LAC पर चीन के दावों पर भारत के सवालों का SC ने उठाया जिम्मा: क्या है पुख्ता सबूत?
चर्चा में क्यों? (Why in News?): भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन द्वारा कथित तौर पर की गई भूमि अधिग्रहण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों पर गौर किया है। न्यायालय ने राहुल गांधी से पूछा है कि उनके पास इस दावे को पुख्ता करने के लिए क्या जानकारी है, और साथ ही यह भी कहा कि यदि वे सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते। यह टिप्पणी न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मामला भारत-चीन सीमा विवाद की जटिलताओं, सूचना के स्रोत, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक पारदर्शिता और सार्वजनिक बयानों के प्रभाव जैसे कई गंभीर मुद्दों को सामने लाता है।
यह ब्लॉग पोस्ट, UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करेगा, जिसमें इसके ऐतिहासिक संदर्भ, भू-राजनीतिक निहितार्थ, कानूनी और कूटनीतिक दृष्टिकोण, और सूचना की प्रामाणिकता का महत्व शामिल है। हम इस मुद्दे को एक विश्लेषणात्मक ढांचे में देखेंगे, ताकि उम्मीदवार इससे जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझ सकें और परीक्षा में ऐसे प्रश्नों का सामना करने के लिए तैयार हो सकें।
1. मुद्दा क्या है? (What is the Issue?):
यह पूरा विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में कथित तौर पर घुसपैठ और भूमि अधिग्रहण के आरोपों से जुड़ा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विभिन्न मंचों पर यह आरोप लगाया है कि चीन ने भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने राहुल गांधी के इन दावों पर संज्ञान लिया और उनसे उनके स्रोतों और सबूतों के बारे में पूछताछ की। न्यायालय की टिप्पणी, “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते,” यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों के लिए पुख्ता आधार होना आवश्यक है।
संक्षेप में:
- आरोप: चीन द्वारा LAC पर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा।
- सार्वजनिक बयान: राहुल गांधी द्वारा यह आरोप बार-बार लगाया जाना।
- न्यायालय का प्रश्न: दावों के पीछे पुख्ता जानकारी और सबूत क्या हैं?
- टिप्पणी का निहितार्थ: राष्ट्रीय सुरक्षा पर सार्वजनिक बयानों की जिम्मेदारी।
2. ऐतिहासिक संदर्भ: भारत-चीन सीमा विवाद (Historical Context: The India-China Border Dispute):
भारत-चीन सीमा विवाद एक लंबा और जटिल इतिहास रखता है, जिसकी जड़ें औपनिवेशिक काल तक जाती हैं। ब्रिटिश काल में सीमांकन की प्रक्रिया अधूरी रही, जिससे स्वतंत्रता के बाद दोनों देशों के बीच विवाद का जन्म हुआ।
- 1950-60 का दशक: पंडित जवाहरलाल नेहरू की ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ और चीन की विस्तारवादी नीतियां।
- 1962 का भारत-चीन युद्ध: इस युद्ध ने सीमा विवाद को गहरा कर दिया और LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) की वर्तमान स्थिति को आकार दिया।
- 1970-80 का दशक: सीमा पर तनावपूर्ण शांति और कूटनीतिक प्रयास।
- 1990 के दशक से: विश्वास बहाली के उपाय (CBMs) और सीमा प्रबंधन पर समझौते, लेकिन घुसपैठ की घटनाएं जारी रहीं।
- हाल के वर्ष: डोकलाम संकट (2017), गलवान घाटी झड़प (2020) और पैंगोंग त्सो, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों में तनाव।
यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समझाती है कि LAC पर स्थितियां कितनी संवेदनशील और अस्थिर हैं। चीन लगातार अपनी सीमाओं का विस्तार करने की कोशिश करता रहा है, जबकि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
3. SC का सवाल: “पुख्ता जानकारी क्या है?” (The SC’s Question: “What is the Concrete Information?”):
सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक अत्यंत महत्वपूर्ण चिंता को दर्शाता है। जब कोई सार्वजनिक व्यक्ति, विशेष रूप से एक प्रमुख राजनीतिक दल का नेता, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलता है, तो उसके बयानों का प्रभाव बहुत व्यापक होता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: ऐसे दावे, यदि झूठे साबित होते हैं, तो दुश्मन को गलत सूचना प्रदान कर सकते हैं और देश की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकते हैं।
- सूचना के स्रोत: न्यायालय यह जानना चाहता है कि क्या कांग्रेस नेता के पास सरकारी खुफिया एजेंसियों, सैटेलाइट इमेजरी, या अन्य विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त जानकारी है।
- सार्वजनिक विश्वास: गलत या अप्रमाणित दावे जनता के बीच भ्रम और अविश्वास पैदा कर सकते हैं, खासकर सुरक्षा बलों और सरकार के प्रति।
- कूटनीतिक संवेदनशीलता: भारत-चीन जैसे संवेदनशील सीमा विवादों में, सार्वजनिक बयानों को अत्यधिक सावधानी से किया जाना चाहिए ताकि कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चल रही बातचीत बाधित न हो।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस तरह के मामलों में, सरकार के पास आमतौर पर खुफिया जानकारी का बेहतर सुलभता होती है, लेकिन विपक्षी दलों के नेताओं के पास भी अपने स्रोतों से जानकारी हो सकती है। न्यायालय का उद्देश्य सूचना की प्रामाणिकता और उसके सार्वजनिक प्रकटीकरण की जिम्मेदारी को स्थापित करना है।
4. “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” – एक गहन विश्लेषण ( “If they were true Indians, they wouldn’t say this” – An In-depth Analysis):
न्यायालय की यह टिप्पणी, भले ही अप्रत्यक्ष रूप से कही गई हो, भारतीय न्यायपालिका की राष्ट्रीय मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है। इसका तात्पर्य यह है कि:
- राष्ट्रीय हित सर्वोपरि: न्यायालय के अनुसार, एक “सच्चे भारतीय” के लिए राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की संप्रभुता सबसे ऊपर होनी चाहिए।
- जिम्मेदार बयानबाजी: देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों पर बयान देते समय, व्यक्ति को देश को नुकसान पहुँचाने वाली किसी भी बात से बचना चाहिए।
- देशभक्ति और नागरिक कर्तव्य: यह टिप्पणी देशभक्ति और नागरिक कर्तव्य की भावना को भी जोड़ती है, यह सुझाव देते हुए कि देश के प्रति वफादारी का मतलब है कि सार्वजनिक हित में सोच-समझकर और जिम्मेदारी से काम करना।
- सूचना की वैधता: न्यायालय यह संकेत दे रहा है कि ऐसे गंभीर आरोप लगाने से पहले, आरोपों की वैधता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
यह टिप्पणी, हालांकि कठोर लग सकती है, सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी और जवाबदेही के महत्व पर जोर देती है, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हों।
5. भारत-चीन सीमा विवाद में चुनौतियाँ (Challenges in the India-China Border Dispute):
भारत-चीन सीमा विवाद अपने आप में कई जटिलताओं और चुनौतियों से भरा है, जो इस हालिया राजनीतिक और न्यायिक मुद्दे को और अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं।
- अपरिभाषित सीमा: LAC एक पूरी तरह से परिभाषित और सीमांकित सीमा नहीं है। यह एक अस्थायी रेखा है जिसे 1962 के युद्ध के बाद स्थापित किया गया था, और दोनों देशों के बीच इस पर अलग-अलग दावे हैं।
- चीन की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं: चीन अपनी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) और ‘ड्रैगन’ की छवि के तहत अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। LAC पर उसकी गतिविधियां इसी का एक हिस्सा हो सकती हैं।
- पारदर्शिता की कमी: चीन अपनी सैन्य और घुसपैठ की गतिविधियों में अत्यधिक पारदर्शिता रखता है, जिससे भारत के लिए सटीक जानकारी प्राप्त करना और सत्यापन करना मुश्किल हो जाता है।
- सूचना युद्ध (Information Warfare): चीन अक्सर सूचना युद्ध का उपयोग अपनी कथित कमजोरियों को छिपाने या भारत पर दबाव बनाने के लिए करता है।
- कूटनीतिक गतिरोध: सीमा विवाद को हल करने के लिए वर्षों से बातचीत चल रही है, लेकिन कोई निर्णायक समाधान नहीं निकला है।
- सामरिक ऊंचाई का महत्व: LAC पर कुछ क्षेत्रों में सामरिक ऊंचाई (strategic altitude) बहुत महत्वपूर्ण है, और चीन अक्सर इन क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करता है।
उदाहरण के लिए, 2020 में गलवान घाटी में झड़पें तब हुईं जब चीन ने COVID-19 महामारी का फायदा उठाते हुए LAC पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। इसी तरह, पैंगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्र में चीन की गतिविधियाँ महत्वपूर्ण सामरिक महत्व रखती हैं।
6. मीडिया, विपक्ष और सरकार की भूमिका (Role of Media, Opposition, and Government):
इस मुद्दे में विभिन्न हितधारकों की भूमिका महत्वपूर्ण है:
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सरकार:
- राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करना और सीमा पर किसी भी अतिक्रमण को रोकना।
- चीन के साथ कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखना।
- जनता को विश्वसनीय और सत्यापित जानकारी प्रदान करना।
- विधायिका और न्यायपालिका के प्रति जवाबदेह होना।
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विपक्ष:
- सरकार से जवाबदेही मांगना और महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालना।
- जनता को सूचित रखना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलते समय जिम्मेदार और देशहित में बयान देना।
- आरोपों के समर्थन में पुख्ता जानकारी प्रस्तुत करना, यदि उपलब्ध हो।
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मीडिया:
- घटनाओं को निष्पक्ष और सटीक रूप से रिपोर्ट करना।
- सरकार और विपक्ष दोनों से सवाल पूछना।
- जनता को सूचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना।
- गलत सूचना फैलाने से बचना।
सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप इस बात पर प्रकाश डालता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों की कितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है।
7. क्या हो सकता है आगे? (What Could Be the Way Forward?):
इस संवेदनशील मामले में आगे बढ़ने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:
- सूचना का सत्यापन: किसी भी सार्वजनिक बयान से पहले, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर, जानकारी की प्रामाणिकता का सावधानीपूर्वक सत्यापन किया जाना चाहिए।
- सर्वदलीय बैठकें: राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर सरकार और प्रमुख विपक्षी दलों के बीच नियमित सर्वदलीय बैठकें होनी चाहिए, ताकि एक आम सहमति बन सके और देश की एकता प्रदर्शित हो।
- खुफिया जानकारी तक पहुँच: यदि किसी विशेष मुद्दे पर चिंताएँ हैं, तो विपक्षी नेताओं के लिए जिम्मेदार तरीके से संबंधित मंत्रालयों (जैसे रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय) से स्पष्टीकरण या जानकारी प्राप्त करने के चैनल खुले होने चाहिए।
- कूटनीतिक प्रयास: भारत को चीन के साथ सीमा विवाद को हल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज करना चाहिए, जबकि सीमा पर अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत रखना चाहिए।
- सामरिक संचार: सरकार को जनता के साथ प्रभावी सामरिक संचार (strategic communication) करना चाहिए, ताकि भ्रम की स्थिति को रोका जा सके और राष्ट्र के मनोबल को बनाए रखा जा सके।
- न्यायपालिका का संतुलित दृष्टिकोण: न्यायपालिका को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों की स्वतंत्रता और सुरक्षा चिंताओं के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।
उदाहरण के लिए, भारत और चीन के बीच ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (LAC) पर गश्त के नियम और सीमा प्रबंधन को लेकर कई समझौते हुए हैं। हालांकि, चीन ने इनमें से कुछ समझौतों का उल्लंघन किया है, जैसा कि 2020 की गलवान घाटी की घटना में देखा गया था।
8. UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam):
यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:
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प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- भारत-चीन सीमा विवाद का इतिहास।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की अवधारणा।
- भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियाँ।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध, विशेष रूप से भारत-चीन संबंध।
- न्यायपालिका की भूमिका और उसके अधिकार क्षेत्र।
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मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध (भारत-चीन), द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते। भारतीय संविधान, सरकार की नीतियां, और विभिन्न क्षेत्रों में विकास और शासन के मुद्दे।
- GS-III: सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (जैसे सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग), संचार।
- निबंध: राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक बयानों की जिम्मेदारी, कूटनीति, सीमा प्रबंधन जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए यह एक अच्छा केस स्टडी प्रदान करता है।
- साक्षात्कार (Interview): यह उम्मीदवार की समसामयिक मामलों की समझ, विश्लेषणात्मक क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक संतुलित दृष्टिकोण का परीक्षण करेगा।
एक उम्मीदवार को इस मुद्दे के राजनीतिक, कूटनीतिक, कानूनी और राष्ट्रीय सुरक्षा आयामों को समझना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion):
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहुल गांधी से LAC पर चीन द्वारा जमीन हड़पने के उनके दावों के बारे में पुख्ता जानकारी मांगने का मामला, राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक बयानबाजी की जिम्मेदारी और सूचना की प्रामाणिकता के बीच एक नाजुक संतुलन को उजागर करता है। भारत-चीन सीमा विवाद एक सतत चुनौती है, और ऐसे संवेदनशील समय में, सभी हितधारकों को देश के हित को सर्वोपरि रखते हुए जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए। यह मुद्दा UPSC उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है, जो उन्हें समसामयिक मामलों का गहराई से विश्लेषण करने और विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने में मदद करता है। अंततः, देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए एक एकजुट और सूचित दृष्टिकोण आवश्यक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा है।
- यह एक पारिभाषित सीमा है जिस पर दोनों देश सहमत हैं।
- यह एक अस्थायी रेखा है जो भारत और चीन के बीच विवादित क्षेत्रों को अलग करती है।
- यह 1947 में निर्धारित की गई थी।
उत्तर: C
व्याख्या: LAC एक अस्थायी रेखा है जो भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण वाले क्षेत्रों को अलग करती है। यह औपचारिक रूप से सीमांकित या परिभाषित नहीं है, और दोनों देशों के इस पर अलग-अलग दावे हैं।
- प्रश्न 2: 1962 के भारत-चीन युद्ध का प्राथमिक कारण क्या था?
- कश्मीर विवाद।
- तिब्बत पर चीन का कब्ज़ा और नेहरू की ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ के साथ सीमा विवाद।
- म्यांमार के साथ सीमा विवाद।
- आर्थिक सहयोग में असहमति।
उत्तर: B
व्याख्या: 1962 के युद्ध का मुख्य कारण तिब्बत पर चीन का नियंत्रण स्थापित करना और भारत की ‘फॉरवर्ड पॉलिसी’ थी, जिसके तहत भारतीय सैनिकों ने विवादित सीमा क्षेत्रों में आगे बढ़कर चीनी अतिक्रमण का विरोध किया।
- प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में ‘विश्वास बहाली के उपाय’ (Confidence Building Measures – CBMs) से संबंधित है?
- सैन्य अभ्यास पर प्रतिबंध।
- खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और सैन्य कमांडर स्तर की बैठकें।
- आर्थिक गलियारों का संयुक्त विकास।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
उत्तर: B
व्याख्या: CBMs का उद्देश्य सीमा पर विश्वास को बढ़ाना और संघर्ष की संभावना को कम करना है। इसमें सैन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान और नियमित कमांडर-स्तरीय बैठकें शामिल हैं।
- प्रश्न 4: हाल ही में SC द्वारा एक कांग्रेसी नेता से LAC पर चीन के दावों के बारे में पूछे गए प्रश्न का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना।
- दावों के पीछे की जानकारी की प्रामाणिकता की जांच करना।
- राहुल गांधी को गिरफ्तार करने का आदेश देना।
- चीन को सीमा विवाद में उकसाना।
उत्तर: B
व्याख्या: न्यायालय का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर किए गए सार्वजनिक बयानों की प्रामाणिकता और उनके स्रोतों की जांच करना था, ताकि गलत सूचना के प्रसार को रोका जा सके।
- प्रश्न 5: ‘ड्रैगन’ शब्द आमतौर पर किस देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रयोग किया जाता है?
- भारत
- जापान
- चीन
- दक्षिण कोरिया
उत्तर: C
व्याख्या: ‘ड्रैगन’ चीन की संस्कृति और शक्ति का प्रतीक है, और अक्सर इसे अंतरराष्ट्रीय संदर्भों में चीन का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- प्रश्न 6: डोकलाम संकट (Doklam Crisis) 2017 में किन देशों के बीच तनाव का मुख्य कारण बना?
- भारत और पाकिस्तान
- भारत और चीन
- चीन और भूटान
- भूटान और पाकिस्तान
उत्तर: C
व्याख्या: डोकलाम संकट मुख्य रूप से चीन और भूटान के बीच हुआ था, जिसमें भारत ने भूटान के समर्थन में हस्तक्षेप किया था, क्योंकि डोकलाम भूटान का क्षेत्र है लेकिन चीन उसे अपना मानता है और वहां सड़क निर्माण कर रहा था।
- प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत सरकार के लिए सैटेलाइट इमेजरी और टोही (reconnaissance) डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
- राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: D
व्याख्या: ISRO, DRDO और NTRO जैसी एजेंसियां रक्षा, सुरक्षा और खुफिया जानकारी के लिए महत्वपूर्ण सैटेलाइट इमेजरी और अन्य तकनीकी डेटा प्रदान करती हैं। NTRO विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामरिक तकनीकी टोही में महत्वपूर्ण है।
- प्रश्न 8: गलवान घाटी झड़प (Galwan Valley Clash) 2020 में भारत के किस पड़ोसी देश के साथ हुई थी?
- पाकिस्तान
- नेपाल
- चीन
- म्यांमार
उत्तर: C
व्याख्या: 2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़पें भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई थीं।
- प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन SC की टिप्पणी “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” के निहितार्थ को सर्वोत्तम ढंग से दर्शाता है?
- देश की संप्रभुता और सुरक्षा के बारे में सार्वजनिक बयानों में जिम्मेदारी होनी चाहिए।
- देशभक्ति का अर्थ सरकार के हर फैसले का आँख बंद करके समर्थन करना है।
- विपक्षी नेताओं को सीमावर्ती मुद्दों पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।
- न्यायपालिका को राजनीतिक बहसों में शामिल नहीं होना चाहिए।
उत्तर: A
व्याख्या: यह टिप्पणी सार्वजनिक बयानों की जिम्मेदारी पर जोर देती है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों में, और यह बताती है कि देश के प्रति वफादारी का अर्थ है सोच-समझकर और देशहित में बोलना।
- प्रश्न 10: भारत-चीन सीमा विवाद का मूल कारण औपनिवेशिक काल से जुड़ा है। उस समय की कौन सी प्रक्रिया अधूरी रह गई थी?
- सीमा का सीमांकन (demarcation)।
- व्यापारिक समझौते।
- कूटनीतिक संबंध स्थापित करना।
- सैन्य सहयोग।
उत्तर: A
व्याख्या: ब्रिटिश काल में भारत-चीन के बीच सीमा का सीमांकन पूरी तरह से नहीं हो पाया था, जिससे स्वतंत्रता के बाद यह विवाद का एक प्रमुख कारण बना।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की बढ़ती आक्रामकता के आलोक में, भारत-चीन सीमा विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान चुनौतियों और भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बयानों की जिम्मेदारी पर हाल के सर्वोच्च न्यायालय के अवलोकन के आलोक में, सार्वजनिक कूटनीति (public diplomacy) और सूचना प्रसार (information dissemination) के महत्व पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 3: भारत-चीन संबंधों में विश्वास बहाली के उपायों (CBMs) के महत्व का मूल्यांकन करें। इन उपायों के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं और क्या ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित कर सकते हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 4: “किसी भी देश का नागरिक होने के नाते, उसे ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालें।” इस कथन के संदर्भ में, भारत-चीन सीमा विवाद पर सार्वजनिक चर्चा के दौरान जिम्मेदार बयानबाजी के महत्व पर प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)