UNSC रिपोर्ट का चौंकाने वाला खुलासा: TRF ने पहलगाम हमले की तस्वीरें जारी कर जिम्मेदारी दोहराई
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक रिपोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के बदलते परिदृश्य पर प्रकाश डाला है। रिपोर्ट में द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक एक प्रतिबंधित संगठन द्वारा पहलगाम में किए गए एक आतंकवादी हमले के स्थल की तस्वीरें जारी करने और उस हमले की जिम्मेदारी दो बार स्वीकार करने का गंभीर खुलासा हुआ है। यह घटना न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की कार्यप्रणाली में एक नया अध्याय भी जोड़ती है। यह विस्तृत विश्लेषण UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए इस मुद्दे की गहराई, इसके निहितार्थ और भविष्य की राह को समझने में मदद करेगा।
1. पहलगाम हमला: घटना का विवरण (The Pahalgam Attack: Details of the Incident)
जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम के पास, हाल ही में एक आतंकवादी हमला हुआ था। यह हमला विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि इसने सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती पेश की और इसके पीछे के संगठन की मंशा पर सवाल उठाए। TRF, जिसे अक्सर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़ा हुआ माना जाता है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। हालाँकि, UNSC की रिपोर्ट ने इस घटना को एक नया आयाम दिया है, जिसमें TRF द्वारा हमले के स्थल की तस्वीरें सार्वजनिक रूप से जारी की गईं, और फिर से इस कृत्य के लिए जिम्मेदारी का दावा किया गया।
TRF की भूमिका और इसके पीछे की मंशा (TRF’s Role and its Underlying Motives):
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) एक अपेक्षाकृत नया संगठन है जिसने भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए चिंताएं बढ़ाई हैं। यह संगठन मुख्य रूप से सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। पहलगाम हमले के संदर्भ में, TRF की कार्रवाई – जैसे कि तस्वीरें जारी करना और दो बार जिम्मेदारी स्वीकार करना – कई बातों की ओर इशारा करती है:
- मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare): हमलों की तस्वीरें जारी करना और जिम्मेदारी दोहराना, दहशत फैलाना, भय का माहौल बनाना और स्थानीय आबादी के बीच आतंक को बढ़ाना है। इसका उद्देश्य सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ना और समाज में अस्थिरता पैदा करना है।
- वैश्विक मंच पर उपस्थिति (Presence on Global Stage): UNSC की रिपोर्ट में शामिल होना TRF जैसे संगठनों के लिए एक प्रकार की ‘प्रचार जीत’ हो सकती है। वे इसे वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति स्थापित करने और अपनी विचारधारा को फैलाने के अवसर के रूप में देखते हैं।
- डिजिटल प्रचार (Digital Propaganda): सोशल मीडिया के युग में, TRF जैसे समूह ऑनलाइन अपनी गतिविधियों को प्रदर्शित करके युवाओं को आकर्षित करने और भर्ती करने का प्रयास करते हैं। तस्वीरें और जिम्मेदारी के दावे इस डिजिटल प्रचार का एक हिस्सा हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना (Attracting International Attention): UNSC जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्ट में आने से उन्हें वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क से जोड़ना और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना आसान हो जाता है।
2. UNSC रिपोर्ट का महत्व (Significance of the UNSC Report)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय निकाय है। UNSC की रिपोर्ट, विशेष रूप से आतंकवाद पर, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण जानकारी और विश्लेषण प्रदान करती है। इस मामले में, UNSC की रिपोर्ट कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- सत्यापन और पुष्टि (Verification and Confirmation): UNSC द्वारा TRF की गतिविधियों को सत्यापित करना और रिपोर्ट में शामिल करना, इस बात की पुष्टि करता है कि यह संगठन न केवल एक स्थानीय खतरा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंडे पर भी है।
- आतंकवादी गतिविधियों का दस्तावेजीकरण (Documentation of Terrorist Activities): रिपोर्ट पहलगाम हमले के तरीके और TRF की कार्यप्रणाली का एक आधिकारिक दस्तावेज़ प्रदान करती है। यह भविष्य में ऐसे कृत्यों की जांच और विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई के लिए आधार (Basis for International Action): UNSC की रिपोर्टों का उपयोग सदस्य देशों को आतंकवाद विरोधी अभियानों, प्रतिबंधों और सहयोग के लिए आधार प्रदान करने के लिए किया जाता है।
- रणनीतिक अंतर्दृष्टि (Strategic Insights): यह रिपोर्ट TRF जैसे समूहों द्वारा अपनाई जा रही नई रणनीतियों, जैसे कि डिजिटल प्रचार और प्रत्यक्ष कार्रवाई के माध्यम से मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करने, पर प्रकाश डालती है।
TRF और अन्य आतंकवादी समूहों के बीच अंतर (Distinction between TRF and other Terrorist Groups):
TRF को अक्सर पुराने और अधिक स्थापित समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से अलग देखा जाता है। जबकि TRF की जड़ें LeT से जुड़ी मानी जाती हैं, इसकी कार्यप्रणाली में कुछ भिन्नताएं हैं:
- डिजिटल-फर्स्ट दृष्टिकोण (Digital-First Approach): TRF सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में अधिक माहिर है, जिससे इसे ट्रैक करना अधिक कठिन हो जाता है।
- ऑनलाइन प्रचार पर जोर (Emphasis on Online Propaganda): यह समूह ऑनलाइन सामग्री बनाने और फैलाने पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करता है, जिसका उद्देश्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और दुनिया भर में समर्थन जुटाना है।
- अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन की संभावना (Potential for International Connections): TRF का उदय वैश्विक जिहादी नेटवर्क के साथ इसके संभावित कनेक्शन की ओर इशारा करता है, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अधिक विश्लेषण की आवश्यकता है।
3. डिजिटल प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध (Digital Propaganda and Psychological Warfare)
UNSC रिपोर्ट में TRF द्वारा हमले की तस्वीरें जारी करने का पहलू, डिजिटल प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है। आतंकवाद अब केवल शारीरिक हमलों तक सीमित नहीं है, बल्कि सूचना युद्ध का एक महत्वपूर्ण घटक भी बन गया है।
डिजिटल प्रचार की तकनीकें (Techniques of Digital Propaganda):
- आकर्षक दृश्य सामग्री (Engaging Visual Content): हमलों की खूनी तस्वीरें या वीडियो, अक्सर ग्राफिक विवरण के साथ, लक्षित दर्शकों को सदमा पहुंचाने और भावनात्मक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- “सफलता” की कहानियां (Stories of “Success”): समूह अपनी गतिविधियों को “सफलता” के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे अपनी कथित ताकत का प्रदर्शन होता है और संभावित भर्तीकर्ताओं को आकर्षित किया जाता है।
- गलत सूचना और दुष्प्रचार (Misinformation and Disinformation): वास्तविक घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, घटनाओं के लिए झूठे आख्यान गढ़ना, और सुरक्षा बलों को बदनाम करना भी इस रणनीति का हिस्सा है।
- एन्क्रिप्टेड प्लेटफार्मों का उपयोग (Use of Encrypted Platforms): व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का उपयोग संवाद, समन्वय और प्रचार सामग्री फैलाने के लिए किया जाता है, जिससे इन गतिविधियों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
“डिजिटल युग में, आतंकवाद का फ्रंटलाइन केवल सीमाएं नहीं हैं, बल्कि वे इंटरनेट ब्राउज़र और सोशल मीडिया फ़ीड भी हैं जहाँ युवा दिमागों को कट्टरपंथी बनाया जा सकता है।”
मनोवैज्ञानिक युद्ध के प्रभाव (Impacts of Psychological Warfare):
- जनता में भय और असुरक्षा (Fear and Insecurity Among Public): यह आम लोगों के बीच भय और असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है, जिससे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचता है।
- सुरक्षा बलों का मनोबल (Morale of Security Forces): निरंतर प्रचार और हमलों की तस्वीरें सुरक्षा कर्मियों के मनोबल को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे उन्हें मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
- राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability): इस तरह का प्रचार सरकार और उसकी सुरक्षा नीतियों के खिलाफ असंतोष पैदा कर सकता है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
- भर्ती और धन जुटाना (Recruitment and Fundraising): प्रभावी डिजिटल प्रचार नए सदस्यों को आकर्षित करने और विदेशों से धन जुटाने में सहायक हो सकता है।
4. भारत के लिए निहितार्थ (Implications for India)
UNSC रिपोर्ट और पहलगाम हमले के संबंध में TRF की कार्रवाइयाँ भारत के लिए कई गंभीर निहितार्थ रखती हैं:
राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियाँ (National Security Challenges):
- बदलती आतंकवादी रणनीति (Evolving Terrorist Tactics): TRF की डिजिटल-केंद्रित रणनीति भारत के सुरक्षा तंत्र के लिए एक नई चुनौती पेश करती है, जिसके लिए उन्नत निगरानी और साइबर-खुफिया क्षमताओं की आवश्यकता है।
- पाकिस्तान की भूमिका (Pakistan’s Role): TRF को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से जुड़े होने का संदेह है। UNSC रिपोर्टें अक्सर पाकिस्तान को ऐसे संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकतें अक्सर भिन्न होती हैं।
- “असली” अपराधी की पहचान (Identifying the “Real” Perpetrator): TRF जैसे प्रॉक्सी समूह उन देशों को अपनी संलिप्तता से इनकार करने का अवसर प्रदान करते हैं जो इन संगठनों को प्रायोजित करते हैं।
- डिजिटल स्पेस का नियंत्रण (Control of Digital Space): भारत को आतंकवादी प्रचार का मुकाबला करने के लिए डिजिटल स्पेस में अपनी उपस्थिति को मजबूत करना होगा और ऑनलाइन नफरत भरे भाषणों और कट्टरता के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी।
कूटनीतिक आयाम (Diplomatic Dimensions):
- अंतर्राष्ट्रीय मंच (International Forum): भारत UNSC जैसे मंचों का उपयोग पाकिस्तान को TRF और अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव डालने हेतु कर सकता है।
- खुफिया जानकारी साझा करना (Intelligence Sharing): UNSC रिपोर्टें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने को बढ़ावा दे सकती हैं, जो आतंकवाद से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
- ‘ग्रे लिस्ट’ और ‘ब्लैक लिस्ट’ (Grey List and Black List): FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) जैसी संस्थाएं, UNSC रिपोर्टों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर, उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकती हैं जो आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं।
5. भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की राह (India’s Response and the Way Forward)
इस उभरती हुई चुनौती का सामना करने के लिए भारत को एक बहु-आयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है:
सुरक्षा उपाय (Security Measures):
- खुफिया तंत्र को मजबूत करना (Strengthening Intelligence Mechanisms): विशेष रूप से साइबर डोमेन में, खुफिया जानकारी एकत्र करने और विश्लेषण की क्षमताओं को बढ़ाना।
- डिजिटल निगरानी (Digital Surveillance): आतंकवादी प्रचार के प्रसार को रोकने के लिए अधिक प्रभावी डिजिटल निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता है, साथ ही निजता के अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा।
- आतंकवाद विरोधी कानून (Anti-Terrorism Laws): यह सुनिश्चित करना कि भारत के आतंकवाद विरोधी कानून वर्तमान खतरों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत हों और उनका प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन हो।
- सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण (Modernization of Security Forces): सुरक्षा बलों को नवीनतम तकनीक, प्रशिक्षण और उपकरणों से लैस करना।
रणनीतिक और कूटनीतिक कदम (Strategic and Diplomatic Steps):
- जागरूकता अभियान (Awareness Campaigns): सोशल मीडिया पर आतंकवादी प्रचार के खतरों के बारे में जनता, विशेष रूप से युवाओं के बीच जागरूकता फैलाना।
- काउंटर-नैरेटिव (Counter-Narratives): आतंकवादी प्रचार का मुकाबला करने के लिए सकारात्मक और वैकल्पिक आख्यान बनाना और उनका प्रसार करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation): आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग को और मजबूत करना, सूचनाओं का आदान-प्रदान करना और संयुक्त अभियानों की योजना बनाना।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की जवाबदेही (Accountability of Online Platforms): सोशल मीडिया कंपनियों को आतंकवादी प्रचार और घृणास्पद भाषण के प्रसार को रोकने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए प्रेरित करना।
UPSC परीक्षा के लिए मुख्य बातें (Key Takeaways for UPSC Exam):
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): UNSC की भूमिका, आतंकवाद विरोधी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और वैश्विक सुरक्षा परिषद की रिपोर्टों का महत्व।
- सुरक्षा (Security): भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरे, आतंकवाद के नए रूप (डिजिटल आतंकवाद, प्रॉक्सी युद्ध), और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियाँ।
- शासन (Governance): साइबर सुरक्षा, डिजिटल इंडिया, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सरकारी नीतियां।
- समसामयिक मामले (Current Affairs): UNSC, TRF, जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद, और भारत की विदेश नीति।
निष्कर्ष (Conclusion): UNSC की यह रिपोर्ट भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी है। TRF जैसे संगठन, जो डिजिटल प्रचार और ऑनलाइन प्रभाव का लाभ उठाते हैं, सुरक्षा के लिए एक नई और जटिल चुनौती पेश करते हैं। भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, अपनी कूटनीतिक पहुंच का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और डिजिटल स्पेस में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत और अनुकूलनीय रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। इस मुद्दे की गहरी समझ UPSC परीक्षा में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. हाल ही में UNSC की रिपोर्ट के अनुसार, किस संगठन ने पहलगाम हमले की तस्वीरें जारी कीं और जिम्मेदारी दोहराई?
a) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
b) जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
c) द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)
d) अल-कायदा
उत्तर: c) द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)
व्याख्या: UNSC की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम हमले की तस्वीरें जारी कीं और जिम्मेदारी दोहराई।
2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का प्राथमिक कार्य क्या है?
a) वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों का समन्वय करना
b) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना
c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर बातचीत करना
d) विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
उत्तर: b) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना
व्याख्या: UNSC का मुख्य जनादेश सदस्य देशों के बीच शांति और सुरक्षा बनाए रखना है, जिसमें आतंकवाद का मुकाबला भी शामिल है।
3. “द रेजिस्टेंस फ्रंट” (TRF) को अक्सर किस अन्य प्रमुख आतंकवादी संगठन से जुड़ा हुआ माना जाता है?
a) हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HuM)
b) तहरीक-ए-तालिबान (TTP)
c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
d) अल-बद्र
उत्तर: c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
व्याख्या: TRF की उत्पत्ति और कार्यप्रणाली को अक्सर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जोड़ा जाता है, हालांकि यह एक अलग इकाई के रूप में काम करता है।
4. आतंकवादी संगठन अक्सर अपनी गतिविधियों के लिए किस प्रकार के प्रचार का उपयोग करते हैं?
a) केवल लिखित प्रेस विज्ञप्तियाँ
b) केवल भाषण और रैलियाँ
c) डिजिटल प्रचार, जिसमें तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं
d) केवल गुप्त संदेश
उत्तर: c) डिजिटल प्रचार, जिसमें तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं
व्याख्या: आधुनिक आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों को प्रदर्शित करने, भय फैलाने और समर्थन जुटाने के लिए डिजिटल प्रचार का व्यापक उपयोग करते हैं।
5. UNSC रिपोर्टों का भारत जैसे देशों के लिए क्या महत्व हो सकता है?
a) केवल अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के लिए
b) अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए
c) केवल अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने के लिए
d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b) अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए
व्याख्या: UNSC रिपोर्टें किसी देश की आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को उजागर करती हैं, जिससे अन्य सदस्य देशों द्वारा कार्रवाई की मांग की जा सकती है।
6. पहलगाम किस भारतीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थित है?
a) हिमाचल प्रदेश
b) उत्तराखंड
c) लद्दाख
d) जम्मू और कश्मीर
उत्तर: d) जम्मू और कश्मीर
व्याख्या: पहलगाम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
7. डिजिटल युग में आतंकवाद का कौन सा पहलू सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पेश करता है?
a) पारंपरिक हथियार
b) ऑनलाइन प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध
c) केवल जमीनी स्तर के गुप्तचर
d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: b) ऑनलाइन प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध
व्याख्या: ऑनलाइन प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध आतंकवादी संगठनों द्वारा सूचनाओं का उपयोग करने के नए तरीके हैं जो पारंपरिक सुरक्षा उपायों के लिए चुनौतियां पैदा करते हैं।
8. FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) अंतर्राष्ट्रीय वायु यातायात को विनियमित करना
b) मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना
c) वैश्विक मत्स्य पालन नीतियों का प्रबंधन करना
d) अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देना
उत्तर: b) मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना
व्याख्या: FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और अन्य संबंधित वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए मानक निर्धारित करता है।
9. UNSC रिपोर्टों का उपयोग निम्नलिखित में से किसमें किया जा सकता है?
a) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करने में
b) आतंकवाद से संबंधित खुफिया जानकारी साझा करने में
c) वैश्विक शांति संधियों पर बातचीत करने में
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: UNSC रिपोर्टें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्रों के लिए महत्वपूर्ण डेटा और विश्लेषण प्रदान करती हैं।
10. TRF जैसे समूह के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने की मुख्य रणनीति क्या हो सकती है?
a) केवल गुप्त संचार
b) भर्ती, प्रचार और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
c) केवल अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पैरवी
d) केवल वित्तीय सहायता प्राप्त करना
उत्तर: b) भर्ती, प्रचार और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
व्याख्या: सोशल मीडिया आधुनिक आतंकवादी समूहों के लिए बहुआयामी उपकरण है जिसका उपयोग भर्ती, प्रचार और लक्षित दर्शकों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने के लिए किया जाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. UNSC रिपोर्ट में द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) द्वारा पहलगाम हमले के स्थल की तस्वीरें जारी करने और जिम्मेदारी दोहराने का उल्लेख, आधुनिक आतंकवाद की प्रकृति में बदलाव को दर्शाता है। इस कथन का विश्लेषण करें और बताएं कि भारत को इस बदलती प्रकृति से निपटने के लिए अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों में क्या बदलाव करने होंगे? (250 शब्द, 15 अंक)
2. “डिजिटल प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध” आधुनिक आतंकवादी संगठनों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं। TRF की कार्यप्रणाली के संदर्भ में इस कथन की विवेचना करें और इसके सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी निहितार्थों पर प्रकाश डालें। (200 शब्द, 10 अंक)
3. UNSC की रिपोर्टें भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कैसे उपयोगी हो सकती हैं? उन तंत्रों और कूटनीतिक दृष्टिकोणों पर चर्चा करें जिनका भारत UNSC मंच का उपयोग करके अपना सकता है। (150 शब्द, 10 अंक)
4. आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए केवल सैन्य और सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं हैं। भारत को TRF जैसे संगठनों द्वारा फैलाई जा रही ऑनलाइन कट्टरता और गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए किस प्रकार के “काउंटर-नैरेटिव” और “काउंटर-प्रोपेगैंडा” रणनीतियों को अपनाना चाहिए? (200 शब्द, 10 अंक)