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8.7 तीव्रता का भूकंप: रूस तट पर प्रलय, अमेरिका-जापान में सुनामी की चेतावनी – UPSC की तैयारी के लिए संपूर्ण विश्लेषण

8.7 तीव्रता का भूकंप: रूस तट पर प्रलय, अमेरिका-जापान में सुनामी की चेतावनी – UPSC की तैयारी के लिए संपूर्ण विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, रूस के सुदूर पूर्वी तट पर 8.7 तीव्रता का एक विनाशकारी भूकंप आया। इस शक्तिशाली भूगर्भीय घटना ने न केवल उस क्षेत्र में भारी तबाही मचाई, बल्कि प्रशांत महासागर के पार अमेरिका के पश्चिमी तट और जापान जैसे देशों में भी सुनामी की चेतावनी जारी करने पर मजबूर कर दिया। यह घटना भूविज्ञान, आपदा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और मानव सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। UPSC की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का गहन विश्लेषण कई महत्वपूर्ण विषयों को समझने में सहायक होगा, जिसमें प्लेट टेक्टोनिक्स, भूकंपीय तरंगें, सुनामी का निर्माण और प्रसार, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र शामिल हैं।

भूकंप, जो पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने को कहते हैं, हमारे ग्रह की गतिशील प्रकृति का एक शक्तिशाली प्रमाण है। 8.7 की तीव्रता वाला भूकंप अत्यंत दुर्लभ और विनाशकारी होता है, जो अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को तहस-नहस करने की क्षमता रखता है। इस विशेष मामले में, रूस के तट पर इसका प्रभाव भयावह था, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम के रूप में अमेरिका और जापान में सुनामी की चेतावनी ने इसकी वैश्विक प्रासंगिकता को और बढ़ा दिया।

भूकंप विज्ञान कीabc: 8.7 तीव्रता का मतलब क्या है?

सबसे पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि भूकंप की तीव्रता को कैसे मापा जाता है। भूकंप की भयावहता को मापने के लिए दो मुख्य पैमानों का उपयोग किया जाता है: **रिक्टर पैमाना (Richter Scale)** और **मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल (Moment Magnitude Scale)**। हालांकि रिक्टर पैमाना अधिक प्रसिद्ध है, मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल 1970 के दशक के बाद से अधिक वैज्ञानिक रूप से सटीक माना जाता है, खासकर बड़े भूकंपों के लिए। यह पैमाना भूकंप के दौरान छोड़ी गई कुल ऊर्जा को मापता है, जिसमें भूकंप की उत्पत्ति क्षेत्र का आकार, फॉल्ट की लंबाई और फिसलन की मात्रा शामिल है।

8.7 की तीव्रता वाले भूकंप का मतलब है:

  • अत्यधिक विनाशकारी: 8.0 से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप “महान भूकंप” (Great Earthquakes) की श्रेणी में आते हैं। ये भूकंप विनाशकारी होते हैं और व्यापक तबाही मचा सकते हैं, जो सैकड़ों मील की दूरी तक महसूस किए जा सकते हैं।
  • ऊर्जा का विशाल भंडार: हर एक अंक की वृद्धि रिक्टर या मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल पर भूकंप की तीव्रता में लगभग 32 गुना वृद्धि को दर्शाती है। इसका मतलब है कि 8.7 तीव्रता का भूकंप 7.7 तीव्रता के भूकंप से 32 x 32 x 32 (लगभग 32,768) गुना अधिक ऊर्जा छोड़ता है।
  • दीर्घकालिक झटके: ऐसे बड़े भूकंप के बाद कई दिनों, हफ्तों और महीनों तक शक्तिशाली आफ्टरशॉक्स (aftershocks) महसूस किए जा सकते हैं, जो राहत और पुनर्वास कार्यों में बाधा डाल सकते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो: कल्पना कीजिए कि आप एक पानी से भरे बर्तन को तेजी से हिला रहे हैं। रिक्टर पैमाना यह मापता है कि पानी कितनी बार और कितनी तेजी से हिल रहा है, जबकि मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल यह मापता है कि आपने बर्तन को हिलाने के लिए कितनी ताकत लगाई। 8.7 की तीव्रता वाले भूकंप के मामले में, ऐसा है मानो किसी विशालकाय ने पृथ्वी के अंदर से भारी भरकम चट्टान को अचानक सरका दिया हो, जिससे ऊर्जा का एक अकल्पमान विस्फोट हुआ हो।

रूस के तट पर विनाश: क्या हुआ और क्यों?

इस भूकंप का केंद्र रूस के सुदूर पूर्वी तट के पास प्रशांत महासागर में स्थित था। यह क्षेत्र **पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire)** का हिस्सा है, जो एक घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है जहाँ दुनिया के अधिकांश भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह क्षेत्र **प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate Tectonics)** के संदर्भ में अत्यंत सक्रिय है।

प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की चलती हुई परतें

हमारी पृथ्वी की सतह एक ठोस कवच नहीं है, बल्कि कई विशाल “प्लेटों” से बनी है जो लगातार धीरे-धीरे खिसक रही हैं। इन प्लेटों को **लिथोस्फेरिक प्लेटें (Lithospheric Plates)** कहा जाता है। ये प्लेटें पृथ्वी के अंदर पिघले हुए चट्टानों (मैग्मा) की परतों पर तैरती हैं, जिन्हें **एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere)** कहा जाता है। इन प्लेटों की गति के कारण तीन मुख्य प्रकार की सीमाएँ बनती हैं:

  1. अभिसारी सीमाएँ (Convergent Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं। यह अक्सर तब होता है जब एक महाद्वीपीय प्लेट एक महासागरीय प्लेट से टकराती है, जहाँ महासागरीय प्लेट नीचे की ओर धंस जाती है (सबडक्शन – Subduction)। यह सबडक्शन ज़ोन बड़े भूकंपों और ज्वालामुखी गतिविधि का प्रमुख कारण हैं।
  2. अपसारी सीमाएँ (Divergent Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं। यहाँ नया क्रस्ट बनता है, जैसे कि मध्य-अटलांटिक रिज (Mid-Atlantic Ridge)।
  3. रूपांतरित सीमाएँ (Transform Boundaries): जहाँ प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं, जैसे कि सैन एंड्रियास फॉल्ट (San Andreas Fault) कैलिफ़ोर्निया में।

रूस के सुदूर पूर्वी तट के पास का क्षेत्र **पैसिफिक प्लेट (Pacific Plate)** और **ओखोटस्क प्लेट (Okhotsk Plate)** (जिसे कभी-कभी उत्तरी अमेरिकी प्लेट का हिस्सा माना जाता है) के बीच अभिसारी सीमा पर स्थित है। यहाँ, पैसिफिक प्लेट ओखोटस्क प्लेट के नीचे सबडक्ट कर रही है। सबडक्शन ज़ोन भूकंपों के लिए सबसे अधिक प्रवण क्षेत्र हैं, खासकर बड़े भूकंपों के लिए, क्योंकि प्लेटों के फंसने और फिर अचानक टूटने से भारी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।

फॉल्ट और स्ट्रेस (Faults and Stress):

जब प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, तो चट्टानों पर भारी दबाव (स्ट्रेस) पड़ता है। यह दबाव धीरे-धीरे जमा होता जाता है जब तक कि चट्टानें उस तनाव को सहन नहीं कर पातीं। जब तनाव चट्टानों की सहनशीलता से अधिक हो जाता है, तो वे एक **फॉल्ट (Fault)** या दरार के साथ अचानक टूट जाती हैं। इस अचानक विस्थापन के कारण पृथ्वी की सतह हिलती है, जिसे हम भूकंप के रूप में अनुभव करते हैं।

8.7 तीव्रता के भूकंप के लिए, इसका मतलब है कि सबडक्शन ज़ोन में फॉल्ट लाइन का एक बहुत बड़ा हिस्सा अचानक खिसक गया। यह इतना शक्तिशाली था कि इसने पृथ्वी की पपड़ी में भारी दरार पैदा की और भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ी।

सुनामी की चेतावनी: जब भूकंप समुद्र को हिलाता है

इस भूकंप की एक और महत्वपूर्ण विशेषता प्रशांत महासागर के पार सुनामी की चेतावनी जारी होना था। सुनामी, जिसे अक्सर “समुद्री भूकंप लहर” कहा जाता है, समुद्र तल पर होने वाली किसी बड़ी गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होने वाली विशाल लहरों की एक श्रृंखला है।

सुनामी कैसे बनती है?

सुनामी के निर्माण के लिए सबसे आम कारण समुद्र तल पर होने वाले बड़े भूकंप हैं। जब भूकंप का केंद्र समुद्र के नीचे होता है और उसमें पर्याप्त लंबवत (ऊपर-नीचे) गति होती है, तो यह समुद्र तल को ऊपर या नीचे धकेल सकता है। यह अचानक विस्थापन समुद्र में पानी के एक बड़े स्तंभ को भी ऊपर या नीचे धकेल देता है, जिससे लहरों की एक श्रृंखला बनती है जो सभी दिशाओं में फैलती है।

सुनामी के निर्माण के लिए आवश्यक स्थितियाँ:

  • गहराई: भूकंप का केंद्र सतह के अपेक्षाकृत करीब होना चाहिए (आमतौर पर 100 किमी से कम)।
  • परिमाण: भूकंप की तीव्रता आमतौर पर 7.0 से अधिक होनी चाहिए।
  • प्रकार: भूकंप में लंबवत गति (ऊपर-नीचे) होनी चाहिए, जैसे कि थ्रस्ट फॉल्ट (Thrust Fault) या रिवर्स फॉल्ट (Reverse Fault) के कारण होने वाले भूकंप। क्षैतिज (साइड-टू-साइड) गति से सुनामी उत्पन्न होने की संभावना कम होती है।

इस मामले में, रूस के तट के पास 8.7 तीव्रता का भूकंप, संभवतः एक थ्रस्ट फॉल्ट के कारण, समुद्र तल में पर्याप्त विस्थापन का कारण बना, जिसने सुनामी को ट्रिगर किया।

सुनामी का प्रसार:

जब सुनामी उत्पन्न होती है, तो यह समुद्र की सतह पर एक छोटी सी लहर के रूप में शुरू होती है, लेकिन गहरे समुद्र में इसकी गति अविश्वसनीय रूप से तेज हो सकती है – कभी-कभी 800 किलोमीटर प्रति घंटे (500 मील प्रति घंटे) से भी अधिक, जो एक जेट विमान की गति के बराबर है। गहरे समुद्र में, लहरें ऊंची नहीं होतीं; वे कुछ सेंटीमीटर से लेकर कुछ मीटर तक ऊंची हो सकती हैं, लेकिन उनकी लंबाई (एक लहर के शिखर से दूसरे शिखर तक की दूरी) बहुत अधिक होती है, कभी-कभी 200 किलोमीटर तक।

जैसे-जैसे सुनामी तट के पास पहुंचती है, समुद्र की गहराई कम होती जाती है। इससे लहर की गति धीमी हो जाती है, लेकिन इसकी ऊंचाई नाटकीय रूप से बढ़ जाती है। यह वही है जो सुनामी को तट पर इतना विनाशकारी बनाता है। कल्पना कीजिए कि आप एक लंबी, संकरी नाव पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जैसे ही आप एक संकीर्ण खाड़ी में प्रवेश करते हैं, नाव धीमी हो जाती है, लेकिन पानी उस संकीर्णता के कारण ऊपर की ओर चढ़ता है, जिससे लहरें ऊंची हो जाती हैं।

अमेरिका और जापान में चेतावनी:

प्रशांत महासागर की विशालता के कारण, इस भूकंप से उत्पन्न सुनामी हजारों किलोमीटर की यात्रा कर सकती थी। प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र (Pacific Tsunami Warning Center) और अन्य एजेंसियां ​​भूकंपीय डेटा का उपयोग करके सुनामी के संभावित खतरे का अनुमान लगाती हैं। जब यह स्पष्ट हो जाता है कि एक विनाशकारी सुनामी उत्पन्न हुई है, तो प्रभावित देशों में प्रारंभिक चेतावनी जारी की जाती है। यह चेतावनी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का समय देती है।

“सुनामी एक धीमी गति से आने वाली मौत की तरह है। इसकी शक्ति तब पता चलती है जब यह तट पर पहुंचती है, जहाँ यह पूरी तबाही मचा देती है।”

आपदा प्रबंधन और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Disaster Management and Early Warning Systems):

यह घटना आपदा प्रबंधन प्रणालियों की प्रभावशीलता और सुधार की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली:

प्रशांत रिंग ऑफ फायर में स्थित देशों के लिए, प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन प्रणालियों में शामिल हैं:

  • भूकंपीय नेटवर्क: दुनिया भर में फैले भूकंपमापी (seismometers) भूकंपीय तरंगों का पता लगाते हैं और भूकंप के स्थान, गहराई और परिमाण का तुरंत अनुमान लगाते हैं।
  • समुद्री तल दाब सेंसर: ये सेंसर समुद्र तल पर पानी के स्तर में मामूली बदलाव का पता लगा सकते हैं, जो सुनामी के गुजरने पर होता है।
  • बॉय (Buoys): महासागर में तैरते हुए ये बॉय डेटा रिले करते हैं जो सुनामी की उपस्थिति और आकार की पुष्टि करते हैं।
  • संचार नेटवर्क: चेतावनियों को सरकारों, स्थानीय अधिकारियों और जनता तक पहुँचाने के लिए विश्वसनीय संचार प्रणालियाँ आवश्यक हैं।

कैसे काम करती है: जब भूकंप का पता चलता है, तो यह डेटा स्वचालित रूप से विश्लेषण के लिए चेतावनियों केंद्रों को भेजा जाता है। यदि भूकंपीय पैरामीटर सुनामी के उत्पादन का संकेत देते हैं, तो समुद्र में सेंसर से प्राप्त डेटा की पुष्टि के लिए इंतजार किया जा सकता है, या सीधे प्रारंभिक चेतावनी जारी की जा सकती है। लक्ष्य जितना संभव हो उतना जल्दी चेतावनी देना है, भले ही इसमें कुछ अनिश्चितता हो।

सुनामी जागरूकता और प्रतिक्रिया:

केवल चेतावनी जारी करना पर्याप्त नहीं है; लोगों को यह भी जानना होगा कि चेतावनी का जवाब कैसे देना है। इसमें शामिल हैं:

  • शिक्षा और प्रशिक्षण: समुदायों को सुनामी के संकेतों (जैसे समुद्र का अचानक पीछे हटना) और निकासी मार्गों के बारे में शिक्षित करना।
  • निकासी योजनाएँ: स्पष्ट और प्रभावी निकासी योजनाएँ विकसित करना और उनका नियमित अभ्यास करना।
  • भवन निर्माण नियम: तटवर्ती क्षेत्रों में भूकंप और सुनामी प्रतिरोधी संरचनाओं का निर्माण।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: मुख्य बिंदु

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं को छूती है:

भूगोल (Geography):

  • प्लेट टेक्टोनिक्स: पृथ्वी की सतह की गतियाँ, सीमाएँ (अभिसारी, अपसारी, रूपांतरित), सबडक्शन ज़ोन, भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि से उनका संबंध।
  • भूकंपीय तरंगें: P-तरंगें, S-तरंगें, सतह तरंगें; उनका व्यवहार और पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी।
  • भूकंपीय पैमाना: रिक्टर और मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल।
  • सुनामी: निर्माण, प्रसार, और तटीय क्षेत्रों पर प्रभाव।
  • भौगोलिक क्षेत्र: पैसिफिक रिंग ऑफ फायर, भू-राजनीतिक महत्व।

पर्यावरण (Environment):

  • प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप और सुनामी एक प्रमुख प्राकृतिक आपदा हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर सुनामी का प्रभाव, भूमि क्षरण, जल प्रदूषण।

आंतरिक सुरक्षा (Internal Security):

  • आपदा प्रबंधन: भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति, भारत में आपदा प्रबंधन की संरचना (NDRF, SDRF), प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सुनामी चेतावनी प्रणालियों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):

  • भू-राजनीति: पैसिफिक क्षेत्र में देशों के बीच सहयोग और समन्वय।
  • मानवीय सहायता: आपदाओं के बाद अंतर्राष्ट्रीय सहायता का आदान-प्रदान।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology):

  • भूकंपमापी (Seismology): भूकंप का पता लगाने और मापने के लिए प्रौद्योगिकियां।
  • संचार प्रौद्योगिकियां: प्रारंभिक चेतावनियों के प्रसार के लिए।
  • सामग्री विज्ञान: भूकंप प्रतिरोधी संरचनाओं का विकास।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटना कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है:

  • भविष्यवाणी की अनिश्चितता: भूकंपों की भविष्यवाणी करना (कब, कहाँ और कितना बड़ा होगा) अभी भी विज्ञान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
  • प्रारंभिक चेतावनियों की गति: कुछ मामलों में, भूकंप इतने अचानक और तीव्र हो सकते हैं कि चेतावनी जारी करने और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचने के लिए बहुत कम समय मिले।
  • बुनियादी ढाँचा: कई विकासशील देशों में, भूकंप प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे और प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का अभाव है।
  • जन जागरूकता: जन जागरूकता और प्रतिक्रिया की कमी बड़े पैमाने पर हताहतों का कारण बन सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: हालांकि सीधे तौर पर भूकंप से संबंधित नहीं है, जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा सकता है, जिससे आपदाओं के प्रति भेद्यता बढ़ सकती है।

आगे की राह:

  • अनुसंधान और विकास: भूकंपों की भविष्यवाणी और उनके प्रभावों को कम करने के लिए उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान में निवेश।
  • प्रौद्योगिकी का एकीकरण: प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों, संचार और निगरानी के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग।
  • क्षमता निर्माण: विकासशील देशों में आपदा प्रबंधन क्षमता का निर्माण और मजबूत करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जानकारी, प्रौद्योगिकी और संसाधनों को साझा करने के लिए देशों के बीच सहयोग बढ़ाना।
  • समुदाय-आधारित दृष्टिकोण: स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें आपदा तैयारियों में सक्रिय भागीदार बनाना।

निष्कर्ष (Conclusion):

रूस के तट पर 8.7 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद की सुनामी की चेतावनी एक गंभीर अनुस्मारक है कि हमारी पृथ्वी एक गतिशील और कभी-कभी खतरनाक स्थान है। यह घटना UPSC उम्मीदवारों के लिए भूविज्ञान, आपदा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानव सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को गहराई से समझने का एक अवसर प्रदान करती है। प्लेट टेक्टोनिक्स के सिद्धांतों से लेकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की प्रभावशीलता तक, इस घटना के हर पहलू का विश्लेषण हमें प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ तैयार रहने और हमारे समुदायों को सुरक्षित बनाने के तरीकों में सुधार करने में मदद करता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार की जा रही है, लेकिन सबसे प्रभावी सुरक्षा अभी भी ज्ञान, तैयारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में निहित है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता में एक अंक की वृद्धि का अर्थ है:
    (a) आयाम में 10 गुना वृद्धि और ऊर्जा में 100 गुना वृद्धि
    (b) आयाम में 10 गुना वृद्धि और ऊर्जा में 32 गुना वृद्धि
    (c) आयाम में 32 गुना वृद्धि और ऊर्जा में 10 गुना वृद्धि
    (d) आयाम में 100 गुना वृद्धि और ऊर्जा में 10 गुना वृद्धि
    उत्तर: (b) आयाम में 10 गुना वृद्धि और ऊर्जा में 32 गुना वृद्धि।
    व्याख्या: रिक्टर पैमाने पर प्रत्येक पूर्ण संख्या के लिए, आयाम में 10 गुना वृद्धि और ऊर्जा में लगभग 32 गुना वृद्धि होती है।
  2. प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र “पैसिफिक रिंग ऑफ फायर” का हिस्सा नहीं है?
    (a) जापान
    (b) इंडोनेशिया
    (c) चिली
    (d) आइसलैंड
    उत्तर: (d) आइसलैंड
    व्याख्या: पैसिफिक रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के किनारों पर स्थित एक चापाकार क्षेत्र है जहाँ अधिकांश ज्वालामुखी और भूकंप आते हैं। आइसलैंड मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थित है, जो एक अपसारी सीमा है, न कि अभिसारी।
  3. प्रश्न 3: सुनामी के निर्माण के लिए निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति सबसे आवश्यक है?
    (a) समुद्र तल पर 5.0 से कम तीव्रता का भूकंप।
    (b) महाद्वीपीय शेल्फ पर एक छोटा सा भूस्खलन।
    (c) समुद्र तल के पास एक 7.0 से अधिक तीव्रता का भूकंप जिसमें लंबवत गति हो।
    (d) समुद्र में एक बड़े उल्कापिंड का गिरना।
    उत्तर: (c) समुद्र तल के पास एक 7.0 से अधिक तीव्रता का भूकंप जिसमें लंबवत गति हो।
    व्याख्या: सुनामी के निर्माण के लिए मुख्य रूप से समुद्र तल पर बड़े भूकंपों की आवश्यकता होती है जो समुद्र के पानी को विस्थापित करें, विशेष रूप से थ्रस्ट फॉल्ट के कारण।
  4. प्रश्न 4: प्लेट टेक्टोनिक्स के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी सीमाएं आमतौर पर सबसे बड़े भूकंपों से जुड़ी होती हैं?
    (a) अपसारी सीमाएं
    (b) रूपांतरित सीमाएं
    (c) अभिसारी सीमाएं
    (d) ये सभी
    उत्तर: (c) अभिसारी सीमाएं
    व्याख्या: अभिसारी सीमाएं, विशेष रूप से सबडक्शन ज़ोन, प्लेटों के टकराने और फंसे होने के कारण सबसे बड़े भूकंपों के लिए जिम्मेदार हैं।
  5. प्रश्न 5: प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    (a) आपदा के कारण को समझना
    (b) आपदा के बाद राहत सामग्री भेजना
    (c) लोगों को सूचित करना ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकें
    (d) भविष्य के भूकंपों की भविष्यवाणी करना
    उत्तर: (c) लोगों को सूचित करना ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकें
    व्याख्या: प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का प्राथमिक लक्ष्य प्रभावित आबादी को संभावित खतरे के बारे में जल्द से जल्द सूचित करके हताहतों को कम करना है।
  6. प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा भूकंपीय तरंगों का एक प्रकार है जो पृथ्वी के आंतरिक भाग से होकर नहीं गुजरता?
    (a) P-तरंगें (Primary Waves)
    (b) S-तरंगें (Secondary Waves)
    (c) सतह तरंगें (Surface Waves)
    (d) ये सभी पृथ्वी के आंतरिक भाग से गुजरते हैं
    उत्तर: (c) सतह तरंगें (Surface Waves)
    व्याख्या: P-तरंगें और S-तरंगें दोनों पृथ्वी के आंतरिक भाग से गुजरती हैं, लेकिन S-तरंगें तरल कोर से नहीं गुजर सकतीं। सतह तरंगें पृथ्वी की सतह के पास चलती हैं और आंतरिक भाग से नहीं गुजरतीं।
  7. प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा एक सुनामी का कारण बन सकता है?
    (a) पृथ्वी के वायुमंडल में एक बड़ा सौर तूफान।
    (b) समुद्र के नीचे अचानक टेक्टोनिक प्लेट का विस्थापन।
    (c) एक बड़ी ज्वालामुखी धूल का बादल।
    (d) भूमि पर एक बड़ा शहरी भूकंप।
    उत्तर: (b) समुद्र के नीचे अचानक टेक्टोनिक प्लेट का विस्थापन।
    व्याख्या: समुद्र तल पर अचानक टेक्टोनिक गतिविधि (जैसे भूकंप) पानी को विस्थापित कर सुनामी उत्पन्न करती है।
  8. प्रश्न 8: भारत में आपदा प्रबंधन के लिए कौन सी एजेंसी नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है?
    (a) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
    (b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
    (c) राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC)
    (d) भारतीय सेना
    उत्तर: (b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
    व्याख्या: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नीति निर्माण, योजना और समन्वय के लिए नोडल एजेंसी है।
  9. प्रश्न 9: गहरे समुद्र में, सुनामी की लहरों की विशेषताएं क्या होती हैं?
    (a) उच्च ऊंचाई और धीमी गति
    (b) कम ऊंचाई और तेज गति
    (c) उच्च ऊंचाई और तेज गति
    (d) कम ऊंचाई और धीमी गति
    उत्तर: (b) कम ऊंचाई और तेज गति
    व्याख्या: गहरे समुद्र में, सुनामी की लहरें बहुत लंबी (लंबी तरंग दैर्ध्य) और बहुत ऊंची नहीं होतीं, लेकिन बहुत तेज गति से यात्रा करती हैं।
  10. प्रश्न 10: प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र (PTWC) का प्राथमिक कार्य क्या है?
    (a) भूकंपों की भविष्यवाणी करना
    (b) प्रशांत क्षेत्र के लिए सुनामी की निगरानी और चेतावनी जारी करना
    (c) सुनामी के बाद पुनर्वास कार्य का समन्वय करना
    (d) भूकंपीय डेटा का विश्लेषण कर पृथ्वी के आंतरिक भाग का अध्ययन करना
    उत्तर: (b) प्रशांत क्षेत्र के लिए सुनामी की निगरानी और चेतावनी जारी करना
    व्याख्या: PTWC प्रशांत क्षेत्र में सुनामी के खतरों की निगरानी करता है और सुनामी की घटनाओं के बाद प्रारंभिक चेतावनी जारी करता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: “प्लेट टेक्टोनिक्स” के सिद्धांत की व्याख्या करें और बताएं कि कैसे अभिसारी सीमाएं, विशेष रूप से सबडक्शन ज़ोन, विनाशकारी भूकंपों के निर्माण के लिए जिम्मेदार हैं। “पैसिफिक रिंग ऑफ फायर” के संदर्भ में इसका विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: सुनामी के निर्माण, प्रसार और तटीय क्षेत्रों पर विनाशकारी प्रभावों का वर्णन करें। सुनामी से जुड़े जोखिमों को कम करने में प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की भूमिका का मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: भारत की आपदा प्रबंधन प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा करें। हाल की प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में, प्रारंभिक चेतावनी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति के लिए प्रभावी तंत्र सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों की भूमिका का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: समसामयिक घटनाओं के संदर्भ में, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालें। प्रशांत क्षेत्र में भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं के प्रबंधन में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका की जांच करें। (250 शब्द, 15 अंक)

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