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प्रकृति का रौद्र रूप: भारी बारिश से देशव्यापी तबाही, अमरनाथ यात्रा पर रोक, सेना की बढ़ी भूमिका – भविष्य के खतरे?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारत के विभिन्न हिस्सों में अत्यधिक वर्षा ने अभूतपूर्व तबाही मचाई है। इस मौसमी कहर का सबसे बड़ा उदाहरण जम्मू और कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा का अचानक और एक सप्ताह पहले ही स्थगित किया जाना रहा। भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ की आशंकाओं ने प्रशासन को यह कठिन निर्णय लेने पर मजबूर किया। इसके साथ ही, देश के तीन प्रमुख राज्यों में सेना की तैनाती में वृद्धि की गई है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है। यह घटना न केवल लाखों तीर्थयात्रियों को प्रभावित करती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।

समझें: भारी बारिश और उसके प्रभाव (Understanding: Heavy Rainfall and its Impacts)

जब हम ‘भारी बारिश’ की बात करते हैं, तो इसका तात्पर्य उस स्थिति से है जहाँ सामान्य से काफी अधिक मात्रा में और तीव्र गति से वर्षा होती है, जिससे सामान्य जल निकासी प्रणालियाँ चरमरा जाती हैं और व्यापक विनाश होता है। यह केवल पानी की अधिकता नहीं है, बल्कि यह अपने साथ कई गंभीर चुनौतियाँ लेकर आती है:

  • भूस्खलन (Landslides): पहाड़ी और ढलान वाले इलाकों में, मिट्टी और चट्टानों की ऊपरी परत अत्यधिक पानी के कारण अस्थिर हो जाती है, जिससे वे नीचे की ओर खिसकने लगती हैं।
  • बाढ़ (Floods): नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने, निचले इलाकों में पानी भर जाने और शहरी क्षेत्रों में सीवेज सिस्टम के जवाब दे जाने से बाढ़ आ जाती है।
  • बुनियादी ढांचे को नुकसान (Damage to Infrastructure): सड़कें, पुल, बिजली की लाइनें, संचार तंत्र और आवास जैसी महत्वपूर्ण संरचनाएँ बारिश और बाढ़ के बहाव से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
  • कृषि को क्षति (Damage to Agriculture): फसलें जलमग्न हो जाती हैं, मिट्टी का कटाव होता है और बीजों के अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • मानव जीवन की हानि (Loss of Human Life): डूबने, भूस्खलन में दबने या बाढ़ के पानी के बहाव में बह जाने से लोगों की जान जा सकती है।

अमरनाथ यात्रा पर रोक: एक विस्तृत विश्लेषण (Amarnath Yatra Suspension: A Detailed Analysis)

अमरनाथ यात्रा, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है, जहाँ लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए हर साल जाते हैं। इस यात्रा का अचानक स्थगित होना कई महत्वपूर्ण कारकों की ओर इशारा करता है:

  • भौगोलिक संवेदनशीलता: अमरनाथ का मार्ग हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों से होकर गुजरता है, जो प्राकृतिक रूप से भूस्खलन और अस्थिर मौसम के प्रति संवेदनशील है।
  • सुरक्षा प्राथमिकता: यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। भारी बारिश और संबंधित खतरों (जैसे भूस्खलन, चट्टानें खिसकना) के कारण यात्रा मार्ग असुरक्षित हो जाता है। ऐसे में, जानमाल की सुरक्षा के लिए यात्रा रोकना एक निवारक उपाय है।
  • प्रशासनिक चुनौतियाँ: इतने बड़े पैमाने पर तीर्थयात्रियों के आवागमन को नियंत्रित करना, मौसम की अप्रत्याशितता से निपटना और तत्काल बचाव व राहत कार्य सुनिश्चित करना एक जटिल प्रशासनिक कार्य है।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: यात्रा स्थगित होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था (जैसे होटल, परिवहन, विक्रेता) पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही, श्रद्धालुओं की भावनाओं और आध्यात्मिक अपेक्षाओं पर भी इसका असर होता है।

“प्रकृति की शक्ति को कभी कम नहीं आंकना चाहिए; यह हमें विनम्रता सिखाती है और हमारी तैयारियों का परीक्षण करती है।”

तीन राज्यों में सेना की तैनाती: क्यों? (Army Deployment in Three States: Why?)

जब प्राकृतिक आपदाएँ सामान्य प्रशासनिक और नागरिक व्यवस्थाओं की क्षमता से परे हो जाती हैं, तो सेना की सहायता ली जाती है। तीन राज्यों में सेना की तैनाती के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • राहत और बचाव कार्य (Relief and Rescue Operations): सेना के पास प्रशिक्षित जवान, उपकरण और रसद आपूर्ति की क्षमता होती है, जो बाढ़ या भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने, चिकित्सा सहायता पहुँचाने और भोजन व पानी वितरित करने के लिए आवश्यक है।
  • बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण (Infrastructure Restoration): अस्थायी पुल बनाना, सड़कों से मलबा हटाना और संचार लाइनों को बहाल करने जैसे कार्यों में सेना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • कानून और व्यवस्था बनाए रखना (Maintaining Law and Order): कुछ परिस्थितियों में, विशेषकर जहाँ लोग विस्थापित होते हैं या आवश्यक सेवाओं में बाधा आती है, सेना कानून व्यवस्था बनाए रखने में भी सहायता करती है।
  • लॉजिस्टिक्स और समन्वय (Logistics and Coordination): सेना नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्यों के लिए लॉजिस्टिक्स, परिवहन और समन्वय की रीढ़ बन सकती है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: व्यापक दृष्टिकोण (Relevance for UPSC: A Comprehensive Perspective)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:

1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

  • भूगोल (Geography): मानसून, पश्चिमी विक्षोभ, भूस्खलन की प्रक्रिया, बाढ़ के प्रकार, भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु।
  • पर्यावरण (Environment): जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, अतिवृष्टि, आपदा प्रबंधन।
  • समसामयिकी (Current Affairs): राष्ट्रीय आपदाएँ, सरकारी नीतियाँ (जैसे NDMA, NDRF), महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनाएँ।

2. मुख्य परीक्षा (Mains)

  • सामान्य अध्ययन पेपर I (GS Paper I): भूगोल (प्राकृतिक आपदाएँ, मानसून), समाज (आपदाओं का सामाजिक प्रभाव, धार्मिक यात्राओं पर प्रभाव)।
  • सामान्य अध्ययन पेपर II (GS Paper II): शासन (आपदा प्रबंधन, केंद्रीय-राज्य संबंध, राष्ट्रीय सुरक्षा), अंतर्राष्ट्रीय संबंध (यदि बारिश का प्रभाव सीमा पार हो)।
  • सामान्य अध्ययन पेपर III (GS Paper III): अर्थव्यवस्था (कृषि पर प्रभाव, बुनियादी ढांचे को नुकसान), पर्यावरण (जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव), आंतरिक सुरक्षा (सीमावर्ती क्षेत्रों में आपदाओं का प्रभाव)।
  • निबंध (Essay): ‘प्रकृति का बढ़ता प्रकोप और मानव की प्रतिक्रिया’, ‘जलवायु परिवर्तन: एक अस्तित्वगत संकट’, ‘आपदा प्रबंधन: एक सतत चुनौती’।

जलवायु परिवर्तन और अतिवृष्टि का संबंध (Climate Change and the Link to Heavy Rainfall)

वैज्ञानिक समुदाय इस बात पर सहमत है कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि, दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है। अतिवृष्टि (Intense Rainfall) ऐसी ही एक घटना है:

  • गर्म हवा अधिक नमी धारण करती है: जैसे-जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, वायुमंडल अधिक जलवाष्प धारण कर सकता है। जब यह नमी संघनित होती है, तो यह अत्यधिक तीव्र और विनाशकारी वर्षा के रूप में गिर सकती है।
  • मानसूनी पैटर्न में बदलाव: जलवायु परिवर्तन मानसून के व्यवहार को भी बदल रहा है, जिससे कहीं-कहीं लंबे समय तक सूखा और कहीं-कहीं अचानक भारी वर्षा की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
  • समुद्र का बढ़ता तापमान: गर्म समुद्री सतहें अधिक वाष्पीकरण को बढ़ावा देती हैं, जिससे चक्रवातों की तीव्रता बढ़ सकती है और अप्रत्यक्ष रूप से महाद्वीपीय वर्षा पैटर्न प्रभावित हो सकते हैं।

UPSC के दृष्टिकोण से, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये मौसमी घटनाएँ केवल प्राकृतिक चक्र नहीं हैं, बल्कि इनमें जलवायु परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

आपदा प्रबंधन: भारतीय ढाँचा (Disaster Management: The Indian Framework)

भारत में आपदा प्रबंधन एक बहु-आयामी प्रक्रिया है, जिसमें रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति शामिल हैं।

प्रमुख संस्थाएं और कानून:

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (Disaster Management Act, 2005): यह अधिनियम भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): यह देश में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है, जो नीति निर्माण, योजना और समन्वय करती है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF): यह विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित बल है जो किसी भी आपदा में तत्काल प्रतिक्रिया और बचाव कार्य के लिए तैनात किया जाता है।
  • राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC): NDMA के मार्गदर्शन में NDRF और अन्य एजेंसियों के संचालन का समन्वय करती है।
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA): ये क्रमशः राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन की योजनाओं को लागू करते हैं।

चुनौतियाँ:

  • शहरी नियोजन और बाढ़ नियंत्रण: अनियोजित शहरीकरण और प्राकृतिक जल निकासी मार्गों पर अतिक्रमण से शहरी बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): इन प्रणालियों को और अधिक सुदृढ़ बनाने तथा दूरदराज के इलाकों तक इनकी पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • जन जागरूकता और क्षमता निर्माण: समुदाय-आधारित आपदा प्रबंधन और लोगों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (Climate Change Adaptation): दीर्घकालिक रणनीतियाँ जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति लचीलापन बढ़ाएँ।

भविष्य की राह: क्या करें? (The Way Forward: What to Do?)

इस तरह की घटनाओं से निपटने और भविष्य में इसके प्रभावों को कम करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  1. जलवायु परिवर्तन का शमन (Mitigation of Climate Change): ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस प्रयास। नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता में सुधार करना।
  2. अनुकूलन रणनीतियाँ (Adaptation Strategies): ऐसी नीतियां बनाना जो बदलती जलवायु के प्रभावों के प्रति लचीलापन बढ़ाएँ। उदाहरण के लिए, बाढ़-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे का निर्माण, जल-कुशल कृषि पद्धतियाँ।
  3. आपदा-लचीला शहरी नियोजन (Disaster-Resilient Urban Planning): शहरों की योजना बनाते समय बाढ़, भूस्खलन जैसे खतरों को ध्यान में रखना। जल निकासी प्रणालियों में सुधार, हरित भवनों को बढ़ावा देना।
  4. मजबूत प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणाली: मौसम की भविष्यवाणी में सुधार, प्रौद्योगिकी का उपयोग और आम जनता तक जानकारी का त्वरित प्रसार।
  5. अंतर-एजेंसी समन्वय: राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों, सेना, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय।
  6. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन योजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल करना और उन्हें प्रशिक्षित करना।

अमरनाथ यात्रा का स्थगित होना और तीन राज्यों में सेना की तैनाती सिर्फ एक मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे सामने खड़ी बड़ी चुनौतियों का प्रतीक है। UPSC उम्मीदवार के तौर पर, इन घटनाओं के पीछे के वैज्ञानिक, प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक पहलुओं को समझना तथा सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का आलोचनात्मक विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विषय सामान्य अध्ययन के साथ-साथ निबंध लेखन और व्यक्तिगत साक्षात्कार (Personality Test) में भी प्रासंगिक हो सकता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी नदी भारतीय उपमहाद्वीप में भारी वर्षा के कारण अचानक बाढ़ की सबसे अधिक संभावना रखती है?
(a) गंगा
(b) ब्रह्मपुत्र
(c) सिंधु
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ये सभी प्रमुख नदियाँ हैं जो हिमालय क्षेत्र से निकलती हैं और अपने जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा से सीधे प्रभावित होती हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

2. प्रश्न: भूस्खलन के निर्माण में कौन सा कारक सबसे कम योगदान देता है?
(a) तीव्र वर्षा
(b) गुरुत्वाकर्षण
(c) वनस्पति आवरण में वृद्धि
(d) भूकंपीय गतिविधि
उत्तर: (c) वनस्पति आवरण में वृद्धि
व्याख्या: वनस्पति आवरण, विशेषकर पेड़ों की जड़ें, मिट्टी को बांधे रखती हैं और भूस्खलन को रोकने में मदद करती हैं। अन्य सभी कारक भूस्खलन को बढ़ावा देते हैं।

3. प्रश्न: भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी संस्था नीति निर्माण और योजना के लिए नोडल एजेंसी है?
(a) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(c) राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC)
(d) गृह मंत्रालय
उत्तर: (b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नीति निर्माण, योजना और समन्वय हेतु सर्वोच्च संस्था है।

4. प्रश्न: ‘पश्चिमी विक्षोभ’ (Western Disturbances) का संबंध सामान्यतः निम्नलिखित में से किस प्रकार की मौसमी घटना से है?
(a) मानसून की शुरुआत
(b) उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान वर्षा और बर्फबारी
(c) दक्षिण भारत में लू (Heatwave)
(d) बंगाल की खाड़ी में चक्रवात
उत्तर: (b) उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान वर्षा और बर्फबारी
व्याख्या: पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाले मौसमी तूफ़ान हैं जो उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान वर्षा और बर्फबारी लाते हैं।

5. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम है जो अतिवृष्टि की घटनाओं को बढ़ा सकता है?
(a) वायुमंडल में कम जलवाष्प धारण क्षमता
(b) महासागरों का ठंडा होना
(c) वायुमंडल द्वारा अधिक जलवाष्प धारण करने की क्षमता
(d) ग्लोबल वार्मिंग का रुक जाना
उत्तर: (c) वायुमंडल द्वारा अधिक जलवाष्प धारण करने की क्षमता
व्याख्या: जैसे-जैसे पृथ्वी गर्म होती है, वायुमंडल अधिक जलवाष्प धारण कर सकता है, जिससे तीव्र और भारी वर्षा की संभावना बढ़ जाती है।

6. प्रश्न: अमरनाथ यात्रा के मार्ग की भौगोलिक विशेषताएँ, जो इसे भूस्खलन के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, वे हैं:
(a) अत्यधिक ऊँचाई और खड़ी ढलानें
(b) जीवाश्म ईंधन का प्रचुर भंडार
(c) मैदानी और सपाट भूभाग
(d) घने जंगल
उत्तर: (a) अत्यधिक ऊँचाई और खड़ी ढलानें
व्याख्या: हिमालयी क्षेत्र की अत्यधिक ऊँचाई, खड़ी ढलानें और भूवैज्ञानिक संरचनाएँ भूस्खलन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाती हैं।

7. प्रश्न: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ करना
(b) विशेष आपदाओं में बचाव और राहत कार्य करना
(c) आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करना
(d) आपदा प्रबंधन के लिए धन आवंटित करना
उत्तर: (b) विशेष आपदाओं में बचाव और राहत कार्य करना
व्याख्या: NDRF एक विशेष बल है जिसे बाढ़, भूकंप, चक्रवात आदि जैसी आपदाओं में बचाव और राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

8. प्रश्न: ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी संस्थाएँ राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन की योजना और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं?
(a) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(b) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
(c) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)
(d) केवल (b)
उत्तर: (d) केवल (b)
व्याख्या: SDMA राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, जबकि DDMA जिला स्तर पर कार्य करता है।

9. प्रश्न: भारत में ‘मानसून’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह एक मौसमी हवा है जो मौसम के अनुसार अपनी दिशा बदलती है।
2. भारतीय कृषि का लगभग 50% सीधे तौर पर इस पर निर्भर है।
3. यह मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम दिशा से आता है।
सही कथन चुनें:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ये सभी कथन भारतीय मानसून के संबंध में सही हैं।

10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी रणनीति जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अतिवृष्टि के अनुकूलन (Adaptation) का एक उदाहरण है?
(a) जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ाना
(b) बाढ़-प्रतिरोधी शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे का निर्माण
(c) वनों को काटना
(d) सौर ऊर्जा के उपयोग को कम करना
उत्तर: (b) बाढ़-प्रतिरोधी शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे का निर्माण
व्याख्या: अनुकूलन का अर्थ है मौजूदा या अपेक्षित जलवायु परिवर्तनों के अनुकूल होना। बाढ़-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचा अतिवृष्टि के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: हाल की भारी वर्षा की घटनाओं ने भारत में आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर प्रकाश डाला है। भारतीय आपदा प्रबंधन के समक्ष प्रमुख चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए इसे और अधिक प्रभावी बनाने हेतु सुझाव दें। (लगभग 250 शब्द)
2. प्रश्न: “जलवायु परिवर्तन केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा संबंधी चुनौती भी है।” हाल की अतिवृष्टि और अमरनाथ यात्रा के स्थगन जैसी घटनाओं के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण करें। (लगभग 150 शब्द)
3. प्रश्न: भारत में, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्रों में, भूस्खलन एक गंभीर समस्या है। भूस्खलन के कारणों की विवेचना करें और राष्ट्रीय स्तर पर भूस्खलन जोखिम को कम करने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 शब्द)
4. प्रश्न: चरम मौसमी घटनाओं, जैसे कि अत्यधिक वर्षा, की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता के संदर्भ में, भारत की आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं और नागरिक प्रशासन की भूमिका का मूल्यांकन करें। सेना की सहायता की आवश्यकता और उसकी सीमाओं पर भी चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)

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