ED का बड़ा खुलासा: जाली दस्तावेज़ों से ऋण धोखाधड़ी, BTPL MD और अनिल अंबानी की संयुक्त पूछताछ की ओर?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े ऋण धोखाधड़ी मामले में महत्वपूर्ण प्रगति का दावा किया है। सूत्रों के अनुसार, ED के पास ऐसे पुख्ता सबूत हैं जो BTPL (संभवतः किसी विशिष्ट कंपनी या समूह का संक्षिप्त रूप, जिसे मामले के संदर्भ में समझा जाएगा) के प्रबंधन और अनिल अंबानी जैसे प्रमुख व्यापारिक हस्तियों के संभावित जुड़ाव की ओर इशारा करते हैं। यह मामला जाली दस्तावेज़ों के इस्तेमाल और बैंकों से बड़े पैमाने पर ऋण प्राप्त करने से जुड़ा है, जिसकी जांच ED द्वारा की जा रही है। प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि BTPL के प्रबंध निदेशक (MD) और अनिल अंबानी को एक साथ बैठाकर पूछताछ की जा सकती है, जिससे मामले की गंभीरता और भी बढ़ जाती है। यह घटनाक्रम भारत में कॉर्पोरेट शासन, वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और नियामक निकायों की भूमिका पर एक बार फिर प्रकाश डालता है।
मामले की जड़ें: एक विस्तृत विश्लेषण (The Roots of the Case: A Detailed Analysis)
यह मामला, जिसकी गूंज वित्तीय बाजारों और कॉर्पोरेट गलियारों में सुनाई दे रही है, एक गहरी जड़ें जमा चुकी वित्तीय धोखाधड़ी की ओर इशारा करता है। सरल शब्दों में, यह तब होता है जब कोई व्यक्ति या संस्था ऋण प्राप्त करने के लिए झूठी या हेरफेर की गई जानकारी का उपयोग करता है। इस विशेष मामले में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जाली दस्तावेज़ों के इस्तेमाल को मुख्य साक्ष्य के रूप में पाया है। ये जाली दस्तावेज़ बैंक को यह विश्वास दिलाने के लिए बनाए गए होंगे कि ऋण लेने वाला पक्ष अधिक विश्वसनीय, संपदावान या ऋण चुकाने में सक्षम है, जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर हो सकती है।
मुख्य बिंदु जो इस मामले को महत्वपूर्ण बनाते हैं:
- जाली दस्तावेज़ों का उपयोग: यह सिर्फ कागज़ात का हेरफेर नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित आपराधिक कृत्य है जिसका उद्देश्य वित्तीय संस्थानों को धोखा देना है। इसमें बैलेंस शीट को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, झूठी आय के प्रमाण प्रस्तुत करना, या संपत्तियों का गलत मूल्यांकन शामिल हो सकता है।
- BTPL MD की भूमिका: BTPL (ब्लैकस्टोन ग्रुप जैसी कंपनियों के संदर्भ में) के प्रबंध निदेशक की संलिप्तता मामले को और जटिल बनाती है। MD के तौर पर, उनका कंपनी के वित्तीय मामलों पर सीधा नियंत्रण होता है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह धोखाधड़ी उनकी जानकारी या मिलीभगत से हुई।
- अनिल अंबानी का संभावित संबंध: अंबानी जैसे प्रमुख व्यापारिक नाम का इस मामले से संभावित जुड़ाव इसे राष्ट्रीय महत्व का बना देता है। यह वित्तीय प्रणाली में विश्वास और बड़े कॉर्पोरेट घरानों की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठाता है।
- ED की जांच: प्रवर्तन निदेशालय (ED) भारत में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) जैसे कानूनों को लागू करने वाली मुख्य एजेंसी है। उनकी जांच का दायरा वित्तीय अपराधों की गहराई और व्यापकता को दर्शाता है।
यह समझने के लिए कि यह सब कैसे काम करता है, आइए एक उपमा का प्रयोग करें। कल्पना कीजिए कि आप किसी से कर्ज लेना चाहते हैं, लेकिन आपके पास आय का कोई प्रमाण नहीं है। आप एक ऐसा नकली वेतन पर्ची बनाते हैं जो दिखाता है कि आप बहुत अधिक कमाते हैं, और एक नकली बैंक स्टेटमेंट जो दिखाता है कि आपके पास बहुत सारा पैसा है। जब आप यह नकली कागजात बैंक को देते हैं, तो बैंक आपको ऋण देने के लिए सहमत हो जाता है। यह मामला इसी तरह के, लेकिन कहीं अधिक बड़े और जटिल पैमाने पर हुआ होगा।
ED की कार्यप्रणाली और सबूत (ED’s Modus Operandi and Evidence)
प्रवर्तन निदेशालय (ED) का काम सिर्फ कागज़ात को खंगालना नहीं है, बल्कि यह पता लगाना है कि धन का प्रवाह कहाँ से हुआ, किन लोगों ने इसमें भूमिका निभाई, और क्या यह धन शोधन (money laundering) या अन्य वित्तीय अपराधों में प्रयुक्त हुआ। जाली दस्तावेज़ों का उपयोग ED के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि कुछ गंभीर गड़बड़ है।
ED आमतौर पर ऐसे मामलों में क्या करती है:
- धन का पता लगाना (Tracing Funds): ED यह पता लगाने की कोशिश करती है कि ऋण के रूप में प्राप्त धन का उपयोग कैसे किया गया। क्या इसका उपयोग वैध व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया, या इसे कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया, या व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग किया गया?
- दस्तावेज़ों का विश्लेषण: ED विशेषज्ञों की मदद से जाली दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता की जांच करती है। इसमें फॉरेंसिक ऑडिट और डिजिटल फोरेंसिक शामिल हो सकते हैं।
- जिरह और पूछताछ: ED गवाहों, संदिग्धों और प्रमुख व्यक्तियों से पूछताछ करती है। इस मामले में, BTPL MD और अनिल अंबानी से एक साथ पूछताछ का अर्थ है कि ED को उनके बयानों में विसंगतियों को पकड़ने या उन्हें सीधे आमने-सामने खड़ा करने की उम्मीद है।
- संपत्ति कुर्की: यदि ED को लगता है कि अवैध रूप से अर्जित धन या संपत्ति को छुपाया जा रहा है, तो वह PMLA के तहत उन संपत्तियों को जब्त कर सकती है।
ED के पास क्या सबूत हो सकते हैं?
- जाली दस्तावेज़: स्वयं जाली पाए गए वित्तीय विवरण, आय प्रमाण पत्र, या संपत्ति के स्वामित्व के कागज़ात।
- बैंक रिकॉर्ड: ऋण आवेदन, संवितरण (disbursement) और भुगतान से संबंधित बैंक के आंतरिक दस्तावेज़।
- ईमेल और संचार: ऋण प्रक्रिया के दौरान या उससे पहले हुए महत्वपूर्ण ईमेल, संदेश या अन्य डिजिटल संचार जो धोखे या मिलीभगत का संकेत देते हैं।
- गवाहों के बयान: कंपनी के पूर्व कर्मचारी, बैंक अधिकारी या अन्य व्यक्ति जिन्होंने इस प्रक्रिया में भाग लिया हो।
- कॉल रिकॉर्ड्स: प्रमुख व्यक्तियों के बीच बातचीत की पुष्टि करने वाले कॉल रिकॉर्ड्स।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ED द्वारा ‘सबूत’ का दावा केवल शुरुआती बिंदु होता है। मामले को अदालत में साबित करने के लिए इन सबूतों को हर कसौटी पर खरा उतरना होगा।
कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के प्रकार और इस मामले से संबंध (Types of Corporate Fraud and Their Relation to This Case)
कॉर्पोरेट जगत में धोखाधड़ी कई रूपों में हो सकती है। इस मामले में, कुछ प्रमुख प्रकारों पर विचार किया जा सकता है:
- वित्तीय विवरणों में हेरफेर (Financial Statement Fraud): इसमें कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को बेहतर दिखाने के लिए आय, व्यय, या संपत्तियों को झूठा दर्शाना शामिल है। जाली दस्तावेज़ अक्सर इसका एक हिस्सा होते हैं।
- संपत्ति का दुरुपयोग (Misappropriation of Assets): इसमें कंपनी के धन या संपत्तियों को अनधिकृत रूप से व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करना शामिल है, जैसे कि कंपनी के खातों से पैसे निकालना।
- भ्रष्टाचार (Corruption): इसमें रिश्वत, अनुचित लाभ या मिलीभगत शामिल हो सकती है। उदाहरण के लिए, ऋण को मंजूरी दिलाने के लिए किसी बैंक अधिकारी को रिश्वत देना।
- ऋण धोखाधड़ी (Loan Fraud): विशेष रूप से, यह ऋण प्राप्त करने के लिए जानबूझकर गलत या भ्रामक जानकारी प्रस्तुत करने का कार्य है।
इस मामले में, यह संभवतः ‘ऋण धोखाधड़ी’ और ‘वित्तीय विवरणों में हेरफेर’ का एक संयोजन है, जहां जाली दस्तावेज़ों का उपयोग ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया था।
“वित्तीय धोखाधड़ी केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह विश्वास का उल्लंघन है। जब बैंक और निवेशक किसी कंपनी पर भरोसा करते हैं, तो वे उन पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी की सटीकता पर भरोसा करते हैं। जाली दस्तावेज़ उस विश्वास को तोड़ते हैं।”
– एक काल्पनिक वित्तीय विश्लेषक
BTPL MD और अनिल अंबानी: दोनों की भूमिका पर प्रश्न (BTPL MD and Anil Ambani: Questions on Both Their Roles)
BTPL MD की संभावित भूमिका:
- आंतरिक नियंत्रण का उल्लंघन: एक MD के रूप में, उन पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि कंपनी के सभी वित्तीय कार्य कानूनों और नियमों के अनुसार हों। यदि जाली दस्तावेज़ बनाए या उपयोग किए गए, तो यह कंपनी के आंतरिक नियंत्रणों की घोर विफलता है।
- मिलीभगत का संदेह: क्या MD को इन जाली दस्तावेज़ों के बारे में पता था? क्या उन्होंने इन्हें मंजूरी दी? या क्या वे इस पूरी योजना के मुख्य कर्ता-धर्ता थे? ED इन सवालों के जवाब तलाश रही होगी।
- कंपनी की छवि पर प्रभाव: MD की संलिप्तता कंपनी की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे निवेशकों, ग्राहकों और अन्य हितधारकों का विश्वास कम हो सकता है।
अनिल अंबानी की संभावित भूमिका:
- शेयरधारक या निदेशक: यह समझना महत्वपूर्ण है कि क्या अनिल अंबानी BTPL के निदेशक, प्रमुख शेयरधारक, या किसी तरह से जुड़े हुए थे। उनका संबंध इस बात को निर्धारित करेगा कि उनसे किस स्तर की जवाबदेही की उम्मीद की जा सकती है।
- निर्णय लेने में प्रभाव: यदि उनका कंपनी के प्रमुख वित्तीय निर्णयों में प्रभाव था, तो ED यह जांच कर रही होगी कि क्या उन्होंने किसी भी तरह से जाली दस्तावेज़ों के उपयोग को प्रोत्साहित या अनुमोदित किया।
- जवाबदेही का सिद्धांत: कॉर्पोरेट कानून में, प्रमुख व्यक्तियों को कंपनी के कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है, खासकर यदि वे धोखाधड़ी या गलत कामों में संलिप्त पाए जाते हैं।
एक साथ पूछताछ का महत्व:
ED द्वारा दोनों को एक साथ बैठाकर पूछताछ करने का निर्णय एक रणनीतिक कदम हो सकता है। इसका उद्देश्य:
- बयानों का मिलान: उनके बयानों में विसंगतियों को उजागर करना।
- दबाव बनाना: एक-दूसरे के खिलाफ गवाही देने के लिए दबाव बनाना।
- सीधे प्रश्न पूछना: उन विशिष्ट बिंदुओं पर स्पष्टीकरण प्राप्त करना जहां दोनों की भूमिका स्पष्ट नहीं है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- अर्थव्यवस्था: बैंकिंग प्रणाली, ऋण, वित्तीय समावेशन, NPA (गैर-निष्पादित संपत्ति), वित्तीय धोखाधड़ी के प्रकार।
- शासन: ED, CBI, RBI जैसे नियामक निकायों की भूमिका, कानूनों (PMLA, FEMA, कंपनी अधिनियम), कॉर्पोरेट शासन।
- आंतरिक सुरक्षा: वित्तीय अपराधों का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव, काला धन, मनी लॉन्ड्रिंग।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-II (शासन और प्रशासन): विभिन्न नियामक एजेंसियों की भूमिका और सीमाएं, कानूनों का प्रभाव, जवाबदेही तंत्र।
- GS-III (अर्थव्यवस्था): भारतीय अर्थव्यवस्था में बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियाँ, वित्तीय धोखाधड़ी से निपटना, अर्थव्यवस्था पर कॉर्पोरेट घोटाले का प्रभाव, आर्थिक विकास के लिए सुरक्षित वित्तीय वातावरण का महत्व।
- GS-IV (नीतिशास्त्र): कॉर्पोरेट नैतिकता, सत्यनिष्ठा, सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही, विश्वास का महत्व।
वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने की चुनौतियाँ (Challenges in Tackling Financial Fraud)
भारत जैसे विकासशील देश में वित्तीय धोखाधड़ी से निपटना कई चुनौतियों से भरा है:
- जटिल वित्तीय संरचनाएँ: आज की दुनिया में, कॉर्पोरेट संरचनाएँ अत्यंत जटिल हो सकती हैं, जिनमें ऑफशोर कंपनियाँ और कई सहायक कंपनियाँ शामिल होती हैं, जिससे धन का पता लगाना कठिन हो जाता है।
- सबूत जुटाना: विशेष रूप से डिजिटल साक्ष्य को इकट्ठा करना और उसकी प्रामाणिकता साबित करना एक लंबी और तकनीकी प्रक्रिया हो सकती है।
- नियामक समन्वय: विभिन्न नियामक एजेंसियों (जैसे ED, SEBI, RBI, आयकर विभाग) के बीच प्रभावी समन्वय की कमी से जांच में बाधा आ सकती है।
- कानूनी प्रक्रिया में देरी: अदालती मामले वर्षों तक खिंच सकते हैं, जिससे न्याय मिलने में देरी होती है और अपराधियों को सजा मिलना मुश्किल हो जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यदि धन का हस्तांतरण विदेशों में हुआ है, तो संबंधित देशों के साथ सहयोग प्राप्त करना एक बड़ी बाधा हो सकती है।
- जागरूकता की कमी: आम जनता और छोटे निवेशकों में वित्तीय धोखाधड़ी के प्रति जागरूकता की कमी उन्हें ऐसे घोटालों का शिकार बना सकती है।
आगे की राह: क्या किया जाना चाहिए? (The Way Forward: What Needs to Be Done?)
इस तरह की घटनाओं को रोकने और भविष्य में होने वाले घोटालों को कम करने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
- नियामक ढांचे को मजबूत करना: कानूनों को सख्त बनाना और उन प्रावधानों को भरना जहाँ से धोखेबाज फायदा उठा सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग: धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकने के लिए उन्नत विश्लेषण, AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करना।
- अंतर्-एजेंसी समन्वय: विभिन्न वित्तीय नियामक और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना साझाकरण और सहयोग बढ़ाना।
- कॉर्पोरेट शासन में सुधार: कंपनियों के बोर्डों को अधिक स्वतंत्र और जवाबदेह बनाना, आंतरिक लेखा परीक्षा (internal audit) को मजबूत करना।
- पारदर्शिता बढ़ाना: सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के लिए वित्तीय रिपोर्टिंग में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- व्हिसिलब्लोअर सुरक्षा: उन कर्मचारियों या अंदरूनी सूत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जो धोखाधड़ी की रिपोर्ट करते हैं।
- डिजिटल साक्ष्य संरक्षण: डिजिटल साक्ष्य को सुरक्षित रूप से इकट्ठा करने और संरक्षित करने के लिए क्षमताओं को बढ़ाना।
यह मामला भारत में वित्तीय अखंडता और कॉर्पोरेट जवाबदेही के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। ED की जांच और उसके निष्कर्षों पर कड़ी नजर रखी जाएगी, क्योंकि यह न केवल BTPL और संबंधित व्यक्तियों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि देश के वित्तीय परिदृश्य में विश्वास को भी मजबूत करेगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: प्रवर्तन निदेशालय (ED) किस मंत्रालय के तहत काम करता है?
(a) वित्त मंत्रालय
(b) गृह मंत्रालय
(c) न्याय मंत्रालय
(d) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
उत्तर: (a) वित्त मंत्रालय
व्याख्या: ED वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग का हिस्सा है। यह PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) और FEMA (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) जैसे अधिनियमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा अधिनियम ED को जाली दस्तावेज़ों से संबंधित मामलों की जांच करने का अधिकार देता है?
(a) भारतीय दंड संहिता (IPC)
(b) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002
(c) कंपनी अधिनियम, 2013
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ED PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों की जांच करती है, जिसमें धोखाधड़ी से प्राप्त आय शामिल हो सकती है। IPC धोखाधड़ी से संबंधित आपराधिक कृत्य को परिभाषित करती है, और कंपनी अधिनियम कॉर्पोरेट धोखाधड़ी से संबंधित है। ED इन अधिनियमों के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर अपनी जांच कर सकती है। - प्रश्न: ‘जाली दस्तावेज़’ शब्द का क्या अर्थ है?
(a) ऐसे दस्तावेज़ जिनमें जानबूझकर गलत जानकारी दी गई हो
(b) ऐसे दस्तावेज़ जिनका कानूनी रूप से कोई मूल्य न हो
(c) ऐसे दस्तावेज़ जो मूल से अलग हों और धोखा देने के इरादे से बनाए गए हों
(d) ऐसे दस्तावेज़ जो हस्तलिखित हों
उत्तर: (c) ऐसे दस्तावेज़ जो मूल से अलग हों और धोखा देने के इरादे से बनाए गए हों
व्याख्या: जाली दस्तावेज़ वे होते हैं जिन्हें धोखा देने के इरादे से वास्तविक के रूप में प्रस्तुत करने के लिए बनाया या बदला जाता है। - प्रश्न: भारत में वित्तीय वर्ष (Financial Year) कब से कब तक चलता है?
(a) 1 जनवरी से 31 दिसंबर
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(c) 15 अगस्त से 14 अगस्त
(d) 1 अक्टूबर से 30 सितंबर
उत्तर: (b) 1 अप्रैल से 31 मार्च
व्याख्या: यह जानकारी वित्तीय विवरणों और रिपोर्टों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन भारत में वित्तीय क्षेत्र का नियामक नहीं है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
(c) बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)
(d) भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
उत्तर: (d) भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
व्याख्या: RBI, SEBI, और IRDAI क्रमशः बैंकिंग, प्रतिभूति बाजार और बीमा क्षेत्रों के नियामक हैं। SBI एक बैंक है, नियामक नहीं। - प्रश्न: ‘धन शोधन’ (Money Laundering) का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
(a) अपराध से प्राप्त आय को वैध बनाना
(b) बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज़ों का उपयोग करना
(c) शेयर बाजार में हेरफेर करना
(d) कर बचाना
उत्तर: (a) अपराध से प्राप्त आय को वैध बनाना
व्याख्या: मनी लॉन्ड्रिंग का मुख्य उद्देश्य अवैध स्रोतों से प्राप्त धन को इस प्रकार दिखाना है कि वह वैध लगे। - प्रश्न: किस कंपनी कानून के तहत, कंपनियों को अपनी वित्तीय रिपोर्टिंग में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए?
(a) कंपनी अधिनियम, 1956
(b) कंपनी अधिनियम, 2013
(c) भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932
(d) भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872
उत्तर: (b) कंपनी अधिनियम, 2013
व्याख्या: कंपनी अधिनियम, 2013 में कंपनियों के लिए सख्त अनुपालन और पारदर्शिता की आवश्यकताएं हैं। - प्रश्न: ‘NPA’ (Non-Performing Asset) का क्या अर्थ है?
(a) एक ऐसा ऋण जिसकी वसूली की उम्मीद नहीं है
(b) एक ऐसा ऋण जिसके ब्याज या मूलधन का भुगतान निर्धारित अवधि में नहीं हुआ है
(c) बैंक द्वारा दिया गया एक असुरक्षित ऋण
(d) किसी कंपनी द्वारा जारी किए गए स्टॉक
उत्तर: (b) एक ऐसा ऋण जिसके ब्याज या मूलधन का भुगतान निर्धारित अवधि में नहीं हुआ है
व्याख्या: NPA बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है जो उनकी परिसंपत्ति गुणवत्ता को दर्शाता है। - प्रश्न: कॉर्पोरेट शासन (Corporate Governance) से क्या तात्पर्य है?
(a) कंपनी के शेयरों का व्यापार
(b) कंपनी के प्रबंधन और संचालन के लिए नियम और प्रथाएं
(c) केवल कंपनी के लाभ को अधिकतम करना
(d) कर्मचारियों को काम पर रखना
उत्तर: (b) कंपनी के प्रबंधन और संचालन के लिए नियम और प्रथाएं
व्याख्या: कॉर्पोरेट शासन यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियां नैतिक और कानूनी रूप से संचालित हों, और सभी हितधारकों के प्रति जवाबदेह हों। - प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एजेंसी को भारत में विदेशी मुद्रा के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करने का अधिकार है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) प्रवर्तन निदेशालय (ED)
(c) वित्तीय खुफिया इकाई (FIU)
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर: (d) (a) और (b) दोनों
व्याख्या: RBI FEMA के तहत विदेशी मुद्रा के प्रबंधन और उल्लंघन से संबंधित मामलों को देखता है, जबकि ED PMLA और FEMA के तहत उल्लंघनों की जांच कर सकता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: वित्तीय धोखाधड़ी, विशेष रूप से जाली दस्तावेज़ों के उपयोग से जुड़ी, भारतीय बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। इस संदर्भ में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी एजेंसियों की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारत में वित्तीय अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ED को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और नियामक ढांचे को कैसे मजबूत किया जा सकता है? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न: ‘कॉर्पोरेट शासन’ (Corporate Governance) किसी भी कंपनी की दीर्घकालिक सफलता और सार्वजनिक विश्वास के लिए महत्वपूर्ण है। हालिया वित्तीय धोखाधड़ी के मामले, जिनमें जाली दस्तावेज़ों के उपयोग का आरोप है, कॉर्पोरेट शासन में कमियों को उजागर करते हैं। चर्चा करें कि कॉर्पोरेट शासन के सिद्धांत कैसे लागू किए जाने चाहिए ताकि इस तरह के घोटालों को रोका जा सके और भारतीय कॉर्पोरेट जगत में विश्वास बहाल हो सके। (200 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न: भारत में वित्तीय अपराधों से निपटने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का विश्लेषण करें। ED और अन्य संबंधित एजेंसियां ‘डिजिटल फुटप्रिंट’ और उन्नत विश्लेषिकी का उपयोग करके धोखाधड़ी का पता कैसे लगा सकती हैं? भविष्य में वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने और उसका पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग में क्या सुधार किए जा सकते हैं? (250 शब्द, 15 अंक)