ट्रम्प का ‘युद्ध समाप्त’ आह्वान: कंबोडिया, थाईलैंड और भारत-पाक संघर्ष की छाया?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कंबोडिया और थाईलैंड के बीच चल रहे तनाव का उल्लेख करते हुए, दोनों देशों से “युद्ध समाप्त” करने का आग्रह किया। इस संदर्भ में, उन्होंने अनजाने में भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक और वर्तमान संघर्षों का स्मरण कराया। यह बयान अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति, क्षेत्रीय स्थिरता, संघर्ष समाधान की रणनीतियों और ऐतिहासिक तुलनाओं के महत्व पर प्रकाश डालता है, जो विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें वैश्विक भू-राजनीति की जटिलताओं और विभिन्न क्षेत्रों में संघर्षों की समानांतरताओं को समझने का अवसर प्रदान करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करेगा, जिसमें ट्रम्प के बयान के निहितार्थ, कंबोडिया-थाईलैंड के बीच के तनाव के मूल कारण, भारत-पाकिस्तान संघर्ष के साथ इसकी समानताएं, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। हम UPSC के दृष्टिकोण से इस मुद्दे की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डालेंगे।
1. घटना का संदर्भ: ट्रम्प का आह्वान और कंबोडिया-थाईलैंड तनाव
डोनाल्ड ट्रम्प का बयान, भले ही एक विशिष्ट संदर्भ में दिया गया हो, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक अप्रत्याशित कड़ी को उजागर करता है। कंबोडिया और थाईलैंड, दोनों ही दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख देश हैं, जिनके बीच ऐतिहासिक रूप से सीमा विवाद, सांस्कृतिक मतभेद और राजनीतिक प्रभाव को लेकर तनाव रहा है। ये तनाव कभी-कभी प्रत्यक्ष संघर्ष में तो कभी कूटनीतिक खींचतान के रूप में सामने आते रहे हैं।
कंबोडिया-थाईलैंड के बीच तनाव के मुख्य बिंदु:
- प्रेह विहियर (Preah Vihear) मंदिर विवाद: यह विवाद दोनों देशों के बीच सबसे प्रमुख और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों में से एक है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, प्रेह विहियर मंदिर, कंबोडिया में स्थित है, लेकिन इसकी सीमा को लेकर थाईलैंड के साथ विवाद रहा है। इस मुद्दे ने दोनों देशों के बीच कई बार कूटनीतिक और सैन्य तनाव को जन्म दिया है।
- सीमांकन के मुद्दे: लंबी सीमा होने के कारण, दोनों देशों के बीच सीमांकन को लेकर भी समय-समय पर मतभेद उभरते रहे हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव: दोनों देशों की आंतरिक राजनीतिक स्थितियाँ भी कभी-कभी उनके द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करती हैं, जिससे तनाव बढ़ सकता है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: दक्षिण पूर्व एशिया में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और आर्थिक प्रभाव को लेकर भी प्रतिस्पर्धा मौजूद रहती है।
इस पृष्ठभूमि में, ट्रम्प का यह कहना कि यह स्थिति “भारत-पाक संघर्ष” की याद दिलाती है, विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करने वाला है। यह तुलना हमें उन सामान्यताओं और भिन्नताओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करती है जो विभिन्न क्षेत्रों के संघर्षों में मौजूद हो सकती हैं।
2. भारत-पाकिस्तान संघर्ष: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद से चला आ रहा है। यह संघर्ष मुख्य रूप से कश्मीर मुद्दे पर केंद्रित है, लेकिन इसके अलावा सीमा पार आतंकवाद, जल संसाधन, और क्षेत्रीय प्रभुत्व जैसे कई अन्य मुद्दे भी इसमें शामिल हैं।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के प्रमुख आयाम:
- कश्मीर: विभाजन के समय से ही जम्मू और कश्मीर रियासत का मुद्दा अनसुलझा रहा है, जिसने कई युद्धों और लगातार सैन्य झड़पों को जन्म दिया है।
- सीमा पार आतंकवाद: भारत लगातार पाकिस्तान पर अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है, जो शांति स्थापना में एक बड़ी बाधा है।
- सैन्यीकरण: दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, और उनके बीच सैन्य तनाव ने वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंताएं पैदा की हैं।
- कूटनीतिक संबंध: दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं, और बातचीत की प्रक्रिया बाधित होती रही है।
- ऐतिहासिक युद्ध: 1947-48, 1965, 1971 (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम), और 1999 (कारगिल युद्ध) जैसे बड़े सैन्य संघर्ष हो चुके हैं।
ट्रम्प द्वारा इस संघर्ष का उल्लेख करना यह दर्शाता है कि वे कंबोडिया-थाईलैंड के बीच तनाव को एक ऐसे जटिल, लंबे समय से चले आ रहे और संभावित रूप से खतरनाक मुद्दे के रूप में देख रहे हैं, जिसमें बाहरी हस्तक्षेप या मध्यस्थता की आवश्यकता हो सकती है।
3. ट्रम्प के बयान का विश्लेषण: तुलनात्मक भू-राजनीति
ट्रम्प का बयान दो अलग-अलग भू-राजनीतिक क्षेत्रों (दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया) के बीच एक तुलनीय धागा खोजने का प्रयास करता है। उनकी टिप्पणी के कई निहितार्थ हो सकते हैं:
- संघर्ष की पुनरावृत्ति: यह सुझाव कि यह “भारत-पाक संघर्ष” जैसा है, इस बात पर ज़ोर देता है कि यद्यपि संदर्भ अलग हैं, संघर्ष की मूल गतिशीलता – जैसे कि सीमा विवाद, राष्ट्रीय अस्मिता, ऐतिहासिक शिकायतें, और शक्ति का प्रदर्शन – सार्वभौमिक हो सकती है।
- मध्यस्थता का संकेत: यह भी संभव है कि ट्रम्प, एक पूर्व वैश्विक शक्ति के नेता के रूप में, इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए अपनी भूमिका या अमेरिकी मध्यस्थता का सुझाव दे रहे हों, जैसा कि उन्होंने अतीत में अन्य संघर्षों में किया है।
- कूटनीतिक रणनीति: कभी-कभी, एक प्रसिद्ध और जटिल संघर्ष का उल्लेख करके, एक नेता किसी समस्या की गंभीरता को उजागर कर सकता है और संबंधित पक्षों पर ध्यान आकर्षित कर सकता है।
कंबोडिया-थाईलैंड बनाम भारत-पाकिस्तान: समान्ताएँ और भिन्नताएँ
समानताएँ:
- सीमा विवाद: दोनों ही मामलों में, सीमाएँ ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक जटिलताओं से घिरी हुई हैं।
- राष्ट्रवाद और अस्मिता: दोनों क्षेत्रों में, संघर्ष अक्सर राष्ट्रीय पहचान और संप्रभुता की गहरी भावनाओं से जुड़े होते हैं।
- ऐतिहासिक शिकायतें: उपनिवेशवाद, विभाजन, या क्षेत्रीय युद्धों से उत्पन्न ऐतिहासिक शिकायतें वर्तमान तनावों को बढ़ावा दे सकती हैं।
- सैन्यीकरण: दोनों ही क्षेत्रों में, सीमाओं पर सैन्य उपस्थिति और हथियारों का जमावड़ा तनाव को बढ़ाता है।
भिन्नताएँ:
- परमाणु क्षमता: भारत और पाकिस्तान परमाणु शक्तियाँ हैं, जो उनके संघर्ष को कंबोडिया-थाईलैंड के मामले से कहीं अधिक खतरनाक बनाती है।
- संघर्ष की तीव्रता: भारत-पाकिस्तान संघर्ष में कई बड़े युद्ध शामिल रहे हैं, जबकि कंबोडिया-थाईलैंड का तनाव मुख्य रूप से सीमा पर झड़पों और कूटनीतिक विवादों तक सीमित रहा है।
- क्षेत्रीय संगठन: दक्षिण पूर्व एशिया में आसियान (ASEAN) जैसे क्षेत्रीय संगठन हैं जो शांति और सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं, जबकि दक्षिण एशिया में सार्क (SAARC) जैसे संगठन राजनीतिक बाधाओं के कारण उतने प्रभावी नहीं रहे हैं।
- वैश्विक आयाम: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव कहीं अधिक व्यापक हैं, जिसमें प्रमुख विश्व शक्तियों की भूमिका भी शामिल है।
“अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में, विभिन्न संघर्षों के बीच समानताएँ खोजना और उनका उपयोग शांति स्थापित करने के प्रयासों को बल देने के लिए करना एक आम कूटनीतिक रणनीति हो सकती है। हालाँकि, प्रत्येक संघर्ष की अपनी अनूठी पृष्ठभूमि और गतिशीलता होती है, जिसे समझना महत्वपूर्ण है।”
4. UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है:
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS-II):
- वैश्विक भू-राजनीति और शक्ति संतुलन।
- क्षेत्रीय संगठन (आसियान, सार्क) और उनकी प्रभावशीलता।
- संघर्ष समाधान की तंत्र और मध्यस्थता की भूमिका।
- प्रमुख देशों की विदेश नीति और उनके हित।
- भारत के पड़ोसियों के साथ संबंध (विशेषकर दक्षिण पूर्व एशिया)।
- भूगोल (GS-I):
- सीमा विवाद और उनका भौगोलिक प्रभाव।
- सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र।
- आंतरिक सुरक्षा (GS-III):
- सीमा प्रबंधन और सीमा पार मुद्दे।
- क्षेत्रीय अस्थिरता का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव।
- निबंध (Essay):
- “अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों की सार्वभौमिकता और विशिष्टता”।
- “भू-राजनीति में शक्ति, राष्ट्रवाद और शांति की खोज”।
- समसामयिक मामले:
- वैश्विक नेताओं के बयान और उनके निहितार्थ।
- वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का ऐतिहासिक संदर्भों से जुड़ाव।
UPSC उम्मीदवार इस घटना का उपयोग यह प्रदर्शित करने के लिए कर सकते हैं कि वे कैसे जटिल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को तोड़कर उनके विभिन्न पहलुओं (ऐतिहासिक, राजनीतिक, भौगोलिक, कूटनीतिक) का विश्लेषण कर सकते हैं।
5. कंबोडिया-थाईलैंड के तनाव को हल करने की राह
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच स्थायी शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए, कई कदम उठाए जा सकते हैं:
- कूटनीतिक संवाद: दोनों देशों के नेताओं को निरंतर और ईमानदार कूटनीतिक बातचीत में संलग्न होना चाहिए।
- सीमांकन का समाधान: संयुक्त सीमा आयोगों के माध्यम से सीमांकन के मुद्दों को द्विपक्षीय या बहुपक्षीय (जैसे आसियान की देखरेख में) तरीके से हल किया जाना चाहिए।
- आसियान की भूमिका: आसियान को दोनों देशों के बीच मध्यस्थता और विश्वास-निर्माण उपायों को बढ़ावा देने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान: लोगों के बीच समझ और सद्भावना बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन: संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सम्मान संघर्ष समाधान का आधार बनना चाहिए।
भारत के लिए सीख:
भारत, जिसके अपने पड़ोसियों के साथ सीमा संबंधी मुद्दे हैं, कंबोडिया-थाईलैंड के मामले से सीख ले सकता है कि कैसे इन मुद्दों को शांतिपूर्ण और कूटनीतिक ढंग से हल किया जा सकता है, भले ही ऐतिहासिक जटिलताएं हों।
6. चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
इस संदर्भ में कई चुनौतियाँ हैं:
- राष्ट्रीय हित: दोनों देशों के राष्ट्रीय हित और सुरक्षा चिंताएँ अक्सर सहयोग में बाधा डाल सकती हैं।
- ऐतिहासिक अविश्वास: लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों के कारण दोनों देशों के बीच एक स्वाभाविक अविश्वास मौजूद है।
- बाहरी प्रभाव: बड़ी शक्तियाँ या अन्य हितधारक क्षेत्रीय गतिशीलता को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे समस्याएँ और बढ़ सकती हैं।
- डोनाल्ड ट्रम्प के बयान का प्रभाव: इस बात पर निर्भर करेगा कि कंबोडिया और थाईलैंड इस बयान को किस तरह लेते हैं – क्या यह शांति के लिए एक उत्प्रेरक बनता है या इसे एक गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी के रूप में खारिज कर दिया जाता है।
भविष्य में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दोनों देशों के बीच स्थायी शांति को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक और कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों के बीच तनाव को हल करने में सफलता, दक्षिण पूर्व एशिया की समग्र स्थिरता और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होगी, और यह विश्व के अन्य संघर्षरत क्षेत्रों के लिए एक सकारात्मक मिसाल कायम कर सकती है।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि भू-राजनीति एक सतत विकसित होने वाला क्षेत्र है, जहाँ विभिन्न क्षेत्रों के मुद्दे अप्रत्याशित तरीकों से जुड़ सकते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, ऐसे घटनाओं का विश्लेषण करने की क्षमता, विभिन्न दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कंबोडिया और थाईलैंड को ‘युद्ध समाप्त’ करने का आह्वान किया। उन्होंने इस स्थिति की तुलना किससे की?
a) चीन-ताइवान संघर्ष
b) भारत-पाकिस्तान संघर्ष
c) रूस-यूक्रेन युद्ध
d) इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष
उत्तर: b) भारत-पाकिस्तान संघर्ष
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प ने सीधे तौर पर कंबोडिया-थाईलैंड के तनाव की तुलना भारत-पाकिस्तान संघर्ष से की थी।
2. कंबोडिया और थाईलैंड के बीच ऐतिहासिक रूप से विवाद का एक प्रमुख बिंदु क्या रहा है?
a) मकांग नदी का जल बंटवारा
b) प्रेह विहियर मंदिर का स्वामित्व
c) समुद्री सीमा पर मछली पकड़ने के अधिकार
d) राजनीतिक शासन प्रणाली में भिन्नता
उत्तर: b) प्रेह विहियर मंदिर का स्वामित्व
व्याख्या: प्रेह विहियर मंदिर को लेकर दोनों देशों के बीच एक लंबा और जटिल विवाद रहा है, जो सीमा विवाद से जुड़ा है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा आसियान (ASEAN) का सदस्य देश है?
a) भारत
b) चीन
c) थाईलैंड
d) बांग्लादेश
उत्तर: c) थाईलैंड
व्याख्या: आसियान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसमें थाईलैंड एक प्रमुख सदस्य है। भारत और चीन इसके सदस्य नहीं हैं।
4. भारत-पाकिस्तान संघर्ष का मुख्य मुद्दा क्या है?
a) आर्थिक सहयोग का अभाव
b) कश्मीर का विवादित क्षेत्र
c) सांस्कृतिक पहचान का टकराव
d) दोनों देशों के बीच भौगोलिक दूरी
उत्तर: b) कश्मीर का विवादित क्षेत्र
व्याख्या: कश्मीर का मुद्दा विभाजन के समय से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का मुख्य कारण रहा है।
5. ‘सार्क’ (SAARC) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
a) यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन है।
b) इसका गठन शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लेकिन यह राजनीतिक बाधाओं से ग्रस्त रहा है।
c) यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक सफल शांति पहल का मुख्य मंच रहा है।
d) इसके सभी सदस्य देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं।
उत्तर: b) इसका गठन शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था, लेकिन यह राजनीतिक बाधाओं से ग्रस्त रहा है।
व्याख्या: सार्क दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन है, और इसके सदस्य देशों के बीच राजनीतिक मतभेदों के कारण इसकी प्रभावशीलता सीमित रही है।
6. निम्नलिखित में से किस घटना का उल्लेख डोनाल्ड ट्रम्प ने कंबोडिया-थाईलैंड के तनाव की तुलना करते समय किया था?
a) 1971 का भारत-पाक युद्ध
b) कारगिल संघर्ष
c) भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष के समग्र संदर्भ का उल्लेख किया, जिसमें सीमा विवाद, युद्ध और राजनीतिक तनाव के विभिन्न पहलू शामिल हैं।
7. कूटनीति में ‘विश्वास-निर्माण उपाय’ (Confidence-Building Measures – CBMs) का क्या उद्देश्य होता है?
a) सैन्य संघर्ष को तत्काल शुरू करना
b) दोनों पक्षों के बीच अविश्वास को कम करना और सहयोग को बढ़ावा देना
c) एकतरफा आर्थिक प्रतिबंध लगाना
d) अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग को ठुकराना
उत्तर: b) दोनों पक्षों के बीच अविश्वास को कम करना और सहयोग को बढ़ावा देना
व्याख्या: CBMs का उद्देश्य प्रतिद्वंद्वियों के बीच खुलेपन, पारदर्शिता और संवाद को बढ़ाकर अविश्वास को दूर करना है।
8. भारत का अपने पड़ोसियों के साथ सीमा विवादों का समाधान करने में मुख्य चुनौती क्या रही है?
a) अपर्याप्त भूवैज्ञानिक डेटा
b) राष्ट्रीय संप्रभुता की भावना और ऐतिहासिक शिकायतें
c) सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य उपस्थिति की कमी
d) अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की अपर्याप्त समझ
उत्तर: b) राष्ट्रीय संप्रभुता की भावना और ऐतिहासिक शिकायतें
व्याख्या: सीमा विवादों का समाधान अक्सर राष्ट्रवाद, ऐतिहासिक दावों और सुरक्षा चिंताओं के जटिल जाल में फंस जाता है।
9. दक्षिण पूर्व एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने में आसियान (ASEAN) की भूमिका के बारे में कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?
a) आसियान ने हमेशा अपने सदस्यों के बीच सभी विवादों को सफलतापूर्वक हल किया है।
b) आसियान सदस्य देशों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक मंच प्रदान करता है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सदस्य राज्यों की राजनीतिक इच्छा पर निर्भर करती है।
c) आसियान मुख्य रूप से एक आर्थिक संघ है और इसका क्षेत्रीय सुरक्षा में कोई भूमिका नहीं है।
d) आसियान को क्षेत्रीय विवादों में सीधे सैन्य हस्तक्षेप का अधिकार है।
उत्तर: b) आसियान सदस्य देशों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक मंच प्रदान करता है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सदस्य राज्यों की राजनीतिक इच्छा पर निर्भर करती है।
व्याख्या: आसियान एक संवाद मंच है जो सहयोग को प्रोत्साहित करता है, लेकिन यह सदस्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है और सीधे हस्तक्षेप से बचता है।
10. किसी संघर्ष की गंभीरता को रेखांकित करने के लिए, एक नेता अक्सर किस रणनीति का उपयोग कर सकता है?
a) किसी अन्य प्रसिद्ध और जटिल संघर्ष का संदर्भ देना
b) संघर्ष को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से छिपाना
c) समस्या को कम करके आंकना
d) सभी कूटनीतिक चैनलों को बंद कर देना
उत्तर: a) किसी अन्य प्रसिद्ध और जटिल संघर्ष का संदर्भ देना
व्याख्या: किसी ज्ञात, गंभीर संघर्ष का हवाला देकर, एक नेता किसी स्थिति की गंभीरता और संभावित खतरों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित कर सकता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कंबोडिया-थाईलैंड तनाव की भारत-पाकिस्तान संघर्ष से तुलना का विश्लेषण करें। इस तुलना की प्रासंगिकता और सीमाओं पर प्रकाश डालते हुए, वैश्विक भू-राजनीति में संघर्ष समाधान के लिए साझा रणनीतियों के महत्व पर चर्चा करें। (250 शब्द)
2. सीमा विवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करते हैं। कंबोडिया-थाईलैंड और भारत-पाकिस्तान के मामलों का संदर्भ लेते हुए, इन विवादों को हल करने में कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय कानून और क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
3. “राष्ट्रवाद, ऐतिहासिक शिकायतें और राष्ट्रीय हित अक्सर सीमा विवादों को जटिल बनाते हैं, जिससे उनके शांतिपूर्ण समाधान में बाधा आती है।” इस कथन की पुष्टि में कंबोडिया-थाईलैंड और भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनावों के विशिष्ट उदाहरणों का उपयोग करें। (150 शब्द)
4. वैश्विक नेताओं के बयान अक्सर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के कंबोडिया-थाईलैंड पर दिए गए बयान के आलोक में, ऐसे बयानों के संभावित प्रभाव और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में उनकी भूमिका का विश्लेषण करें। (150 शब्द)
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