समाजशास्त्र की गहरी समझ: आज की विशेष परीक्षा
तैयारी के मैदान में उतरे युवा समाजशास्त्रियों! क्या आप अपनी अवधारणाओं की स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों का एक अनूठा संग्रह, जो आपकी परीक्षा की राह को और भी सुगम बनाएगा। आइए, अपने ज्ञान का स्तर जाँचें और हर प्रश्न के विस्तृत विश्लेषण से सीखें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘मैक्रो-सोशियोलॉजी’ (Macro-sociology) का संबंध किससे है?
- व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन।
- सामाजिक संरचनाओं, व्यवस्थाओं और बड़े पैमाने की सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन।
- सांस्कृतिक मूल्यों और प्रतीकों का विश्लेषण।
- सूक्ष्म समूहों के भीतर व्यक्तिगत अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: मैक्रो-सोशियोलॉजी समाज को एक बड़े, समग्र तंत्र के रूप में देखती है। इसमें सामाजिक संरचनाओं (जैसे संस्थाएँ, वर्ग, संस्थाएँ), सामाजिक व्यवस्थाओं (जैसे पूंजीवाद, समाजवाद) और व्यापक सामाजिक प्रक्रियाओं (जैसे वैश्वीकरण, सामाजिक परिवर्तन) का अध्ययन शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक व्यापक स्तर है, जो अक्सर सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने या बदलने वाले बड़े समूहों और संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह इमाइल दुर्खीम और टैल्कॉट पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों के कार्यों से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) माइक्रो-सोशियोलॉजी (Micro-sociology) का वर्णन करते हैं, जो छोटे पैमाने की अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है, जैसे कि जॉर्ज हर्बर्ट मीड का ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’। विकल्प (c) सांस्कृतिक समाजशास्त्र का हिस्सा हो सकता है, लेकिन मैक्रो-सोशियोलॉजी का मुख्य फोकस नहीं है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘कार्ल मार्क्स’ के विचारों से सबसे अधिक निकटता से जुड़ी है?
- सामाजिक तथ्य (Social Fact)
- तर्कसंगतता (Rationality)
- वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
- आत्मसात्करण (Assimilation)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: कार्ल मार्क्स के अनुसार, समाज का मुख्य चालक वर्ग संघर्ष रहा है, जो उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण रखने वाले शासक वर्ग (बुर्जुआ) और उत्पादन के साधनों के बिना श्रम बेचने वाले शोषित वर्ग (सर्वहारा) के बीच होता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है और यह संघर्ष अंततः साम्यवाद की ओर ले जाएगा। यह विचार उनकी सबसे प्रभावशाली कृतियों, जैसे ‘दास कैपिटल’ और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ में केंद्रीय है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक तथ्य’ इमाइल दुर्खीम की अवधारणा है। ‘तर्कसंगतता’ मैक्स वेबर के काम का केंद्रीय विषय है। ‘आत्मसात्करण’ सामाजिक मनोविज्ञान और जातीयता के अध्ययन से संबंधित है।
प्रश्न 3: “समाजशास्त्र वह विज्ञान है जो सामाजिक क्रियाओं के व्याख्यात्मक बोध (Interpretive Understanding) का प्रयास करता है।” यह कथन किस समाजशास्त्री का है?
- इमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रियाओं के ‘अर्थ’ को समझने पर बल दिया। उनका मानना था कि समाजशास्त्री को व्यक्तियों द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए, जिसे उन्होंने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) कहा।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की समाजशास्त्र की परिभाषा इस व्याख्यात्मक दृष्टिकोण पर आधारित है, जो उन्हें प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्र (जैसे दुर्खीम) से अलग करती है। उनका कार्य ‘Economy and Society’ इस दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्यों’ को बाहरी और बाध्यकारी शक्तियों के रूप में अध्ययन करने पर जोर दिया। मार्क्स आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। स्पेंसर ने जैविक विकासवाद के सिद्धांत को समाज पर लागू किया।
प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का अर्थ क्या है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण।
- निम्न जाति द्वारा उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाना।
- शहरी जीवन शैली को अपनाना।
- आधुनिक तकनीकी ज्ञान का प्रसार।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को समझाया, जिसमें निचली या मध्य जातियों द्वारा उच्च, अक्सर द्विजा (Brahminical) जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और यहाँ तक कि सामाजिक व्यवहार को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा पहली बार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह भारतीय समाज में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण माध्यम रहा है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। ‘शहरीकरण’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में निवास परिवर्तन से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन से जुड़ा है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के बारे में सही है?
- यह व्यक्तिगत गुणों पर आधारित होता है।
- यह समाज के सदस्यों को असमान स्तरों में व्यवस्थित करने की एक प्रणाली है।
- यह केवल आर्थिक असमानता को दर्शाता है।
- यह एक अनैच्छिक प्रक्रिया है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ समाज के सदस्यों को उनकी स्थिति, विशेषाधिकारों, शक्ति और धन के आधार पर विभिन्न परतों या स्तरों में क्रमबद्ध किया जाता है। यह जन्म, धन, शक्ति, ज्ञान आदि पर आधारित हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण की प्रणालियों में दासता, जाति, वर्ग और अवस्था (estate) शामिल हैं। यह सामाजिक संरचना का एक अंतर्निहित हिस्सा है और इसे अक्सर सामाजिक असमानता के स्रोत के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: यह केवल व्यक्तिगत गुणों पर आधारित नहीं होता, बल्कि संरचनात्मक कारकों पर भी। यह केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि शक्ति, प्रतिष्ठा आदि पर भी आधारित हो सकता है। यह हमेशा अनैच्छिक नहीं होता, जैसे वर्ग व्यवस्था में कुछ गतिशीलता संभव है।
प्रश्न 6: “अभिज्ञ वर्ग” (Elite Class) की अवधारणा को किसने विकसित किया?
- इमाइल दुर्खीम
- विलफ्रेडो पारेटो
- सी. राइट मिल्स
- रॉबर्ट मिचेल्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: विलफ्रेडो पारेटो ने अभिज्ञ वर्ग (Elite Class) की अवधारणा का प्रतिपादन किया, जिसमें उन्होंने बताया कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक छोटा सा शासक वर्ग (एलिट) हमेशा मौजूद रहता है जो सत्ता, धन और प्रभाव का अधिकांश हिस्सा रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: पारेटो ने “शासक अभिज्ञ” (governing elite) और “अ-शासक अभिज्ञ” (non-governing elite) के बीच अंतर किया। उन्होंने ‘अभिज्ञ वर्ग के परिचलन’ (circulation of elites) के सिद्धांत का भी वर्णन किया, जिसके अनुसार अभिज्ञ वर्ग में नए और पुराने अभिज्ञों का परिवर्तन होता रहता है।
- गलत विकल्प: सी. राइट मिल्स ने अमेरिकी समाज में ‘पावर एलिट’ (Power Elite) की अवधारणा दी। रॉबर्ट मिचेल्स ने ‘लघुगण के लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) की बात की, जो संगठनों में अभिज्ञता की ओर इशारा करता है। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 7: ‘अनामी’ (Anomie) की सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किस समाजशास्त्री ने इस शब्द का प्रयोग किया?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- इमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: इमाइल दुर्खीम ने ‘अनामी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज में नियमों, मानदंडों और मूल्यों का अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और हताशा की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके कार्यों, विशेष रूप से ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में पाई जाती है। दुर्खीम के अनुसार, जब सामाजिक नियंत्रण कमजोर हो जाता है, तब अनामी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘वेरस्टेहेन’ पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की बात की। ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।
प्रश्न 8: भारतीय संदर्भ में, ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया जाता था, जिसे अब ‘अनुसूचित जाति’ (Scheduled Caste) के रूप में जाना जाता है?
- वे जातियाँ जो पारंपरिक रूप से ब्राह्मणवादी अनुष्ठानों में उच्च मानी जाती थीं।
- वे जातियाँ जिन्हें पारंपरिक रूप से ‘अशुद्ध’ माना जाता था और जिन्हें कई सामाजिक और धार्मिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता था।
- वे जातियाँ जो कृषक समाज का हिस्सा थीं।
- वे जातियाँ जिन्होंने पश्चिमी शिक्षा को अपनाया था।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: भारतीय जाति व्यवस्था में, ‘अछूत’ शब्द ऐतिहासिक रूप से उन समुदायों के लिए प्रयोग किया जाता था जिन्हें जाति पदानुक्रम में सबसे नीचे रखा गया था और जिन्हें शारीरिक संपर्क, सार्वजनिक स्थानों के उपयोग आदि के संबंध में कई गंभीर भेदभाव और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता था। आधुनिक भारतीय संविधान में इन्हें ‘अनुसूचित जाति’ के रूप में मान्यता दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह ऐतिहासिक रूप से दमन और सामाजिक बहिष्कार का प्रतीक रहा है, और भारत सरकार ने इनके उत्थान के लिए संवैधानिक और कानूनी प्रावधान किए हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प उन समूहों का वर्णन करते हैं जो जाति व्यवस्था के उच्च या मध्य स्तरों से संबंधित हैं या जो आधुनिक परिवर्तन से जुड़े हैं, न कि ऐतिहासिक रूप से बहिष्कृत समूहों से।
प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य सरोकार क्या है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण।
- सामाजिक व्यवस्था और संतुलन का अध्ययन।
- व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से अर्थों का निर्माण।
- समाज में शक्ति संबंधों का विश्लेषण।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस बात पर जोर देता है कि लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव, वस्तुएं) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और अपनी वास्तविकता का निर्माण करते हैं। यह व्यक्तिगत और सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं के माध्यम से सामाजिक जीवन को समझने का एक दृष्टिकोण है।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और अर्ल्विंग गोफमैन जैसे समाजशास्त्री इस दृष्टिकोण से जुड़े हैं। यह बताता है कि ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) मैक्रो-सोशियोलॉजी या संघर्ष सिद्धांत से संबंधित हैं। विकल्प (b) संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-functionalism) का मुख्य सरोकार है।
प्रश्न 10: ‘अभिज्ञान’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवाद के तहत, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: कार्ल मार्क्स ने ‘अभिज्ञान’ की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं से, और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर नियंत्रण नहीं रखता, वह केवल एक मशीन के पुर्जे की तरह काम करता है। यह अलगाव व्यक्ति की रचनात्मकता और मानवता को नष्ट कर देता है। यह अवधारणा उनके ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुख है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘अनामी’ की बात की। वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘नौकरशाही’ पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 11: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- सांख्यिकीय डेटा का संग्रह और विश्लेषण।
- सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थों, अनुभवों और संदर्भों को समझना।
- बड़े पैमाने पर आबादी के व्यवहार का सामान्यीकरण करना।
- सामाजिक घटनाओं के बीच कारण-परिणाम संबंधों को मापना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) सामाजिक दुनिया की गहराई और जटिलता को समझने पर केंद्रित होती हैं। वे व्यक्तियों के अनुभवों, विश्वासों, प्रेरणाओं और सामाजिक संदर्भों में उनके व्यवहार के अर्थों को जानने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण अक्सर ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ से जुड़ा होता है। इसका लक्ष्य ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों के उत्तर खोजना है, बजाय इसके कि ‘कितना’।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) मुख्य रूप से मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) की विशेषताएँ हैं, जिनका उद्देश्य संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और उसका सांख्यिकीय विश्लेषण करना होता है।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
- व्यक्तियों का एक समूह जो एक साथ रहते हैं।
- सांस्कृतिक मूल्यों और मानदंडों का एक स्थिर पैटर्न जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- एक विशिष्ट सामाजिक समूह।
- समाज में सत्ता का एक रूप।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्थायी सामाजिक व्यवस्थाएँ हैं जो समाज की मूलभूत आवश्यकताओं (जैसे प्रजनन, शिक्षा, व्यवस्था बनाए रखना) को पूरा करने के लिए विकसित हुई हैं। इनमें परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था जैसी व्यवस्थाएँ शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएँ कुछ विशिष्ट भूमिकाओं, नियमों, मूल्यों और उद्देश्यों के इर्द-गिर्द संगठित होती हैं, जो समाज में व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (c) ‘समूह’ को परिभाषित करते हैं। (d) ‘सत्ता’ को परिभाषित करता है, जो एक संस्था का पहलू हो सकता है, लेकिन पूरी परिभाषा नहीं।
प्रश्न 13: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की प्रमुख विशेषता क्या है?
- खुला सामाजिक स्तरीकरण।
- जन्म आधारित सदस्यता और अंतर्विवाह।
- व्यक्तिगत योग्यता पर आधारित सामाजिक गतिशीलता।
- पसंदीदा व्यावसायिक चुनाव की स्वतंत्रता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी सदस्यता का जन्म पर आधारित होना है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति जिस जाति में पैदा होता है, वह उसी जाति का सदस्य बना रहता है। अंतर्विवाह (Endogamy), यानी अपनी ही जाति के भीतर विवाह करना, भी इसकी एक प्रमुख विशेषता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक अत्यंत कठोर और बंद सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था है जहाँ सामाजिक गतिशीलता बहुत सीमित होती है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी खुली या अधिक लचीली सामाजिक व्यवस्थाओं की विशेषताएँ हैं, न कि बंद जाति व्यवस्था की।
प्रश्न 14: ‘प्रकार्यवाद’ (Functionalism) का दृष्टिकोण समाज को कैसे देखता है?
- एक संघर्ष का मैदान जहाँ विभिन्न समूह सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
- एक जटिल तंत्र जिसके विभिन्न अंग एक साथ मिलकर संतुलन और स्थिरता बनाए रखते हैं।
- व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं से बना एक जाल।
- सामाजिक परिवर्तनों का एक निरंतर प्रवाह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: प्रकार्यवाद, विशेष रूप से संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism), समाज को एक जैविक जीव के समान मानता है, जहाँ समाज के विभिन्न भाग (जैसे संस्थाएँ) एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं और सामूहिक रूप से समाज की निरंतरता और स्थिरता बनाए रखने में योगदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थकों में हर्बर्ट स्पेंसर, एमिल दुर्खीम और टैल्कॉट पार्सन्स शामिल हैं। वे समाज के प्रत्येक तत्व के ‘कार्य’ (function) का विश्लेषण करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का वर्णन करता है। (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का वर्णन करता है। (d) सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांतों से संबंधित है।
प्रश्न 15: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है:
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
- व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना।
- समाज के भीतर सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार।
- सामाजिक संस्थाओं में परिवर्तन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह की किसी समाज के भीतर एक सामाजिक स्थिति (जैसे वर्ग, व्यवसाय, आय) से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intergenerational mobility) का संबंध माता-पिता और उनकी संतानों की स्थिति के बीच परिवर्तन से है, जबकि ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (Intragenerational mobility) का संबंध एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में होने वाले परिवर्तनों से है।
- गलत विकल्प: (a) केवल पीढ़ीगत गतिशीलता का एक पहलू है। (c) सांस्कृतिक प्रसार से संबंधित है। (d) संस्थागत परिवर्तन से संबंधित है।
प्रश्न 16: ‘समूह’ (Group) को परिभाषित करने वाला मुख्य तत्व क्या है?
- उनमें समान विचार हों।
- वे भौगोलिक रूप से एक साथ रहें।
- उनमें अंतःक्रिया हो और वे एक-दूसरे के प्रति सचेत हों।
- वे एक साझा संस्कृति साझा करते हों।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: समाजशास्त्र में, समूह की मूल परिभाषा में सदस्यों के बीच ‘अंतःक्रिया’ (interaction) और ‘पारस्परिक जागरूकता’ (mutual awareness) शामिल है। यह केवल समान विचार रखने, साथ रहने या समान संस्कृति साझा करने से अधिक है; महत्वपूर्ण है कि सदस्य एक-दूसरे से जुड़ें और एक-दूसरे के अस्तित्व को स्वीकार करें।
- संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह (जैसे परिवार, घनिष्ठ मित्र) और द्वितीयक समूह (जैसे कार्यस्थल, क्लब) सभी में यह अंतःक्रियात्मक विशेषता होती है, हालाँकि इसके रूप भिन्न हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: समान विचार (a) या साझा संस्कृति (d) एक समूह की विशेषताएँ हो सकती हैं, लेकिन वे परिभाषित तत्व नहीं हैं। भौगोलिक निकटता (b) भी समूह की एक विशेषता हो सकती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है (जैसे ऑनलाइन समुदाय)।
प्रश्न 17: ‘संस्कृति’ (Culture) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह केवल कला और साहित्य तक सीमित है।
- यह जन्मजात जैविक विशेषता है।
- यह सीखी जाती है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती है।
- यह सभी समाजों में समान होती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: संस्कृति में वे सभी सीखी हुई प्रथाएँ, विश्वास, मूल्य, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएँ और आदतें शामिल होती हैं जिन्हें मनुष्य एक समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त करता है। यह जन्मजात नहीं, बल्कि सीखी जाती है और सामाजिककरण के माध्यम से हस्तांतरित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति समाज का वह हिस्सा है जो सीखा जाता है, साझा किया जाता है और पीढ़ियों तक संचालित होता है।
- गलत विकल्प: संस्कृति कला और साहित्य से कहीं अधिक व्यापक है (a)। यह जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित (b) है। यह समाजों में अत्यधिक विविध (d) होती है।
प्रश्न 18: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया का मुख्य परिणाम क्या है?
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि।
- औद्योगिक उत्पादन में कमी।
- शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवास और शहरी जीवन शैली का प्रसार।
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का मजबूत होना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ग्रामीण आबादी शहरों की ओर स्थानांतरित होती है, जिससे शहरों का आकार और महत्व बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप शहरी जीवन शैली, मूल्य और संस्थाएँ अधिक व्यापक हो जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह औद्योगिकरण, आधुनिकीकरण और आर्थिक अवसरों की तलाश से जुड़ा है।
- गलत विकल्प: (a) शहरीकरण के विपरीत है। (b) और (d) आम तौर पर शहरीकरण के परिणाम नहीं हैं, बल्कि इसके विपरीत या इससे संबंधित अन्य प्रक्रियाएँ हो सकती हैं।
प्रश्न 19: ‘समाजशास्त्र’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: फ्रांसीसी दार्शनिक ऑगस्ट कॉम्टे को अक्सर ‘समाजशास्त्र का जनक’ माना जाता है। उन्होंने 1838 में ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द का प्रयोग पहली बार किया, जिसे उन्होंने ‘सामाजिक भौतिकी’ (Social Physics) के रूप में विकसित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे का मानना था कि समाज का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जा सकता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) की वकालत की, जो अवलोकन और अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधारित वैज्ञानिक ज्ञान के अनुप्रयोग पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: अन्य समाजशास्त्री समाजशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन कॉम्टे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस शब्द को गढ़ा और एक अलग अनुशासन के रूप में इसकी स्थापना की।
प्रश्न 20: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत धन-संपत्ति।
- किसी व्यक्ति के सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और उनसे प्राप्त होने वाली सहायता।
- सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों का कुल मूल्य।
- किसी समाज की भौतिक अवसंरचना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क और संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इसमें विश्वास, आपसी सहयोग और सामाजिक जुड़ाव शामिल हैं जो सामूहिक कार्रवाई को सुविधाजनक बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह सामाजिक जीवन में संबंधों के महत्व पर प्रकाश डालती है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत आर्थिक पूंजी है। (c) और (d) सामाजिक पूंजी से सीधे संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 21: ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है:
- किसी अन्य समूह में विवाह करना।
- अपनी ही जाति, जनजाति या सामाजिक समूह के भीतर विवाह करना।
- एक से अधिक विवाह करना।
- पसंदीदा साथी को चुनना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: अंतर्विवाह एक सामाजिक नियम है जिसके तहत व्यक्तियों को केवल अपने स्वयं के सामाजिक समूह (जैसे जाति, जनजाति, धर्म, या समुदाय) के सदस्यों के साथ ही विवाह करने की अनुमति होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह जाति व्यवस्था जैसी बंद स्तरीकरण प्रणालियों में समूह की पहचान और पवित्रता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: (a) ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) का वर्णन करता है। (c) ‘बहुविवाह’ (Polygamy) का वर्णन करता है। (d) एक सामान्य विवाह चयन प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह अंतर्विवाह को परिभाषित नहीं करती।
प्रश्न 22: ‘जनसंख्या लाभांश’ (Demographic Dividend) का क्या अर्थ है?
- किसी देश की जनसंख्या में बच्चों की अधिकता।
- कार्यशील आयु वर्ग (15-64 वर्ष) की जनसंख्या का आश्रित आयु वर्ग (0-14 वर्ष और 65+ वर्ष) की जनसंख्या पर अधिक होना।
- वृद्ध आबादी का बढ़ता अनुपात।
- जनसंख्या वृद्धि दर में कमी।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: जनसंख्या लाभांश तब उत्पन्न होता है जब किसी देश की कुल जनसंख्या में कार्यशील आयु (आमतौर पर 15-64 वर्ष) की जनसंख्या का अनुपात आश्रितों (बच्चों और बुजुर्गों) के अनुपात से अधिक होता है। इससे आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा श्रम बल उपलब्ध होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आमतौर पर तब होता है जब जन्म दर कम हो जाती है और जीवन प्रत्याशा बढ़ती है, जिससे कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या बढ़ती है जबकि आश्रितों का प्रतिशत घटता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) जनसंख्या के वितरण के अन्य पहलुओं का वर्णन करते हैं। (d) केवल एक कारक है, लाभांश स्वयं नहीं।
प्रश्न 23: ‘अधिकारिता’ (Empowerment) की सामाजिक अवधारणा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- किसी व्यक्ति को शक्तिहीन बनाना।
- हाशिए पर पड़े समुदायों या व्यक्तियों को अपनी क्षमता का एहसास करने और अपने जीवन पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाना।
- सरकारी सहायता कार्यक्रमों को लागू करना।
- पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: अधिकारिता का अर्थ है व्यक्तियों या समुदायों को उनकी क्षमताएँ विकसित करने, निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त करने और अपने जीवन और पर्यावरण को प्रभावित करने की क्षमता प्रदान करना। यह विशेष रूप से वंचित और हाशिए पर पड़े समूहों के लिए महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक न्याय, समानता और व्यक्तिगत स्वायत्तता के सिद्धांतों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
- गलत विकल्प: (a) अधिकारिता के विपरीत है। (c) अधिकारिता का एक उपकरण हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अधिकारिता नहीं है। (d) अधिकारिता अक्सर पारंपरिक बाधाओं को दूर करने से संबंधित होती है।
प्रश्न 24: ‘संरचनात्मक-कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य’ (Structural-Functional Perspective) के अनुसार, ‘सामाजिक समस्या’ (Social Problem) क्या है?
- समाज के संतुलन को बिगाड़ने वाली कोई भी स्थिति।
- समाज की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफलता।
- ऐसी स्थिति जो समाज के कुछ सदस्यों के लिए हानिकारक हो।
- अप्रत्यक्ष रूप से समाज के लिए लाभकारी स्थितियाँ।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के दृष्टिकोण से, सामाजिक समस्याएँ वे घटनाएँ या स्थितियाँ हैं जो समाज की स्थिरता, व्यवस्था और संतुलन को बाधित करती हैं। ये समाज के कामकाज में विचलन (deviation) मानी जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: प्रकार्यवाद इस बात पर जोर देता है कि समाज में व्यवस्था और सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है, इसलिए किसी भी स्थिति को जो इस व्यवस्था को भंग करती है, एक सामाजिक समस्या के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: (b) और (c) सामाजिक समस्याओं के कुछ पहलू हो सकते हैं, लेकिन प्रकार्यवाद के अनुसार मुख्य बिंदु ‘संतुलन का विघटन’ है। (d) प्रकार्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण (functionally significant) हो सकता है, लेकिन यह सामाजिक समस्या की परिभाषा में फिट नहीं बैठता।
प्रश्न 25: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया किस लिए महत्वपूर्ण है?
- एक व्यक्ति को समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखना।
- व्यक्तियों को स्वाभाविक रूप से सभ्य बनाना।
- समाज में संरचनात्मक असमानता को बनाए रखना।
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही क्यों: सामाजिकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में अपनी संस्कृति, कौशल, ज्ञान, अपेक्षाओं और व्यवहार के तरीकों को सीखते हैं। यह व्यक्तियों को समाज में प्रभावी ढंग से कार्य करने और अपनी पहचान विकसित करने में मदद करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवार, शिक्षा, सहकर्मी समूह, मीडिया जैसे विभिन्न अभिकर्ताओं (agents) के माध्यम से होता है।
- गलत विकल्प: (b) सामाजिकरण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह इसकी परिभाषा नहीं है। (c) सामाजिकरण का लक्ष्य असमानता को बनाए रखना नहीं है, बल्कि समाज में एकीकरण है। (d) आर्थिक विकास सामाजिकरण का प्रत्यक्ष या प्राथमिक लक्ष्य नहीं है।