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INS विक्रांत की दहाड़: भारतीय नौसेना की शक्ति और राष्ट्र सुरक्षा पर PM मोदी का दिवाली संदेश!

INS विक्रांत की दहाड़: भारतीय नौसेना की शक्ति और राष्ट्र सुरक्षा पर PM मोदी का दिवाली संदेश!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत, INS विक्रांत पर नौसेना के जवानों के साथ दिवाली मनाकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। इस अवसर पर, उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति नौसेना के समर्पण और INS विक्रांत जैसे अत्याधुनिक युद्धपोतों की क्षमता को रेखांकित किया। उनके शब्दों ने न केवल नौसेना के मनोबल को बढ़ाया, बल्कि पूरे देश को भारतीय रक्षा क्षमताओं पर गर्व करने का अवसर भी दिया। यह घटनाक्रम भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य पर इसके संभावित प्रभाव के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह ब्लॉग पोस्ट INS विक्रांत की क्षमताओं, भारतीय नौसेना के महत्व, प्रधान मंत्री के दिवाली संदेश के निहितार्थों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इस विषय के विभिन्न आयामों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

INS विक्रांत: एक “बड़ा कदम” जो “लहरें” पैदा करता है!

प्रधान मंत्री के शब्दों “INS Vikrant sent waves of fear across Pak” का सीधा अर्थ यह है कि INS विक्रांत की तैनाती ने पाकिस्तान में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि एक रणनीतिक वास्तविकता है। INS विक्रांत सिर्फ एक जहाज नहीं, बल्कि भारत की नौसैनिक महत्वाकांक्षाओं और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की क्षमता का प्रतीक है।

INS विक्रांत की मुख्य विशेषताएं और क्षमताएं:

  • पूर्णतः स्वदेशी: यह भारत में ही डिज़ाइन और निर्मित पहला विमान वाहक पोत है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा इसका निर्माण भारतीय रक्षा उद्योग की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर है।
  • आधुनिक लड़ाकू विमानों का संचालन: INS विक्रांत मिग-29K, LCA तेजस, और MH-60R बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टरों जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को संचालित करने में सक्षम है। यह इसे एक पूर्ण परिचालन क्षमता प्रदान करता है।
  • विस्तृत रेंज और तैनाती: यह हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) और उससे आगे तक भारतीय नौसेना की पहुंच का विस्तार करता है, जिससे भारत को अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने और अपने रणनीतिक हितों को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • कमांड और नियंत्रण केंद्र: यह एक मोबाइल समुद्री हवाई स्टेशन के रूप में कार्य करता है, जो नौसेना को दूरदराज के क्षेत्रों में संचालन की निगरानी और उन्हें नियंत्रित करने की क्षमता देता है।
  • रक्षा क्षमता का प्रवर्धन: INS विक्रांत भारतीय नौसेना की संयुक्त युद्ध क्षमता को बढ़ाता है, जिससे यह एक बहुआयामी खतरों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होता है।

“लहरें पैदा करना” क्यों?

पाकिस्तान के संदर्भ में, INS विक्रांत की तैनाती कई कारणों से चिंता का विषय है:

  • शक्ति संतुलन में बदलाव: भारत की नौसैनिक शक्ति में वृद्धि, विशेष रूप से एक ऐसे विमान वाहक पोत के साथ जो अपने ही देश में निर्मित हुआ है, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भारत के पक्ष में झुका सकता है।
  • प्रभुत्व का प्रदर्शन: एक विमान वाहक पोत समुद्र पर भारत की शक्ति और प्रभुत्व का एक दृश्य प्रदर्शन है, जो पड़ोसियों को भारत की सैन्य ताकत का अहसास कराता है।
  • रणनीतिक लचीलापन: INS विक्रांत भारत को अपनी नौसैनिक उपस्थिति को व्यापक रूप से तैनात करने की अनुमति देता है, जिससे यह किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में अधिक रणनीतिक लचीलापन प्राप्त करता है।
  • आर्थिक गलियारों की सुरक्षा: भारत के बढ़ते समुद्री व्यापार और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए INS विक्रांत एक महत्वपूर्ण संपत्ति है।

प्रधान मंत्री का दिवाली संदेश: नौसेना के लिए एक “शक्तिशाली” उत्सव

प्रधान मंत्री मोदी का नौसेना के साथ दिवाली मनाना एक प्रतीकात्मक कार्य था। यह केवल एक त्योहार का उत्सव नहीं था, बल्कि नौसेना के जवानों के बलिदान, समर्पण और राष्ट्र की सेवा के प्रति उनके संकल्प को स्वीकार करने का एक तरीका था।

मुख्य बातें (Key Takeaways):

  1. “राष्ट्र प्रथम” की भावना: प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि वे अग्रिम पंक्ति में तैनात उन लोगों के साथ दिवाली मनाना चाहते हैं जो देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, भले ही इसका मतलब अपने परिवारों से दूर रहना हो। यह “राष्ट्र प्रथम” की भावना को दर्शाता है।
  2. आत्मनिर्भरता का जश्न: INS विक्रांत पर दिवाली मनाना भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का जश्न मनाना भी था। यह दर्शाता है कि भारत अब अत्याधुनिक रक्षा उपकरण स्वयं बना सकता है।
  3. सामरिक महत्व पर जोर: प्रधान मंत्री ने INS विक्रांत जैसे युद्धपोतों के सामरिक महत्व को रेखांकित किया और नौसेना की “जवाबी कार्रवाई” (deterrence) क्षमता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
  4. जवानों का मनोबल बढ़ाना: अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के साथ व्यक्तिगत रूप से मिलकर त्योहार मनाना उनके मनोबल को बढ़ाने और उन्हें यह एहसास कराने का एक शक्तिशाली तरीका है कि पूरा देश उनके साथ है।
  5. “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का प्रदर्शन: यह आयोजन देश भर के विभिन्न क्षेत्रों से आए नौसेना के जवानों को एक साथ लाता है, जो “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को प्रदर्शित करता है।

प्रधान मंत्री ने कहा, “आज, जब पूरा देश दिवाली मना रहा है, मैं उन वीर जवानों के साथ यह पर्व मनाना चाहता हूं जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान हथेली पर रखते हैं।” यह कथन नौसेना के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

भारतीय नौसेना: “समुद्री प्रहरी” और इसकी भूमिका

भारतीय नौसेना, भारतीय सशस्त्र बलों का एक अभिन्न अंग है, जो देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा, समुद्री व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखने और राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है।

भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ:

  • क्षेत्रीय जलक्षेत्र की सुरक्षा: भारतीय नौसेना 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा की निगरानी करती है और समुद्री डकैती, तस्करी और अवैध मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों से निपटती है।
  • सामरिक निवारण (Strategic Deterrence): परमाणु हथियारों से लैस नौसेना की क्षमता, भारत को एक मजबूत सामरिक निवारक के रूप में स्थापित करती है।
  • मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): नौसेना अक्सर प्राकृतिक आपदाओं के समय त्वरित प्रतिक्रिया बल के रूप में कार्य करती है, जो विदेशी तटों पर फंसे भारतीयों को निकालने में भी सहायता करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत की नौसेना विभिन्न देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और मानवीय सहायता अभियानों में भाग लेती है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।
  • समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा: वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा समुद्री मार्ग से होता है। नौसेना इन मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
  • शक्ति प्रक्षेपण (Power Projection): INS विक्रांत जैसे प्लेटफार्मों के साथ, नौसेना अब हिंद महासागर क्षेत्र में और उससे आगे अपनी शक्ति का प्रभावी ढंग से प्रक्षेपण कर सकती है।

INS विक्रांत का समावेश नौसेना की इन भूमिकाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से निभाने की क्षमता को बढ़ाता है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

भूगोल: भारत की समुद्री सीमाएं, प्रमुख बंदरगाह, हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) का महत्व, समुद्री सुरक्षा।

रक्षा और सुरक्षा: भारतीय नौसेना की संरचना, प्रमुख युद्धपोत (INS विक्रांत, INS विक्रमादित्य), रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया, स्वदेशी रक्षा उत्पादन, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी: विमान वाहक पोत की तकनीक, मिग-29K, LCA तेजस, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)।

समसामयिक घटनाएँ: प्रधान मंत्री की यात्रा, महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे।

2. मुख्य परीक्षा (Mains)

सामान्य अध्ययन – I (भूगोल): “भारत की भू-सामरिक स्थिति और हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी भूमिका।”

सामान्य अध्ययन – II (शासन): “भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में नौसेना का महत्व और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की भूमिका।”

सामान्य अध्ययन – III (अर्थव्यवस्था और पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी): “रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: अवसर और चुनौतियाँ,” “भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी और मेक इन इंडिया पहल।”

निबंध (Essay): “भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति: अवसर और चुनौतियाँ,” “समुद्री सुरक्षा: राष्ट्रीय हितों की रक्षा में नौसेना की भूमिका।”

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: अवसर और चुनौतियाँ

INS विक्रांत का निर्माण भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यह राह आसान नहीं है।

अवसर:

  • आर्थिक विकास: स्वदेशी रक्षा उत्पादन से रक्षा उद्योग में रोजगार सृजन होता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
  • तकनीकी उन्नति: स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास से अन्य क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: आयात पर निर्भरता कम होने से भारत को अपनी रक्षा नीतियों में अधिक स्वायत्तता मिलती है।
  • निर्यात क्षमता: भारत रक्षा उपकरण का एक निर्यातक बन सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है।
  • पड़ोसी देशों पर प्रभाव: मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग पड़ोसियों को भारत की शक्ति का एहसास कराता है।

चुनौतियाँ:

  • उच्च लागत: स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का विकास और उत्पादन अक्सर महंगा होता है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच और उनका विकास एक बड़ी चुनौती है।
  • गुणवत्ता नियंत्रण: उच्च गुणवत्ता वाले और विश्वसनीय रक्षा उपकरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • नीतिगत बाधाएँ: नियामक मुद्दे, नौकरशाही की देरी और प्रभावी कार्यान्वयन की कमी चुनौतियाँ पेश कर सकती हैं।
  • प्रतिभा पलायन: कुशल इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को देश में बनाए रखना एक सतत चुनौती है।

क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति पर प्रभाव

INS विक्रांत की तैनाती का हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) और उससे आगे की भू-राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

  • चीन का प्रभाव: चीन IOR में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है। INS विक्रांत भारत की नौसैनिक क्षमताओं को मजबूत करके इस प्रभाव का मुकाबला करने में मदद करता है।
  • पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: जैसा कि प्रधान मंत्री ने कहा, पाकिस्तान की चिंताएं स्वाभाविक हैं। भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति उन्हें अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है।
  • मित्र देशों को आश्वासन: भारत की मजबूत नौसेना उसके मित्रों और सहयोगियों (जैसे मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स) को सुरक्षा का आश्वासन देती है।
  • समुद्री मार्गों का नियंत्रण: IOR में महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग हैं। भारत का एक मजबूत नौसैनिक बल इन मार्गों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
  • “सागर” (SAGAR) पहल: यह पहल (Security and Growth for All in the Region) भारत की समुद्री कूटनीति का हिस्सा है। INS विक्रांत इस पहल को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में सक्षम बनाता है।

भविष्य की राह: नौसेना का आधुनिकीकरण

INS विक्रांत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन भारतीय नौसेना को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए निरंतर आधुनिकीकरण की आवश्यकता है।

  • अधिक विमान वाहक पोत: दो विमान वाहक पोतों (INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत) के साथ, नौसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, लेकिन भविष्य में अधिक की आवश्यकता पर विचार किया जा सकता है।
  • उन्नत पनडुब्बी बेड़ा: पनडुब्बियां नौसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। परमाणु और डीजल-इलेक्ट्रिक दोनों तरह की उन्नत पनडुब्बियों का निर्माण जारी रखना महत्वपूर्ण है।
  • नई पीढ़ी के लड़ाकू विमान: नौसेना को भविष्य के युद्ध के मैदान के लिए अधिक उन्नत और स्वदेशी लड़ाकू विमानों की आवश्यकता होगी।
  • समुद्री निगरानी और खुफिया जानकारी: समुद्री क्षेत्र में प्रभावी उपस्थिति के लिए उन्नत निगरानी और खुफिया जानकारी प्रणालियों का विकास आवश्यक है।
  • साइबर सुरक्षा: आधुनिक युद्ध में साइबर सुरक्षा का महत्व बढ़ रहा है। नौसेना को अपनी साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना होगा।
  • मानव संसाधन विकास: नौसेना के लिए प्रशिक्षित और कुशल कर्मियों का एक निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

प्रधान मंत्री मोदी का INS विक्रांत पर दिवाली मनाना भारत की रक्षा शक्ति, नौसैनिक सामर्थ्य और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण क्षण था। INS विक्रांत सिर्फ एक पोत नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह घटनाक्रम पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए एक स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी सीमाओं और हितों की रक्षा करने में सक्षम है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा, भू-राजनीति, रक्षा उत्पादन और भारत की “समुद्री शक्ति” के रूप में विकसित होने के महत्व को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। “INS Vikrant sent waves of fear across Pak” यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना की बढ़ती शक्ति और इसके रणनीतिक निहितार्थों का एक शक्तिशाली सारांश है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. INS विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमान वाहक पोत है।
    2. इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया है।
    3. यह मिग-29K लड़ाकू विमानों का संचालन कर सकता है।
    उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: तीनों कथन INS विक्रांत के संबंध में सही हैं। यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत है, जिसका निर्माण CSL द्वारा किया गया है और यह मिग-29K लड़ाकू विमानों का संचालन करने में सक्षम है।
  2. प्रश्न: भारतीय नौसेना के संदर्भ में, “शक्ति प्रक्षेपण” (Power Projection) का क्या अर्थ है?
    (a) किसी देश की सैन्य शक्ति को सीमाओं के भीतर सीमित रखना।
    (b) किसी देश की नौसैनिक या हवाई शक्ति का उपयोग दूरस्थ क्षेत्रों में अपने हितों को साधने के लिए करना।
    (c) केवल नौसैनिक जहाजों की संख्या बढ़ाना।
    (d) किसी देश की रक्षा पर व्यय बढ़ाना।
    उत्तर: (b) किसी देश की नौसैनिक या हवाई शक्ति का उपयोग दूरस्थ क्षेत्रों में अपने हितों को साधने के लिए करना।
    व्याख्या: शक्ति प्रक्षेपण का तात्पर्य एक देश की सैन्य क्षमता का उपयोग अपनी भौगोलिक सीमाओं से परे, संभावित रूप से दूर के क्षेत्रों में, अपने रणनीतिक और भू-राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए करना है।
  3. प्रश्न: प्रधान मंत्री मोदी ने किस संदर्भ में “INS Vikrant sent waves of fear across Pak” कहा?
    (a) INS विक्रांत की क्षमता और तैनाती ने पाकिस्तान के लिए सुरक्षा चिंताएं उत्पन्न की हैं।
    (b) INS विक्रांत की निर्माण लागत बहुत अधिक थी।
    (c) INS विक्रांत का नाम पाकिस्तान के एक पुराने जहाज से प्रेरित था।
    (d) INS विक्रांत ने हाल ही में एक संयुक्त सैन्य अभ्यास में पाकिस्तान को हराया था।
    उत्तर: (a) INS विक्रांत की क्षमता और तैनाती ने पाकिस्तान के लिए सुरक्षा चिंताएं उत्पन्न की हैं।
    व्याख्या: प्रधान मंत्री का यह कथन भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति, विशेष रूप से INS विक्रांत जैसे अत्याधुनिक विमान वाहक पोत की तैनाती से उत्पन्न होने वाली क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है।
  4. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “सागर” (SAGAR) पहल के संबंध में सही है?
    (a) यह एक रक्षा खरीद योजना है।
    (b) यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और विकास के लिए भारत की पहल है।
    (c) यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है।
    (d) यह समुद्र तल पर तेल और गैस की खोज से संबंधित है।
    उत्तर: (b) यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और विकास के लिए भारत की पहल है।
    व्याख्या: SAGAR (Security and Growth for All in the Region) भारत की एक समुद्री कूटनीति पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सुरक्षा और विकास में साझेदारी पर केंद्रित है।
  5. प्रश्न: स्वदेशी रक्षा उत्पादन (Atmanirbhar Bharat) का एक प्रमुख लाभ क्या है?
    (a) आयात पर बढ़ती निर्भरता
    (b) रक्षा क्षेत्र में तकनीकी स्वायत्तता
    (c) रक्षा उपकरणों की उच्च लागत
    (d) अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अधिक निर्भरता
    उत्तर: (b) रक्षा क्षेत्र में तकनीकी स्वायत्तता
    व्याख्या: स्वदेशी रक्षा उत्पादन का मुख्य उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना और देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में स्वायत्तता हासिल करना है।
  6. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा लड़ाकू विमान INS विक्रांत पर तैनात किया जा सकता है?
    1. मिग-29K
    2. LCA तेजस
    3. राफेल
    (a) केवल 1
    (b) केवल 1 और 2
    (c) केवल 2 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (b) केवल 1 और 2
    व्याख्या: INS विक्रांत मिग-29K और LCA तेजस जैसे लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। राफेल को नौसेना संस्करण (राफेल-एम) में संचालित करने की योजना है, लेकिन यह मुख्य रूप से INS विक्रमादित्य पर तैनात किया गया है।
  7. प्रश्न: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की रणनीतिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन महत्वपूर्ण है?
    1. यह दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री व्यापार मार्गों में से एक है।
    2. यह ऊर्जा संसाधनों का एक प्रमुख स्रोत है।
    3. चीन अपनी समुद्री उपस्थिति बढ़ा रहा है।
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: हिंद महासागर क्षेत्र भू-सामरिक, आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और चीन की बढ़ती उपस्थिति इस क्षेत्र में भारत की भूमिका को और महत्वपूर्ण बनाती है।
  8. प्रश्न: भारतीय नौसेना की “सामरिक निवारण” (Strategic Deterrence) क्षमता से आप क्या समझते हैं?
    (a) किसी दुश्मन को हमला करने से रोकना, यह जानते हुए कि प्रतिक्रिया विनाशकारी होगी।
    (b) केवल सैन्य अभ्यास आयोजित करना।
    (c) हथियारों का केवल निर्यात करना।
    (d) तट की सुरक्षा करना।
    उत्तर: (a) किसी दुश्मन को हमला करने से रोकना, यह जानते हुए कि प्रतिक्रिया विनाशकारी होगी।
    व्याख्या: सामरिक निवारण का अर्थ है किसी संभावित विरोधी को बल प्रयोग करने से रोकना, यह विश्वास दिलाकर कि हमला करने पर उसे गंभीर या अस्वीकार्य नुकसान होगा।
  9. प्रश्न: प्रधान मंत्री ने नौसेना के जवानों के साथ दिवाली क्यों मनाई?
    1. जवानों के मनोबल को बढ़ाने के लिए।
    2. राष्ट्र की सेवा के प्रति उनके समर्पण को स्वीकार करने के लिए।
    3. INS विक्रांत जैसे स्वदेशी प्लेटफार्मों की उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए।
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: यह यात्रा जवानों के मनोबल को बढ़ाने, उनके बलिदान को स्वीकार करने और भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर का जश्न मनाने के लिए थी।
  10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय नौसेना की भूमिका का वर्णन करता है?
    1. भारत की तटरेखा की सुरक्षा।
    2. समुद्री व्यापार मार्गों को सुरक्षित रखना।
    3. मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) प्रदान करना।
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (d) 1, 2 और 3
    व्याख्या: ये सभी भारतीय नौसेना की मुख्य भूमिकाएँ हैं, जो राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा और वैश्विक सहयोग में योगदान करती हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: “INS विक्रांत की तैनाती ने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की बढ़ती नौसैनिक शक्ति के भू-राजनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण करें, जिसमें चीन और पाकिस्तान जैसे प्रमुख खिलाड़ियों के प्रति प्रतिक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।” (250 शब्द)
  2. प्रश्न: “भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में INS विक्रांत का निर्माण एक मील का पत्थर है। इस संदर्भ में, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के अवसरों और चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करें।” (250 शब्द)
  3. प्रश्न: “प्रधान मंत्री द्वारा नौसेना के साथ दिवाली मनाने के प्रतीकात्मक महत्व की चर्चा करें। यह आयोजन भारतीय सशस्त्र बलों के मनोबल, राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार को कैसे पुष्ट करता है?” (150 शब्द)
  4. प्रश्न: “भारतीय नौसेना राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक हितों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। INS विक्रांत जैसे आधुनिक प्लेटफार्मों को शामिल करने से नौसेना की क्षमताओं में क्या वृद्धि हुई है? भविष्य में नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए प्रमुख क्षेत्र कौन से होने चाहिए?” (250 शब्द)

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