6 जानें गईं, 29 घायल: हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर भगदड़ – जांच, सबक और भविष्य
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में भारी भीड़ के दौरान हुई एक दुखद भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सीढ़ियों पर हुए इस हादसे में 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 29 अन्य घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने शुरुआती तौर पर सीढ़ियों पर लगे तार में करंट उतरने की आशंका जताई थी, जिससे भगदड़ मचने की बात कही गई। हालांकि, पुलिस प्रशासन ने इसे महज अफवाह करार देते हुए घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है। यह घटना न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह भारत जैसे देश में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की कमजोरियों को भी उजागर करती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह मामला आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा प्रोटोकॉल और सामाजिक-धार्मिक घटनाओं से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर सोचने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।
पृष्ठभूमि: मनसा देवी मंदिर और इसका महत्व
उत्तराखंड के हरिद्वार में शिवालिक पहाड़ियों की सुंदर तलहटी में स्थित मनसा देवी मंदिर, देवी मनसा को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का रूप माना जाता है। यह मंदिर ‘सिद्ध पीठों’ में से एक है और देश भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, विशेषकर नवरात्रि और कुंभ मेले जैसे शुभ अवसरों पर। मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को सीढ़ियों की एक लंबी चढ़ाई करनी पड़ती है, जो अक्सर भीड़ से खचाखच भरी रहती है। इसी भौगोलिक संरचना और भारी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के कारण, इस तरह की घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है।
घटना का विस्तृत विवरण
तारीख और समय: (यह जानकारी समाचार के अनुसार बदली जा सकती है, लेकिन एक सामान्य ढांचा दिया गया है)
- स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड
- परिस्थिति: मंदिर में दर्शन के लिए भारी भीड़ जुटी थी।
- हादसा: मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मच गई।
- परिणाम: 6 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 29 अन्य घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गई।
- प्रारंभिक अनुमान: कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि सीढ़ियों पर लगे बिजली के तार में करंट उतर गया था, जिससे दहशत फैल गई और भगदड़ मची।
- आधिकारिक खंडन: पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने इस दावे को अफवाह करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि घटना के वास्तविक कारणों की जांच की जा रही है।
संभावित कारण: सिर्फ एक तार या बहुआयामी समस्या?
इस दुखद घटना के पीछे के कारणों का पता लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक बयानों से पता चलता है कि कारणों को लेकर विरोधाभास है, जो जांच की आवश्यकता को और अधिक बल देता है।
1. प्रत्यक्षदर्शियों का दावा (बिजली का तार):
यदि प्रत्यक्षदर्शियों का दावा सही है, तो यह सीधे तौर पर सुरक्षा और रखरखाव में गंभीर चूक की ओर इशारा करता है।
- समस्या: सार्वजनिक स्थलों, विशेषकर भीड़भाड़ वाले धार्मिक स्थलों पर बिजली के तारों का असुरक्षित होना एक बड़ा खतरा है।
- निहितार्थ: ऐसे हादसों को रोकने के लिए बिजली के बुनियादी ढांचे का नियमित ऑडिट, सुरक्षित तारों का उपयोग, और आपातकालीन कट-ऑफ सिस्टम का होना आवश्यक है।
- UPSC प्रासंगिकता: यह लोक स्वास्थ्य, सुरक्षा कानून, और बुनियादी ढाँचा प्रबंधन के तहत आता है।
2. प्रबंधन की विफलता (भीड़ नियंत्रण):
यह संभव है कि बिजली के तार की बात केवल एक अनुमान हो और असली कारण भीड़ का अत्यधिक दबाव और उसका उचित प्रबंधन न कर पाना हो।
- समस्या: किसी भी धार्मिक स्थल पर, विशेष रूप से त्योहारों या विशेष आयोजनों के दौरान, आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाना और उसके अनुसार व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है।
- कारण:
- अपरिपक्व योजना: यदि उत्सवों के लिए पर्याप्त अग्रिम योजना नहीं बनाई गई हो।
- असुरक्षित बैरिकेडिंग: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अस्थिर या अपर्याप्त बैरिकेड्स।
- प्रवेश/निकास का कुप्रबंधन: संकरे रास्ते, अव्यवस्थित प्रवेश और निकास द्वार।
- संवाद की कमी: भक्तों को सूचना देने और उन्हें निर्देशित करने के लिए लाउडस्पीकरों या अन्य माध्यमों का अप्रभावी उपयोग।
- UPSC प्रासंगिकता: आपदा प्रबंधन, लोक व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन, और प्रशासनिक दक्षता।
3. अव्यवस्थित ढाँचा (सीढ़ियाँ और रास्ते):
मनसा देवी मंदिर तक पहुँचने वाली सीढ़ियाँ स्वाभाविक रूप से संकरी हो सकती हैं, जिससे भीड़ बढ़ने पर वे खतरनाक बन जाती हैं।
- समस्या: प्राचीन मंदिरों का ढाँचा अक्सर आधुनिक भीड़ प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होता।
- निहितार्थ: ऐसे स्थानों पर, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता होती है, जैसे कि आवागमन के लिए अलग-अलग रास्ते बनाना, चढ़ने और उतरने के लिए अलग-अलग मार्ग, या डिजिटल क्यू प्रबंधन प्रणाली।
- UPSC प्रासंगिकता: शहरी नियोजन, विरासत संरक्षण, और सार्वजनिक अवसंरचना का प्रबंधन।
4. अफरातफरी और अफवाहें:
कई बार, छोटे-मोटे हादसे या किसी भी अप्रत्याशित घटना से दहशत फैल सकती है, और अगर अफवाहें तेजी से फैलती हैं (जैसे बिजली के करंट की), तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
- समस्या: भीड़ में अफवाहें जंगल की आग की तरह फैल सकती हैं।
- निहितार्थ: इस स्थिति से निपटने के लिए, प्रभावी संचार तंत्र और सुरक्षा कर्मियों का त्वरित हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।
- UPSC प्रासंगिकता: सूचना प्रबंधन, संकट संचार, और कानून व्यवस्था।
UPSC के दृष्टिकोण से: प्रमुख मुद्दे और विश्लेषण
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों, विशेष रूप से सामान्य अध्ययन पेपर I (भारतीय समाज, कला और संस्कृति), सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन, लोक प्रशासन, सामाजिक न्याय) और सामान्य अध्ययन पेपर III (आपदा प्रबंधन, आंतरिक सुरक्षा) के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
A. सामान्य अध्ययन पेपर I: भारतीय समाज और संस्कृति
- धार्मिक स्थलों का महत्व: भारत में धार्मिक स्थलों का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में केंद्रीय स्थान है।
- भीड़ का मनोविज्ञान: धार्मिक उत्साह और सामूहिक भावना भीड़ को कैसे प्रभावित करती है, यह समझना महत्वपूर्ण है।
- परंपरा बनाम आधुनिकता: प्राचीन संरचनाओं का आधुनिक सुरक्षा मानकों के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती।
B. सामान्य अध्ययन पेपर II: शासन और लोक प्रशासन
- सुरक्षा प्रोटोकॉल: धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य की जिम्मेदारी।
- आपदा प्रबंधन की भूमिका: स्थानीय प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की भूमिका।
- जवाबदेही और पारदर्शिता: ऐसी घटनाओं के बाद जांच और जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): क्या मंदिर प्रबंधन समितियों को सुरक्षा और प्रबंधन में अधिक भूमिका दी जा सकती है?
C. सामान्य अध्ययन पेपर III: आपदा प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा
- प्रकार की आपदा: यह एक मानव-जनित (Man-made) आपदा है, जो अव्यवस्था और कुप्रबंधन के कारण हुई।
- रोकथाम और न्यूनीकरण:
- जोखिम मूल्यांकन: नियमित रूप से ऐसे स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के जोखिमों का आकलन करना।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सेंसर, क्लोज-सर्किट टेलीविजन (CCTV) कैमरे, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग।
- ई-दर्शन्: ऑनलाइन बुकिंग और समय-सारणी के माध्यम से भीड़ को विनियमित करना।
- प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति:
- त्वरित प्रतिक्रिया टीम: आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित टीमें।
- प्राथमिक उपचार और चिकित्सा सुविधाएं: स्थल पर पर्याप्त चिकित्सा सहायता की उपलब्धता।
- श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन: प्रभावी साइनेज और स्वयंसेवकों द्वारा मार्गदर्शन।
- आंतरिक सुरक्षा: भीड़ का अनियंत्रित होना एक आंतरिक सुरक्षा चिंता का विषय बन सकता है।
घटना से सीखे जाने वाले सबक (Lessons Learned)
इस तरह की दुखद घटनाओं से हमें भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सबक सीखने की आवश्यकता है:
“भीड़ प्रबंधन केवल संख्या को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना है।”
- अग्रिम योजना और जोखिम मूल्यांकन: किसी भी धार्मिक उत्सव या आयोजन से पहले, संभावित भीड़ का आकलन करें और उसके अनुसार व्यापक सुरक्षा और प्रबंधन योजना बनाएं।
- बुनियादी ढांचे का उन्नयन: भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से धार्मिक स्थलों पर, सुरक्षा मानकों के अनुसार बुनियादी ढांचे का नियमित रखरखाव और उन्नयन आवश्यक है। इसमें सुरक्षित बिजली व्यवस्था, मजबूत बैरिकेडिंग और स्पष्ट निकास मार्ग शामिल हैं।
- प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान: भीड़ प्रबंधन के लिए तकनीक का प्रभावी उपयोग, जैसे कि वास्तविक समय की निगरानी, डिजिटल कतार प्रबंधन और सूचना प्रसार के लिए ऐप, भीड़ को सुचारू बनाने में मदद कर सकता है।
- प्रशिक्षित मानव संसाधन: सुरक्षा कर्मियों, स्वयंसेवकों और मंदिर कर्मचारियों को भीड़ प्रबंधन, आपातकालीन प्रतिक्रिया और प्राथमिक उपचार में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- प्रभावी संचार: भीड़ को शांत रखने और उन्हें सही दिशा-निर्देश देने के लिए स्पष्ट और प्रभावी संचार प्रणालियाँ (जैसे लाउडस्पीकर, साइनेज) स्थापित की जानी चाहिए। अफवाहों को खंडन करने के लिए भी यह महत्वपूर्ण है।
- निगरानी और अनुपालन: यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र होना चाहिए कि स्थापित सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
- जांच और जवाबदेही: ऐसी घटनाओं के कारणों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
भविष्य की राह: सुरक्षित धार्मिक यात्राएँ
भारत एक ऐसा देश है जहाँ धार्मिक यात्राएँ जीवन का एक अभिन्न अंग हैं। लाखों लोग हर साल विभिन्न पवित्र स्थानों की यात्रा करते हैं। यह सुनिश्चित करना सरकार, धार्मिक संस्थानों और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है कि ये यात्राएँ सुरक्षित और आनंदमय हों, न कि त्रासदियों का कारण बनें।
- नीतिगत सुधार: राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए एक एकीकृत नीति और मानक संचालन प्रक्रिया (SOPs) विकसित करने की आवश्यकता है।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और मंदिर प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
- जन जागरूकता: श्रद्धालुओं को भी सुरक्षित आचरण के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जैसे कि उतावलापन न करना, निर्देशों का पालन करना और अफवाहों पर ध्यान न देना।
- कानूनी ढांचा: भीड़ प्रबंधन में ढिलाई बरतने वाले आयोजकों या अधिकारियों के लिए अधिक कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए।
हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर भगदड़ एक दुखद घटना है जो हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा और प्रबंधन की प्रणाली में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस तरह की त्रासदियों से सीखना और प्रभावी कदम उठाना, भविष्य में ऐसी अनमोल जिंदगियों को बचा सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान सुरक्षित वातावरण में किया जाए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई भगदड़ की घटना के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- घटना में 10 लोगों की मौत हुई और 50 से अधिक घायल हुए।
- प्रत्यक्षदर्शियों ने करंट उतरने की आशंका जताई, जिसे प्रशासन ने पुष्टि की।
- यह घटना मुख्य रूप से खराब मौसम के कारण हुई।
- घटना में 6 लोगों की मौत हुई और 29 घायल हुए, और करंट उतरने के दावे को प्रशासन ने अफवाह बताया।
उत्तर: D
व्याख्या: प्रश्न में दिए गए समाचार शीर्षक के अनुसार, 6 लोगों की मौत हुई और 29 घायल हुए। पुलिस ने करंट उतरने के दावे को अफवाह बताया। अन्य विकल्प घटना के तथ्यों के विपरीत हैं। - प्रश्न 2: भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ जैसी मानव-जनित आपदाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन से उपाय सबसे प्रभावी हो सकते हैं?
- आपातकालीन स्थितियों में केवल लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणाएँ।
- केवल पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाना।
- डिजिटल क्यू प्रबंधन प्रणाली, पूर्व-निर्धारित प्रवेश-निकास मार्ग, और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की तैनाती।
- सभी श्रद्धालुओं के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करना।
उत्तर: C
व्याख्या: डिजिटल क्यू प्रबंधन, स्पष्ट मार्ग, और प्रशिक्षित कर्मचारी भीड़ को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। केवल घोषणाएँ या केवल पुलिस बढ़ाना अपर्याप्त हो सकता है। आधार कार्ड अनिवार्य करना सीधे तौर पर भगदड़ रोकने का उपाय नहीं है। - प्रश्न 3: मनसा देवी मंदिर में हुई घटना किस प्रकार की आपदा का उदाहरण है?
- प्राकृतिक आपदा
- तकनीकी आपदा
- मानव-जनित आपदा (अव्यवस्था/कुप्रबंधन के कारण)
- जैविक आपदा
उत्तर: C
व्याख्या: भगदड़, जो भीड़ के अनियंत्रित होने या कुप्रबंधन के कारण होती है, एक मानव-जनित आपदा है। - प्रश्न 4: आपदा प्रबंधन के ‘रोकथाम और न्यूनीकरण’ (Prevention and Mitigation) चरण से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा एक विशिष्ट उपाय है?
- घायलों को अस्पताल पहुँचाना।
- नुकसान का आकलन करना।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल का नियमित ऑडिट करना और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।
- पुनर्वास कार्य शुरू करना।
उत्तर: C
व्याख्या: सुरक्षा प्रोटोकॉल का ऑडिट और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना आपदा के होने से पहले उसके जोखिम को कम करने या रोकने के उपाय हैं, जो रोकथाम और न्यूनीकरण चरण का हिस्सा हैं। - प्रश्न 5: भारत में धार्मिक पर्यटन स्थलों पर अक्सर निम्नलिखित में से कौन सी चुनौती देखी जाती है?
- पर्यटकों की संख्या का बहुत कम होना।
- धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढांचे का आधुनिक सुरक्षा मानकों के अनुरूप न होना।
- श्रद्धालुओं द्वारा केवल आधुनिक तकनीक का उपयोग।
- पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा कर्मियों का पूर्ण अभाव।
उत्तर: B
व्याख्या: कई प्राचीन धार्मिक स्थल भीड़ प्रबंधन के लिए आवश्यक आधुनिक सुरक्षा उपायों और बुनियादी ढांचे से लैस नहीं होते हैं, जिससे ऐसे हादसे का खतरा बढ़ जाता है। - प्रश्न 6: मनसा देवी मंदिर जैसे पवित्र स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ‘प्रौद्योगिकी का उपयोग’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- CCTV कैमरों से वास्तविक समय की निगरानी की जा सकती है।
- AI का उपयोग भीड़ घनत्व का अनुमान लगाने और चेतावनी जारी करने में सहायक हो सकता है।
- डिजिटल कतार प्रबंधन से भक्तों को व्यवस्थित किया जा सकता है।
- उपरोक्त सभी।
उत्तर: D
व्याख्या: ये सभी प्रौद्योगिकियां भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। - प्रश्न 7: प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बिजली के तार में करंट उतरने की बात को पुलिस द्वारा ‘अफवाह’ बताए जाने का क्या तात्पर्य है?
- पुलिस मामले को दबा रही है।
- घटना का मुख्य कारण कुछ और था, जिसकी जांच की जा रही है।
- बिजली का तार वास्तव में सुरक्षित था।
- प्रशासन भक्तों के आरोपों से बचना चाहता है।
उत्तर: B
व्याख्या: पुलिस द्वारा अफवाह बताने का अर्थ है कि प्रारंभिक दावे की पुष्टि नहीं हुई है और घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जांच चल रही है। - प्रश्न 8: भारत के संविधान के तहत, सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) बनाए रखना किस सूची का विषय है?
- संघ सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: B
व्याख्या: सार्वजनिक व्यवस्था राज्य सूची का विषय है, जो राज्य सरकारों को ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए जिम्मेदार बनाती है। - प्रश्न 9: धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की योजना बनाते समय, निम्नलिखित में से किसे ध्यान में रखा जाना चाहिए?
- केवल पर्व की अवधि।
- धार्मिक रस्मों का समय।
- स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियाँ और अवसंरचना की क्षमता।
- श्रद्धालुओं की संख्या और उनके व्यवहार का अनुमान।
- उपरोक्त सभी।
उत्तर: E (उपरोक्त सभी)
व्याख्या: एक प्रभावी योजना में सभी प्रासंगिक कारकों को शामिल किया जाना चाहिए। - प्रश्न 10: ‘आपदा’ की परिभाषा के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी घटना एक आपदा मानी जाएगी?
- एक छोटे वाहन का खराब होना।
- एक प्रमुख सार्वजनिक समारोह के दौरान व्यवस्था की कमी से बड़े पैमाने पर क्षति और जीवन की हानि।
- एक व्यक्तिगत दुर्घटना।
- बाजार में सामान्य भीड़।
उत्तर: B
व्याख्या: एक आपदा वह घटना है जो बड़े पैमाने पर क्षति, जीवन की हानि और सामाजिक-आर्थिक व्यवधान का कारण बनती है, जिसके लिए बाहरी सहायता की आवश्यकता होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना का विश्लेषण करें। इस तरह की मानव-जनित आपदाओं को रोकने के लिए भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के लिए आवश्यक सुधारों और नीतिगत उपायों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के मुद्दे को आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से समझाएं। भारत में इन स्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 3: भारत में, धार्मिक अनुष्ठानों और उत्सवों में भारी भीड़ का एकत्र होना एक सामान्य परिदृश्य है। इन परिस्थितियों में ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ बनाए रखने में राज्य की भूमिका और जिम्मेदारियों की विवेचना करें। मनसा देवी मंदिर जैसी घटनाओं से क्या सबक सीखा जा सकता है? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 4: “श्रद्धा का सैलाब प्रबंधन की कमी से जानलेवा साबित हो सकता है।” हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर भगदड़ के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण करें और ऐसे हादसों से बचने के लिए दीर्घकालिक समाधान सुझाएं। (150 शब्द, 10 अंक)