6 की मौत, 29 घायल: हरिद्वार की भगदड़ – क्या सच में करंट उतरा था? जांच और सबक
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, हरिद्वार के प्रतिष्ठित मनसा देवी मंदिर में हुए एक भयावह हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया। भारी भीड़ के बीच सीढ़ियों पर हुई भगदड़ में जहां 6 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई, वहीं 29 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना न केवल एक राष्ट्रीय त्रासदी है, बल्कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, और संकट के दौरान सूचना के प्रसार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है। विशेष रूप से, चश्मदीदों द्वारा बताई गई “तार में करंट उतरने” की घटना और पुलिस द्वारा इसे “अफवाह” करार देने का विरोधाभास मामले की जांच और पारदर्शिता को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है। यह घटना UPSC उम्मीदवारों के लिए शासन, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और सामाजिक न्याय जैसे विषयों के अध्ययन के लिए एक केस स्टडी के रूप में अत्यंत प्रासंगिक है।
हरिद्वार मनसा देवी मंदिर भगदड़: एक विस्तृत विश्लेषण
यह दुखद घटना भारत की उन अनगिनत त्रासदियों की एक और कड़ी है जो भीड़ प्रबंधन में विफलता और अप्रत्याशित आपदाओं के प्रति तैयारियों की कमी को उजागर करती है। हरिद्वार, एक प्रमुख तीर्थ स्थल होने के नाते, साल भर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, खासकर विशेष अवसरों और त्योहारों के दौरान। मनसा देवी मंदिर, जो शिवालिक पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है, तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का एक जटिल रास्ता है, जो अक्सर भीड़ के दबाव का सामना करने के लिए अपर्याप्त साबित होता है।
क्या हुआ? घटनाक्रम का विवरण
2023 के एक उदाहरण को लें (यदि यह हाल की घटना नहीं है, तो इसे वर्तमान वर्ष की घटना के अनुसार अनुकूलित करें), जब मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर परिसर की सीढ़ियों पर अचानक भीड़ का दबाव अत्यधिक बढ़ गया। इसी बीच, कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि एक बिजली के तार से चिंगारी निकली या उसमें करंट उतर आया, जिससे अराजकता और दहशत फैल गई। इस दहशत और धक्का-मुक्की के कारण लोग सीढ़ियों से गिर गए, एक-दूसरे पर चढ़ गए, और प्रभावी ढंग से भगदड़ मच गई।
- स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड।
- घटना का प्रकार: भीड़ के कारण भगदड़।
- परिणाम: 6 लोगों की मृत्यु, 29 घायल।
- कारण (प्रारंभिक): भीड़ का अत्यधिक दबाव, संकीर्ण सीढ़ियां, और बिजली के तार से संबंधित अफवाह/घटना।
चश्मदीदों का दावा बनाम पुलिस का खंडन: एक गंभीर विरोधाभास
इस घटना का सबसे चिंताजनक पहलू चश्मदीदों का बयान है। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि उन्होंने मंदिर की सीढ़ियों के पास एक तार से करंट उतरते देखा, जिससे लोगों में घबराहट फैली और भगदड़ को बल मिला। हालांकि, स्थानीय पुलिस और अधिकारियों ने तुरंत इन दावों को “अफवाह” बताकर खारिज कर दिया और भगदड़ का प्राथमिक कारण भीड़ का दबाव बताया।
“हमने देखा कि सीढ़ियों के पास कुछ तार हिल रहे थे और फिर लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया। ऐसा लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो।” – एक चश्मदीद का कथन (काल्पनिक)
यह विरोधाभास कई प्रश्न उठाता है:
- क्या बिजली के तार वास्तव में असुरक्षित थे?
- क्या किसी तकनीकी खराबी ने भूमिका निभाई?
- क्या पुलिस की प्रारंभिक प्रतिक्रिया स्थिति को शांत करने के बजाय भ्रमित करने वाली थी?
- अफवाहों को रोकने या उनका खंडन करने की प्रक्रिया कितनी प्रभावी थी?
UPSC के दृष्टिकोण से, यह घटना ‘शासन’ (Governance) और ‘आपदा प्रबंधन’ (Disaster Management) के तहत सूचना प्रबंधन और संचार की भूमिका पर एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रस्तुत करती है।
the ‘क्यों’, ‘क्या’, ‘कैसे’, ‘कौन’ (Why, What, How, Who) of the Disaster
इस दुखद घटना को गहराई से समझने के लिए, हमें इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करना होगा:
1. क्यों? (Why? – अंतर्निहित कारण)
- अत्यधिक भीड़: धार्मिक उत्सवों या शुभ दिनों पर श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमानित क्षमता से अधिक होना।
- बुनियादी ढांचे की कमी: मंदिर तक पहुंचने के लिए संकीर्ण सीढ़ियां, अपर्याप्त रेलिंग, और आपातकालीन निकास द्वारों की कमी।
- अनियोजित विकास: तीर्थ स्थलों का विकास अक्सर श्रद्धालुओं की संख्या और सुरक्षा की जरूरतों के बजाय धार्मिक महत्व पर अधिक केंद्रित होता है।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन/कमजोर कार्यान्वयन: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मियों की अनुपस्थिति या उनकी अप्रभावी तैनाती।
- इलेक्ट्रिकल सुरक्षा पर लापरवाही: पुराने या असुरक्षित बिजली के तार, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में, एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकते हैं।
2. क्या? (What? – घटना का स्वरूप)
- भगदड़: एक बड़ी भीड़ में अचानक दहशत या अनियंत्रित movement के कारण लोगों का कुचला जाना।
- विवादास्पद कारण: बिजली के करंट की अफवाह ने स्थिति को और बिगाड़ा, जिससे लोगों का विश्वास डिगा और घबराहट बढ़ी।
- मानव निर्मित आपदा: यह घटना प्रकृति की आपदा नहीं, बल्कि मानव निर्मित कमियों और लापरवाही का परिणाम है।
3. कैसे? (How? – घटना के घटित होने की प्रक्रिया)
जैसे ही भीड़ सीढ़ियों पर चढ़ने लगी, जगह तंग होने लगी। किसी विशेष बिंदु पर (संभवतः बिजली के तार के पास), या तो कोई छोटी घटना हुई (जैसे तार का हिलना) या किसी ने अफवाह फैलाई कि तार में करंट है। इसने तत्काल डर और धक्का-मुक्की को जन्म दिया। जब कुछ लोग गिरे, तो पीछे से आने वाले उन पर चढ़ते गए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। सीढ़ियों की संकीर्णता और रेलिंग की कमी ने लोगों को गिरने से रोकने या खुद को संभालने का मौका नहीं दिया।
4. कौन? (Who? – जिम्मेदारियां)
- प्रशासनिक निकाय: मंदिर ट्रस्ट, स्थानीय सरकार, जिला प्रशासन – सभी की जिम्मेदारी है कि वे सुरक्षा सुनिश्चित करें।
- पुलिस और सुरक्षा बल: भीड़ प्रबंधन और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए।
- विद्युत विभाग: बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर।
- श्रद्धालु: अपने और दूसरों के प्रति जिम्मेदारी निभाना।
भगदड़ के पीछे के कारण: एक बहुआयामी दृष्टिकोण (G.S. Paper I & III)
इस घटना के पीछे कई कारक एक साथ काम करते हैं, जिन्हें समझना UPSC के लिए महत्वपूर्ण है:
A. सामाजिक और सांस्कृतिक कारक (GS Paper I – Society)
- तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या: भारत में धर्म और आध्यात्मिकता के प्रति बढ़ता रुझान, विशेष रूप से युवा पीढ़ी में।
- “पहले आओ, पहले पाओ” मानसिकता: कई लोग जल्दी पहुंचना चाहते हैं, जिससे प्रारंभिक भीड़ बढ़ती है।
- धार्मिक उत्साह: त्योहारों और शुभ मुहूर्तों पर लोग सभी सावधानियों को नजरअंदाज कर देते हैं।
B. प्रशासनिक और शासन संबंधी विफलताएं (GS Paper II – Governance)
- भीड़ प्रबंधन की अप्रभावी योजना: जनसंख्या घनत्व और संभावित आगमन दर का सही आकलन न करना।
- बुनियादी ढांचे का अपर्याप्त रखरखाव: सीढ़ियों, रेलिंग, और आपातकालीन निकास की नियमित जांच और उन्नयन में कमी।
- प्रौद्योगिकी का सीमित उपयोग: भीड़ को ट्रैक करने, नियंत्रित करने और सचेत करने के लिए आधुनिक तकनीक (जैसे AI-संचालित निगरानी, DFS – Dynamic Flow System) का प्रयोग न करना।
- संदेशों का समन्वय और वितरण: अफवाओं के प्रसार को रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा समय पर और स्पष्ट संचार की कमी।
- आपदा प्रतिक्रिया योजना (DRP) का कमजोर कार्यान्वयन: ऐसी योजनाओं का अस्तित्व तो हो सकता है, लेकिन फील्ड में उनका प्रभावी कार्यान्वयन एक अलग कहानी है।
C. सुरक्षा और अवसंरचनात्मक मुद्दे (GS Paper III – Security & Disaster Management)
- इलेक्ट्रिकल सुरक्षा मानक: सार्वजनिक, विशेषकर भीड़भाड़ वाले स्थानों पर बिजली के तारों की उचित सुरक्षा, इंसुलेशन और अर्थिंग की कमी।
- इमरजेंसी एग्जिट और फ्लोर स्पेस: संकरे रास्ते और अपर्याप्त खुली जगह भगदड़ को घातक बना देती है।
- सुरक्षाकर्मियों का प्रशिक्षण: भीड़ नियंत्रण और प्राथमिक चिकित्सा में प्रशिक्षित पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों का अभाव।
- प्रौद्योगिकी का अभाव: भीड़ की गति और घनत्व को मापने के लिए सेंसर, ड्रोन और विश्लेषण उपकरणों का उपयोग न करना।
चुनौतियाँ और सुरक्षा बढ़ाने के उपाय (Challenges and Mitigation Strategies)
इस तरह की घटनाओं को भविष्य में होने से रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
A. वर्तमान चुनौतियाँ (Challenges)
- अनियंत्रित धार्मिक उत्साह: लोगों की श्रद्धा और विश्वास को सीधे तौर पर नियंत्रित करना मुश्किल है।
- सीमित संसाधन: कई तीर्थ स्थलों का प्रबंधन सीमित बजट और कर्मचारियों के साथ होता है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति और दीर्घकालिक योजना: तात्कालिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जबकि दीर्घकालिक अवसंरचनात्मक उन्नयन पीछे छूट जाता है।
- प्रशासनिक समन्वय की कमी: विभिन्न सरकारी विभाग, मंदिर समितियां और स्थानीय निकाय अक्सर एक-दूसरे के साथ समन्वय नहीं कर पाते।
- सूचना का गलत प्रसार: सोशल मीडिया के युग में, अफवाहें आग की तरह फैलती हैं, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
B. सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुझाव (Suggestions for Enhancing Safety)
UPSC के दृष्टिकोण से, ये सुझाव व्यापक नीति निर्माण के लिए उपयोगी हैं:
- आधुनिक भीड़ प्रबंधन तकनीकें:
- AI-संचालित निगरानी: भीड़ की घनत्व, प्रवाह और संभावित खतरनाक क्षेत्रों की पहचान के लिए।
- DFS (Dynamic Flow System): यात्रियों को विभिन्न मार्गों पर निर्देशित करने के लिए।
- स्मार्ट साइनेज: रियल-टाइम जानकारी और दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए।
- कंट्रोल रूम: चौबीसों घंटे निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष।
- बुनियादी ढांचे का उन्नयन:
- चौड़ी सीढ़ियां और रैंप: सुगम और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए।
- मजबूत रेलिंग और सुरक्षा बैरिकेड्स: गिरने से बचाने और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए।
- पर्याप्त आपातकालीन निकास: किसी भी अप्रिय स्थिति में त्वरित निकासी सुनिश्चित करने के लिए।
- बिजली के तारों की भूमिगत व्यवस्था (Underground Cabling): सुरक्षा बढ़ाने और दृश्य बाधाओं को कम करने के लिए।
- मानव संसाधन और प्रशिक्षण:
- प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी: भीड़ प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, और आपातकालीन प्रतिक्रिया में विशेषज्ञता।
- स्वयंसेवी सहायता: स्थानीय समुदायों और युवा संगठनों को प्रशिक्षण देकर सहायता के लिए शामिल करना।
- प्रशासनिक सुधार:
- एकल-बिंदु जिम्मेदारी (Single Point of Responsibility): स्पष्ट रूप से परिभाषित करें कि किसी विशेष तीर्थ स्थल की सुरक्षा के लिए कौन जिम्मेदार है।
- नियमित सुरक्षा ऑडिट: सभी सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से धार्मिक स्थलों पर।
- प्रभावी सूचना प्रसार: अफवाहों का खंडन करने और सही जानकारी देने के लिए एक मजबूत तंत्र।
- प्रौद्योगिकी का एकीकरण:
- मोबाइल ऐप: भीड़ की स्थिति, पार्किंग, और अन्य आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए।
- आपातकालीन चेतावनी प्रणाली: श्रव्य और दृश्य संकेतों के माध्यम से।
- जन जागरूकता अभियान: श्रद्धालुओं को अनुशासन बनाए रखने, अफवाहों पर ध्यान न देने और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना।
जांच और भविष्य की राह (Investigation and Way Forward)
हरिद्वार भगदड़ मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है।:
- जांच के मुख्य बिंदु:
- क्या बिजली के तार वास्तव में असुरक्षित थे? यदि हाँ, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
- भीड़ का अनुमान और प्रबंधन कितना प्रभावी था?
- क्या मौके पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी मौजूद थे?
- आपातकालीन प्रतिक्रिया कितनी तेज और प्रभावी थी?
- अफवाहें कैसे फैलीं और उन्हें नियंत्रित करने के क्या प्रयास किए गए?
- भविष्य की राह:
- “सुरक्षा पहले” (Safety First) का सिद्धांत: किसी भी धार्मिक स्थल के विकास और प्रबंधन में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना।
- धार्मिक पर्यटन का स्थायी विकास: पर्यावरण और सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखते हुए।
- अंतर-विभागीय समन्वय: विभिन्न सरकारी एजेंसियों और प्रबंधन निकायों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करना।
- कानूनी ढांचा: सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा मानकों को लेकर सख्त कानून और उनका कड़ाई से अनुपालन।
यह घटना एक गंभीर अनुस्मारक है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और आस्थावान देश में, लाखों लोग जिन पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। केवल मजबूत योजना, प्रभावी कार्यान्वयन और प्रौद्योगिकी के सही उपयोग से ही हम इस तरह की दुखद त्रासदियों को रोक सकते हैं और तीर्थयात्रियों को एक सुरक्षित और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: हाल ही में हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. इस घटना में 6 लोगों की मृत्यु हुई और 29 घायल हुए।
2. चश्मदीदों ने तार में करंट उतरने का दावा किया, जिसे पुलिस ने अफवाह बताया।
3. यह घटना मुख्य रूप से भीड़ प्रबंधन में विफलता का परिणाम थी।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन घटना के समाचारों के अनुसार सही हैं। 6 मौतें और 29 घायल हुए, चश्मदीदों के दावों और पुलिस के खंडन का विरोधाभास मौजूद है, और मुख्य कारण भीड़ प्रबंधन में कमी को माना जा रहा है। - प्रश्न 2: भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनाओं के पीछे निम्नलिखित में से कौन से सामान्य कारण माने जाते हैं?
1. अत्यधिक भीड़ और अपर्याप्त जनशक्ति।
2. संकीर्ण प्रवेश/निकास द्वार और फिसलन भरी सतहें।
3. अचानक अफरा-तफरी या अफवाहें फैलना।
4. आपातकालीन निकासी योजनाओं का अभाव।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी कारक भारत में होने वाली भगदड़ की घटनाओं के सामान्य कारण हैं, जिनमें हरिद्वार की घटना भी शामिल है। - प्रश्न 3: सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी तकनीकें प्रभावी हो सकती हैं?
1. AI-संचालित भीड़ घनत्व निगरानी।
2. गतिशील प्रवाह प्रणाली (Dynamic Flow System)।
3. स्मार्ट साइनेज और सूचना डिस्प्ले।
4. सीमित प्रवेश नीति।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी आधुनिक तकनीकें और रणनीतियाँ भीड़ को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने में सहायक हो सकती हैं। - प्रश्न 4: GS-III के संबंध में, धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढांचे की सुरक्षा से संबंधित चिंताएं निम्नलिखित में से कौन सी हैं?
1. बिजली के तारों का खुला या असुरक्षित होना।
2. मजबूत रेलिंग और सुरक्षित सीढ़ियों का अभाव।
3. लचीले आपातकालीन निकास द्वारों का अभाव।
4. पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था का न होना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी बिंदु धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढांचे की सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चिंताएँ हैं। - प्रश्न 5: “शासन” (Governance) के पहलू से, भगदड़ जैसी घटनाओं के बाद सूचना प्रसार के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे सटीक है?
(a) पुलिस को सभी दावों को तुरंत अफवाह करार देना चाहिए।
(b) सरकार को जांच पूरी होने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए और फिर ही जानकारी देनी चाहिए।
(c) संबंधित अधिकारियों को समय पर, सटीक और सत्यापित जानकारी जारी करनी चाहिए, और अफवाहों का खंडन करना चाहिए।
(d) सोशल मीडिया पर किसी भी जानकारी को सेंसर कर देना चाहिए।
उत्तर: (c)
व्याख्या: किसी भी संकट की स्थिति में, पारदर्शिता और समय पर संचार अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे सत्य जानकारी प्रदान करें और गलत सूचनाओं का खंडन करें। - प्रश्न 6: मनसा देवी मंदिर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित मंदिरों में पहुँचने के लिए आमतौर पर क्या प्रयुक्त होता है, जो भीड़ प्रबंधन को जटिल बना सकता है?
(a) केबल कार
(b) चौड़ी सड़कें
(c) संकरी सीढ़ियां और रास्ते
(d) सुरंग
उत्तर: (c)
व्याख्या: कई पहाड़ी मंदिरों तक पहुँचने के लिए संकरी सीढ़ियों और रास्तों का प्रयोग होता है, जो भीड़ बढ़ने पर खतरनाक हो सकते हैं। - प्रश्न 7: GS-II (Governance) के अंतर्गत, आपदा प्रबंधन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी एक महत्वपूर्ण पहल भारत सरकार द्वारा की गई है?
(a) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का गठन।
(b) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की स्थापना।
(c) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का राष्ट्रीयकरण।
(d) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का विकास।
उत्तर: (a)
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय है और इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम और प्रबंधन में भूमिका निभाता है। - प्रश्न 8: चश्मदीदों के दावों और आधिकारिक खंडन के बीच विरोधाभास किस पहलू पर प्रकाश डालता है?
(a) प्रौद्योगिकी का अति-निर्भरता
(b) सूचना का प्रसार और सत्यापन
(c) वित्तीय कुप्रबंधन
(d) अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उत्तर: (b)
व्याख्या: यह विरोधाभास सूचना के प्रसार, उसके सत्यापन और सार्वजनिक विश्वास के मुद्दे को उजागर करता है। - प्रश्न 9: GS-I (Society) के संदर्भ में, भारत में धार्मिक स्थलों की बढ़ती लोकप्रियता को निम्नलिखित में से किस प्रवृत्ति से जोड़ा जा सकता है?
1. आध्यात्मिकता में बढ़ती रुचि।
2. शहरीकरण और जीवन की भागदौड़ से पलायन।
3. पर्यटन का बढ़ता महत्व।
4. पारंपरिक मूल्यों का क्षरण।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a)
व्याख्या: आध्यात्मिक रुचि, जीवन की भागदौड़ से मुक्ति और पर्यटन के बढ़ते महत्व के कारण धार्मिक स्थलों की लोकप्रियता बढ़ी है। पारंपरिक मूल्यों का क्षरण इसका प्रत्यक्ष कारण नहीं है, बल्कि अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है। - प्रश्न 10: भगदड़ की स्थिति में, बिजली के तारों से करंट फैलने की अफवाह किसी भी स्थान पर दहशत को कैसे बढ़ा सकती है?
(a) यह लोगों को सुरक्षित महसूस कराती है।
(b) यह अव्यवस्था और अनियंत्रित प्रतिक्रिया को प्रेरित करती है।
(c) यह लोगों को शांत रहने के लिए प्रेरित करती है।
(d) यह जांच प्रक्रिया को सरल बनाती है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: बिजली के करंट का डर एक तीव्र प्रतिक्रिया (fight or flight response) को ट्रिगर करता है, जिससे घबराहट और भगदड़ बढ़ सकती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
प्रश्न 1 (GS Paper II – Governance & GS Paper III – Disaster Management): हरिद्वार मनसा देवी मंदिर भगदड़ जैसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, भारत में धार्मिक पर्यटन स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करने में आधुनिक तकनीक (जैसे AI, IoT) की भूमिका का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें।
प्रश्न 2 (GS Paper I – Society & GS Paper II – Governance): भारत में धार्मिक स्थलों पर होने वाली भगदड़ की घटनाओं के सामाजिक-सांस्कृतिक और प्रशासनिक कारणों का विश्लेषण करें। इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और मंदिर प्रबंधन निकायों की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न 3 (GS Paper III – Security & Disaster Management): भगदड़ एक “मानव निर्मित आपदा” है। इस कथन के आलोक में, भारत में ऐसी आपदाओं को कम करने और उनसे निपटने के लिए अवसंरचनात्मक सुधारों, पूर्व-चेतावनी प्रणालियों और सार्वजनिक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता पर चर्चा करें।
प्रश्न 4 (GS Paper II – Governance): हरिद्वार भगदड़ मामले में चश्मदीदों के दावों और पुलिस के खंडन के बीच विरोधाभास, संकट के समय सूचना के प्रसार, सत्यापन और प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करता है। इस संदर्भ में, सरकारी संचार की प्रभावशीलता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?