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separator – Yes 20. All content in Hindi – Yes 21. Nothing after [–END_CONTENT–] – Yes Confidence Score: 5/5 Mental Sandbox: – I need to ensure a good distribution of questions. Maybe 6 Ancient, 6 Medieval, 7 Modern, 6 World. Or some similar balanced distribution. – The explanations must be truly “detailed and insightful”, not just one-liners. They should provide historical context and significance. – The language needs to be formal yet engaging, suitable for competitive exam aspirants. – I will make sure to source questions from diverse sub-topics within each period (e.g., not just battles, but also social, economic, religious aspects). – For World History, I’ll focus on events directly relevant to Indian competitive exam syllabi, like colonialism, world wars’ impact on India, or major revolutions that influenced global thought. Key Learnings from Sandbox: – Balance is key for “chronologically balanced”. – Depth in explanations is crucial for “insightful” and “high-value”. – Avoid common, overused questions if possible, or present them with fresh context. Strategizing complete. I will now generate the response based on these points. “`hindi [–SEO_TITLE–]अतीत की पड़ताल: आपकी तैयारी का ब्रह्मास्त्र!

अतीत की पड़ताल: आपकी तैयारी का ब्रह्मास्त्र!

ऐतिहासिक ज्ञान की अथाह गहराइयों में उतरने और अपनी तैयारी को एक नई धार देने के लिए तैयार हो जाइए! आज का यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपको प्राचीन भारत की सभ्यताओं से लेकर आधुनिक विश्व की घटनाओं तक, समय के पन्नों को पलटने का अवसर देगा। अपनी गति, अपनी समझ का परीक्षण करें और देखें कि आप इतिहास के कितने बड़े ज्ञाता हैं!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से “नर्तकी की मूर्ति” प्राप्त हुई है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला’, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। यहीं से प्रसिद्ध “नर्तकी की मूर्ति” नामक कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह लगभग 11 सेंटीमीटर ऊँची, एक स्त्री की नग्न प्रतिमा है जो एक विशेष मुद्रा में खड़ी है। इसकी कलात्मकता और गतिकी को देखकर तत्कालीन शिल्पकारों की उच्च कोटी की समझ का पता चलता है। मोहनजोदड़ो से स्नानागार, अन्नागार और पकी ईंटों के घर भी मिले हैं।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा से मातृ देवी की मूर्तियां और कब्रिस्तान मिले हैं। लोथल एक बंदरगाह शहर था जहाँ से गोदी (dockyard) के अवशेष मिले हैं। कालीबंगा से जूते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस उपनिषद् को “बृहदारण्यक उपनिषद्” के नाम से भी जाना जाता है?

  1. कठोपनिषद्
  2. मांडूक्योपनिषद्
  3. बृहदारण्यक उपनिषद्
  4. छान्दोग्य उपनिषद्

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बृहदारण्यक उपनिषद्, उपनिषदों में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे पुराना माना जाता है। यह बृहदारण्यक उपनिषद् के रूप में ही जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शुक्ल यजुर्वेद की एक शाखा है। इसमें आत्मा, ब्रह्म, कर्म, पुनर्जन्म और मोक्ष जैसे दार्शनिक विषयों पर गहन चर्चा की गई है। याज्ञवल्क्य की अपनी दो पत्नियों, मैत्रेयी और गार्गी के साथ हुई दार्शनिक चर्चाएँ इसमें विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: कठोपनिषद् में यम और नचिकेता का संवाद है। मांडूक्योपनिषद् में ‘ओम’ के महत्व का वर्णन है। छान्दोग्य उपनिषद् में उद्दालक आरुणि और श्वेतकेतु का संवाद प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘धम्म’ का अर्थ क्या था?

  1. युद्ध का नारा
  2. सार्वभौमिक नैतिकता और नैतिक आचरण का सिद्धांत
  3. धार्मिक अनुष्ठान
  4. साम्राज्य विस्तार की नीति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में ‘धम्म’ एक महत्वपूर्ण अवधारणा थी, जिसका अर्थ सार्वभौमिक नैतिकता, कल्याण और नैतिक आचरण का सिद्धांत था।
  • संदर्भ और विस्तार: अशोक ने अपने शिलालेखों के माध्यम से प्रजा से धम्म का पालन करने का आह्वान किया। इसमें अहिंसा, सत्य, दान, करुणा, सहिष्णुता, माता-पिता और बड़ों का सम्मान, गुरुओं के प्रति आदर, सभी प्राणियों के प्रति दया और अल्प व्यय जैसी बातें शामिल थीं। यह किसी विशेष धर्म का प्रतिस्थापन नहीं, बल्कि एक नैतिक आचार संहिता थी।
  • गलत विकल्प: धम्म कोई युद्ध का नारा या साम्राज्य विस्तार की नीति नहीं थी। यह धार्मिक अनुष्ठानों से अधिक एक नैतिक जीवन जीने का मार्गदर्शक था।

प्रश्न 4: गुप्त साम्राज्य के किस शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त (लगभग 335-375 ईस्वी) को उनकी विजयों और सैन्य प्रतिभा के कारण इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने ‘भारत का नेपोलियन’ कहा था।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की और अपने प्रयाग प्रशस्ति (जो हरिषेण द्वारा रचित है) में कई युद्धों में अपनी विजयों का वर्णन किया है। उसने उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों को अपने अधीन किया और दक्षिणापथ के शासकों को भी पराजित किया। उसकी सहिष्णुता और कला-साहित्य के प्रति प्रेम भी प्रशंसनीय था।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने भी महत्वपूर्ण विजयें प्राप्त कीं और कला-साहित्य को संरक्षण दिया, लेकिन ‘भारत का नेपोलियन’ विशेष रूप से समुद्रगुप्त के लिए प्रयुक्त होता है। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक सैन्य विभाग की स्थापना की थी?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. बलबन
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गयासुद्दीन बलबन (1265-1287 ईस्वी) ने अपनी सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: बलबन एक योग्य शासक था जिसने मंगोल आक्रमणों के खतरे को पहचाना और सल्तनत की सुरक्षा को मजबूत करने पर जोर दिया। उसने सेना को पुनर्गठित किया, सैनिकों को नगद वेतन देना शुरू किया और सीमावर्ती किलों की मरम्मत करवाई। ‘अर्ज’ शब्द का अर्थ ‘सैन्य’ होता है।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था। इल्तुतमिश ने तुर्क-ए-चहलगानी (चालीस सरदारों का दल) का गठन किया। अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (राजस्व विभाग) की स्थापना की और सेना में कई सुधार किए, लेकिन दीवान-ए-अर्ज की स्थापना का श्रेय बलबन को जाता है।

प्रश्न 6: भक्ति आंदोलन के किस संत ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की?

  1. कबीर
  2. रैदास
  3. तुलसीदास
  4. सूरदास

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623 ईस्वी) ने मुगल सम्राट अकबर और जहांगीर के काल में ‘रामचरितमानस’ की रचना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में लिखी गई भगवान राम की कथा का एक महाकाव्य है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। तुलसीदास भक्ति काल के एक महान संत कवि थे जिन्होंने तत्कालीन लोकभाषा में भक्ति का प्रसार किया।
  • गलत विकल्प: कबीर दास एक निर्गुण भक्ति के संत थे और उनके दोहे प्रसिद्ध हैं। रैदास चमड़े का काम करने वाले संत थे। सूरदास कृष्ण भक्ति के महान कवि थे जिन्होंने ‘सूरसागर’ की रचना की।

प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

  1. कृष्ण देवराय
  2. बुक्का राय
  3. हरिहर और बुक्का
  4. देवराय द्वितीय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और उसके भाई बुक्का प्रथम द्वारा की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इन दोनों भाइयों ने वारंगल के काकतीय वंश के पतन के बाद इस साम्राज्य की नींव रखी। तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित विजयनगर, तत्कालीन दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य बना। इसने कला, साहित्य, स्थापत्य और व्यापार को खूब बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: कृष्ण देवराय विजयनगर के सबसे महान शासकों में से एक थे। बुक्का राय ने साम्राज्य को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देवराय द्वितीय भी एक शक्तिशाली शासक थे।

प्रश्न 8: 1857 के विद्रोह के दौरान, अवध (Awadh) से विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. तात्या टोपे
  3. बेगम हजरत महल
  4. बहादुर शाह जफर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह में, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम हजरत महल ने लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश सरकार द्वारा अवध को हड़पने (1856) के बाद, बेगम हजरत महल ने अपने अल्पव्यस्क पुत्र बिर्जिस क़द्र को गद्दी पर बिठाया और विद्रोह का नेतृत्व संभाला। उन्होंने ब्रिटिश सेनाओं के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी, हालाँकि अंततः वे नेपाल भाग गईं।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी से, तात्या टोपे ने कानपुर और अन्य क्षेत्रों से, और बहादुर शाह जफर ने दिल्ली से विद्रोह का प्रतीकात्मक नेतृत्व किया था।

प्रश्न 9: ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ के तहत, भूमि का सीधा लगान किस पर लगाया जाता था?

  1. जमींदार
  2. गांव का मुखिया
  3. किसान (रैयत)
  4. जागीरदार

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ में, भूमि का सीधा लगान सीधे किसानों (रैयत) से वसूल किया जाता था, न कि बिचौलियों जैसे जमींदारों या जागीरदारों से।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था मद्रास, बॉम्बे और असम जैसे प्रेसीडेंसी क्षेत्रों में लागू की गई थी। इसके प्रमुख प्रवर्तकों में थॉमस मुनरो और कैप्टन अलेक्जेंडर रीड थे। इस व्यवस्था में, किसान को भूमि का मालिक माना जाता था और वह सीधे सरकार को कर चुकाता था।
  • गलत विकल्प: जमींदारी व्यवस्था में भू-राजस्व जमींदारों से लिया जाता था। महालवाड़ी व्यवस्था में गांव के मुखिया या अन्य प्रतिनिधियों से लगान लिया जाता था।

प्रश्न 10: असहयोग आंदोलन के दौरान ‘चौरी-चौरा’ की घटना कब हुई थी?

  1. 1919
  2. 1920
  3. 1922
  4. 1923

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चौरी-चौरा की हिंसक घटना 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: असहयोग आंदोलन (1920-22) के दौरान, एक शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस द्वारा गोली चलाने के बाद भीड़ हिंसक हो गई और उसने थाने को आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। इस हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने आहत होकर असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया।
  • गलत विकल्प: 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ था। 1923 में स्वराज पार्टी का गठन हुआ था।

  • प्रश्न 11: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया?

    1. कोलकाता अधिवेशन (1928)
    2. लाहौर अधिवेशन (1929)
    3. कराची अधिवेशन (1931)
    4. फैजपुर अधिवेशन (1936)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (दिसंबर 1929) में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव पारित किया गया।
    • संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह भी तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसने कांग्रेस के लक्ष्य को डोमिनियन स्टेटस से पूर्ण स्वतंत्रता की ओर स्थानांतरित कर दिया।
    • गलत विकल्प: कोलकाता अधिवेशन (1928) में नेहरू रिपोर्ट पर विचार किया गया था। कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति संबंधी प्रस्ताव पारित किए गए। फैजपुर अधिवेशन (1936) पहला ग्रामीण अधिवेशन था।

    प्रश्न 12: ‘साइमन कमीशन’ का गठन कब किया गया था?

    1. 1927
    2. 1928
    3. 1929
    4. 1930

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारत में संवैधानिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन का गठन 1927 में किया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: इस कमीशन में सभी सदस्य अंग्रेज थे, जिसके कारण इसका भारत में व्यापक विरोध हुआ। भारतीयों ने ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाए। इस कमीशन की रिपोर्ट ने भारत में संघीय व्यवस्था और उत्तरदायी सरकार की सिफारिश की।
    • गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन भारत आया था। 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ और 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ।

    प्रश्न 13: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन थीं?

    1. सरोजिनी नायडू
    2. एनी बेसेंट
    3. इंदिरा गांधी
    4. कमला नेहरू

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष एनी बेसेंट थीं, जिन्होंने 1917 में कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: एनी बेसेंट एक आयरिश मूल की थियोसोफिस्ट थीं जिन्होंने भारत में होम रूल आंदोलन का भी नेतृत्व किया। उन्होंने कांग्रेस के मंच से स्वशासन की वकालत की।
    • गलत विकल्प: सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष थीं (1925, कानपुर अधिवेशन)। इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं। कमला नेहरू ने कांग्रेस के भीतर काम किया लेकिन अध्यक्ष नहीं रहीं।

    प्रश्न 14: ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना किसने और कब की थी?

    1. दादाभाई नौरोजी, 1866
    2. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, 1876
    3. गोपाल कृष्ण गोखले, 1905
    4. फिरोजशाह मेहता, 1885

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना दादाभाई नौरोजी ने 1866 में लंदन में की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन में भारतीय मामलों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और भारत के राजनीतिक और आर्थिक हितों की रक्षा करना था। दादाभाई नौरोजी, जिन्हें ‘भारत का वयोवृद्ध नेता’ कहा जाता है, ब्रिटिश संसद के सदस्य भी बने और उन्होंने ब्रिटिश संसद में भारत के आर्थिक शोषण को उजागर किया।
    • गलत विकल्प: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने 1876 में ‘इंडियन एसोसिएशन’ की स्थापना की थी। गोपाल कृष्ण गोखले ने ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की थी। फिरोजशाह मेहता कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से थे।

    प्रश्न 15: भारत में प्रथम आम चुनाव कब संपन्न हुए?

    1. 1947-48
    2. 1950-51
    3. 1951-52
    4. 1957

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारत में पहले आम चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 के बीच संपन्न हुए थे।
    • संदर्भ और विस्तार: ये चुनाव स्वतंत्र भारत की पहली संसद के गठन के लिए हुए थे। इन चुनावों में लगभग 17.3 करोड़ योग्य मतदाताओं ने भाग लिया था, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी।
    • गलत विकल्प: 1947-48 में देश का विभाजन और प्रारंभिक पुनर्गठन हुआ। 1950-51 में संविधान लागू हुआ और अन्य प्रारंभिक प्रक्रियाएं हुईं। 1957 में दूसरे आम चुनाव हुए थे।

    प्रश्न 16: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किसने किया था?

    1. सिद्धू और कान्हू
    2. बिरसा मुंडा
    3. लक्खा मीना
    4. रानी चेन्नम्मा

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: 1855-56 में हुए संथाल विद्रोह का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो संथाल भाइयों ने किया था।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों, बाहरी लोगों (दीकुओं) द्वारा शोषण और संथाल परगना क्षेत्र में लागू किए गए नए नियमों के खिलाफ था। सिद्धू और कान्हू ने संथाल लोगों को संगठित किया और विद्रोह का बिगुल फूंका।
    • गलत विकल्प: बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में ‘उलगुलान’ विद्रोह का नेतृत्व किया था। रानी चेन्नम्मा ने 1824-29 के दौरान कित्तूर में ब्रिटिशों का विरोध किया था। लक्खा मीना राजस्थान के एक नेता थे।

    प्रश्न 17: ‘द विल्स ऑफ हिस्ट्री’ (The Wills of History) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. फ्रेडरिक नीत्शे
    3. लेनिन
    4. हेगेल

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘द विल्स ऑफ हिस्ट्री’ (The Wills of History) या ‘द विल टू पावर’ (The Will to Power) जैसी अवधारणाओं से जुड़े विचार जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे के हैं, हालांकि ‘द विल्स ऑफ हिस्ट्री’ नाम से सीधे कोई पुस्तक नहीं है, यह उनके दार्शनिक विचारों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: नीत्शे के दर्शन में ‘शक्ति की इच्छा’ (Will to Power) एक केंद्रीय अवधारणा है, जो जीवन की मूल प्रेरणा शक्ति के रूप में देखी जाती है। वे इतिहास को शक्तियों के संघर्ष के रूप में देखते थे। (नोट: अक्सर परीक्षाओं में इस तरह के प्रश्न उनके विचारों से जुड़े होते हैं, यहाँ सीधे नाम से पुस्तक कम प्रचलित है, लेकिन उनके विचार ही मुख्य हैं।)
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ लिखी। लेनिन रूसी क्रांति के प्रमुख नेता थे। हेगेल द्वंद्ववाद के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 18: किस मराठा पेशवा को ‘अंतिम महान पेशवा’ कहा जाता है?

    1. बाजीराव प्रथम
    2. बालाजी बाजीराव
    3. माधवराव
    4. बाजीराव द्वितीय

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पेशवा माधवराव (शासनकाल 1761-1772) को अक्सर ‘अंतिम महान पेशवा’ या ‘महान पेशवा’ कहा जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: पानीपत के तीसरे युद्ध (1761) में हुई भारी क्षति के बाद, माधवराव ने मराठा साम्राज्य को फिर से संगठित और मजबूत किया। उन्होंने प्रशासन में सुधार किया, निजाम को हराया और मैसूर के हैदर अली के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए। उनकी मृत्यु के बाद मराठा शक्ति का पतन शुरू हुआ।
    • गलत विकल्प: बाजीराव प्रथम एक महान योद्धा और पेशवा थे। बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) पानीपत के तीसरे युद्ध के समय पेशवा थे। बाजीराव द्वितीय अंतिम पेशवा थे जिन्होंने ब्रिटिशों के अधीन काम किया।

    प्रश्न 19: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक राजनीतिक दल की स्थापना किसने की थी?

    1. जवाहरलाल नेहरू
    2. सरदार वल्लभभाई पटेल
    3. सुभाष चंद्र बोस
    4. भगत सिंह

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक राजनीतिक दल की स्थापना 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: त्रिपुरी संकट (1939) के बाद जब गांधीजी के विरोध के कारण सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा, तो उन्होंने कांग्रेस के भीतर ही एक अधिक वामपंथी और क्रांतिकारी समूह के रूप में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। इसका उद्देश्य एक एकीकृत राष्ट्रीय आंदोलन के माध्यम से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
    • गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। भगत सिंह ने ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) से जुड़े थे।

    प्रश्न 20: भारत में ‘पंचायती राज’ का जनक किसे माना जाता है?

    1. महात्मा गांधी
    2. जवाहरलाल नेहरू
    3. लॉर्ड रिपन
    4. बलवंत राय मेहता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: लॉर्ड रिपन को ‘भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक’ माना जाता है, जिसके तहत पंचायती राज व्यवस्था की नींव पड़ी।
    • संदर्भ और विस्तार: 1882 में, लॉर्ड रिपन ने स्थानीय निकायों को अधिक अधिकार देने के लिए प्रस्ताव पारित किए, जिससे स्थानीय स्तर पर स्व-सरकार को बढ़ावा मिला। हालाँकि, आधुनिक पंचायती राज की नींव 1950 के दशक में पड़ी, बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों पर, लेकिन स्थानीय स्वशासन की शुरुआत का श्रेय रिपन को जाता है।
    • गलत विकल्प: महात्मा गांधी पंचायती राज के प्रबल समर्थक थे। जवाहरलाल नेहरू ने पंचायती राज को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज की सिफारिश की थी।

    प्रश्न 21: ‘कैबिनेट मिशन’ भारत कब आया था?

    1. 1944
    2. 1945
    3. 1946
    4. 1947

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को स्वतंत्रता देने की प्रक्रिया और संविधान निर्माण की रूपरेखा तय करने के लिए कैबिनेट मिशन मार्च 1946 में भारत आया था।
    • संदर्भ और विस्तार: इस मिशन में तीन सदस्य थे: पैथिक लॉरेंस, स्टैफोर्ड क्रिप्स और ए.वी. एलेक्जेंडर। मिशन ने एक ढीले-ढाले भारतीय संघ की योजना प्रस्तुत की, जिसमें प्रांतों को अधिक स्वायत्तता देने की बात थी। हालांकि, कुछ प्रस्तावों पर असहमति के कारण यह पूरी तरह सफल नहीं रहा, लेकिन इसने संविधान सभा के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
    • गलत विकल्प: 1944 में क्रिप्स मिशन आया था। 1945 में शिमला सम्मेलन हुआ था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।

    प्रश्न 22: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के अंत में, जर्मनी पर कौन सी संधि थोपी गई थी?

    1. वर्साय की संधि
    2. ट्रायोन की संधि
    3. ज्यूरिख की संधि
    4. ऑस्ट्रिया की संधि

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध के अंत में, मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी पर ‘वर्साय की संधि’ (Treaty of Versailles) थोपी थी, जिस पर 28 जून 1919 को हस्ताक्षर हुए थे।
    • संदर्भ और विस्तार: इस संधि ने जर्मनी को युद्ध का दोषी ठहराया, उस पर भारी हर्जाना लगाया, उसकी सैन्य शक्ति को सीमित किया और उसके कई क्षेत्रों को छीन लिया। इस संधि को अक्सर द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों में से एक माना जाता है क्योंकि इसने जर्मनी में भारी असंतोष पैदा किया।
    • गलत विकल्प: ट्रायोन की संधि ऑटोमन साम्राज्य से संबंधित थी, ज्यूरिख की संधि ऑस्ट्रिया से संबंधित थी, और ऑस्ट्रिया की संधि किसी विशेष प्रमुख संधि का नाम नहीं है।

    प्रश्न 23: ‘अकाल संहिता’ (Famine Code) कब लागू की गई थी?

    1. 1860
    2. 1870
    3. 1880
    4. 1883

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारत में प्रथम ‘अकाल संहिता’ (Famine Code) 1883 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में लागू की गई थी।
    • संदर्भ और विस्तार: भारत में कई बड़े अकालों के अनुभव के बाद, ब्रिटिश सरकार ने अकाल राहत के लिए एक व्यवस्थित नीति बनाने का प्रयास किया। 1880 की एक समिति की सिफारिशों के आधार पर, 1883 की अकाल संहिता में सरकार की जिम्मेदारियों, राहत कार्यों के प्रकार, और कर्मचारियों के प्रशिक्षण जैसे प्रावधान शामिल थे।
    • गलत विकल्प: 1860 और 1870 के दशक में भी अकाल हुए थे, और उनसे संबंधित समितियां बनीं, लेकिन औपचारिक संहिता 1883 में बनी। 1883 के बाद भी इसमें संशोधन होते रहे।

    प्रश्न 24: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कहाँ हुई थी?

    1. लंदन
    2. न्यूयॉर्क
    3. सैन फ्रांसिस्को
    4. बर्लिन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके संस्थापक लाला हरदयाल थे, और यह पार्टी मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासियों द्वारा संचालित थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारत को मुक्त कराने के लिए एक सशस्त्र क्रांति को बढ़ावा देना था। ‘गदर’ नामक पत्रिका इसका प्रमुख प्रचार माध्यम थी।
    • गलत विकल्प: लंदन में इंडिया हाउस और अन्य क्रांतिकारी गतिविधियाँ होती थीं, लेकिन गदर पार्टी सैन फ्रांसिस्को में स्थापित हुई। न्यूयॉर्क और बर्लिन में भी क्रांतिकारी समूह सक्रिय थे, लेकिन गदर पार्टी का मूल केंद्र सैन फ्रांसिस्को था।

    प्रश्न 25: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ (1789) का तात्कालिक कारण क्या था?

    1. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव
    2. बुद्धिजीवियों का प्रभाव (जैसे रूसो, वाल्टेयर)
    3. राज्य की आर्थिक तंगी और फिजूलखर्ची
    4. बेकार फसलें और खाद्य पदार्थों की कमी

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण राज्य की गंभीर आर्थिक तंगी, शाही परिवार की फिजूलखर्ची और कर प्रणाली की विसंगतियाँ थीं, जिसके कारण जनता में भारी असंतोष था।
    • संदर्भ और विस्तार: लुई सोलहवें के शासनकाल में फ्रांस भारी कर्ज में डूबा हुआ था, जिसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की सहायता के कारण था। इसके अतिरिक्त, अभिजात वर्ग और पादरी वर्ग को करों से छूट प्राप्त थी, जबकि आम जनता पर करों का भारी बोझ था। 1789 में, जब राजा ने नए करों को मंजूरी के लिए एस्टेट जनरल (Estates-General) को बुलाया, तो इसने क्रांति की चिंगारी का काम किया।
    • गलत विकल्प: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम और बुद्धिजीवियों का प्रभाव क्रांति के वैचारिक आधार थे, लेकिन तात्कालिक कारण आर्थिक संकट था। खराब फसलें और खाद्य पदार्थों की कमी इस आर्थिक संकट को बढ़ाती थी, लेकिन यह स्वयं में मुख्य कारण नहीं था, बल्कि इसके कारण बढ़ी हुई गरीबी और असंतोष ही तत्कालीन आर्थिक कुप्रबंधन का प्रमाण था।

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