संकल्प से सिद्धि: समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रिय समाजशास्त्रीय अभ्यर्थियों! अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को धार देने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 ऐसे प्रश्न जो आपकी परीक्षा की तैयारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगे। आइए, अपनी समझ का गहन परीक्षण करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सामाजीकरण” की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सा द्वितीयक अभिकर्ता (Secondary Agent) है?
- परिवार
- पड़ोस
- स्कूल
- समवयस्क समूह (Peer Group)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: स्कूल को सामाजीकरण का एक महत्वपूर्ण द्वितीयक अभिकर्ता माना जाता है। परिवार प्राथमिक अभिकर्ता है, जबकि स्कूल, मीडिया, धर्म और कार्यस्थल जैसे संस्थान द्वितीयक अभिकर्ता के रूप में कार्य करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखता है। प्राथमिक सामाजीकरण घर और परिवार में होता है, जबकि द्वितीयक सामाजीकरण समाज के अन्य औपचारिक और अनौपचारिक संस्थानों में होता है। स्कूल छात्रों को औपचारिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक नियम, अनुशासन और दूसरों के साथ मेलजोल सिखाता है।
- गलत विकल्प: परिवार प्राथमिक अभिकर्ता है। पड़ोस और समवयस्क समूह भी सामाजीकरण में योगदान करते हैं, लेकिन स्कूल एक अधिक संरचित और संस्थागत द्वितीयक अभिकर्ता है।
प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, उत्पादन के साधनों पर किसका नियंत्रण सामाजिक स्तरीकरण का आधार बनता है?
- राजनीतिक शक्ति
- ज्ञान और सूचना
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स का मानना था कि उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने, मशीनरी) पर नियंत्रण ही समाज को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित करता है: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग)। इसी वर्ग संघर्ष से समाज का विकास होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ जैसी रचनाओं में अपने वर्ग सिद्धांत का विस्तार से वर्णन किया है। उनके अनुसार, उत्पादन के साधनों का स्वामित्व समाज में शक्ति, विशेषाधिकार और आय के वितरण को निर्धारित करता है, जिससे स्तरीकरण उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: राजनीतिक शक्ति और ज्ञान/सूचना महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के मूल सिद्धांत के अनुसार, आर्थिक आधार (उत्पादन के साधन) प्राथमिक है। जाति एक अलग स्तरीकरण प्रणाली है, जो मार्क्स के विश्लेषण का मुख्य केंद्र नहीं थी, हालाँकि उन्होंने जाति और वर्ग के अंतर्संबंधों पर भी विचार किया।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) की कौन सी विशेषता को ‘तर्कसंगत-वैध सत्ता’ (Rational-Legal Authority) का आधार माना है?
- वंशानुगत उत्तराधिकार
- व्यक्तिगत करिश्मा
- नियमों और विनियमों की प्रधानता
- भावनात्मक अपील
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर के अनुसार, आधुनिक समाज में ‘तर्कसंगत-वैध सत्ता’ का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण नौकरशाही है, जिसकी पहचान नियमों, प्रक्रियाओं और पदानुक्रमित संरचना पर आधारित होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और तर्कसंगत-वैध। तर्कसंगत-वैध सत्ता व्यक्तिगत निष्ठा के बजाय नियमों और कानूनों के प्रति निष्ठा पर आधारित होती है। नौकरशाही, अपने विशिष्टीकरण, पदानुक्रम, लिखित नियमों और अवैयक्तिकता के साथ, इस प्रकार की सत्ता का आदर्श रूप है।
- गलत विकल्प: वंशानुगत उत्तराधिकार पारंपरिक सत्ता से, और व्यक्तिगत करिश्मा करिश्माई सत्ता से संबंधित है। भावनात्मक अपील भी करिश्माई या पारंपरिक सत्ता से जुड़ी हो सकती है।
प्रश्न 4: ए. आर. देसाई ने भारत में सामाजिक परिवर्तन के लिए किन मुख्य कारकों को उत्तरदायी ठहराया है?
- आदिवासी आंदोलन और किसान विद्रोह
- राष्ट्रवादी आंदोलन और संवैधानिक परिवर्तन
- विदेशी शासन और पश्चिमी शिक्षा
- धार्मिक सुधार आंदोलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ए. आर. देसाई ने अपनी पुस्तक “Structure of Indian Society” में तर्क दिया कि भारत में सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता संग्राम था, जिसने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन की नींव रखी।
- संदर्भ एवं विस्तार: देसाई का विश्लेषण मुख्य रूप से राष्ट्रवाद को एक प्रगतिशील शक्ति के रूप में देखता है जिसने भारतीय समाज को बदलने और आधुनिक बनाने में मदद की। उन्होंने राष्ट्रवाद की भूमिका और उसके द्वारा प्रेरित सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों पर बल दिया।
- गलत विकल्प: यद्यपि अन्य विकल्प (आदिवासी आंदोलन, विदेशी शासन, धार्मिक सुधार) भारतीय समाज के इतिहास का हिस्सा हैं और कुछ हद तक परिवर्तन में सहायक रहे हैं, देसाई के मुख्य तर्क में राष्ट्रवादी आंदोलन और उसके परिणामस्वरूप हुए संवैधानिक तथा संस्थागत परिवर्तन केंद्रीय थे।
प्रश्न 5: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य (Sociological Perspective) के अनुसार, “अजनबी” (The Stranger) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- जॉर्ज सिमेल
- अल्फ्रेड शूत्ज़
- एमाइल दुर्खीम
- इरविंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जर्मन समाजशास्त्री जॉर्ज सिमेल ने “The Stranger” (अजनबी) की अवधारणा को सामाजिक अंतःक्रिया के संदर्भ में विकसित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: सिमेल के अनुसार, अजनबी वह व्यक्ति है जो समूह का सदस्य है, लेकिन साथ ही बाहरी भी है। उसके पास कुछ हद तक निकटता है, लेकिन दूर भी है। यह द्वंद्वात्मक संबंध अजनबी को समूह के रीति-रिवाजों का निष्पक्ष पर्यवेक्षक बनने में सक्षम बनाता है, जो समूह के आंतरिक सदस्यों के लिए संभव नहीं है। यह अवधारणा सामाजिक दूरी और निकटता के जटिल संबंधों को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: अल्फ्रेड शूत्ज़ ने सिमेल के काम को आगे बढ़ाया, खासकर फेनोमेनोलॉजी के संदर्भ में। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और आत्मकेंद्रितता जैसे विचारों पर काम किया, जबकि गॉफमैन ने नाटकीयता और आत्म-प्रस्तुति पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 6: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित “संसकृतिकरण” (Sanskritization) की प्रक्रिया मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित है?
- सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
- सांस्कृतिक अलगाव (Cultural Alienation)
- अनुकूलन (Acculturation)
- सामाजिक विभेदीकरण (Social Differentiation)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संसकृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई अवधारणा, निम्न जातियों या समूहों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाने की प्रक्रिया है ताकि जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठाया जा सके। यह एक प्रकार की सामाजिक गतिशीलता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ पुस्तक में प्रस्तुत किया। संसकृतिकरण मुख्य रूप से सांस्कृतिक परिवर्तन के माध्यम से स्थितिगत उन्नति प्राप्त करने का एक प्रयास है, और इस प्रकार यह सामाजिक गतिशीलता के दायरे में आता है।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक अलगाव किसी संस्कृति से मोहभंग को दर्शाता है। अनुकूलन एक संस्कृति के दूसरी संस्कृति के संपर्क में आने पर होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है, जो संसकृतिकरण से व्यापक है। सामाजिक विभेदीकरण समाज में भूमिकाओं और कार्यों के विभाजन से संबंधित है।
प्रश्न 7: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) के अनुसार, समाज में प्रचलित “प्रकट कार्य” (Manifest Function) से क्या तात्पर्य है?
- किसी सामाजिक संस्था के अनपेक्षित परिणाम
- किसी सामाजिक संस्था के जानबूझकर और मान्यता प्राप्त परिणाम
- किसी सामाजिक संस्था के छिपे हुए या अव्यक्त कार्य
- किसी सामाजिक संस्था के विरुद्ध प्रतिक्रियाएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक व्यवस्थाओं के कार्यों का विश्लेषण करते हुए ‘प्रकट कार्य’ और ‘अव्यक्त कार्य’ में अंतर किया। प्रकट कार्य वे परिणाम होते हैं जो किसी सामाजिक पैटर्न के प्रतिभागियों द्वारा जानबूझकर और मान्यता प्राप्त होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जो एक स्पष्ट और इच्छित उद्देश्य है। मर्टन की संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural-Functionalism) में, कार्यों का विश्लेषण समाज के विभिन्न हिस्सों के योगदान को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) अव्यक्त कार्यों (Latent Functions) से संबंधित है। (c) भी अव्यक्त कार्यों का वर्णन करता है। (d) सामाजिक समस्याओं या विघटन से संबंधित हो सकता है।
प्रश्न 8: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी “नाटकीयता” (Dramaturgy) की अवधारणा में, समाज को एक मंच के रूप में चित्रित किया। इस संदर्भ में “मुखौटा” (Mask) क्या दर्शाता है?
- व्यक्ति की वास्तविक भावनाएँ
- व्यक्ति द्वारा अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रस्तुत की गई सार्वजनिक छवि
- सामाजिक व्यवस्था के नियम
- सामुदायिक सहयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इर्विंग गॉफमैन ने ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में नाटकीयता का सिद्धांत दिया, जिसके अनुसार व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रिया में अपने “स्व” (self) को इस तरह प्रस्तुत करता है जैसे वह एक मंच पर अभिनय कर रहा हो। “मुखौटा” वह सार्वजनिक छवि है जिसे व्यक्ति अपनी भूमिका निभाने के लिए पहनता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: गॉफमैन के अनुसार, व्यक्ति सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने और दूसरों से विशेष प्रकार की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने के लिए अपनी भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करता है। यह नियंत्रित प्रस्तुति ही “मुखौटा” है।
- गलत विकल्प: (a) मुखौटा वास्तविक भावनाओं को छिपाता है। (c) और (d) सामाजिक संरचना या सामूहिक व्यवहार के पहलू हैं, न कि व्यक्तिगत प्रस्तुति के।
प्रश्न 9: दुर्खीम के अनुसार, “अनोमी” (Anomie) की स्थिति उत्पन्न होती है जब:
- समाज में अत्यधिक समरूपता होती है।
- व्यक्ति समाज के मानदंडों और मूल्यों से कटा हुआ महसूस करता है।
- व्यक्ति का दूसरे लोगों से संबंध मजबूत होता है।
- समाज में अत्यधिक नियम होते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमाइल दुर्खीम ने अनोमी (Anomie) को उस अवस्था के रूप में परिभाषित किया जब समाज में सामाजिक मानदंडों का अभाव या उनकी अस्पष्टता होती है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन महसूस करता है। यह अक्सर तीव्र सामाजिक या आर्थिक परिवर्तन के दौरान उत्पन्न होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृति ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में अनोमी की अवधारणा का उपयोग किया। यह वह स्थिति है जब सामाजिक नियम या तो कमजोर हो जाते हैं या गायब हो जाते हैं, जिससे व्यक्तिगत व्यवहार के लिए कोई स्पष्ट मार्गदर्शन नहीं रह जाता।
- गलत विकल्प: (a) और (c) समाज में अत्यधिक एकीकरण (Integration) या संबंध को दर्शाते हैं, जो अनोमी के विपरीत है। (d) अत्यधिक नियम अनोमी का कारण नहीं बनते, बल्कि नियमों का अभाव या अस्पष्टता अनोमी पैदा करती है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारत में जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पेशागत प्रतिबंध
- जातियों के बीच गतिशीलता
- पदानुक्रमित स्तरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में अंतर्विवाह (केवल अपनी जाति में विवाह), कठोर पेशागत प्रतिबंध (जन्म से निर्धारित व्यवसाय), और एक स्पष्ट पदानुक्रमित स्तरीकरण (ऊँच-नीच का क्रम) शामिल हैं। जातियों के बीच गतिशीलता (mobility) एक प्रमुख विशेषता नहीं है, बल्कि यह एक स्थिर और बंद स्तरीकरण प्रणाली है।
- संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि आधुनिकीकरण और शहरीकरण ने कुछ हद तक जाति की कठोरता को कम किया है, ऐतिहासिक रूप से और संरचनात्मक रूप से, गतिशीलता अत्यंत सीमित रही है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी जाति व्यवस्था की स्थापित विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 11: पैट्रीशिया हिल कॉलिन्स (Patricia Hill Collins) द्वारा विकसित “इंटरसेक्शनैलिटी” (Intersectionality) की अवधारणा, निम्नलिखित में से किन आयामों के बीच अंतर्संबंध पर केंद्रित है?
- वर्ग और शिक्षा
- जाति, लिंग और वर्ग
- धर्म और राष्ट्रवाद
- लिंग और आयु
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: पैट्रीशिया हिल कॉलिन्स ने “ब्लैक फेमिनिस्ट थॉट” में इंटरसेक्शनैलिटी की अवधारणा प्रस्तुत की। यह अवधारणा बताती है कि सामाजिक पहचान जैसे जाति, वर्ग, लिंग, यौनिकता, राष्ट्रीयता आदि एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, बल्कि जटिल तरीकों से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और भेदभाव तथा विशेषाधिकार के अनुभवों को आकार देती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: कॉलिन्स का तर्क है कि अश्वेत महिलाओं को केवल लिंग या केवल जाति के आधार पर अनुभव किए जाने वाले उत्पीड़न से नहीं, बल्कि इन दोनों के प्रतिच्छेदन (intersection) से उत्पन्न विशेष प्रकार के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
- गलत विकल्प: यद्यपि अन्य विकल्प सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण आयाम हैं, कॉलिन्स का मुख्य ध्यान विशेष रूप से जाति, वर्ग और लिंग के प्रतिच्छेदन पर था, जो ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के अनुभवों को समझने के लिए केंद्रीय है।
प्रश्न 12: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा को बढ़ावा देने का श्रेय किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा के विकास में पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे कई समाजशास्त्रियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से विकसित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू ने इसे नेटवर्क और उनसे जुड़े लाभों के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे सामाजिक संरचनाओं (जैसे परिवार, समुदाय) के उन गुणों के रूप में परिभाषित किया जो किसी कार्य को सुगम बनाते हैं, और पुटनम ने नागरिक जुड़ाव और सामाजिक विश्वास पर ध्यान केंद्रित किया। तीनों ने सामाजिक पूंजी को व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन माना।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों समाजशास्त्रियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए यह विकल्प सबसे सटीक है।
प्रश्न 13: भारत में “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया को निम्नलिखित में से किस कारक ने महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है?
- औपनिवेशिक शासन का अंत
- पश्चिमी शिक्षा और प्रौद्योगिकी का प्रसार
- जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भरता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भारत में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को मुख्य रूप से पश्चिमी शिक्षा, वैज्ञानिक सोच, औद्योगिकरण और लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रसार से बढ़ावा मिला, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान शुरू हुआ और स्वतंत्रता के बाद तेज हुआ।
- संदर्भ एवं विस्तार: आधुनिकीकरण को अक्सर धर्मनिरपेक्षता, तर्कसंगतता, औद्योगीकरण, शहरीकरण और राष्ट्रीयकरण जैसी प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है। भारत के संदर्भ में, पश्चिमी विचारों और प्रौद्योगिकियों का आगमन इन परिवर्तनों का एक प्रमुख स्रोत रहा है।
- गलत विकल्प: (a) औपनिवेशिक शासन का अंत एक परिणाम था, न कि आधुनिकीकरण का मुख्य प्रारंभिक कारक। (c) जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण आधुनिकीकरण के विपरीत दिशा में ले जाता है। (d) ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भरता आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है, न कि प्रभावित कर सकती है।
प्रश्न 14: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- लोगों की व्यक्तिगत विशेषताएँ
- समाज में भूमिकाओं और स्थिति के बीच अपेक्षाकृत स्थिर संबंध
- सामाजिक संस्थाओं के बीच अस्थिर संबंध
- लोगों की भावनाओं का संग्रह
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सामाजिक संरचना समाज के भीतर भूमिकाओं (roles) और स्थिति (status) के बीच व्यवस्थित और अपेक्षाकृत स्थिर संबंधों को संदर्भित करती है, जो सामाजिक जीवन को आकार देते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह समाज की अंतर्निहित व्यवस्था है जो व्यक्तियों के व्यवहार को निर्देशित करती है। संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक समाजशास्त्री (जैसे दुर्खीम, पार्सन्स) इस अवधारणा पर विशेष जोर देते हैं।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत विशेषताओं का वर्णन करती है। (c) सामाजिक संरचना को स्थिर के बजाय अस्थिर बताती है, जो गलत है। (d) यह भावनात्मक पहलुओं पर केंद्रित है, जबकि संरचनात्मक पहलू अधिक व्यवस्थित होते हैं।
प्रश्न 15: टी.एच. मार्शल (T.H. Marshall) ने नागरिकता (Citizenship) के तीन आयामों का वर्णन किया है। इनमें से कौन सा आयाम सबसे पहले विकसित हुआ?
- सामाजिक नागरिकता
- राजनीतिक नागरिकता
- नागरिक अधिकार (Civil Rights)
- प्रक्रियात्मक नागरिकता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: टी.एच. मार्शल ने अपनी पुस्तक ‘Citizenship and Social Class’ में नागरिकता के विकास को तीन चरणों में विभाजित किया: नागरिक अधिकार (Civil Rights), राजनीतिक अधिकार (Political Rights) और सामाजिक अधिकार (Social Rights)। नागरिक अधिकार, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के शासन से संबंधित हैं, सबसे पहले विकसित हुए।
- संदर्भ एवं विस्तार: नागरिक अधिकार 18वीं शताब्दी में विकसित हुए, राजनीतिक अधिकार 19वीं शताब्दी में (जैसे वोट देने का अधिकार), और सामाजिक अधिकार 20वीं शताब्दी में (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा)।
- गलत विकल्प: राजनीतिक और सामाजिक नागरिकता बाद के चरणों में विकसित हुए। प्रक्रियात्मक नागरिकता एक अलग शब्दावली है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी “सत्ता” (Authority) का प्रकार मैक्स वेबर द्वारा नहीं सुझाया गया था?
- पारंपरिक सत्ता
- करिश्माई सत्ता
- तर्कसंगत-वैध सत्ता
- जबरन सत्ता (Coercive Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक (Traditional), करिश्माई (Charismatic) और तर्कसंगत-वैध (Rational-Legal)। जबरन सत्ता (Coercive Authority) या बल का प्रयोग (Force) उनकी सत्ता की परिभाषा का हिस्सा नहीं था, क्योंकि सत्ता वैधता पर आधारित होती है, जबकि बल अवैध या अनैतिक साधनों से प्राप्त किया जा सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, सत्ता वह शक्ति है जिसे वैध (legitimate) माना जाता है। लोग स्वेच्छा से उस व्यक्ति या संस्था के आदेशों का पालन करते हैं जिसे वे अधिकारपूर्ण मानते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) वेबर द्वारा प्रस्तुत सत्ता के तीन मुख्य प्रकार हैं।
प्रश्न 17: किस समाजशास्त्री ने “सामाजिक तथ्य” (Social Fact) की अवधारणा को परिभाषित किया, जो कि समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी “जाति” (Caste) की विशेषता है जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?
- कठोर पदानुक्रम
- निश्चित सामाजिक भूमिकाएँ
- जन्म आधारित सदस्यता
- सभी उपरोक्त
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जाति व्यवस्था की ये तीनों विशेषताएँ – कठोर पदानुक्रम (ऊँच-नीच का क्रम), निश्चित सामाजिक भूमिकाएँ (विशेषकर पेशा), और जन्म आधारित सदस्यता – इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों जैसे वर्ग से अलग करती हैं, जहाँ सदस्यता अर्जित की जा सकती है या गतिशीलता अधिक संभव है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था एक बंद स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से तय हो जाती है और आमतौर पर इसमें बदलाव की गुंजाइश बहुत कम होती है।
- गलत विकल्प: चूंकि (a), (b), और (c) सभी जाति की मुख्य विशेषताएँ हैं, इसलिए (d) सबसे सटीक उत्तर है।
प्रश्न 19: “अस्थिरता” (Instability) और “असुरक्षा” (Insecurity) की भावनाएँ, जो समाज के तीव्र परिवर्तन से उत्पन्न होती हैं, किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित हैं?
- सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
- अनोमी (Anomie)
- पूंजीवाद (Capitalism)
- अलगाव (Alienation)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: जैसा कि पहले भी चर्चा की गई है, अनोमी (Anomie) वह सामाजिक स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब समाज में मानदंडों और मूल्यों की स्पष्टता या प्रभावशीलता कम हो जाती है, जिससे व्यक्ति अस्थिरता और दिशाहीनता महसूस करता है। यह अक्सर सामाजिक या आर्थिक उथल-पुथल के दौरान देखी जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यक्ति को सामाजिक अपेक्षाओं से अलग-थलग महसूस कराती है।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag) ऑग्बर्न द्वारा दी गई अवधारणा है, जो भौतिक संस्कृति के प्रौद्योगिकी की तुलना में गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे नियम, मूल्य) के धीरे-धीरे बदलने पर केंद्रित है। पूंजीवाद एक आर्थिक प्रणाली है। अलगाव (Alienation) भी मार्क्स की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, लेकिन यह उत्पादन प्रक्रिया से श्रमिक के अलगाव पर अधिक केंद्रित है, जबकि अनोमी एक व्यापक सामाजिक-मानसिक स्थिति है।
प्रश्न 20: भारतीय समाज में “धर्मनिरपेक्षीकरण” (Secularization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह धर्म का पूर्ण लोप है।
- यह समाज के सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से धर्म की घटती प्रासंगिकता है।
- यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों का स्वरूप बदलना है।
- यह व्यक्तिगत धार्मिक आस्था का अंत है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण को आमतौर पर सार्वजनिक जीवन, जैसे कि राजनीति, शिक्षा और प्रशासन में धर्म की भूमिका और प्रभाव के कम होने की प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है। यह आवश्यक रूप से व्यक्तिगत धार्मिक आस्था या अनुष्ठानों का पूर्ण लोप नहीं है।
- संदर्भ एवं विस्तार: समाजशास्त्री मानते हैं कि धर्मनिरपेक्षीकरण एक जटिल प्रक्रिया है और विभिन्न समाजों में इसके भिन्न-भिन्न अर्थ और प्रभाव हो सकते हैं। भारत जैसे बहुलवादी समाज में, यह अक्सर धर्म और राज्य के बीच एक सीमांकन के रूप में प्रकट होता है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) धर्मनिरपेक्षीकरण के अतिवादी विचार हैं। (c) धर्मनिरपेक्षीकरण के कुछ पहलुओं में अनुष्ठानों में परिवर्तन शामिल हो सकता है, लेकिन यह इसका पूर्ण या एकमात्र अर्थ नहीं है।
प्रश्न 21: “समुदाय” (Community) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने “साझेदारी की भावना” (Sense of Belonging) के साथ जोड़ा है?
- फर्डिनेंड टोनीज (Ferdinand Tönnies)
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- इरविंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: फर्डिनेंड टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (Community and Society) में समुदाय (Gemeinschaft) को घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों के रूप में परिभाषित किया, जहाँ सदस्यों में “साझेदारी की भावना” और आपसी लगाव होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इसके विपरीत, उन्होंने समाज (Gesellschaft) को अधिक अवैयक्तिक, औपचारिक और स्वार्थ-प्रेरित संबंधों के रूप में वर्णित किया। समुदाय की विशेषताएँ जैसे कि विश्वास, साझा मूल्य और सामूहिक पहचान इस “साझेदारी की भावना” को दर्शाती हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर, वेबर ने सत्ता पर, और गॉफमैन ने नाटकीयता पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 22: भारत में “अभिजात्य वर्ग” (Elite) की संरचना का अध्ययन करते समय, निम्नलिखित में से किस पर विचार करना महत्वपूर्ण है?
- केवल राजनीतिक नेता
- केवल आर्थिक रूप से शक्तिशाली लोग
- राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और नौकरशाही शक्ति रखने वाले समूह
- केवल उच्च जाति के लोग
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: समाजशास्त्र में अभिजात्य वर्ग की अवधारणा केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। भारत जैसे जटिल समाज में, अभिजात्य वर्ग में वे व्यक्ति या समूह शामिल होते हैं जिनके पास राजनीतिक (नेता), आर्थिक (व्यवसायी, उद्योगपति), सांस्कृतिक (बुद्धिजीवी, कलाकार) और नौकरशाही (उच्च अधिकारी) क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शक्ति और प्रभाव होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी समाज के अभिजात्य वर्ग का विश्लेषण करते हुए शक्ति अभिजात्य वर्ग (Power Elite) की अवधारणा दी थी, जिसमें इसी तरह के समूहों को शामिल किया गया था।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अभिजात्य वर्ग के केवल एक पहलू या एक विशेष समूह पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि एक व्यापक समाजशास्त्रीय विश्लेषण में इन सभी आयामों को शामिल किया जाना चाहिए।
प्रश्न 23: “सामूहिक व्यवहार” (Collective Behavior) की कौन सी घटना तब होती है जब लोग बड़े पैमाने पर एक ही भावना या लक्ष्य से प्रेरित होकर एक साथ कार्य करते हैं?
- अफवाह (Rumor)
- जनसमूह (Mob)
- भीड़ (Crowd)
- जनसाधारण (Public)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: भीड़ (Crowd) वह अनौपचारिक, अस्थायी जमावड़ा है जिसमें लोग शारीरिक रूप से एक साथ उपस्थित होते हैं और किसी सामान्य उत्तेजना या लक्ष्य की ओर प्रतिक्रिया करते हैं, अक्सर तीव्र भावनाओं से प्रेरित होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: भीड़ में लोग अक्सर अपनी व्यक्तिगत पहचान खो देते हैं और समूह के व्यवहार से प्रभावित होते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भीड़ हमेशा हिंसक नहीं होती, लेकिन इसमें उच्च स्तर की भावनात्मकता और तात्कालिकता होती है।
- गलत विकल्प: अफवाह (Rumor) संचार की एक अनौपचारिक प्रणाली है। जनसाधारण (Public) विचारों का एक समूह है जो किसी सार्वजनिक मुद्दे पर राय रखता है। जनसमूह (Mob) एक प्रकार की भीड़ है जो हिंसक या विध्वंसक व्यवहार में संलग्न होती है।
प्रश्न 24: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा के अनुसार, निम्नलिखित में से क्या पहले बदलता है?
- भौतिक संस्कृति (Material Culture)
- गैर-भौतिक संस्कृति (Non-material Culture)
- दोनों एक साथ बदलते हैं।
- यह समाज पर निर्भर करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विलियम एफ. ऑग्बर्न (William F. Ogburn) द्वारा प्रस्तावित “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा के अनुसार, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, सामाजिक मानदंड, कानून) की तुलना में तेज़ी से बदलती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रौद्योगिकी के विकास के कारण समाज में तेज़ी से परिवर्तन आते हैं, लेकिन इन परिवर्तनों के अनुरूप सामाजिक मूल्यों, नियमों और संस्थाओं को ढलने में समय लगता है। इस अंतर को ही सांस्कृतिक विलंब कहा जाता है। उदाहरण के लिए, इंटरनेट का आविष्कार भौतिक संस्कृति का हिस्सा है, जबकि इंटरनेट शिष्टाचार या साइबर कानून गैर-भौतिक संस्कृति के हिस्से हैं, जो अक्सर पीछे रह जाते हैं।
- गलत विकल्प: (b) गैर-भौतिक संस्कृति आमतौर पर पीछे रह जाती है। (c) और (d) ऑग्बर्न के सिद्धांत के विपरीत हैं।
प्रश्न 25: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने “सामाजिक संस्था” (Total Institution) की अवधारणा का उपयोग किन संस्थाओं के लिए किया?
- परिवार और स्कूल
- अस्पताल और जेल
- राजनीतिक दल और धार्मिक संगठन
- कॉर्पोरेट कार्यालय और फैक्ट्री
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: इर्विंग गॉफमैन ने “Asylums” नामक अपनी पुस्तक में “सामाजिक संस्था” (Total Institution) की अवधारणा दी। यह उन संस्थाओं का वर्णन करती है जहाँ व्यक्ति अपने दैनिक जीवन के अधिकांश हिस्से को एक ही स्थान पर, एक ही सत्ता के अधिकार के तहत, और समान गतिविधियों में संलग्न होकर बिताते हैं, जिससे बाहरी दुनिया से उनका संपर्क कट जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: जेल, मठ, बोर्डिंग स्कूल, और कुछ मानसिक अस्पताल इसके उदाहरण हैं। इन संस्थाओं में, व्यक्ति के “स्व” (self) का पुनर्गठन किया जाता है और बाहरी दुनिया के नियमों से हटकर संस्था के आंतरिक नियमों का पालन करना होता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) में वर्णित संस्थाएँ आम तौर पर पूर्ण सामाजिक संस्थाएँ नहीं हैं क्योंकि वे व्यक्ति को बाहरी दुनिया के साथ पूरी तरह से अलग नहीं करतीं और दैनिक जीवन में अधिक व्यक्तिगत स्वायत्तता की अनुमति देती हैं।