INS विक्रांत की दहाड़: 75वें साल में भारतीय नौसेना का शक्ति प्रदर्शन और पाकिस्तान में भय की लहरें!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित पहले विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर दिवाली मनाकर देश की सुरक्षा तैयारियों और नौसैनिक शक्ति का संदेश दिया। इस अवसर पर, उनके बयान “INS विक्रांत ने पाकिस्तान में डर की लहरें पैदा कीं” ने अंतर्राष्ट्रीय रक्षा और भू-राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। यह घटनाक्रम भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति, ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की बदलती भूमिका को रेखांकित करता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, यह एक बहुआयामी विषय है जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा आधुनिकीकरण, भू-राजनीति, स्वदेशी रक्षा उत्पादन और सामरिक महत्व शामिल हैं।
INS विक्रांत: सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की सामरिक शक्ति का प्रतीक
INS विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमानवाहक पोत, भारतीय नौसेना के इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान INS विक्रांत, जिसे ‘विक्रांत’ (विजयी) के नाम से जाना जाता है, न केवल एक नौसैनिक प्लेटफार्म है, बल्कि यह भारत की इंजीनियरिंग क्षमता, तकनीकी कौशल और ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता का प्रमाण है।
“INS विक्रांत भारत की बढ़ती समुद्री शक्ति और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन का एक जीता-जागता प्रतीक है। यह न केवल हमारे नौसैनिकों के लिए एक गौरव का स्रोत है, बल्कि यह उन राष्ट्रों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है जो हमारे पड़ोस में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करते हैं।” – रक्षा विश्लेषक
INS विक्रांत के मुख्य बिंदु (Key Takeaways from INS Vikrant’s Induction):
- स्वदेशी निर्माण का गौरव: INS विक्रांत का निर्माण Cochin Shipyard Limited (CSL) द्वारा किया गया है। यह भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में लाता है जो अपनी विमानवाहक पोत का निर्माण स्वयं कर सकते हैं।
- रणनीतिक क्षमता में वृद्धि: यह पोत भारतीय नौसेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है, जिससे भारत एक ‘टू-फ्रंट वॉर’ (दो मोर्चों पर युद्ध) की स्थिति से निपटने में अधिक सक्षम हो जाता है।
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मूर्त रूप: इसके निर्माण में 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: यह भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को मजबूत करने में मदद करेगा।
- “समुद्री ड्रैगन” को चुनौती: चीन के बढ़ते समुद्री प्रभुत्व के बीच, INS विक्रांत भारत को एक महत्वपूर्ण प्रतिसंतुलन प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री का दिवाली सेलिब्रेशन: एक शक्तिशाली भू-राजनीतिक संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की INS विक्रांत पर दिवाली मनाना एक मात्र प्रतीकात्मक कार्य नहीं था। यह कई महत्वपूर्ण संदेशों को एक साथ संप्रेषित करता है:
- सैनिकों का मनोबल बढ़ाना: सीमा पर तैनात सैनिकों के साथ त्योहार मनाना हमेशा से ही भारतीय प्रधानमंत्रियों की परंपरा रही है। INS विक्रांत पर यह आयोजन नौसेना के जवानों के मनोबल को बढ़ाने और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका था।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: यह प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक महत्वपूर्ण रक्षा संपत्ति पर उत्सव मनाकर, उन्होंने देश की रक्षा तैयारियों पर जोर दिया।
- “पाकिस्तान को डर” का संदेश: जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, INS विक्रांत का पाकिस्तान में “डर की लहरें पैदा करना” भारत की सैन्य क्षमता में वृद्धि का सीधा संकेत है। यह पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है कि भारत अब समुद्री क्षेत्र में भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम है।
- क्षेत्रीय शक्ति का प्रदर्शन: यह पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए एक संदेश है कि भारत एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है और अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
INS विक्रांत: तकनीकी चमत्कार और क्षमताएं
INS विक्रांत कोई साधारण युद्धपोत नहीं है। यह अपने आप में एक तैरता हुआ शहर है, जो अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है:
- विमान संचालन क्षमता: यह लड़ाकू विमानों (जैसे मिग-29K), हेलीकॉप्टरों और विभिन्न अन्य एरियल प्लेटफार्मों को संचालित करने में सक्षम है। यह नौसेना को एक “शक्ति प्रक्षेपण” (Power Projection) क्षमता प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि भारत अपनी सीमाओं से दूर भी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन कर सकता है।
- डिजाइन और वास्तुकला: इसका डिजाइन उन्नत है, जो इसे समुद्री खतरों का सामना करने और लंबी दूरी तक संचालन करने में सक्षम बनाता है। इसमें एक “स्कि-जंप” (Ski-jump) भी है, जो लड़ाकू विमानों को टेक-ऑफ करने में मदद करता है।
- आत्मरक्षा प्रणालियाँ: इसमें उन्नत मिसाइलें, तोपें और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ शामिल हैं, जो इसे दुश्मन के हमलों से बचाव करने में सक्षम बनाती हैं।
- लॉजिस्टिक क्षमता: यह एक बड़े क्रू को लंबे समय तक बनाए रखने, ईंधन भरने और हथियार प्रणाली को बनाए रखने में सक्षम है।
“पाकिस्तान में डर की लहरें”: इसका सामरिक महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान केवल एक जुमला नहीं है, बल्कि इसके गंभीर सामरिक निहितार्थ हैं। आइए समझते हैं कि क्यों INS विक्रांत पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है:
- बढ़ी हुई निगरानी और मारक क्षमता: INS विक्रांत भारतीय नौसेना को अरब सागर में अपनी निगरानी और मारक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। यह पाकिस्तान के समुद्री ठिकानों और गतिविधियों पर अधिक प्रभावी ढंग से नजर रख सकता है।
- ‘टू-फ्रंट वॉर’ की तैयारी: पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव के अलावा, भारत को समुद्री मोर्चे पर भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है। INS विक्रांत की तैनाती इस मोर्चे पर भारत की क्षमता को मजबूत करती है, जिससे यह किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए बेहतर स्थिति में होता है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को चुनौती: पाकिस्तान, चीन के साथ अपने रणनीतिक गठबंधन के कारण, हमेशा से भारत की सैन्य क्षमता से असुरक्षित महसूस करता रहा है। INS विक्रांत जैसी एक बड़ी नौसैनिक संपत्ति का आगमन इस शक्ति संतुलन को और अधिक भारत के पक्ष में झुका देता है।
- आर्थिक गलियारों की सुरक्षा: भारत का व्यापार और अर्थव्यवस्था काफी हद तक समुद्री मार्गों पर निर्भर है। INS विक्रांत इन गलियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो पाकिस्तान जैसे देशों के लिए एक रणनीतिक चिंता का विषय हो सकता है जो समुद्री व्यापार को बाधित करने की क्षमता रखते हैं।
“आत्मनिर्भर भारत” और रक्षा उत्पादन: एक नई दिशा
INS विक्रांत की कहानी “आत्मनिर्भर भारत” पहल की सफलता की एक उत्कृष्ट मिसाल है। रक्षा क्षेत्र में, आत्मनिर्भरता का अर्थ है विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करना, अपने रक्षा उपकरणों का निर्माण स्वयं करना, और निर्यात के माध्यम से अपनी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना। INS विक्रांत के निर्माण ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण के लाभ:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: विदेशी हथियारों पर निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक जोखिम हो सकती है, खासकर संघर्ष की स्थिति में। स्वदेशी उत्पादन इस जोखिम को कम करता है।
- आर्थिक विकास: रक्षा उत्पादन से रोजगार सृजन होता है, नवाचार को बढ़ावा मिलता है और तकनीकी ज्ञान का विकास होता है।
- निर्यात क्षमता: भारत अब अपने रक्षा उपकरणों को अन्य देशों को निर्यात करने की क्षमता विकसित कर रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
- लागत प्रभावशीलता: लंबे समय में, स्वदेशी उत्पादन अक्सर आयातित रक्षा प्रणालियों की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकता है।
“INS विक्रांत का निर्माण न केवल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि है, बल्कि यह हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का खरीदार नहीं, बल्कि एक निर्माता और निर्यातक बनने की राह पर है।” – रक्षा मंत्रालय के अधिकारी
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
INS विक्रांत का सफल प्रक्षेपण एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन भारतीय नौसेना और रक्षा उत्पादन क्षेत्र के सामने अभी भी कई चुनौतियाँ हैं:
- रखरखाव और परिचालन लागत: विमानवाहक पोतों का रखरखाव और परिचालन अत्यंत महंगा होता है। इसके लिए कुशल कर्मियों, उन्नत बुनियादी ढांचे और पर्याप्त बजट की आवश्यकता होती है।
- तकनीकी उन्नयन: रक्षा प्रौद्योगिकी तेजी से बदल रही है। नौसेना को नवीनतम तकनीकों को अपनाने और अपने प्लेटफार्मों को अपग्रेड करने की निरंतर आवश्यकता होगी।
- हवाई बेड़े का आधुनिकीकरण: INS विक्रांत की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए, नौसेना को आधुनिक लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों के एक मजबूत बेड़े की आवश्यकता है।
- रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना: “मेक इन इंडिया” पहल को सफल बनाने के लिए, भारत को न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करना होगा, बल्कि एक प्रतिस्पर्धी रक्षा निर्यात बाजार भी विकसित करना होगा।
- भू-राजनीतिक परिदृश्य: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ जटिल संबंध, भारत के लिए एक निरंतर चुनौती बने रहेंगे।
भविष्य के लिए सुझाव:
- अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश बढ़ाना: भविष्य की प्रौद्योगिकियों में अग्रणी रहने के लिए R&D में अधिक निवेश की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत करना: रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को और बढ़ावा देना चाहिए ताकि नवाचार और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।
- कौशल विकास पर ध्यान: नौसेना और रक्षा उद्योग के लिए कुशल कर्मियों को प्रशिक्षित करने पर जोर देना चाहिए।
- रणनीतिक गठबंधन को मजबूत करना: मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग और गठबंधन को मजबूत करना, विशेषकर समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में, महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष
INS विक्रांत का लॉन्च और प्रधानमंत्री द्वारा उस पर दिवाली मनाना, भारत की बढ़ती राष्ट्रीय शक्ति का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है। यह न केवल पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह दुनिया को भारत की सैन्य क्षमता, तकनीकी प्रगति और ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति प्रतिबद्धता का संदेश भी देता है। भारतीय नौसेना, INS विक्रांत जैसे अत्याधुनिक प्लेटफार्मों के साथ, हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे भी भारत के हितों की रक्षा करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा आधुनिकीकरण, भू-राजनीतिक समीकरणों और भारत की उभरती हुई वैश्विक भूमिका को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रदान करता है। यह दिखाता है कि कैसे रक्षा क्षमताएं केवल सैन्य शक्ति का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव, आर्थिक विकास और कूटनीतिक प्रभाव का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमानवाहक पोत है।
- INS विक्रांत का निर्माण Cochin Shipyard Limited (CSL) द्वारा किया गया है।
- INS विक्रांत को “मेक इन इंडिया” पहल के तहत विकसित किया गया है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल A और B
(b) केवल B और C
(c) केवल A और C
(d) A, B और C
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन सत्य हैं। INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जिसका निर्माण CSL ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किया है। - प्रश्न 2: INS विक्रांत के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
(a) यह लड़ाकू विमानों को संचालित करने में सक्षम है।
(b) यह मुख्य रूप से एक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत है।
(c) इसमें उन्नत मिसाइलें और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ शामिल हैं।
(d) इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम पर रखा गया है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: INS विक्रांत एक विमानवाहक पोत है, न कि केवल एक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत। यह विभिन्न प्रकार के विमानों को संचालित करने में सक्षम है। - प्रश्न 3: “शक्ति प्रक्षेपण” (Power Projection) से क्या तात्पर्य है?
(a) किसी देश की अपनी सीमाओं के भीतर सैन्य शक्ति का प्रदर्शन।
(b) अपनी सीमाओं से दूर भी सैन्य शक्ति का उपयोग या प्रदर्शन करने की क्षमता।
(c) केवल नौसैनिक जहाजों की संख्या बढ़ाना।
(d) परमाणु हथियारों का विकास।
उत्तर: (b)
व्याख्या: शक्ति प्रक्षेपण का अर्थ है अपनी सीमाओं से बाहर भी अपनी सैन्य क्षमता का उपयोग या प्रदर्शन करने की क्षमता, जैसे विमानवाहक पोतों के माध्यम से। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था INS विक्रांत के निर्माण के लिए जिम्मेदार है?
(a) हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
(b) भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)
(c) Cochin Shipyard Limited (CSL)
(d) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
उत्तर: (c)
व्याख्या: INS विक्रांत का निर्माण Cochin Shipyard Limited (CSL) द्वारा किया गया है। - प्रश्न 5: “आत्मनिर्भर भारत” पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
(b) आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना।
(c) केवल सेवा क्षेत्र को मजबूत करना।
(d) निर्यात को पूरी तरह से बंद कर देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: “आत्मनिर्भर भारत” का उद्देश्य भारत को घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है। - प्रश्न 6: INS विक्रांत के स्वदेशीकरण के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा प्रतिशत सही दर्शाया गया है?
(a) 50% से अधिक
(b) 70% से अधिक
(c) 76% से अधिक
(d) 90% से अधिक
उत्तर: (c)
व्याख्या: INS विक्रांत के निर्माण में 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है। - प्रश्न 7: प्रधानमंत्री द्वारा INS विक्रांत पर दिवाली मनाना निम्नलिखित में से किस संदेश को संप्रेषित करता है?
- सैनिकों का मनोबल बढ़ाना
- राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
- क्षेत्रीय शक्ति का प्रदर्शन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल A और B
(b) केवल B और C
(c) केवल A और C
(d) A, B और C
उत्तर: (d)
व्याख्या: यह आयोजन सैनिकों के मनोबल, राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और क्षेत्रीय शक्ति प्रदर्शन, तीनों संदेशों को संप्रेषित करता है। - प्रश्न 8: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री शक्ति के संदर्भ में, INS विक्रांत का महत्व क्या है?
(a) यह चीन को सैन्य सहयोग का प्रस्ताव देता है।
(b) यह चीन के बढ़ते प्रभुत्व के लिए एक प्रतिसंतुलन प्रदान करता है।
(c) यह क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए केवल राजनयिक भूमिका निभाता है।
(d) इसका चीन की समुद्री शक्ति से कोई संबंध नहीं है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: INS विक्रांत भारत को चीन के बढ़ते समुद्री प्रभुत्व के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रतिसंतुलन प्रदान करता है। - प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन भारत की नौसैनिक शक्ति को “शक्ति प्रक्षेपण” (Power Projection) क्षमता प्रदान करता है?
(a) बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी
(b) स्वदेशी रूप से निर्मित विमानवाहक पोत
(c) लंबी दूरी की गश्ती नौकाएं
(d) तटीय निगरानी प्रणाली
उत्तर: (b)
व्याख्या: विमानवाहक पोत, जैसे INS विक्रांत, नौसेना को अपनी सीमाओं से दूर शक्ति प्रक्षेपण की क्षमता प्रदान करते हैं। - प्रश्न 10: रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण (Indigenization) का एक महत्वपूर्ण लाभ क्या है?
(a) विदेशी मुद्रा की लागत में वृद्धि
(b) विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता में वृद्धि
(c) राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना
(d) नवाचार को हतोत्साहित करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करके राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: INS विक्रांत का भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की बदलती भू-राजनीतिक भूमिका के संदर्भ में विस्तृत विश्लेषण करें। “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण से इसके महत्व पर प्रकाश डालें। (250 शब्द)
- प्रश्न 2: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा INS विक्रांत पर दिवाली मनाना केवल एक प्रतीकात्मक कार्य था या इसका कोई महत्वपूर्ण सामरिक और कूटनीतिक निहितार्थ था? इसके विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
- प्रश्न 3: रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण (Indigenization) की अवधारणा को समझाएं। INS विक्रांत के निर्माण को एक केस स्टडी के रूप में लेते हुए, भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में इस प्रयास के लाभों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करें। (250 शब्द)
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