जब चुनाव आयोग ने पूछा ‘EPIC कहां से आया’: तेजस्वी यादव विवाद और चुनावी प्रक्रिया पर एक नजर
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव एक ऐसे विवाद में घिर गए हैं जिसने भारतीय चुनावी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने तेजस्वी यादव से एक विशेष ‘EPIC’ (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। यह EPIC, जैसा कि दावा किया गया है, कथित तौर पर बिहार के एक चुनावी हलफनामे में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन इसकी प्रामाणिकता और स्रोत पर सवाल उठने के बाद यह मामला सीधे चुनाव आयोग तक पहुँच गया। यह घटना न केवल एक राजनीतिक शख्सियत से जुड़ी है, बल्कि यह भारत में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों को सुनिश्चित करने वाली विशाल मशीनरी के कामकाज, चुनावी अखंडता के महत्व और इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी के संभावित परिणामों पर भी प्रकाश डालती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह मामला न केवल वर्तमान घटनाओं की जानकारी देता है, बल्कि चुनावी कानून, सुशासन, नैतिकता और सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का एक अवसर भी प्रदान करता है।
इस घटना का विस्तृत विश्लेषण करने के लिए, हमें पहले ‘EPIC’ क्या है, चुनाव आयोग की भूमिका क्या है, इस विशेष मामले में क्या आरोप हैं, और इस तरह के विवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए क्या मायने रखते हैं, इसे समझना होगा।
EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) क्या है?
EPIC, जिसका पूरा नाम ‘इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड’ (मतदाता फोटो पहचान पत्र) है, भारत में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह भारतीय नागरिकों के लिए चुनाव में मतदान करने हेतु पहचान का एक प्राथमिक स्रोत है। चुनाव आयोग (ECI) द्वारा जारी किया जाने वाला यह कार्ड मतदाता की पहचान सत्यापित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि प्रत्येक पात्र नागरिक केवल एक बार ही मतदान करे।
EPIC की मुख्य विशेषताएं:
- पहचान का प्रमाण: यह मतदाता के नाम, पिता/पति का नाम, आयु, लिंग और पते जैसी जानकारी के साथ-साथ उसका एक फोटो भी प्रदान करता है।
- मतदान का अधिकार: मतदान केंद्र पर EPIC दिखाकर मतदाता अपनी पहचान सत्यापित कर सकता है और मतदान कर सकता है।
- निर्वाचक नामावली में पंजीकरण: EPIC प्राप्त करने के लिए, व्यक्ति का नाम निर्वाचक नामावली (Voter List) में होना अनिवार्य है।
- सुरक्षा विशेषताएं: मूल EPIC कार्डों में होलोग्राम और अन्य सुरक्षा विशेषताएं होती थीं, हालाँकि अब डिजिटल मतदाता पहचान पत्र (e-EPIC) भी उपलब्ध हैं, जो अधिक सुरक्षित और सुलभ हैं।
- कानूनी आधार: मतदाता पहचान के लिए EPIC का उपयोग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) और उसके तहत बनाए गए नियमों द्वारा समर्थित है।
चुनाव आयोग लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि निर्वाचक नामावली सटीक हो और हर पात्र व्यक्ति का नाम उसमें शामिल हो, जबकि अयोग्य व्यक्तियों को बाहर रखा जाए। EPIC इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की भूमिका
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, जिसका प्राथमिक कार्य भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित, ECI राष्ट्रीय और राज्य विधानसभा चुनावों की निगरानी, संचालन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।
ECI की प्रमुख जिम्मेदारियाँ:
- चुनावों का संचालन: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानसभाओं के चुनावों की तारीखें तय करना, मतदान कराना और परिणामों की घोषणा करना।
- निर्वाचक नामावली तैयार करना: पात्र नागरिकों को पंजीकृत करना, त्रुटियों को दूर करना और निर्वाचक सूचियों को अद्यतन रखना।
- आचार संहिता लागू करना: चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए नैतिक और व्यवहार संबंधी दिशा-निर्देश (Model Code of Conduct) निर्धारित करना और उन्हें लागू करवाना।
- चुनावों का अधीक्षण: चुनाव प्रचार, मतदान, मतगणना और परिणामों की घोषणा की प्रक्रिया का अधीक्षण करना।
- शिकायतों का निवारण: चुनाव संबंधी उल्लंघनों और शिकायतों की जाँच करना और उन पर कार्रवाई करना।
- चुनाव चिह्नों का आवंटन: मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय दलों के साथ-साथ पंजीकृत राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्न आवंटित करना।
- उप-नियमों का निर्माण: चुनाव प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिए उप-नियम और निर्देश जारी करना।
ECI की स्वायत्तता और निष्पक्षता भारतीय लोकतंत्र की नींव है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चुनाव किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त हों, ECI को शक्तियाँ दी गई हैं, जिसमें किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार भी शामिल है, यदि वे चुनावी नियमों का उल्लंघन करते हैं।
तेजस्वी यादव EPIC विवाद: क्या है मामला?
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब यह आरोप लगाया गया कि तेजस्वी यादव ने अपने एक चुनावी हलफनामे में एक ऐसे EPIC का उल्लेख किया जिसकी प्रामाणिकता संदिग्ध थी। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह EPIC वास्तव में किस चुनाव के लिए प्रस्तुत किया गया था या इसमें क्या विसंगति पाई गई थी। आमतौर पर, ऐसे मामले तब सामने आते हैं जब:
- दोहरा पंजीकरण: किसी व्यक्ति का एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकरण हो।
- गलत पहचान: किसी ऐसे व्यक्ति की पहचान का उपयोग किया गया हो जो वास्तव में वह नहीं है।
- नकली दस्तावेज: प्रस्तुत किया गया EPIC एक नकली या जाली दस्तावेज हो।
- अपात्रता: EPIC उस व्यक्ति का हो जो मतदान के लिए या किसी विशेष हलफनामे में इसका उपयोग करने के लिए पात्र नहीं है।
जब ECI को इस मामले की जानकारी मिली, तो उसने स्वतः संज्ञान लेते हुए या शिकायत के आधार पर, तेजस्वी यादव से इस EPIC के स्रोत और प्रामाणिकता पर स्पष्टीकरण मांगा। ECI का यह कदम भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत उसकी शक्तियों का उपयोग है, जिसके तहत वह चुनावों की शुचिता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। ECI यह सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनावी प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले सभी दस्तावेज वैध हों और किसी भी प्रकार की चुनावी धोखाधड़ी या कदाचार को रोका जा सके।
“चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और सभी उम्मीदवारों तथा राजनीतिक दलों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यदि कोई व्यक्ति गलत या नकली दस्तावेज का उपयोग करके चुनाव लड़ता है, तो यह न केवल मतदाता की निष्ठा के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह पूरे चुनावी तंत्र पर भी सवालिया निशान लगाता है।”
ECI की कार्रवाई के निहितार्थ
चुनाव आयोग द्वारा किसी प्रमुख राजनीतिक हस्ती से इस तरह का स्पष्टीकरण मांगना कई महत्वपूर्ण निहितार्थों वाला है:
1. चुनावी अखंडता का संरक्षण:
- यह घटना इस बात पर जोर देती है कि ECI चुनावों में किसी भी प्रकार की अनियमितता या धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
- यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता पहचान जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की प्रामाणिकता बनी रहे, जो निष्पक्ष मतदान के लिए आवश्यक है।
2. जवाबदेही का सिद्धांत:
- यह सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही के सिद्धांत को स्थापित करता है। राजनीतिक नेताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्रत्येक कार्य में पारदर्शी और उत्तरदायी हों।
- हलफनामों में प्रस्तुत की गई जानकारी की सत्यता की जाँच ECI द्वारा की जा सकती है, और यदि उसमें विसंगति पाई जाती है, तो कार्रवाई की जा सकती है।
3. समान अवसर:
- ECI यह सुनिश्चित करता है कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को समान अवसर मिले। किसी भी उम्मीदवार को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
- यदि इस मामले में तेजस्वी यादव दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत दंडित किया जा सकता है, जिसमें चुनाव लड़ने से अयोग्यता भी शामिल हो सकती है।
4. सार्वजनिक विश्वास:
- ECI की त्वरित और निर्णायक कार्रवाई जनता का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाती है।
- यह संदेश देता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।
5. कानूनी और संवैधानिक ढांचा:
- यह घटना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और संबंधित नियमों के महत्व को रेखांकित करती है, जो चुनावी प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
- संविधान का अनुच्छेद 324 ECI को इन नियमों को लागू करने और चुनावों की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ प्रदान करता है।
विपक्ष और संभावित बचाव
ऐसे मामलों में, अक्सर संबंधित नेता और उनका दल स्पष्टीकरण देते हुए सफाई पेश करते हैं। संभावित बचाव या स्पष्टीकरण इस प्रकार हो सकते हैं:
- तकनीकी त्रुटि: यह एक मानवीय या तकनीकी भूल हो सकती है, जैसे कि किसी पुराने EPIC का उल्लेख हो जाना या डेटा प्रविष्टि में गलती।
- विरोधी दलों द्वारा दुर्भावनापूर्ण प्रचार: यह आरोप लगाया जा सकता है कि यह मामला विरोधी दलों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है।
- दस्तावेज की प्रामाणिकता: वे अपने प्रस्तुत EPIC की प्रामाणिकता का प्रमाण दे सकते हैं।
- ECI को सहयोग: वे ECI द्वारा मांगी गई जानकारी तुरंत प्रदान करने और जाँच में सहयोग करने का वादा कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब तक ECI अपनी जाँच पूरी नहीं कर लेता और अंतिम निर्णय नहीं दे देता, तब तक किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषय
यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उम्मीदवार निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं:
1. प्रीलिम्स (Prelims):
- भारतीय संविधान: अनुच्छेद 324 (चुनाव आयोग की शक्तियाँ)।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951: मतदाता पंजीकरण, नामांकन, चुनावी अपराध, अयोग्यता से संबंधित प्रावधान।
- ECI की भूमिका और कार्य: चुनावों का संचालन, मतदाता सूचियों का अद्यतन, आचार संहिता।
- इलेक्टोरल रिफॉर्म्स: EPIC का महत्व, e-EPIC, मतदाता पहचान के अन्य तरीके।
2. मेन्स (Mains):
- GS-II: चुनाव आयोग की भूमिका और शक्तियाँ, संवैधानिक निकाय, चुनावी सुधार, शासन, जवाबदेही।
- GS-IV: सार्वजनिक जीवन में नैतिकता, सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, चुनावी आचरण में ईमानदारी।
- निबंध: ‘भारतीय लोकतंत्र में चुनावी अखंडता’, ‘जवाबदेही बनाम राजनीतिक शक्ति’, ‘ई-गवर्नेंस और चुनावी पारदर्शिता’।
आगे की राह: चुनावी सुधार और ई-गवर्नेंस
इस तरह के विवाद हमें चुनावी प्रणाली को और मजबूत बनाने की आवश्यकता की याद दिलाते हैं। कुछ संभावित सुधार और ई-गवर्नेंस के पहलु इस प्रकार हैं:
- डिजिटल मतदाता पहचान पत्र (e-EPIC): यह सुरक्षित, आसानी से सुलभ और ई-हस्ताक्षर युक्त होता है, जिससे जालसाजी की संभावना कम हो जाती है। ECI द्वारा इसे बढ़ावा देना एक सकारात्मक कदम है।
- डेमोोग्राफिक डेटा का एकीकरण: आधार या अन्य विश्वसनीय डेटाबेस के साथ मतदाता डेटा का एकीकरण (संविधान के प्रावधानों के अनुसार, जिसमें गोपनीयता की रक्षा हो) मतदाता सूचियों को साफ रखने में मदद कर सकता है।
- मजबूत सत्यापन प्रक्रियाएँ: नामांकन के समय प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों के लिए अधिक कठोर सत्यापन प्रक्रियाएँ।
- चुनावों में प्रौद्योगिकी का उपयोग: मतदाता पंजीकरण, पहचान और मतदान (वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल – VVPAT जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से) में पारदर्शिता बढ़ाना।
- कानूनी शक्तियों को सुदृढ़ करना: ECI की शक्तियों को और स्पष्ट या सुदृढ़ करना ताकि वह चुनावी कदाचार के मामलों में तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सके।
यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि चुनावी अखंडता केवल मतदान के दिन की शुचिता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उम्मीदवारों का नामांकन, उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले हलफनामे और चुनावी प्रक्रिया के हर चरण में पारदर्शिता शामिल है।
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव EPIC विवाद, भारतीय चुनावी प्रणाली के भीतर जवाबदेही, पारदर्शिता और अखंडता के महत्व का एक शक्तिशाली अनुस्मारक है। भारत का चुनाव आयोग, संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि चुनाव निष्पक्ष हों और सभी नागरिकों का विश्वास बना रहे। जबकि यह घटना फिलहाल एक पूछताछ के स्तर पर है, यह चुनावी कानूनों के प्रवर्तन और सार्वजनिक जीवन में नैतिक मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह भारतीय राजनीति, शासन और संवैधानिक निकायों की कार्यप्रणाली को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है, जो परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. भारत के चुनाव आयोग (ECI) की स्थापना किस अनुच्छेद के तहत की गई है?
(a) अनुच्छेद 315
(b) अनुच्छेद 324
(c) अनुच्छेद 280
(d) अनुच्छेद 343
उत्तर: (b) अनुच्छेद 324
व्याख्या: भारत का संविधान का अनुच्छेद 324, भारत में चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिए चुनाव आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
2. ‘इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड’ (EPIC) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) यह साबित करना कि व्यक्ति भारत का नागरिक है।
(b) मतदाता की पहचान सत्यापित करना और एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक बार मतदान को रोकना।
(c) मतदाता को उसके मतदान केंद्र के बारे में सूचित करना।
(d) मतदाता को चुनाव लड़ने के लिए योग्य घोषित करना।
उत्तर: (b) मतदाता की पहचान सत्यापित करना और एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक बार मतदान को रोकना।
व्याख्या: EPIC मुख्य रूप से मतदान के समय मतदाता की पहचान की पुष्टि करने और चुनावी धोखाधड़ी को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा एक चुनावी अपराध है?
(a) चुनाव प्रचार करना
(b) मतदान केंद्र पर लाइन में लगना
(c) पहचान के प्रमाण के रूप में जाली EPIC प्रस्तुत करना
(d) आयोग द्वारा निर्धारित समय पर चुनाव प्रचार समाप्त करना
उत्तर: (c) पहचान के प्रमाण के रूप में जाली EPIC प्रस्तुत करना
व्याख्या: जाली दस्तावेजों का प्रयोग चुनावी प्रक्रिया में धोखाधड़ी का एक रूप है और इसे चुनावी अपराध माना जाता है।
4. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
1. यह अधिनियम संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के चुनाव से संबंधित है।
2. यह अधिनियम चुनावी अपराधों और भ्रष्ट आचरणों से संबंधित है।
3. यह अधिनियम चुनाव आयोग की शक्तियों को परिभाषित करता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, चुनाव प्रक्रिया, उम्मीदवारों की योग्यता, अयोग्यता, चुनावी अपराधों और चुनाव आयोग के कार्यों से संबंधित प्रावधान करता है।
5. ‘ई-ईपीआईसी’ (e-EPIC) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह मतदाता का एक डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में पहचान पत्र है।
2. यह पूरी तरह से पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध है और इसे डाउनलोड किया जा सकता है।
3. यह केवल मोबाइल फोन पर ही उपयोग किया जा सकता है, कंप्यूटर पर नहीं।
4. यह मूल EPIC की तरह ही वैध पहचान प्रमाण है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) 1 और 2
(b) 1 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) केवल 4
उत्तर: (b) 1 और 4
व्याख्या: ई-ईपीआईसी पीडीएफ प्रारूप में डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध है और यह मूल ईपीआईसी के समान ही मान्य है। इसे मोबाइल या कंप्यूटर पर एक्सेस किया जा सकता है।
6. चुनाव आयोग (ECI) के निम्नलिखित में से कौन से कार्य हैं?
1. मतदाता सूचियों को तैयार करना और अद्यतन करना।
2. राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना और उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित करना।
3. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संसद के सदस्यों के चुनावों का संचालन करना।
4. चुनाव परिणामों के आधार पर सरकार के गठन की सिफारिश करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 3 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) केवल 1 और 2
उत्तर: (a) 1, 2 और 3
व्याख्या: चुनाव आयोग सीधे तौर पर सरकार के गठन की सिफारिश नहीं करता; यह केवल चुनाव परिणामों की घोषणा करता है।
7. चुनावी प्रक्रिया में किसी उम्मीदवार द्वारा अनैतिक आचरण के मामले में, चुनाव आयोग को क्या शक्तियाँ प्राप्त हैं?
(a) उम्मीदवार को तुरंत गिरफ्तार करने की शक्ति।
(b) उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की शक्ति (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत)।
(c) चुनाव रद्द करने की शक्ति, बशर्ते वह राष्ट्रपति को इसकी सलाह दे।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (b) उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की शक्ति (जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत)।
व्याख्या: आयोग प्रत्यक्ष रूप से गिरफ्तार नहीं करता और न ही सीधे चुनाव रद्द करता है (यह राष्ट्रपति की सलाह पर करता है)। इसकी मुख्य शक्ति नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करना है, जिसमें अयोग्यता भी शामिल है।
8. EPIC के संबंध में ECI द्वारा तेजस्वी यादव से स्पष्टीकरण मांगने का प्राथमिक कारण क्या हो सकता है?
(a) तेजस्वी यादव का राजनीतिक कद बढ़ाना।
(b) चुनावी प्रक्रिया में प्रयुक्त दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना।
(c) विरोधी दल के नेताओं को बदनाम करना।
(d) जनता का ध्यान भटकाना।
उत्तर: (b) चुनावी प्रक्रिया में प्रयुक्त दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना।
व्याख्या: ECI का मुख्य कार्य चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखना है, जिसके लिए दस्तावेजों की प्रामाणिकता महत्वपूर्ण है।
9. निम्नलिखित में से कौन सा “चुनावों का संचालन” (Conduct of Elections) के तहत ECI के अधिकार क्षेत्र में आता है?
1. मतदान की तारीखें तय करना।
2. उम्मीदवारों के नामांकन की जाँच करना।
3. राजनीतिक दलों के वित्तपोषण का ऑडिट करना।
4. मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंधन करना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) 1, 2 और 4
(b) 1, 2 और 3
(c) 3 और 4
(d) केवल 1
उत्तर: (a) 1, 2 और 4
व्याख्या: ECI सीधे तौर पर राजनीतिक दलों के वित्तपोषण का ऑडिट नहीं करता; यह कार्य अन्य नियामक निकायों द्वारा किया जाता है। ECI मतदान की तारीखें तय करता है, नामांकन की जाँच की निगरानी करता है, और मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिशानिर्देश जारी करता है।
10. सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही (Accountability) के सिद्धांत के संबंध में, ECI द्वारा राजनीतिक नेताओं से स्पष्टीकरण मांगना किस बात को दर्शाता है?
(a) ECI की अति-शक्तिशाली भूमिका।
(b) राजनीतिक नेताओं को कानून से ऊपर मानना।
(c) पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के महत्व को बनाए रखना।
(d) चुनावी गतिविधियों में हस्तक्षेप।
उत्तर: (c) पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा के महत्व को बनाए रखना।
व्याख्या: ECI की कार्रवाई यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा बनी रहे, और कोई भी व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया में धांधली न कर सके।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को भारतीय लोकतंत्र का संरक्षक क्यों माना जाता है? हाल के एक घटनाक्रम (जैसे EPIC विवाद) के आलोक में, चर्चा करें कि कैसे ECI चुनावी अखंडता सुनिश्चित करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करता है। (250 शब्द)
2. भारत में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों को सुनिश्चित करने में मतदाता पहचान (EPIC) की भूमिका का विश्लेषण करें। EPIC की प्रामाणिकता को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? (150 शब्द)
3. ‘जवाबदेही’ (Accountability) और ‘पारदर्शिता’ (Transparency) सार्वजनिक प्रशासन के महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। चुनावी प्रक्रिया के संदर्भ में, एक राजनीतिक व्यक्ति से EPIC के स्रोत के बारे में चुनाव आयोग द्वारा स्पष्टीकरण मांगने की घटना इन सिद्धांतों को कैसे दर्शाती है? (200 शब्द)
4. भारत में चुनावी सुधारों के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा करें। ई-ईपीआईसी (e-EPIC) जैसी पहलें चुनावी प्रक्रिया को कैसे अधिक कुशल और सुरक्षित बना सकती हैं? (150 शब्द)