From Islamabad to Pahalgam: Unraveling the Terror Command Chain
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को एक बार फिर चौकन्ना कर दिया है। इस हमले के बाद सामने आई शुरुआती खुफिया जानकारी और जांच रिपोर्टों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है: इस आतंकवादी कृत्य के पीछे पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व का सीधा हाथ था। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को इस हमले को अंजाम देने के लिए ‘निर्देश’ दिए थे। यह केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का संकेत है जो सीमा पार आतंकवाद की जड़ों को पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान से जोड़ती है। यह भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को समझने का एक और अवसर।
सीमा पार आतंकवाद का बढ़ता जाल: पाकिस्तान की ‘डीप स्टेट’ का अनावरण (Unveiling Pakistan’s ‘Deep State’: The Growing Web of Cross-Border Terrorism)
पहलगाम हमला कोई इकलौती घटना नहीं है। यह एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान एक राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के उपकरण के रूप में काम कर रहा है। ‘डीप स्टेट’ (Deep State) शब्द अक्सर उन देशों के संदर्भ में उपयोग होता है जहाँ सैन्य और खुफिया एजेंसियाँ चुनी हुई सरकार से परे एक समानांतर सत्ता चलाती हैं। पाकिस्तान के संदर्भ में, यह अवधारणा और भी प्रासंगिक हो जाती है, जहाँ सैन्य प्रतिष्ठान और उसकी खुफिया शाखा, ISI, देश की विदेश नीति, विशेष रूप से भारत के संबंध में, को गहराई से प्रभावित करती है और अक्सर नियंत्रित करती है।
‘डीप स्टेट’ क्या है और पाकिस्तान में इसकी भूमिका (What is ‘Deep State’ and its Role in Pakistan)?
‘डीप स्टेट’ से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जहाँ सरकार के भीतर स्थायी, गैर-निर्वाचित अधिकारी (जैसे सैन्य अधिकारी, खुफिया कर्मी, नौकरशाह) महत्वपूर्ण नीतियां और निर्णय लेते हैं, भले ही उनकी सीधे तौर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से कोई जवाबदेही न हो। पाकिस्तान में, सैन्य प्रतिष्ठान, खासकर ISI, ने हमेशा भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) लड़ने के लिए विभिन्न आतंकवादी संगठनों का पोषण और उपयोग किया है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिद्दीन (HM) जैसे संगठन इस नीति के प्रत्यक्ष उत्पाद हैं।
“एक ‘डीप स्टेट’ एक अदृश्य सरकार की तरह होती है, जो पर्दे के पीछे से वास्तविक सरकार के निर्णयों को प्रभावित करती है और कभी-कभी निर्देशित भी करती है।”
पहलगाम हमले में पाकिस्तानी राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की सीधी संलिप्तता का खुलासा यह दर्शाता है कि यह केवल कुछ ‘गैर-राज्य अभिकर्ताओं’ का कार्य नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था जिसे उच्चतम स्तर पर मंजूरी मिली थी। यह इस बात पर मुहर लगाता है कि आतंकवाद पाकिस्तान की विदेश नीति का एक अभिन्न अंग है, न कि केवल एक उप-उत्पाद।
आतंकवाद का इतिहास: पाकिस्तान-लश्कर-ए-तैयबा nexus (History of Terrorism: The Pakistan-LeT Nexus)
लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘पवित्रों की सेना’, पाकिस्तान में स्थित एक प्रमुख आतंकवादी संगठन है। इसे 1980 के दशक के अंत में हाफिज सईद द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर को भारत से “मुक्त” कराना और भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करना था। लश्कर को पाकिस्तानी सेना और ISI का लगातार समर्थन मिलता रहा है, जिससे यह भारत में कई बड़े हमलों को अंजाम दे पाया है।
लश्कर-ए-तैयबा द्वारा भारत में कुछ प्रमुख हमले:
- 2001 भारतीय संसद हमला: हालांकि इसमें LeT के साथ Jaish-e-Mohammed की भी भूमिका थी, लेकिन यह पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा भारतीय संप्रभुता पर एक बड़ा हमला था।
- 2008 मुंबई हमला (26/11): यह लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया सबसे भीषण और सुनियोजित हमला था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे, जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इस हमले में प्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तानी सरकार और ISI की संलिप्तता के सबूत सामने आए थे।
- 2016 उरी हमला: लश्कर-ए-तैयबा को इस हमले के पीछे भी जिम्मेदार माना गया, जिसमें भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हुए थे।
- जम्मू-कश्मीर में लगातार हमले: LeT नियमित रूप से कश्मीर घाटी में घुसपैठ, नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमलों में शामिल रहा है।
ये हमले सिर्फ हिंसा के कृत्य नहीं हैं; वे भारत को अस्थिर करने, आर्थिक विकास को बाधित करने और कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जीवित रखने की एक बड़ी पाकिस्तानी रणनीति का हिस्सा हैं। पहलगाम हमला इसी श्रृंखला की एक नई कड़ी है, जो यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अपनी नीति को बदलने को तैयार नहीं है, भले ही उसे अंतर्राष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा हो।
भारत के लिए निहितार्थ: चुनौतियाँ और प्रतिक्रियाएँ (Implications for India: Challenges and Responses)
पहलगाम जैसे हमले और उनमें पाकिस्तानी प्रतिष्ठान की सीधी संलिप्तता भारत के लिए कई गंभीर चुनौतियां खड़ी करती हैं:
- सुरक्षा चुनौती: सीमा पार घुसपैठ, जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी गतिविधियां, और अब ‘हाइब्रिड टेरर’ (Hybrid Terror) का उदय (जहाँ आतंकवादी छोटे हथियारों या आईईडी का उपयोग करके नागरिकों या नरम लक्ष्यों को निशाना बनाते हैं)।
- कूटनीतिक चुनौती: पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करना और उसे आतंकवाद के राज्य-प्रायोजक के रूप में घोषित करवाना एक कठिन कूटनीतिक कार्य है। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान का होना एक सफलता थी, लेकिन उसे ब्लैकलिस्ट कराना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- आर्थिक चुनौती: आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में निवेश और पर्यटन को बाधित करता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सामाजिक चुनौती: आतंकवाद समाज में विभाजन, डर और अस्थिरता पैदा करता है। युवाओं का कट्टरपंथीकरण और उन्हें हिंसा के लिए उकसाना एक गंभीर सामाजिक समस्या है।
- सामरिक चुनौती: ‘नो फर्स्ट यूज़’ (No First Use) परमाणु नीति वाले देश के रूप में, भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के सीमित विकल्प हैं, खासकर जब पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र हो। ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक’ जैसे कदम एक नए सामरिक सिद्धांत का हिस्सा बने हैं।
भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति (India’s Counter-Terrorism Strategy)
भारत ने सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है:
- सैन्य और सुरक्षा बल:
- कठोर सीमा प्रबंधन: सीमा पर बाड़, निगरानी प्रणालियों और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती से घुसपैठ को रोकना।
- खुफिया आधारित अभियान: सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर आतंकवादी ठिकानों और नेटवर्क को निशाना बनाना।
- आधुनिकीकरण: सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों, उपकरणों और प्रशिक्षण से लैस करना।
- सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक: 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपने ऊपर हुए हमलों का जवाब सीमा पार जाकर भी दे सकता है।
- कूटनीतिक पहल:
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करना: संयुक्त राष्ट्र, FATF, G20, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और अन्य वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान के राज्य-प्रायोजित आतंकवाद के सबूत पेश करना।
- FATF में दबाव: पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने और उसे ब्लैकलिस्ट कराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाना, ताकि उसकी वित्तीय स्रोतों को बंद किया जा सके।
- द्विपक्षीय संबंधों में सख्ती: पाकिस्तान के साथ तब तक कोई सार्थक बातचीत न करना, जब तक वह आतंकवाद पर लगाम न लगाए।
- कानूनी और विधायी उपाय:
- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA): आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करना। 2019 में इसमें संशोधन कर व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने का अधिकार दिया गया।
- धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA): आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Financing) को रोकने के लिए सख्त प्रावधान।
- सामुदायिक भागीदारी और डी-रेडिकलाइज़ेशन:
- जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आबादी को विकास प्रक्रियाओं में शामिल करना और कट्टरपंथीकरण को रोकना।
- युवाओं को मुख्यधारा में लाकर उन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और भारत की अपेक्षाएँ (Role of International Community and India’s Expectations)
आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है और इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है। भारत लगातार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मांग करता रहा है कि वह पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का दबाव बनाए।
- FATF का दबाव: FATF ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है क्योंकि वह आतंकवाद के वित्तपोषण और धनशोधन को रोकने में विफल रहा है। यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव डालता है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC): भारत ने विभिन्न पाकिस्तानी आतंकवादियों को UNSC की 1267 कमेटी के तहत वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में सफलता प्राप्त की है, जिससे उनकी यात्रा, हथियारों और धन तक पहुंच पर प्रतिबंध लग जाता है।
- द्विपक्षीय संबंध: अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया है, लेकिन पाकिस्तान पर निर्णायक कार्रवाई के लिए अभी भी अधिक मजबूत और एकीकृत अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
“आतंकवाद एक ऐसा राक्षस है जिसकी कोई सीमा नहीं होती। जब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस राक्षस को उसकी जड़ों से नहीं पहचानेगा और सामूहिक रूप से इसे कुचलने के लिए काम नहीं करेगा, तब तक कोई भी देश सुरक्षित नहीं है।”
भारत की अपेक्षा है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर अपनी आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए लगातार दबाव बनाए रखे और यह सुनिश्चित करे कि पाकिस्तान अपनी धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए न होने दे।
आगे की राह: स्थायी शांति और सुरक्षा की ओर (Way Forward: Towards Lasting Peace and Security)
पहलगाम जैसे हमलों को रोकने और दीर्घकालिक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत को एक बहुआयामी और गतिशील रणनीति जारी रखनी होगी:
- निरंतर खुफिया तंत्र सुदृढ़ीकरण: मानव खुफिया (Human Intelligence) और तकनीकी खुफिया (Technical Intelligence) दोनों को मजबूत करना ताकि आतंकवादी हमलों की योजना को शुरुआती चरण में ही विफल किया जा सके। ड्रोन और साइबर आतंकवाद जैसे नए खतरों से निपटने के लिए क्षमताओं का विकास।
- सीमा सुरक्षा में नवाचार: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करके सीमाओं पर वास्तविक समय की निगरानी। ‘स्मार्ट फेंसिंग’ और ‘इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम’ का पूर्ण कार्यान्वयन।
- कूटनीतिक आक्रामकता: पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार दबाव बनाना। उन देशों के साथ मजबूत गठबंधन बनाना जो आतंकवाद से पीड़ित हैं।
- आतंकवाद के वित्तपोषण पर नकेल: टेरर फंडिंग के स्रोतों को पूरी तरह से बंद करने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाना। मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला नेटवर्क को ध्वस्त करना।
- सामाजिक एकीकरण और विकास: जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आबादी, विशेषकर युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना। इससे कट्टरपंथी विचारधाराओं का प्रभाव कम होगा।
- साइबर सुरक्षा और नार्को-टेररिज्म का मुकाबला: ऑनलाइन कट्टरपंथीकरण और मादक पदार्थों की तस्करी (जो अक्सर आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़ी होती है) से निपटने के लिए विशेष रणनीतियाँ।
- कानूनी ढाँचे को मजबूत करना: UAPA जैसे कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना और यह सुनिश्चित करना कि न्यायपालिका आतंकवादियों को जल्द से जल्द दंडित करे।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह केवल सैन्य या कूटनीतिक प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आयाम भी शामिल हैं। पहलगाम हमला इस बात की दुखद याद दिलाता है कि पाकिस्तान अपनी राज्य-प्रायोजित आतंकवाद की नीति से पीछे नहीं हट रहा है। भारत को अपनी दृढ़ता बनाए रखनी होगी और एक मजबूत, एकीकृत रणनीति के साथ इस चुनौती का सामना करना होगा ताकि न केवल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता भी लाई जा सके।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)
- प्रश्न 1: ‘डीप स्टेट’ शब्द का सबसे अच्छा वर्णन क्या करता है?
(a) किसी देश के गुप्त जासूसी नेटवर्क का एक अनौपचारिक समूह।
(b) एक ऐसी स्थिति जहां स्थायी, गैर-निर्वाचित अधिकारी सरकार के निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
(c) एक भूमिगत आतंकवादी संगठन जो सरकार के खिलाफ काम करता है।
(d) एक लोकतांत्रिक देश में सैन्य अधिग्रहण।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘डीप स्टेट’ उन गैर-निर्वाचित अधिकारियों (जैसे सेना, खुफिया, नौकरशाही) के समूह को संदर्भित करता है जो सरकार के भीतर से महत्वपूर्ण नीतियों और निर्णयों को गुप्त रूप से प्रभावित करते हैं या नियंत्रित करते हैं। - प्रश्न 2: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के संस्थापक कौन थे?
(a) मसूद अजहर
(b) हाफिज सईद
(c) सैयद सलाहुद्दीन
(d) दाऊद इब्राहिम
उत्तर: (b)
व्याख्या: लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना 1980 के दशक के अंत में हाफिज सईद ने की थी। - प्रश्न 3: भारत में निम्नलिखित में से कौन सा अधिनियम आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Financing) से निपटने के लिए प्रमुख कानूनी ढांचा प्रदान करता है?
(a) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
(b) गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967
(c) धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980
उत्तर: (c)
व्याख्या: धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) आतंकवाद के वित्तपोषण और अवैध धनशोधन से निपटने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है। UAPA आतंकवादी गतिविधियों और संगठनों पर केंद्रित है, जिसमें वित्तपोषण के कुछ पहलू भी शामिल हैं, लेकिन PMLA विशेष रूप से धन शोधन को रोकता है। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा अंतर्राष्ट्रीय संगठन आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और देशों को ‘ग्रे लिस्ट’ या ‘ब्लैक लिस्ट’ में डाल सकता है?
(a) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(c) वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
(d) विश्व बैंक
उत्तर: (c)
व्याख्या: वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए नीतियां विकसित करता है। यह उन देशों को ‘ग्रे लिस्ट’ या ‘ब्लैक लिस्ट’ में डालता है जो इन क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति नहीं करते हैं। - प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस भारतीय शहर पर लश्कर-ए-तैयबा द्वारा 2008 में एक बड़ा आतंकवादी हमला किया गया था?
(a) दिल्ली
(b) बेंगलुरु
(c) मुंबई
(d) चेन्नई
उत्तर: (c)
व्याख्या: 26/11 मुंबई हमला लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया एक भीषण आतंकवादी हमला था। - प्रश्न 6: ‘हाइब्रिड टेरर’ (Hybrid Terror) शब्द हाल ही में जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में चर्चा में रहा है। इसका सबसे सटीक अर्थ क्या है?
(a) जिसमें आतंकवादी ड्रोन का उपयोग करते हैं।
(b) जिसमें आतंकवादी छोटे हथियार और ग्रेनेड का उपयोग करके नागरिकों या नरम लक्ष्यों पर हमला करते हैं, और उन्हें अक्सर स्थानीय “ओपन सोर्स” कैडर के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
(c) जिसमें आतंकवादी साइबर हमले और भौतिक हमले दोनों करते हैं।
(d) जिसमें कई आतंकवादी संगठन एक साथ मिलकर हमला करते हैं।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘हाइब्रिड टेरर’ उस रणनीति को संदर्भित करता है जहाँ आतंकवादी छोटे हथियारों, ग्रेनेड या आईईडी का उपयोग करके अचानक हमला करते हैं, अक्सर नागरिकों या आसानी से सुलभ लक्ष्यों को निशाना बनाते हैं, और वे अक्सर स्थानीय, पहले से अज्ञात या “ओवरग्राउंड” वर्कर होते हैं, जिससे उनका पता लगाना और ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। - प्रश्न 7: भारत में सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक किस नीतिगत बदलाव का संकेत देते हैं?
1. भारत अब सीमा पार जाकर आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है।
2. भारत ने अब ‘नो फर्स्ट यूज़’ परमाणु नीति को त्याग दिया है।
3. यह एक कूटनीतिक कदम था जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर लाना था।
4. यह भारत की रक्षात्मक सैन्य रणनीति में एक आक्रामक बदलाव को दर्शाता है।
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
व्याख्या: सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक ने स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया कि भारत आतंकवाद के स्रोत पर हमला करने में सक्षम है (1) और यह भारत की पहले की रक्षात्मक सैन्य रणनीति की तुलना में एक अधिक आक्रामक बदलाव (4) का संकेत है। भारत ने अपनी ‘नो फर्स्ट यूज़’ परमाणु नीति नहीं त्यागी है (2 गलत है)। ये मुख्य रूप से सैन्य-कूटनीतिक दबाव के लिए थे, न कि केवल बातचीत के लिए (3 पूर्णतः सही नहीं है)। - प्रश्न 8: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया है।
2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति व्यक्तियों और संस्थाओं को आतंकवादी सूची में डालती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
व्याख्या: UNSC की 1267 समिति व्यक्तियों और संस्थाओं को वैश्विक आतंकवादी सूची में डालती है, राष्ट्रों को नहीं (कथन 2 सही है)। पाकिस्तान को एक राष्ट्र के रूप में आतंकवादी घोषित नहीं किया गया है, बल्कि उसके कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं को 1267 समिति के तहत सूचीबद्ध किया गया है (कथन 1 गलत है)। - प्रश्न 9: पाकिस्तान के संदर्भ में ‘प्रॉक्सी वॉर’ (Proxy War) शब्द अक्सर किस संदर्भ में प्रयोग किया जाता है?
(a) आंतरिक राजनीतिक संघर्षों में बाहरी हस्तक्षेप।
(b) आतंकवादियों या गैर-राज्य अभिकर्ताओं का उपयोग करके दूसरे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना।
(c) आर्थिक प्रतिबंधों के माध्यम से दूसरे देश पर दबाव डालना।
(d) साइबर हमलों के माध्यम से शत्रु देश के बुनियादी ढांचे को बाधित करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रॉक्सी वॉर तब होता है जब एक राज्य सीधे दूसरे के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बजाय, आतंकवादी समूहों या अन्य गैर-राज्य अभिकर्ताओं का समर्थन करता है और उनका उपयोग अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ लड़ने के लिए करता है। - प्रश्न 10: गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 2019 में किए गए संशोधनों का प्राथमिक उद्देश्य क्या था?
(a) आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करना।
(b) आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित करने के लिए कठोर मानदंड निर्धारित करना।
(c) आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए समय सीमा को कम करना।
(d) आतंकवादियों के मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
उत्तर: (a)
व्याख्या: UAPA, 2019 संशोधन का एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह था कि इसने सरकार को व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने की शक्ति दी, न कि केवल संगठनों को।
मुख्य परीक्षा (Mains)
(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)
- “पहलगाम हमले में पाकिस्तानी ‘डीप स्टेट’ की कथित संलिप्तता भारत के लिए आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों को और बढ़ा देती है।” टिप्पणी कीजिए और भारत की बहुआयामी आतंकवाद विरोधी रणनीति का विस्तार से विश्लेषण कीजिए। (Approx. 250 words)
- सीमा पार आतंकवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। इस खतरे से निपटने के लिए भारत द्वारा अपनाए गए सैन्य, कूटनीतिक और विधायी उपायों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (Approx. 250 words)
- आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Financing) पर लगाम कसने में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की भूमिका की व्याख्या कीजिए। इस संदर्भ में, पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में रखने के क्या निहितार्थ हैं और भारत इस मंच का उपयोग अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए कैसे कर सकता है? (Approx. 200 words)
- “आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो सुरक्षा, कूटनीति और सामाजिक-आर्थिक विकास को एकीकृत करता हो।” इस कथन के प्रकाश में, भारत में सीमा पार आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिए भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा कीजिए। (Approx. 250 words)