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समाजशास्त्र की परीक्षा: संकल्प और समाधान

समाजशास्त्र की परीक्षा: संकल्प और समाधान

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्रियों! आज हम आपके ज्ञान के क्षितिज का विस्तार करने के लिए एक नई, रोमांचक यात्रा पर निकल रहे हैं। प्रत्येक दिन एक नई चुनौती, समाजशास्त्र के गहन सिद्धांतों और विचारों को आपकी उंगलियों पर लाने का हमारा प्रयास है। आइए, अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण रखने वाला वर्ग कौन सा है?

  1. सर्वहारा वर्ग
  2. बुर्जुआ वर्ग
  3. भूस्वामी वर्ग
  4. कुलीन वर्ग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी व्यवस्था का विश्लेषण करते हुए बताया कि उत्पादन के प्रमुख साधनों (भूमि, कारखाने, मशीनें) पर नियंत्रण रखने वाला वर्ग ‘बुर्जुआ वर्ग’ (Bourgeoisie) होता है। यह वर्ग श्रमिक वर्ग (सर्वहारा) से उनके श्रम का शोषण करके लाभ कमाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृति ‘दास कैपिटल’ में बुर्जुआ वर्ग को पूँजीपतियों के रूप में वर्णित किया है। उनके अनुसार, इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है, जिसमें बुर्जुआ वर्ग और सर्वहारा वर्ग के बीच का संघर्ष केंद्रीय है।
  • गलत विकल्प: ‘सर्वहारा वर्ग’ (Proletariat) वह वर्ग है जिसके पास उत्पादन के साधन नहीं होते और वह अपना श्रम बेचकर जीवन यापन करता है। ‘भूस्वामी वर्ग’ सामंती व्यवस्था से जुड़ा है, और ‘कुलीन वर्ग’ भी परंपरागत सामाजिक पदानुक्रम का हिस्सा है, न कि पूंजीवादी उत्पादन का मुख्य नियंत्रक।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम द्वारा प्रतिपादित ‘एतियता’ (Anomie) की अवधारणा किससे संबंधित है?

  1. व्यक्तियों के बीच अत्यधिक सामाजिक एकीकरण
  2. सामाजिक मानदंडों और नियमों का विघटन या अभाव
  3. सामाजिक संरचना का सुचारू रूप से कार्य करना
  4. व्यक्तिवाद का अत्यधिक प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एतियता’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब समाज में सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और नियमों का कोई स्पष्ट ढाँचा नहीं रह जाता या वे शिथिल पड़ जाते हैं। यह स्थिति सामाजिक व्यवस्था के विघटन का संकेत है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में एतियता को आत्महत्या के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में पहचाना। उनके अनुसार, सामाजिक नियमों के अभाव में व्यक्ति अनियंत्रित इच्छाओं का शिकार हो जाता है, जिससे वह असहाय और दिशाहीन महसूस करता है।
  • गलत विकल्प: ‘सामाजिक एकीकरण’ (Social Integration) दुर्खीम के लिए ‘सांघिक चेतना’ (Collective Conscience) से जुड़ा है, जो एतियता का विपरीत है। ‘सामाजिक संरचना का सुचारू कार्य’ सामाजिक व्यवस्था को दर्शाता है, और ‘व्यक्तिवाद का प्रसार’ सामाजिक परिवर्तन का एक कारक हो सकता है, लेकिन एतियता स्वयं नियमों का विघटन है।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, शक्ति (Power) और प्रभुत्व (Domination) के वैध स्रोतों को उन्होंने कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया है?

  1. तीन
  2. दो
  3. चार
  4. पांच

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने प्रभुत्व (Domination) या वैधतापूर्ण शक्ति (Legitimate Power) के तीन मुख्य प्रकार बताए हैं: तार्किक-कानूनी प्रभुत्व (Rational-legal), परंपरागत प्रभुत्व (Traditional), और करिश्माई प्रभुत्व (Charismatic)।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि शक्ति तब प्रभुत्व बन जाती है जब उसे लोगों द्वारा वैध माना जाता है। ये तीन प्रकार वेबर द्वारा विकसित सत्तावादी (Authority) के मॉडल के केंद्रीय तत्व हैं, जिनका विस्तृत वर्णन उनकी कृति ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में मिलता है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने तीन से अधिक या कम प्रकारों का उल्लेख नहीं किया। ये तीन प्रकार विभिन्न सामाजिक व्यवस्थाओं और नेताओं के प्रभुत्व को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 4: एन. एल. पारेसन का ‘कार्यात्मक एकता’ (Functional Unity) का सिद्धांत किस सामाजिक व्यवस्था पर अधिक केंद्रित था?

  1. व्यक्तिगत व्यवहार
  2. परिवार और नातेदारी व्यवस्था
  3. राज्य और सरकार
  4. औद्योगिक संगठन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: तालकॉट पार्सन्स ने ‘कार्यात्मक एकता’ का सिद्धांत मुख्य रूप से परिवार और नातेदारी व्यवस्था के संदर्भ में विकसित किया। उनका मानना था कि समाज के विभिन्न अंग (जैसे परिवार) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और समाज की समग्रता में योगदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने परिवार को समाज की मूलभूत इकाई माना और उसकी कार्यात्मक भूमिकाओं, जैसे समाजीकरण और भावनात्मक स्थिरता प्रदान करने, पर जोर दिया। उनका ‘संरचनात्मक-कार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) का दृष्टिकोण यह मानता है कि समाज के प्रत्येक हिस्से का एक विशिष्ट कार्य होता है जो समाज को संतुलित रखता है।
  • गलत विकल्प: हालांकि पार्सन्स ने अन्य संस्थाओं का भी विश्लेषण किया, लेकिन ‘कार्यात्मक एकता’ की अवधारणा को उन्होंने परिवार के संदर्भ में सर्वाधिक प्रभावी ढंग से समझाया।

प्रश्न 5: आर. के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘गुप्त कार्य’ (Latent Functions) क्या हैं?

  1. समाज द्वारा स्पष्ट रूप से पहचाने और स्वीकारे गए सामाजिक संस्थानों के उद्देश्य
  2. सामाजिक संस्थानों के वे अनपेक्षित और अक्सर अनदेखे परिणाम जो समाज के लिए अनुकूल होते हैं
  3. सामाजिक संरचना में आने वाली बाधाएँ
  4. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आर. के. मर्टन ने ‘गुप्त कार्य’ (Latent Functions) को सामाजिक व्यवहारों, संस्थाओं या संरचनाओं के अनपेक्षित, अनजाने और अक्सर सकारात्मक या अनुकूल परिणाम के रूप में परिभाषित किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Functions) के विपरीत ‘गुप्त कार्य’ की अवधारणा दी। प्रकट कार्य वे उद्देश्य होते हैं जिन्हें लोग स्वयं मानते हैं कि वे प्राप्त कर रहे हैं (जैसे, विश्वविद्यालय का मुख्य कार्य शिक्षा देना है)। गुप्त कार्य वे होते हैं जो अप्रत्याशित होते हैं (जैसे, विश्वविद्यालय छात्रों को नौकरी के लिए नेटवर्क बनाने का अवसर देता है)। यह उनके ‘संरचनात्मक-कार्यात्मकता’ के दृष्टिकोण का विस्तार है।
  • गलत विकल्प: ‘स्पष्ट रूप से पहचाने गए उद्देश्य’ प्रकट कार्य कहलाते हैं। ‘बाधाएँ’ या ‘परिवर्तन की प्रक्रियाएँ’ मर्टन द्वारा सीधे तौर पर गुप्त कार्यों के रूप में परिभाषित नहीं की गई हैं।

प्रश्न 6: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास मुख्य रूप से किस प्रक्रिया द्वारा होता है?

  1. जैविक परिपक्वता
  2. सामाजिक अंतःक्रिया और अनुकरण
  3. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  4. प्रोत्साहन और पुरस्कार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, एक प्रतीकात्मक अंतःक्रियावादी (Symbolic Interactionist) के रूप में, मानते थे कि ‘स्व’ (Self) का विकास व्यक्ति के जन्मजात गुण के बजाय सामाजिक अंतःक्रियाओं, विशेष रूप से अनुकरण (Imitation), भूमिका निर्वहन (Role-taking) और खेल (Play) के माध्यम से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच अंतर किया। ‘मुझे’ वह सामाजिकीकृत ‘स्व’ है जो दूसरों की अपेक्षाओं और दृष्टिकोणों को आत्मसात करता है, जबकि ‘मैं’ उस ‘स्व’ की प्रतिक्रियाशील, अप्रत्याशित प्रकृति है। ‘स्व’ का विकास ‘अन्य’ (Others) के प्रति व्यवहार को ग्रहण करके होता है।
  • गलत विकल्प: जैविक परिपक्वता, आनुवंशिक प्रवृत्ति या केवल प्रोत्साहन/पुरस्कार ‘स्व’ के विकास के लिए पर्याप्त नहीं हैं; सामाजिक अंतःक्रिया केंद्रीय है।

प्रश्न 7: जी. एच. मीड ने ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा को किस संदर्भ में समझाया?

  1. किसी विशेष व्यक्ति के दृष्टिकोण को समझना
  2. किसी छोटे समूह के सदस्यों के दृष्टिकोण को समझना
  3. समग्र समाज या एक बड़े समूह के अंतर्निहित दृष्टिकोण और अपेक्षाओं को समझना
  4. वस्तुओं और निर्जीव चीजों के प्रति प्रतिक्रिया करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा एक समूह या समाज के सामान्यीकृत दृष्टिकोण, मूल्यों और अपेक्षाओं को आत्मसात करना। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को समाज के सदस्य के रूप में व्यवहार करने में सक्षम बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, ‘खेल’ (Play) की अवस्था में बच्चा किसी एक विशिष्ट व्यक्ति (जैसे माँ) की भूमिका निभाता है, जबकि ‘खेल’ (Game) की अवस्था में वह ‘सामान्यीकृत अन्य’ की भूमिका निभाना सीखता है, जैसे कि एक खेल में सभी खिलाड़ियों की अपेक्षित भूमिकाओं को समझना। यह ‘मुझे’ (Me) के निर्माण का आधार है।
  • गलत विकल्प: ‘किसी विशेष व्यक्ति’ या ‘छोटे समूह’ के दृष्टिकोण को समझना ‘विशिष्ट अन्य’ (Significant Other) से संबंधित है, न कि सामान्यीकृत अन्य से।

प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की संरचनात्मक-कार्यात्मकता व्याख्या के प्रमुख समर्थकों में कौन शामिल हैं?

  1. कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंजल्स
  2. डेविस और मूर
  3. मैक्स वेबर और जॉर्ज सिमेल
  4. हर्बर्ट स्पेंसर और ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: किग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर ने सामाजिक स्तरीकरण की कार्यात्मक व्याख्या प्रस्तुत की। उनका तर्क था कि समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए, यह आवश्यक है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाए, और इन पदों के लिए लोगों को प्रेरित करने हेतु उन्हें विशेष पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) दिए जाएं।
  • संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर का मानना था कि स्तरीकरण एक आवश्यक सामाजिक व्यवस्था है जो समाज के लिए आवश्यक भूमिकाओं को भरने के लिए एक प्रभावी तंत्र प्रदान करती है। यह सिद्धांत विवादास्पद रहा है क्योंकि यह असमानता को न्यायोचित ठहराता है।
  • गलत विकल्प: मार्क्स और एंजल्स संघर्ष सिद्धांत के समर्थक थे, वेबर ने शक्ति और प्रतिष्ठा के बहुआयामी विश्लेषण पर बल दिया, और स्पेंसर व कॉम्टे समाजशास्त्रीय विकास के प्रारंभिक विचारक थे, हालांकि स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का समर्थन किया।

प्रश्न 9: आर. के. मर्टन ने ‘व्युत्पन्न विचलन’ (Deviant Behavior) की व्याख्या करते हुए ‘अनुरूपता’ (Conformity), ‘नवाचार’ (Innovation), ‘रूढ़िवाद’ (Ritualism), ‘पलायनवाद’ (Retreatism) और ‘विद्रोह’ (Rebellion) जैसे अनुकूलन模式 (Modes of Adaptation) प्रस्तुत किए। यह किस सिद्धांत का हिस्सा है?

  1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  2. संघर्ष सिद्धांत
  3. सांस्कृतिक लक्ष्य और संस्थागत साधनों के बीच तनाव का सिद्धांत
  4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मर्टन का यह वर्गीकरण ‘सांस्कृतिक लक्ष्य और संस्थागत साधनों के बीच तनाव का सिद्धांत’ (Strain Theory) का हिस्सा है। उनका तर्क था कि जब समाज अपने सदस्यों को कुछ सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे, धनवान बनना) प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है, लेकिन सभी को उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वैध साधन (जैसे, अच्छी शिक्षा, रोजगार) प्रदान नहीं करता, तो तनाव उत्पन्न होता है, जिससे विचलन होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्येक अनुकूलन模式 इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करता है या नहीं, और संस्थागत साधनों को स्वीकार करता है या नहीं। उदाहरण के लिए, ‘नवाचार’ में व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्य को स्वीकार करता है लेकिन अवैध साधनों का उपयोग करता है।
  • गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति के सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत सामाजिक संबंधों में लागत-लाभ विश्लेषण पर केंद्रित है।

प्रश्न 10: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का वर्णन किया है। यह प्रक्रिया क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
  2. निम्न जाति का उच्च जाति की प्रथाओं, रीति-रिवाजों और मान्यताओं को अपनाना
  3. शहरीकरण की प्रक्रिया
  4. आधुनिकीकरण के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द का प्रयोग भारतीय जाति व्यवस्था में निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों, विशेष रूप से द्विजातियों (Twice-born castes) की जीवन शैली, अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और सामाजिक व्यवहारों को अपनाने की प्रक्रिया के लिए किया। इसका उद्देश्य जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठाना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जहाँ निचली जातियाँ उच्च जातियों के आदर्शों का अनुकरण करती हैं।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव’ पश्चिमीकरण (Westernization) है। ‘शहरीकरण’ शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवाह है, और ‘आधुनिकीकरण’ व्यापक तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन से संबंधित है।

प्रश्न 11: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के अध्ययन में किस अन्य महत्वपूर्ण अवधारणा का प्रयोग किया?

  1. सार्वभौमिकरण (Universalization)
  2. स्थानीयकरण (Localization)
  3. प्रमुख जाति (Dominant Caste)
  4. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रमुख जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह उस जाति को संदर्भित करती है जिसके पास गाँव में सबसे अधिक भूमि स्वामित्व, संख्यात्मक बल, राजनीतिक शक्ति और सामाजिक प्रतिष्ठा हो, और जो अक्सर स्थानीय निर्णय लेने में प्रमुख भूमिका निभाती हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा भारतीय गाँवों के सामाजिक-राजनीतिक संरचना को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह दर्शाती है कि कैसे जातिगत शक्ति गाँव के भीतर जमीनी स्तर पर कार्य करती है।
  • गलत विकल्प: ‘सार्वभौमिकरण’ और ‘स्थानीयकरण’ रॉबर्ट रेडफील्ड की अवधारणाएं हैं जो लोक संस्कृति और महान परंपरा के बीच संबंध बताती हैं। ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ आमतौर पर धर्म के प्रभाव में कमी से संबंधित है।

प्रश्न 12: समाजशास्त्रीय शोध विधियों में, ‘प्रतिभागी अवलोकन’ (Participant Observation) का क्या अर्थ है?

  1. शोधकर्ता केवल दूर से ही सामाजिक घटनाओं का अवलोकन करता है
  2. शोधकर्ता सामाजिक समूह या समुदाय के जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेता है और साथ ही उसका अवलोकन भी करता है
  3. शोधकर्ता केवल प्रश्नावली के माध्यम से डेटा एकत्र करता है
  4. शोधकर्ता ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण करता है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘प्रतिभागी अवलोकन’ एक गुणात्मक शोध विधि है जिसमें शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समूह या समुदाय के दैनिक जीवन में सक्रिय रूप से शामिल होकर, उनके साथ रहकर, उनकी गतिविधियों में भाग लेकर उनकी संस्कृति, व्यवहार और सामाजिक अंतःक्रियाओं का गहन अवलोकन और समझ प्राप्त करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि नृवंशविज्ञान (Ethnography) में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। इसके माध्यम से शोधकर्ता उन सूक्ष्मताओं और अंतर्दृष्टियों को प्राप्त कर सकता है जो केवल बाहरी अवलोकन से संभव नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: दूर से अवलोकन करना ‘गैर-प्रतिभागी अवलोकन’ है। प्रश्नावली और ऐतिहासिक दस्तावेजों का विश्लेषण अन्य शोध विधियाँ हैं।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में लोगों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
  2. किसी व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
  3. समाज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर व्यक्तियों का स्थानांतरण
  4. समाज के भीतर सामाजिक समूहों के बीच संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य व्यक्ति या समूह के सामाजिक पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने से है। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical – ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (Horizontal – समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: गतिशीलता दो मुख्य प्रकार की होती है: अंतर-पीढ़ी (Intergenerational) – जहाँ एक पीढ़ी की स्थिति दूसरी पीढ़ी से भिन्न होती है, और अंतः-पीढ़ी (Intragenerational) – जहाँ एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में स्थिति में परिवर्तन होता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) केवल अंतर-पीढ़ी गतिशीलता का वर्णन करता है, जबकि गतिशीलता में अंतः-पीढ़ी भी शामिल है। विकल्प (c) भौगोलिक स्थानांतरण है। विकल्प (d) सामाजिक संबंधों का वर्णन करता है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था चार्ल्स कूली द्वारा ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की विशेषता नहीं है?

  1. आमने-सामने का घनिष्ठ संबंध
  2. ‘हम’ की भावना
  3. अस्थायी और औपचारिक संबंध
  4. निजी और व्यक्तिगत संबंध

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) को घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध, भावनात्मक जुड़ाव, ‘हम’ की भावना, और स्थायी तथा व्यक्तिगत संबंधों के रूप में परिभाषित किया। ‘अस्थायी और औपचारिक संबंध’ प्राथमिक समूहों की विशेषता नहीं हैं, बल्कि ये द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) की विशेषताएँ हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ (Social Organization) में परिवार, खेल समूह और पड़ोस को प्राथमिक समूहों के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया, जो व्यक्ति के समाजीकरण और व्यक्तित्व निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी प्राथमिक समूहों की प्रमुख विशेषताएँ हैं, जबकि (c) द्वितीयक समूहों के लक्षण हैं।

प्रश्न 15: सामाजिक संरचना (Social Structure) से तात्पर्य क्या है?

  1. व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
  2. समाज के विभिन्न भागों का एक-दूसरे से संबंध और विन्यास
  3. समाज में व्यक्तियों का व्यवहार
  4. समाज की भौगोलिक सीमाएँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के बड़े, स्थिर पैटर्न को संदर्भित करती है, जिसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, अर्थव्यवस्था, सरकार), सामाजिक समूह, भूमिकाएं और स्थिति (Status) शामिल हैं, जो एक-दूसरे से व्यवस्थित रूप से जुड़ी होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संरचना समाज के लिए एक ढाँचे (Framework) की तरह काम करती है, जो व्यवहार को दिशा और संभावनाएँ प्रदान करती है। यह समाजशास्त्रियों को समाज के समग्र संगठन और उसके कामकाज को समझने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: (a) बहुत सूक्ष्म है। (c) संरचना का परिणाम हो सकता है। (d) केवल भौतिक पहलू है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘समूह’ (Group) की है?

  1. दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एकत्रीकरण
  2. उन व्यक्तियों का समूह जो समान रुचि रखते हैं
  3. दो या अधिक व्यक्ति जो एक-दूसरे के प्रति जागरूक हैं, संबंध रखते हैं, और एक सामान्य पहचान साझा करते हैं
  4. एक सार्वजनिक स्थान पर इकट्ठा हुए लोगों का समूह

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में ‘समूह’ की परिभाषा में केवल लोगों का एकत्रीकरण (aggregation) शामिल नहीं है, बल्कि यह आवश्यक है कि वे व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति सचेत हों, उनके बीच पारस्परिक संबंध हों, और वे स्वयं को एक इकाई (एक सामान्य पहचान) के रूप में देखें।
  • संदर्भ और विस्तार: जैसे, सड़क पर चल रहे लोग केवल एक ‘समूह’ नहीं हैं जब तक कि वे एक-दूसरे से बातचीत न करें या एक सामान्य उद्देश्य साझा न करें। एक फुटबॉल टीम या एक परिवार एक समूह है।
  • गलत विकल्प: (a) केवल एकत्रीकरण है। (b) केवल समान रुचि है, जरूरी नहीं कि संबंध या साझा पहचान हो। (d) सार्वजनिक स्थान पर इकट्ठा होना मात्र समूह नहीं है।

प्रश्न 17: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रथा’ (Jajmani System) क्या थी?

  1. एक प्रकार का भूमि सुधार
  2. एक आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था जिसमें विभिन्न जातियों के सेवा प्रदाता (जैसे नाई, धोबी) और ग्राहक (जाजमान) वंशानुगत सेवा-लेन-देन के माध्यम से जुड़े थे
  3. एक राजनीतिक गठबंधन
  4. एक धार्मिक अनुष्ठान

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जजमानी प्रथा एक पारंपरिक भारतीय सामाजिक-आर्थिक प्रणाली थी जहाँ गाँव में विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को वस्तु विनिमय या सेवाओं के बदले में निश्चित मात्रा में उपज या आय के रूप में सेवाएँ प्रदान करते थे। यह संबंध वंशानुगत होता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जो आत्मनिर्भर गाँव की अवधारणा को सुदृढ़ करती थी।
  • गलत विकल्प: जजमानी प्रथा मुख्य रूप से सेवा-लेन-देन और सामाजिक संबंधों से संबंधित थी, न कि भूमि सुधार, राजनीतिक गठबंधन या धार्मिक अनुष्ठान से।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन एक ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. शिक्षा
  3. पड़ोस
  4. राजनीति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्वीकृत प्रणालियाँ हैं जो समाज के सदस्यों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं। परिवार, शिक्षा और राजनीति प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। ‘पड़ोस’ एक सामाजिक समूह या एक भौगोलिक क्षेत्र हो सकता है, लेकिन यह अपने आप में एक स्थापित सामाजिक संस्था नहीं है जैसे कि परिवार या राज्य।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्थाओं में अक्सर अपने स्वयं के नियम, मानदंड और भूमिकाएँ होती हैं। पड़ोस में लोग निवास कर सकते हैं और अनौपचारिक संबंध बना सकते हैं, लेकिन यह एक औपचारिक, स्थापित प्रणाली नहीं है।
  • गलत विकल्प: परिवार (विवाह, वंशानुक्रम), शिक्षा (विद्यालय, पाठ्यक्रम) और राजनीति (सरकार, कानून) सभी स्थापित सामाजिक संस्थाएँ हैं।

प्रश्न 19: समाजशास्त्र में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. विलियम ग्राहम समनर
  2. हरबर्ट ब्लूमर
  3. अगस्त कॉम्ते
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फोल्कवेज’ (Folkways) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका अर्थ है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, मूल्य, रीति-रिवाज) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे दोनों के बीच असंतुलन या विलंब उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर का मानना था कि प्रौद्योगिकी में तेजी से परिवर्तन नए सामाजिक और नैतिक मुद्दे पैदा करते हैं जिनका समाधान करने में सामाजिक और नैतिक मान्यताएं पीछे रह जाती हैं।
  • गलत विकल्प: ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं, कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक पिता हैं, और दुर्खीम ने एतियता जैसी अवधारणाएं दीं।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक समस्या शहरीकरण से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं है?

  1. अपराध दर में वृद्धि
  2. बेघर होना
  3. पर्यावरण प्रदूषण
  4. जातिगत व्यवस्था की मज़बूती

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शहरीकरण अक्सर अपराध दर में वृद्धि (जनसंख्या घनत्व, गुमनामी), बेघर होना (आवास की कमी, प्रवासन), और पर्यावरण प्रदूषण (औद्योगीकरण, अपशिष्ट) जैसी सामाजिक समस्याओं से जुड़ा होता है। हालाँकि, पारंपरिक रूप से, शहरीकरण को अक्सर जातिगत व्यवस्था की कठोरता को कम करने वाला या उसे बदलने वाला माना जाता है, न कि उसे मज़बूत करने वाला।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्रामीण क्षेत्रों में जाति अधिक प्रभावशाली हो सकती है, जबकि शहरों में आर्थिक वर्ग या अन्य कारक अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हालाँकि, यह एक जटिल मुद्दा है और शहरीकरण के कुछ पहलू जातिगत भेदभाव को नए रूपों में भी प्रकट कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) शहरीकरण के सामान्य परिणाम हैं। (d) सामान्यतः इसके विपरीत देखा जाता है।

प्रश्न 21: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. रॉबर्ट पुटनम
  3. जेम्स कोलमन
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को पियरे बॉर्डियू (नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक दायित्वों के रूप में), जेम्स कोलमन (सामाजिक संरचनाओं से उत्पन्न लाभ के रूप में), और रॉबर्ट पुटनम (नागरिक जुड़ाव और सामाजिक नेटवर्क के रूप में) जैसे कई समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो सामाजिक नेटवर्क, आपसी विश्वास और सहयोग के माध्यम से उपलब्ध होते हैं। बॉर्डियू ने इसे सांस्कृतिक पूंजी और आर्थिक पूंजी के साथ एक प्रकार की पूंजी के रूप में देखा, जो सामाजिक संरचनाओं में अंतर्निहित है। कोलमन ने इसे व्यक्तियों और समूहों के लिए एक उपयोगी संसाधन माना। पुटनम ने इसे नागरिक समाज और लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण बताया।
  • गलत विकल्प: चूँकि तीनों समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 22: निम्नांकित में से कौन सी ‘द्वितीयक एजेंसी’ (Secondary Agency) के उदाहरण के रूप में देखी जा सकती है?

  1. परिवार
  2. मित्र समूह
  3. विद्यालय
  4. सभी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजीकरण की एजेंसियां वे कारक हैं जो व्यक्ति को समाज के मूल्यों, मानदंडों और व्यवहारों को सिखाते हैं। ‘प्राथमिक एजेंसियां’ वे हैं जिनसे व्यक्ति का संबंध सबसे पहले और सबसे घनिष्ठ होता है, जैसे परिवार। ‘द्वितीयक एजेंसियां’ वे हैं जो समाजीकरण की प्रक्रिया को बाद में और व्यापक रूप से प्रभावित करती हैं, जैसे विद्यालय, कार्यस्थल, या जनसंचार माध्यम। मित्र समूह प्राथमिक या द्वितीयक दोनों हो सकते हैं, लेकिन विद्यालय एक स्पष्ट द्वितीयक एजेंसी है।
  • संदर्भ और विस्तार: विद्यालय न केवल औपचारिक शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि वे सामाजिक मानदंडों, अनुशासन और सहकर्मी समूहों के साथ अंतःक्रिया भी सिखाते हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार एक प्राथमिक एजेंसी है। मित्र समूह को अक्सर प्राथमिक माना जाता है, हालाँकि बड़े या औपचारिक मित्र मंडल द्वितीयक हो सकते हैं। विद्यालय एक निश्चित द्वितीयक एजेंसी है।

प्रश्न 23: ‘सभ्यता’ (Civilization) को अक्सर समाजशास्त्री कैसे परिभाषित करते हैं?

  1. एक समूह का केवल जीवन जीने का तरीका
  2. एक जटिल समाज जो शहरीकरण, राज्य व्यवस्था, औद्योगिकीकरण, लेखन और अमूर्त विचारों की विशेषता रखता है
  3. किसी भी मानव समूह द्वारा अपनाई गई कोई भी संस्कृति
  4. केवल राजनीतिक संरचना का रूप

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में ‘सभ्यता’ को आमतौर पर एक जटिल समाज के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें कई प्रमुख विशेषताएँ होती हैं, जैसे कि बड़े पैमाने पर स्थायी बस्तियाँ (शहर), एक संगठित राज्य या सरकार, श्रम का विशेषीकरण, प्रौद्योगिकी का विकास, लेखन प्रणाली, और अमूर्त या दार्शनिक विचार।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अक्सर ‘संस्कृति’ से अधिक व्यापक और जटिल सामाजिक विकास के स्तर को इंगित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) ‘संस्कृति’ की परिभाषा के करीब हैं, न कि सभ्यता की। (d) सभ्यता का केवल एक पहलू है।

प्रश्न 24: पैट्रिक गेड्डेस ने भारतीय शहरों के अध्ययन में किस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया?

  1. ‘जन-स्थान’ (Place-making)
  2. ‘जीवित क्षेत्र’ (Living Space)
  3. ‘नगर-जीवन’ (City-life)
  4. ‘सामाजिक नगर नियोजन’ (Social Urbanism)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पैट्रिक गेड्डेस, एक शहर योजनाकार और समाजशास्त्री, ने ‘सामाजिक नगर नियोजन’ (Social Urbanism) की अवधारणा को बढ़ावा दिया। उन्होंने शहरों के विकास को केवल भौतिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ताकतों के अंतर्संबंधों के रूप में देखने पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: गेड्डेस ने भारत के कई शहरों के लिए योजनाएँ बनाईं और उन्होंने शहरों के जैविक और सामाजिक ‘जीवित’ पर ध्यान केंद्रित किया, जो कि सिर्फ संरचनाओं का निर्माण नहीं बल्कि लोगों के जीवन का एक जटिल ताना-बाना है।
  • गलत विकल्प: हालाँकि अन्य शब्द प्रासंगिक लग सकते हैं, ‘सामाजिक नगर नियोजन’ उनकी मुख्य देन है जो शहर के सामाजिक पहलुओं पर जोर देती है।

प्रश्न 25: मार्क्सवादी समाजशास्त्र में ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्ति का समाज से भावनात्मक जुड़ाव कम होना
  2. पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक का अपने श्रम, उत्पादन, साथी श्रमिकों और स्वयं से अलगाव
  3. समाज में व्यक्ति का अकेलापन
  4. सामाजिक मानदंडों से विचलन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक अपने श्रम से अलग हो जाता है क्योंकि वह उत्पादन प्रक्रिया को नियंत्रित नहीं करता। वह अपने उत्पाद से भी अलग हो जाता है क्योंकि वह उसका अपना नहीं होता, बल्कि बुर्जुआ का होता है। साथी श्रमिकों से भी अलगाव हो सकता है क्योंकि वे प्रतिस्पर्धा में होते हैं, और अंततः वह स्वयं से भी अलग हो जाता है क्योंकि उसकी रचनात्मक क्षमताएँ दब जाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में विशेष रूप से पाई जाती है। अलगाव पूंजीवादी शोषण का एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) अलगाव के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के लिए अलगाव विशेष रूप से उत्पादन प्रक्रिया से जुड़ा है। (d) विचलन (Deviance) एक अलग अवधारणा है।

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