय
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बाजीराव प्रथम (1720-1740), जो पेशवा थे, उन्हें उस समय के मुगल सम्राट मुहम्मद शाह ने ‘नादिर-उल-असर’ (युग का आश्चर्य) की उपाधि से सम्मानित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: बाजीराव प्रथम एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य का काफी विस्तार किया। उन्होंने बुंदेलखंड, मालवा और गुजरात पर विजय प्राप्त की और दक्कन में मुगलों को चुनौती दी।
- गलत विकल्प: अन्य पेशवाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन यह विशेष उपाधि बाजीराव प्रथम को दी गई थी।
प्रश्न 9: ‘पंचतंत्र’ के लेखक कौन हैं, जो पशुओं की कहानियों के माध्यम से जीवन के सबक सिखाते हैं?
- वाल्मीकि
- वेद व्यास
- विष्णु शर्मा
- तुलसीदास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘पंचतंत्र’ के लेखक विष्णु शर्मा हैं। यह एक प्राचीन भारतीय कथा संग्रह है।
- संदर्भ और विस्तार: पंचतंत्र में कई कल्पित कहानियाँ हैं जिनमें जानवरों को पात्रों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, और इन कहानियों का उद्देश्य नैतिक और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना है। इसे पाँच भागों में विभाजित किया गया है: मित्रलाभ, सुहृदभेद, काकोलूकीयम, लब्धप्रणाश और अपरीक्षितकारक।
- गलत विकल्प: वाल्मीकि ने ‘रामायण’, वेद व्यास ने ‘महाभारत’ और तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की।
प्रश्न 10: भारत में प्रथम अफगान साम्राज्य का संस्थापक कौन था?
- इब्राहिम लोदी
- बहलोल लोदी
- सिकंदर लोदी
- शेर शाह सूरी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बहलोल लोदी (1451-1489) लोदी वंश का संस्थापक था, जिसने दिल्ली सल्तनत पर शासन किया और यह भारत का पहला अफगान साम्राज्य था।
- संदर्भ और विस्तार: बहलोल लोदी ने सैय्यद वंश के अंतिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह को अपदस्थ कर दिल्ली की गद्दी पर अधिकार किया। उसने अपने साम्राज्य को मजबूत किया और सरदारों को साथ लेकर शासन किया।
- गलत विकल्प: इब्राहिम लोदी लोदी वंश का अंतिम शासक था, जिसे बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) में हराया था। सिकंदर लोदी बहलोल का पुत्र था जिसने आगरा शहर की स्थापना की। शेरशाह सूरी सूरी वंश का संस्थापक था, जो अफगान था लेकिन लोदी के बाद आया।
प्रश्न 11: 1857 के विद्रोह के दौरान, निम्नलिखित में से किसने ‘कानपुर’ से नेतृत्व किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- बेगम हजरत महल
- तातिया टोपे
- नाना साहेब
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह के दौरान कानपुर से प्रमुख नेता नाना साहेब थे, जिन्होंने पेशवा की उपाधि धारण की थी।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और ब्रिटिश सरकार ने उनकी पेंशन रोक दी थी। उन्होंने कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किया और ब्रिटिश सेना को खदेड़ने के बाद अपनी सत्ता स्थापित की।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से, बेगम हजरत महल ने लखनऊ से, और तात्या टोपे ने ग्वालियर व अन्य क्षेत्रों से विद्रोह का नेतृत्व किया था, यद्यपि वे नाना साहेब के प्रमुख सहयोगी थे।
प्रश्न 12: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक कौन हैं, जिसने आर्य समाज की स्थापना की?
- स्वामी विवेकानंद
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- राजा राममोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक स्वामी दयानंद सरस्वती हैं, जिन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ स्वामी दयानंद सरस्वती का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें उन्होंने वेदों के महत्व और तत्कालीन सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों पर प्रकाश डाला है। आर्य समाज एक प्रमुख सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन था जिसने ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया।
- गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की, स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, और ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक महान समाज सुधारक थे।
प्रश्न 13: भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान, निम्नलिखित में से किस नेता ने ‘समांतर सरकारों’ के गठन का सक्रिय रूप से समर्थन किया?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- जय प्रकाश नारायण
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जय प्रकाश नारायण (जेपी) ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त रूप से कार्य करते हुए ‘आजाद दस्ते’ का गठन किया और विभिन्न स्थानों पर ‘समांतर सरकारों’ या गुप्त प्रतिरोध के केंद्रों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- संदर्भ और विस्तार: जब प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, तो जय प्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर संघर्ष जारी रखा। उन्होंने सरकार विरोधी गतिविधियों और समानांतर शासन स्थापित करने पर जोर दिया, खासकर बिहार में।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी आंदोलन के मुख्य नेता थे लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर समांतर सरकारों के गठन का नेतृत्व नहीं किया। जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल भी महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन इस विशिष्ट पहलू में जय प्रकाश नारायण की भूमिका अधिक प्रत्यक्ष थी।
प्रश्न 14: ‘दोहरा शासन’ (Diarchy) का सिद्धांत, जिसमें प्रांतों में विषयों को आरक्षित और हस्तांतरित में विभाजित किया गया था, किस अधिनियम के तहत पेश किया गया?
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
- भारत सरकार अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत सरकार अधिनियम, 1919 (जिसे मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है) ने प्रांतों में ‘दोहरा शासन’ (Diarchy) की शुरुआत की।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम के तहत, प्रांतीय विषयों को दो भागों में बांटा गया – आरक्षित विषय (जैसे वित्त, पुलिस, भूमि राजस्व), जो राज्यपाल और उनकी कार्यकारी परिषद के नियंत्रण में थे, और हस्तांतरित विषय (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय स्वशासन), जो निर्वाचित भारतीय मंत्रियों के नियंत्रण में थे। इसका उद्देश्य भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी देना था, लेकिन यह पूरी तरह सफल नहीं रहा।
- गलत विकल्प: 1861 और 1892 के अधिनियमों ने विधान परिषदों का विस्तार किया लेकिन दोहरा शासन लागू नहीं किया। 1909 के अधिनियम ने सांप्रदायिक निर्वाचन की शुरुआत की।
प्रश्न 15: गदर पार्टी का मुख्यालय कहाँ स्थित था?
- लंदन
- न्यूयॉर्क
- सैन फ्रांसिस्को
- बर्लिन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गदर पार्टी, जिसका गठन 1913 में हुआ था, का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में था।
- संदर्भ और विस्तार: गदर पार्टी का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत में सशस्त्र क्रांति लाना था। पार्टी के सदस्य मुख्य रूप से भारतीय प्रवासी थे, जिन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में सक्रियता दिखाई। उन्होंने ‘गदर’ नामक एक पत्रिका भी प्रकाशित की।
- गलत विकल्प: लंदन, न्यूयॉर्क और बर्लिन में भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े समूह सक्रिय थे, लेकिन गदर पार्टी का केंद्रीय मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था।
प्रश्न 16: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ या ‘मृतकों का टीला’ (Mound of the Dead) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो (शाब्दिक अर्थ ‘मृतकों का टीला’) सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख और विशाल शहरी केंद्र था।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है। यहाँ से मिले प्रमुख साक्ष्यों में विशाल स्नानागार, अन्नागार, पुरोहित की मूर्ति और कास्य की नर्तकी की मूर्ति शामिल हैं। इस स्थल पर बड़ी संख्या में मानव कंकाल पाए जाने के कारण इसे ‘मृतकों का टीला’ कहा जाता है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा सिंधु सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल था। लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, और कालीबंगा जूते हुए खेत के साक्ष्य के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 17: अशोक के किस शिलालेख में कलिंग युद्ध के बाद उसके पश्चाताप और बौद्ध धर्म अपनाने का उल्लेख है?
- पहला प्रमुख शिलालेख
- आठवाँ प्रमुख शिलालेख
- तेरहवाँ प्रमुख शिलालेख
- दिल्ली-टोपरा स्तंभ शिलालेख
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अशोक के तेरहवें प्रमुख शिलालेख में कलिंग युद्ध (261 ईसा पूर्व) के विनाशकारी प्रभावों और उसके बाद सम्राट अशोक द्वारा महसूस किए गए गहरे पश्चाताप का वर्णन है, जिसने उसे बौद्ध धर्म की ओर प्रेरित किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में अशोक ने अपने हृदय परिवर्तन और धम्म विजय की घोषणा की। यह कलिंग युद्ध के भयावहता को दर्शाने वाले सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक साक्ष्यों में से एक है।
- गलत विकल्प: अन्य शिलालेखों में धम्म के सिद्धांतों, लोक कल्याणकारी कार्यों, और धार्मिक सहिष्णुता जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
प्रश्न 18: सल्तनत काल में ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नए कृषि विभाग की स्थापना किस सुल्तान ने की थी?
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351) ने कृषि के विकास के लिए ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नए कृषि विभाग की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का उद्देश्य बंजर भूमि को विकसित करना, किसानों को बीज, उपकरण और ऋण प्रदान करना था ताकि कृषि उत्पादन बढ़ाया जा सके। हालांकि, इसकी नीतियों को पूरी तरह से लागू करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- गलत विकल्प: बलबन ने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने भूमि राजस्व प्रणाली में सुधार किए थे। गयासुद्दीन तुगलक ने सिंचाई व्यवस्था पर ध्यान दिया।
प्रश्न 19: ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की परिषद किस साम्राज्य में प्रचलित थी?
- मौर्य साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य
- चोल साम्राज्य
- मराठा साम्राज्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अष्टप्रधान’ आठ प्रमुख मंत्रियों की एक परिषद थी जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज की प्रशासनिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (पत्राचार), सुमंत (विदेश मंत्री), सर-ए-नौबत (सेनापति), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), न्यायाधीश (न्याय मंत्री) और मजूमदार (लेखा परीक्षक) जैसे पद शामिल थे। यह व्यवस्था शिवाजी के सुव्यवस्थित शासन का प्रतीक थी।
- गलत विकल्प: मौर्य और गुप्त साम्राज्य में भी मंत्रि-परिषदें थीं, लेकिन वे ‘अष्टप्रधान’ नाम से नहीं जानी जाती थीं और उनकी संरचना भिन्न थी। चोल प्रशासन भी कुशल था, लेकिन उनमें ‘अष्टप्रधान’ जैसी व्यवस्था नहीं थी।
प्रश्न 20: किस वायसराय के शासनकाल में भारत में पहली बार ‘फेडरल कोर्ट’ की स्थापना हुई?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड लिनलिथगो
- लॉर्ड वेवेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों के तहत, वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो के शासनकाल में 1937 में फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया (भारत का संघीय न्यायालय) की स्थापना की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह न्यायालय भारतीय संघ और प्रांतों के बीच विवादों का निपटारा करने और संविधान की व्याख्या करने के लिए स्थापित किया गया था। हालाँकि, यह भारत की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की तरह पूर्ण अधिकार सम्पन्न नहीं था।
- गलत विकल्प: डलहौजी और कर्जन 1937 से बहुत पहले वायसराय थे। लॉर्ड वेवेल के समय भारत स्वतंत्र होने के कगार पर था।
प्रश्न 21: प्राचीन भारत में ‘महाजनपद’ का क्या अर्थ है?
- बड़े सैन्य समूह
- बड़े राज्यों या गणराज्यों का उल्लेख
- धार्मिक ग्रंथ
- प्रमुख व्यापारिक मार्ग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्राचीन भारत में, ईसा पूर्व छठी शताब्दी के आसपास, 16 प्रमुख राज्यों या गणराज्यों को ‘महाजनपद’ कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: ये महाजनपद उस समय की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को दर्शाते थे, जिनमें से मगध, कोशल, वत्स और अवंति सबसे शक्तिशाली थे। बौद्ध और जैन ग्रंथ इन महाजनपदों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: यह शब्द सैन्य समूहों, धार्मिक ग्रंथों या व्यापारिक मार्गों का वर्णन नहीं करता है।
प्रश्न 22: ‘महायान’ और ‘हीनयान’ बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखाएँ हैं। यह विभाजन किस बौद्ध संगीति के उपरांत हुआ?
- प्रथम बौद्ध संगीति
- द्वितीय बौद्ध संगीति
- तृतीय बौद्ध संगीति
- चतुर्थ बौद्ध संगीति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: महायान और हीनयान (जिसे थेरवाद भी कहा जाता है) में बौद्ध धर्म का विभाजन मोटे तौर पर चौथी बौद्ध संगीति के बाद हुआ, जो कनिष्क के संरक्षण में कश्मीर में आयोजित की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: चौथी बौद्ध संगीति में, बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर नई व्याख्याएँ प्रस्तुत की गईं, जिसने महायान शाखा के उदय को प्रश्रय दिया। महायान शाखा ने बुद्ध को एक देवता के रूप में पूजना शुरू किया और बोधिसत्व की अवधारणा पर जोर दिया, जबकि हीनयान शाखा ने मूल शिक्षाओं और व्यक्तिगत मुक्ति पर ध्यान केंद्रित रखा।
- गलत विकल्प: पहली तीन बौद्ध संगीतियों ने विनय पिटक, सूत्र पिटक और अभिधम्म पिटक के संकलन और बौद्ध धर्म की शुद्धता पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 23: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि इस काल में सोने के सिक्के प्रचुर मात्रा में ढाले गए।
- क्योंकि इस काल में विज्ञान, कला, साहित्य और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- क्योंकि इस काल में गुप्त वंश ने सबसे बड़े क्षेत्र पर शासन किया।
- क्योंकि इस काल में शांति और समृद्धि का चरम था।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में विज्ञान, गणित (शून्य की अवधारणा, दशमलव प्रणाली), खगोल विज्ञान (आर्यभट्ट), साहित्य (कालिदास), कला (अजंता की गुफाएँ) और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक उत्कर्ष के कारण इसे भारत का क्लासिक काल भी माना जाता है।
- गलत विकल्प: हालांकि इस काल में सोने के सिक्के ढाले गए थे (विकल्प a) और शांति-समृद्धि थी (विकल्प d), लेकिन ‘स्वर्ण युग’ कहने का मुख्य कारण सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास है। साम्राज्य का विस्तार (विकल्प c) भी हुआ, लेकिन यह स्वर्ण युग का एकमात्र कारण नहीं है।
प्रश्न 24: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का मूल नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- लोकतंत्र, स्वतंत्रता, न्याय
- राष्ट्रवाद, गणतंत्र, एकता
- संप्रभुता, अधिकार, समानता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति का सबसे प्रसिद्ध नारा ‘लिबर्टे, इगैलिते, फ्रैटर्निते’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका अर्थ है ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा क्रांति के मुख्य आदर्शों को दर्शाता था, जिसने राजशाही का अंत किया और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की। ये सिद्धांत आधुनिक लोकतांत्रिक राष्ट्रों की नींव बने।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प भी राजनीतिक या सामाजिक आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन वे फ्रांसीसी क्रांति के विशिष्ट और सर्वमान्य नारे नहीं थे।
प्रश्न 25: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का तात्कालिक कारण क्या था?
- साम्राज्यवाद की होड़
- गठबंधन की राजनीति
- ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
- जर्मनी का बेलजीयम पर आक्रमण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून 1914 को ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की बोस्नियाई सर्ब राष्ट्रीय ऑस्ट्रियाई महासंघ के सदस्य गैवरिलो प्रिंसिप द्वारा हत्या थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस हत्या के बाद, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, जिससे विभिन्न देशों के बीच गठबंधन की श्रृंखला सक्रिय हो गई और यूरोप युद्ध की चपेट में आ गया। अन्य विकल्प (साम्राज्यवाद, राष्ट्रवाद, सैन्यीकरण और गठबंधन प्रणाली) युद्ध के मूल कारण थे, लेकिन फर्डिनेंड की हत्या वह चिंगारी थी जिसने युद्ध को भड़काया।
- गलत विकल्प: जर्मनी का बेल्जियम पर आक्रमण युद्ध छिड़ने के बाद हुआ, न कि उसका तात्कालिक कारण।