इतिहास के महासागर में डुबकी लगाएँ: आज की 25 प्रश्नों की महा-परीक्षा!
नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! क्या आप अपने ज्ञान को परखने और समय की गहराइयों में उतरने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाएं हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक युग और विश्व इतिहास तक फैले हैं। ये प्रश्न आपको न केवल आपकी तैयारी का जायजा लेने में मदद करेंगे, बल्कि हर उत्तर के साथ एक नई ऐतिहासिक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करेंगे। तो, पेन उठाएं और इस ज्ञानवर्धक यात्रा पर निकल पड़ें!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा स्थल हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख बंदरगाह था?
- मोहनजोदड़ो
- हड़प्पा
- लोथल
- धौलावीरा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लोथल, जो वर्तमान गुजरात में स्थित है, एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था और हड़प्पा सभ्यता का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। यहाँ से मेसोपोटामिया जैसी दूर की सभ्यताओं के साथ व्यापार के प्रमाण मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल में एक उन्नत डॉकयार्ड (गोदी) के अवशेष मिले हैं, जो उस समय की उन्नत इंजीनियरिंग और जल प्रबंधन क्षमताओं को दर्शाते हैं। इसके अलावा, यहाँ से हाथी दांत की कंघी, मनके बनाने की कार्यशालाएं और तांबे की कुल्हाड़ियां भी मिली हैं।
- गलत विकल्प: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्रमुख शहरी केंद्र थे, लेकिन लोथल की तरह सीधे तौर पर एक प्रमुख बंदरगाह नहीं थे। धौलावीरा एक महत्वपूर्ण जल प्रबंधन स्थल था, लेकिन इसका मुख्य कार्य बंदरगाह के रूप में नहीं था।
प्रश्न 2: “दीन-ए-इलाही” की स्थापना किस मुगल सम्राट ने की थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: “दीन-ए-इलाही” की स्थापना सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी। यह एक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा थी जो विभिन्न धर्मों के सार तत्वों को मिलाकर एक नई जीवनशैली बनाने का प्रयास करती थी।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही का उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना और विभिन्न धार्मिक मतभेदों को पाटना था। यह एक औपचारिक धर्म नहीं था, बल्कि एक आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शक था। हालांकि, यह व्यापक रूप से स्वीकार्य नहीं हो सका और अकबर की मृत्यु के बाद यह अप्रचलित हो गया।
- गलत विकल्प: जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने अकबर की धार्मिक नीतियों से अलग नीतियां अपनाईं। जहाँगीर ने अपने पिता की धार्मिक उदारता को कुछ हद तक जारी रखा, लेकिन शाहजहाँ और विशेष रूप से औरंगजेब ने अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाया।
प्रश्न 3: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया था?
- कोलकाता अधिवेशन, 1928
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- कराची अधिवेशन, 1931
- फैजपुर अधिवेशन, 1936
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लाहौर अधिवेशन, 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का लक्ष्य घोषित किया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और डोमिनियन स्टेटस की मांग को पीछे छोड़ दिया।
- गलत विकल्प: कोलकाता अधिवेशन, 1928 में मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट पर विचार किया गया था, जिसने डोमिनियन स्टेटस की मांग की थी। कराची अधिवेशन, 1931 में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीतियों पर प्रस्ताव पारित हुए। फैजपुर अधिवेशन, 1936 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन था जो किसी गांव में आयोजित हुआ था।
प्रश्न 4: प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत किस वर्ष हुई थी?
- 1912
- 1914
- 1917
- 1919
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध मुख्य रूप से जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य (केंद्रीय शक्तियां) और फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली और संयुक्त राज्य अमेरिका (मित्र राष्ट्र) के बीच लड़ा गया था। इसकी शुरुआत ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या से हुई थी।
- गलत विकल्प: 1912 में बाल्कन युद्ध हुए थे। 1914 युद्ध की शुरुआत का वर्ष है। 1917 में अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ। 1919 में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसने युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन से वेद में संगीत का वर्णन है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामवेद, चारों वेदों में से एक है, जो मुख्य रूप से यज्ञों के दौरान गाए जाने वाले मंत्रों और स्तोत्रों का संग्रह है। इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामवेद के मंत्र अधिकतर ऋग्वेद से ही लिए गए हैं, लेकिन उन्हें संगीतबद्ध किया गया है। इसे ‘साम’ कहा जाता है, जो गीत या गायन का अर्थ रखता है।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसमें भजन और प्रार्थनाएं हैं। यजुर्वेद में यज्ञों के अनुष्ठानों का वर्णन है। अथर्ववेद में जादू, टोना, औषधि और रोजमर्रा के जीवन से संबंधित मंत्र हैं।
प्रश्न 6: “गांधी-इरविन समझौता” कब हुआ था?
- 1928
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समझौता महात्मा गांधी और भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत, सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया गया था और ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का वादा किया था। इस समझौते का उद्देश्य गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी सुनिश्चित करना था।
- गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन का विरोध हो रहा था। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1932 में पूना समझौता हुआ था।
प्रश्न 7: मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?
- अशोक
- बिंदुसार
- चंद्रगुप्त मौर्य
- ब्रहद्रथ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य वंश के संस्थापक थे, जिन्होंने लगभग 322 ईसा पूर्व में नंद वंश को उखाड़ फेंका और एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य (कौटिल्य) की मदद से मगध पर अधिकार किया और एक शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण किया, जिसने उत्तरी भारत के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में लिया। उनके शासनकाल में अर्थशास्त्र का लेखन हुआ, जिसे चाणक्य का ग्रंथ माना जाता है।
- गलत विकल्प: अशोक और बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य के उत्तराधिकारी थे। बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 8: भारत में ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना किसने की थी?
- भगत सिंह
- सुभाष चंद्र बोस
- लाला लाजपत राय
- महात्मा गांधी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक एक नए राजनीतिक दल की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना कांग्रेस के भीतर सुभाष चंद्र बोस के बढ़ते प्रभाव और गांधीवादी विचारधारा से उनके मतभेद के बाद हुई। इसका उद्देश्य भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए अधिक आक्रामक और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना था।
- गलत विकल्प: भगत सिंह एक क्रांतिकारी थे। लाला लाजपत राय गरम दल के नेता थे। महात्मा गांधी कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, लेकिन उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना नहीं की।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: समुद्रगुप्त को उनके विजय अभियानों और विशाल साम्राज्य के विस्तार के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि प्रसिद्ध इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने दी थी।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-375 ई.) एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक था। उसने उत्तर भारत के कई राज्यों को जीता और दक्षिण भारत के राजाओं को भी हराया। उसकी विजयों का उल्लेख इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख में मिलता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की नींव रखी थी। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) एक प्रतापी शासक था जिसने गुप्त साम्राज्य को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 10: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ किस वर्ष हुई थी?
- 1776
- 1789
- 1815
- 1848
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति 1789 में शुरू हुई थी, जो 1799 तक चली।
- संदर्भ और विस्तार: यह क्रांति फ्रांस में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल का दौर थी, जिसके परिणामस्वरूप राजशाही का अंत हुआ और गणराज्य की स्थापना हुई। इसने पूरे यूरोप और दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला, जिसने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के विचारों को बढ़ावा दिया। बास्तील का पतन (14 जुलाई 1789) क्रांति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
- गलत विकल्प: 1776 अमेरिकी क्रांति का वर्ष है। 1815 में वाटरलू का युद्ध हुआ, जिसने नेपोलियन की शक्ति का अंत कर दिया। 1848 यूरोप में क्रांतियों का वर्ष था।
प्रश्न 11: किस गुप्त शासक ने चांदी के सिक्के जारी किए थे जिन्हें ‘रूपक’ कहा जाता था?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- स्कंदगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल में चांदी के सिक्के जारी किए गए थे जिन्हें ‘रूपक’ कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय का शासनकाल (लगभग 375-415 ई.) गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उसने अपनी विजयों और व्यापार से धन अर्जित किया, और उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उसने विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किए, जिनमें चांदी के ‘रूपक’ प्रमुख थे।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने सोने के दीनार जारी किए थे। समुद्रगुप्त ने भी विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किए, लेकिन चांदी के रूपक चंद्रगुप्त द्वितीय से अधिक जुड़े हुए हैं। स्कंदगुप्त ने भी सिक्के जारी किए, लेकिन चंद्रगुप्त द्वितीय के चांदी के सिक्कों का महत्व अधिक है।
प्रश्न 12: ‘खिलाफत आंदोलन’ किस मुद्दे पर शुरू हुआ था?
- भारतीय मुसलमानों के अधिकार
- प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा का पद
- भारत में शरिया कानून का कार्यान्वयन
- उर्दू भाषा का प्रचार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: खिलाफत आंदोलन मुख्य रूप से प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा (जो उस समय ओटोमन साम्राज्य का शासक था) के प्रति ब्रिटिश सरकार के व्यवहार के विरोध में शुरू हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय मुसलमान खलीफा को इस्लाम का आध्यात्मिक प्रमुख मानते थे और युद्ध के बाद उसकी शक्ति को कम करने के ब्रिटिश प्रयासों से नाराज थे। भारत में मौलाना मोहम्मद अली और शौकत अली (अली बंधु) इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे। यह आंदोलन भारतीय राष्ट्रवाद के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि इसने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
- गलत विकल्प: हालांकि इसमें भारतीय मुसलमानों के अधिकार शामिल थे, मुख्य मुद्दा खलीफा का पद था। भारत में शरिया कानून का कार्यान्वयन या उर्दू भाषा का प्रचार इसके मुख्य कारण नहीं थे।
प्रश्न 13: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दासों का विभाग) की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोज शाह तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388) ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक विभाग की स्थापना की थी, जो गुलामों (बंधुओं) के प्रबंधन के लिए था।
- संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक बड़ी संख्या में गुलामों को खरीदता था और उन्हें प्रशिक्षित करके विभिन्न सरकारी और सैन्य पदों पर नियुक्त करता था। यह उसकी एक अनूठी प्रशासनिक व्यवस्था थी, हालांकि इसने बाद में सल्तनत को कमजोर करने में भी भूमिका निभाई। उसने नहरों, अस्पतालों और मस्जिदों के निर्माण जैसे जन कल्याणकारी कार्य भी किए।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (40 तुर्क सरदारों का समूह) का गठन किया था। बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) को मजबूत किया। अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (भूराजस्व विभाग) की स्थापना की थी।
प्रश्न 14: ‘जालियांवाला बाग हत्याकांड’ कब हुआ था?
- 1918
- 1919
- 1920
- 1921
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जालियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: जनरल रेजिनाल्ड डायर के आदेश पर ब्रिटिश सैनिकों ने निहत्थे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक काला दिन मानी जाती है और इसने ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीयों के गुस्से को और भड़का दिया।
- गलत विकल्प: 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। 1919 में यह जघन्य हत्याकांड हुआ। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। 1921 में चौरी-चौरा की घटना हुई।
प्रश्न 15: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
- कृष्ण देवराय
- हरिहर और बुक्का
- देवराय द्वितीय
- श्री कृष्ण देवराय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इन दोनों भाइयों ने वारंगल के काकतीय वंश के शासन के अंत के बाद तुंगभद्रा नदी के किनारे इस शक्तिशाली दक्षिण भारतीय साम्राज्य की नींव रखी। विजयनगर अपनी कला, वास्तुकला, साहित्य और सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। कृष्ण देवराय इस वंश के सबसे प्रतापी शासकों में से एक थे।
- गलत विकल्प: कृष्ण देवराय विजयनगर के एक महान शासक थे, लेकिन संस्थापक नहीं। देवराय द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक थे।
प्रश्न 16: ‘सहायक संधि प्रणाली’ (Subsidiary Alliance) किसने शुरू की थी?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सहायक संधि प्रणाली को लॉर्ड वेलेस्ली, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल थे, ने शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना भंग कर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को अपने राज्य में रखना होता था और उसके खर्च का वहन करना पड़ता था। इसके बदले में, कंपनी उस शासक को बाहरी खतरों से सुरक्षा प्रदान करती थी और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती थी (जो कि अक्सर केवल नाममात्र का होता था)। इस प्रणाली का उपयोग करके वेलेस्ली ने भारत में ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार किया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का उन्मूलन किया।
प्रश्न 17: ऋग्वैदिक काल में ‘सभा’ और ‘समिति’ क्या थीं?
- जनता के धार्मिक संस्थान
- प्रशासनिक संस्थाएं
- सैन्य इकाइयां
- व्यापारिक निकाय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऋग्वैदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में ‘सभा’ और ‘समिति’ दो महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक संस्थाएं थीं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सभा’ बुजुर्गों और प्रमुख लोगों की एक परिषद थी, जबकि ‘समिति’ सामान्य लोगों की एक विस्तृत सभा थी। ये दोनों संस्थाएं राजा को सलाह देती थीं और महत्वपूर्ण राजकीय निर्णयों में भाग लेती थीं। वे कबीले के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती थीं।
- गलत विकल्प: ये धार्मिक संस्थान नहीं थे, बल्कि राजनीतिक-प्रशासनिक निकाय थे। वे सैन्य इकाइयां या व्यापारिक निकाय भी नहीं थे।
प्रश्न 18: 1857 के विद्रोह को ‘सिपाही विद्रोह’ किसने कहा था?
- कार्ल मार्क्स
- सर जॉन लॉरेंस
- आर.सी. मजूमदार
- वी.डी. सावरकर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सर जॉन लॉरेंस और सीली (Seeley) जैसे ब्रिटिश इतिहासकारों ने 1857 के विद्रोह को केवल ‘सिपाही विद्रोह’ या ‘सैन्य विद्रोह’ के रूप में वर्णित किया था, यह तर्क देते हुए कि यह विद्रोह सीमित था और इसमें भारतीय जनता की व्यापक भागीदारी नहीं थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण यह दर्शाने के लिए था कि यह केवल ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों द्वारा किया गया विद्रोह था, न कि स्वतंत्रता संग्राम। हालाँकि, आर.सी. मजूमदार जैसे भारतीय इतिहासकार इस मत से असहमत हैं और इसे ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ मानते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने इसे ‘पूर्वी प्रश्न’ का हिस्सा माना। आर.सी. मजूमदार ने इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा। वी.डी. सावरकर ने भी इसे ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ के रूप में चित्रित किया।
प्रश्न 19: चालुक्य वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?
- पुलकेशिन प्रथम
- कीर्तिवर्मन प्रथम
- पुलकेशिन द्वितीय
- विक्रमादित्य द्वितीय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: पुलकेशिन द्वितीय (शासनकाल लगभग 609-642 ई.) वातापी के चालुक्य वंश का सबसे महान और प्रसिद्ध शासक था।
- संदर्भ और विस्तार: पुलकेशिन द्वितीय अपनी सैन्य उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। उसने उत्तर में सम्राट हर्षवर्धन को नर्मदा नदी के तट पर हराया था, जिसका उल्लेख ऐहोल शिलालेख में मिलता है। वह कला और वास्तुकला का भी संरक्षक था।
- गलत विकल्प: पुलकेशिन प्रथम ने चालुक्य वंश की नींव रखी थी। कीर्तिवर्मन प्रथम पुलकेशिन द्वितीय का पूर्वज था। विक्रमादित्य द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक था, जिसने कांची के पल्लवों को हराया था।
प्रश्न 20: ‘कठिन परिश्रम से कोई लाभ नहीं है, यदि वह सही दिशा में न किया जाए।’ यह कथन किस आंदोलन से सर्वाधिक रूप से जुड़ा है?
- पूर्ण स्वराज आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: यह कथन महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन (1920-1922) के दौरान दिया गया था। यह इस आंदोलन के मूल सिद्धांतों में से एक था कि केवल ‘सही’ तरीके से किया गया प्रयास ही सफल होगा।
- संदर्भ और विस्तार: असहयोग आंदोलन का लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के साथ हर संभव स्तर पर सहयोग न करना था। गांधीजी का मानना था कि केवल प्रयास की दिशा ही नहीं, बल्कि प्रयास की गुणवत्ता और शुद्धता भी महत्वपूर्ण है। यह कथन अहिंसा और सत्याग्रह के उनके दर्शन को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: अन्य आंदोलन भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन यह विशेष कथन और दर्शन असहयोग आंदोलन के साथ सबसे अधिक निकटता से जुड़ा हुआ है, जो अहिंसक प्रतिरोध के महत्व पर बल देता था।
प्रश्न 21: किस वर्ष भारत को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन से सीधे ब्रिटिश क्राउन के शासन के अधीन लाया गया?
- 1853
- 1857
- 1858
- 1909
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह के बाद, 1858 में ‘भारत सरकार अधिनियम’ पारित किया गया, जिसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन (महारानी विक्टोरिया) के अधीन कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने भारत के गवर्नर-जनरल का पद बदलकर वायसराय कर दिया और भारत के लिए एक राज्य सचिव (Secretary of State for India) का पद बनाया। इसका उद्देश्य भारत में शासन की व्यवस्था में सुधार करना और भविष्य में विद्रोह को रोकना था।
- गलत विकल्प: 1853 में चार्ल्स वुड का डिस्पैच आया था। 1857 विद्रोह का वर्ष है। 1909 में मार्ले-मिंटो सुधार लागू हुए।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस इंडो-ग्रीक शासक ने सबसे पहले अपने सिक्कों पर अपने चित्रों के साथ-साथ ग्रीक अक्षरों में अपना नाम भी अंकित करवाया?
- डेमेट्रियस
- मेनांडर
- एंटियालकिदस
- पॉलिक्लीटस
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मेनांडर (Menander I) एक महत्वपूर्ण इंडो-ग्रीक शासक था जिसने अपने सिक्कों पर अपनी प्रतिमा के साथ-साथ ग्रीक लिपि में अपना नाम लिखवाया।
- संदर्भ और विस्तार: मेनांडर (लगभग 165-145 ईसा पूर्व) ने बैक्टीरिया और भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया। वह बौद्ध धर्म का एक महान संरक्षक था और प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागसेन से उसकी बातचीत का वर्णन ‘मिलिंदपन्ह’ नामक ग्रंथ में मिलता है। उसके सिक्के न केवल व्यापार के लिए बल्कि उसके शासन और सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: डेमेट्रियस इंडो-ग्रीक साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है। एंटियालकिदस ने गरुड़ के प्रतीक वाले सिक्के जारी किए। पॉलिक्लीटस का सिक्कों पर उल्लेख कम है।
प्रश्न 23: ‘चौरी-चौरा घटना’ के कारण कौन सा आंदोलन स्थगित कर दिया गया था?
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- नमक सत्याग्रह
- असहयोग आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चौरी-चौरा घटना (फरवरी 1922) के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया।
- संदर्भ और विस्तार: चौरी-चौरा (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) में आंदोलनकारियों की एक भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। गांधीजी, जो अहिंसा के प्रबल समर्थक थे, इस हिंसा से बहुत दुखी हुए और उन्होंने महसूस किया कि आंदोलन अपनी अहिंसक प्रकृति से भटक गया है, इसलिए इसे स्थगित करना आवश्यक है।
- गलत विकल्प: सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में शुरू हुआ। नमक सत्याग्रह उसी का हिस्सा था। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में हुआ।
प्रश्न 24: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ (श्रेणी) का मुखिया क्या कहलाता था?
- श्राष्ठिन्
- सार्थवाह
- कुलिक
- अध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्राचीन भारत में, विभिन्न शिल्पकारों और व्यापारियों के गिल्ड (श्रेणी) के मुखिया को ‘श्राष्ठिन्’ (Shreshthinin) कहा जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: श्राष्ठिन् न केवल गिल्ड के प्रबंधन और उसके सदस्यों के हितों की रक्षा करते थे, बल्कि वे अक्सर आर्थिक और सामाजिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वे स्थानीय प्रशासन में भी शामिल हो सकते थे और उनके पास अपनी स्वयं की नियम-कानून बनाने की शक्ति होती थी।
- गलत विकल्प: ‘सार्थवाह’ कारवां के मुखिया होते थे। ‘कुलिक’ शिल्पकार संघ का प्रधान होता था। ‘अध्यक्ष’ एक सामान्य शब्द है जिसका अर्थ ‘प्रमुख’ होता है, लेकिन श्राष्ठिन् गिल्ड के मुखिया के लिए विशेष शब्द था।
प्रश्न 25: ‘वांडीवाश का युद्ध’ (Battle of Wandiwash) किन यूरोपीय शक्तियों के बीच लड़ा गया था?
- फ्रांस और पुर्तगाल
- ब्रिटेन और डच
- फ्रांस और ब्रिटेन
- डच और पुर्तगाल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: वांडीवाश का युद्ध 22 जनवरी 1760 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध भारत में ब्रिटिश और फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रभुत्व के लिए चल रहे कर्नाटक युद्धों की श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस युद्ध में ब्रिटिश सेना ने फ्रांसीसी सेना को निर्णायक रूप से पराजित किया, जिससे भारत में फ्रांसीसी शक्ति का अंत हो गया और ब्रिटिश प्रभुत्व की नींव मजबूत हुई।
- गलत विकल्प: पुर्तगाली और डच पहले ही भारत में अपनी शक्ति गंवा चुके थे और इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं थे। यह युद्ध मुख्य रूप से ब्रिटेन और फ्रांस के बीच था।