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700 तीर्थयात्री फंसे: केदारनाथ में भूस्खलन, MP, गुजरात, राजस्थान रेड अलर्ट – जानिए पूरा घटनाक्रम!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व मौसम की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में भारी से अति भारी बारिश के कारण ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है, जिससे व्यापक बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विशेष रूप से, उत्तराखंड के पवित्र शहर केदारनाथ के पास गौरीकुंड में हुए भीषण भूस्खलन ने पवित्र यात्रा को बाधित कर दिया है। इस घटना ने हजारों तीर्थयात्रियों को प्रभावित किया है, जिसमें लगभग 1600 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन अभी भी 700 से अधिक तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। यह घटना भारत में चरम मौसम की घटनाओं और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर एक बार फिर प्रकाश डालती है।

यह ब्लॉग पोस्ट UPSC उम्मीदवारों के लिए इस बहुआयामी मुद्दे का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें इसके कारण, प्रभाव, संबंधित नीतियां, चुनौतियां और भविष्य की राह शामिल हैं।

1. भारत में अभूतपूर्व वर्षा: कारण और पैटर्न्स (Unprecedented Rainfall in India: Causes and Patterns)

भारत, अपनी विविध भौगोलिक संरचना के साथ, अक्सर मानसून के मौसम में भारी वर्षा का अनुभव करता है। हालाँकि, इस वर्ष की वर्षा की तीव्रता और व्यापकता कुछ चिंताजनक पैटर्न दिखा रही है।

1.1। मानसून का व्यवहार (Monsoon Behaviour):

  • मानसूनी ट्रफ का दक्षिणी विस्थापन: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) और बंगाल की खाड़ी से आने वाली निम्न दाब प्रणाली (Low Pressure System) के संयुक्त प्रभाव के कारण मानसून ट्रफ (Monsoon Trough) सामान्य से अधिक दक्षिण की ओर सक्रिय रहा है। इससे मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में अत्यधिक वर्षा हुई है।
  • आर्द्रता का बढ़ा हुआ प्रवाह: अरब सागर से आ रही उच्च आर्द्रता (High Humidity) ने भी इन क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश को बढ़ावा दिया है।

1.2। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (Impact of Climate Change):

वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है। इसमें शामिल हैं:

  • तापमान वृद्धि: वैश्विक तापमान में वृद्धि वायुमंडल को अधिक जलवाष्प धारण करने में सक्षम बनाती है, जिससे अत्यधिक वर्षा की संभावना बढ़ जाती है।
  • असामान्य पैटर्न: जलवायु परिवर्तन मानसून के पारंपरिक पैटर्नों को बदल रहा है, जिससे कुछ क्षेत्रों में सूखा और अन्य में अचानक बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं।
  • वर्षा की ‘पॉकेटिंग’: कभी-कभी, वायुमंडलीय परिस्थितियां इस तरह से बनती हैं कि वर्षा कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में ही केंद्रित हो जाती है, जिससे वहां विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।

“जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाला एक संकट है।”
– एक प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक

2. भूस्खलन और तीर्थयात्रियों पर प्रभाव: केदारनाथ की स्थिति (Landslides and Impact on Pilgrims: The Kedarnath Situation)

केदारनाथ, चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, अपनी ऊंचाई और पहाड़ी भूभाग के कारण भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। इस बार गौरीकुंड के पास हुआ भूस्खलन कई कारणों का परिणाम है:

2.1। भूस्खलन के कारण (Causes of Landslide):

  • अत्यधिक वर्षा: लगातार और मूसलाधार बारिश ने मिट्टी और चट्टानों की स्थिरता को कमजोर कर दिया है।
  • भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता: हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों से गुजरता है। यह क्षेत्र पहले भी भूस्खलन से प्रभावित रहा है।
  • वनस्पति का क्षरण: वनों की कटाई और निर्माण गतिविधियों के कारण पहाड़ी ढलानों पर वनस्पति आवरण कम हो गया है, जिससे मिट्टी की पकड़ कमजोर हो गई है।
  • पहाड़ों का क्षरण: प्राकृतिक कटाव (Erosion) और मानव निर्मित गतिविधियां पहाड़ों को अस्थिर कर सकती हैं।

2.2। फंसे हुए तीर्थयात्री और बचाव कार्य (Stranded Pilgrims and Rescue Operations):

  • मार्ग बंद: भूस्खलन के कारण गौरीकुंड से केदारनाथ तक का मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिससे तीर्थयात्रियों का आवागमन रुक गया।
  • बचाव की चुनौतियाँ: फंसे हुए यात्रियों को निकालने के लिए बचाव दल (NDRF, SDRF, सेना) तुरंत हरकत में आए। हालाँकि, खराब मौसम, खराब दृश्यता और लगातार हो रही बारिश ने बचाव कार्यों को अत्यंत कठिन बना दिया।
  • संचालन: लगभग 1600 तीर्थयात्रियों को हेलीकॉप्टर और सुरक्षित मार्गों से निकाला गया। वहीं, 700 से अधिक तीर्थयात्री अभी भी फंसे हुए हैं, जिनके लिए भोजन, आश्रय और सुरक्षित निकास सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • सुरक्षा: फंसे हुए यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोच्च प्राथमिकता है, और उन्हें चिकित्सा सहायता भी प्रदान की जा रही है।

3. राज्यों में बाढ़ और जनजीवन पर प्रभाव (Floods in States and Impact on Public Life)

मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है।

3.1। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh):

  • प्रमुख नदियाँ: चंबल, नर्मदा, ताप्ती और सिंध जैसी प्रमुख नदियाँ उफान पर हैं, जिससे कई निचले इलाकों में पानी भर गया है।
  • प्रभावित जिले: भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, मंदसौर, नीमच आदि जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
  • नुकसान: सड़कों, पुलों और घरों को भारी नुकसान हुआ है। बिजली आपूर्ति ठप हो गई है और संचार व्यवस्था बाधित हुई है।
  • बचाव और राहत: NDRF और SDRF की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। सेना की मदद भी ली जा रही है। फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

3.2। गुजरात (Gujarat):

  • सौराष्ट्र और कच्छ: गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं, जहाँ कई बांधों से पानी छोड़ना पड़ा है।
  • नदी तंत्र: बनास, सरस्वती, साबरमती और मही नदियों में जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है।
  • स्थिति: अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर, मोरबी जैसे शहर और ग्रामीण क्षेत्र बाढ़ की चपेट में हैं।
  • राहत कार्य: गुजरात सरकार ने प्रभावी राहत अभियान चलाए हैं, जिसमें सुरक्षित स्थानों पर लोगों को ले जाना और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना शामिल है।

3.3। राजस्थान (Rajasthan):

  • पश्चिमी राजस्थान: विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान के जिले जैसे जालौर, सिरोही, पाली, बाड़मेर भारी बारिश से प्रभावित हैं।
  • भूस्खलन: हालांकि भूस्खलन के मामले केदारनाथ जैसे नहीं हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में भी जल-जनित आपदाओं का खतरा है।
  • नदी घाटी: लूनी नदी बेसिन में जलस्तर बढ़ा है।
  • प्रशासनिक प्रतिक्रिया: राज्य सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया दिखाते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव दल भेजे हैं और राहत शिविर स्थापित किए हैं।

4. आपदा प्रबंधन: भारत की तैयारियों का मूल्यांकन (Disaster Management: Evaluating India’s Preparedness)

यह घटना भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली की क्षमताओं और सीमाओं को उजागर करती है।

4.1। भारत की आपदा प्रबंधन ढाँचा (India’s Disaster Management Framework):

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): यह आपदाओं के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों के निर्माण के लिए शीर्ष निकाय है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF): यह विशेषीकृत बल है जो बाढ़, भूकंप, भूस्खलन जैसी आपदाओं में बचाव और राहत कार्य करता है।
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिए यह जिम्मेदार है।
  • जिला आपदा प्रबंधन योजनाएं: प्रत्येक जिले के लिए आपदा-विशिष्ट योजनाएं बनाई जाती हैं।
  • कानूनी ढाँचा: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, इन सभी संस्थाओं और कार्यों को कानूनी आधार प्रदान करता है।

4.2। चुनौतियाँ (Challenges):

  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): इन प्रणालियों को और अधिक सटीक, व्यापक और स्थानीयकृत बनाने की आवश्यकता है।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: स्थानीय अधिकारियों और समुदायों को आपदा के प्रति अधिक प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • बुनियादी ढांचा: आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे का निर्माण एक बड़ी चुनौती है।
  • समन्वय: विभिन्न सरकारी एजेंसियों, सेना, अर्धसैनिक बलों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
  • वित्त पोषण: आपदा तैयारियों और राहत कार्यों के लिए पर्याप्त और समय पर धन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • संसाधन: विशेष रूप से दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में बचाव उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी।
  • जागरूकता: जनता को आपदाओं के जोखिम और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।

4.3। सीख और भविष्य की राह (Learnings and Way Forward):

इस घटना से सीख लेकर, भारत को अपनी आपदा प्रबंधन रणनीतियों को और मजबूत करना चाहिए:

  • जलवायु-अनुकूलन योजनाएँ: लंबी अवधि की योजनाएँ जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखें।
  • शहरी नियोजन: बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण और विकास को विनियमित करना।
  • पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष नीतियाँ: भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण, वनस्पति संरक्षण और पर्यटन को विनियमित करने के लिए कड़े नियम।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन और AI का उपयोग करके बेहतर निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया।
  • सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन योजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल करना।
  • अंतर-एजेंसी सहयोग: राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाना।

5. संबंधित सरकारी नीतियां और पहलें (Related Government Policies and Initiatives)

भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP): यह एक व्यापक योजना है जो आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को कवर करती है।
  • आपदा न्यूनीकरण के लिए सेंट-ऑफ-एक्सीलेंस (CoEs): विभिन्न संस्थानों में स्थापित किए गए हैं।
  • स्मार्ट सिटी मिशन: इस मिशन के तहत, शहरों को आपदा प्रतिरोधी बनाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और अन्य आवास योजनाएं: आपदा-सुरक्षित आवासों के निर्माण पर जोर।
  • गंगा बेसिन और अन्य नदी घाटियों के लिए विशेष योजनाएँ।

6. वैकल्पिक दृष्टिकोण और बहस (Alternative Perspectives and Debates)

इस तरह की घटनाओं पर अक्सर विभिन्न दृष्टिकोण सामने आते हैं:

  • विकास बनाम पर्यावरण: क्या विकास की गति को पर्यावरणीय चिंताओं के कारण धीमा किया जाना चाहिए? विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निर्माण परियोजनाओं पर बहस।
  • पर्यटन का प्रभाव: चार धाम जैसी तीर्थयात्राओं का विस्तार और यात्रियों की संख्या में वृद्धि से पर्यावरण और बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है। इस पर नियामक तंत्र की आवश्यकता है।
  • शासन का उत्तरदायित्व: क्या सरकारें भविष्य की आपदाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही हैं, या वे केवल प्रतिक्रियात्मक रही हैं?

7. निष्कर्ष (Conclusion)

मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान में भारी बारिश और केदारनाथ में भूस्खलन की घटनाएँ भारत के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं। यह चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति का संकेत है, जो जलवायु परिवर्तन से प्रेरित हो सकती हैं। हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है, और बहुतों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत को अपनी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में सुधार करने, जलवायु-अनुकूलन रणनीतियों को अपनाने और सबसे महत्वपूर्ण बात, दीर्घकालिक सतत विकास मॉडल पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण और पर्यटन के नियमन तथा स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना समय की मांग है। जब तक हम अपनी कमजोरियों को दूर नहीं करते और भविष्य के लिए तैयारी नहीं करते, तब तक ऐसी आपदाएँ हमारे लिए बड़ी चुनौतियाँ पेश करती रहेंगी।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कारक मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में हालिया भारी वर्षा के लिए जिम्मेदार हो सकता है?
  2. (a) केवल पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव
  3. (b) केवल अरब सागर से उच्च आर्द्रता
  4. (c) मानसूनी ट्रफ का दक्षिणी विस्थापन और अरब सागर से उच्च आर्द्रता का प्रवाह
  5. (d) बंगाल की खाड़ी में एक स्थायी निम्न दाब प्रणाली
  6. उत्तर: (c)
  7. व्याख्या: IMD के अनुसार, मानसूनी ट्रफ का दक्षिणी विस्थापन और अरब सागर से आर्द्रता का बढ़ा हुआ प्रवाह इन क्षेत्रों में भारी वर्षा के मुख्य कारण थे।
  8. प्रश्न 2: केदारनाथ के पास गौरीकुंड में भूस्खलन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कारक अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हो सकता है?
  9. (a) अत्यधिक भूकंपीय गतिविधि
  10. (b) वनस्पति आवरण में कमी
  11. (c) अत्यधिक पर्यटन
  12. (d) उपरोक्त सभी
  13. उत्तर: (d)
  14. व्याख्या: वनस्पति का क्षरण मिट्टी की पकड़ को कमजोर करता है। पर्यटन और निर्माण गतिविधियाँ भी ढलानों को अस्थिर कर सकती हैं। यद्यपि भूकंपीय गतिविधि सीधे भूस्खलन का कारण नहीं बनी, हिमालयी क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता एक अंतर्निहित कारक है।
  15. प्रश्न 3: भारत में आपदा प्रबंधन के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
  16. (a) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) नीतियों का निर्माण करता है।
  17. (b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) बचाव और राहत कार्यों के लिए जिम्मेदार है।
  18. (c) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय करता है।
  19. (d) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, आपदा प्रबंधन के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है।
  20. उत्तर: (c)
  21. व्याख्या: SDMA राज्य स्तर पर समन्वय करता है, राष्ट्रीय स्तर पर नहीं। राष्ट्रीय स्तर पर NDMA और अन्य केंद्रीय एजेंसियां ​​समन्वय करती हैं।
  22. प्रश्न 4: निम्नलिखित नदियों में से कौन सी गुजरात में हाल की बाढ़ से प्रभावित हो सकती है?
  23. (a) गोदावरी
  24. (b) कृष्णा
  25. (c) साबरमती
  26. (d) महानदी
  27. उत्तर: (c)
  28. व्याख्या: साबरमती नदी गुजरात की एक प्रमुख नदी है जो अहमदाबाद शहर से होकर बहती है और बाढ़ से प्रभावित हो सकती है।
  29. प्रश्न 5: भूस्खलन की संवेदनशीलता को कम करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी सबसे प्रभावी विधि है?
  30. (a) पहाड़ी ढलानों पर कंक्रीट की परतें बिछाना
  31. (b) वनस्पति आवरण को बढ़ाना और बनाए रखना
  32. (c) भारी निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देना
  33. (d) जल निकासी प्रणालियों को अवरुद्ध करना
  34. उत्तर: (b)
  35. व्याख्या: वनस्पति, विशेष रूप से पेड़ों की जड़ें, मिट्टी को बांधकर रखती हैं और कटाव को रोकती हैं, जिससे भूस्खलन की संभावना कम हो जाती है।
  36. प्रश्न 6: जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि के पीछे निम्नलिखित में से कौन सा मुख्य कारण है?
  37. (a) पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बढ़ती सांद्रता
  38. (b) ओजोन परत का क्षरण
  39. (c) सौर विकिरण में वृद्धि
  40. (d) ज्वालामुखी विस्फोटों की आवृत्ति में वृद्धि
  41. उत्तर: (a)
  42. व्याख्या: ग्रीनहाउस गैसों, विशेष रूप से CO2, के कारण वायुमंडल में गर्मी ट्रैप होती है, जिससे वैश्विक तापमान बढ़ता है और चरम मौसम की घटनाएं होती हैं।
  43. प्रश्न 7: भारत में ‘रेड अलर्ट’ का क्या तात्पर्य है?
  44. (a) भारी वर्षा की संभावना
  45. (b) अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना
  46. (c) सामान्य वर्षा की उम्मीद
  47. (d) सूखा पड़ने की संभावना
  48. उत्तर: (b)
  49. व्याख्या: IMD द्वारा जारी ‘रेड अलर्ट’ का मतलब है कि अत्यधिक वर्षा या मौसम की स्थिति की उम्मीद है जो जीवन और संपत्ति के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
  50. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य हालिया भारी बारिश से सबसे कम प्रभावित होने की संभावना है, यदि हम दिए गए समाचार को आधार मानें?
  51. (a) मध्य प्रदेश
  52. (b) गुजरात
  53. (c) राजस्थान
  54. (d) हिमाचल प्रदेश
  55. उत्तर: (d)
  56. व्याख्या: समाचार के अनुसार, MP, गुजरात और राजस्थान रेड अलर्ट पर थे। हिमाचल प्रदेश का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, और यह उस समय उन क्षेत्रों में नहीं था जहाँ व्यापक अलर्ट था।
  57. प्रश्न 9: चार धाम यात्रा के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
  58. 1. चार धाम में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल हैं।
  59. 2. केदारनाथ भूस्खलन के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है।
  60. ऊपर दिए गए कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
  61. (a) केवल 1
  62. (b) केवल 2
  63. (c) दोनों 1 और 2
  64. (d) न तो 1 और न ही 2
  65. उत्तर: (c)
  66. व्याख्या: चार धाम में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल हैं। केदारनाथ उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में है और भूस्खलन के लिए जाना जाता है।
  67. प्रश्न 10: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लिए कौन सी संस्था ‘सशस्त्र बलों की तरह’ कार्य करती है और बचाव कार्यों में विशेषज्ञता रखती है?
  68. (a) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
  69. (b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
  70. (c) केंद्रीय गृह मंत्रालय
  71. (d) भारतीय सेना
  72. उत्तर: (b)
  73. व्याख्या: NDRF विशेष रूप से आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित है, जो इसे ‘सशस्त्र बलों की तरह’ एक विशेषीकृत बल बनाता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: हालिया भारी वर्षा और भूस्खलन की घटनाओं के आलोक में, भारत में आपदा प्रबंधन के वर्तमान ढांचे की क्षमताओं और सीमाओं का गंभीर मूल्यांकन करें। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए, आपदाओं के प्रति भारत की प्रतिक्रिया को अधिक प्रभावी और भविष्योन्मुखी बनाने के लिए आवश्यक सुधारों का सुझाव दें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: केदारनाथ जैसे संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के बहुआयामी कारणों पर चर्चा करें। ऐसे क्षेत्रों में तीर्थयात्रियों और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शमन उपायों और दीर्घकालिक रणनीतियों का वर्णन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: भारत में जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाओं के बीच संबंध का विश्लेषण करें। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में हालिया बाढ़ ने इसके प्रभावों को कैसे उजागर किया है? भारत को अपनी अनुकूलन और शमन रणनीतियों को कैसे मजबूत करना चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक)

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