लोकतंत्र के रक्षक: संविधान की परख!
साथियों, भारतीय लोकतंत्र के इस महासागर में आपकी पकड़ कितनी मज़बूत है? यह जानने का समय आ गया है! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम संविधान के उन बारीक पहलुओं को टटोलेंगे जो आपकी सफलता की नींव रखेंगे। तो कमर कस लीजिए, क्योंकि यह प्रश्नोत्तरी आपकी वैचारिक स्पष्टता को निखारने का एक शानदार अवसर है!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द को किस वर्ष और किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 1976, 42वां संशोधन
- 1951, 1st संशोधन
- 1978, 44वां संशोधन
- 1967, 21वां संशोधन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 1976 में हुए 42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान पारित किया गया था और इसे ‘लघु-संविधान’ भी कहा जाता है। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक समानता के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता को भारतीय गणराज्य के मूल सिद्धांतों के रूप में स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: 1951 का पहला संशोधन भूमि सुधारों से संबंधित था। 1978 का 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाने और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बदलावों से संबंधित था। 1967 का 21वां संशोधन आठवीं अनुसूची में सिंधी भाषा को शामिल करने से संबंधित था।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ‘जीवन के अधिकार’ में शामिल नहीं है?
- पर्यावरण की शुद्धता का अधिकार
- निजता का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
- हड़ताल करने का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों में इस अधिकार का व्यापक अर्थ निकाला है, जिसमें पर्यावरण की शुद्धता का अधिकार (MC मेहता बनाम भारत संघ) और निजता का अधिकार (के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ) शामिल हैं। शिक्षा का अधिकार भी (अनुच्छेद 21A के तहत) जीवन के अधिकार का एक अभिन्न अंग माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘हड़ताल करने का अधिकार’ एक विवादास्पद विषय रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि यद्यपि कर्मचारियों को अपनी समस्याओं को उठाने का अधिकार है, लेकिन अनिश्चितकालीन या किसी विशेष प्रकार की हड़ताल का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में प्राप्त नहीं है।
- गलत विकल्प: शेष सभी अधिकार (पर्यावरण की शुद्धता, निजता, शिक्षा) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 21 के व्यापक अर्थ में जीवन के अधिकार के तहत संरक्षित माने गए हैं।
प्रश्न 3: भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है, और इसकी अधिकतम अवधि क्या हो सकती है जब तक कि संसद द्वारा अनुमोदन न किया जाए?
- अनुच्छेद 360; अनिश्चित काल तक
- अनुच्छेद 356; 6 महीने
- अनुच्छेद 352; 2 महीने
- अनुच्छेद 360; 2 महीने
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान का अनुच्छेद 360 राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है, जब उन्हें यह विश्वास हो जाए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 360(3) के अनुसार, ऐसी घोषणा को जारी रहने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव की आवश्यकता होती है। यदि घोषणा जारी होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित नहीं की जाती है, तो वह उस अवधि की समाप्ति पर अप्रवर्तनीय (cease to be in force) हो जाएगी। एक बार अनुमोदित होने के बाद, इसे बिना संसद के पुनः अनुमोदन के 6 महीने तक जारी रखा जा सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन से और अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनिश्चित काल तक की अवधि वित्तीय आपातकाल के लिए लागू नहीं होती है, खासकर संसद के प्रारंभिक अनुमोदन के बिना।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 में, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अनुच्छेद 315 में, और भारत का महान्यायवादी (Attorney General) अनुच्छेद 76 में वर्णित हैं। ये सभी भारतीय संविधान के प्रावधानों द्वारा स्थापित निकाय हैं, इसलिए ये संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन भारत सरकार द्वारा 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (Protection of Human Rights Act, 1993) के तहत किया गया था। यह एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, न कि संवैधानिक निकाय, क्योंकि इसका उल्लेख सीधे संविधान में नहीं है, बल्कि संसद द्वारा पारित एक अधिनियम के तहत किया गया है।
- गलत विकल्प: CAG, UPSC और महान्यायवादी का सीधा उल्लेख संविधान में है और वे संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान की किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के लिए विशेष उपबंध हैं?
- छठी अनुसूची
- पांचवी अनुसूची
- आठवी अनुसूची
- दसवी अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की **छठी अनुसूची** (Sixth Schedule) के अनुच्छेद 244(2) और 275(1) में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन प्रावधानों में स्वायत्त परिषदों (Autonomous Councils) की स्थापना, उनके विधायी और कार्यकारी अधिकार, और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन की व्यवस्था शामिल है। पांचवी अनुसूची अन्य अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए प्रावधान करती है। आठवीं अनुसूची भाषाओं से संबंधित है, और दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से।
- गलत विकल्प: पांचवी अनुसूची का संबंध अन्य राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों से है। आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं। दसवीं अनुसूची में दल-बदल से संबंधित प्रावधान हैं।
प्रश्न 6: राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं को क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा किए गए किसी भी क्षमादान को किसी भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
- राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की सलाह पर क्षमादान कर सकते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 में निहित है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं (Commutation), परिहार (Remission), लघुकरण (Commutation), विश्राम (Respite) या लघुकरण (Commute) कर सकते हैं। वे सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सजाओं को भी क्षमा कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति अपनी क्षमादान की शक्ति का प्रयोग अपने विवेक से करते हैं, न कि राज्य के राज्यपाल की सलाह पर। हालांकि, कुछ मामलों में, जैसे कि राज्यपाल द्वारा दी गई सजाओं पर, राष्ट्रपति राज्यपाल से परामर्श कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों (जैसे – शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य) में यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति मनमानी नहीं हो सकती और यदि इसका दुरुपयोग किया गया है तो इसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है, लेकिन यह सीधे तौर पर चुनौती देने का आधार नहीं है जब तक कि यह पूरी तरह से मनमाना न हो। हालाँकि, विकल्प (d) निश्चित रूप से गलत है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) सत्य हैं। (c) हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने क्षमादान की प्रक्रिया की जांच की है, लेकिन इसे सीधे तौर पर मनमाना न होने पर चुनौती नहीं दी जा सकती। (d) राष्ट्रपति राज्यपाल की सलाह पर क्षमादान नहीं करते; यह उनका अपना संवैधानिक अधिकार है।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख निम्नलिखित में से किन रूपों में किया गया है?
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
- कानूनी, प्रशासनिक और सामाजिक
- सामाजिक, नागरिक और आर्थिक
- राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जो भारतीय गणराज्य के लक्ष्यों को दर्शाती है, में तीन प्रकार के न्याय का उल्लेख है: **सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक**।
- संदर्भ और विस्तार: यह दर्शाता है कि संविधान सभी नागरिकों के लिए एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहता है जहां किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग या वर्ण के आधार पर कोई भेदभाव न हो (सामाजिक न्याय), जहां सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों (राजनीतिक न्याय), और जहां धन-संपत्ति का समान वितरण हो और किसी को भी गरीबी के कारण अभावग्रस्त न रहना पड़े (आर्थिक न्याय)।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प न्याय के उल्लेखित रूपों से मेल नहीं खाते हैं। ‘नागरिक न्याय’ सामाजिक न्याय का एक हिस्सा है, और ‘धार्मिक न्याय’ प्रस्तावना के प्रत्यक्ष शब्दों में नहीं है, यद्यपि पंथनिरपेक्षता का सिद्धांत इसका अप्रत्यक्ष समर्थन करता है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में सत्य नहीं है?
- उन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं।
- उन्हें संसद के किसी भी सदन में बोलने का अधिकार है, लेकिन मत देने का अधिकार नहीं।
- उनका कार्यकाल संविधान द्वारा निर्धारित होता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India) अनुच्छेद 76 के तहत राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। वे भारत सरकार के मुख्य विधि अधिकारी होते हैं और उन्हें संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है, लेकिन वे केवल उन्हीं सदनों में मत दे सकते हैं जहाँ वे सदस्य हों (और महान्यायवादी के रूप में वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते)।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी का कार्यकाल संविधान द्वारा निश्चित नहीं किया गया है; वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करते हैं। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति उन्हें किसी भी समय हटा सकते हैं। वे आम तौर पर तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक कि वर्तमान सरकार सत्ता में रहती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सत्य हैं। (d) असत्य है क्योंकि उनका कार्यकाल निश्चित नहीं है, बल्कि राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है।
प्रश्न 9: भारतीय संसद का कौन सा अंग बजट पेश करने और पारित करने के लिए उत्तरदायी है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- राष्ट्रपति
- वित्त मंत्रालय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ (Annual Financial Statement), जिसे आमतौर पर बजट कहा जाता है, रखवाएंगे। हालाँकि, यह बजट **लोकसभा** में प्रस्तुत किया जाता है और उसी द्वारा पारित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण) को प्रस्तुत करने के बाद, यह लोकसभा में चर्चा और अनुमोदन के लिए जाता है। लोकसभा में अनुदान की मांगों पर मतदान होता है और वित्त विधेयक तथा विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) पारित किए जाते हैं। राज्यसभा में यह केवल विचाराधीन होता है और इसे 14 दिनों के भीतर वापस करना होता है, अन्यथा यह वैसे ही पारित माना जाता है। इसलिए, अंतिम शक्ति लोकसभा के पास है।
- गलत विकल्प: राज्यसभा बजट पर महत्वपूर्ण सुझाव दे सकती है, लेकिन उसे पारित करने की अंतिम शक्ति लोकसभा के पास है। राष्ट्रपति बजट रखवाते हैं, पेश नहीं करते। वित्त मंत्रालय बजट तैयार करता है, लेकिन इसे संसद में प्रस्तुत और पारित करने की संवैधानिक जिम्मेदारी लोकसभा की है।
प्रश्न 10: भारत में कौन सा मौलिक अधिकार ‘बिना शस्त्र उठाए शांतिपूर्वक एकत्रित होने’ के अधिकार की रक्षा करता है?
- अनुच्छेद 19(1)(b)
- अनुच्छेद 19(1)(a)
- अनुच्छेद 20
- अनुच्छेद 21
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का **अनुच्छेद 19(1)(b)** नागरिकों को ‘बिना शस्त्र उठाए शांतिपूर्वक एकत्रित होने’ (to assemble peaceably and without arms) का अधिकार प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार सार्वजनिक व्यवस्था (public order), देश की संप्रभुता और अखंडता के हित में उचित प्रतिबंधों के अधीन है। यह अधिकार सभा करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन केवल शांतिपूर्ण सभाओं के लिए, न कि बलपूर्वक या हिंसक सभाओं के लिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19(1)(a) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है। अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘अनिर्वाय’ (mandatory) प्रकृति की रिट नहीं है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार-पृच्छा (Quo-Warranto)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus) और अधिकार-पृच्छा (Quo-Warranto) सामान्यतः ‘अनिवार्य’ (mandatory) प्रकृति की रिट मानी जाती हैं, जिनका उद्देश्य किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को बहाल करना, किसी लोक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करवाना या किसी व्यक्ति को अवैध रूप से पद धारण करने से रोकना है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतिषेध (Prohibition) एक ‘निषेधात्मक’ (prohibitory) रिट है। इसे उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालतों, न्यायाधिकरणों या अर्ध-न्यायिक निकायों को उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। यह किसी कार्रवाई को ‘करने’ के बजाय ‘रोकने’ का आदेश देती है, इसलिए इसकी प्रकृति अनिवार्य से अधिक निषेधात्मक है।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश और अधिकार-पृच्छा क्रमशः किसी व्यक्ति को प्रस्तुत करने, किसी लोक निकाय को कर्तव्य पालन कराने और किसी व्यक्ति को पद का अधिकार पूछने के लिए जारी की जाती हैं, जो अनिवार्य आदेश हैं। प्रतिषेध रोक का आदेश है।
प्रश्न 12: भारत में राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना किस वर्ष की गई थी?
- 1953
- 1950
- 1956
- 1960
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य पुनर्गठन आयोग, जिसे फजल अली आयोग के नाम से भी जाना जाता है, की स्थापना **1953** में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस आयोग का गठन भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए किया गया था। आयोग ने 1955 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसके आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया, जिसने 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का निर्माण किया।
- गलत विकल्प: 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ। 1956 में पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ। 1960 में महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों का गठन हुआ।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से किसे ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत शामिल नहीं किया जा सकता है?
- संसद
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
- विधानमंडल
- राज्य सरकार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, ‘राज्य’ की परिभाषा अनुच्छेद 12 में दी गई है। इसके अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, तथा भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार-क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में, जैसे कि **Ujjain Municipal Corporation v. State of Madhya Pradesh (1997)** और **Maruti Suzuki Ltd. v. State of Haryana (2009)**, यह स्पष्ट किया है कि RBI या LIC जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, जो कि कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत हैं, ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं, जब तक कि वे सरकारी नियंत्रण और एकाधिकार के तहत कार्य न कर रही हों। हालाँकि, RBI को एक ‘अन्य प्राधिकारी’ के रूप में शामिल किया गया है या नहीं, इस पर बहस जारी रही है, लेकिन हाल के निर्णयों में इसे ‘राज्य’ की श्रेणी में शामिल नहीं माना गया है।
- गलत विकल्प: संसद, विधानमंडल और राज्य सरकारें सीधे तौर पर अनुच्छेद 12 में परिभाषित राज्य के अंग हैं। RBI की स्थिति थोड़ी जटिल है, लेकिन आमतौर पर इसे ‘अन्य प्राधिकारी’ के रूप में माना जाता था, हालांकि नए निर्णयों में इसे ‘राज्य’ से बाहर रखने की प्रवृत्ति देखी गई है। लेकिन, दिए गए विकल्पों में, RBI सबसे उपयुक्त उत्तर है जिसे ‘राज्य’ की कोर परिभाषा से बाहर माना जा सकता है, जबकि संसद और विधानमंडल तो स्पष्ट रूप से राज्य के विधायी अंग हैं।
प्रश्न 14: राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा कितनी अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए?
- एक महीने
- दो महीने
- तीन महीने
- छह महीने
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352(3) के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा की गई राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को, **दो महीने** की अवधि के भीतर, संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि घोषणा जारी होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित नहीं की जाती है, तो वह उस अवधि की समाप्ति पर अप्रवर्तनीय (cease to be in force) हो जाएगी। एक बार अनुमोदित होने के बाद, राष्ट्रीय आपातकाल को बिना संसद के पुनः अनुमोदन के छह महीने तक जारी रखा जा सकता है।
- गलत विकल्प: एक महीना, तीन महीने या छह महीने की अवधि गलत है; सही अवधि दो महीने है।
प्रश्न 15: किस वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का **’मूल ढाँचा’ (Basic Structure)** है?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
- ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: **केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)** के ऐतिहासिक वाद में, सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान के ‘मूल ढाँचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय में यह भी स्पष्ट किया गया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है और मूल ढाँचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, प्रस्तावना में संशोधन करते समय भी मूल ढाँचे को बनाए रखना होगा। इस निर्णय ने संसदीय संशोधन शक्ति को सीमित किया और भारतीय संविधान की अखंडता तथा लोकाचार को सुरक्षित रखा।
- गलत विकल्प: मेनका गांधी वाद (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। शंकर प्रसाद वाद (1951) और सज्जन सिंह वाद (1965) में न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। गोलकनाथ वाद (1967) ने इस पर रोक लगाई, जिसे केशवानंद भारती वाद ने संशोधित किया। ए.के. गोपालन वाद (1950) ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या संकीर्ण रूप से की थी।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन भारत का **’पदेन’ (Ex-officio)** सभापति होता है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council)
- संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
- किसी भी सदन का उपाध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) का **पदेन सभापति (Ex-officio Chairman)** भारत का **प्रधानमंत्री** होता है। यह पद प्रधानमंत्री के सरकारी पद से जुड़ा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय विकास परिषद का पदेन सभापति भी प्रधानमंत्री ही होता है। संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष का चयन लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, वे पदेन नहीं होते। उपाध्यक्ष किसी भी सदन का पदेन सभापति नहीं होता; वह सदन का सदस्य होता है और उसी सदन द्वारा चुना जाता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय विकास परिषद के भी प्रधानमंत्री पदेन सभापति होते हैं। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और सदन के उपाध्यक्ष पदेन सभापति नहीं होते।
प्रश्न 17: किसी राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- उस राज्य का राज्यपाल
- उस राज्य की विधानसभा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 164(1)** के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति **उस राज्य के राज्यपाल** द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं जो विधानसभा में बहुमत दल का नेता होता है या जिसे विधानसभा का विश्वास प्राप्त हो। यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो राज्यपाल अपने विवेक का प्रयोग करके ऐसे व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे सरकार बना सकते हैं और विधानसभा का विश्वास प्राप्त कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री की नियुक्ति सीधे तौर पर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री द्वारा नहीं की जाती है। विधानसभा बहुमत से मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं करती, बल्कि उसे अपना विश्वास मत प्रदान करती है।
प्रश्न 18: भारत में **’अस्पृश्यता’ (Untouchability)** का अंत किस मौलिक अधिकार के अंतर्गत किया गया है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 17)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 17** के तहत ‘अस्पृश्यता’ का अंत कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14-18) के अंतर्गत आता है। अस्पृश्यता से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय अपराध होगा। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है जो इस प्रावधान को लागू करता है।
- गलत विकल्प: अन्य अधिकार विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रताओं और सुरक्षा से संबंधित हैं, लेकिन सीधे तौर पर अस्पृश्यता के उन्मूलन से नहीं।
प्रश्न 19: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 1st संशोधन, 1951
- 73वां संशोधन, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को प्रस्तावना में **42वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1976** द्वारा जोड़ा गया था, इसी के साथ ‘समाजवाद’ और ‘अखंडता’ शब्द भी जोड़े गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन भारत को एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में स्थापित करता है, जिसका अर्थ है कि राज्य का कोई अपना धर्म नहीं है और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है (जैसा कि अनुच्छेद 25 में भी प्रावधानित है)।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार से संबंधित था। पहला संशोधन नौवीं अनुसूची को जोड़ने से संबंधित था। 73वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित था।
प्रश्न 20: भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए **’अविश्वास प्रस्ताव’ (No Confidence Motion)** किसके द्वारा पेश किया जाना चाहिए?
- केवल लोकसभा
- केवल राज्यसभा
- लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा संयुक्त रूप से
- उपराष्ट्रपति द्वारा स्वयं
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के **पदेन सभापति** होते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने के लिए **राज्यसभा** में **प्रस्ताव** (Resolution) लाया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रस्ताव राज्यसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत (majority of all the then members of the Council) द्वारा पारित होना चाहिए और लोकसभा द्वारा भी इसे साधारण बहुमत (simple majority) से अनुमोदित किया जाना चाहिए। हालांकि, उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही शुरू किया जा सकता है। यह ध्यान देने योग्य है कि यह ‘अविश्वास प्रस्ताव’ नहीं है, बल्कि एक **’प्रस्ताव’** है जो उन्हें पद से हटाने के लिए होता है। अविश्वास प्रस्ताव केवल प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लोकसभा में पेश किया जाता है।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में शुरू नहीं किया जा सकता। न ही यह किसी संयुक्त बैठक या उपराष्ट्रपति के स्वयं द्वारा शुरू किया जाता है।
प्रश्न 21: पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को **ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule)** में शामिल किया गया है, जिसे 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्य-विषय (functions) सूचीबद्ध हैं, जिन्हें ये संस्थाएं स्थानीय स्वशासन के रूप में निष्पादित कर सकती हैं। यह भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करता है।
- गलत विकल्प: बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से। नौवीं अनुसूची में कुछ अधिनियमों और विनियमों का समावेश है जो न्यायिक समीक्षा से परे हैं।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा कथन **’अनुच्छेद 32’** के बारे में सत्य है?
- यह केवल सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- यह सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है, लेकिन उच्च न्यायालयों को नहीं।
- यह मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- यह राज्य सरकारों को रिट जारी करने की शक्ति देता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का **अनुच्छेद 32** ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ (Right to Constitutional Remedies) प्रदान करता है। यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को **मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए** पांच प्रकार की रिट (बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार-पृच्छा, उत्प्रेषण) जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद स्वयं में एक मौलिक अधिकार है, और इसे ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ कहा जाता है। जबकि **अनुच्छेद 226** उच्च न्यायालयों को भी मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है, अनुच्छेद 32 विशेष रूप से केवल सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति का उल्लेख करता है।
- गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि यह उच्च न्यायालयों को भी शक्ति देता है (अनुच्छेद 226 के तहत)। (c) गलत है क्योंकि अनुच्छेद 32 केवल सर्वोच्च न्यायालय की बात करता है। (d) पूरी तरह से गलत है; राज्य सरकारों को ऐसी कोई शक्ति प्राप्त नहीं है।
प्रश्न 23: भारत में **’नागरिकता’ (Citizenship)** का प्रावधान संविधान के किस भाग में किया गया है?
- भाग II
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का **भाग II (Part II)**, जिसमें **अनुच्छेद 5 से 11** शामिल हैं, भारत की नागरिकता से संबंधित प्रावधानों का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 5 में नागरिकता के बारे में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति जो भारत के क्षेत्र में निवास करता है और जिसका जन्म भारत में हुआ है, या जिसके माता-पिता में से किसी का जन्म भारत के क्षेत्र में हुआ था, या जो सामान्य रूप से भारत में निवास कर रहा है और संविधान लागू होने से ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष से भारत में रह रहा है, वह भारत का नागरिक होगा। नागरिकता से संबंधित विस्तृत कानून बनाने की शक्ति संसद को अनुच्छेद 11 के तहत दी गई है, जिसने **नागरिकता अधिनियम, 1955** पारित किया।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से, भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से, और भाग V संघ की कार्यपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस **’संवैधानिक संशोधन’** द्वारा **’संपत्ति के अधिकार’** को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक सामान्य विधिक अधिकार बना दिया गया?
- 44वां संशोधन, 1978
- 42वां संशोधन, 1976
- 73वां संशोधन, 1992
- 52वां संशोधन, 1985
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: **44वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1978** द्वारा, संपत्ति के अधिकार (Right to Property) को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) की श्रेणी से हटा दिया गया और इसे संविधान के **भाग XII (Part XII)** में **अनुच्छेद 300A** के तहत एक **सामान्य विधिक अधिकार (Legal Right)** बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सरकारें सार्वजनिक हित के लिए भूमि अधिग्रहण या निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकें, बिना मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के कारण अदालती बाधाओं का सामना किए। इससे पहले, संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(f) और 31) एक मौलिक अधिकार था, जिसे सरकारें केवल उचित औचित्य के आधार पर ही सीमित कर सकती थीं।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन प्रस्तावना में शब्द जोड़ने से संबंधित था। 73वां संशोधन पंचायती राज से। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित था।
प्रश्न 25: भारत में **’दल-बदल’ (Defection)** के आधार पर किसी संसद सदस्य की अयोग्यता से संबंधित उपबंध संविधान की किस अनुसूची में वर्णित हैं?
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: **दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule)**, जिसे **52वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1985** द्वारा संविधान में जोड़ा गया था, संसद सदस्यों और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची का उद्देश्य विधायकों की दल-बदल की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना था, जो राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनती थी। इसमें यह प्रावधान है कि यदि कोई सदस्य किसी राजनीतिक दल के टिकट पर निर्वाचित होने के बाद उस दल को छोड़ देता है, या स्वेच्छा से उस दल का सदस्य बना रहता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है। इसी प्रकार, स्वतंत्र निर्वाचित सदस्य यदि किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है, या मनोनीत सदस्य छह महीने के बाद किसी दल में शामिल हो जाता है, तो उसे भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: ग्यारहवीं अनुसूची पंचायती राज से, आठवीं अनुसूची भाषाओं से, और सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है।
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