ट्रम्प का व्यापार युद्ध: ओवैसी का निशाना, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों, विशेष रूप से उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ (शुल्क) की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “ट्रम्प जैसा जोकर नहीं समझता कि वैश्विक व्यापार कैसे काम करता है।” यह बयान तब आया है जब ट्रम्प प्रशासन दुनिया भर के देशों, खासकर चीन और यूरोपीय संघ पर विभिन्न उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा रहा है, जिससे वैश्विक व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया है। ओवैसी की यह टिप्पणी केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि वैश्विक व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक नीतियों पर इसके व्यापक निहितार्थों की ओर इशारा करती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वैश्विक व्यापार का ताना-बाना: एक परिचय (The Fabric of Global Trade: An Introduction)
इससे पहले कि हम ट्रम्प के टैरिफ और ओवैसी की आलोचना के मूल में जाएं, आइए वैश्विक व्यापार की मूल बातें समझें। वैश्विक व्यापार, सरल शब्दों में, विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान है। यह सदियों से मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, जिसने संस्कृतियों को जोड़ा है, नवाचार को बढ़ावा दिया है और आर्थिक विकास को गति दी है।
वैश्विक व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले कुछ प्रमुख सिद्धांत और संस्थाएं हैं:
- तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage): अर्थशास्त्री डेविड रिकार्डो द्वारा प्रतिपादित यह सिद्धांत बताता है कि देश उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में विशेषज्ञता हासिल करें जिन्हें वे अपेक्षाकृत कम लागत पर पैदा कर सकते हैं, और फिर अन्य देशों के साथ उनका व्यापार करें। इससे सभी भाग लेने वाले देशों को लाभ होता है।
- मुक्त व्यापार (Free Trade): यह व्यापार की ऐसी नीति है जिसमें सरकारें आयात या निर्यात पर कोई बाधा, जैसे टैरिफ, कोटा या सब्सिडी नहीं लगातीं। इसका मानना है कि यह आर्थिक दक्षता और उपभोक्ता कल्याण को अधिकतम करता है।
- संरक्षणवाद (Protectionism): यह वह नीति है जो घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर टैरिफ, कोटा और अन्य प्रतिबंध लगाती है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO): यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों को नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यापार सुचारू, अनुमानित और यथासंभव मुक्त हो।
कल्पना कीजिए कि एक छोटा द्वीप है जहाँ केवल केले और नारियल उगाए जाते हैं। यदि वे केला उगाने में बहुत अच्छे हैं लेकिन नारियल उगाने में उतने नहीं, और दूसरा द्वीप नारियल उगाने में बहुत अच्छा है लेकिन केले में उतना नहीं, तो दोनों द्वीप केले और नारियल का व्यापार करके एक-दूसरे की तुलना में अधिक संतुष्ट हो सकते हैं। यही तुलनात्मक लाभ का सार है।
ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” और टैरिफ का हथियार (Trump’s “America First” and the Tariff Weapon)
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति अभियान और कार्यकाल के दौरान “अमेरिका फर्स्ट” की नीति का जोरदार समर्थन किया। इस नीति के तहत, उनका मानना था कि अमेरिका को अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए, खासकर व्यापार के क्षेत्र में। उनका तर्क था कि कई देश, विशेष रूप से चीन, अनुचित व्यापार प्रथाओं में संलग्न थे, जैसे कि बौद्धिक संपदा की चोरी, मुद्रा में हेरफेर और अमेरिकी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाना, जबकि अमेरिका में अपने उत्पादों के लिए कम बाधाएं थीं।
इस संदर्भ में, ट्रम्प प्रशासन ने दुनिया के कई देशों पर, विशेष रूप से चीन पर, स्टील, एल्यूमीनियम और अन्य वस्तुओं पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाए। इन टैरिफ का उद्देश्य था:
- अमेरिकी उद्योगों (जैसे स्टील और ऑटोमोबाइल) को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना।
- अन्य देशों को अपनी व्यापार नीतियों को बदलने के लिए मजबूर करना।
- अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना।
उदाहरण: यदि अमेरिका चीन से $1000 मूल्य की स्टील आयात करता है, और ट्रम्प प्रशासन 25% का टैरिफ लगाता है, तो चीन को अमेरिकी खरीदारों से $250 अतिरिक्त (कुल $1250) वसूलना होगा। इससे चीनी स्टील अमेरिका के लिए महंगा हो जाएगा, और अमेरिकी खरीदार अमेरिकी निर्मित स्टील की ओर बढ़ सकते हैं।
ओवैसी की आलोचना: “जोकर” और वैश्विक व्यापार की समझ (Owaisi’s Criticism: The “Joker” and Understanding Global Trade)
असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह से ट्रम्प की नीतियों की आलोचना की है, वह सीधे तौर पर इस बात पर केंद्रित है कि क्या ट्रम्प के टैरिफ वैश्विक व्यापार के जटिल तंत्र को समझते हैं। उनका “जोकर” कहना एक तीखी टिप्पणी है जो सुझाव देती है कि ट्रम्प की नीतियां अज्ञानता या सतही समझ पर आधारित हैं, न कि गहरी आर्थिक समझ पर।
ओवैसी जैसे आलोचकों के अनुसार, ट्रम्प के टैरिफ वैश्विक व्यापार के निम्नलिखित प्रमुख सिद्धांतों की उपेक्षा करते हैं:
- प्रतिशोध (Retaliation): जब एक देश टैरिफ लगाता है, तो दूसरे देश अक्सर जवाबी कार्रवाई में अपने टैरिफ लगाते हैं। इसे “ट्रेड वॉर” कहा जाता है। यह दोनों देशों के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर बोझ पड़ता है।
- आपूर्ति श्रृंखलाओं का व्यवधान (Disruption of Supply Chains): आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था जटिल आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर करती है। एक देश में टैरिफ लगाने से पूरी श्रृंखला बाधित हो सकती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ सकती है और उत्पादों की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
- अकुशल संसाधन आवंटन (Inefficient Resource Allocation): टैरिफ घरेलू उद्योगों को उन क्षेत्रों में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जहाँ वे शायद तुलनात्मक रूप से कुशल न हों। इससे समग्र रूप से अर्थव्यवस्था के लिए संसाधनों का अकुशल आवंटन होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का क्षरण (Erosion of International Cooperation): संरक्षणवाद अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना को कमजोर करता है, जो शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
केस स्टडी: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध
“अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे टैरिफ जवाबी कार्रवाई का कारण बन सकते हैं। जब अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैरिफ लगाया, तो चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों, जैसे सोयाबीन, पर जवाबी टैरिफ लगाए। इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी किसानों को भारी नुकसान हुआ, और उपभोक्ताओं को अधिक भुगतान करना पड़ा।”
ओवैसी का यह कहना कि ट्रम्प “वैश्विक व्यापार कैसे काम करता है, इसे नहीं समझते” इस तर्क पर आधारित है कि ट्रम्प की नीतियां, जो एकतरफा टैरिफ लगाने पर जोर देती हैं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बहुपक्षीय और सहयोगात्मक ढांचे के विपरीत हैं, जिसे WTO जैसे संगठन बनाए रखने का प्रयास करते हैं।
टैरिफ के पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons of Tariffs)
किसी भी आर्थिक नीति की तरह, टैरिफ के भी अपने समर्थक और विरोधी होते हैं।
टैरिफ के पक्ष में तर्क (Arguments in Favor of Tariffs):
- घरेलू उद्योगों की सुरक्षा (Protection of Domestic Industries): टैरिफ नवजात उद्योगों (infant industries) को स्थापित होने और विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में मदद कर सकते हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security): कुछ महत्वपूर्ण उद्योग, जैसे रक्षा या उन्नत प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हो सकते हैं। टैरिफ इन क्षेत्रों को विदेशी निर्भरता से बचाने में मदद कर सकते हैं।
- व्यापार घाटे को कम करना (Reducing Trade Deficits): टैरिफ आयात को महंगा बनाकर और निर्यात को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देकर व्यापार घाटे को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- राजस्व सृजन (Revenue Generation): टैरिफ सरकार के लिए राजस्व का एक स्रोत प्रदान करते हैं।
- संवादात्मक शक्ति (Bargaining Chip): टैरिफ को अन्य देशों को व्यापार वार्ता में रियायतें देने के लिए मजबूर करने के लिए एक “हथियार” के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
टैरिफ के विपक्ष में तर्क (Arguments Against Tariffs):
- उपभोक्ताओं के लिए उच्च लागत (Higher Costs for Consumers): टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक भुगतान करना पड़ता है।
- अन्य देशों द्वारा प्रतिशोध (Retaliation by Other Countries): यह व्यापार युद्धों को जन्म दे सकता है, जो सभी के लिए हानिकारक हैं।
- आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान (Disruption in Supply Chains): यह उत्पादन और वितरण को धीमा और महंगा बना सकता है।
- आर्थिक अक्षमता (Economic Inefficiency): यह संसाधनों को कम उत्पादक क्षेत्रों की ओर धकेल सकता है।
- कम उत्पाद विविधता (Reduced Product Variety): आयातित वस्तुओं पर टैरिफ उपलब्ध उत्पादों की श्रृंखला को कम कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में तनाव (Strain on International Relations): यह कूटनीतिक संबंधों को खराब कर सकता है।
निष्कर्ष: जबकि टैरिफ कुछ विशिष्ट घरेलू हितों की रक्षा कर सकते हैं, व्यापक आर्थिक सिद्धांत और ऐतिहासिक अनुभव बताते हैं कि अत्यधिक संरक्षणवाद और “ट्रेड वॉर” दीर्घकालिक रूप से हानिकारक होते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए महत्वपूर्ण है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims): अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, WTO, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार, तुलनात्मक लाभ, और वैश्विक आर्थिक संगठन जैसे विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I (समाज): वैश्वीकरण का प्रभाव।
- GS-II (शासन और अंतर्राष्ट्रीय संबंध): भारत के हितों पर देशों की नीतियों का प्रभाव, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं और समझौते, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समूह और समझौते।
- GS-III (अर्थव्यवस्था): भारतीय अर्थव्यवस्था और संबंधित मुद्दे, योजना, संसाधन जुटाना, विकास, रोजगार। बजट, सरकारी नीतियां। विकास, वृद्धि और पुनरुद्धार से संबंधित मुद्दे। बुनियादी ढांचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, हवाई अड्डे, रेलवे आदि।
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: उम्मीदवारों को केवल समाचार को राजनीतिक बयान के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों, वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियों और भारत पर इसके संभावित प्रभावों के लेंस से देखना चाहिए।
भारत पर प्रभाव (Impact on India):
ट्रम्प के टैरिफ और बढ़ते संरक्षणवाद का भारत पर भी प्रभाव पड़ सकता है:
- अवसर: यदि अमेरिका चीन पर टैरिफ लगाता है, तो भारत को कुछ वस्तुओं के निर्यात में अवसर मिल सकता है, जहां चीन महंगा हो गया है।
- चुनौतियाँ:
- प्रतिशोध का जोखिम: भारत पर भी टैरिफ लगाने का दबाव आ सकता है, या भारत स्वयं भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
- वैश्विक मंदी का खतरा: प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार युद्धों से वैश्विक आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है, जिसका असर भारत के निर्यात पर भी पड़ेगा।
- विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला: यदि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा है, तो उनमें व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है।
भारत की अपनी “आत्मनिर्भर भारत” पहल भी कुछ हद तक संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को दर्शाती है, हालांकि इसका जोर आत्मनिर्भरता पर अधिक है। नीति निर्माताओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे वैश्विक रुझानों की बारीकी से निगरानी करें और ऐसे उपाय करें जो भारत के हितों की रक्षा करें और विकास को बढ़ावा दें।
आगे की राह (The Way Forward)
वैश्विक व्यापार एक जटिल और गतिशील क्षेत्र है। किसी भी एक देश का, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अपने संकीर्ण हितों के लिए वैश्विक नियमों को नजरअंदाज करना, अनपेक्षित और अक्सर नकारात्मक परिणाम दे सकता है।
भविष्य में, वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए:
- बहुपक्षीय मंचों का सुदृढ़ीकरण: WTO जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को मजबूत करने और उनके नियमों का पालन करने की आवश्यकता है।
- खुले संवाद और कूटनीति: देशों के बीच व्यापार संबंधी मुद्दों को सुलझाने के लिए निरंतर संवाद और कूटनीति आवश्यक है।
- निष्पक्ष और समान प्रतिस्पर्धा: यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देश व्यापार के लिए समान अवसर और नियम प्रदान करें।
- समावेशी विकास: यह सुनिश्चित करना कि वैश्विक व्यापार से होने वाले लाभों को व्यापक रूप से साझा किया जाए, न कि केवल कुछ देशों या समूहों तक सीमित रहे।
ओवैसी की टिप्पणी, हालांकि राजनीतिक रूप से व्यंग्यात्मक है, इस गंभीर प्रश्न को उठाती है कि क्या कुछ नेता वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की जटिलताओं और परस्पर निर्भरताओं को समझते हैं। UPSC उम्मीदवारों को इस तरह के मुद्दों का विश्लेषण करते समय, सतही बयानबाजी से परे जाकर, अंतर्निहित आर्थिक सिद्धांतों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और दीर्घकालिक प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत बताता है कि देशों को उन वस्तुओं का उत्पादन करना चाहिए जिन्हें वे अपेक्षाकृत कम लागत पर उत्पन्न कर सकते हैं और फिर व्यापार करना चाहिए?
(a) पूर्ण लाभ (Absolute Advantage)
(b) तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage)
(c) संरक्षणवाद (Protectionism)
(d) मुक्त व्यापार (Free Trade)
उत्तर: (b) तुलनात्मक लाभ
व्याख्या: तुलनात्मक लाभ का सिद्धांत अर्थशास्त्री डेविड रिकार्डो द्वारा प्रतिपादित किया गया था और यह बताता है कि देश उन वस्तुओं के उत्पादन में विशेषज्ञता हासिल करके लाभान्वित हो सकते हैं जिन्हें वे अन्य देशों की तुलना में कम अवसर लागत पर पैदा कर सकते हैं। - प्रश्न 2: ‘ट्रेड वॉर’ (Trade War) शब्द का क्या अर्थ है?
(a) दो देशों के बीच व्यापार के नियमों को लेकर युद्ध
(b) एक देश द्वारा लगाए गए टैरिफ पर दूसरे देश द्वारा जवाबी टैरिफ लगाना
(c) देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौतों का उल्लंघन
(d) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गुप्त सौदेबाजी
उत्तर: (b) एक देश द्वारा लगाए गए टैरिफ पर दूसरे देश द्वारा जवाबी टैरिफ लगाना
व्याख्या: ट्रेड वॉर तब होता है जब एक देश दूसरे देश के उत्पादों पर टैरिफ या अन्य व्यापार बाधाएं लगाता है, और दूसरा देश जवाबी कार्रवाई में अपने टैरिफ बढ़ाता है। - प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा उपकरण संरक्षणवाद (Protectionism) का एक उदाहरण है?
(a) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(b) आयात कोटा (Import Quotas)
(c) मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement)
(d) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)
उत्तर: (b) आयात कोटा
व्याख्या: आयात कोटा एक विशिष्ट मात्रा से अधिक आयात की अनुमति नहीं देता है, जो संरक्षणवाद का एक रूप है। टैरिफ भी संरक्षणवाद का एक रूप है। WTO मुक्त व्यापार को बढ़ावा देता है, और मुक्त व्यापार समझौते बाधाओं को कम करते हैं। - प्रश्न 4: डोनाल्ड ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति मुख्य रूप से किस पर केंद्रित थी?
(a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
(b) अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना, विशेष रूप से व्यापार में
(c) वैश्विक गरीबी को समाप्त करना
(d) क्योटो प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना
उत्तर: (b) अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना, विशेष रूप से व्यापार में
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था, उद्योगों और नौकरियों को प्राथमिकता देना था, अक्सर अन्य देशों के साथ व्यापार और कूटनीतिक संबंधों की कीमत पर। - प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा टैरिफ का एक संभावित नकारात्मक प्रभाव है?
(a) घरेलू उद्योगों के लिए कम प्रतिस्पर्धा
(b) आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
(c) निर्यात में वृद्धि
(d) राष्ट्रीय राजस्व में वृद्धि
उत्तर: (b) आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि
व्याख्या: टैरिफ आयातित वस्तुओं पर लगाए जाते हैं, जिससे वे खरीदारों के लिए अधिक महंगे हो जाते हैं। - प्रश्न 6: विश्व व्यापार संगठन (WTO) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार सुनिश्चित करना
(b) सदस्य देशों के लिए आयात पर टैरिफ बढ़ाना
(c) वैश्विक वित्तीय संस्थानों को विनियमित करना
(d) राष्ट्रीय मुद्राओं का प्रबंधन करना
उत्तर: (a) सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार सुनिश्चित करना
व्याख्या: WTO का प्राथमिक उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार के नियमों को नियंत्रित करना और व्यापार को यथासंभव सुचारू, मुक्त और अनुमानित बनाना है। - प्रश्न 7: असदुद्दीन ओवैसी द्वारा डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों की आलोचना का मुख्य कारण क्या था?
(a) ट्रम्प की नीतियों को बहुत अधिक मुक्त व्यापार समर्थक मानना
(b) ट्रम्प की नीतियों को वैश्विक व्यापार की जटिलताओं की समझ की कमी पर आधारित मानना
(c) ट्रम्प द्वारा WTO को मजबूत करने के प्रयास
(d) ट्रम्प द्वारा भारत के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना
उत्तर: (b) ट्रम्प की नीतियों को वैश्विक व्यापार की जटिलताओं की समझ की कमी पर आधारित मानना
व्याख्या: ओवैसी की आलोचना इस बात पर केंद्रित थी कि ट्रम्प की “जोकर जैसी” समझ वैश्विक व्यापार के कामकाज से अपरिचित है, विशेष रूप से उनके द्वारा लगाए गए एकतरफा टैरिफ के संदर्भ में। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा ‘तुलनात्मक लाभ’ (Comparative Advantage) के सिद्धांत का एक अंतर्निहित परिणाम है?
(a) देशों के बीच व्यापार में कमी
(b) सभी भाग लेने वाले देशों के लिए समग्र कल्याण में वृद्धि
(c) राष्ट्रीय उद्योगों का संरक्षण
(d) व्यापार घाटे में वृद्धि
उत्तर: (b) सभी भाग लेने वाले देशों के लिए समग्र कल्याण में वृद्धि
व्याख्या: तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत के अनुसार, जब देश विशेषज्ञता हासिल करते हैं और व्यापार करते हैं, तो इससे सभी भाग लेने वाले देशों को अधिक दक्षता और उच्च कुल उत्पादन प्राप्त होता है। - प्रश्न 9: ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) का क्या उद्देश्य होता है?
(a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना
(b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाना
(c) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करना
(d) विदेशी निवेश को आकर्षित करना
उत्तर: (a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना
व्याख्या: संरक्षणवाद का मुख्य लक्ष्य टैरिफ, कोटा और सब्सिडी जैसे उपायों का उपयोग करके घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धियों से बचाना है। - प्रश्न 10: भारत की “आत्मनिर्भर भारत” पहल का प्राथमिक ध्यान किस पर है?
(a) केवल निर्यात को बढ़ावा देना
(b) विदेशी व्यापार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना
(c) घरेलू उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं और क्षमता को बढ़ाना
(d) अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को लागू करना
उत्तर: (c) घरेलू उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं और क्षमता को बढ़ाना
व्याख्या: आत्मनिर्भर भारत का उद्देश्य भारत को विभिन्न क्षेत्रों में अधिक आत्मनिर्भर बनाना है, जो घरेलू उत्पादन, नवाचार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: “वैश्विक व्यापार एक अंतःक्रियात्मक प्रणाली है जिसमें सभी देशों के निर्णय अन्य देशों को प्रभावित करते हैं।” इस कथन के आलोक में, संरक्षणवादी नीतियों, जैसे कि टैरिफ, के बढ़ते चलन के वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभावों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: डोनाल्ड ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति और उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ के मुख्य उद्देश्यों की चर्चा करें। इन नीतियों के विभिन्न देशों, विशेष रूप से भारत, पर पड़ने वाले संभावित सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3: “तुलनात्मक लाभ” और “मुक्त व्यापार” के सिद्धांतों को स्पष्ट कीजिए। संरक्षणवाद इन सिद्धांतों को कैसे चुनौती देता है, और इसके क्या दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं? (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, संरक्षणवाद और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बीच संतुलन बनाना देशों के लिए एक प्रमुख चुनौती है। इस कथन पर टिप्पणी करें और भारत के लिए प्रभावी रणनीति सुझाएं। (250 शब्द, 15 अंक)