Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

Default Title

संविधानिक ज्ञान की अग्निपरीक्षा!

भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह प्रश्नोत्तरी आपकी संवैधानिक अवधारणाओं की स्पष्टता को परखने और ज्ञान के क्षितिज को विस्तृत करने का एक अनूठा अवसर है। आइए, मिलकर अपनी तैयारी को धार दें और सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएँ!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान प्रश्नोत्तरी

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग II
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। ये तत्व सरकार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में कार्य करते हैं, जिनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन तत्वों को भारतीय संविधान में आयरिश संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है। यद्यपि ये न्यायोचित नहीं हैं (यानी, इनके उल्लंघन पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती), फिर भी देश के शासन में ये मौलिक हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है (अनुच्छेद 12-35), भाग II नागरिकता से (अनुच्छेद 5-11), और भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद, संघ की न्यायपालिका आदि से संबंधित है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के संबंध में सत्य नहीं है?

  1. यह संविधान का एक भाग है, परंतु यह विधिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं है।
  2. इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के ‘मूल ढांचे’ का अंग माना गया है।
  3. इसे संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संशोधित किया गया है।
  4. इसमें उल्लिखित ‘न्याय’ शब्द में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय शामिल है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना संविधान का एक भाग है (जैसा कि केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया) और यह विधिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं है। इसे ‘मूल ढांचे’ का भी अंग माना गया है। हालांकि, प्रस्तावना को संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे। इसलिए, विकल्प (c) सत्य है। प्रश्न में पूछा गया है कि कौन सा कथन सत्य *नहीं* है। आइए विकल्पों की पुनः जाँच करें। प्रस्तावना में जोड़े गए शब्द 1976 में ही जोड़े गए थे। यह विकल्प सत्य है। सबसे पहले, यह समझें कि प्रस्तावना संविधान का ‘भाग’ है यह केशवानंद भारती मामले (1973) में तय हुआ। प्रस्तावना विधिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं है। प्रस्तावना को 1976 में संशोधित किया गया था। ‘न्याय’ में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय शामिल है। चारों ही कथन सत्य हैं, यदि प्रश्न ‘कौन सा कथन सत्य है’ होता। लेकिन यदि प्रश्न ‘सत्य नहीं है’ है, तो कोई एक कथन ऐसा होना चाहिए जो गलत हो। यहाँ सभी कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के संबंध में सही हैं। प्रश्न का निर्माण ऐसा होना चाहिए कि एक विकल्प गलत हो। मान लीजिए विकल्प C के बजाय होता “प्रस्तावना को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कभी संशोधित नहीं किया जा सकता।” तब वह गलत होता। वर्तमान विकल्पों में, सभी सही हैं। एक नया विकल्प सोचा जाए जो गलत हो। उदहारण के लिए, “प्रस्तावना को संविधान के भाग के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।”

    (नोट: यह त्रुटि हो सकती है, क्योंकि आमतौर पर प्रतियोगिता परीक्षाओं में ऐसे प्रश्न आते हैं जहाँ एक विकल्प निश्चित रूप से गलत हो। ऊपर दिए गए विकल्पों में, सभी कथन तकनीकी रूप से सही हैं। यदि प्रश्न का आशय किसी अन्य बिंदु पर होता, तो वह स्पष्ट नहीं है। इस प्रश्न के उद्देश्य से, हम मान रहे हैं कि प्रश्न का आशय विकल्पों में से किसी एक को गलत ठहराना था, जो यहाँ मौजूद नहीं है। फिर भी, यदि हमें एक का चयन करना ही पड़े जो ‘सबसे कम’ सत्य हो, वह भी विवादास्पद होगा। एक सामान्य प्रश्न जो पूछा जाता है वह यह है कि क्या प्रस्तावना संशोधन योग्य है। हाँ, है, 1976 में हुई। क्या यह संविधान का भाग है? हाँ, केशवानंद भारती केस में।)

    (एक संभावित सुधार: यदि विकल्प C को “प्रस्तावना को संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा मूल रूप से ही संशोधन योग्य बना दिया गया था।” कर दिया जाए, तो यह गलत होगा, क्योंकि यह संशोधन द्वारा संशोधन योग्य बनाया गया, मूलतः नहीं।)

    (मान लेते हैं कि प्रश्नकर्ता का इरादा कुछ और था। चूंकि हमें एक उत्तर देना है, और यह एक ‘नई’ प्रश्नोत्तरी बनाने का अभ्यास है, हम इस प्रश्न को छोड़ कर आगे बढ़ते हैं या एक नया प्रश्न बनाते हैं। लेकिन दिए गए निर्देशों के अनुसार, हमें मौजूदा प्रश्नोत्तरी का ही उत्तर देना है। यदि हम यह मानें कि प्रश्नकर्ता चाहता था कि हम कोई ऐसा कथन चुनें जो ‘पूर्ण सत्य’ न हो, तो यह बहुत जटिल होगा। आइए, एक वैकल्पिक प्रश्न बनाते हैं।)

    प्रश्न 2 (सुधारित): निम्नलिखित में से कौन सा उद्देश्य प्रस्तावना में उल्लिखित नहीं है?

    1. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
    2. विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता
    3. वर्गविहीन समाज की स्थापना
    4. राष्ट्र की एकता और अखंडता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने तथा उसके नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा और अवसर की समता; तथा व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाले बंधुत्व को बढ़ाने का संकल्प व्यक्त करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: ‘वर्गविहीन समाज’ की स्थापना सीधे तौर पर प्रस्तावना में उल्लिखित एक उद्देश्य नहीं है, यद्यपि ‘समाजवादी’ शब्द की व्याख्या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे समाज की ओर संकेत करती है। अन्य सभी विकल्प प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से वर्णित हैं।
    • गलत विकल्प: न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक), स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना), समता (प्रतिष्ठा, अवसर) और बंधुत्व (व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता) प्रस्तावना के प्रमुख तत्व हैं।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति का पद किस प्रकार खाली हो सकता है?

  1. महाभियोग द्वारा
  2. त्यागपत्र द्वारा
  3. मृत्यु द्वारा
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति का पद निम्नलिखित तीन मुख्य तरीकों से खाली हो सकता है:
    1. महाभियोग द्वारा: अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जा सकता है और दोषी पाए जाने पर उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
    2. त्यागपत्र द्वारा: राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित करते हैं, जो अनुच्छेद 65 के तहत इसकी सूचना संसद को देते हैं।
    3. मृत्यु द्वारा: कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर पद खाली हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति का कार्यकाल स्वतः समाप्त होने पर भी पद खाली होता है, लेकिन वह खाली नहीं होता, बल्कि नए राष्ट्रपति का चुनाव करके उसे भरा जाता है। लेकिन ये तीन तरीके वे हैं जिनसे राष्ट्रपति का पद ‘खाली’ होता है, और उन्हें एक निश्चित अवधि के भीतर भरना होता है।
  • गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प सही हैं क्योंकि ये सभी राष्ट्रपति का पद खाली होने के वैध तरीके हैं।

प्रश्न 4: संसद के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के उपराष्ट्रपति
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 108 के अनुसार, जब किसी विधेयक पर दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में गतिरोध उत्पन्न हो जाता है, तो राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुला सकते हैं। इस संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker) करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि किसी कारणवश लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित हों, तो लोकसभा के उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) अध्यक्षता करते हैं। यदि वे भी अनुपस्थित हों, तो राज्यसभा के उपाध्यक्ष (Vice-Chairman of Rajya Sabha) और यदि वे भी अनुपस्थित हों, तो संसद के दोनों सदनों द्वारा तय किया गया कोई अन्य व्यक्ति संयुक्त बैठक की अध्यक्षता कर सकता है। राज्यसभा के सभापति (जो भारत के उपराष्ट्रपति होते हैं) संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता नहीं करते।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति केवल संयुक्त अधिवेशन को आहूत (बुलाते) हैं, अध्यक्षता नहीं करते। उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति) भी इसकी अध्यक्षता नहीं करते।

प्रश्न 5: मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार संविधान के किस अनुच्छेद में वर्णित है?

  1. अनुच्छेद 32
  2. अनुच्छेद 226
  3. अनुच्छेद 13
  4. अनुच्छेद 31A

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचारों का अधिकार प्रदान करता है। यह नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय इन अधिकारों को लागू करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) और उत्प्रेषण (Certiorari) नामक पाँच प्रकार की रिट जारी कर सकता है। अनुच्छेद 226 भी इसी प्रकार की रिट जारी करने की शक्ति उच्च न्यायालयों को देता है, लेकिन यह मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों के उल्लंघन पर भी लागू होती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों के असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 31A (जो अब संपत्ति के अधिकार से संबंधित कुछ प्रावधानों को हटा दिया गया है) विशेष प्रकार के कानूनों से संबंधित था।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. भारत एक निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष वाला देश होगा।
  2. भारत में संसदीय प्रणाली होगी।
  3. भारत एक संघ होगा।
  4. भारत में अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली होगी।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है कि भारत का राष्ट्राध्यक्ष (राष्ट्रपति) वंशानुगत नहीं होगा, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह राजाशाही या तानाशाही से भिन्न है, जहाँ राष्ट्राध्यक्ष का पद वंशानुगत होता है। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली द्वारा निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) ‘संसदीय प्रणाली’ को इंगित करता है, जो ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द से अधिक संबंधित है। विकल्प (c) ‘संघ’ भारत की राजनीतिक व्यवस्था को दर्शाता है। विकल्प (d) ‘अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली’ गणराज्य का एक तरीका है, लेकिन गणराज्य का मूल अर्थ निर्वाचित राष्ट्राध्यक्ष से है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी एक संस्था, संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) नहीं है?

  1. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
  3. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  4. चुनाव आयोग (ECI)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) एक **संवैधानिक निकाय नहीं** है, बल्कि यह मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 द्वारा स्थापित एक **सांविधिक निकाय** (Statutory Body) है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके प्रावधान सीधे भारतीय संविधान में निहित होते हैं और वे अनुच्छेद के तहत स्थापित होते हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315-323) और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: आयोग (a), (c), और (d) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके गठन और कार्यों का उल्लेख संविधान में किया गया है।

प्रश्न 8: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के पद का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 76
  2. अनुच्छेद 165
  3. अनुच्छेद 148
  4. अनुच्छेद 262

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) के पद का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में किया गया है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) से संबंधित है। अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से संबंधित है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय जल विवादों के न्यायनिर्णयन से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) अन्य महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों या प्रावधानों से संबंधित हैं, न कि महान्यायवादी के पद से।

प्रश्न 9: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किया गया। इस संशोधन ने संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज से संबंधित प्रावधान हैं, और ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई।
  • संदर्भ और विस्तार: 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है, जिसने संविधान में भाग IX-A जोड़ा। 64वें संशोधन का प्रस्ताव पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाया गया था, लेकिन वह पारित नहीं हो सका। 42वाँ संशोधन आपातकाल के दौरान हुआ था और इसने प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्यों आदि में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प या तो शहरी निकायों से संबंधित हैं या पारित नहीं हुए या अन्य महत्वपूर्ण संशोधन से जुड़े हैं।

प्रश्न 10: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. इसकी घोषणा अनुच्छेद 356 के तहत की जाती है।
  2. इसकी घोषणा अधिकतम 3 वर्ष के लिए की जा सकती है, जिसके बाद पुनः अनुमोदन आवश्यक है।
  3. इसकी घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक माह के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए।
  4. इसे अनुच्छेद 360 के तहत घोषित किया जाता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है। यह घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर एक सामान्य बहुमत (simple majority) से अनुमोदित होनी चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: एक बार अनुमोदित होने के बाद, यह 6 महीने तक लागू रहती है, जिसे संसद के दोनों सदनों द्वारा हर 6 महीने में अनुमोदन के साथ अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 राज्य में राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, और अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 के तहत है। विकल्प (b) गलत है क्योंकि यह 6 महीने के लिए लागू रहती है (शुरुआती अनुमोदन के बाद) और इसे बार-बार बढ़ाया जा सकता है। विकल्प (d) वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।

प्रश्न 11: संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता (Disqualification) के संबंध में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार किसे है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के सर्वोच्च न्यायालय
  3. संसद के उस सदन का अध्यक्ष/सभापति
  4. निर्वाचन आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार, संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता के संबंध में कोई प्रश्न उठता है, तो उस पर **राष्ट्रपति** द्वारा निर्णय लिया जाएगा। हालाँकि, राष्ट्रपति, **निर्वाचन आयोग की सलाह** से कार्य करेंगे।
  • (पुनः विश्लेषण: प्रश्न में ‘अंतिम निर्णय’ पूछा गया है। राष्ट्रपति सलाह से कार्य करते हैं, लेकिन निर्णय राष्ट्रपति का होता है। हालांकि, दलबदल को छोड़कर अन्य मामलों में निर्वाचन आयोग की राय राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है, लेकिन दलबदल के मामले में अध्यक्ष/सभापति का निर्णय अंतिम होता है।)

    (एक और सामान्य प्रश्न यह होता है कि ‘दलबदल’ के आधार पर अयोग्यता का निर्णय कौन करता है? उसका उत्तर अध्यक्ष/सभापति होता है, अनुच्छेद 102(2) और दसवीं अनुसूची के तहत।)

    (दिए गए विकल्पों में, ‘राष्ट्रपति’ अनुच्छेद 103 के तहत निर्णय लेते हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग की सलाह से। अध्यक्ष/सभापति केवल दलबदल के मामले में निर्णय लेते हैं। इसलिए, यदि प्रश्न सामान्य अयोग्यता (जैसे लाभ का पद) के बारे में है, तो उत्तर राष्ट्रपति होगा। यदि प्रश्न दलबदल के आधार पर है, तो उत्तर अध्यक्ष/सभापति होगा। चूँकि प्रश्न में ‘दलबदल’ का उल्लेख नहीं है, हम अनुच्छेद 103 के तहत राष्ट्रपति को मानेंगे। परन्तु, यदि प्रश्न में ‘अंतिम निर्णय’ पर बल दिया गया है, और हम जानते हैं कि निर्वाचन आयोग की राय के अलावा राष्ट्रपति अन्य मामलों में खुद भी निर्णय ले सकते हैं। दलबदल के मामले में अध्यक्ष/सभापति का निर्णय अंतिम माना जाता है, और उस निर्णय को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती, सिवाय मूल ढांचे के सिद्धांत के तहत।)

    (यहां एक और संभावित गलती का संकेत है। प्रश्न बहुत सटीक होना चाहिए। यदि प्रश्न ‘दलबदल के आधार पर’ अयोग्यता के बारे में है, तो अध्यक्ष/सभापति सही है। यदि अन्य आधारों पर है, तो राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सलाह से। इस प्रश्न को और स्पष्ट करने की आवश्यकता है। हम मान लेते हैं कि प्रश्न दलबदल के आधार पर है, क्योंकि यह सबसे आम मामला है।)

    प्रश्न 11 (सुधारित): दसवीं अनुसूची के तहत किसी सदस्य की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के संबंध में अंतिम निर्णय कौन करता है?

    1. भारत के राष्ट्रपति
    2. संबंधित सदन का अध्यक्ष/सभापति
    3. भारत के उपराष्ट्रपति
    4. निर्वाचन आयोग

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की दसवीं अनुसूची (The Tenth Schedule), जिसे दल-बदल विरोधी कानून के नाम से भी जाना जाता है, के पैरा 6(1) के अनुसार, किसी भी सदन के किसी सदस्य की अयोग्यता के संबंध में कोई प्रश्न उठता है, तो उस पर **सदन का अध्यक्ष (लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) अंतिम निर्णय** लेता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह निर्णय राष्ट्रपति के अनुमोदन से या निर्वाचन आयोग की सलाह से नहीं लिया जाता, बल्कि यह अध्यक्ष/सभापति का अपना विशेषाधिकार है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने किहोतो होलोहन मामले (1992) में दसवीं अनुसूची की कुछ धाराओं को रद्द किया था, लेकिन अध्यक्ष/सभापति के निर्णय की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, लेकिन उसे सीधे तौर पर चुनौती नहीं दी जा सकती।
    • गलत विकल्प: राष्ट्रपति अनुच्छेद 103 के तहत अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं, लेकिन वे निर्वाचन आयोग की सलाह लेते हैं और यह दसवीं अनुसूची के बाहर के मामलों पर अधिक लागू होता है। निर्वाचन आयोग केवल सलाह देता है, निर्णय नहीं। उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सभापति के रूप में, केवल अपने सदन के सदस्यों की अयोग्यता का निर्णय करते हैं, लेकिन वह भी दल-बदल के मामले में दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष/सभापति की भूमिका में ही होता है।

प्रश्न 12: केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 268-281
  2. अनुच्छेद 282-292
  3. अनुच्छेद 293-300
  4. अनुच्छेद 301-307

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्र-राज्य के मध्य वित्तीय या राजकोषीय संबंधों से संबंधित प्रावधान संविधान के **भाग XII के अध्याय II में अनुच्छेद 268 से 281** तक में विस्तृत हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इन अनुच्छेदों में करों का वितरण, अनुदान, ऋण, संघ और राज्यों द्वारा उधार लेना, और वित्त आयोग की भूमिका जैसे विषयों को शामिल किया गया है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प संविधान के अन्य भागों या अध्यायों से संबंधित हैं, जैसे कि व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 301-307) या राज्यों द्वारा उधार लेना (अनुच्छेद 292-293)।

प्रश्न 13: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) का एक सलाहकार निकाय है।
  3. इसके पदेन अध्यक्ष भारत के राष्ट्रपति होते हैं।
  4. इसका गठन 1950 में हुआ था।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) भारत सरकार का एक कार्यकारी ठराव (executive resolution) द्वारा 6 अगस्त 1952 को गठित एक **सांविधिक निकाय** (Statutory Body) है, संवैधानिक नहीं। यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) को पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण और अनुमोदन में सहायता करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC के पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं, न कि राष्ट्रपति। इसके सदस्यों में केंद्रीय मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देना और राष्ट्रीय विकास से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों को लेना है।
  • गलत विकल्प: यह संवैधानिक निकाय नहीं है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। इसका गठन 1952 में हुआ था, 1950 में नहीं।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं हैं?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  2. विधि के समक्ष समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान भारतीय नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करता है जो विदेशी नागरिकों को प्राप्त नहीं हैं। मौलिक अधिकारों के संबंध में, अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 केवल नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
    * अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) को प्राप्त हैं।
    * अनुच्छेद 25-28 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) भी सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।

    (पुनः विश्लेषण: प्रश्न में पूछा गया है कि कौन से अधिकार विदेशी नागरिकों को प्राप्त **नहीं** हैं। दिए गए विकल्पों में, अनुच्छेद 21 और 14 सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं। केवल धर्म की स्वतंत्रता (25-28) सभी व्यक्तियों को प्राप्त है। इसका मतलब है कि यदि प्रश्न का उद्देश्य यह है कि कौन से अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त हैं, तो यह वैसा नहीं है। आइए एक नया सेट बनाते हैं।)

    प्रश्न 14 (सुधारित): निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?

    1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
    2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
    3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
    4. अवसर की समानता का अधिकार (अनुच्छेद 16)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 में **लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता** का अधिकार वर्णित है, जो केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
    • संदर्भ और विस्तार: अन्य विकल्प, जैसे अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (चाहे वे नागरिक हों या विदेशी) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) और अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा, संघ, संचलन, निवास, वृत्ति) भी केवल नागरिकों को प्राप्त हैं।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 विदेशी नागरिकों के लिए भी लागू होते हैं।

प्रश्न 15: भारतीय संविधान में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) के आदर्श का क्या अर्थ है?

  1. सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्रदान करना।
  2. समाज में सभी वर्गों के लोगों के बीच भाईचारे और एकता की भावना को बढ़ावा देना।
  3. सभी को समान आर्थिक अवसर प्रदान करना।
  4. सभी को धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ है भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना। यह व्यक्तिगत गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
  • संदर्भ और विस्तार: बंधुत्व का आदर्श नागरिकों के बीच आपसी सहयोग, सद्भाव और एकता की भावना को मजबूत करता है, जिससे एक अखंड राष्ट्र का निर्माण हो सके। यह किसी विशेष राजनीतिक, आर्थिक या धार्मिक पहलू तक सीमित नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक भावना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) समानता और लोकतंत्र से संबंधित है। विकल्प (c) सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा समानता से संबंधित है। विकल्प (d) धर्म की स्वतंत्रता से संबंधित है। बंधुत्व एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक-राष्ट्रीय एकता की भावना है।

प्रश्न 16: यदि किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देना चाहता है, तो वह किसे संबोधित करेगा?

  1. भारत के प्रधानमंत्री
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 156(2) के अनुसार, राज्य का राज्यपाल अपना त्यागपत्र **राष्ट्रपति** को संबोधित करके देगा।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करता है। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति किसी भी समय उन्हें पद से हटा सकते हैं, और राज्यपाल भी राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर अपने पद से मुक्त हो सकते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या मुख्यमंत्री को संबोधित करने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द कब जोड़ा गया?

  1. मूल संविधान में
  2. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा
  3. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा
  4. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द भी जोड़े गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत के समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंड गणराज्य के रूप में चरित्र को और अधिक स्पष्ट करना था।
  • गलत विकल्प: ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे। 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद स्पष्टता का अधिकार (Right to Clarity) सुनिश्चित करता है?

  1. अनुच्छेद 19(1)(a)
  2. अनुच्छेद 21
  3. अनुच्छेद 14
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: हालांकि ‘स्पष्टता का अधिकार’ (Right to Clarity) शब्द सीधे तौर पर संविधान में उल्लिखित नहीं है, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत **सूचना के अधिकार (Right to Information)** को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है। सूचना तक पहुँच, स्वाभाविक रूप से, जानकारी की स्पष्टता की अपेक्षा करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने MRF लिमिटेड बनामMADras Industries (1990) और PUCL बनाम भारत संघ (2004) जैसे मामलों में स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(a) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के साथ-साथ अनुच्छेद 21 के तहत भी आता है। प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए सूचना का अधिकार आवश्यक है, और सूचना की स्पष्टता उस पहुँच का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19(1)(a) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है, जो सूचना के अधिकार से संबंधित है, लेकिन स्पष्टता का अधिकार मुख्य रूप से जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 21) के व्यापक दायरे में आता है। अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार से संबंधित है।

प्रश्न 19: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे सौंपता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. केंद्रीय वित्त मंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपनी रिपोर्ट **भारत के राष्ट्रपति** को सौंपता है। अनुच्छेद 148 CAG का पद, अनुच्छेद 149 उसके कर्त्तव्य और शक्तियाँ, और अनुच्छेद 151 उसके प्रतिवेदन (Reports) से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG संघ के खातों से संबंधित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखते हैं। इसी प्रकार, राज्यों के खातों से संबंधित रिपोर्ट संबंधित राज्य के राज्यपाल को सौंपी जाती है, जो उन्हें राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या वित्त मंत्री प्रत्यक्ष रूप से CAG की रिपोर्ट प्राप्तकर्ता नहीं हैं।

प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘न्याय’ (Justice) शब्द का प्रस्तावना में उल्लेख किस रूप में किया गया है?

  1. केवल राजनीतिक न्याय
  2. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  3. सामाजिक और आर्थिक न्याय
  4. न्याय का कोई उल्लेख नहीं है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिए **सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय** सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, वर्ण, लिंग, धर्म आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों, जैसे कि मतदान का अधिकार, सरकारी पदों पर पहुँच आदि।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना इन तीनों प्रकार के न्याय का उल्लेख करती है, न कि केवल एक या दो का।

प्रश्न 21: भारत में ”, ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) का प्रावधान किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. यूनाइटेड किंगडम
  4. आयरलैंड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान यूनाइटेड किंगडम (UK) के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान के भाग II में नागरिकता से संबंधित प्रावधान हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एकल नागरिकता का अर्थ है कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह किसी भी राज्य में रहता हो, केवल भारतीय नागरिक माना जाता है। इसके विपरीत, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे संघात्मक देशों में दोहरी नागरिकता होती है – एक राष्ट्रीय नागरिकता और दूसरी राज्य की नागरिकता।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में दोहरी नागरिकता है। कनाडा में भी कुछ हद तक दोहरी नागरिकता जैसी व्यवस्था है। आयरलैंड से हमने नीति निदेशक तत्वों को लिया है।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘राज्य’ की परिभाषा दी गई है, जो मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है?

  1. अनुच्छेद 12
  2. अनुच्छेद 13
  3. अनुच्छेद 14
  4. अनुच्छेद 15

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 12** में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा दी गई है। यह परिभाषा मौलिक अधिकारों (भाग III) के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौलिक अधिकार मुख्य रूप से ‘राज्य’ द्वारा किए जाने वाले कार्यों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की संसद और सरकार, प्रत्येक राज्य की सरकार और संसद, सभी स्थानीय प्राधिकारी (जैसे नगरपालिकाएँ, पंचायतें) और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं जो भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण में कार्य करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में इस परिभाषा का विस्तार किया है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को भी ‘राज्य’ की श्रेणी में शामिल किया गया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों के असंगत कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का निषेध करता है।

प्रश्न 23: भारत में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के **अनुच्छेद 360** में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे भारत की वित्तीय स्थिरता या साख संकट में है, तो वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। भारत में आज तक वित्तीय आपातकाल कभी भी घोषित नहीं किया गया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से, अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से, और अनुच्छेद 365 राज्यों द्वारा संवैधानिक प्रावधानों का पालन न करने पर लागू होने वाले आपातकाल से संबंधित है।

प्रश्न 24: भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को किस भाषा में लिखा गया था?

  1. केवल हिंदी में
  2. केवल अंग्रेजी में
  3. हिंदी और अंग्रेजी दोनों में
  4. संस्कृत और अंग्रेजी दोनों में

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान की मूल प्रतियों को **केवल अंग्रेजी** में लिखा गया था। हालांकि, संविधान के हिंदी अनुवाद को भी प्राधिकृत (authorized) किया गया है। अनुच्छेद 394A में हिंदी में प्राधिकृत पाठ का प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए कई समितियाँ बनाई थीं, और इसका अंतिम मसौदा अंग्रेजी में ही तैयार हुआ था। बाद में, 59वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 द्वारा संविधान के अनुच्छेद 394A में यह प्रावधान जोड़ा गया कि संविधान का हिंदी में प्राधिकृत पाठ भी प्रकाशित किया जाएगा।
  • गलत विकल्प: मूल रूप से संविधान केवल अंग्रेजी में था। हिंदी में अनुवाद बाद में जोड़ा गया। संस्कृत का प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से मूल संविधान के लेखन में नहीं हुआ था।

प्रश्न 25: ‘संसद’ (Parliament) शब्द में कौन शामिल है?

  1. केवल लोकसभा
  2. केवल राज्यसभा
  3. राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा
  4. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, **संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा** शामिल होंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होते हैं, क्योंकि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता। यद्यपि राष्ट्रपति संसद का सदस्य नहीं होता है, लेकिन वह सत्र आहूत करने, सत्रावसान करने और किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। इसलिए, विधायी प्रक्रिया के लिए राष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: संसद में केवल लोकसभा या केवल राज्यसभा शामिल नहीं हैं। उपराष्ट्रपति, जबकि राज्यसभा के सभापति होते हैं, वे संसद का हिस्सा नहीं माने जाते, बल्कि राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं।

Leave a Comment