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अमेरिकी टैरिफ की नई लहर: भारत, पाकिस्तान और इराक पर क्या होगा असर?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने कई देशों पर नए आयात शुल्क (Tariffs) लगाने की घोषणा की है। भारत पर 25%, पाकिस्तान पर 19% और इराक पर 35% जैसे टैरिफ दरों की घोषणा ने वैश्विक व्यापार परिदृश्य को झकझोर दिया है। यह कदम न केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों में तनाव पैदा कर रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध (International Economic Relations), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade), और समसामयिक मामले (Current Affairs) जैसे विषयों के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन बिंदु है।

यह ब्लॉग पोस्ट इन नए अमेरिकी टैरिफों के पीछे के कारणों, उनके संभावित प्रभावों, भारत और पाकिस्तान पर विशेष ध्यान देने के साथ, और इस जटिल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य में आगे की राह का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करेगा।

टैरिफ क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं? (What are Tariffs and How do They Work?)

सरल शब्दों में, टैरिफ एक प्रकार का कर (Tax) है जो एक देश द्वारा अपने क्षेत्र में आयात (Import) किए जाने वाले सामानों पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, सरकारी राजस्व बढ़ाना, या विदेशी देशों पर राजनीतिक दबाव बनाना हो सकता है।

टैरिफ के मुख्य प्रकार:

  • विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariff): यह प्रति इकाई वस्तु पर एक निश्चित राशि के रूप में लगाया जाता है (जैसे, प्रति किलोग्राम ₹10)।
  • एड वालोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff): यह वस्तु के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है (जैसे, आयातित कार के मूल्य का 10%)। यही वह प्रकार है जिसका उल्लेख अक्सर नए टैरिफ घोषणाओं में किया जाता है।
  • कंपाउंड टैरिफ (Compound Tariff): यह विशिष्ट और एड वालोरम दोनों टैरिफ का संयोजन होता है।

टैरिफ क्यों लगाए जाते हैं? (Why are Tariffs Imposed?)

किसी देश द्वारा टैरिफ लगाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: सबसे आम कारणों में से एक है अपने देश के उत्पादकों को सस्ते विदेशी सामानों से बचाना। उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका चीन से सस्ते स्टील का आयात करता है, तो यह अमेरिकी स्टील मिलों को नुकसान पहुंचा सकता है। टैरिफ लगाने से चीनी स्टील महंगा हो जाएगा, जिससे अमेरिकी स्टील को बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का बेहतर मौका मिलेगा।
  • सरकारी राजस्व: टैरिफ से उत्पन्न राजस्व सरकार के लिए एक अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है, जिसका उपयोग सार्वजनिक सेवाओं या घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है।
  • राजनीतिक दबाव/प्रतिशोध: कभी-कभी, टैरिफ का उपयोग उन देशों पर राजनीतिक दबाव बनाने या उनके पिछले टैरिफ या व्यापार नीतियों का बदला लेने के लिए किया जाता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: कुछ मामलों में, राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क पर कुछ वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध या टैरिफ लगाए जा सकते हैं, खासकर यदि वे वस्तुएं महत्वपूर्ण उद्योगों से संबंधित हों।
  • व्यापार घाटे को कम करना: कुछ देश यह मानते हैं कि टैरिफ लगाने से आयात कम होंगे और निर्यात बढ़ेंगे, जिससे व्यापार घाटा (Trade Deficit) कम होगा।

अमेरिका की नई टैरिफ नीति: ट्रम्प प्रशासन का दृष्टिकोण (America’s New Tariff Policy: The Trump Administration’s Approach)

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से, अमेरिका की व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। “अमेरिका फर्स्ट” (America First) की नीति के तहत, ट्रम्प प्रशासन ने बहुपक्षीय व्यापार समझौतों (Multilateral Trade Agreements) पर सवाल उठाया है और द्विपक्षीय (Bilateral) समझौतों पर अधिक जोर दिया है। टैरिफ को एक प्रमुख उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिसका उद्देश्य कथित अनुचित व्यापार प्रथाओं (Unfair Trade Practices) का मुकाबला करना और अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों की रक्षा करना है।

ट्रम्प प्रशासन के टैरिफ के मुख्य लक्ष्य:

  • चीन के साथ व्यापार घाटा: अमेरिका का चीन के साथ एक बड़ा व्यापार घाटा है, और ट्रम्प प्रशासन ने इसे कम करने के लिए कई टैरिफ लगाए हैं।
  • अन्य देशों की व्यापारिक प्रथाएं: प्रशासन ने कई अन्य देशों पर भी अनुचित व्यापार नीतियों, बौद्धिक संपदा की चोरी (Intellectual Property Theft) और आवश्यक उद्योगों पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप लगाया है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: कुछ मामलों में, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ का उपयोग किया गया है, जैसे कि स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ।

हाल ही में घोषित 25% (भारत), 19% (पाकिस्तान) और 35% (इराक) जैसे टैरिफ की दरें इस नीति का विस्तार मात्र हैं। ये टैरिफ किस विशिष्ट वस्तु या वस्तुओं के समूह पर लगाए गए हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका प्रभाव पूरी तरह से उस वस्तु की प्रकृति पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए, यदि ये टैरिफ भारतीय वस्त्रों या पाकिस्तानी मिठाइयों पर लगते हैं, तो इसका प्रभाव अलग होगा, जबकि यदि ये प्रौद्योगिकी या ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित हैं, तो प्रभाव बहुत व्यापक हो सकता है।

“टैरिफ एक ऐसा हथियार है जिसका इस्तेमाल करके एक देश दूसरे देश को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह एक जटिल जाल है।”

भारत पर अमेरिकी टैरिफ का संभावित प्रभाव (Potential Impact of US Tariffs on India)

भारत पर 25% टैरिफ की घोषणा चिंता का विषय है। भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार (Trading Partner) है, और अमेरिकी बाजार भारतीय निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण है।

सकारात्मक पहलू (Potential Positives – बहुत कम, यदि कोई हो):

  • कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में अवसर: यदि टैरिफ कुछ विशिष्ट वस्तुओं पर लगाए जाते हैं, तो यह अप्रत्यक्ष रूप से उन भारतीय उत्पादों के लिए अवसर पैदा कर सकता है जो उन वस्तुओं के विकल्प प्रदान करते हैं, बशर्ते कि भारत में उत्पादन क्षमता हो।

नकारात्मक पहलू (Potential Negatives):

  • निर्यात में कमी: अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता (Competitiveness) कम हो जाएगी, जिससे निर्यात में गिरावट आ सकती है। यह उन भारतीय कंपनियों को सीधे प्रभावित करेगा जो अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करती हैं।
  • रोजगार पर प्रभाव: निर्यात में कमी से उन उद्योगों में रोजगार कम हो सकता है जो सीधे अमेरिका को निर्यात पर निर्भर हैं, जैसे कि कपड़ा, चमड़ा, रत्न और आभूषण, और कुछ इंजीनियरिंग सामान।
  • आर्थिक विकास पर प्रभाव: निर्यात आय में गिरावट से देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर धीमी हो सकती है।
  • निवेश पर असर: अमेरिकी टैरिफ के कारण उत्पन्न अनिश्चितता (Uncertainty) विदेशी निवेश (Foreign Investment) को हतोत्साहित कर सकती है।
  • बदला लेने वाले टैरिफ (Retaliatory Tariffs): भारत भी जवाबी कार्रवाई के रूप में अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) शुरू हो सकता है।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव: यदि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो उस पर टैरिफ लगाने से अन्य देशों के लिए भी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

उदाहरण: मान लीजिए कि अमेरिका भारतीय फार्मास्यूटिकल्स पर 25% टैरिफ लगाता है। इसका मतलब है कि अमेरिका में बिकने वाली प्रत्येक ₹100 की भारतीय दवा पर $25 का अतिरिक्त कर लगेगा। इससे अमेरिकी खरीदार या तो भारतीय दवाएं खरीदना बंद कर देंगे या वे अधिक महंगी हो जाएंगी, जिससे भारतीय दवा कंपनियों का मुनाफा कम होगा और बिक्री पर असर पड़ेगा।

पाकिस्तान पर अमेरिकी टैरिफ का संभावित प्रभाव (Potential Impact of US Tariffs on Pakistan)

पाकिस्तान पर 19% टैरिफ की घोषणा भी महत्वपूर्ण है, खासकर जब पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।

नकारात्मक पहलू (Potential Negatives):

  • निर्यात राजस्व को झटका: पाकिस्तान भी अमेरिका को कई वस्तुओं का निर्यात करता है। इन टैरिफों से पाकिस्तान के निर्यात राजस्व पर सीधा असर पड़ेगा।
  • समग्र आर्थिक स्थिरता पर दबाव: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही बाहरी ऋण (External Debt), मुद्रास्फीति (Inflation) और चालू खाता घाटे (Current Account Deficit) से जूझ रही है। निर्यात में किसी भी गिरावट से इन समस्याओं में और वृद्धि हो सकती है।
  • रोजगार सृजन में बाधा: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में मंदी से रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: टैरिफों का इस्तेमाल अक्सर राजनीतिक कारणों से भी किया जाता है। यह अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों को और जटिल बना सकता है, खासकर जब पाकिस्तान क्षेत्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उदाहरण: यदि अमेरिका पाकिस्तान से आयातित वस्त्रों पर 19% टैरिफ लगाता है, तो इससे पाकिस्तान के कपड़ा निर्यातकों को बड़ा नुकसान होगा, जो देश के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा है। अमेरिकी खरीदारों के लिए ये कपड़े महंगे हो जाएंगे, और वे अन्य देशों से सस्ते विकल्प तलाश सकते हैं।

इराक पर अमेरिकी टैरिफ का संभावित प्रभाव (Potential Impact of US Tariffs on Iraq)

इराक पर 35% का टैरिफ विशेष रूप से चौंकाने वाला है, क्योंकि इराक मध्य पूर्व में एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है और अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी (Strategic Ally) रहा है।

संभावित कारण और प्रभाव:

  • ऊर्जा क्षेत्र पर लक्षित: यह संभव है कि ये टैरिफ इराक से आयातित कुछ ऊर्जा उत्पादों या संबंधित वस्तुओं पर लगाए गए हों। यदि ऐसा है, तो यह इराक के निर्यात राजस्व को सीधे प्रभावित करेगा।
  • आर्थिक अस्थिरता को बढ़ावा: इराक अपनी अर्थव्यवस्था के लिए तेल निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। ऐसे टैरिफ देश की पहले से ही नाजुक आर्थिक स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।
  • भू-राजनीतिक आयाम: इराक में अमेरिकी उपस्थिति और क्षेत्रीय स्थिरता को देखते हुए, ये टैरिफ इस क्षेत्र में अमेरिका की नीतियों और इरादों पर सवाल खड़े कर सकते हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि अमेरिका इराक के साथ व्यापार में कुछ असंतुलन को ठीक करना चाहता है।
  • व्यापारिक भागीदारों का पुनर्संतुलन: इराक को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है यदि अमेरिकी बाजार टैरिफ के कारण अधिक महंगा हो जाता है।

एक महत्वपूर्ण विचार: टैरिफ की दरें और वे किस विशिष्ट वस्तु पर लागू होती हैं, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि ये टैरिफ उन वस्तुओं पर लागू होते हैं जिनका इराक अमेरिका को बहुत कम मात्रा में निर्यात करता है, तो प्रभाव कम होगा। लेकिन यदि वे तेल या अन्य प्रमुख निर्यात वस्तुओं पर लागू होते हैं, तो प्रभाव विनाशकारी हो सकता है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव (Broader Impact on the Global Economy)

यह एकल देशों पर टैरिफ लगाने का मामला नहीं है; यह वैश्विक व्यापार प्रणाली को प्रभावित करने वाली एक बड़ी प्रवृत्ति का हिस्सा है।

  • व्यापार युद्धों का खतरा: जब एक देश टैरिफ लगाता है, तो अन्य देश अक्सर जवाबी कार्रवाई करते हैं, जिससे व्यापार युद्ध छिड़ सकता है। यह वैश्विक व्यापार की मात्रा को कम करता है और सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाता है।
  • अनिश्चितता में वृद्धि: टैरिफ की घोषणाएं और बदले की कार्रवाई अनिश्चितता पैदा करती है, जिससे व्यवसायों के लिए निवेश निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है।
  • मूल्य वृद्धि: टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाते हैं, जिससे उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
  • कमजोर आपूर्ति श्रृंखलाएं: टैरिफ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) को बाधित कर सकते हैं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ सकती है और उत्पाद की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका: इस तरह के एकतरफा टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के लिए एक चुनौती पेश करते हैं, जो निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।

उपमा: कल्पना कीजिए कि आप एक बड़े बाजार में हैं जहाँ हर कोई अपनी वस्तुओं को बेचने के लिए आया है। यदि कुछ विक्रेता अचानक अपनी वस्तुओं पर बहुत अधिक मूल्य टैग लगा देते हैं, तो खरीदार या तो कम खरीदेंगे या अन्य विक्रेताओं की ओर मुड़ जाएंगे। अगर फिर अन्य विक्रेता भी अपने टैग बढ़ाते हैं, तो पूरा बाजार धीमा हो जाएगा।

भारत के लिए आगे की राह (Way Forward for India)

भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए एक रणनीतिक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

  1. कूटनीतिक वार्ता (Diplomatic Negotiations): अमेरिका के साथ सीधी बातचीत के माध्यम से इन टैरिफों को कम करने या रद्द करने का प्रयास करना सबसे पहला कदम होना चाहिए। इसमें चिंताओं को दूर करना और पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान खोजना शामिल है।
  2. जवाबी कार्रवाई (Retaliation): यदि वार्ता विफल रहती है, तो भारत को अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने पर विचार करना पड़ सकता है। हालांकि, इस कदम के संभावित नुकसानों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  3. निर्यात बाजारों में विविधता (Diversification of Export Markets): भारत को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अन्य प्रमुख बाजारों, जैसे यूरोपीय संघ, आसियान देशों, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  4. घरेलू उत्पादन को बढ़ावा (Boosting Domestic Production): “आत्मनिर्भर भारत” (Atmanirbhar Bharat) जैसी पहलों को मजबूत करने से भारत को उन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल सकती है जहां वह टैरिफ के कारण प्रभावित हो रहा है।
  5. निवेश आकर्षित करना: भारत को उन उद्योगों में विदेशी और घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए जो निर्यात में वृद्धि कर सकते हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर सकते हैं।
  6. अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग: भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी चिंताओं को उठाना चाहिए और व्यापार नियमों के अनुपालन पर जोर देना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

मुख्य परीक्षा (Mains):

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS-II): भारत के द्विपक्षीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन, व्यापार नीतियां।
  • अर्थव्यवस्था (GS-III): अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, टैरिफ, व्यापार घाटा, वैश्विक अर्थव्यवस्था, मुद्रास्फीति, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)।
  • समसामयिक मामले: हाल की वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक प्रवृत्तियाँ।

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):

  • अर्थव्यवस्था: टैरिफ के प्रकार, व्यापार घाटा, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), विश्व व्यापार संगठन (WTO)।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: प्रमुख देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध।

निष्कर्ष (Conclusion)

अमेरिकी टैरिफ की नई घोषणाएँ वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती हैं। भारत, पाकिस्तान और इराक जैसे देशों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अनिश्चितता और संभावित मंदी के दौर से गुजर सकती है। इन टैरिफों के पीछे की जटिलताओं को समझना, उनके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करना और उनसे निपटने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना UPSC उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत को कूटनीति, निर्यात विविधीकरण और घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने के संयोजन के माध्यम से इस चुनौती का सामना करना होगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा टैरिफ का एक प्रकार है जो आयातित वस्तु के मूल्य के प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है?

    (a) विशिष्ट टैरिफ (Specific Tariff)

    (b) एड वालोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff)

    (c) कंपाउंड टैरिफ (Compound Tariff)

    (d) कोटा (Quota)

    उत्तर: (b) एड वालोरम टैरिफ (Ad Valorem Tariff)

    व्याख्या: एड वालोरम टैरिफ आयातित वस्तु के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत होता है, जबकि विशिष्ट टैरिफ प्रति इकाई वस्तु पर एक निश्चित राशि होता है।
  2. प्रश्न 2: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का मुख्य उद्देश्य क्या था?

    (a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना

    (b) अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों की रक्षा करना

    (c) वैश्विक व्यापार घाटे को बढ़ावा देना

    (d) बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को मजबूत करना

    उत्तर: (b) अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों की रक्षा करना

    व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का केंद्रीय विचार अमेरिकी आर्थिक और औद्योगिक हितों को प्राथमिकता देना था।
  3. प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना निष्पक्ष वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए की गई थी?

    (a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

    (b) विश्व बैंक (World Bank)

    (c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

    (d) संयुक्त राष्ट्र (UN)

    उत्तर: (c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

    व्याख्या: WTO वैश्विक व्यापार नियमों को स्थापित करने और विवादों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार है।
  4. प्रश्न 4: हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ का भारत के निर्यात पर क्या संभावित प्रभाव हो सकता है?

    1. निर्यात में वृद्धि

    2. निर्यात में कमी

    3. अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (a) 1 और 2

    (b) 2 और 3

    (c) 1 और 3

    (d) केवल 2

    उत्तर: (b) 2 और 3

    व्याख्या: टैरिफ से वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे निर्यात और प्रतिस्पर्धात्मकता दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  5. प्रश्न 5: टैरिफ लगाने का एक सामान्य कारण क्या है?

    (a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना

    (b) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना

    (c) मुक्त व्यापार को प्रोत्साहित करना

    (d) उपभोक्ता कीमतों को कम करना

    उत्तर: (a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना

    व्याख्या: टैरिफ घरेलू उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धियों से बचाने के लिए लगाए जाते हैं।
  6. प्रश्न 6: ‘व्यापार घाटा’ (Trade Deficit) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:

    (a) आयात निर्यात से अधिक होते हैं

    (b) निर्यात आयात से अधिक होते हैं

    (c) देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बढ़ता है

    (d) देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) घटता है

    उत्तर: (a) आयात निर्यात से अधिक होते हैं

    व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।
  7. प्रश्न 7: यदि कोई देश अपने जवाबी कार्रवाई के रूप में दूसरे देश पर टैरिफ लगाता है, तो इसे क्या कहा जाता है?

    (a) मुक्त व्यापार (Free Trade)

    (b) संरक्षणवाद (Protectionism)

    (c) संरक्षणवादी टैरिफ (Protectionist Tariff)

    (d) जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariff)

    उत्तर: (d) जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariff)

    व्याख्या: एक देश द्वारा दूसरे देश की कार्रवाई के जवाब में लगाए गए टैरिफ को जवाबी टैरिफ कहा जाता है।
  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कारक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) को बाधित कर सकता है?

    1. टैरिफ

    2. व्यापार युद्ध

    3. भू-राजनीतिक अस्थिरता

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (a) 1 और 2

    (b) 2 और 3

    (c) 1, 2 और 3

    (d) केवल 1

    उत्तर: (c) 1, 2 और 3

    व्याख्या: ये सभी कारक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न कर सकते हैं।
  9. प्रश्न 9: ‘अनिश्चितता’ (Uncertainty) का किसी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

    1. निवेश में वृद्धि

    2. निवेश में कमी

    3. उपभोक्ता विश्वास में वृद्धि

    4. उपभोक्ता विश्वास में कमी

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (a) 1 और 3

    (b) 2 और 4

    (c) 1, 2 और 3

    (d) केवल 2

    उत्तर: (b) 2 और 4

    व्याख्या: अनिश्चितता व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए जोखिम भरा होता है, जिससे निवेश और खर्च कम हो सकता है।
  10. प्रश्न 10: इराक पर 35% के टैरिफ का सबसे संभावित क्षेत्र कौन सा हो सकता है जिस पर प्रभाव पड़ेगा?

    (a) इराक का सांस्कृतिक निर्यात

    (b) इराक की शिक्षा प्रणाली

    (c) इराक का तेल और ऊर्जा क्षेत्र

    (d) इराक की सेवा क्षेत्र

    उत्तर: (c) इराक का तेल और ऊर्जा क्षेत्र

    व्याख्या: इराक मुख्य रूप से एक तेल उत्पादक देश है, इसलिए ऐसे टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव उसके ऊर्जा निर्यात पर ही पड़ेगा।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: अमेरिकी टैरिफ नीतियों के उदय ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कैसे प्रभावित किया है? चर्चा करें कि टैरिफ के उपयोग से देशों के बीच संबंध कैसे तनावपूर्ण हो सकते हैं और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। (विश्लेषणात्मक, 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: भारत पर अमेरिकी टैरिफ के संभावित प्रभावों का मूल्यांकन करें। निर्यात, रोजगार और आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव को समझाते हुए, भारत के लिए आगे की रणनीतिक राहें क्या हो सकती हैं? (विश्लेषणात्मक, 250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: संरक्षणवाद (Protectionism) और मुक्त व्यापार (Free Trade) के बीच के द्वंद्व पर चर्चा करें। हाल की अमेरिकी टैरिफ घोषणाओं के आलोक में, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संरक्षणवाद के क्या दीर्घकालिक निहितार्थ हैं? (विश्लेषणात्मक, 200 शब्द)

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