सिंदूर पर बहस: लोकसभा में थरूर का जलवा और पीएम का इशारा – जानें पूरा सियासी दांवपेच
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में संसद में ‘सिंदूर’ से जुड़े एक अप्रत्याशित विवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस बहस के केंद्र में रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर, जिन्होंने अपने तर्कों से न केवल लोकसभा में सबको आकर्षित किया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से थरूर का जिक्र करते हुए यह संकेत दिया कि उन्हें कांग्रेस में ‘किनारे’ किया जा रहा है। यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति में पहचान, नेतृत्व और पार्टी के भीतर सांगठनिक गतिशीलता जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करता है। UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह न केवल एक समसामयिक घटना है, बल्कि भारतीय राजव्यवस्था, संसदीय बहस और राजनीतिक रणनीतियों को समझने का एक बेहतरीन अवसर भी है।
सिंदूर पर बहस: एक विस्तृत विश्लेषण (The ‘Sindoor’ Debate: A Detailed Analysis)
यह पूरा मामला तब गरमाया जब संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान, विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कांग्रेस के नेता शशि थरूर, जो अपनी धाराप्रवाह अंग्रेजी और तीक्ष्ण बुद्धि के लिए जाने जाते हैं, ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने विचार रखे। इसी दौरान, ‘सिंदूर’ का उल्लेख किस संदर्भ में हुआ, यह स्वयं में एक सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण बिंदु है।
मुख्य बिंदु (Key Points of the Debate):
- शशि थरूर का वक्तव्य: थरूर ने अपने भाषण के दौरान ‘सिंदूर’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया, यह स्पष्ट होना महत्वपूर्ण है। अक्सर, ऐसे शब्द सांस्कृतिक या सामाजिक संदर्भों को इंगित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। थरूर ने संभवतः किसी ऐसी सामाजिक या सांस्कृतिक प्रवृत्ति का वर्णन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया होगा जो राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक पहचान या सामुदायिक संबद्धता से जुड़ी हो। उनकी मंशा यह रही होगी कि वे राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लिखित किसी बिंदु पर एक सूक्ष्म टिप्पणी करें।
- राजनीतिक महत्व: ‘सिंदूर’ भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो सुहाग, पवित्रता और सौभाग्य से जुड़ा है। राजनीतिक विमर्श में इसका प्रयोग जानबूझकर या अनजाने में एक गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक अर्थ को जन्म दे सकता है।
- प्रधानमंत्री का बयान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, संभवतः थरूर के भाषण के बाद, एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी की। उन्होंने किसी विशेष नेता का नाम लिए बिना यह कहा कि कुछ नेता, जो पार्टी के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, उन्हें ‘किनारे’ किया जा रहा है। यह इशारा स्पष्ट रूप से शशि थरूर की ओर था, जो कांग्रेस पार्टी के भीतर उनकी वर्तमान स्थिति और पार्टी के नेतृत्व के साथ उनके कथित मतभेदों को दर्शाता है।
शशि थरूर: कांग्रेस के भीतर एक विशिष्ट आवाज (Shashi Tharoor: A Distinct Voice Within Congress)
शशि थरूर कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जिनकी अपनी एक अलग पहचान है। वे न केवल अपनी वाक्पटुता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि पार्टी के भीतर भी वे अक्सर विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहे हैं, जो कभी-कभी पार्टी की आधिकारिक लाइन से थोड़ी अलग भी हो सकती है।
विशेषताएँ (Characteristics):
- अंतर्राष्ट्रीय अनुभव: थरूर का संयुक्त राष्ट्र में लंबा कार्यकाल रहा है, जिसने उन्हें वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अनुभव दिया है।
- वैचारिक भिन्नता: वे अक्सर कांग्रेस के भीतर उदारवादी और प्रगतिशील विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- पार्टी के भीतर स्थिति: हाल के वर्षों में, यह देखा गया है कि वे पार्टी के कुछ फैसलों या नेतृत्व के तरीकों से असहमत रहे हैं। उनके अध्यक्ष चुनाव लड़ने की कोशिश भी इसका एक उदाहरण है।
उदाहरण: जिस प्रकार थरूर ने राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अपनी विशिष्ट राय रखी, या जिस प्रकार वे पार्टी के भीतर सांगठनिक सुधारों की वकालत करते रहे हैं, यह दर्शाता है कि वे कांग्रेस के भीतर एक स्वतंत्र विचारक के रूप में देखे जाते हैं।
प्रधानमंत्री का इशारा: ‘किनारे’ किए जाने का संकेत (The PM’s Hint: The Indication of Being ‘Sidelined’)
प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी, कि “कुछ लोग जिन्हें पार्टी ने किनारे कर दिया है” वे भी अपनी बात रख रहे हैं, इसे थरूर के लोकसभा भाषण के संदर्भ में देखा गया। यह एक राजनीतिक चाल हो सकती है, जिसका उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के भीतर आंतरिक कलह को उजागर करना और थरूर जैसे नेताओं की स्थिति पर प्रकाश डालना है।
रणनीतिक विश्लेषण (Strategic Analysis):
- प्रतिद्वंद्वी को कमजोर करना: एक विपक्षी दल के महत्वपूर्ण नेता की आंतरिक कमजोरियों को उजागर करना, सत्ताधारी दल की एक आम राजनीतिक रणनीति है।
- लोकप्रिय चेहरों का उपयोग: प्रधानमंत्री का अप्रत्यक्ष रूप से थरूर जैसे लोकप्रिय नेता का उल्लेख करना, यह दर्शा सकता है कि वे कांग्रेस के भीतर जनता के बीच पहचाने जाने वाले चेहरों की भूमिका और पार्टी में उनके महत्व को समझते हैं।
- जनता का ध्यान भटकाना: यह एक ऐसा दांव हो सकता है जिसका उद्देश्य वर्तमान सरकारी नीतियों या निर्णयों से जनता का ध्यान भटकाकर, विपक्षी दल की आंतरिक गतिशीलता पर केंद्रित करना हो।
उपमा: इसे शतरंज के खेल की तरह देखा जा सकता है, जहाँ एक चाल चलकर विरोधी के महत्वपूर्ण मोहरों को कमजोर करने का प्रयास किया जाता है। प्रधानमंत्री की टिप्पणी उसी प्रकार की एक राजनीतिक चाल मानी जा सकती है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: क्यों यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है? (Relevance for UPSC: Why is this Event Significant?)
UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम केवल एक राजनीतिक बयान या बहस नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजव्यवस्था, संसदीय प्रणाली, सांस्कृतिक प्रतीकवाद और राजनीतिक रणनीतियों के अध्ययन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
1. भारतीय राजव्यवस्था और संसदीय प्रणाली (Indian Polity and Parliamentary System)
लोकसभा में बहस का महत्व:
- संवैधानिक ढांचा: संसद, भारत के लोकतंत्र का हृदय है, जहाँ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और कानून बनाए जाते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस, सरकार की नीतियों और भावी योजनाओं को समझने का एक मंच है।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है, लेकिन इसके साथ ही कुछ मर्यादाएं भी हैं। ‘सिंदूर’ जैसे संवेदनशील शब्दों का प्रयोग बहस को एक अलग दिशा दे सकता है।
- विपक्ष की भूमिका: विपक्ष का कार्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना और वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है। थरूर जैसे नेता इस भूमिका को निभाने के लिए जाने जाते हैं।
संसदीय विशेषाधिकार और शिष्टाचार:
“संसदीय बहसें गरिमापूर्ण होनी चाहिए, लेकिन जब राजनीतिक दांवपेच शामिल होते हैं, तो यह अक्सर व्यक्तिगत टिप्पणियों में बदल जाती है।”
यह घटनाक्रम संसदीय शिष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच के नाजुक संतुलन को भी दर्शाता है।
2. सांस्कृतिक प्रतीकवाद और राजनीतिक व्याख्या (Cultural Symbolism and Political Interpretation)
‘सिंदूर’ केवल एक रंग या एक परंपरा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में महिला, विवाह, परंपरा और सामाजिक स्थिति से जुड़े कई अर्थों को समेटे हुए है।
सांस्कृतिक महत्व:
- पहचान का निर्माण: राजनीतिक दल अक्सर सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग अपनी विचारधारा और समर्थन आधार को मजबूत करने के लिए करते हैं।
- विवाद की संभावना: जब कोई राजनीतिक नेता इन प्रतीकों का उपयोग करता है, तो यह विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक व्याख्याओं को जन्म दे सकता है, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- ध्रुवीकरण: सांस्कृतिक प्रतीकों का राजनीतिकरण समाज में ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है।
उदाहरण: जिस प्रकार कभी ‘जय श्री राम’ का नारा राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया, उसी प्रकार ‘सिंदूर’ जैसे प्रतीक का प्रयोग भी राजनीतिक मायने रख सकता है।
3. राजनीतिक नेतृत्व और सांगठनिक गतिशीलता (Political Leadership and Organisational Dynamics)
प्रधानमंत्री का इशारा सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व की स्थिति और सांगठनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालता है।
पार्टी के भीतर नेतृत्व:
- गुटबाजी: यह घटना कांग्रेस पार्टी के भीतर मौजूद विभिन्न गुटों और विचारधाराओं को भी दर्शाती है।
- वंशवाद बनाम योग्यता: थरूर जैसे नेताओं का मामला अक्सर पार्टी में वंशवाद और योग्यता के बीच की बहस को उठाता है।
- नेतृत्व की चुनौती: एक पार्टी के लिए यह चुनौती होती है कि वह अपने विविध विचारों वाले नेताओं को कैसे समायोजित करे और उन्हें साथ लेकर कैसे चले।
केस स्टडी: कांग्रेस पार्टी के भीतर गांधी परिवार के नेतृत्व की भूमिका और अन्य वरिष्ठ नेताओं की आकांक्षाओं के बीच का तनाव, लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। थरूर का मामला इस व्यापक संदर्भ का हिस्सा है।
4. मीडिया की भूमिका और जनमत (Role of Media and Public Opinion)
इस प्रकार की घटनाओं में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। समाचार चैनल, अखबार और सोशल मीडिया इन बहसों को उठाते हैं और जनता के सामने प्रस्तुत करते हैं, जिससे जनमत का निर्माण होता है।
मीडिया कवरेज:
- सनसनीखेज बनाना: कई बार मीडिया ऐसी बहसों को सनसनीखेज बनाकर या अपनी ओर से व्याख्याएं जोड़कर प्रस्तुत करता है, जो मामले की मूल तह को ढक सकती हैं।
- विश्लेषण और आलोचना: वहीं, दूसरी ओर, मीडिया राजनीतिक विश्लेषण और आलोचना के माध्यम से जनता को शिक्षित करने में भी भूमिका निभाता है।
- सोशल मीडिया का प्रभाव: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस प्रकार की बहसों को त्वरित गति से फैलाया जाता है, जिससे यह आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन जाती है।
पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons)
शशि थरूर के ‘सिंदूर’ संदर्भ के पक्ष में (Pros in favor of Shashi Tharoor’s ‘Sindoor’ reference):
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता: यदि थरूर का उद्देश्य किसी सांस्कृतिक पहलू को उजागर करना था, तो यह भारतीय समाज की गहरी समझ को दर्शाता है।
- बहस को नया आयाम: उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को एक नई दिशा दी, जिससे यह केवल सरकारी नीतियों की सूची न रहकर, सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों से भी जुड़ी।
- विपक्ष की आवाज: यह विपक्ष के रूप में कांग्रेस की भूमिका को मजबूत करता है, जहाँ वे सरकार की नीतियों पर प्रश्न उठाते हैं।
शशि थरूर के ‘सिंदूर’ संदर्भ के विपक्ष में (Cons against Shashi Tharoor’s ‘Sindoor’ reference):
- अनावश्यक विवाद: यदि संदर्भ स्पष्ट नहीं था, तो यह अनावश्यक विवाद का कारण बन सकता है और मुख्य मुद्दे से ध्यान भटका सकता है।
- गलत व्याख्या का जोखिम: ‘सिंदूर’ जैसे प्रतीक की गलत व्याख्या से भाजपा जैसे दल को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल सकता है।
- पार्टी में अलगाव: यदि यह थरूर की व्यक्तिगत राय है, तो यह पार्टी के भीतर उनके अलगाव को और बढ़ा सकता है।
प्रधानमंत्री के इशारे के पक्ष में (Pros in favor of PM’s hint):
- विपक्षी एकजुटता पर सवाल: यह विपक्षी एकता पर सवाल उठाता है और बताता है कि वे अपने आंतरिक मुद्दों से ही जूझ रहे हैं।
- कांग्रेस की रणनीति पर चोट: यह कांग्रेस की रणनीति और नेतृत्व की शैली पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करता है।
प्रधानमंत्री के इशारे के विपक्ष में (Cons against PM’s hint):
- सत्ता का दुरुपयोग: विपक्ष के नेता पर इस तरह के सार्वजनिक बयान को सत्ता का दुरुपयोग माना जा सकता है।
- राजनीतिक एजेंडा: यह एक राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य थरूर जैसे व्यक्ति की छवि को धूमिल करना हो।
- सच्चाई पर सवाल: क्या थरूर सचमुच ‘किनारे’ किए जा रहे हैं, यह एक अलग बहस का विषय है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and Way Forward)
कांग्रेस के लिए चुनौतियाँ (Challenges for Congress):
- आंतरिक एकता: पार्टी को थरूर जैसे वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं को सुनना और उन्हें साथ लेकर चलने का रास्ता खोजना होगा।
- नेतृत्व का संकट: पार्टी को अपने नेतृत्व को मजबूत करना होगा और स्पष्ट दिशा देनी होगी।
- युवा पीढ़ी को जोड़ना: थरूर जैसे नेताओं की बौद्धिक क्षमता का उपयोग करते हुए, पार्टी को युवा पीढ़ी को भी आकर्षित करना होगा।
भारतीय राजनीति के लिए भविष्य की राह (Way Forward for Indian Politics):
- गरिमामय बहस: संसदीय बहसों को अधिक रचनात्मक और गरिमामय बनाने की आवश्यकता है, जहाँ व्यक्तिगत हमलों की बजाय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
- सांस्कृतिक प्रतीकों का सम्मान: सांस्कृतिक और सामाजिक प्रतीकों का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक सामंजस्य के लिए किया जाना चाहिए।
- लोकतांत्रिक संवाद: विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं के बीच खुला और सम्मानजनक संवाद होना चाहिए, चाहे वे किसी भी पार्टी से हों।
निष्कर्ष (Conclusion):
सिंदूर पर हुई यह बहस और प्रधानमंत्री का इशारा, भारतीय राजनीति में चल रही जटिलताओं का एक छोटा सा उदाहरण है। यह न केवल शशि थरूर और कांग्रेस की स्थिति पर प्रकाश डालता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे सांस्कृतिक प्रतीक, राजनीतिक विमर्श को प्रभावित कर सकते हैं और कैसे राजनीतिक दल एक-दूसरे पर अप्रत्यक्ष वार करके अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास करते हैं। UPSC उम्मीदवारों को इस घटना का विश्लेषण करते समय, केवल राजनीतिक घटनाक्रम को ही नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी समझना चाहिए। यह समझ उन्हें परीक्षा में विश्लेषणात्मक प्रश्न हल करने में मदद करेगी और समसामयिक मामलों की गहरी समझ प्रदान करेगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत के संविधान का अनुच्छेद 88 संसद में मंत्रियों और अटॉर्नी-जनरल के अधिकारों से संबंधित है।
2. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस लोकसभा और राज्यसभा दोनों में होती है।
3. धन्यवाद प्रस्ताव पारित न होने पर राष्ट्रपति इस्तीफा दे देते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)**
व्याख्या: राष्ट्रपति का अभिभाषण संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत दिया जाता है। अनुच्छेद 88 मंत्रियों और महान्यायवादी के विशेषाधिकारों से संबंधित है। धन्यवाद प्रस्ताव पारित न होने पर राष्ट्रपति इस्तीफा नहीं देते, बल्कि यह सरकार के प्रति अविश्वास का संकेत हो सकता है, जिससे सरकार गिर सकती है।
2. ‘सिंदूर’ का भारतीय संस्कृति में निम्नलिखित में से कौन सा महत्व है?
1. सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक
2. धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण
3. सामाजिक पहचान का हिस्सा
सही कूट का चयन करें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)**
व्याख्या: सिंदूर का भारतीय संस्कृति में सुहाग, सौभाग्य, धार्मिक अनुष्ठानों (जैसे पूजा) और सामाजिक पहचान (जैसे विवाहित महिलाओं की पहचान) तीनों ही संदर्भों में महत्व है।
3. लोकसभा में विपक्ष के नेता (Leader of Opposition – LoP) के पद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. विपक्ष के नेता को वेतन और भत्ते कैबिनेट मंत्री के बराबर मिलते हैं।
2. इसका पद भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित है।
3. लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता, जिसे कम से कम दस प्रतिशत सीटें प्राप्त हों, स्वतः ही विपक्ष का नेता बनता है।
सही कथनों का चयन करें:
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)**
व्याख्या: विपक्ष के नेता के पद को ‘विशिष्ट उपबंध अधिनियम, 1977’ द्वारा वैधानिक मान्यता दी गई है और उन्हें कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन-भत्ते मिलते हैं। संविधान में इसका उल्लेख नहीं है, बल्कि लोकपाल अधिनियम, 2013 में इसे स्पष्ट किया गया है।
4. राजनीतिक दल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए निम्नलिखित में से किस तरीके का उपयोग करते हैं?
1. सांस्कृतिक प्रतीकों का प्रयोग
2. मीडिया का रणनीतिक उपयोग
3. प्रतिद्वंद्वी की आंतरिक कमजोरियों को उजागर करना
सही कूट का चयन करें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)**
व्याख्या: राजनीतिक दल अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए तीनों ही तरीकों का प्रयोग करते हैं, जैसा कि वर्तमान घटनाक्रम में देखा जा सकता है।
5. शशि थरूर की राजनीतिक शैली के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?
(a) वे अपनी वाक्पटुता और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के लिए जाने जाते हैं।
(b) वे अक्सर पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग राय रखते हैं।
(c) वे पार्टी के भीतर सुधारों की वकालत नहीं करते।
(d) उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में भी भाग लिया है।
उत्तर: (c)**
व्याख्या: शशि थरूर कांग्रेस के भीतर अक्सर सांगठनिक सुधारों की वकालत करते रहे हैं। अन्य सभी कथन सत्य हैं।
6. भारतीय संसद में, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों पर नियंत्रण रखना
(b) सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर चर्चा करना और समर्थन देना
(c) किसी भी बिल को पारित करना
(d) केवल राष्ट्रपति के व्यक्तिगत प्रदर्शन का मूल्यांकन करना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: राष्ट्रपति का अभिभाषण नई सरकार के एजेंडे को प्रस्तुत करता है, और धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस इसी एजेंडे पर चर्चा और समर्थन या आलोचना का अवसर प्रदान करती है।
7. प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी नेता का अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख करना, राजनीतिक विज्ञान के किस सिद्धांत से संबंधित हो सकता है?
(a) गठबंधन निर्माण
(b) राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और प्रचार
(c) संघवाद
(d) प्रत्यक्ष कार्रवाई
उत्तर: (b)**
व्याख्या: प्रतिद्वंद्वी के नेता की स्थिति पर टिप्पणी करना राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और प्रचार (Propaganda) का एक रूप है, जिसका उद्देश्य विपक्ष को कमजोर दिखाना या जनमत को प्रभावित करना होता है।
8. किसी भी राजनीतिक दल के लिए ‘संगठनात्मक गतिशीलता’ (Organisational Dynamics) का क्या अर्थ है?
1. पार्टी के भीतर शक्ति वितरण
2. नीति-निर्माण की प्रक्रिया
3. विभिन्न गुटों के बीच संबंध
सही कूट का चयन करें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)**
व्याख्या: संगठनात्मक गतिशीलता पार्टी के भीतर शक्ति वितरण, निर्णय लेने की प्रक्रिया, विभिन्न गुटों के संबंध और नेतृत्व के मुद्दों सहित सभी आंतरिक प्रक्रियाओं को संदर्भित करती है।
9. निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय सांस्कृतिक विशेषता का राजनीतिकरण किया जा सकता है?
(a) भाषा
(b) त्यौहार
(c) धार्मिक प्रतीक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)**
व्याख्या: भारतीय संस्कृति के लगभग सभी पहलू, जिनमें भाषा, त्यौहार, धार्मिक प्रतीक, वेशभूषा आदि शामिल हैं, राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, जिससे उनका राजनीतिकरण होता है।
10. ‘संसदीय शिष्टाचार’ (Parliamentary Etiquette) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) यह केवल सांसदों के पहनावे से संबंधित है।
(b) यह संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए निर्धारित नियमों और व्यवहारों का एक सेट है।
(c) इसमें केवल अध्यक्ष की आज्ञा का पालन करना शामिल है।
(d) इसका कोई औपचारिक महत्व नहीं है।
उत्तर: (b)**
व्याख्या: संसदीय शिष्टाचार का अर्थ है संसद के भीतर सांसदों द्वारा पालन किए जाने वाले व्यवहार और नियमों का वह समूह जो कार्यवाही को गरिमापूर्ण और प्रभावी बनाता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “सिंदूर” जैसे सांस्कृतिक प्रतीकों का राजनीतिकरण भारतीय राजनीति में एक आम प्रवृत्ति है, जिसके दूरगामी सामाजिक और राजनीतिक परिणाम होते हैं। चर्चा करें कि कैसे विभिन्न राजनीतिक दल इन प्रतीकों का उपयोग अपनी विचारधारा को बढ़ावा देने और मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए करते हैं, और इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों का भी विश्लेषण करें।
2. शशि थरूर के लोकसभा भाषण और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया को कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व की गतिशीलता और सांगठनिक चुनौतियों के संदर्भ में विश्लेषित करें। एक प्रमुख विपक्षी दल के लिए आंतरिक एकता बनाए रखने और विभिन्न विचारधाराओं को समायोजित करने की क्या रणनीतियाँ होनी चाहिए?
3. संसदीय बहसें लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। भारतीय संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के महत्व की व्याख्या करें, और वर्तमान परिदृश्य में इस बहस की गुणवत्ता और गरिमा बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
4. एक राजनीतिक नेता की सार्वजनिक छवि और उसके द्वारा चुने गए शब्द/प्रतीक किस प्रकार राजनीतिक विमर्श और जनमत को प्रभावित करते हैं? शशि थरूर के मामले में ‘सिंदूर’ के प्रयोग और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया के आलोक में इसकी व्याख्या करें।