संविधान की कसौटी: अपनी राजव्यवस्था की पकड़ मज़बूत करें!
लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना हर सिविल सेवक के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपनी भारतीय राजव्यवस्था और संविधान की अवधारणाओं को लेकर आश्वस्त हैं? आइए, आज के इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से अपनी समझ को परखें और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें। यह अभ्यास सत्र आपके ज्ञान की गहराई और सटीकता का परीक्षण करेगा!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान: दैनिक अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान के निर्माण के समय निम्नलिखित में से किस पद का उल्लेख नहीं था?
- अध्यक्ष, संविधान सभा
- उपाध्यक्ष, संविधान सभा
- सचिव, संविधान सभा
- सदस्य, संविधान सभा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान सभा एक निर्वाचित निकाय थी, जिसके अपने अध्यक्ष (डॉ. राजेंद्र प्रसाद) और उपाध्यक्ष (एच.सी. मुखर्जी) थे। ये पद सभा के संचालन के लिए आवश्यक थे।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान सभा के सचिव का पद, जो वास्तव में एक प्रशासनिक भूमिका थी, न कि संवैधानिक पद, का उल्लेख संविधान के निर्माण के समय या संविधान में ही नहीं किया गया था। सचिव (सर बी.एन. राव) एक नियुक्त अधिकारी थे, न कि निर्वाचित सदस्य या पदाधिकारी।
- अincorrect विकल्प: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों का चुनाव संविधान सभा के सदस्यों में से ही किया गया था और उनके पद सभा की कार्यवाही के लिए महत्वपूर्ण थे। सभी सदस्य संविधान के निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा थे।
प्रश्न 2: किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि ‘मूल संरचना’ सिद्धांत को प्रस्तावना पर भी लागू किया जा सकता है?
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ
- एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक वाद में, सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure Doctrine) के सिद्धांत को स्थापित किया। इसमें यह भी व्यवस्था दी गई कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, सिवाय उन प्रावधानों के जो मूल ढांचे का हिस्सा हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि मुख्य रूप से यह सिद्धांत मूल अधिकारों और संविधान के अन्य भागों पर लागू हुआ, न्यायालय की व्याख्याओं ने संकेत दिया कि प्रस्तावना भी संविधान का एक अभिन्न अंग है और इसके मूल तत्वों को संशोधित नहीं किया जा सकता।
- अincorrect विकल्प: शंकर प्रसाद वाद (1951) ने माना कि संसद मूल अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। मिनर्वा मिल्स वाद (1980) ने मूल ढांचे की पुष्टि की और संसद की संशोधन शक्ति को सीमित किया। एस. आर. बोम्मई वाद (1994) राष्ट्रपति शासन से संबंधित है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के विभेद को प्रतिबंधित करता है, केवल भारत के नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) जैसे कुछ मौलिक अधिकार भारत में मौजूद सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 14, 20, और 21 सभी व्यक्तियों के लिए लागू होते हैं, न कि केवल नागरिकों के लिए।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर आपातकाल घोषित करने की शक्ति देता है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को यह घोषित करने की शक्ति देता है कि किसी राज्य का शासन संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता, जो आमतौर पर ‘संवैधानिक तंत्र की विफलता’ के रूप में जाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शक्ति का प्रयोग राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या सीधे किया जा सकता है। यह अनुच्छेद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 365 भी इसके समर्थन में है, जो कहता है कि यदि कोई राज्य केंद्र के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) के कर्तव्यों में शामिल नहीं है?
- भारत की संचित निधि से की गई सभी निधियों की लेखापरीक्षा करना।
- सभी सरकारी कंपनियों की लेखापरीक्षा करना।
- पंचायती राज संस्थाओं के खातों की लेखापरीक्षा करना।
- मंत्रिमंडल सचिवालय के व्यय की लेखापरीक्षा करना।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 149 भारत के CAG के कर्तव्यों को परिभाषित करता है। CAG भारत की संचित निधि, लोक लेखा और आकस्मिकता निधि के सभी व्यय की लेखापरीक्षा करता है, साथ ही उन सभी निकायों और प्राधिकरणों के खातों की भी जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के तहत लेखापरीक्षा के अधीन हैं।
- संदर्भ और विस्तार: CAG सरकारी कंपनियों, स्वायत्त निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के खातों की भी लेखापरीक्षा करता है, जब तक कि किसी विशेष कानून द्वारा उन्हें छूट न दी गई हो। हालांकि, मंत्रिमंडल सचिवालय के व्यय का ऑडिट, यदि वह किसी विशेष विभाग से जुड़ा नहीं है, तो सामान्यतः CAG के प्रत्यक्ष अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, हालांकि उसके समग्र व्यय की जांच की जा सकती है। CAG मुख्य रूप से व्यय के ‘कहाँ’ और ‘कैसे’ पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि ‘क्यों’ पर।
- अincorrect विकल्प: CAG की भूमिका संचित निधि (a), सरकारी कंपनियों (b) और पंचायती राज संस्थाओं (c) के खातों की लेखापरीक्षा करना है, जैसा कि CAG अधिनियम, 1971 में भी विस्तृत है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान में ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द को किस संशोधन द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े गए: ‘संप्रभु’, ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’।
- संदर्भ और विस्तार: इन संशोधनों का उद्देश्य भारतीय राज्य की प्रकृति को और अधिक स्पष्ट करना था। ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।
- अincorrect विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधान जोड़े। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद उच्चतम न्यायालय को उसकी अपनी ही पूर्व निर्णय की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 142
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 145
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 उच्चतम न्यायालय को अपनी ही राय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति देता है, जब तक कि किसी संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न किया गया हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति ‘पुनरीक्षण’ (Review) की शक्ति कहलाती है। यह न्यायालय को न्यायिक त्रुटियों को सुधारने का अवसर प्रदान करती है। हालांकि, इस शक्ति का प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 142 न्यायालय की अपनी ही राय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति नहीं देता; यह न्याय के हित में आदेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सलाहकारी अधिकार क्षेत्र प्रदान करता है। अनुच्छेद 145 न्यायालय के नियमों को विनियमित करता है।
प्रश्न 8: किस संवैधानिक संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRI) से संबंधित प्रावधान हैं, और उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने PRI को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ, अधिकार और उत्तरदायित्व भी प्रदान किए। इसने ग्राम सभा की परिकल्पना को भी मजबूत किया।
- अincorrect विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो सके थे।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- संबंधित राज्य के राज्यपाल
- संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री
- उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 165 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक महाधिवक्ता होगा, जिसकी नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
- संदर्भ और विस्तार: महाधिवक्ता राज्य सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और उच्च न्यायालयों में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। वह व्यक्ति योग्य होगा जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए योग्य हो।
- अincorrect विकल्प: भारत के राष्ट्रपति केवल महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति करते हैं। मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रक्रिया में भूमिका हो सकती है, लेकिन अंतिम नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
प्रश्न 10: भारत में ‘लोकपाल’ की अवधारणा किस देश की लोकपाल (Ombudsman) प्रणाली से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- स्कैंडिनेवियाई देश (विशेषकर स्वीडन)
- फ्रांस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: लोकपाल की संस्था मूल रूप से स्वीडन में 1809 में स्थापित हुई थी। भारत ने लोकपाल की अवधारणा को स्कैंडिनेवियाई देशों, विशेष रूप से स्वीडन के मॉडल से प्रेरित होकर अपनाया है।
- संदर्भ और विस्तार: लोकपाल एक स्वतंत्र निकाय है जो सार्वजनिक प्रशासन में कदाचार या भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है। भारत में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से इस संस्था को विधायी मान्यता मिली।
- अincorrect विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस में भ्रष्टाचार विरोधी या शिकायत निवारण की अपनी प्रणालियाँ हैं, लेकिन ‘लोकपाल’ संस्था का प्रत्यक्ष प्रेरणा स्रोत स्कैंडिनेवियाई देश ही रहे हैं।
प्रश्न 11: ‘संसद के सत्र का अवसान’ (Prorogation) करने की शक्ति किसके पास होती है?
- लोकसभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- संसदीय कार्य मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 85(2)(a) के अनुसार, राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सत्रावसान (prorogue) कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान का अर्थ है कि एक सत्र समाप्त हो गया है। यह स्थगन (Adjournment) से भिन्न है, जो केवल एक दिन या कुछ घंटों के लिए सदन की कार्यवाही को रोकता है। सत्रावसान के साथ ही सदन का व्यवसाय (जो लंबित हो) समाप्त हो जाता है।
- अincorrect विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष केवल सदन की कार्यवाही को स्थगित (adjourn) कर सकता है, न कि अवसान (prorogue)। प्रधानमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री राष्ट्रपति को सलाह देते हैं, लेकिन शक्ति सीधे राष्ट्रपति के पास है।
प्रश्न 12: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘क्षमता’ (Equality) किस रूप में वर्णित है?
- अवसर की क्षमता
- विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की क्षमता
- प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षमता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना नागरिकों के लिए ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’, ‘विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता’, ‘प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता’, और ‘व्यक्ति की गरिमा’ सुनिश्चित करने का वादा करती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘क्षमता’ (Equality) को ‘प्रतिष्ठा की क्षमता’ (equality of status) और ‘अवसर की क्षमता’ (equality of opportunity) के रूप में वर्णित किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिलेंगे और किसी भी व्यक्ति के साथ केवल उसकी प्रतिष्ठा के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- अincorrect विकल्प: विकल्प (a) केवल आंशिक रूप से सही है। विकल्प (b) स्वतंत्रता के बारे में है, क्षमता के बारे में नहीं। विकल्प (d) न्याय और स्वतंत्रता के बारे में है, क्षमता के बारे में नहीं।
प्रश्न 13: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो भारत के महान्यायवादी से सलाह लेते हैं।
- नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- नियुक्ति गृह मंत्रालय द्वारा की जाती है।
- नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) अधिनियम, 1993 की धारा 4(1) के अनुसार, NHRC के अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति, लोकसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष और सदस्यों का चयन इस समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। अध्यक्ष वह व्यक्ति होता है जो भारत का मुख्य न्यायाधीश रहा हो।
- अincorrect विकल्प: महान्यायवादी (a) की कोई भूमिका नहीं होती। गृह मंत्रालय (c) या मुख्य न्यायाधीश (d) अकेले नियुक्ति नहीं करते।
प्रश्न 14: किस अनुच्छेद के तहत, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती?
- अनुच्छेद 37
- अनुच्छेद 39
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 41
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 37 स्पष्ट रूप से कहता है कि इस भाग (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में अंतर्विष्ट उपबंध किसी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे; तथापि, इन उपबंधों का राज्य द्वारा विधि बनाने में उन तत्वों का पालन करना मूलभूत होगा।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि DPSP गैर-न्यायिक (non-justiciable) हैं, अर्थात इन्हें सीधे लागू कराने के लिए न्यायालय में वाद दायर नहीं किया जा सकता। ये राज्य के लिए निर्देशक सिद्धांत हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 39, 40, और 41 DPSP के विशिष्ट प्रावधानों का वर्णन करते हैं, लेकिन अनुच्छेद 37 वह है जो उनकी गैर-न्यायिक प्रकृति को बताता है।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के बारे में सत्य है?
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका गठन 1950 में हुआ था।
- यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) को अंतिम मंजूरी देता है।
- इसके सदस्य केवल केंद्र सरकार के मंत्री होते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक (extra-constitutional) और गैर-सांविधिक (non-statutory) निकाय है, जिसका गठन 6 अगस्त 1952 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: NDC का मुख्य कार्य राष्ट्रीय योजनाओं के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करना और योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करना है। यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) द्वारा तैयार की गई पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देता है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, और इसमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और प्रशासक शामिल होते हैं।
- अincorrect विकल्प: यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है (a)। इसका गठन 1950 में नहीं, बल्कि 1952 में हुआ (b)। इसके सदस्यों में राज्य के मुख्यमंत्री भी शामिल होते हैं (d)।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत भारतीय संसद को नए राज्यों के निर्माण या राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी भी राज्य से उसका क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी भी राज्य क्षेत्र को किसी राज्य के साथ मिलाकर नए राज्यों का निर्माण कर सकती है। इसके अतिरिक्त, यह संसद को किसी भी राज्य की सीमाओं या नाम में परिवर्तन करने की शक्ति भी देता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार के कानून को पारित करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश की आवश्यकता होती है, और संबंधित राज्य विधानमंडल से उसकी राय जानने के लिए भेजा जाता है, हालांकि संसद उस राय से बाध्य नहीं है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के ‘राज्यों का संघ’ होने का वर्णन करता है। अनुच्छेद 2 संसद को नए राज्यों को संघ में प्रवेश कराने या स्थापित करने की शक्ति देता है (जो भारत के क्षेत्र में नहीं हैं)। अनुच्छेद 4 कहता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माने जाएंगे।
प्रश्न 17: ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) की अवधारणा को भारतीय संविधान में किस देश के संविधान से प्रेरित होकर अपनाया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संसदीय विशेषाधिकारों की अवधारणा को काफी हद तक ब्रिटिश संसदीय परंपराओं और यूनाइटेड किंगडम के संविधान से प्रेरणा मिली है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों और संसदीय समितियों को कुछ विशेषाधिकार और छूट प्रदान करता है, ताकि वे प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें। इन विशेषाधिकारों में सदन के अंदर और बाहर उनके भाषणों की स्वतंत्रता, समितियों में मतदान की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।
- अincorrect विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के अपने संसदीय प्रणालियाँ हैं, लेकिन विशेषाधिकारों के संबंध में भारत पर ब्रिटिश मॉडल का प्रभाव अधिक स्पष्ट है।
प्रश्न 18: किस वर्ष पंचायती राज को राजस्थान के नागौर जिले में पहली बार लागू किया गया?
- 1957
- 1959
- 1962
- 1965
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: पंचायती राज का उद्घाटन 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया था, जिसने त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दिया था। इसे ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ (Community Development Programme) का पुनर्गठन मानते हुए लागू किया गया था।
- अincorrect विकल्प: 1957 में बलवंत राय मेहता समिति का गठन हुआ था। 1962 और 1965 अन्य वर्ष हैं जो इस घटना से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 73
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 75
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, लघुकरण, परिहार या प्रविलंबन देने की या दंड आदेश के निलंबन या छूट की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को सभी दंडनीय अपराधों, चाहे वे संघ के विरुद्ध हों या राज्य के विरुद्ध, के संबंध में लागू होती है। हालांकि, यह शक्ति दंड को कम करने या निलंबित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें क्षमा (pardon) भी शामिल है। राष्ट्रपति यह शक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग करता है।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 73 संघ की कार्यपालिका शक्तियों के विस्तार से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन की बात करता है। अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति और अन्य संबंधित प्रावधानों से संबंधित है।
प्रश्न 20: कौन सी अनुसूची भारतीय संविधान में दल-बदल (anti-defection) से संबंधित है?
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था, संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य विधायिका में दल-बदल की प्रवृत्ति को रोकना और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना था। यह निर्दिष्ट करती है कि किन आधारों पर किसी सदस्य को अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- अincorrect विकल्प: सातवीं अनुसूची शक्तियों के वितरण से, आठवीं अनुसूची भाषाओं से, और नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के मान्यकरण से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारत में ‘उच्चतम न्यायालय’ की स्थापना का प्रावधान किस अधिनियम द्वारा किया गया था?
- भारत सरकार अधिनियम, 1919
- भारत सरकार अधिनियम, 1935
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947
- भारत का संविधान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने संघीय न्यायालय (Federal Court) की स्थापना का प्रावधान किया था, जिसे 1937 में शुरू किया गया था। यही भारतीय संविधान के तहत स्थापित उच्चतम न्यायालय का पूर्ववर्ती था।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, भारत के संविधान ने 26 जनवरी 1950 को दिल्ली में वर्तमान ‘उच्चतम न्यायालय’ (Supreme Court) की स्थापना की, लेकिन 1935 अधिनियम के संघीय न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण वैधानिक आधार प्रदान किया था। प्रश्न ‘स्थापना का प्रावधान’ पूछ रहा है, जो 1935 अधिनियम में अधिक प्रासंगिक है, हालांकि वर्तमान स्वरूप संविधान द्वारा दिया गया है। (स्पष्टीकरण: यहाँ प्रश्न थोड़ा अस्पष्ट है, लेकिन ‘प्रावधान’ शब्द 1935 अधिनियम की ओर इशारा करता है। यदि ‘स्थापना’ पूछा जाता तो उत्तर ‘भारत का संविधान’ होता।)
- अincorrect विकल्प: 1919 अधिनियम ने परिषदों के पुनर्गठन पर ध्यान केंद्रित किया। 1947 का अधिनियम भारत को स्वतंत्रता देने और विभाजन से संबंधित था। वर्तमान उच्चतम न्यायालय की स्थापना सीधे संविधान के तहत हुई है, लेकिन ‘प्रावधान’ का प्रारंभिक बिंदु 1935 का अधिनियम था।
प्रश्न 22: कौन सी मूल अधिकार की अवधारणा, भारतीय संविधान में, किसी व्यक्ति की गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार की रक्षा करती है?
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 20
- अनुच्छेद 21
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।” सर्वोच्च न्यायालय ने मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) जैसे कई वाद में इस अनुच्छेद की व्याख्या का विस्तार किया है, जिसमें इसे ‘गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार’ (Right to live with dignity) के रूप में भी परिभाषित किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें आश्रय का अधिकार, आजीविका का अधिकार, स्वच्छ वातावरण का अधिकार, गरिमापूर्ण मृत्यु का अधिकार आदि शामिल हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है। अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण प्रदान करता है।
प्रश्न 23: भारत का संविधान ‘संघ’ शब्द का प्रयोग करता है। इसे अधिक स्पष्ट रूप से ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) क्यों कहा गया है?
- यह दर्शाता है कि भारतीय संघ अविनाशी है और राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है।
- यह राज्यों को संघ के साथ विलय करने की शक्ति देता है।
- यह राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है।
- यह दर्शाता है कि संघ का निर्माण केवल एक संघ के राज्यों द्वारा किया गया है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, “भारत, अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा।” यह ‘राज्यों का संघ’ शब्द का प्रयोग महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अमेरिकी संविधान के ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) से भिन्न है, जहाँ राज्य मिलकर एक ‘संघ’ (Federation) बनाते हैं और उन्हें अलग होने का अधिकार हो सकता है। भारत में, यद्यपि संघ एक फेडरेशन की तरह कार्य करता है, लेकिन यह एक अविनाशी संघ है जिसमें अविनाशी इकाइयां नहीं हैं। राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है, जो इसे अमेरिकी मॉडल से अलग करता है।
- अincorrect विकल्प: विलय की शक्ति (b) का प्रावधान प्रत्यक्ष रूप से इस वाक्यांश में निहित नहीं है, बल्कि अन्य अनुच्छेदों (जैसे अनुच्छेद 2) में है। अधिक स्वायत्तता (c) एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह वाक्यांश का प्राथमिक अर्थ नहीं है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि यह बताता है कि संघ केवल राज्यों द्वारा बनाया गया है, जबकि यह राज्यों का संघ है।
प्रश्न 24: किसी राज्य में विधान परिषद (Legislative Council) के गठन या उत्सादन का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 168
- अनुच्छेद 169
- अनुच्छेद 170
- अनुच्छेद 171
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 169 संसद को यह शक्ति देता है कि वह विधान परिषद के गठन या उसके उत्सादन (abolition) के लिए एक कानून बना सकती है, यदि संबंधित राज्य की विधान सभा, अपने कुल सदस्यों के बहुमत से तथा उस बैठक में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत से ऐसा करने का संकल्प पारित करे।
- संदर्भ और विस्तार: यह संसद को यह तय करने की शक्ति देता है कि किसी राज्य में विधान परिषद होनी चाहिए या नहीं, या यदि वह पहले से मौजूद है, तो उसे समाप्त किया जाना चाहिए।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 168 राज्यों के विधानमंडलों के गठन से संबंधित है (जिसमें विधान परिषद शामिल हो सकती है)। अनुच्छेद 170 विधानसभा (Legislative Assembly) के सीटों के परिसीमन से संबंधित है। अनुच्छेद 171 विधान परिषदों की संरचना से संबंधित है।
प्रश्न 25: भारत में ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) किस अनुच्छेद में निहित है?
- अनुच्छेद 30
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 29
- अनुच्छेद 28
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। इसे ‘संविधान की आत्मा और हृदय’ डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को पाँच प्रकार की रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति भी देता है, जो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर प्रभावी उपाय हैं। उच्च न्यायालयों को भी अनुच्छेद 226 के तहत ऐसी शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- अincorrect विकल्प: अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों के शैक्षिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है। अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण करता है। अनुच्छेद 28 कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक उपासना में उपस्थित होने से छूट से संबंधित है।