Social Structure – Concept and Theories
सामाजिक संरचना – अवधारणा एवं सिद्धान्त Social Structure – Concept and Theories सामाजिक संरचना समाजशास्त्र की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से […]
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सामाजिक संरचना – अवधारणा एवं सिद्धान्त Social Structure – Concept and Theories सामाजिक संरचना समाजशास्त्र की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से […]
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घटना – क्रिया – विज्ञान Phenomenology घटना – किया – विज्ञान विशुद्ध रूप से दार्शनिक दृष्टिकोण को साथ लेकर चलता
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संघर्षवादी सिद्धांत इस सिद्धांत की मान्यता है कि समाज में परिवर्तन का कारक द्वन्द्व है । इस सिद्धांत के समर्थक
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आदर्श – प्ररूप डिल्थे के इतिहासवाद तथा कान्त के बुद्धिवाद से प्रभावित होकर वेबर ने समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए जिस
Ideal Type Verstehen Understanding Read Post »
Sociology : A – Experimental Science Pareto’s main effort in his scientific studies was to find the means by which
Sociology : A Logico – Experimental Science Read Post »
समाजशास्त्र का ऐतिहासिक प्रारम्भ ( उद्भव एवं विकास ) यूरोप में होने वाले अमूलचूल परिवर्तनों एवं इनके परिणामस्वरूप उत्पन्न
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Problems of Theoretical Construction of Sociology: Theory building is a process. This process passes through several stages. Each stage is
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समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के प्रकार समाजशास्त्रीय सिद्धान्त कितने प्रकार के हैं , इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कहना
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समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में आधुनिक प्रवृत्तियाँ: समाजशास्त्र एक विज्ञान है । अतः समाजशास्त्रीय सिद्धान्त वैज्ञानिक सिद्धान्त की श्रेणी में ही आते
Recent Trends in Sociological Theories Read Post »
समाजशास्त्रीय सिद्धान्त की अवधारणा: समाजशास्त्रीय सिद्धान्त सामाजिक तथ्यों पर आधारित सामान्यीकरण होते हैं । समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों की प्रकृति वैज्ञानिक
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अम्बेडकर का अधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य [ SUBALTERN PERSPECTIVE OF AMBEDKAR ] डॉ ० अम्बेडकर का जीवन भारत के
DR.Bhimrao Ambedkar Read Post »
Radha Kamal Mukherjee : पिछली शताब्दी के समाज सुधारक तथा समाज चिन्तकों की एक कतार मौजूद थी , जिसने बाद
आन्द्रे बेताई: आंद्रे बेताई भारत के अग्रणीय समाजशास्त्री एवं मानवशास्त्री हैं , इन्होंने दक्षिण भारत की जाति
लुईस ड्यूमो: फ्रांसीसी मानवशास्त्री एवं समाजशास्त्री लुई इयूमो ( 1911-1998 ) भारत विद्याशास्त्रीय परिप्रेक्षण के प्रमुख समर्थक माने जाते
लुईस ड्यूमो LOUIS DUMONT Read Post »
SC DUBE : Shyama Charan Dubey is one of the famous sociologists and anthropologists of the country. He has presented
एस ० सी ० दुबे S. C. DUBE Read Post »
M . N. Srinivas : Village Indian sociologist Mysore Narasimhachar Srinivas (M.N. Srinivas: MN Srinivas) has made a special
D . P . Mookerjee: Tradition and Change: The name of Dhrujati Prasad Mookerjee (D.P.Mukherjee) is taken with special
D. P. Mukerji : Tradition and Change Read Post »
ए . आर . देसाई : राज्य देसाई ने भारतीय समाज के रूपान्तरण की व्याख्या हेतु द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त
sociological perspective The literal meaning of the approach is up + approach i.e. to bring “closer to reality”.
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भारत में समाजशास्त्र की शिक्षा: समाजशास्त्र की शिक्षा बम्बई विश्वविद्यालय में 1914 में शुरू हुई । इसके बाद में
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जनजातीय समस्याएँ – जैसा हमने पहले कहा जनजातियों की समस्या भारतीय राष्ट्र की दृष्टि से उनके एकीकरण की समस्या है
विवाह – विच्छेद Social acceptance was given to the institution of marriage as an institutional way to maintain the
क्षेत्रीयता – आधुनिक भारत में जिन अवधारणाओं ने सामाजिक – राजनीतिक जीवन में अपना प्रभाव विस्तृत किया है उनमें क्षेत्रीयता
साम्प्रदायिकता मोटे तौर पर साम्प्रायिकता भारतीय राजनीतिक दाँव – पेचों की ही एक उपोत्पाद ( by – product )
भ्रष्टाचार के निराकरण के उपाय वे सुझाव भ्रष्टाचार की समस्या वास्तव में एक गम्भीर समस्या है और इसके लिए बहुत
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लोक जीवन में भ्रष्टाचार वर्तमान समाज के लोक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार आधनिक परिस्थितियों का ही प्रतिफल है । सम्भया
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जातिवाद CASTEISM जाति – प्रथा से सम्बन्धित एक सामाजिक समस्या जातिवाद है जो एक अर्थ मे विभिन्न जातियों के बीच
बेकारी दूर करने के उपाय बेकारी को दूर करना कोई सरल काम नहीं है क्योंकि यह समस्या सम्पूर्ण आर्थिक तथा
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निर्धनता को दूर करने के उपाय The following measures can prove useful in alleviating India’s poverty: . Improvement
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निर्धनता POVERTY निर्धनता भारतीय समाज की अत्यन्त गम्भीर आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है । अपराध , बाल – अपराध ,
विचलन विचलन की परिभाषा एवं अर्थ सामाजिक परिवर्तनों से समाज की स्वीकृत प्रथाओं एवं प्रणालियों में परिवर्तन को विचलन
सांस्कृतिक विलम्बन का सिद्धान्त हर समाज में परिवर्तन पाया जाता है परन्तु सभ्यता का हर पहलू एक ही मात्रा में
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भारत में सामाजिक विघटन के कारण विकास और राष्ट्रीय निर्माण भारत में सामाजिक समस्याओं की स्थिति व विघटन के स्वरूप
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सामाजिक विघटन की अवधारणा Every individual in every society has a certain position with certain specific roles attached to
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भारत में सामाजिक समस्याएँ वर्तमान समय में भारत में अनेक सामाजिक समस्याएँ हैं । यद्यपि भारतवर्ष एक स्वतंत्र गणराज्य है
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सामाजिक समस्याओं के प्रमुख कारण सामाजिक समस्याओं की उत्पत्ति के अनेक कारण हैं । सामाजिक विपन , सामाजिक आकांक्षाएँ ,
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सामाजिक समस्याएं सामाजिक समस्या का अर्थ एवं स्वरूप समाज जिन परिस्थितियों को निन्दनीय अथवा अवांछनीय माने वे सामाजिक समस्याएँ
लुईस ड्यूमो फ्रांसीसी मानवशास्त्री एवं समाजशास्त्री लुई इयूमो ( 1911-1998 ) भारत विद्याशास्त्रीय परिप्रेक्षण के प्रमुख समर्थक माने जाते
राधाकमल मुखर्जी पिछली शताब्दी के समाज सुधारक तथा समाज चिन्तकों की एक कतार मौजूद थी , जिसने बाद में भारतीय
डॉ ० भीमराव अम्बेडकर अधीनस्थ परिप्रेक्ष्य भारत में हुए समाजशास्त्रीय अध्ययनों में अनेक परिप्रेक्ष्यों को अपनाया गया है । इन
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एस ० सी ० दुबे जीवन – चित्रण एवं प्रमुख कृतियाँ: श्यामा चरण दुबे देश के प्रसिद्ध समाजशास्त्रियों एवं मानवशास्त्रियों
प्रभु जाति एम ० एन ० श्रीनिवास के संस्कृतिकरण की व्याख्या के संदर्भ में प्रभु जाति की अवधारणा का उल्लेख
I am feeling very happy while writing these lines of the introduction, because in today’s era there is no lack
एम . एन . श्रीनिवास : गाँव भारतीय समाजशास्त्री मैसूर नरसिम्हाचार श्रीनिवास ( एम . एन . श्रीनिवास : M.
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ए . आर . देसाई : राज्य देसाई ने भारतीय समाज के रूपान्तरण की व्याख्या हेतु द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त
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डी . पी . मुकर्जी : परम्परा एवं परिवर्तन भारतीय समाजशास्त्रीयों में ध्रुजटि प्रसाद मुकर्जी ( डी . पी .
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जी . एस . घूर्ये स्वतन्त्र भारत में समाजशास्त्रियों की प्रथम पंक्ति को विकसित ( खड़े ) करने का श्रेय
समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य उपागम का शाब्दिक अर्थ उप + आगमन है अर्थात् वास्तविकता के ” नजदीक ले जाना है । इसे
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भारत में समाजशास्त्र की शिक्षा The education of sociology started in Bombay University in 1914. After this, this subject was
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