Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

Default Title

ज्ञान की कसौटी: इतिहास के 25 ज्वलंत प्रश्न

नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! आज हम समय के गलियारों से होकर गुजरेंगे और भारतीय तथा विश्व इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ावों से जुड़े 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ अपने ज्ञान की परीक्षा लेंगे। अपनी तैयारी को परखने और अपनी विशेषज्ञता को और निखारने के लिए तैयार हो जाइए!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से एक उन्नत जल निकासी प्रणाली के प्रमाण मिले हैं?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मोहनजोदड़ो, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था, जो अपनी सुनियोजित शहरी योजना और उत्कृष्ट जल निकासी प्रणाली के लिए जाना जाता है। यहाँ के भवन ईंटों से बने थे और गलियों के किनारे नालियाँ ढकी हुई थीं, जो व्यवस्थित जल निकासी को दर्शाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो (सिंधी भाषा में ‘मृतकों का टीला’) में सार्वजनिक स्नानागार (Great Bath), अन्न भंडार और कई आवासीय भवन मिले हैं। यह शहर दो भागों में विभाजित था – एक दुर्ग (citadel) और दूसरा निचला शहर।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा भी एक महत्वपूर्ण स्थल है, लेकिन जल निकासी प्रणाली के उन्नत प्रमाण मोहनजोदड़ो में अधिक स्पष्ट हैं। लोथल एक बंदरगाह शहर था जहाँ गोदी (dockyard) मिली थी, और कालीबंगा में जुते हुए खेत के प्रारंभिक प्रमाण मिले।

प्रश्न 2: प्राचीन भारत में ‘पंच महायज्ञ’ का क्या अर्थ था?

  1. पांच देवताओं की पूजा
  2. पांच प्रमुख वैदिक अनुष्ठान
  3. प्रतिदिन पांच ऋणों को चुकाने का कर्तव्य
  4. पांच महान योद्धाओं का सम्मान

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘पंच महायज्ञ’ या ‘नित्यकर्म’ का अर्थ है प्रतिदिन पांच प्रकार के ऋणों या कर्तव्यों का निर्वहन करना, जो एक व्यक्ति पर समाज और सृष्टि के प्रति माने जाते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ये पांच यज्ञ हैं: ब्रह्म यज्ञ (वेदों का अध्ययन और अध्यापन, पितरों के प्रति), देव यज्ञ (हवन या बलि, देवताओं के प्रति), पितृ यज्ञ (पिंडदान, पितरों के प्रति), भूत यज्ञ (जीवों को अन्न देना, भूतों के प्रति) और अतिथि यज्ञ (अतिथियों का सत्कार, मनुष्यों के प्रति)।
  • गलत विकल्प: ये देवताओं की पूजा से अधिक एक व्यापक नैतिक और सामाजिक कर्तव्य था। ये विशेष अनुष्ठान कम, बल्कि दैनिक जीवन के कर्तव्य अधिक थे।

प्रश्न 3: मौर्य काल का वह कौन सा स्तंभ है जिस पर ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है?

  1. सारनाथ स्तंभ
  2. वैशाली स्तंभ
  3. साँची स्तंभ
  4. एहोल स्तंभ

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही जीत होती है) वाक्य सारनाथ में सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए सिंह चतुर्मुख स्तंभ के नीचे उत्कीर्ण है। यह भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य भी है।
  • संदर्भ और विस्तार: सारनाथ स्तंभ को अशोक के धर्म प्रचार के महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक माना जाता है। इसमें चार सिंह एक-दूसरे की ओर मुख किए हुए हैं, जो शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक हैं। इस स्तंभ के शीर्ष पर धर्मचक्र भी स्थापित था।
  • गलत विकल्प: वैशाली स्तंभ (अशोक द्वारा निर्मित), साँची स्तंभ (मध्य प्रदेश में स्थित एक प्रमुख बौद्ध स्तूप परिसर का हिस्सा) और एहोल स्तंभ (चालुक्य काल का, मुख्य रूप से उत्तर भारत के प्रभाव को दर्शाता है) पर ‘सत्यमेव जयते’ अंकित नहीं है।

प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. इस काल में सोने का सर्वाधिक उत्पादन हुआ।
  2. साहित्य, कला, विज्ञान और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ।
  3. सम्राटों ने सोने के सिक्के चलाए।
  4. इस काल में सभी क्षेत्रों में शांति थी।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान साहित्य (जैसे कालिदास के नाटक), विज्ञान (आर्यभट्ट का खगोल विज्ञान और गणित), कला (अजंता की गुफाएँ) और वास्तुकला (देवगढ़ का दशावतार मंदिर) जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युग में खगोलविद आर्यभट्ट ने पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने और सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने की अवधारणा प्रस्तुत की। गुप्त शासकों ने स्थिर शासन और प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखी, जिससे सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास को बल मिला।
  • गलत विकल्प: हालांकि सोने के सिक्के चलाए गए थे, लेकिन इसे स्वर्ण युग का प्राथमिक कारण नहीं माना जाता। सभी क्षेत्रों में पूर्ण शांति का दावा भी अतिशयोक्ति होगी, क्योंकि बाहरी आक्रमण होते रहे थे।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत की स्थापना किस वर्ष हुई?

  1. 1192 ईस्वी
  2. 1206 ईस्वी
  3. 1210 ईस्वी
  4. 1227 ईस्वी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ईस्वी में हुई थी, जब मुहम्मद गोरी के एक गुलाम और सेनापति, कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वयं को दिल्ली का सुल्तान घोषित किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: ऐबक ने गुलाम वंश (जिसे मामलुक वंश भी कहते हैं) की नींव रखी। तराइन के द्वितीय युद्ध (1192) में पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद भारत में तुर्की शासन की मजबूत नींव पड़ी, और 1206 में सल्तनत की औपचारिक स्थापना हुई।
  • गलत विकल्प: 1192 ईस्वी वह वर्ष है जब मुहम्मद गोरी ने तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हराया था। 1210 में ऐबक की मृत्यु हुई और 1227 में इल्तुतमिश ने सिंध और बंगाल पर विजय प्राप्त कर अपनी स्थिति मजबूत की।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य का संस्थापक कौन था?

  1. कृष्ण देवराय
  2. हरिहर प्रथम
  3. बुक्का प्रथम
  4. राम राय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और उसके भाई बुक्का प्रथम ने की थी। हरिहर प्रथम साम्राज्य का पहला शासक था।
  • संदर्भ और विस्तार: हरिहर प्रथम ने तुंगभद्रा नदी के किनारे विजयनगर शहर की स्थापना की और साम्राज्य का विस्तार किया। बुक्का प्रथम ने साम्राज्य को और मजबूत किया और उत्तरी सीमा तक इसका विस्तार किया। यह साम्राज्य अपने समय में दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य था।
  • गलत विकल्प: कृष्ण देवराय विजयनगर के सबसे महान शासकों में से एक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की थी। राम राय बाद के शासक थे, जो तालीकोटा के युद्ध (1565) में मारे गए थे।

प्रश्न 7: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किस मुगल सम्राट ने की थी?

  1. अकबर
  2. जहांगीर
  3. शाहजहां
  4. औरंगजेब

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक नया धर्म या पंथ नहीं था, बल्कि विभिन्न धर्मों (इस्लाम, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, पारसी धर्म आदि) के प्रमुख सिद्धांतों का एक संश्लेषण था, जिसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देना था। यह अकबर के धार्मिक विचारों का परिणाम था, जिन्होंने इबादतखाना में विभिन्न धर्मगुरुओं के साथ चर्चाएँ की थीं।
  • गलत विकल्प: जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब ने इस परम्परा को आगे नहीं बढ़ाया। जहाँगीर कला और चित्रकला के संरक्षक थे, शाहजहां वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं, और औरंगजेब अपनी धार्मिक रूढ़िवादिता के लिए प्रसिद्ध थे।

प्रश्न 8: पानीपत का दूसरा युद्ध कब हुआ था?

  1. 1526 ईस्वी
  2. 1556 ईस्वी
  3. 1761 ईस्वी
  4. 1576 ईस्वी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवंबर 1556 को मुगल सम्राट अकबर (तब बैरम खान के संरक्षण में) और अफगान शासक हेमू के बीच हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में अकबर की सेना ने हेमू को निर्णायक रूप से हराया, जिसने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। इस जीत ने भारत में मुगल शासन की जड़ें जमा दीं।
  • गलत विकल्प: 1526 ईस्वी में पानीपत का पहला युद्ध इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ था, जिसमें बाबर विजयी हुआ। 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुआ था। 1576 हल्दीघाटी का युद्ध था।

प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?

  1. लॉर्ड डलहौजी
  2. लॉर्ड कैनिंग
  3. लॉर्ड लिटन
  4. लॉर्ड रिपन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कैनिंग ने विद्रोह को कुचलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विद्रोह के तुरंत बाद, 1858 में, भारत सरकार अधिनियम द्वारा गवर्नर-जनरल के पद को वायसराय में बदल दिया गया, और कैनिंग ही भारत के पहले वायसराय बने।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी (1848-1856) अपनी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं, जिसने विद्रोह के कारणों में योगदान दिया। लॉर्ड लिटन (1876-1880) वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट के लिए और लॉर्ड रिपन (1880-1884) स्थानीय स्वशासन के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 10: ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस की किस बैठक में पारित हुआ?

  1. लखनऊ अधिवेशन, 1916
  2. दिल्ली अधिवेशन, 1940
  3. रामगढ़ अधिवेशन, 1940
  4. बम्बई अधिवेशन, 1942

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को बम्बई (अब मुंबई) में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पारित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: महात्मा गांधी ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को तुरंत आज़ादी दिलाना था, और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच इसने ब्रिटिश सरकार पर भारी दबाव डाला।
  • गलत विकल्प: लखनऊ अधिवेशन (1916) में कांग्रेस-मुस्लिम लीग का समझौता हुआ। दिल्ली अधिवेशन (1940) में व्यक्तिगत सत्याग्रह का प्रस्ताव पारित हुआ। रामगढ़ अधिवेशन (1940) में भी व्यक्तिगत सत्याग्रह की नीति अपनाई गई थी।

प्रश्न 11: प्राचीन बौद्ध धर्म के ‘अष्टांगिक मार्ग’ में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?

  1. सम्यक वाक् (सही वाणी)
  2. सम्यक कर्म (सही कर्म)
  3. सम्यक दर्शन (सही दृष्टि)
  4. सम्यक ध्यान (सही एकाग्रता)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग में ‘सम्यक दृष्टि’ (Right View) शामिल है, न कि ‘सम्यक दर्शन’। ‘दर्शन’ का प्रयोग दर्शनशास्त्र के संदर्भ में होता है, जबकि यहाँ ‘दृष्टि’ या ‘समझ’ का अर्थ है।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टांगिक मार्ग दुखों के अंत के लिए आठ प्रमुख सिद्धांतों का एक समूह है: सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प (Right Resolve), सम्यक वाक्, सम्यक कर्म, सम्यक आजीव (Right Livelihood), सम्यक व्यायाम (Right Effort), सम्यक स्मृति (Right Mindfulness), और सम्यक समाधि (Right Concentration)।
  • गलत विकल्प: दिए गए अन्य सभी विकल्प (वाक्, कर्म, ध्यान) अष्टांगिक मार्ग के सही घटक हैं। ‘सम्यक दृष्टि’ ही इसका उचित रूप है, ‘सम्यक दर्शन’ नहीं।

प्रश्न 12: मगध के किस शासक को ‘सर्वांतक’ (सभी को समाप्त करने वाला) कहा जाता था?

  1. बिम्बिसार
  2. अजातशत्रु
  3. उदयीन
  4. नागदशक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मगध के हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु को ‘सर्वांतक’ या ‘कुणिक’ भी कहा जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: अजातशत्रु एक महत्वाकांक्षी और शक्तिशाली शासक था जिसने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया था। उसने अपने पड़ोसियों, जैसे कोशल और वज्जि संघ (वैशाली) पर विजय प्राप्त कर मगध साम्राज्य का विस्तार किया।
  • गलत विकल्प: बिम्बिसार मगध का संस्थापक था। उदयीन ने पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया। नागदशक हर्यक वंश का अंतिम शासक था।

प्रश्न 13: ‘कौटिल्य’ का ‘अर्थशास्त्र’ मुख्य रूप से किस विषय पर आधारित है?

  1. राजनीतिक आचार संहिता
  2. सैन्य रणनीति
  3. साम्राज्य का शासन और प्रशासन
  4. आर्थिक सिद्धांत

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा लिखित ‘अर्थशास्त्र’ एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो मुख्य रूप से राज्यकला, शासन, प्रशासन, कूटनीति, युद्ध और कानून पर आधारित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ मौर्य साम्राज्य की राजनीतिक और आर्थिक संरचना का विस्तृत विवरण प्रदान करता है। इसमें राजा के कर्तव्य, मंत्रियों की भूमिका, गुप्तचर व्यवस्था, न्याय प्रणाली, कृषि, राजस्व संग्रह और विदेश नीति जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
  • गलत विकल्प: हालाँकि इसमें राजनीतिक आचार संहिता, सैन्य रणनीति और आर्थिक सिद्धांत के अंश हैं, परंतु इसका मुख्य केंद्र राज्य का सम्पूर्ण शासन और प्रशासन है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा शासक ‘राष्ट्रकूट वंश’ से संबंधित नहीं था?

  1. ध्रुव
  2. गोविंद तृतीय
  3. कृष्ण द्वितीय
  4. राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम (जिन्हें कृष्ण प्रथम भी कहा जाता है) राष्ट्रकूट वंश के एक महत्वपूर्ण शासक थे। यहाँ दिए गए विकल्पों में शायद कोई त्रुटि है, क्योंकि सभी विकल्प राष्ट्रकूट शासकों के नाम प्रतीत होते हैं। यदि प्रश्न का आशय यह था कि कौन ‘राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम’ से संबंधित नहीं था, तो यह वाक्य संरचना गलत है। मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय है कि कौन सा विकल्प ‘राष्ट्रकूट वंश’ से संबंधित नहीं है, और यहाँ एक विकल्प जो राष्ट्रकूट न हो, वह अपेक्षित है। यदि सभी विकल्प राष्ट्रकूट हैं, तो प्रश्न को पुनः जाँचने की आवश्यकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ध्रुव (780-793), गोविंद तृतीय (793-814), और कृष्ण द्वितीय (878-914) सभी महत्वपूर्ण राष्ट्रकूट शासक थे। राष्ट्रकूट वंश का उदय 8वीं शताब्दी में हुआ और यह दक्षिण भारत में एक प्रमुख शक्ति था। एलोरा का प्रसिद्ध कैलाश मंदिर राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम के शासनकाल में निर्मित हुआ था।
  • गलत विकल्प: दिए गए विकल्पों में, यदि प्रश्न का प्रारूप यही है, तो यह भ्रमित करने वाला है क्योंकि सभी राष्ट्रकूट वंश के शासक हैं। यदि यह माना जाए कि ‘राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम’ स्वयं एक शासक था, तो यह सही है।

*(**टिप्पणी:** यह प्रश्न का संभावित रूप से अस्पष्ट होने के कारण, व्याख्या को उस दिशा में दिया गया है जो सबसे अधिक तार्किक लगे। यदि ‘राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम’ को छोड़कर अन्य विकल्प थे, तो वे ही सही उत्तर होते।)*


प्रश्न 15:IISc (भारतीय विज्ञान संस्थान) की स्थापना किस वर्ष हुई?

  1. 1905
  2. 1911
  3. 1920
  4. 1935

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की स्थापना 1911 में हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना जमशेदजी टाटा की दूरदृष्टि का परिणाम थी। इस संस्थान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में उच्च स्तरीय वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देना था। यह भारत के प्रमुख वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों में से एक है।
  • गलत विकल्प: 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ था। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। 1935 में भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ था।

प्रश्न 16: ‘गदर पार्टी’ का मुख्यालय कहाँ स्थित था?

  1. लंदन
  2. सैन फ्रांसिस्को
  3. बर्लिन
  4. न्यूयॉर्क

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गदर पार्टी का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित था।
  • संदर्भ और विस्तार: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में हुई थी। यह मुख्य रूप से उन भारतीय अप्रवासियों (विशेषकर पंजाबियों) द्वारा स्थापित की गई थी जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ थे और भारत को स्वतंत्र कराना चाहते थे। पार्टी ने ‘गदर’ नामक एक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया, जिसने क्रांति का आह्वान किया।
  • गलत विकल्प: लंदन में इंडिया हाउस जैसे राष्ट्रवादी केंद्र थे, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था। बर्लिन में भी भारतीय राष्ट्रवादी गतिविधियों के केंद्र थे (जैसे गदर पार्टी की शाखा), और न्यूयॉर्क भी एक प्रमुख अमेरिकी शहर था, लेकिन सैन फ्रांसिस्को पार्टी का प्रधान केंद्र था।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन से वेदों में से एक ‘यज्ञों’ और अनुष्ठानों पर केंद्रित है?

  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: यजुर्वेद मुख्य रूप से यज्ञों (यज्ञों) और उनसे संबंधित मंत्रों तथा बलिदान की विधियों पर केंद्रित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यजुर्वेद में गद्य श्लोक (mantras) हैं जिन्हें यज्ञ करते समय पुरोहित द्वारा पढ़ा जाता है। इसके दो मुख्य भाग हैं: शुक्ल (शुद्ध) यजुर्वेद और कृष्ण (काला) यजुर्वेद।
  • गलत विकल्प: ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसमें देवताओं की स्तुति में श्लोक हैं। सामवेद में यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्र हैं, जो ऋग्वेद के श्लोकों पर आधारित हैं। अथर्ववेद में जादू-टोने, चिकित्सा और सामान्य जीवन से संबंधित मंत्र हैं।

प्रश्न 18: ‘इक्तादारी’ प्रणाली की शुरुआत किस सल्तनत काल के शासक ने की थी?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. बलबन
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत में ‘इक्तादारी’ प्रणाली की शुरुआत की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, राज्य की भूमि को इक्ता (भूमि के टुकड़े) में विभाजित किया जाता था, जिन्हें इक्ताधारकों (मुख्ताओं) को राजस्व एकत्र करने और अपने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के बदले में आवंटित किया जाता था। यह व्यवस्था प्रांतों को प्रभावी ढंग से प्रशासित करने और सैन्य शक्ति बनाए रखने में सहायक थी।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक था। बलबन एक शक्तिशाली सुल्तान था जिसने राजत्व की अवधारणा को मजबूत किया। अलाउद्दीन खिलजी ने इक्तादारी को और अधिक केंद्रीकृत और विनियमित किया, लेकिन इसकी शुरुआत इल्तुतमिश ने की थी।

प्रश्न 19: ‘अष्टप्रधान’ किस मराठा शासक के प्रशासन का एक महत्वपूर्ण अंग था?

  1. शिवाजी महाराज
  2. संभाजी
  3. बाजीराव प्रथम
  4. राजाराम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘अष्टप्रधान’ शिवाजी महाराज के प्रशासन का एक महत्वपूर्ण ढांचा था।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान आठ मंत्रियों की एक परिषद थी जो राज्य के विभिन्न विभागों की देखरेख करती थी। इनमें पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (शाही पत्र व्यवहार), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक मामलों के मंत्री), न्यायाधीश (न्याय मंत्री), और सुमंत (गृह मंत्री) शामिल थे।
  • गलत विकल्प: संभाजी, बाजीराव प्रथम और राजाराम ने भी शिवाजी के स्थापित प्रशासन का पालन किया, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ की प्रणाली शिवाजी के शासनकाल में ही अपनी विशिष्ट पहचान के साथ स्थापित हुई थी।

प्रश्न 20: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना किसने की थी?

  1. महात्मा गांधी
  2. जवाहरलाल नेहरू
  3. सुभाष चंद्र बोस
  4. सरदार वल्लभभाई पटेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन (1939) में अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद, अपने राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा देने के लिए फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसका उद्देश्य भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था, जिसमें समाजवादी सिद्धांतों का भी समावेश था।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, लेकिन उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना नहीं की।

प्रश्न 21: किस देश को ‘यूरोप का मरीज’ कहा जाता था?

  1. फ्रांस
  2. जर्मनी
  3. ऑस्ट्रिया
  4. ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में, ऑटोमन साम्राज्य (जिसे तुर्की भी कहा जाता था) को ‘यूरोप का मरीज’ कहा जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि ऑटोमन साम्राज्य कमजोर हो रहा था और यूरोप की बड़ी शक्तियों (जैसे रूस, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ब्रिटेन और फ्रांस) द्वारा विभाजित किए जाने का खतरा था। साम्राज्य के भीतर राष्ट्रवाद की भावनाएं बढ़ रही थीं और उसने कई क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण खो दिया था।
  • गलत विकल्प: फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रिया उस समय यूरोप की प्रमुख शक्तियाँ थीं, न कि ‘मरीज’।

प्रश्न 22: फ्रांस की क्रांति (1789) का तत्कालीन कारण क्या था?

  1. आमिरों द्वारा जनता पर अत्याचार
  2. अकाल और भोजन की कमी
  3. अमीर वर्ग और पादरियों द्वारा विशेषाधिकारों को बनाए रखना
  4. स्टेट्स-जनरल का अधिवेशन बुलाना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण 1789 में स्टेट्स-जनरल (States-General) का अधिवेशन बुलाना था।
  • संदर्भ और विस्तार: आर्थिक संकट से निपटने के लिए राजा लुई सोलहवें ने 175 वर्षों के अंतराल के बाद स्टेट्स-जनरल का अधिवेशन बुलाया। इसमें तीनों वर्गों (पादरी, कुलीन और सामान्य वर्ग) के प्रतिनिधि शामिल थे। सामान्य वर्ग के प्रतिनिधियों ने खुद को राष्ट्रीय सभा घोषित कर दिया और संविधान निर्माण की मांग की, जिसने क्रांति को जन्म दिया।
  • गलत विकल्प: उपरोक्त सभी अन्य कारण क्रांति के दीर्घकालिक कारण थे, लेकिन अधिवेशन बुलाना वह घटना थी जिसने क्रांति को प्रत्यक्ष रूप से शुरू किया।

प्रश्न 23: ‘नील दर्पण’ नामक नाटक के लेखक कौन थे?

  1. बंकिम चंद्र चटर्जी
  2. दीनबंधु मित्र
  3. रवींद्रनाथ टैगोर
  4. ईश्वर चंद्र विद्यासागर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘नील दर्पण’ नामक नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नाटक 1859-60 के नील विद्रोह के दौरान लिखा गया था और इसने बंगाल के किसानों पर यूरोपीय नील बागान मालिकों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का मार्मिक चित्रण किया। यह नाटक क्रांति का एक महत्वपूर्ण साहित्यिक प्रमाण बना।
  • गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चटर्जी ने ‘आनंद मठ’ लिखा, रवींद्रनाथ टैगोर महान कवि थे, और ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक प्रमुख समाज सुधारक थे।

प्रश्न 24: प्रथम विश्व युद्ध में धुरी शक्तियों (Axis Powers) में कौन सा देश शामिल नहीं था?

  1. जर्मनी
  2. ऑस्ट्रिया-हंगरी
  3. इटली
  4. ऑटोमन साम्राज्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध में धुरी शक्तियों (Axis Powers) में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन साम्राज्य शामिल थे। इटली शुरुआत में तटस्थ रहा और बाद में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) की ओर से युद्ध में शामिल हो गया।
  • संदर्भ और विस्तार: धुरी शक्तियों के मुख्य सदस्य केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) के रूप में जाने जाते थे। इटली ने 1915 में ट्रिपल एंटेंटे (मित्र राष्ट्र) के साथ लंदन की संधि पर हस्ताक्षर किए और युद्ध में उनके पक्ष में शामिल हो गया, जबकि वह पहले जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ ट्रिपल अलायंस (Triple Alliance) का हिस्सा था।
  • गलत विकल्प: जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन साम्राज्य केंद्रीय शक्तियों का हिस्सा थे। इटली मित्र राष्ट्रों के साथ था।

प्रश्न 25: असहयोग आंदोलन के दौरान ‘चौरी-चौरा’ की घटना कब हुई थी?

  1. 5 फरवरी 1922
  2. 10 मार्च 1922
  3. 30 जुलाई 1920
  4. 12 फरवरी 1921

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चौरी-चौरा की हिंसक घटना 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। इस हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (जो पूरी तरह अहिंसक था) को स्थगित करने का निर्णय लिया, जो आंदोलनकारियों के लिए एक बड़ा झटका था।
  • गलत विकल्प: अन्य तिथियाँ गलत हैं। 10 मार्च 1922 को गांधीजी को गिरफ्तार किया गया था। 30 जुलाई 1920 को आंदोलन शुरू करने पर विचार चल रहा था। 12 फरवरी 1921 को आंदोलन चल रहा था, लेकिन चौरी-चौरा की घटना बाद में हुई।

Leave a Comment