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‘खून-पानी’ कूटनीति: राज्यसभा में जयशंकर ने पाक को क्यों घेरा? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का क्या है मतलब?

‘खून-पानी’ कूटनीति: राज्यसभा में जयशंकर ने पाक को क्यों घेरा? ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का क्या है मतलब?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में पाकिस्तान की दोहरी कूटनीतिक नीति पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता” और पाकिस्तान को दुनिया के सामने उसके असली चेहरे को लाने की आवश्यकता है। यह बयान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे संवेदनशील मुद्दे के संदर्भ में आया, जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार आतंकवाद के जटिल जाल को एक बार फिर उजागर किया। विदेश मंत्री का यह वक्तव्य भारत की विदेश नीति के उस दृढ़ संकल्प को दर्शाता है जो आतंकवाद को कूटनीति और संवाद से पूरी तरह अलग रखने की वकालत करता है।

यह घटना न केवल भारतीय राजनीतिक मंच पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बनी। यह उन ज्वलंत मुद्दों को सामने लाती है जो दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को आकार देते हैं, जिसमें आतंकवाद का प्रायोजन, पड़ोसी देशों के साथ संबंध और भारत की सुरक्षा चिंताएं शामिल हैं।

पृष्ठभूमि: ‘खून-पानी’ की कूटनीति और पाकिस्तान का दोहरा रवैया (Background: The ‘Blood-Water’ Diplomacy and Pakistan’s Dual Stance)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का “खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता” वाला बयान कोई नई उक्ति नहीं है, बल्कि यह भारत की उस चिर-परिचित कूटनीतिक मुद्रा का प्रतीक है जो आतंकवाद को किसी भी प्रकार की सामान्य बातचीत या सहयोग से पूरी तरह अलग रखने पर जोर देती है। यहाँ ‘खून’ का तात्पर्य स्पष्ट रूप से सीमा पार से होने वाले आतंकवादी हमलों, खून-खराबे और हिंसा से है, जबकि ‘पानी’ का संबंध पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक, आर्थिक या अन्य प्रकार के संबंधों से है।

भारत का मानना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती से संचालित होने वाले आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक उसके साथ सामान्य संबंध बनाए रखना संभव नहीं है। यह रुख विशेष रूप से उस समय और मुखर हो जाता है जब पाकिस्तान एक ओर तो आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगता है, वहीं दूसरी ओर अपनी धरती से भारत को अस्थिर करने वाले आतंकवादी तत्वों को पनाह देता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और इसका महत्व (‘Operation Sindoor’ and its Significance)

राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख, इस जटिल समस्या के एक विशिष्ट उदाहरण को सामने लाता है। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों और सरकारी बयानों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विस्तृत विवरण तुरंत उपलब्ध नहीं है, लेकिन संदर्भ से यह स्पष्ट होता है कि यह किसी ऐसी घटना या अभियान से जुड़ा है जो पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की ओर इशारा करता है।

“हम पाकिस्तान से यह अपेक्षा करते हैं कि वह अपनी भूमि से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाए। जब तक ऐसा नहीं होता, हम ‘खून और पानी’ को एक साथ नहीं चला सकते। दुनिया को पाकिस्तान के दोहरे मापदंडों को पहचानना होगा।”

– एस. जयशंकर (अनुमानित उद्धरण, संदर्भ के अनुसार)

इस प्रकार के ‘ऑपरेशन’ या घटनाओं का विश्लेषण भारत की विदेश और सुरक्षा नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। ये बताते हैं कि कैसे पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में आतंकवाद को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करता रहा है, और कैसे भारत को इन खतरों का सामना करना पड़ता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मामले, जो संभवतः किसी विशिष्ट आतंकवादी हमले या उसकी योजना से जुड़े थे, भारत के लिए पाकिस्तान की मंशाओं को उजागर करने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे बेनकाब करने का एक माध्यम बनते हैं।

भारत का रुख: आतंकवाद पर ‘नो टॉलरेंस’ (India’s Stance: ‘No Tolerance’ on Terrorism)

भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ (Zero Tolerance) का सिद्धांत एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। यह सिद्धांत न केवल पाकिस्तान के संबंध में, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों पर लागू होता है। भारत लगातार यह मांग करता रहा है कि जो देश आतंकवाद को प्रायोजित करते हैं या उन्हें पनाह देते हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

एस. जयशंकर के बयान इसी नीति का विस्तार हैं। वे पाकिस्तान को उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी ऐसा करने का आग्रह कर रहे हैं। भारत का मानना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती पर मौजूद आतंकवादी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद आदि, के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, तब तक पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत या संबंध, चाहे वह कूटनीतिक हो या आर्थिक, का कोई औचित्य नहीं है।

पाकिस्तान का दृष्टिकोण और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया (Pakistan’s Perspective and International Reaction)

पाकिस्तान परंपरागत रूप से भारत द्वारा लगाए गए आतंकवादी प्रायोजन के आरोपों का खंडन करता रहा है। वह अक्सर इन आरोपों को “भारत का दुष्प्रचार” बताता है और अपनी ओर से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका का दावा करता है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर पश्चिमी देश, पाकिस्तान पर अक्सर आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई न करने का आरोप लगाते रहे हैं।

FATF (Financial Action Task Force) जैसी संस्थाओं में पाकिस्तान की ग्रे लिस्टिंग या ब्लैकलिस्टिंग के खतरे, पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर जवाबदेही तय करने में अंतर्राष्ट्रीय दबाव का एक उदाहरण हैं। पाकिस्तान की विदेश नीति में आतंकवाद का मुद्दा हमेशा से विवादास्पद रहा है, जहाँ वह एक ओर ‘आतंकवाद के खिलाफ जंग’ का समर्थन करता है, वहीं दूसरी ओर अपने पड़ोसियों, विशेषकर भारत, के प्रति अपनी दुर्भावनापूर्ण नीतियों को जारी रखता है।

“खून-पानी” का कूटनीतिक अर्थ (Diplomatic Meaning of “Blood-Water”)

यह मुहावरा एक गहरा अर्थ रखता है। ‘खून’ जीवन, बलिदान, संघर्ष और हिंसा का प्रतीक है, जबकि ‘पानी’ जीवन का स्रोत, विकास, सहयोग और सामान्यiostream का प्रतीक है। जब जयशंकर कहते हैं कि “खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता,” तो इसका सीधा अर्थ है कि जब तक कोई देश (पाकिस्तान) हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और खून बहा रहा है, तब तक उससे सामान्यiostream, सहयोग और विकास की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यह एक प्रकार की नैतिक और कूटनीतिक दुविधा है जिसे भारत उजागर करना चाहता है: क्या कोई देश एक साथ आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है और सामान्य अंतर्राष्ट्रीयiostream स्थापित कर सकता है?

क्यों महत्वपूर्ण है यह बयान? (Why is this Statement Important?):

  1. भारत की दृढ़ विदेश नीति का प्रदर्शन: यह बयान भारत के उस अडिग रुख को दर्शाता है जो आतंकवाद के मुद्दे पर किसी भी प्रकार के समझौते के खिलाफ है।
  2. पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव: इसका उद्देश्य पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और अधिक जवाबदेह ठहराना है।
  3. आतंकवाद को गैर-राज्य अभिकर्ताओं से अलग करना: यह भारत के इस विचार को मजबूत करता है कि राज्य (पाकिस्तान) की जिम्मेदारी है कि वह अपनी धरती पर मौजूद गैर-राज्य अभिकर्ताओं (आतंकवादी समूहों) पर नियंत्रण रखे।
  4. जनता का विश्वास: घरेलू स्तर पर, यह बयान जनता के उस भरोसे को दर्शाता है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने में गंभीर है।

इस मुद्दे के विभिन्न पहलू (Various Facets of the Issue):

  • सुरक्षा आयाम: सीमा पार आतंकवाद का सीधा प्रभाव भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है, जिसमें उरी, पुलवामा जैसे हमले शामिल हैं।
  • आर्थिक आयाम: आतंकवाद का माहौल निवेश और व्यापार को प्रभावित करता है, जिससे दोनों देशों के आर्थिक विकास में बाधा आती है।
  • कूटनीतिक आयाम: यह भारत को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को परिभाषित करने का एक स्पष्ट आधार देता है।
  • कानूनी आयाम: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे अपनी धरती का उपयोग अन्य राज्यों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए न होने दें।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward):

भारत के लिए यह एक जटिल स्थिति है। पाकिस्तान की बदलती राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के साथ, उसकी नीतियों में निरंतरता बनी रहे, यह कहना मुश्किल है। भारत के सामने मुख्य चुनौतियाँ ये हैं:

  • सबूत पेश करना: पाकिस्तान के आतंकवादी प्रायोजन के आरोपों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य और अकाट्य सबूतों के साथ पेश करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन: विभिन्न देशों के अपने-अपने भू-राजनीतिक हित होते हैं, इसलिए सभी को एक साथ लाना एक चुनौती है।
  • आत्म-निर्भरता: भारत को अपनी सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ अपनी क्षमताएं बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • कूटनीतिक जुड़ाव: पाकिस्तान से सीधे संवाद के द्वार खुले रखना (यदि परिस्थितियां अनुकूल हों) भी एक रणनीति हो सकती है, लेकिन यह तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर कुछ ठोस कदम उठाए।

आगे की राह में, भारत को ‘खून-पानी’ की अपनी कूटनीतिक नीति को जारी रखना होगा, साथ ही पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाए रखना होगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मामलों का गहन विश्लेषण, पाकिस्तान की रणनीति को समझने और उसका मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत को अपनी कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य ताकत का एक साथ उपयोग करते हुए, आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखना होगा, ताकि ‘खून-पानी’ का यह विरोधाभासी खेल समाप्त हो सके और क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित हो सके।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: विदेश मंत्री एस. जयशंकर के राज्यसभा में दिए बयान के अनुसार, “खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता” का क्या अर्थ है?

    (a) पाकिस्तान को पीने के पानी की आपूर्ति बंद कर देनी चाहिए।

    (b) आतंकवाद और कूटनीतिक/सामान्य संबंध एक साथ नहीं चल सकते।

    (c) जलवायु परिवर्तन और जल प्रबंधन एक साथ नहीं चल सकते।

    (d) आर्थिक सहयोग और सुरक्षा सहयोग एक साथ नहीं चल सकते।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: यह मुहावरा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद और उसके साथ सामान्य कूटनीतिक एवं अन्य प्रकार के संबंधों को एक साथ जारी रखने की असंभवता को दर्शाता है। ‘खून’ हिंसा और आतंकवाद का प्रतीक है, जबकि ‘पानी’ सामान्यiostream और कूटनीति का।
  2. प्रश्न 2: भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के प्रति किस सिद्धांत पर जोर दिया जाता है?

    (a) सीमित सहनशीलता (Limited Tolerance)

    (b) चयनात्मक सहनशीलता (Selective Tolerance)

    (c) शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance)

    (d) प्रतीकात्मक सहनशीलता (Symbolic Tolerance)

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति का पालन करता है।
  3. प्रश्न 3: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे संदर्भों का उल्लेख राज्यसभा में चर्चा के दौरान क्यों किया गया?

    (a) भारत की आंतरिक सुरक्षा की सराहना करने के लिए।

    (b) पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए।

    (c) द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए।

    (d) जलवायु परिवर्तन पर सहयोग की आवश्यकता बताने के लिए।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मामले संभवतः पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित थे, जिन्हें भारत सरकार आतंकवाद के एजेंडे को उजागर करने के लिए एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है।
  4. प्रश्न 4: FATF (Financial Action Task Force) का मुख्य कार्य क्या है?

    (a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना।

    (b) मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबला करना।

    (c) सीमा पार आतंकवाद को रोकना।

    (d) जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक समझौता कराना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: FATF मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबला करने के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है और देशों की अनुपालन का मूल्यांकन करता है। पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्टिंग के कारण चर्चा में रहा है।
  5. प्रश्न 5: भारत, पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को किस प्रमुख शर्त पर रखने का आग्रह करता है?

    (a) पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन।

    (b) पाकिस्तान द्वारा अपनी धरती से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर रोक।

    (c) पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों का त्याग।

    (d) पाकिस्तान द्वारा भारत को जल संसाधन साझा करना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: भारत का रुख स्पष्ट है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, तब तक सामान्य कूटनीतिक संबंध संभव नहीं हैं।
  6. प्रश्न 6: विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान के किस रवैये पर सवाल उठाए?

    (a) आर्थिक विकास की कमी पर।

    (b) जलवायु परिवर्तन के प्रति उदासीनता पर।

    (c) आतंकवाद के प्रायोजन और कूटनीति/संवाद को एक साथ जारी रखने पर।

    (d) मानवाधिकारों के उल्लंघन पर।

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: जयशंकर ने पाकिस्तान के उस दोहरे रवैये पर सवाल उठाए जहाँ वह एक ओर शांति की बात करता है और दूसरी ओर आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
  7. प्रश्न 7: “खून-पानी” मुहावरे में “खून” किसका प्रतीक है?

    (a) जल संसाधन

    (b) सहयोग औरiostream

    (c) हिंसा, आतंकवाद और रक्तपात

    (d) आर्थिक विकास

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: ‘खून’ यहाँ सीमा पार से होने वाली हिंसा, आतंकवादी हमलों और रक्तपात का प्रतीक है।
  8. प्रश्न 8: दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को आकार देने वाले मुख्य मुद्दे निम्नलिखित में से कौन से हैं?

    (a) आतंकवाद का प्रायोजन, पड़ोसी देशों के साथ संबंध, भारत की सुरक्षा चिंताएं।

    (b) केवल आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते।

    (c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन।

    (d) अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी।

    उत्तर: (a)

    व्याख्या: दक्षिण एशिया की भू-राजनीति आतंकवाद, सीमा पार गतिविधियां, और क्षेत्रीय देशों के बीच जटिल संबंध जैसे मुद्दों से बहुत प्रभावित होती है।
  9. प्रश्न 9: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, एक राज्य की क्या जिम्मेदारी होती है?

    (a) अपनी धरती का उपयोग दूसरे राज्यों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होने देना।

    (b) केवल अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना।

    (c) अन्य राज्यों को हथियार बेचना।

    (d) अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करना।

    उत्तर: (a)

    व्याख्या: अंतर्राष्ट्रीय कानून राज्यों से अपेक्षा करता है कि वे अपनी संप्रभुता का प्रयोग इस तरह करें कि उनकी धरती का उपयोग अन्य राज्यों के खिलाफ अवैध या हिंसक गतिविधियों के लिए न हो।
  10. प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन पाकिस्तान की ग्रे लिस्टिंग के कारण चर्चा में रहा है?

    (a) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

    (b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)

    (c) वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)

    (d) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: FATF पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के संबंध में अपनी नीतियों में सुधार न करने के कारण ग्रे लिस्ट में डाल चुका है/रख चुका है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: विदेश मंत्री एस. जयशंकर के राज्यसभा में “खून और पानी एक साथ नहीं चल सकता” वाले बयान का विश्लेषण करें। यह भारत की पाकिस्तान के प्रति विदेश नीति की किन प्रमुख धाराओं को दर्शाता है? आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालिए। (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे घटनाक्रमों को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के संदर्भ में कैसे देखा जाना चाहिए? भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने के लिए किन कूटनीतिक और कानूनी रणनीतियों का उपयोग करना चाहिए? (लगभग 250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ के सिद्धांत का क्या महत्व है? पाकिस्तान के साथ संबंधों में इस सिद्धांत को लागू करने में भारत को किन भू-राजनीतिक और कूटनीतिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है? (लगभग 150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: “पानी” (सामान्यiostream) और “खून” (हिंसा) के बीच अलगाव की मांग, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपकरण कैसे बन जाती है? इस संदर्भ में, भारत-पाकिस्तान संबंधों के वर्तमान परिदृश्य का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)

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