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NDA की निर्णायक जीत? उपराष्ट्रपति चुनाव में TDP, JDU, शिवसेना का साथ और राजनाथ-शाह की कूटनीति

NDA की निर्णायक जीत? उपराष्ट्रपति चुनाव में TDP, JDU, शिवसेना का साथ और राजनाथ-शाह की कूटनीति

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है, जो देश के दूसरे सर्वोच्च पद के लिए होता है। हाल के घटनाक्रमों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए एक मजबूत रणनीति अपनाई है। केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और अमित शाह ने विपक्ष के साथ सहमति बनाने के प्रयास किए, जबकि TDP (तेलुगु देशम पार्टी), JDU (जनता दल (यूनाइटेड)) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) जैसे प्रमुख दलों ने NDA उम्मीदवार का समर्थन करने की घोषणा की है। इस घटनाक्रम ने आगामी चुनाव को राजनीतिक रूप से और अधिक दिलचस्प बना दिया है, और यह देश की राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। यह ब्लॉग पोस्ट इस राजनीतिक चाल का विस्तृत विश्लेषण करेगा, जिसमें इसके निहितार्थ, चुनौतियाँ और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे।

उपराष्ट्रपति पद: भारतीय लोकतंत्र का दूसरा स्तंभ (The Vice-Presidential Office: The Second Pillar of Indian Democracy)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार, “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।” यह पद, हालांकि राष्ट्रपति जितना कार्यकारी नहीं है, संवैधानिक व्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman of the Rajya Sabha) होते हैं, जहाँ वे विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, सदनों के बीच संतुलन बनाए रखते हैं और संसदीय कार्यवाही के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं।

उपराष्ट्रपति की भूमिकाएँ और शक्तियाँ:

  • कार्यवाहक राष्ट्रपति: राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, या पद से हटाए जाने (महाभियोग) की स्थिति में।
  • राज्यसभा के सभापति: सदन में बहस को संचालित करना, नियमों का पालन सुनिश्चित करना, और विधेयकों पर मतदान की अध्यक्षता करना।
  • संसदीय कूटनीति: विदेशी संसदीय शिष्टमंडलों से मिलना और भारत का प्रतिनिधित्व करना।

यह पद अक्सर राजनीतिक वार्ताओं का केंद्र बनता है, क्योंकि यह न केवल एक संवैधानिक आवश्यकता है, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए अपनी गठबंधन क्षमता और विधायी बहुमत को प्रदर्शित करने का एक मंच भी है।

NDA की ‘सहमति’ वाली रणनीति: राजनाथ-शाह का राजनीतिक दांव (NDA’s ‘Consensus’ Strategy: Rajnath-Singh and Shah’s Political Gambit)

हाल के वर्षों में, भारत की राजनीति में गठबंधन की गतिशीलता तेजी से बदल रही है। उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे मौकों पर, सत्ताधारी दल अक्सर विपक्ष को अलग-थलग करने या आम सहमति बनाने का प्रयास करते हैं। इस बार, भाजपा ने एक ऐसी रणनीति अपनाई जहाँ वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह और अमित शाह ने विभिन्न विपक्षी दलों के साथ बातचीत करके अपने उम्मीदवार (जो उस समय घोषित नहीं हुए थे) के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की।

सहमति बनाने के पीछे के कारण:

  • संवैधानिक सौहार्द: यह एक ऐसा संकेत भेजना है कि सरकार महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर सर्वसम्मति को महत्व देती है, भले ही वास्तविक समर्थन प्राप्त न हो।
  • विपक्ष को विभाजित करना: यदि कुछ विपक्षी दल समर्थन करते हैं, तो यह विपक्ष की एकता को कमजोर करता है और NDA की स्थिति को मजबूत करता है।
  • राजनीतिक वैधता: व्यापक समर्थन से चुने गए उपराष्ट्रपति की स्थिति को अधिक वैध माना जाता है।
  • सर्वानुमति का माहौल: यदि किसी महत्वपूर्ण पद पर सर्वानुमति बन जाती है, तो यह देश में राजनीतिक सौहार्द का संदेश देता है।

इस ‘सहमति’ अभियान का नेतृत्व राजनाथ सिंह जैसे अनुभवी नेताओं को सौंपना, जो अपनी संयमित शैली के लिए जाने जाते हैं, भाजपा की परिपक्वता और राजनीतिक चतुराई को दर्शाता है। अमित शाह, अपनी गहन राजनीतिक समझ के साथ, इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

TDP, JDU और शिवसेना का NDA को समर्थन: गठबंधन की नई धुरी (Support of TDP, JDU, and Shiv Sena to NDA: A New Axis of Alliance)

राजनीति में, समर्थन के पारिश्रमिक अक्सर महत्वपूर्ण होते हैं। TDP, JDU, और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) जैसे दलों का NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का समर्थन करना, भाजपा के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है।

1. तेलुगु देशम पार्टी (TDP):

आंध्र प्रदेश की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी TDP, कभी भाजपा की महत्वपूर्ण सहयोगी रही है। हालाँकि वर्तमान में उनका गठबंधन थोड़ा भिन्न है, TDP का समर्थन NDA के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

  • भौगोलिक विस्तार: TDP के समर्थन से NDA को दक्षिण भारत, विशेषकर आंध्र प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलती है।
  • चुनावों में अनुभव: TDP का अनुभव और उनका कैडर बेस, खासकर राज्य चुनावों में, NDA के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • राजनीतिक संतुलन: TDP का समर्थन, आंध्र प्रदेश की राजनीति में सत्ता संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।

2. जनता दल (यूनाइटेड) (JDU):

बिहार में एक प्रमुख शक्ति, JDU, NDA का एक विश्वसनीय सहयोगी रहा है। JDU का समर्थन NDA के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • बिहार में स्थिति: बिहार में JDU के समर्थन के बिना NDA के लिए सत्ता में रहना मुश्किल होगा। यह समर्थन, NDA की बिहार रणनीति को और मजबूत करता है।
  • पूर्वी भारत में प्रभाव: JDU का पूर्वी भारत में, विशेषकर बिहार और उससे सटे क्षेत्रों में, एक मजबूत जनाधार है।
  • संवैधानिक पदों पर सहमति: JDU, केंद्र में NDA के साथ मिलकर, महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर सर्वसम्मति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट):

महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक उठापटक के बाद, एकनाथ शिंदे गुट का NDA के साथ आना, महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर था। उनका समर्थन NDA के लिए:

  • महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण: महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण राज्य है, और यहाँ शिवसेना (शिंदे गुट) का समर्थन NDA को महत्वपूर्ण बढ़त दिलाता है।
  • गठबंधन की ताकत: यह समर्थन दर्शाता है कि NDA न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी नए गठबंधन बनाने में सक्षम है।
  • एकजुटता का संदेश: यह दिखाता है कि भाजपा प्रमुख क्षेत्रीय शक्तियों को साथ लेकर चल रही है।

यह समर्थन, राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उन दलों को संकेत देता है जो सत्ता में रहना चाहते हैं कि NDA के साथ जुड़ना लाभदायक हो सकता है।

विपक्ष की स्थिति और चुनौतियाँ (Opposition’s Position and Challenges)

जबकि NDA अपनी गठबंधन शक्तियों को मजबूत कर रहा है, विपक्षी दलों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। उपराष्ट्रपति चुनाव में, विपक्ष को एक साझा उम्मीदवार चुनने और उसे जिताने के लिए अभूतपूर्व एकता दिखानी होगी।

विपक्ष के सामने मुख्य चुनौतियाँ:

  • आम सहमति का अभाव: विभिन्न विपक्षी दलों के अपने-अपने एजेंडे और नेतृत्व संबंधी महत्वाकांक्षाएँ हो सकती हैं, जिससे एक साझा उम्मीदवार पर सहमत होना मुश्किल हो जाता है।
  • संख्यात्मक अंतर: यदि NDA के पास पर्याप्त संख्या बल है, तो विपक्ष के लिए जीतना अत्यंत कठिन हो जाएगा, भले ही वे एक मजबूत उम्मीदवार पेश करें।
  • रणनीतिक मतभेद: कुछ दल NDA उम्मीदवार का समर्थन करने के पक्ष में हो सकते हैं, खासकर यदि वे राष्ट्रीय राजनीति में अपने हित साधते हों।
  • अंदरूनी कलह: विपक्ष में चल रही अंदरूनी कलह, जैसे कि कुछ दलों का NDA के साथ अनौपचारिक तालमेल, उनके एकजुट प्रयास को कमजोर कर सकती है।

विपक्ष के लिए, यह चुनाव न केवल एक संवैधानिक पद के लिए है, बल्कि अपनी एकता और प्रासंगिकता को बनाए रखने का भी एक अवसर है। यदि वे एक मजबूत, सर्वमान्य उम्मीदवार उतारने में सफल होते हैं, तो वे NDA के लिए एक कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह राजनीतिक घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है:

1. भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity):

  • संवैधानिक पद: उपराष्ट्रपति का पद, उनकी शक्तियाँ, जिम्मेदारियाँ और चुनाव प्रक्रिया (अनुच्छेद 66)।
  • संसदीय प्रणाली: उपराष्ट्रपति की राज्यसभा के सभापति के रूप में भूमिका और विधायी प्रक्रिया में उनका महत्व।
  • कार्यवाहक राष्ट्रपति: राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका।

2. भारतीय राजनीति (Indian Politics):

  • गठबंधन की राजनीति: वर्तमान समय में गठबंधन कैसे बनते हैं, टूटते हैं और उनका महत्व।
  • क्षेत्रीय दलों की भूमिका: TDP, JDU, शिवसेना जैसे क्षेत्रीय दलों का राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव।
  • राजनीतिक रणनीतियाँ: सहमति बनाने, समर्थन जुटाने और विपक्षी एकता को तोड़ने की रणनीतियाँ।
  • राजनीतिक दल: प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की विचारधारा, एजेंडा और गठबंधन।

3. समसामयिक मामले (Current Affairs):

  • हालिया चुनाव: उपराष्ट्रपति चुनाव का नवीनतम घटनाक्रम और उससे जुड़े राजनीतिक विश्लेषण।
  • राज्य-स्तरीय राजनीति: आंध्र प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति पर इस घटनाक्रम का प्रभाव।
  • राजनीतिक व्यक्तित्व: राजनाथ सिंह, अमित शाह, और अन्य प्रमुख नेताओं की भूमिका।

UPSC परीक्षा के लिए विषयवार तैयारी:

  • प्रारंभिक परीक्षा (Prelims): संवैधानिक प्रावधानों, उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया (इलेक्टोरल कॉलेज), और हालिया घटनाक्रमों से जुड़े तथ्यात्मक प्रश्न।
  • मुख्य परीक्षा (Mains): गठबंधन की राजनीति के विश्लेषण, क्षेत्रीय दलों की भूमिका, संसदीय प्रणाली की कार्यप्रणाली, और उपराष्ट्रपति पद के महत्व पर विश्लेषणात्मक प्रश्न।

निष्कर्ष: आगे की राह (Conclusion: The Way Forward)

उपराष्ट्रपति चुनाव, अक्सर एक औपचारिकता माने जाने वाले, वर्तमान घटनाक्रमों में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ बन गए हैं। NDA की ‘सहमति’ वाली रणनीति और TDP, JDU, और शिवसेना जैसे प्रमुख क्षेत्रीय दलों का समर्थन, पार्टी के लिए एक मजबूत स्थिति बनाता है। यह भारत की गठबंधन राजनीति की जटिलताओं और राष्ट्रीय मंच पर क्षेत्रीय शक्तियों के बढ़ते महत्व को भी रेखांकित करता है।

विपक्ष के लिए, यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है कि वे अपनी एकता बनाए रखें और एक ऐसा सर्वमान्य उम्मीदवार पेश करें जो NDA की मजबूत स्थिति का मुकाबला कर सके। इस चुनाव के परिणाम न केवल देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद के भाग्य का फैसला करेंगे, बल्कि आने वाले समय में राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय राजनीति के समीकरणों को भी प्रभावित करेंगे। UPSC उम्मीदवारों को इस घटनाक्रम का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की गतिशीलता को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद यह प्रावधान करता है कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा”?

    (a) अनुच्छेद 52

    (b) अनुच्छेद 63

    (c) अनुच्छेद 74

    (d) अनुच्छेद 79

    उत्तर: (b) अनुच्छेद 63

    व्याख्या: अनुच्छेद 63 स्पष्ट रूप से कहता है कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा”। अनुच्छेद 52 भारत के राष्ट्रपति से संबंधित है, अनुच्छेद 74 मंत्रिपरिषद के बारे में है, और अनुच्छेद 79 संसद के गठन से संबंधित है।
  2. प्रश्न: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव निम्नलिखित में से किसके द्वारा गठित एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है?

    (a) केवल लोकसभा के सदस्य

    (b) केवल राज्यसभा के सदस्य

    (c) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य

    (d) संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)

    उत्तर: (d) संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)

    व्याख्या: संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा, जिसमें केवल आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत का उपयोग किया जाएगा। इसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं।
  3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी उपराष्ट्रपति की एक महत्वपूर्ण भूमिका है?

    (a) केवल राष्ट्रपति के सलाहकार के रूप में कार्य करना

    (b) केवल केंद्रीय मंत्रिमंडल का नेतृत्व करना

    (c) राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करना

    (d) लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य करना

    उत्तर: (c) राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करना

    व्याख्या: उपराष्ट्रपति, संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार, राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करते हैं। उनकी अन्य भूमिकाएँ कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना है।
  4. प्रश्न: उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. उपराष्ट्रपति बनने के लिए व्यक्ति का भारत का नागरिक होना आवश्यक है।

    2. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।

    3. वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।

    उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?

    (a) केवल 1 और 2

    (b) केवल 2 और 3

    (c) केवल 1 और 3

    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (d) 1, 2 और 3

    व्याख्या: उपराष्ट्रपति के लिए पात्रता के लिए, व्यक्ति का भारत का नागरिक होना चाहिए (अनुच्छेद 66(3)(a)), 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो (अनुच्छेद 66(3)(b)), और उस सदन का सदस्य निर्वाचित होने के योग्य हो, जिसके वह सभापति हैं (यानी, राज्यसभा, अनुच्छेद 66(3)(d))।
  5. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा राजनीतिक दल हाल के उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA के उम्मीदवार का समर्थन करने वाले दलों में शामिल नहीं था (प्रदान की गई जानकारी के अनुसार)?

    (a) तेलुगु देशम पार्टी (TDP)

    (b) जनता दल (यूनाइटेड) (JDU)

    (c) बहुजन समाज पार्टी (BSP)

    (d) शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)

    उत्तर: (c) बहुजन समाज पार्टी (BSP)

    व्याख्या: प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, TDP, JDU और शिवसेना (शिंदे गुट) ने NDA का समर्थन किया। BSP का उल्लेख समर्थन करने वाले दलों में नहीं किया गया था।
  6. प्रश्न: “सहमति बनाने” की रणनीति के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?

    (a) यह हमेशा विपक्षी दलों की मांग मानने की रणनीति है।

    (b) यह महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर आम सहमति बनाने का एक प्रयास है, जो राजनीतिक सौहार्द को दर्शाता है।

    (c) यह केवल छोटे दलों को साधने की एक राजनीतिक चाल है।

    (d) यह मुख्य रूप से राष्ट्रपति के चुनाव के लिए ही उपयोग की जाती है।

    उत्तर: (b) यह महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर आम सहमति बनाने का एक प्रयास है, जो राजनीतिक सौहार्द को दर्शाता है।

    व्याख्या: “सहमति बनाने” की रणनीति का उद्देश्य अक्सर संवैधानिक गरिमा को बनाए रखने और राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करने के लिए महत्वपूर्ण पदों पर व्यापक समर्थन जुटाना होता है।
  7. प्रश्न: उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में, राष्ट्रपति का कार्यभार कौन संभालता है?

    (a) लोकसभा अध्यक्ष

    (b) भारत के मुख्य न्यायाधीश

    (c) उपराष्ट्रपति

    (d) वरिष्ठतम मंत्री

    उत्तर: (c) उपराष्ट्रपति

    व्याख्या: अनुच्छेद 65 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र या निष्कासन के कारण रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति उस पद के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
  8. प्रश्न: निम्नलिखित में से किस राज्य में TDP का प्रभाव मुख्य रूप से केंद्रित है?

    (a) बिहार

    (b) महाराष्ट्र

    (c) आंध्र प्रदेश

    (d) ओडिशा

    उत्तर: (c) आंध्र प्रदेश

    व्याख्या: तेलुगु देशम पार्टी (TDP) मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश की एक प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी है।
  9. प्रश्न: राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में, उपराष्ट्रपति का प्राथमिक कार्य क्या है?

    (a) केंद्रीय बजट को अंतिम रूप देना

    (b) सदन में विधायी बहस का संचालन करना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना

    (c) प्रधानमंत्री की नियुक्ति करना

    (d) सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी देना

    उत्तर: (b) सदन में विधायी बहस का संचालन करना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना

    व्याख्या: एक सभापति के रूप में, उपराष्ट्रपति राज्यसभा की कार्यवाही को संचालित करते हैं, व्यवस्था बनाए रखते हैं और विधायी प्रक्रिया के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करते हैं।
  10. प्रश्न: उपराष्ट्रपति के चुनाव में किस प्रकार की मतदान प्रणाली का उपयोग किया जाता है?

    (a) सामान्य बहुमत (Simple Majority)

    (b) पूर्ण बहुमत (Absolute Majority)

    (c) आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote system of proportional representation)

    (d) गुप्त मतदान (Secret Ballot)

    उत्तर: (c) आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote system of proportional representation)

    व्याख्या: अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन की राजनीति की बढ़ती भूमिका का विश्लेषण करें। उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे संवैधानिक पदों के चुनाव पर क्षेत्रीय दलों के समर्थन के प्रभाव और निहितार्थों पर प्रकाश डालें, विशेष रूप से TDP, JDU और शिवसेना (शिंदे गुट) के उदाहरणों का हवाला देते हुए। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न: “भारत के उपराष्ट्रपति का पद, यद्यपि राष्ट्रपति जितना शक्तिशाली नहीं है, भारतीय संसदीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक भूमिका निभाता है।” इस कथन की विवेचना करें, जिसमें उपराष्ट्रपति की शक्तियों, जिम्मेदारियों और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला गया हो। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न: भारत में राजनीतिक दल किस प्रकार “सहमति बनाने” की रणनीति का उपयोग करते हैं? उपराष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में इस रणनीति की प्रभावशीलता और इसके राजनीतिक लाभों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (200 शब्द, 10 अंक)
  4. प्रश्न: हाल के उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA द्वारा TDP, JDU और शिवसेना (शिंदे गुट) से प्राप्त समर्थन का राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा? गठबंधन की गतिशीलता और राजनीतिक समीकरणों के संदर्भ में इसका विश्लेषण करें। (200 शब्द, 10 अंक)

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