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इतिहास की गहराई में गोता लगाएँ: आज के विशेष प्रश्नोत्तरी का करें सामना!

नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! आज हम समय के गलियारों में एक रोमांचक यात्रा पर निकलेंगे। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग के निर्णायक क्षणों तक, आपके ज्ञान का परीक्षण करने के लिए 25 चुनिंदा प्रश्न प्रस्तुत हैं। तैयार हो जाइए, क्योंकि इतिहास आपके जवाब का इंतज़ार कर रहा है!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से स्टेडियम जैसी संरचना के प्रमाण मिले हैं?

  1. मोहनजोदड़ो
  2. हड़प्पा
  3. धौलावीरा
  4. कालीबंगा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुजरात में स्थित धौलावीरा, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है, जहाँ से एक विशाल सार्वजनिक सभा स्थल या स्टेडियम जैसी संरचना के साक्ष्य मिले हैं। यह संरचना बहुउद्देशीय उपयोग के लिए थी, जिसमें संभवतः सार्वजनिक समारोह, खेलकूद या धार्मिक अनुष्ठान शामिल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: धौलावीरा अपने जल प्रबंधन प्रणालियों, अनूठे नगर नियोजन और एक बड़े खुले स्थान के लिए जाना जाता है, जिसे कभी-कभी स्टेडियम के रूप में पहचाना जाता है। यह उस समय की उन्नत सामुदायिक व्यवस्था का प्रतीक है।
  • गलत विकल्प: मोहनजोदड़ो अपने विशाल स्नानागार के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन स्टेडियम जैसी विशेष संरचना के प्रमाण वहाँ से नहीं मिले हैं। हड़प्पा और कालीबंगा भी महत्वपूर्ण स्थल हैं, लेकिन स्टेडियम जैसी संरचना का विशिष्ट साक्ष्य धौलावीरा से ही जुड़ा है।

प्रश्न 2: “धर्म” और “नैतिकता” के सिद्धांतों को फैलाने के लिए अशोक ने किन अधिकारियों की नियुक्ति की थी?

  1. अमात्य
  2. महामात्य
  3. धम्म महामात्र
  4. राजुक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के 14वें वर्ष में “धम्म महामात्रों” की नियुक्ति की थी। इनका मुख्य कार्य अशोक के “धम्म” (नैतिकता, सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक कल्याण के सिद्धांत) के संदेश को राज्य के विभिन्न वर्गों और दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना था।
  • संदर्भ और विस्तार: ये अधिकारी न केवल उपदेश देते थे, बल्कि लोगों के आचरण की निगरानी भी करते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि वे धम्म के सिद्धांतों का पालन करें। अशोक ने स्त्री महामात्रों की भी नियुक्ति की थी।
  • गलत विकल्प: अमात्य और महामात्य मौर्य प्रशासन में विभिन्न प्रशासनिक पदों को दर्शाते हैं, लेकिन धम्म के प्रचार से सीधे तौर पर जुड़े नहीं थे। राजुक भी एक अधिकारी था जो न्यायपालिका और राजस्व से संबंधित कार्यों को देखता था, लेकिन धम्म प्रचार उसका प्राथमिक कार्य नहीं था।

प्रश्न 3: भारत में “स्थानीय स्वशासन” का जनक किसे माना जाता है?

  1. लॉर्ड कैनिंग
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड रिपन
  4. लॉर्ड कर्जन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लॉर्ड रिपन को भारत में “स्थानीय स्वशासन का जनक” कहा जाता है। उन्होंने 1882 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसने भारत में स्थानीय स्वशासन की नींव रखी, विशेषकर नगरपालिका निकायों के विकास पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: रिपन का मानना था कि स्थानीय स्वशासन नागरिकों को राजनीतिक शिक्षा प्रदान करने और जिम्मेदार शासन के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने जिला बोर्ड और नगरपालिका बोर्डों को अधिक अधिकार और प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कैनिंग गवर्नर-जनरल और भारत के पहले वायसराय थे, डलहौजी विलय की नीति के लिए जाने जाते हैं, और कर्जन ने बंगाल के विभाजन जैसे कार्य किए। ये स्थानीय स्वशासन की दिशा में रिपन के योगदान से संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 4: विजयनगर साम्राज्य में “अष्टदिग्गज” कौन थे?

  1. आठ प्रमुख सेनापति
  2. आठ प्रमुख मंत्री
  3. आठ प्रमुख तेलुगु कवि
  4. आठ प्रमुख व्यापारी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्णदेवराय के दरबार में आठ महान तेलुगु कवियों का समूह “अष्टदिग्गज” कहलाता था। ये कवि विद्वान थे और साहित्य, विशेषकर तेलुगु साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान और कवि थे, और उन्होंने कला और साहित्य को बहुत संरक्षण दिया। अष्टदिग्गज में अलसानी पेद्दाना, नंदी तिम्मना, धुर्जति जैसे प्रमुख कवि शामिल थे।
  • गलत विकल्प: अष्टदिग्गज का संबंध सैन्य, राजनीतिक या व्यापारिक गतिविधियों से नहीं, बल्कि सीधे तौर पर तेलुगु साहित्य और काव्य से था।

प्रश्न 5: “संथाल विद्रोह” का नेतृत्व निम्नलिखित में से किसने किया था?

  1. तिरू मुर्गन
  2. बिरसा मुंडा
  3. सिद्धू और कान्हू
  4. रानी गेडिलियु

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1855-56 का संथाल विद्रोह, जो ब्रिटिश शासन और स्थानीय जमींदारों द्वारा संथाल जनजाति पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ एक बड़े पैमाने पर जनविद्रोह था, का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह मुख्य रूप से वर्तमान झारखंड और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में हुआ था। विद्रोहियों का उद्देश्य साहूकारों, व्यापारियों और औपनिवेशिक अधिकारियों से अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा करना था।
  • गलत विकल्प: बिरसा मुंडा “उलगुलान” (महा उथल-पुथल) विद्रोह के नेता थे, तिरु मुर्गन दक्षिण भारत में जनजातीय आंदोलनों से जुड़े थे, और रानी गेडिलियु नागालैंड में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन की नेता थीं।

प्रश्न 6: सिन्धु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल “सिन्धु का बाग” (Garden of Indus) कहलाता था?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. चन्हुदड़ो

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका सिन्धी भाषा में अर्थ “मृतकों का टीला” है, को कभी-कभी “सिन्धु का बाग” भी कहा जाता है। इसका कारण वहाँ पाई गई समृद्ध संस्कृति, विशाल संरचनाएँ और नगरीय जीवन के प्रमाण हैं, जो इसे अन्य स्थलों की तुलना में अधिक विकसित और समृद्ध बनाते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो अपनी जल निकासी प्रणाली, ग्रेट बाथ (विशाल स्नानागार), अन्नागार और सभागार जैसी प्रभावशाली इमारतों के लिए जाना जाता है। ये संरचनाएँ उस काल की उन्नत शहरी नियोजन क्षमता को दर्शाती हैं।
  • गलत विकल्प: लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था, और चन्हुदड़ो विशेष रूप से मनके बनाने के लिए जाना जाता था। लेकिन “सिन्धु का बाग” जैसी उपाधि मोहनजोदड़ो से अधिक मेल खाती है।

प्रश्न 7: किस गुप्त शासक ने “विक्रमादित्य” की उपाधि धारण की थी?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. स्कंदगुप्त

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय (शासनकाल लगभग 375-415 ई.) को “विक्रमादित्य” की उपाधि से जाना जाता है। उन्होंने शकों पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में यह उपाधि धारण की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय का शासनकाल गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने कला, साहित्य और विज्ञान को बहुत प्रोत्साहन दिया। उनके दरबार में कालिदास जैसे महान कवि और विद्वान थे। “विक्रमादित्य” का अर्थ है “पराक्रम का सूर्य” या “विक्रम का तेज”।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था। समुद्रगुप्त एक महान योद्धा था जिसने “भारत का नेपोलियन” की उपाधि प्राप्त की। स्कंदगुप्त ने हूणों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया था।

प्रश्न 8: 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया “भारत छोड़ो आंदोलन” किस नारे के साथ चलाया गया था?

  1. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
  2. इंकलाब जिंदाबाद
  3. करो या मरो
  4. पूर्ण स्वराज

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 8 अगस्त 1942 को बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा “भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की गई थी। इस आंदोलन का मुख्य नारा “करो या मरो” (Do or Die) था, जिसने लोगों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देने के लिए प्रेरित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन ब्रिटिश शासन को समाप्त करने और भारत को तत्काल स्वतंत्रता दिलाने की मांग पर केंद्रित था। इसके तुरंत बाद गांधीजी सहित कई प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था, जिससे आंदोलन स्वतःस्फूर्त रूप से फैल गया।
  • गलत विकल्प: “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” बाल गंगाधर तिलक का प्रसिद्ध नारा था। “इंकलाब जिंदाबाद” भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों का नारा था। “पूर्ण स्वराज” कांग्रेस द्वारा 1929 में लाहौर अधिवेशन में घोषित लक्ष्य था।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा बौद्ध धर्म का त्रिरत्न नहीं है?

  1. बुद्ध
  2. धर्म
  3. संघ
  4. अहिंसा

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बौद्ध धर्म में तीन मुख्य शरण या त्रिरत्न हैं: बुद्ध (जागृत व्यक्ति), धर्म (बुद्ध की शिक्षाएं) और संघ (बौद्ध भिक्षुओं का समुदाय)। ये बौद्ध अनुयायी के लिए मूलभूत सिद्धांत हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: “अहिंसा” बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, लेकिन इसे त्रिरत्नों में से एक के रूप में सीधे तौर पर शामिल नहीं किया गया है। त्रिरत्न वे वस्तुएं हैं जिनमें बौद्ध अनुयायी शरण लेते हैं और जिनकी वे पूजा करते हैं।
  • गलत विकल्प: बुद्ध, धर्म और संघ बौद्ध धर्म के स्पष्ट रूप से परिभाषित त्रिरत्न हैं। अहिंसा एक महत्वपूर्ण नैतिक आचरण है, लेकिन यह इन तीन मूल स्तंभों में से एक नहीं है।

प्रश्न 10: “दीन-ए-इलाही” नामक एक नए धर्म की स्थापना किस मुगल बादशाह ने की थी?

  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. जहांगीर
  4. शाहजहाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ई. में “दीन-ए-इलाही” (ईश्वर का दीन) नामक एक धर्म की स्थापना की थी। यह विभिन्न धर्मों के सार को मिलाकर एक सर्वधर्म समभाव वाला पंथ बनाने का प्रयास था।
  • संदर्भ और विस्तार: अकबर धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास रखता था और उसने हिंदू, इस्लाम, ईसाई, जैन, पारसी धर्मों के तत्वों को इसमें शामिल करने की कोशिश की। हालांकि, यह पंथ व्यापक रूप से स्वीकार्य नहीं हुआ और कुछ ही लोगों ने इसे अपनाया।
  • गलत विकल्प: हुमायूँ, जहांगीर और शाहजहाँ सभी महत्वपूर्ण मुगल सम्राट थे, लेकिन उन्होंने इस प्रकार के धर्मनिरपेक्ष धार्मिक पंथ की स्थापना नहीं की। अकबर की धार्मिक नीतियों और प्रयोगों का यह एक हिस्सा था।

प्रश्न 11: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, किस देश को “महान युद्ध” (The Great War) के रूप में जाना जाता था?

  1. द्वितीय विश्व युद्ध
  2. प्रथम विश्व युद्ध
  3. शीत युद्ध
  4. पर्षियन युद्ध

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) को अपने समय में “महान युद्ध” (The Great War) के नाम से जाना जाता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि यह उस समय तक का सबसे बड़ा, सबसे विनाशकारी और सबसे व्यापक संघर्ष था, जिसने वैश्विक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में लाखों लोगों की जानें गईं, साम्राज्यों का पतन हुआ और नई प्रौद्योगिकियों (जैसे मशीन गन, टैंक, हवाई जहाज) का बड़े पैमाने पर उपयोग देखा गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ही इसे “प्रथम” विश्व युद्ध के रूप में संदर्भित किया जाने लगा।
  • गलत विकल्प: द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) भी एक विनाशकारी संघर्ष था, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध को तब “महान युद्ध” कहा जाता था। शीत युद्ध और पर्शियन युद्ध (Persian Wars) की प्रकृति और पैमाने भिन्न थे।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा एक “अष्टांग मार्ग” का भाग नहीं है, जैसा कि गौतम बुद्ध ने सिखाया था?

  1. सम्यक दृष्टि
  2. सम्यक कर्म
  3. सम्यक ध्यान
  4. सम्यक भोग

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बौद्ध धर्म में “अष्टांग मार्ग” (आठ गुना मार्ग) निर्वाण प्राप्ति का मार्ग है। इसके आठ अंग हैं: सम्यक दृष्टि (सही समझ), सम्यक संकल्प (सही इरादा), सम्यक वाक (सही वाणी), सम्यक कर्म (सही क्रिया), सम्यक आजीविका (सही आजीविका), सम्यक व्यायाम (सही प्रयास), सम्यक स्मृति (सही सजगता), और सम्यक समाधि (सही एकाग्रता)। “सम्यक भोग” इनमें से एक नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टांग मार्ग दुःख को समाप्त करने और ज्ञानोदय प्राप्त करने के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है। यह जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और नैतिकता पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: सम्यक दृष्टि, सम्यक कर्म और सम्यक ध्यान (जो समाधि का एक रूप है) अष्टांग मार्ग के महत्वपूर्ण भाग हैं। “सम्यक भोग” का विचार इसके केंद्रीय तत्वों में शामिल नहीं है।

प्रश्न 13: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. बहादुर शाह द्वितीय
  3. नाना साहेब
  4. कुँवर सिंह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने किया था। उन्होंने ब्रिटिश सेना को खदेड़ दिया और कानपुर को अपने नियंत्रण में ले लिया।
  • संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब ने अवध के नवाब बेगम हजरत महल और तात्या टोपे जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, ब्रिटिश सेना ने बाद में कानपुर पर फिर से कब्जा कर लिया।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी का नेतृत्व किया, बहादुर शाह द्वितीय दिल्ली में विद्रोह के नाममात्र के नेता थे, और कुँवर सिंह ने जगदीशपुर (बिहार) में विद्रोह का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 14: “गदर पार्टी” की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?

  1. 1905, लंदन
  2. 1913, सैन फ्रांसिस्को
  3. 1916, बर्लिन
  4. 1918, न्यूयॉर्क

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गदर पार्टी, जिसे “हिन्दोस्तान गदर पार्टी” भी कहा जाता था, की स्थापना 1913 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुई थी। इसके संस्थापक लाला हरदयाल और सोहन सिंह भकना थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था। इसके सदस्य भारतीय अप्रवासी थे जिन्होंने अमेरिका और कनाडा में रहकर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। पार्टी “गदर” नामक एक साप्ताहिक अखबार भी प्रकाशित करती थी।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प विभिन्न वर्षों और स्थानों को दर्शाते हैं, लेकिन गदर पार्टी की स्थापना का सही स्थान और वर्ष 1913, सैन फ्रांसिस्को है।

प्रश्न 15: किस चोल राजा को “राजेश प्रथम” के रूप में भी जाना जाता है और उसने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की थी?

  1. राजराज चोल प्रथम
  2. राजेंद्र चोल प्रथम
  3. विजयालय
  4. परांतक चोल प्रथम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: राजराज चोल प्रथम (लगभग 985-1014 ई.) चोल राजवंश के सबसे महान शासकों में से एक थे। उन्हें “राजराज” नाम से जाना जाता था और वे अपने सैन्य विजयों, विशेष रूप से श्रीलंका के उत्तरी भाग पर विजय के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राजराज चोल प्रथम ने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया और चोल साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने तंजौर में प्रसिद्ध बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया था। उनके पुत्र राजेंद्र चोल प्रथम ने भी साम्राज्य का विस्तार किया और श्रीलंका को पूरी तरह से जीत लिया।
  • गलत विकल्प: राजेंद्र चोल प्रथम श्रीलंका के अन्य हिस्सों पर विजय के लिए जाने जाते हैं, लेकिन “राजेश प्रथम” के रूप में पहचान और उत्तरी श्रीलंका पर पहली बड़ी विजय राजराज प्रथम से जुड़ी है। विजयालय चोल वंश का संस्थापक था, और परांतक प्रथम ने भी महत्वपूर्ण विजयें प्राप्त की थीं।

प्रश्न 16: “सती प्रथा” को समाप्त करने के लिए किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?

  1. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
  2. राजा राममोहन राय
  3. दयानंद सरस्वती
  4. स्वामी विवेकानंद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: राजा राममोहन राय को भारत में “आधुनिक पुरुष” और “बंगाल के पुनर्जागरण का अग्रदूत” कहा जाता है। उन्होंने सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया और सरकार से इसे प्रतिबंधित करने का आग्रह किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप, लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने 1829 में बंगाल सती रेगुलेशन पारित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: राजा राममोहन राय ने व्यक्तिगत रूप से भी विधवाओं को सती होने से बचाने के लिए काम किया। उनका मानना था कि यह प्रथा अमानवीय और हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।
  • गलत विकल्प: ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया। दयानंद सरस्वती ने ‘शुद्धि आंदोलन’ और वैदिक सिद्धांतों पर जोर दिया। स्वामी विवेकानंद ने सामाजिक सेवा और भारतीय दर्शन के प्रचार पर जोर दिया। हालाँकि ये सभी समाज सुधारक थे, सती प्रथा के उन्मूलन में राजा राममोहन राय का योगदान सबसे प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 17: “पुनर्जागरण” (Renaissance) शब्द का अर्थ क्या है?

  1. पतन
  2. पुनर्जन्म
  3. पुनर्निर्माण
  4. विद्रोह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: “पुनर्जागरण” (Renaissance) फ्रांसीसी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ “पुनर्जन्म” (Rebirth) है। यह यूरोप के इतिहास में एक ऐसा काल था जब शास्त्रीय प्राचीन यूनान और रोम की कला, साहित्य, दर्शन और विज्ञान में पुनरुद्धार देखा गया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह काल मध्य युग के अंत और आधुनिक युग की शुरुआत को चिह्नित करता है। इटली इसका प्रमुख केंद्र था, जहाँ से यह पूरे यूरोप में फैला। इस अवधि में मानवतावाद, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और वैज्ञानिक अन्वेषण पर जोर दिया गया।
  • गलत विकल्प: पतन, पुनर्निर्माण या विद्रोह जैसे शब्द पुनर्जागरण के सार को पूरी तरह से व्यक्त नहीं करते हैं। “पुनर्जन्म” ही इसका सही अर्थ है, जो पुरानी सभ्यताओं के ज्ञान और कला के पुनरुत्थान को दर्शाता है।

प्रश्न 18: भारत में “खुली अर्थव्यवस्था” की नीति कब अपनाई गई?

  1. 1947
  2. 1969
  3. 1980
  4. 1991

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर अधिक एकीकृत करने के लिए 1991 में “खुली अर्थव्यवस्था” या आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई। इसे “नई आर्थिक नीति” (New Economic Policy – NEP) के नाम से भी जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 1991 की इस नीति में उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) – एलपीजी (LPG) – के सिद्धांतों को अपनाया गया। इसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना था।
  • गलत विकल्प: 1947 में स्वतंत्रता मिली, 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ, और 1980 का दशक भी आर्थिक विकास का रहा, लेकिन आर्थिक उदारीकरण और खुली अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण नीति 1991 में ही शुरू हुई।

प्रश्न 19: ऋग्वेद में “गौतम राहुगण” का उल्लेख किस स्तोत्र में मिलता है?

  1. पुरुष सूक्त
  2. नासदीय सूक्त
  3. विश्वामित्र-नदी संवाद सूक्त
  4. सूर्य सूक्त

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वेद के सातवें मंडल में विश्वामित्र और नदी (सरस्वती) के बीच संवाद का वर्णन है, जिसे “विश्वामित्र-नदी संवाद सूक्त” कहा जाता है। इस सूक्त के एक भाग में विश्वामित्र अपने वंशज के रूप में गौतम राहुगण का उल्लेख करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संवाद विश्वामित्र की शक्ति और उनकी तपस्या का भी वर्णन करता है, जो उन्हें नदियों को पार करने में मदद करते हैं। यह ऋग्वेद के महत्वपूर्ण संवाद सूक्तों में से एक है।
  • गलत विकल्प: पुरुष सूक्त ऋग्वेद के दसवें मंडल में है और वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति का वर्णन करता है। नासदीय सूक्त सृष्टिरचना से संबंधित है। सूर्य सूक्त सूर्य देवता की महिमा का गान करता है।

प्रश्न 20: “बास्तील का पतन” (Storming of the Bastille) किस ऐतिहासिक घटना का प्रतीक था?

  1. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम
  2. फ्रांसीसी क्रांति
  3. रूसी क्रांति
  4. औद्योगिक क्रांति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 14 जुलाई 1789 को हुआ “बास्तील का पतन” फ्रांसीसी क्रांति का एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक दिन था। यह फ्रांसीसी राजशाही के अत्याचार और दमन के प्रतीक माने जाने वाले बास्तील जेल पर नागरिकों के हमले का प्रतिनिधित्व करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस घटना ने क्रांति को तेज कर दिया और पूरे फ्रांस में राजशाही के खिलाफ विद्रोह को बढ़ावा दिया। यह घटना आज भी फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाई जाती है।
  • गलत विकल्प: बास्तील का पतन किसी भी तरह से अमेरिकी, रूसी या औद्योगिक क्रांति से संबंधित नहीं है। यह विशेष रूप से फ्रांसीसी क्रांति का एक प्रमुख मील का पत्थर है।

प्रश्न 21: “गिद्ध व्यवस्था” (Vulture System) का संबंध किस भारतीय शासक से था?

  1. अलाउद्दीन खिलजी
  2. मुहम्मद बिन तुगलक
  3. फिरोज शाह तुगलक
  4. सिकंदर लोदी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: “गिद्ध व्यवस्था” (Vulture System) या “बाजार नियंत्रण” प्रणाली का संबंध दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी से था। उसने अपने साम्राज्य में वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने और जमाखोरी को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: अलाउद्दीन खिलजी ने सेना के लिए रसद सुनिश्चित करने और सैनिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए यह प्रणाली लागू की थी। उसने खाद्यान्न, कपड़े, पशुधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए निर्धारित मूल्य तय किए थे। उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा दी जाती थी।
  • गलत विकल्प: मुहम्मद बिन तुगलक अपनी प्रतीकात्मक मुद्रा (Token Currency) और राजधानी स्थानांतरण जैसी योजनाओं के लिए जाना जाता है। फिरोजशाह तुगलक ने लोक कल्याणकारी कार्यों और नहरों के निर्माण पर ध्यान दिया। सिकंदर लोदी ने भूमि व्यवस्था में सुधार किए थे।

प्रश्न 22: 1919 का “रॉलेट एक्ट” किस उद्देश्य से पारित किया गया था?

  1. भारतीयों को अधिक राजनीतिक अधिकार देने के लिए
  2. भूमि सुधारों को लागू करने के लिए
  3. क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाने के लिए
  4. शिक्षा का प्रसार करने के लिए

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1919 का रॉलेट एक्ट (या अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम) ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में राजनीतिक विरोध और क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाने के उद्देश्य से पारित किया गया था। इसने सरकार को बिना किसी मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने का अधिकार दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम में किसी भी भारतीय को बिना वारंट के गिरफ्तार करने, बिना जूरी के मुकदमे चलाने और किसी भी प्रकार के साक्ष्य को स्वीकार करने का प्रावधान था। इसने भारतीयों के बीच भारी असंतोष पैदा किया और जलियांवाला बाग नरसंहार की पृष्ठभूमि तैयार की।
  • गलत विकल्प: यह अधिनियम भारतीयों को अधिकार देने, भूमि सुधार या शिक्षा के प्रसार के लिए नहीं, बल्कि ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों को मजबूत करने के लिए बनाया गया था।

प्रश्न 23: “गुप्तकालीन ABCD” (Gupta Period ABCD) का तात्पर्य क्या है?

  1. गुप्तकालीन प्रशासनिक, व्यावसायिक, धार्मिक और कलात्मक जीवन
  2. गुप्तकालीन महत्वपूर्ण लेख, पुस्तकें, दार्शनिक और विद्वान
  3. गुप्तकालीन अर्थव्यवस्था, समाज, शासन और विज्ञान
  4. गुप्तकालीन वास्तुकला, बोधिसत्व, देवता और दरबारी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: “गुप्तकालीन ABCD” एक प्रतीकात्मक संक्षिप्त नाम है जिसका उपयोग गुप्त काल के दौरान महत्वपूर्ण लेख (Authors/Ancient Texts), पुस्तकें (Books), दार्शनिक (Thinkers) और विद्वानों (Scholars) का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है। यह इस काल की बौद्धिक और साहित्यिक उपलब्धियों का एक समग्र अवलोकन प्रस्तुत करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है, और इस अवधि में साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, कला और दर्शन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त जैसे विद्वानों ने अमूल्य योगदान दिया।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प गुप्त काल के विभिन्न पहलुओं को छूते हैं, लेकिन “ABCD” रूपक विशेष रूप से लेखकों, पुस्तकों, दार्शनिकों और विद्वानों के समूह को दर्शाने के लिए अधिक उपयुक्त है, जो उस काल की बौद्धिक संपदा का प्रतीक हैं।

प्रश्न 24: “कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस” (Commonwealth of Nations) की उत्पत्ति किस ऐतिहासिक घटना से जुड़ी है?

  1. अमेरिकी क्रांति
  2. फ्रेंच क्रांति
  3. ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार
  4. शीत युद्ध

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: “कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस” की उत्पत्ति सीधे तौर पर ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और उसके बाद के विघटन से जुड़ी है। यह ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्व उपनिवेशों का एक स्वैच्छिक संघ है।
  • संदर्भ और विस्तार: 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, ब्रिटिश साम्राज्य के सदस्य देशों के बीच संबंधों को बनाए रखने और सहयोग को बढ़ावा देने के विचार के रूप में इसका उदय हुआ। 1926 के बलफूर घोषणा (Balfour Declaration) और 1931 के वेस्टमिंस्टर अधिनियम (Statute of Westminster) ने इसकी आधुनिक संरचना को आकार दिया। आज, यह 56 स्वतंत्र सदस्य देशों का एक समूह है।
  • गलत विकल्प: अमेरिकी क्रांति, फ्रेंच क्रांति या शीत युद्ध का कॉमनवेल्थ की उत्पत्ति से सीधा संबंध नहीं है। ये वैश्विक इतिहास की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं हैं।

प्रश्न 25: “इल्तुतमिश” के शासनकाल में “चालीसा” (Turkan-i-Chahalgani) का गठन किया गया था। इसका क्या उद्देश्य था?

  1. राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित करना
  2. शाही सेना को मजबूत करना
  3. दिल्ली सल्तनत में सत्ता का विकेंद्रीकरण करना
  4. प्रशासनिक सुधारों को लागू करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इल्तुतमिश, जो दिल्ली सल्तनत का एक महत्वपूर्ण शासक था, ने “चालीसा” (Turkan-i-Chahalgani) नामक 40 तुर्क सरदारों के एक समूह का गठन किया था। इसका मुख्य उद्देश्य सुल्तान की शक्ति को मजबूत करना, उसकी स्थिति को सुरक्षित करना और प्रशासनिक तथा सैन्य मामलों में सहायता प्राप्त करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तुर्क सरदार शाही शक्ति का आधार बने और दिल्ली सल्तनत को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, बाद के वर्षों में, यही चालीसा सल्तनत के लिए एक समस्या बन गया, क्योंकि सरदारों ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर सुल्तानों के चयन और अपदस्थ करने में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
  • गलत विकल्प: चालीसा का गठन सत्ता के विकेंद्रीकरण के बजाय सुल्तान की शक्ति को मजबूत करने के लिए किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य सैन्य और प्रशासनिक सहायता प्रदान करना था, लेकिन इसके गठन का तत्काल और मुख्य उद्देश्य शाही शक्ति को केंद्रीयकृत और सुदृढ़ करना था, विशेषकर आंतरिक सुरक्षा और बाहरी खतरों से निपटने के लिए।

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