AI171 क्रैश: अटकलें या सच? अमेरिकी एजेंसी का दावा और लीक का रहस्य उजागर

AI171 क्रैश: अटकलें या सच? अमेरिकी एजेंसी का दावा और लीक का रहस्य उजागर

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में हुई AI171 विमान दुर्घटना ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस दुर्घटना के कारणों और परिस्थितियों को लेकर विभिन्न देशों की मीडिया में लगातार रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं। हालांकि, इन रिपोर्ट्स पर विराम लगाते हुए, एक प्रमुख अमेरिकी एजेंसी ने पश्चिमी मीडिया द्वारा प्रकाशित कई रिपोर्टों को ‘अटकलबाजी’ करार दिया है। इसके बावजूद, दुर्घटना से संबंधित कथित नए ‘लीक्स’ का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे मामले की जटिलता और बढ़ गई है। यह घटना न केवल एक तकनीकी त्रासदी है, बल्कि सूचना युद्ध, मीडिया नैतिकता और वैश्विक भू-राजनीतिक दांव-पेंच का एक जटिल संगम भी है। यूपीएससी के उम्मीदवारों के लिए, यह सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, आंतरिक सुरक्षा और नैतिकता से जुड़े कई आयामों को समझने का एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है।

एक जटिल पहेली: दुर्घटना, मीडिया और लीक का ताना-बाना

AI171 विमान दुर्घटना एक दुखद घटना है, जिसकी जांच अभी जारी है। लेकिन इस घटना के साथ ही एक समानांतर कहानी भी चल रही है – सूचनाओं का युद्ध। एक तरफ आधिकारिक एजेंसियां तथ्यों को सामने लाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर मीडिया और अज्ञात स्रोत (लीकर्स) अपनी-अपनी कहानियाँ गढ़ रहे हैं।

पृष्ठभूमि: AI171 दुर्घटना और प्रारंभिक रिपोर्टें

जैसे ही AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आई, वैसे ही दुनिया भर की मीडिया में विभिन्न कोणों से रिपोर्टिंग शुरू हो गई। प्रारंभिक रिपोर्टों में विमान के रखरखाव, पायलट की त्रुटि, मौसम की स्थिति, या यहां तक कि बाहरी हस्तक्षेप जैसी विभिन्न संभावनाओं पर अटकलें लगाई गईं। सोशल मीडिया पर भी अनगिनत सिद्धांतों और “विशेषज्ञ” विश्लेषणों की बाढ़ आ गई, जिससे सूचना का एक ऐसा बवंडर पैदा हो गया जिसमें सत्य और कल्पना के बीच की रेखा धुंधली हो गई।

कई पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने कथित “पुष्टि” या “अंदरूनी सूत्रों” के हवाले से ऐसी खबरें प्रकाशित कीं, जो अक्सर आधिकारिक जांच एजेंसियों द्वारा साझा की गई जानकारी से भिन्न थीं। इन रिपोर्टों ने अक्सर सनसनीखेज शीर्षकों और नाटकीय विवरणों का सहारा लिया, जिससे पाठकों के मन में एक निश्चित धारणा बन गई, भले ही वह तथ्यों पर आधारित न हो।

अमेरिकी एजेंसी का खंडन: ‘अटकलबाजी’ का आरोप

इसी पृष्ठभूमि में, एक प्रमुख अमेरिकी एजेंसी ने पश्चिमी मीडिया की इन रिपोर्टों पर कड़ी आपत्ति जताई। एजेंसी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कई मीडिया रिपोर्ट्स ‘अटकलबाजी’ (speculative) पर आधारित हैं और तथ्यों से परे हैं। इस तरह के बयान का महत्व बहुत गहरा है। यह न केवल मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि इस दुर्घटना के पीछे की सच्चाई अभी भी पूरी तरह से सामने नहीं आई है, या फिर इसे जानबूझकर छुपाया जा रहा है, जैसा कि कुछ लोग मानते हैं।

यहां अमेरिकी एजेंसी का बयान कई सवाल खड़े करता है:

  • क्या मीडिया बिना पर्याप्त सबूत के खबरें छाप रहा है?
  • क्या कोई खास एजेंडा है जिसके तहत कुछ खबरें प्लांट की जा रही हैं?
  • क्या अमेरिकी एजेंसी खुद कुछ जानकारी छिपा रही है या नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है?

यह स्थिति सूचना के युग में ‘सत्य’ की अवधारणा को और भी जटिल बना देती है।

लीक्स का सिलसिला: अनियंत्रित सूचना का प्रवाह

अमेरिकी एजेंसी के स्पष्टीकरण के बावजूद, या शायद इसके कारण, AI171 से संबंधित कथित ‘नए लीक्स’ का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ये लीक्स विभिन्न प्लेटफार्मों पर फैल रहे हैं – सोशल मीडिया से लेकर गुमनाम वेबसाइटों और डार्क वेब तक। इन लीक्स में कथित तौर पर विमान के डेटा, संचार रिकॉर्ड, आंतरिक रिपोर्टों या यहां तक कि जांच दल के गोपनीय निष्कर्षों का हवाला दिया जा रहा है।

लीक्स की प्रकृति और स्रोत अक्सर अस्पष्ट होते हैं। वे ऐसे व्यक्ति या समूह हो सकते हैं जो या तो सिस्टम के अंदर से जानकारी लीक कर रहे हैं (व्हिसल-ब्लोअर), या फिर बाहरी पक्ष (जैसे हैकर) जो संवेदनशील जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर चुके हैं। लीक्स का मकसद भी अलग-अलग हो सकता है: सच्चाई को उजागर करना, किसी विशेष एजेंडे को बढ़ावा देना, जनता को गुमराह करना, या यहां तक कि भू-राजनीतिक विरोधियों को बदनाम करना।

AI171 दुर्घटना के मामले में, लीक्स की निरंतरता इस बात का प्रमाण है कि घटना के इर्द-गिर्द एक गहरा रहस्य और अविश्वास का माहौल है। ये लीक्स जनता और मीडिया में भ्रम पैदा करते हैं, जिससे आधिकारिक जांच और भी जटिल हो जाती है।

सूचना युद्ध और मीडिया की भूमिका

AI171 दुर्घटना केवल एक तकनीकी विफलता का मामला नहीं है; यह 21वीं सदी के ‘सूचना युद्ध’ (Information Warfare) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। सूचना युद्ध में सूचना को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना, जनता की राय को प्रभावित करना या रणनीतिक लाभ प्राप्त करना होता है।

मीडिया: चौथा स्तंभ या हथियार?

लोकतंत्र में मीडिया को अक्सर ‘चौथा स्तंभ’ कहा जाता है, जिसका काम सत्ता पर नजर रखना और जनता तक निष्पक्ष जानकारी पहुंचाना है। लेकिन AI171 जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में, मीडिया की भूमिका अक्सर सवालों के घेरे में आ जाती है।

  • सनसनीखेज रिपोर्टिंग: टीआरपी और क्लिक्स की दौड़ में कई मीडिया आउटलेट्स तथ्यों की पुष्टि किए बिना सनसनीखेज खबरें प्रकाशित करते हैं। यह न केवल जनता को गुमराह करता है, बल्कि वास्तविक जांच को भी बाधित करता है।
  • पूर्वाग्रह और एजेंडा: मीडिया आउटलेट्स अक्सर किसी राजनीतिक या भू-राजनीतिक एजेंडे से प्रभावित हो सकते हैं। AI171 के मामले में, “पश्चिमी मीडिया” का उल्लेख संकेत देता है कि रिपोर्टिंग में एक विशेष भू-राजनीतिक लेंस का उपयोग किया जा रहा था।
  • सूचना का अतिभार (Information Overload): इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण सूचना का इतना अधिक प्रवाह होता है कि सत्य और असत्य के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।

केस स्टडी: दुष्प्रचार का खतरा
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रेडियो का उपयोग दुष्प्रचार के लिए बड़े पैमाने पर किया गया था। आज, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फ़ेक न्यूज़ और डीपफेक तकनीक का उपयोग करके दुष्प्रचार को और भी परिष्कृत तरीके से फैलाया जा रहा है। AI171 जैसे मामलों में, यदि लीक हुई जानकारी गलत या छेड़छाड़ की गई है, तो यह जनता की राय को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है और गलत निष्कर्षों की ओर ले जा सकती है।

लीक्स और व्हिसल-ब्लोइंग की जटिलता

‘लीक्स’ एक दोधारी तलवार हैं। एक तरफ, वे व्हिसल-ब्लोअर द्वारा भ्रष्टाचार, अन्याय या धोखाधड़ी को उजागर करने का एक शक्तिशाली साधन हो सकते हैं (जैसे एडवर्ड स्नोडेन या विकीलीक्स)। दूसरी तरफ, लीक्स का इस्तेमाल किसी निहित स्वार्थ, किसी व्यक्ति या संस्था को बदनाम करने, या गलत सूचना फैलाने के लिए भी किया जा सकता है।

  • प्रेरणा: लीक करने वालों की प्रेरणाएँ अलग-अलग हो सकती हैं – सार्वजनिक हित, व्यक्तिगत लाभ, प्रतिशोध, या यहां तक कि विदेशी शक्तियों द्वारा हेरफेर।
  • सत्यापन: लीक हुई जानकारी की सत्यता और प्रामाणिकता की जांच करना एक बड़ी चुनौती है। अक्सर, मूल डेटा को संपादित या संदर्भ से बाहर प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • परिणाम: लीक्स राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीतिक संबंधों और चल रही जांचों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

जांच एजेंसियों और सरकारों की भूमिका

विमान दुर्घटनाओं की जांच एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया होती है, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल और मानक शामिल होते हैं। जांच एजेंसियों का प्राथमिक उद्देश्य दुर्घटना के कारणों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना होता है।

गोपनीयता और पारदर्शिता का द्वंद्व

जांच प्रक्रिया में अक्सर एक निश्चित स्तर की गोपनीयता बनाए रखी जाती है ताकि गवाहों को प्रभावित न किया जा सके, सबूतों से छेड़छाड़ न हो, और जांच के निष्कर्षों पर कोई बाहरी दबाव न पड़े। हालांकि, पारदर्शिता की कमी जनता में अविश्वास और अटकलों को जन्म दे सकती है।

AI171 मामले में, अमेरिकी एजेंसी का “अटकलबाजी” संबंधी बयान और लीक्स की निरंतरता इस द्वंद्व को उजागर करती है। एजेंसी जांच की पवित्रता बनाए रखना चाहती है, लेकिन इस प्रक्रिया में वह मीडिया और जनता की सूचना की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रही है।

सूचना नियंत्रण और दुष्प्रचार का मुकाबला

सरकारें और उनकी एजेंसियां अक्सर ऐसी स्थितियों में सूचना नियंत्रण का सहारा लेती हैं। इसका उद्देश्य जनता को शांत करना, अफवाहों को रोकना और जांच की प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखना हो सकता है। हालांकि, यदि इस नियंत्रण को अत्यधिक या असत्य तरीके से लागू किया जाता है, तो यह दुष्प्रचार के आरोप को जन्म दे सकता है।

आज के डिजिटल युग में, सरकारों के लिए दुष्प्रचार (disinformation) और गलत सूचना (misinformation) का मुकाबला करना एक बड़ी चुनौती है। उन्हें विश्वसनीय जानकारी के साथ तेजी से प्रतिक्रिया देनी होती है, जबकि यह सुनिश्चित करना होता है कि वे खुद को ‘सेंसर’ या ‘सत्य को दबाने वाले’ के रूप में न देखें।

UPSC उम्मीदवारों के लिए महत्व: बहुआयामी विश्लेषण

AI171 क्रैश और उसके बाद की घटनाओं का यूपीएससी परीक्षा के विभिन्न पेपरों से गहरा संबंध है। यह एक उत्कृष्ट केस स्टडी है जो उम्मीदवारों को समसामयिक मुद्दों को बहुआयामी दृष्टिकोण से समझने में मदद करती है।

GS-II: शासन, संविधान और अंतर्राष्ट्रीय संबंध

  • सूचना का अधिकार (RTI) और पारदर्शिता: जनता को जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और जांच की पवित्रता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए? AI171 मामला दिखाता है कि कैसे सूचना की कमी अटकलों को जन्म देती है।
  • मीडिया की भूमिका और जवाबदेही: एक स्वस्थ लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका क्या है? क्या उसे जांच पूरी होने से पहले अटकलें लगानी चाहिए? मीडिया की नैतिकता और विनियमन पर चर्चा।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध और भू-राजनीति: एक विमान दुर्घटना भी कैसे भू-राजनीतिक तनावों को उजागर कर सकती है? अमेरिकी एजेंसी का बयान और पश्चिमी मीडिया का जिक्र अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में विश्वास और अविश्वास के संकट को दर्शाता है। दुष्प्रचार का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून और नागरिक उड्डयन प्रोटोकॉल: विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के क्या नियम और प्रोटोकॉल हैं? विभिन्न देशों के बीच सहयोग और अधिकार क्षेत्र के मुद्दे।

GS-III: आंतरिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और अर्थव्यवस्था

  • साइबर सुरक्षा और डेटा लीकेज: यदि लीक हुई जानकारी हैकिंग के माध्यम से प्राप्त की गई है, तो यह साइबर सुरक्षा के बढ़ते खतरे को दर्शाता है। संवेदनशील डेटा की सुरक्षा कैसे की जाए?
  • दुष्प्रचार और राष्ट्रीय सुरक्षा: गलत सूचना और दुष्प्रचार आंतरिक सुरक्षा के लिए कैसे खतरा बन सकते हैं? वे समाज में अशांति पैदा कर सकते हैं, सरकारी संस्थानों में विश्वास कम कर सकते हैं और यहां तक कि सार्वजनिक व्यवस्था को भी बाधित कर सकते हैं।
  • आपदा प्रबंधन में संचार: आपातकालीन स्थितियों में आधिकारिक जानकारी का संचार कितना महत्वपूर्ण है? गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए सरकारें और एजेंसियां क्या कदम उठा सकती हैं?
  • तकनीकी विफलता और विनियमन: विमानन उद्योग में तकनीकी सुरक्षा मानक और उनका विनियमन।

GS-IV: नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि

  • पत्रकारिता नैतिकता: सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता, सटीकता और जवाबदेही के सिद्धांत। सनसनीखेज रिपोर्टिंग बनाम तथ्यात्मक रिपोर्टिंग का नैतिक द्वंद्व। गोपनीयता और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन।
  • व्हिसल-ब्लोइंग की नैतिकता: कब एक व्यक्ति को संवेदनशील जानकारी लीक करनी चाहिए? क्या सार्वजनिक हित हमेशा व्यक्तिगत जोखिम से बड़ा होता है? लीक की विश्वसनीयता और मंशा पर नैतिक विचार।
  • सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही: जनता के प्रति सरकार की नैतिक जिम्मेदारी। सूचना को दबाना या हेरफेर करना कितना नैतिक है?
  • आम नागरिक की जिम्मेदारी: सूचना के युग में प्रत्येक व्यक्ति की क्या नैतिक जिम्मेदारी है कि वह जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करे?

निबंध (Essay)

यह घटना “सूचना युद्ध”, “मीडिया का बदलता चेहरा”, “सत्य का संकट”, “डिजिटल युग में विश्वास और अविश्वास” जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए पर्याप्त सामग्री प्रदान करती है।

आगे की राह: सत्य और पारदर्शिता की ओर

AI171 क्रैश के इर्द-गिर्द घूम रही घटनाओं का एक महत्वपूर्ण सबक यह है कि सूचना के इस अति-कनेक्टेड युग में सत्य की खोज करना एक जटिल चुनौती बन गया है। इस चुनौती का सामना करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

  1. पत्रकारिता में उच्च नैतिक मानक:
    • मीडिया आउटलेट्स को टीआरपी और क्लिक्स की दौड़ से ऊपर उठकर तथ्यों की पुष्टि पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
    • जवाबदेही और संपादन के उच्च मानक स्थापित किए जाने चाहिए।
    • स्वतंत्र पत्रकारिता और खोजी रिपोर्टिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जो अफवाहों के बजाय गहन विश्लेषण पर आधारित हो।
  2. डिजिटल साक्षरता और गंभीर सोच को बढ़ावा देना:
    • आम जनता को ऑनलाइन जानकारी की सत्यता को सत्यापित करने के लिए आवश्यक कौशल (फैक्ट-चेकिंग, स्रोत सत्यापन) सिखाए जाने चाहिए।
    • स्कूलों और कॉलेजों में ‘मीडिया साक्षरता’ और ‘डिजिटल साक्षरता’ को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए।
    • लोगों को किसी भी जानकारी पर तुरंत विश्वास करने के बजाय ‘गंभीर सोच’ (critical thinking) विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

    उपमा: सूचना का जंगल
    आज का डिजिटल परिदृश्य एक विशाल जंगल जैसा है, जहां हर तरह के पौधे (जानकारी) उग रहे हैं – कुछ फलदायी, कुछ जहरीले। डिजिटल साक्षरता वह कंपास और ज्ञान है जो हमें बताता है कि कौन से पौधे सुरक्षित हैं और कौन से खतरनाक। इसके बिना, हम आसानी से जहरीले पौधों के जाल में फंस सकते हैं।

  3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझा प्रोटोकॉल:
    • विमान दुर्घटनाओं जैसी अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं की जांच में देशों के बीच अधिक सहयोग और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
    • सूचना साझा करने के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल और विश्वसनीय चैनलों की स्थापना की जानी चाहिए ताकि अफवाहों और लीक्स को रोका जा सके।
    • दुष्प्रचार और साइबर हमलों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय बढ़ाना चाहिए।
  4. स्वतंत्र जांच एजेंसियों की भूमिका को मजबूत करना:
    • जांच एजेंसियों को राजनीतिक दबाव और बाहरी प्रभाव से मुक्त रखा जाना चाहिए।
    • उनके पास जांच को निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन और अधिकार होने चाहिए।
    • जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक करने के लिए एक पारदर्शी तंत्र होना चाहिए, जबकि संवेदनशीलता और राष्ट्रीय सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाए।
  5. सामाजिक मंचों की जिम्मेदारी:
    • सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफार्मों पर गलत सूचना और दुष्प्रचार के प्रसार को रोकने के लिए अधिक सक्रिय कदम उठाने चाहिए।
    • फेक न्यूज की पहचान करने और उन्हें हटाने के लिए मजबूत तंत्र विकसित किए जाने चाहिए।
    • उत्तरदायी सामग्री मॉडरेशन नीतियों को लागू किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

AI171 विमान दुर्घटना और उसके बाद की सूचना-युद्ध की स्थिति इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहाँ सत्य की अवधारणा लगातार चुनौती का सामना कर रही है। एक तरफ तकनीकी प्रगति हमें असीमित जानकारी तक पहुंच प्रदान करती है, वहीं दूसरी तरफ यह गलत सूचना और दुष्प्रचार के लिए उपजाऊ जमीन भी तैयार करती है।

इस जटिल परिदृश्य में, यूपीएससी उम्मीदवारों के रूप में, हमें केवल खबरों का उपभोग करने से कहीं अधिक करना होगा। हमें घटनाओं का विश्लेषण उनकी गहरी परतों में करना होगा, विभिन्न दृष्टिकोणों को समझना होगा, और सूचना के विभिन्न स्रोतों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना होगा। AI171 क्रैश केवल एक विमान दुर्घटना नहीं है; यह मीडिया की नैतिकता, भू-राजनीतिक रणनीतियों, डेटा सुरक्षा, और एक जागरूक नागरिक के रूप में हमारी अपनी जिम्मेदारियों पर एक व्यापक चर्चा का अवसर है। सत्य, पारदर्शिता, और जवाबदेही के सिद्धांतों को कायम रखते हुए ही हम इस सूचना युद्ध में विजयी हो सकते हैं और भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(निम्नलिखित कथनों पर विचार करें और सही विकल्प चुनें। प्रत्येक प्रश्न में एक से अधिक सही कथन हो सकते हैं।)

  1. हाल ही में खबरों में रहा AI171 क्रैश, जिसमें अमेरिकी एजेंसी ने पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टों को ‘अटकलबाजी’ बताया, निम्नलिखित में से किन मुद्दों को उजागर करता है?

    1. जांच एजेंसियों और मीडिया के बीच पारदर्शिता का द्वंद्व।
    2. सूचना युद्ध और दुष्प्रचार का खतरा।
    3. सूचना तक पहुँच के अधिकार पर वैधानिक प्रतिबंधों की आवश्यकता।
    4. मीडिया रिपोर्टिंग में नैतिकता और सत्यनिष्ठा का महत्व।

    सही विकल्प चुनें:

    1. केवल a, b और c
    2. केवल a, b और d
    3. केवल b, c और d
    4. a, b, c और d

    उत्तर: B

    व्याख्या: यह घटना पारदर्शिता, सूचना युद्ध, दुष्प्रचार, मीडिया नैतिकता और सत्यनिष्ठा जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करती है। सूचना तक पहुँच के अधिकार पर वैधानिक प्रतिबंधों की आवश्यकता हमेशा एक बहस का विषय रही है, लेकिन यह AI171 क्रैश द्वारा सीधे तौर पर उजागर नहीं की गई है, बल्कि यह एक व्यापक नीतिगत मुद्दा है।

  2. ‘लीक्स’ (Leaks) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. लीक्स केवल व्हिसल-ब्लोअर्स द्वारा सार्वजनिक हित में की जाती हैं।
    2. लीक हुई जानकारी की सत्यता की जांच करना हमेशा आसान होता है।
    3. लीक्स का उपयोग गलत सूचना फैलाने या किसी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए भी किया जा सकता है।
    4. लीक्स राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a और b
    2. केवल c और d
    3. केवल b, c और d
    4. केवल a, c और d

    उत्तर: B

    व्याख्या: कथन (a) गलत है क्योंकि लीक्स विभिन्न प्रेरणाओं से की जा सकती हैं, न कि केवल सार्वजनिक हित में। कथन (b) गलत है क्योंकि लीक हुई जानकारी की सत्यता की जांच करना अक्सर मुश्किल होता है, खासकर जब स्रोत अज्ञात हो। कथन (c) और (d) सही हैं, क्योंकि लीक्स का उपयोग गलत सूचना फैलाने और संवेदनशील क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए किया जा सकता है।

  3. निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन ‘दुष्प्रचार’ (Disinformation) को सर्वोत्तम रूप से परिभाषित करता/करते है/हैं?

    1. वह जानकारी जो अनजाने में गलत होती है।
    2. जानबूझकर फैलाई गई गलत या असत्य जानकारी जिसका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना होता है।
    3. सच्ची जानकारी जिसे संदर्भ से बाहर प्रस्तुत किया गया हो।
    4. एकतरफा जानकारी जो किसी विशेष दृष्टिकोण का समर्थन करती है।

    सही विकल्प चुनें:

    1. केवल a
    2. केवल b
    3. केवल a और c
    4. केवल b और d

    उत्तर: B

    व्याख्या: दुष्प्रचार (Disinformation) जानबूझकर फैलाई गई झूठी जानकारी होती है जिसका उद्देश्य गुमराह करना होता है। यह ‘गलत सूचना’ (Misinformation) से अलग है, जो अनजाने में फैलाई गई गलत जानकारी होती है।

  4. पत्रकारिता नैतिकता के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किन सिद्धांतों का पालन महत्वपूर्ण है?

    1. सटीकता और निष्पक्षता।
    2. सनसनीखेज रिपोर्टिंग।
    3. स्रोत की पुष्टि।
    4. केवल वह जानकारी प्रकाशित करना जो जनता को पसंद हो।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a और b
    2. केवल c और d
    3. केवल a और c
    4. केवल a, b और c

    उत्तर: C

    व्याख्या: पत्रकारिता नैतिकता सटीकता, निष्पक्षता और स्रोत की पुष्टि पर जोर देती है। सनसनीखेज रिपोर्टिंग और जनता की पसंद के अनुसार जानकारी प्रकाशित करना नैतिक पत्रकारिता के विरुद्ध है।

  5. डिजिटल साक्षरता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह केवल इंटरनेट का उपयोग करना सीखने तक सीमित है।
    2. यह ऑनलाइन जानकारी की सत्यता को सत्यापित करने की क्षमता को भी शामिल करता है।
    3. यह व्यक्तियों को दुष्प्रचार और गलत सूचना से बचाने में मदद करता है।
    4. यह समाज में गंभीर सोच (critical thinking) को बढ़ावा देता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a और b
    2. केवल b, c और d
    3. केवल a, b और c
    4. केवल d

    उत्तर: B

    व्याख्या: डिजिटल साक्षरता इंटरनेट का उपयोग करने से कहीं अधिक है। इसमें ऑनलाइन जानकारी का मूल्यांकन करने, उसे सत्यापित करने और उसके निहितार्थों को समझने की क्षमता शामिल है, जो व्यक्तियों को दुष्प्रचार से बचाने और गंभीर सोच को बढ़ावा देने में मदद करती है।

  6. UPSC के GS-II पेपर के संदर्भ में, AI171 क्रैश घटना निम्नलिखित में से किन विषयों से संबंधित हो सकती है?

    1. शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही।
    2. अंतर्राष्ट्रीय संबंध और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका।
    3. मौलिक अधिकार, विशेषकर सूचना का अधिकार।
    4. आपदा प्रबंधन और इसके संस्थागत ढांचे।

    सही विकल्प चुनें:

    1. केवल a, b और c
    2. केवल b, c और d
    3. केवल a, c और d
    4. a, b, c और d

    उत्तर: A

    व्याख्या: AI171 क्रैश GS-II के शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और मौलिक अधिकार (सूचना का अधिकार) जैसे विषयों से सीधे संबंधित है। आपदा प्रबंधन (d) GS-III का विषय है।

  7. UPSC के GS-IV (नैतिकता) पेपर के संदर्भ में, AI171 क्रैश के आसपास की घटनाओं में निम्नलिखित में से कौन से नैतिक दुविधाएँ शामिल हो सकती हैं?

    1. सार्वजनिक हित बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन।
    2. पत्रकारों द्वारा सनसनीखेज रिपोर्टिंग बनाम तथ्यात्मक सटीकता का नैतिक कर्तव्य।
    3. व्हिसल-ब्लोअर्स द्वारा गोपनीय जानकारी लीक करने की नैतिकता।
    4. जांच एजेंसियों द्वारा सूचना को नियंत्रित करने का नैतिक औचित्य।

    सही विकल्प चुनें:

    1. केवल a और b
    2. केवल b, c और d
    3. केवल a, c और d
    4. a, b, c और d

    उत्तर: D

    व्याख्या: ये सभी कथन AI171 क्रैश के संदर्भ में सामने आने वाली विभिन्न नैतिक दुविधाओं को दर्शाते हैं, जो GS-IV के लिए प्रासंगिक हैं।

  8. सूचना युद्ध (Information Warfare) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह सूचना को एक हथियार के रूप में उपयोग करने की रणनीति है।
    2. इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।
    3. यह केवल सैन्य संघर्षों तक सीमित है।
    4. यह सार्वजनिक राय को प्रभावित करने के लिए दुष्प्रचार का उपयोग कर सकता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a और b
    2. केवल a, b और d
    3. केवल c और d
    4. a, b, c और d

    उत्तर: B

    व्याख्या: सूचना युद्ध सूचना को एक हथियार के रूप में उपयोग करता है, जिसमें प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और सार्वजनिक राय को प्रभावित करने के लिए दुष्प्रचार का उपयोग करना शामिल है। यह केवल सैन्य संघर्षों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

  9. इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
    2. इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है।
    3. यह विमानन सुरक्षा और सुरक्षा मानकों को स्थापित करता है।
    4. यह केवल सदस्य देशों के बीच हवाई यातायात नियंत्रण का समन्वय करता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    1. केवल a और c
    2. केवल a, b और c
    3. केवल b और d
    4. केवल c

    उत्तर: A

    व्याख्या: ICAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो विमानन सुरक्षा और सुरक्षा मानकों को स्थापित करती है। इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है, न कि न्यूयॉर्क में। यह मानकों के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, न कि केवल हवाई यातायात नियंत्रण के समन्वय पर।

  10. ‘विश्वास का संकट’ (Trust Deficit) के संदर्भ में, AI171 क्रैश की घटना निम्नलिखित में से किन संस्थानों के प्रति अविश्वास को बढ़ा सकती है?

    1. मीडिया संगठन।
    2. सरकारी एजेंसियां।
    3. अंतर्राष्ट्रीय जांच निकाय।
    4. तकनीकी कंपनियां (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित)।

    सही विकल्प चुनें:

    1. केवल a और b
    2. केवल b और c
    3. केवल a, b और c
    4. a, b, c और d

    उत्तर: D

    व्याख्या: AI171 क्रैश के आसपास की घटनाओं में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल, सरकारी एजेंसियों द्वारा सूचना नियंत्रण, अंतर्राष्ट्रीय जांच में संभावित राजनीतिक हस्तक्षेप, और सोशल मीडिया पर गलत सूचना के प्रसार के कारण इन सभी संस्थानों के प्रति ‘विश्वास का संकट’ बढ़ सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 250-400 शब्दों में दें।)

  1. AI171 विमान दुर्घटना के बाद अमेरिकी एजेंसी द्वारा पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टों को ‘अटकलबाजी’ बताने और ‘लीक्स’ के लगातार जारी रहने की घटना को ‘सूचना युद्ध’ के उदाहरण के रूप में कैसे देखा जा सकता है? वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में इसके निहितार्थों की विस्तार से चर्चा करें।
  2. डिजिटल युग में पत्रकारिता नैतिकता किन चुनौतियों का सामना कर रही है? AI171 क्रैश जैसी संवेदनशील घटनाओं की रिपोर्टिंग में मीडिया को किन नैतिक सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और आप इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या सुझाव देंगे?
  3. ‘विश्वास का संकट’ वर्तमान समय की एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जहाँ नागरिक सरकार, मीडिया और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों पर भी सवाल उठा रहे हैं। AI171 क्रैश के संदर्भ में इस ‘विश्वास के संकट’ का विश्लेषण करें और इस खाई को पाटने के लिए आवश्यक कदमों का सुझाव दें।

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