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Cricket Diplomacy or Controversy? Unpacking India’s Stance on Ben Stokes’ Handshake

Cricket Diplomacy or Controversy? Unpacking India’s Stance on Ben Stokes’ Handshake

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टेस्ट मैच के दौरान, अंग्रेजी टीम के कप्तान बेन स्टोक्स द्वारा भारतीय टीम के साथ मैच ड्रॉ कराने के प्रस्ताव पर भारतीय टीम के कप्तान द्वारा हैंडशेक (हाथ मिलाने) से इनकार करने की घटना ने क्रिकेट जगत में काफी सुर्खियां बटोरीं। यह घटनाक्रम न केवल खेल भावना पर सवाल उठाता है, बल्कि कूटनीति, खेल रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के व्यापक संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो जाता है, खासकर UPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए जो इन सूक्ष्मताओं को समझने में रुचि रखते हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के पीछे की पूरी कहानी, इसके संभावित कारणों, इसके निहितार्थों और UPSC के दृष्टिकोण से इसके महत्व का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करेगा। हम केवल एक खेल आयोजन से परे जाकर, उन अंतर्निहित सिद्धांतों और व्यवहारों की जांच करेंगे जो ऐसे क्षणों को जन्म देते हैं।

IND vs ENG: चौथे टेस्ट का विस्तृत विश्लेषण (Detailed Analysis of the 4th Test)

यह घटना भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टेस्ट मैच के अंतिम क्षणों में घटी, जहाँ खेल लगभग ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था। इस मैच का परिणाम श्रृंखला के परिणाम के लिए निर्णायक नहीं था, लेकिन खेल के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह चर्चा का विषय बन गया।

मैच का संदर्भ (Context of the Match):

चौथा टेस्ट मैच एक ऐसी पृष्ठभूमि में खेला जा रहा था जहाँ श्रृंखला पहले ही अपने चरम पर पहुँच चुकी थी। दोनों टीमें अपनी-अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही थीं। मैच का परिणाम खेल के मैदान पर अपनी छाप छोड़ना था, लेकिन स्टोक्स की एक प्रस्ताव और भारतीय टीम की प्रतिक्रिया ने एक अलग ही कहानी लिख दी।

बेन स्टोक्स का प्रस्ताव (Ben Stokes’ Offer):

रिपोर्टों के अनुसार, जब मैच लगभग ड्रॉ की ओर अग्रसर था, अंग्रेजी कप्तान बेन स्टोक्स ने भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के पास जाकर मैच को आधिकारिक तौर पर ड्रॉ घोषित करने के लिए हाथ मिलाने (handshake) का प्रस्ताव दिया। क्रिकेट के मैदान पर, विशेषकर जब कोई स्पष्ट विजेता नहीं निकल रहा हो, तो इस तरह से मैच को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त करने के लिए हाथ मिलाना एक आम प्रथा है। यह खेल भावना का प्रतीक माना जाता है।

भारतीय टीम की प्रतिक्रिया (Indian Team’s Reaction):

हालांकि, इस बार की कहानी अलग थी। भारतीय कप्तानी और प्रबंधन ने स्टोक्स के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। ऐसा नहीं था कि खेल का परिणाम संदिग्ध था या कोई नियम तोड़ा गया था। यह एक सामरिक और शायद मनोवैज्ञानिक कदम था। इस प्रस्ताव को स्वीकार न करने के कई कारण हो सकते हैं, जिनकी हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।

खेल भावना से परे: क्यों किया भारत ने इनकार? (Beyond Sportsmanship: Why Did India Refuse?)

यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण है: भारत ने बेन स्टोक्स के हैंडशेक प्रस्ताव को क्यों ठुकराया? इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जो खेल की बारीकियों, रणनीतिक सोच और मनोवैज्ञानिक पहलुओं से जुड़े हैं।

1. जीत की तलाश (Pursuit of Victory):

भले ही मैच ड्रॉ की ओर बढ़ रहा हो, क्रिकेट में हर टीम का अंतिम लक्ष्य जीतना होता है। यदि मैदान पर कोई भी संभावना (कितनी भी छोटी क्यों न हो) जीत की बची हो, तो कोई भी टीम उसे छोड़ना नहीं चाहेगी। हो सकता है कि भारतीय टीम को अभी भी कुछ ओवरों में विरोधी टीम को ऑल-आउट करने या जीत के लिए आवश्यक रन बनाने की थोड़ी भी उम्मीद रही हो। ऐसे में, मैच ड्रॉ घोषित करना अपनी जीत की संभावना को स्वतः समाप्त करना होगा।

2. मनोवैज्ञानिक दबाव (Psychological Pressure):

स्टोक्स का प्रस्ताव एक मनोवैज्ञानिक चाल भी हो सकती थी। खेल के अंतिम क्षणों में, जब विरोधी टीम के मन में कोई अनिश्चितता हो, तो ड्रॉ का प्रस्ताव देकर उन्हें मानसिक रूप से थोड़ा आराम देने की कोशिश की जा सकती है। भारतीय टीम ने शायद इस चाल को समझा और इसे स्वीकार न करके, खुद पर हावी होने की बजाय खेल को अपने नैसर्गिक अंत तक ले जाने का फैसला किया। वे विरोधी टीम पर दबाव बनाए रखना चाहते थे।

3. खेल को उसके स्वाभाविक अंत तक ले जाना (Letting the Game Reach its Natural Conclusion):

यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है। यदि खेल वास्तव में ड्रॉ की ओर बढ़ रहा है, तो इसे ऐसे ही समाप्त होने देना चाहिए। इसे आधिकारिक तौर पर ‘ड्रॉ’ घोषित करने के लिए हाथ मिलाना एक तरह की औपचारिक सहमति है। जब तक खेल के नियम या मैदान की स्थिति (जैसे खराब रोशनी) मैच को समाप्त करने के लिए मजबूर न करे, तब तक इसे खेलने की प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। भारतीय टीम ने शायद इसी सिद्धांत का पालन किया।

4. पिछले मैचों का प्रभाव (Impact of Previous Matches):

कभी-कभी, पूर्व के मैचों में हुई घटनाओं का प्रभाव वर्तमान के निर्णयों पर पड़ता है। यदि पिछली मुठभेड़ों में इंग्लैंड ने भारत पर कोई मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल की हो या कोई विवादास्पद क्षण रहा हो, तो यह संभव है कि भारतीय टीम ने एक प्रतिक्रियात्मक कदम उठाया हो। हालांकि, इस विशेष मामले में ऐसे किसी स्पष्ट संकेत का अभाव है।

5. टीम की आक्रामकता और ‘ }’ (Team’s Aggression and ‘Spirit’):

भारतीय क्रिकेट टीम, विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में, एक आक्रामक और ‘never-say-die’ रवैये के लिए जानी जाती है। यह टीम अक्सर खेल के किसी भी क्षण में वापसी करने की क्षमता रखती है। ऐसे में, ड्रॉ के प्रस्ताव को स्वीकार करना इस आक्रामक भावना के विपरीत हो सकता था। यह उनके खेल के तरीके से असंगत हो सकता था।

6. स्पष्टता की कमी (Lack of Clarity):

हो सकता है कि जिस समय स्टोक्स ने प्रस्ताव दिया, उस समय भारत की ओर से मैदान पर मौजूद कप्तानी या निर्णायकों को स्थिति की पूर्ण स्पष्टता न हो। हो सकता है कि वे यह तय नहीं कर पा रहे हों कि क्या यह एक वास्तविक प्रस्ताव है या कोई चाल। ऐसे में, अनिश्चितता की स्थिति में, ‘ना’ कहना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है।

UPSC परिप्रेक्ष्य: क्या मायने रखता है? (UPSC Perspective: What Matters?)

यह घटना केवल खेल जगत की हलचल तक सीमित नहीं है। UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह कई महत्वपूर्ण अवधारणाओं पर प्रकाश डालती है:

  • कूटनीति और खेल (Diplomacy and Sports): खेल अक्सर देशों के बीच अनौपचारिक कूटनीति का एक शक्तिशाली माध्यम होते हैं। “स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी” का अर्थ है देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए खेल का उपयोग करना। यहां, एक क्रिकेट मैच में एक साधारण हैंडशेक का इनकार भी इन अनौपचारिक संबंधों में एक छोटी सी दरार या एक रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
  • सामरिक निर्णय (Strategic Decision-Making): खेल के मैदान पर लिए गए निर्णय केवल शारीरिक कौशल तक सीमित नहीं होते, बल्कि इनमें गहरी रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक सोच शामिल होती है। भारतीय टीम का निर्णय दिखाता है कि कैसे टीम प्रबंधन विरोधी की चालों को समझकर, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग कर सकता है। यह सिविल सेवाओं में भी महत्वपूर्ण है जहाँ अक्सर जटिल परिस्थितियों में प्रभावी निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
  • राष्ट्रवाद और पहचान (Nationalism and Identity): खेल राष्ट्रीय गौरव और पहचान का एक मजबूत स्रोत होते हैं। टीम का प्रदर्शन सीधे तौर पर देश की भावनाओं से जुड़ता है। ऐसे में, जब राष्ट्रीय हित या टीम की प्रतिष्ठा दांव पर हो, तो निर्णय अधिक सूक्ष्म हो जाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): खेल आयोजन, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। किसी भी देश की टीम का व्यवहार, उसकी संस्कृति और उसके मूल्यों को दर्शाता है।
  • मीडिया की भूमिका (Role of Media): इस तरह की घटनाओं को मीडिया किस तरह से प्रस्तुत करता है, यह सार्वजनिक राय को प्रभावित कर सकता है। मीडिया अक्सर इन घटनाओं को ‘विवाद’ या ‘कहानी’ के रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे जटिल मुद्दों का सरलीकरण हो जाता है।

विवाद और विश्लेषण (Controversy and Analysis):

स्टोक्स के प्रस्ताव को ठुकराने को कुछ लोगों ने खेल भावना के विरुद्ध माना, जबकि अन्य ने इसे भारतीय टीम की ‘smartness’ या ‘tactical acumen’ का प्रदर्शन कहा।

“खेल का मैदान केवल 22 गज की पट्टी नहीं है; यह एक मनोवैज्ञानिक युद्धक्षेत्र है जहाँ हर चाल, हर शब्द और हर प्रतिक्रिया मायने रखती है।”

इस मामले में, यह कहना जल्दबाजी होगी कि कौन सही था और कौन गलत। क्रिकेट के मैदान पर, ‘खेल भावना’ एक अनौपचारिक नियम है, लेकिन ‘जीत’ अंतिम लक्ष्य। यदि जीत की थोड़ी सी भी गुंजाइश हो, तो उसे छोड़ना टीम के हित में नहीं है।

पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons):

भारत के निर्णय के पक्ष में तर्क (Arguments in favor of India’s decision):

  • जीत की संभावना को बनाए रखना।
  • विरोधी टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखना।
  • खेल को उसके स्वाभाविक अंत तक जाने देना।
  • टीम की आक्रामक और ‘never-say-die’ भावना के अनुरूप।

भारत के निर्णय के विपक्ष में तर्क (Arguments against India’s decision):

  • खेल भावना का उल्लंघन (कुछ दृष्टिकोण से)।
  • मैच ड्रॉ होने की स्थिति में अनावश्यक रूप से खेल को जारी रखना।
  • एक सौहार्दपूर्ण अंत का अवसर खोना।

चुनौतियाँ (Challenges):

इस तरह की घटनाओं का विश्लेषण करते समय, हमें भावनाओं और तथ्यों के बीच अंतर करना होता है। मीडिया की कवरेज, प्रशंसक की भावनाएं और खेल विशेषज्ञों की राय सभी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अंतिम निर्णय एक विशुद्ध रूप से विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से ही लिया जाना चाहिए।

UPSC उम्मीदवारों के लिए चुनौती यह है कि वे किसी घटना को केवल उसके सतही रूप में न देखें, बल्कि उसके पीछे के कारणों, संदर्भ और निहितार्थों को समझें।

भविष्य की राह (Future Course):

इस घटना से क्रिकेट जगत और टीमों को क्या सीखना चाहिए? यह एक सतत चर्चा का विषय है।

  1. स्पष्ट संचार (Clear Communication): ऐसी स्थितियों में, कप्तानों के बीच स्पष्ट और प्रत्यक्ष संचार महत्वपूर्ण है। यदि प्रस्ताव स्पष्ट था, तो उसे स्वीकार या अस्वीकार करने का कारण भी स्पष्ट होना चाहिए।
  2. खेल भावना का संतुलन (Balancing Sportsmanship): खेल भावना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह जीत की इच्छा के साथ संतुलित होनी चाहिए। टीम को अपनी खेल रणनीति से समझौता किए बिना भी खेल भावना का प्रदर्शन करना चाहिए।
  3. ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Context): ऐसे निर्णय अक्सर पिछले अनुभवों से प्रभावित होते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि टीमें अपने निर्णयों को ऐतिहासिक और वर्तमान संदर्भ में देखें।

अंततः, क्रिकेट जैसे खेल केवल परिणाम नहीं होते; वे मूल्यों, रणनीतियों और मानवीय भावनाओं का मिश्रण होते हैं। बेन स्टोक्स के हैंडशेक प्रस्ताव को भारत द्वारा अस्वीकार करना, खेल के मैदान पर सामरिक सोच, मनोवैज्ञानिक दांव-पेंच और टीम की आक्रामक भावना का एक अनूठा उदाहरण है। UPSC की तैयारी करने वालों के लिए, यह एक अनुस्मारक है कि कैसे छोटी लगने वाली घटनाएँ भी बड़े मुद्दों और अवधारणाओं से जुड़ी हो सकती हैं, जो सार्वजनिक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और रणनीतिक योजना जैसे क्षेत्रों में प्रासंगिक हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल ही में भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट मैच में, किस अंग्रेजी खिलाड़ी ने मैच ड्रॉ कराने के लिए हैंडशेक का प्रस्ताव दिया था?
(a) जो रूट
(b) जेम्स एंडरसन
(c) बेन स्टोक्स
(d) जॉनी बेयरस्टो
उत्तर: (c) बेन स्टोक्स
व्याख्या: चौथे टेस्ट मैच के अंतिम क्षणों में, अंग्रेजी कप्तान बेन स्टोक्स ने भारतीय कप्तान के सामने मैच ड्रॉ कराने के लिए हाथ मिलाने का प्रस्ताव रखा था।

2. क्रिकेट में, ‘ड्रॉ’ का क्या अर्थ होता है?
(a) जब दोनों टीमें समान स्कोर पर ऑल-आउट हो जाएं।
(b) जब एक टीम दूसरी टीम से 50 रन कम पर ऑल-आउट हो जाए।
(c) जब मैच का अंतिम दिन एक टीम जीत के लिए ज़रूरी रन नहीं बना पाए और खेल समाप्त हो जाए, जिससे दोनों टीमों को बराबर अंक मिलें।
(d) जब कोई भी टीम दूसरी टीम को ऑल-आउट न कर पाए और खेल समय पर समाप्त हो जाए, जिससे कोई स्पष्ट विजेता न हो।
उत्तर: (d) जब कोई भी टीम दूसरी टीम को ऑल-आउट न कर पाए और खेल समय पर समाप्त हो जाए, जिससे कोई स्पष्ट विजेता न हो।
व्याख्या: टेस्ट क्रिकेट में, यदि चार या पांच दिनों के खेल के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकलता है और मैच समय पर समाप्त हो जाता है, तो इसे ‘ड्रॉ’ घोषित किया जाता है।

3. ‘स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी’ (Sports Diplomacy) का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
(a) देशों के बीच खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन।
(b) खेल आयोजनों का उपयोग करके राष्ट्रों के बीच राजनीतिक संबंधों को सुधारना।
(c) खेल के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी खेल को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके कूटनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की एक विस्तृत अवधारणा है, जिसमें राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू शामिल हो सकते हैं।

4. टेस्ट क्रिकेट में, मैच ड्रॉ होने की सबसे आम स्थिति क्या है?
(a) खराब मौसम के कारण खेल का अधिक समय बर्बाद होना।
(b) निर्धारित ओवरों की संख्या समाप्त हो जाना।
(c) जब दोनों टीमें समान स्कोर पर खेल रही हों।
(d) मैदानी अंपायरों द्वारा अचानक मैच रद्द करना।
उत्तर: (a) खराब मौसम के कारण खेल का अधिक समय बर्बाद होना।
व्याख्या: टेस्ट क्रिकेट पांच दिनों तक चलता है, और यदि खराब मौसम (बारिश, खराब रोशनी) के कारण खेल का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं खेला जा पाता है, तो मैच के ड्रॉ होने की संभावना बढ़ जाती है।

5. भारतीय टीम ने बेन स्टोक्स के हैंडशेक प्रस्ताव को स्वीकार न करके किस प्रकार की रणनीति का प्रदर्शन किया हो सकता है?
(a) खेल भावना की कमी
(b) मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने की रणनीति
(c) जानबूझकर समय बर्बाद करना
(d) विरोधी को उकसाना
उत्तर: (b) मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने की रणनीति
व्याख्या: ऐसी स्थिति में, प्रस्ताव को अस्वीकार करना विरोधी पर दबाव बनाए रखने और अपनी जीत की उम्मीद को जीवित रखने की एक संभावित रणनीति हो सकती है।

6. UPSC परीक्षा के संदर्भ में, खेल आयोजनों का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
(a) ये अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और कूटनीति को दर्शाते हैं।
(b) ये राष्ट्रीय गौरव और पहचान से जुड़े होते हैं।
(c) ये सामरिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करते हैं।
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: खेल अक्सर बड़े राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक मुद्दों के प्रतिबिंब होते हैं, जो UPSC के पाठ्यक्रम के लिए प्रासंगिक हैं।

7. ‘Never-say-die’ (कभी हार न मानने वाली) भावना को भारतीय क्रिकेट टीम की किस विशिष्ट विशेषता से जोड़ा जा सकता है?
(a) केवल बल्लेबाजी क्रम
(b) केवल गेंदबाजी आक्रमण
(c) टीम का समग्र रवैया और वापसी करने की क्षमता
(d) कप्तान का नेतृत्व
उत्तर: (c) टीम का समग्र रवैया और वापसी करने की क्षमता
व्याख्या: यह एक टीम-व्यापी विशेषता है जो किसी भी परिस्थिति में हार न मानने और वापसी करने के दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।

8. यदि कोई खेल ‘ड्रॉ’ पर समाप्त होता है, तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के नियमों के अनुसार, अंक कैसे विभाजित होते हैं?
(a) जीतने वाली टीम को 2 अंक, हारने वाली टीम को 0 अंक।
(b) दोनों टीमों को 1-1 अंक।
(c) जीतने वाली टीम को 5 अंक, हारने वाली टीम को 0 अंक।
(d) ड्रॉ होने पर कोई अंक विभाजित नहीं होते।
उत्तर: (b) दोनों टीमों को 1-1 अंक।
व्याख्या: विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) जैसे टूर्नामेंटों में, जीत पर अंक मिलते हैं, हार पर शून्य, और ड्रॉ या टाई होने पर अंक विभाजित होते हैं।

9. इस घटना में मीडिया की भूमिका को किस दृष्टिकोण से देखा जा सकता है?
(a) केवल खेल के तथ्यों को प्रसारित करना।
(b) दर्शकों की रुचि बनाए रखने के लिए घटनाओं को सनसनीखेज बनाना।
(c) घटनाओं के पीछे के गहरे अर्थों का विश्लेषण करना।
(d) उपरोक्त (b) और (c) दोनों।
उत्तर: (d) उपरोक्त (b) और (c) दोनों।
व्याख्या: मीडिया अक्सर घटनाओं को रोचक बनाने के लिए उन्हें थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, लेकिन साथ ही कुछ विश्लेषण भी प्रदान करता है।

10. बेन स्टोक्स द्वारा मैच ड्रॉ कराने का प्रस्ताव देना, क्रिकेट के खेल में किस परंपरा का हिस्सा है?
(a) अनुचित खेल (Unfair Play)
(b) खेल भावना (Spirit of the Game)
(c) समय की बर्बादी (Time Wasting)
(d) कप्तानी की कमजोरी (Captains Weakness)
उत्तर: (b) खेल भावना (Spirit of the Game)
व्याख्या: जब मैच स्पष्ट रूप से ड्रॉ की ओर बढ़ रहा होता है, तो समय और ऊर्जा बचाने तथा सौहार्द दिखाने के लिए हाथ मिलाने की परंपरा खेल भावना का एक हिस्सा मानी जाती है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि कूटनीति और राष्ट्रीय पहचान का एक शक्तिशाली मंच भी है।” उपरोक्त कथन के आलोक में, भारत द्वारा बेन स्टोक्स के हैंडशेक प्रस्ताव को अस्वीकार करने की घटना का विश्लेषण करें और इसके विभिन्न संभावित निहितार्थों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द)
2. भारतीय क्रिकेट टीम के सामरिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को टेस्ट क्रिकेट के संदर्भ में समझाइए। बेन स्टोक्स के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के निर्णय में मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक पहलुओं की चर्चा करें। (150 शब्द)
3. ‘खेल भावना’ (Spirit of the Game) और ‘जीत की इच्छा’ (Desire to Win) के बीच संतुलन बनाते हुए, खेल आयोजनों में ऐसे विवादास्पद क्षणों के महत्व का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। UPSC के दृष्टिकोण से ऐसे मुद्दों का विश्लेषण कैसे किया जाना चाहिए? (250 शब्द)
4. अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में ‘स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी’ की भूमिका पर चर्चा करें। भारत द्वारा ऐसे अवसरों पर अपनाए जाने वाले व्यवहार और वैश्विक मंच पर इसकी छवि पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करें। (150 शब्द)

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