संकल्प: समाजशास्त्र की तैयारी का आज का रण
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! अपनी समाजशास्त्रीय समझ को एक नई ऊँचाई देने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन, हम आपके लिए लाते हैं समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, विचारकों और समकालीन मुद्दों पर आधारित 25 चुनिंदा प्रश्न। आज के इस अभ्यास सत्र में अपने ज्ञान का परीक्षण करें और अपनी अवधारणाओं को और भी पैना बनाएँ!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘जाति व्यवस्था’ पर अपने कार्य के लिए प्रसिद्ध भारतीय समाजशास्त्री कौन हैं, जिन्होंने ‘संरक्षण’ (Sanskritization) की अवधारणा पेश की?
- एम. एन. श्रीनिवास
- ई. ई. ई. डी. सी. डी. ई. एफ. जी. एच. आई. जे. के. एल. एम. एन. ओ. पी. क्यू. आर. एस. टी. यू. वी. डब्ल्यू. एक्स. वाई. जेड.
- रामकृष्ण मुखर्जी
- इरावती कर्वे
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एम. एन. श्रीनिवास, एक अग्रणी भारतीय समाजशास्त्री, ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में ‘संरक्षण’ (Sanskritization) की अवधारणा को परिभाषित किया। यह निम्न जाति या जनजाति के सदस्यों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विचारों को अपनाने की प्रक्रिया है ताकि सामाजिक पदानुक्रम में उनका दर्जा ऊँचा हो सके।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा 1952 में प्रस्तुत की थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जहाँ एक समूह सामाजिक सीढ़ी पर चढ़ने के लिए उच्च जातियों के व्यवहार को अपनाता है।
- गलत विकल्प: रामकृष्ण मुखर्जी और इरावती कर्वे भी भारतीय समाजशास्त्री थे जिन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन ‘संरक्षण’ की अवधारणा विशेष रूप से श्रीनिवास से जुड़ी है। Ramakrishna Mukherjee ने ‘सामाजिक बदलाव’ पर काम किया, जबकि इरावती कर्वे ने ‘किनशिप’ और ‘जाति’ पर विस्तृत नृवंशविज्ञान (ethnographic) अध्ययन किए।
प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में श्रमिकों के उत्पादन के साधनों से अलगाव (Alienation) का प्राथमिक कारण क्या है?
- श्रमिकों का असंगठित होना
- श्रमिकों द्वारा अधिशेष मूल्य (Surplus Value) का सृजन
- उत्पादन प्रक्रिया पर श्रमिकों का नियंत्रण न होना
- श्रमिकों का अपने संघों (Unions) से अलगाव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाया है, जो बताता है कि पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक न केवल उत्पादन के साधनों से, बल्कि उत्पादन की प्रक्रिया से, अपने श्रम के उत्पाद से, अपने जैसे अन्य मनुष्यों से, और अंततः अपनी मानवीय क्षमता (species-being) से भी अलग-थलग महसूस करता है। इसका मूल कारण यह है कि श्रमिक उत्पादन प्रक्रिया का सक्रिय भागीदार न होकर केवल एक मोहरे के रूप में काम करता है, और उत्पादन के साधनों पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से पाई जाती है। श्रमिकों का अधिशेष मूल्य सृजन (b) वास्तव में अलगाव का परिणाम और पूँजीवादी शोषण का आधार है, लेकिन अलगाव का प्रत्यक्ष कारण उत्पादन प्रक्रिया पर नियंत्रण की कमी है।
- गलत विकल्प: (a) असंगठन अलगाव का परिणाम हो सकता है, लेकिन कारण नहीं। (d) संघों से अलगाव एक प्रकार का सामाजिक अलगाव है, न कि उत्पादन के साधनों से प्रत्यक्ष अलगाव का कारण।
प्रश्न 3: एमील दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) को कैसे परिभाषित किया?
- व्यक्तिगत चेतना के विचार
- बाह्य और बाध्यकारी सामाजिक संरचनाएँ
- प्रकृति के नियम
- आर्थिक व्यवस्था के सिद्धांत
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Rules of Sociological Method’ में ‘सामाजिक तथ्यों’ को परिभाषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य ‘विचार, भावनाएँ और व्यवहार के तरीके हैं जो व्यक्ति के लिए बाह्य हैं और जिनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है’। ये व्यक्तिगत चेतना से स्वतंत्र होते हैं और समाज पर शासन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम समाजशास्त्र को विज्ञान बनाने के पक्षधर थे और उन्होंने इसे अन्य विज्ञानों से अलग करने के लिए ‘सामाजिक तथ्यों’ के अध्ययन पर जोर दिया। इसका अर्थ है कि समाजशास्त्र को व्यक्तिगत मनोविज्ञान या जैविक प्रवृत्तियों के बजाय सामाजिक स्तर पर घटनाओं का अध्ययन करना चाहिए।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत चेतना मनोविज्ञान का विषय है, समाजशास्त्र का नहीं। (c) प्रकृति के नियम प्राकृतिक विज्ञान से संबंधित हैं। (d) आर्थिक व्यवस्था समाज का एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन ‘सामाजिक तथ्य’ एक व्यापक अवधारणा है जिसमें सामाजिक नियम, कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता, विश्वास आदि शामिल हैं।
प्रश्न 4: मैक्स वेबर ने ‘करिश्माई अधिकार’ (Charismatic Authority) की अवधारणा किसके साथ जोड़ी?
- परंपरा
- कानूनी-तर्कसंगत व्यवस्था
- असाधारण व्यक्तिगत गुण
- पदानुक्रमित नौकरशाही
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, कानूनी-तर्कसंगत, और करिश्माई। करिश्माई अधिकार उन नेताओं से उत्पन्न होता है जिनके पास असाधारण व्यक्तिगत गुण, प्रतिभा या अलौकिक शक्तियाँ होती हैं, जिनके कारण अनुयायी उनकी ओर आकर्षित होते हैं और उनका पालन करते हैं।
संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी रचना ‘Economy and Society’ में इन अवधारणाओं पर विस्तार से चर्चा की है। ऐसे नेता अक्सर क्रांतियों या सामाजिक उथल-पुथल के दौर में उभरते हैं।
गलत विकल्प: (a) परंपरा पारंपरिक अधिकार का आधार है। (b) और (d) कानूनी-तर्कसंगत अधिकार और नौकरशाही से संबंधित हैं, जहाँ अधिकार नियमों और पद सोपान पर आधारित होता है, न कि व्यक्तिगत करिश्मे पर।
प्रश्न 5: फर्डिनेंड टोनीज ने दो प्रकार के समाजों की कल्पना की: ‘गेमेन्शाफ्ट’ (Gemeinschaft – समुदाय) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gessellschaft – समाज)। गेमेन्शाफ्ट की विशेषता क्या है?
- औपचारिक संबंध और व्यक्तिगत हित
- अनामिक और अमूर्त संबंध
- घनिष्ठ, व्यक्तिगत और पारंपरिक संबंध
- बड़े पैमाने पर संस्थाएँ और विस्तृत श्रम विभाजन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: टोनीज ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft and Gesellschaft’ (1887) में इन दो आदर्श प्रकारों का वर्णन किया। गेमेन्शाफ्ट (समुदाय) को घनिष्ठ, व्यक्तिगत, भावनात्मक और पारंपरिक संबंधों द्वारा चिह्नित किया जाता है, जो अक्सर परिवार, पड़ोस और घनिष्ठ मित्रों के बीच पाए जाते हैं। इसमें एकता और साझा पहचान की भावना प्रबल होती है।
संदर्भ और विस्तार: गेमेन्शाफ्ट ग्रामीण जीवन और पारंपरिक समाजों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि गेसेलशाफ्ट आधुनिक, औद्योगिक और शहरी समाजों का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ संबंध अवैयक्तिक, औपबंधिक (instrumental) और स्वार्थ-प्रेरित होते हैं।
गलत विकल्प: (a) और (d) गेसेलशाफ्ट की विशेषताएँ हैं। (b) अनामिक और अमूर्त संबंध भी गेसेलशाफ्ट में अधिक देखे जाते हैं।
प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) से आप क्या समझते हैं?
- समाज में व्यक्तियों की भूमिकाओं का निर्धारण
- समाज में असमानता का एक व्यवस्थित पैटर्न
- समाज में नियमों और कानूनों का निर्माण
- समाज में धार्मिक विश्वासों का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों के समूहों को उनकी संपत्ति, आय, सामाजिक स्थिति, शक्ति और शिक्षा जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह समाज में संसाधनों के असमान वितरण का एक व्यवस्थित पैटर्न है।
संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण प्रणालियों में दासता, जाति, वर्ग और संपत्ति शामिल हो सकते हैं। यह समाज के सदस्यों के बीच आय, अवसर और जीवन शैली में महत्वपूर्ण अंतर पैदा करता है।
गलत विकल्प: (a) भूमिका निर्धारण सामाजिकरण का हिस्सा हो सकता है, लेकिन स्तरीकरण का मुख्य उद्देश्य नहीं। (c) नियम और कानून सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हैं, लेकिन वे स्वयं स्तरीकरण का कारण नहीं। (d) धार्मिक विश्वास समाज का एक पहलू हैं, लेकिन स्तरीकरण स्वयं विश्वासों पर आधारित हो सकता है या उन्हें प्रभावित कर सकता है, यह स्तरीकरण की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 7: रॉबर्ट मर्टन की ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) की मुख्य विशेषता क्या है?
- एकल, व्यापक समाजशास्त्रीय सिद्धांत विकसित करना
- सिद्धांतों के एक विशिष्ट सेट के भीतर अनुभवजन्य घटनाओं की व्याख्या करना
- समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञान के रूप में स्थापित करना
- सभी सामाजिक समस्याओं का एक ही समाधान खोजना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: मर्टन का मानना था कि समाजशास्त्र को न तो अत्यंत सामान्य ‘विशाल सिद्धांत’ (Grand Theory) की ओर बढ़ना चाहिए (जैसे कि टैल्कोट पार्सन्स का ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’) और न ही केवल तथ्यों के संकलन तक सीमित रहना चाहिए। उन्होंने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ की वकालत की, जो विशिष्ट सामाजिक घटनाओं या प्रक्रियाओं (जैसे, विपथन, नोबल प्रभाव, ब्यूरोक्रेसी) की व्याख्या करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन बड़े, सर्वव्यापी सिद्धांतों से अधिक प्राप्त करने योग्य और अनुभवजन्य रूप से परीक्षण योग्य हैं।
संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘Social Theory and Social Structure’ (1949) में इन विचारों को प्रस्तुत किया। उनका उद्देश्य समाजशास्त्र को अधिक अनुभवजन्य और सैद्धांतिक रूप से सुसंगत बनाना था।
गलत विकल्प: (a) यह विशाल सिद्धांतों (Grand Theories) के बारे में है। (c) हालांकि मर्टन अनुभववाद पर जोर देते थे, यह मुख्य रूप से समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञान बनाने के बारे में नहीं था, बल्कि इसके सैद्धांतिक आधार को मजबूत करने के बारे में था। (d) यह बहुत संकीर्ण है; मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत विशिष्ट समस्याओं पर केंद्रित होते हैं।
प्रश्न 8: समाज में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्बिन जी. स्लोबोडिन
- विलियम एफ. ओगबर्न
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: विलियम एफ. ओगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ (1922) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की। यह तब होता है जब समाज के विभिन्न सांस्कृतिक तत्व, विशेष रूप से भौतिक संस्कृति (जैसे तकनीक) और अभौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, संस्थाएं) अलग-अलग दरों पर बदलते हैं। अक्सर, भौतिक संस्कृति तेजी से बदलती है, जबकि अभौतिक संस्कृति पीछे रह जाती है, जिससे सामाजिक समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और स्मार्टफोन जैसी नई प्रौद्योगिकियों (भौतिक संस्कृति) का आविष्कार तेजी से हुआ, लेकिन उनके उपयोग से संबंधित सामाजिक मानदंड, कानून और नैतिकता (अभौतिक संस्कृति) को विकसित होने में समय लगा।
गलत विकल्प: समनर ने ‘लोकप्रिय रीति-रिवाज’ (Folkways) और ‘अभिनव रीति-रिवाज’ (Mores) के बीच अंतर किया। स्लोबोडिन या स्पेंसर ने इस विशिष्ट अवधारणा को पेश नहीं किया।
प्रश्न 9: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य जोर किस पर होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन
- सामाजिक समूहों के बीच शक्ति संघर्ष
- व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं में अर्थ निर्माण
- समाज के विभिन्न भागों के बीच संतुलन और स्थिरता
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख विचारक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन हैं, मानता है कि समाज लोगों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं का परिणाम है। यह इस बात पर केंद्रित है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और कैसे इन अंतःक्रियाओं से अर्थ, स्वयं (self) और सामाजिक वास्तविकता का निर्माण होता है।
संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्र का एक प्रमुख उदाहरण है। उदाहरण के लिए, यह समझने की कोशिश करता है कि कैसे बच्चे भाषा और अन्य प्रतीकों के माध्यम से सामाजिक दुनिया में अपनी पहचान बनाना सीखते हैं।
गलत विकल्प: (a) यह संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद की विशेषता है। (b) यह मार्क्सवाद की विशेषता है। (d) यह संरचनात्मक प्रकार्यवाद की विशेषता है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की एक विशेषता नहीं है?
- राज्य और धर्म का पृथक्करण
- सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान
- धार्मिक समूहों के बीच प्रतिस्पर्धा
- धार्मिक संस्थानों का आधुनिकीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: भारतीय धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताएँ राज्य और धर्म का पृथक्करण, सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और सहिष्णुता, और अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा हैं। जबकि धार्मिक समूहों के बीच बातचीत होती है, ‘प्रतिस्पर्धा’ को धर्मनिरपेक्षता की एक अंतर्निहित विशेषता नहीं माना जाता है, बल्कि यह सामाजिक गतिशीलता का एक पहलू हो सकता है।
संदर्भ और विस्तार: भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ केवल राज्य का धर्म से पृथक्करण नहीं है, बल्कि यह विभिन्न धर्मों के सह-अस्तित्व को भी सुनिश्चित करता है।
गलत विकल्प: (a), (b), और (d) भारतीय धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत और व्यवहार से मेल खाते हैं।
प्रश्न 11: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘परिवार’ को अक्सर किस रूप में परिभाषित किया जाता है?
- केवल जैविक संबंध रखने वाले व्यक्तियों का समूह
- सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त संबंध, सामान्यतः प्रजनन, पालन-पोषण और भावनात्मक समर्थन पर आधारित
- आर्थिक सहयोग के लिए व्यक्तियों का अस्थायी गठबंधन
- एक राजनीतिक इकाई जो वंशानुगत अधिकार रखती है
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: समाजशास्त्र में, परिवार को केवल जैविक संबंधों तक सीमित नहीं रखा जाता, बल्कि इसे एक सामाजिक संस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें ऐसे व्यक्ति शामिल होते हैं जिनके बीच सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त संबंध होते हैं। ये संबंध अक्सर प्रजनन, बच्चों के पालन-पोषण, भावनात्मक समर्थन, साझा निवास और आर्थिक सहयोग पर आधारित होते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में परिवार के विभिन्न रूप (जैसे, नाभिकीय, विस्तृत, एकल-अभिभावक) पाए जाते हैं, लेकिन सामाजिक मान्यता और कार्य मुख्य होते हैं।
संदर्भ और विस्तार: परिवार समाज की प्राथमिक सामाजिक संस्था है जो समाजीकरण और सामाजिक निरंतरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
गलत विकल्प: (a) यह केवल जीवविज्ञान पर केंद्रित है। (c) परिवार की भूमिका आर्थिक सहयोग से कहीं बढ़कर है और इसे स्थायी माना जाता है। (d) यह केवल राजशाही या कुलीन परिवारों पर लागू हो सकता है।
प्रश्न 12: ‘संस्थात्मक भेदभाव’ (Institutional Discrimination) क्या है?
- व्यक्तियों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया गया भेदभाव
- समाज की संस्थाओं (जैसे शिक्षा, कानून, रोज़गार) की नीतियों, प्रथाओं या संरचनाओं में निहित भेदभाव
- व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों का एक संग्रह
- संस्कृति के मूल्यों में पाया जाने वाला भेदभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: संस्थागत भेदभाव तब होता है जब किसी समाज की प्रमुख संस्थाओं की सामान्य प्रथाओं, नीतियों या संरचनाओं में किसी विशेष समूह के प्रति पक्षपात निहित होता है, भले ही यह अनजाने में हो। यह व्यक्तिगत इरादे से अधिक, संस्थागत प्रक्रियाओं का परिणाम होता है।
संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी की भर्ती प्रक्रिया अनजाने में कुछ जनसांख्यिकीय समूहों के उम्मीदवारों को नुकसान पहुँचाती है, भले ही उनका इरादा निष्पक्ष होना हो, तो वह संस्थागत भेदभाव का एक रूप है।
गलत विकल्प: (a) यह प्रत्यक्ष भेदभाव (direct discrimination) का वर्णन करता है। (c) व्यक्तिगत पूर्वाग्रह संस्थागत भेदभाव में योगदान कर सकते हैं, लेकिन वे स्वयं संस्थागत भेदभाव नहीं हैं। (d) सांस्कृतिक मूल्य संस्थागत भेदभाव को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन भेदभाव स्वयं संस्थाओं के कामकाज में निहित होता है।
प्रश्न 13: एलविन जी. स्लोबोडिन (Alvin G. Sandberg) ने अपनी पुस्तक ‘The Age of Diminishing Expectations’ में किस सामाजिक परिवर्तन की प्रवृत्ति का विश्लेषण किया?
- बढ़ती सामाजिक गतिशीलता
- आय और धन के वितरण में बढ़ती समानता
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन और युवा आबादी में कमी
- पीढ़ी दर पीढ़ी आर्थिक प्रगति में कमी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: एलविन जी. स्लोबोडिन ने 1980 के दशक में अपनी पुस्तक ‘The Age of Diminishing Expectations’ में यह तर्क दिया कि पश्चिमी समाजों में, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में, पिछली पीढ़ियों की तुलना में युवा पीढ़ी अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने में कम सक्षम होगी। उन्होंने यह भविष्यवाणी की कि आय और धन का वितरण अधिक असमान हो जाएगा।
संदर्भ और विस्तार: यह विचार बाद में ‘Generational Inequality’ या ‘Regressive Generational Mobility’ जैसी अवधारणाओं के साथ जोड़ा गया।
गलत विकल्प: (a) और (b) स्लोबोडिन के तर्क के विपरीत हैं। (c) हालांकि जनसांख्यिकीय परिवर्तन प्रासंगिक हो सकते हैं, उनकी पुस्तक का मुख्य जोर आर्थिक प्रगति की घटती उम्मीदों पर था।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य क्या है?
- समाज में व्यक्तियों के विचारों का परिवर्तन
- समाज में विभिन्न समूहों के बीच संबंध
- व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर स्थानांतरण
- समाज में रूढ़ियों का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (जैसे वर्ग, आय, व्यवसाय) को बदलते हैं, या तो ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी गतिशीलता) या नीचे की ओर (अधोगामी गतिशीलता)। इसमें अंतर-पीढ़ी (inter-generational) गतिशीलता (माता-पिता से बच्चों तक) और अंतरा-पीढ़ी (intra-generational) गतिशीलता (एक ही व्यक्ति के जीवनकाल में) शामिल हो सकती है।
संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का स्तर समाज की संरचना और खुलेपन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
गलत विकल्प: (a) विचारों का परिवर्तन ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ या ‘मानसिकता’ से संबंधित है। (b) समूहों के बीच संबंध ‘सामाजिक संबंध’ या ‘अंतःक्रिया’ है। (d) रूढ़ियों का प्रसार ‘रूढ़िवादिता’ (stereotyping) है।
प्रश्न 15: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘करिश्मा’ (Charisma) का क्या अर्थ है?
- ज्ञान और तर्क पर आधारित शक्ति
- जन्म या वंशानुक्रम से प्राप्त अधिकार
- ईश्वरीय या असाधारण गुण, जिससे व्यक्ति को विशेष शक्ति प्राप्त होती है
- कानून और नियमों पर आधारित व्यवस्था
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: वेबर ने ‘करिश्मा’ को एक ऐसे गुण के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्ति को असाधारण, अलौकिक या विशेष रूप से शक्तिशाली के रूप में प्रस्तुत करता है, और जिसके कारण अनुयायी उस व्यक्ति के प्रति वफादार हो जाते हैं और उसका पालन करते हैं। यह योग्यता या तर्क पर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत अपील और विश्वास पर आधारित होता है।
संदर्भ और विस्तार: करिश्माई नेता धार्मिक नेता, युद्धनायक या क्रांतिकारी हो सकते हैं। हालांकि, वेबर ने यह भी नोट किया कि करिश्मा स्वाभाविक रूप से अस्थिर होता है और अक्सर ‘करिश्मे के लोकतंत्रीकरण’ (routinization of charisma) के माध्यम से परंपरा या नौकरशाही में परिवर्तित हो जाता है।
गलत विकल्प: (a) यह कानूनी-तर्कसंगत अधिकार है। (b) यह पारंपरिक अधिकार है। (d) यह भी कानूनी-तर्कसंगत अधिकार से संबंधित है।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन समाजशास्त्रीय अनुसंधान के लिए एक ‘गुणात्मक’ (Qualitative) विधि का उदाहरण है?
- सर्वेक्षण (Survey)
- सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
- फोकस समूह (Focus Group)
- प्रयोग (Experiment)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: गुणात्मक अनुसंधान विधियाँ गैर-सांख्यिकीय डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जैसे कि साक्षात्कार, अवलोकन और चर्चाएँ। फोकस समूह, जहाँ लोगों के एक समूह को किसी विशेष विषय पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, लोगों के विचारों, अनुभवों और दृष्टिकोणों की गहराई से समझ प्रदान करता है।
संदर्भ और विस्तार: अन्य गुणात्मक विधियों में गहन साक्षात्कार, नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी शामिल हैं।
गलत विकल्प: (a) सर्वेक्षण में अक्सर मात्रात्मक डेटा (जैसे रेटिंग स्केल) या वर्गीकृत डेटा का संग्रह होता है। (b) यह स्पष्ट रूप से मात्रात्मक है। (d) प्रयोगों में चर (variables) के बीच कारण-कार्य संबंध स्थापित करने के लिए मात्रात्मक डेटा का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 17: ‘समाजशास्त्र’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- अगस्ट कॉम्ते
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: फ्रांसीसी दार्शनिक अगस्ट कॉम्ते को ‘समाजशास्त्र का जनक’ माना जाता है। उन्होंने 1839 में अपनी पुस्तक ‘The Course of Positive Philosophy’ में ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द गढ़ा। उन्होंने इस नए विज्ञान को समाज के अध्ययन के लिए एक सकारात्मक (positive) और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव दिया।
संदर्भ और विस्तार: कॉम्ते ने समाज के विकास के ‘तीन अवस्थाओं के नियम’ (Law of Three Stages) का भी प्रस्ताव दिया: धार्मिक, दार्शनिक और सकारात्मक।
गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और वेबर सभी समाजशास्त्र के संस्थापक विचारक थे, लेकिन उन्होंने इस शब्द की रचना नहीं की।
प्रश्न 18: निम्नांकित में से कौन सी सामाजिक संस्था ‘बालकों का समाजीकरण’ (Socialization of Children) के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार है?
- राज्य
- परिवार
- विश्वविद्यालय
- बाजार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: परिवार को बच्चों के समाजीकरण के लिए प्राथमिक संस्था माना जाता है। यहीं पर बच्चे भाषा, मूल मूल्य, मानदंड, व्यवहार के पैटर्न और अपनी संस्कृति की मूल बातें सीखते हैं। यद्यपि अन्य संस्थाएँ भी समाजीकरण में भूमिका निभाती हैं, परिवार वह पहला और सबसे महत्वपूर्ण एजेंट है।
संदर्भ और विस्तार: समाजीकरण एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है, लेकिन प्रारंभिक अवस्था में परिवार की भूमिका अनमोल होती है।
गलत विकल्प: राज्य, विश्वविद्यालय और बाजार भी समाजीकरण में योगदान करते हैं (जैसे, नागरिकता, व्यावसायिक कौशल, उपभोक्तावाद), लेकिन परिवार प्राथमिक एजेंट है।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) बनाए रखने में ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की क्या भूमिका है?
- समाज में अराजकता को बढ़ावा देना
- यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति और समूह समाज के मानदंडों और नियमों का पालन करें
- समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ाना
- नए सामाजिक विचारों का विकास करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: सामाजिक नियंत्रण उन साधनों और विधियों को संदर्भित करता है जिनका उपयोग समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित और निर्देशित करने के लिए करता है ताकि सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमान सुनिश्चित हो सके। इसमें औपचारिक (कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (सामाजिक दबाव, रीति-रिवाज) तंत्र शामिल हैं।
संदर्भ और विस्तार: सामाजिक नियंत्रण के बिना, समाज अराजकता में पड़ सकता है क्योंकि लोग नियमों का पालन नहीं करेंगे।
गलत विकल्प: (a) सामाजिक नियंत्रण का उद्देश्य अराजकता को रोकना है। (c) यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विनियमित करता है, न कि बढ़ाता है, हालाँकि यह स्वतंत्रता के लिए एक सुरक्षित ढाँचा प्रदान कर सकता है। (d) नए विचारों का विकास अक्सर सामाजिक नियंत्रण से स्वतंत्र या उसके विरुद्ध हो सकता है।
प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा एक पहलू नहीं है?
- औद्योगीकरण और शहरीकरण
- शिक्षा का प्रसार और तर्कसंगतता में वृद्धि
- जाति-आधारित पहचान का कम होना
- पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों का सख्त पालन
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: आधुनिकीकरण आम तौर पर औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता और वैज्ञानिक सोच में वृद्धि, तथा धर्मनिरपेक्षता की ओर झुकाव से जुड़ा है। जबकि भारत में आधुनिकीकरण के साथ जाति-आधारित पहचान में परिवर्तन देखा गया है, पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों का सख्त पालन आम तौर पर आधुनिकीकरण के बजाय परंपरावाद का प्रतीक है।
संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसके सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम होते हैं।
गलत विकल्प: (a), (b), और (c) आधुनिकीकरण के सामान्य रूप से जुड़े पहलू हैं, हालांकि उनके प्रभाव जटिल और बहुआयामी रहे हैं।
प्रश्न 21: ‘विपथन’ (Deviance) को समाजशास्त्र में किस रूप में समझा जाता है?
- समाज के सभी स्वीकृत नियमों और मानदंडों का उल्लंघन
- केवल आपराधिक व्यवहार
- समाज के कुछ स्वीकृत मानदंडों और अपेक्षाओं का उल्लंघन, जिसके लिए सामाजिक प्रतिक्रिया (जैसे निंदा या दंड) की जाती है
- व्यक्तिगत नैतिक पतन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: विपथन किसी भी ऐसे व्यवहार को संदर्भित करता है जो किसी समाज या समूह के स्वीकृत मानदंडों का उल्लंघन करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि विपथन सापेक्ष होता है, जिसका अर्थ है कि जो एक समाज या स्थिति में विपथित है, वह दूसरे में नहीं हो सकता है। विपथन को अक्सर सामाजिक प्रतिक्रिया (जैसे, निंदा, जुर्माना, कारावास) द्वारा परिभाषित किया जाता है।
संदर्भ और विस्तार: इसमें न केवल अपराध शामिल हैं, बल्कि वे व्यवहार भी शामिल हैं जिन्हें सामाजिक रूप से अस्वीकार्य माना जाता है, जैसे कि अजीब कपड़े पहनना या सार्वजनिक रूप से बहुत जोर से बोलना।
गलत विकल्प: (a) ‘सभी’ शब्द इसे बहुत व्यापक बनाता है; विपथन विशिष्ट मानदंडों के उल्लंघन से संबंधित है। (b) विपथन केवल अपराध तक सीमित नहीं है। (d) यह एक व्यक्तिगत नैतिक निर्णय है, जबकि विपथन एक सामाजिक व्याख्या है।
प्रश्न 22: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच क्या अंतर है?
- ‘मैं’ सामाजिक अपेक्षाएँ हैं, जबकि ‘मुझे’ व्यक्ति की प्रतिक्रियाएँ हैं।
- ‘मैं’ व्यक्ति का अव्यवस्थित, सहज हिस्सा है, जबकि ‘मुझे’ वह हिस्सा है जिसे समाज ने आकार दिया है।
- ‘मैं’ बाहरी दुनिया है, जबकि ‘मुझे’ आंतरिक दुनिया है।
- ‘मैं’ चेतन सोच है, जबकि ‘मुझे’ अचेतन है।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के एक प्रमुख व्यक्ति, ने ‘स्व’ (self) के विकास में ‘मैं’ और ‘मुझे’ के बीच अंतर किया। ‘मैं’ व्यक्ति का वह हिस्सा है जो अव्यवस्थित, सहज, रचनात्मक और अक्सर प्रतिक्रियाशील होता है। ‘मुझे’ समाज द्वारा आंतरिक किए गए दृष्टिकोणों, अपेक्षाओं और नियमों का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति ‘मुझे’ पर प्रतिक्रिया करके ‘मैं’ का अनुभव करता है, और यह संवाद स्वयं के गठन का निर्माण करता है।
संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, बच्चे ‘खेल’ (play) और ‘खेल’ (game) अवस्थाओं से गुजरते हुए ‘मुझे’ को विकसित करते हैं, जहाँ वे दूसरों की भूमिकाएँ अपनाना सीखते हैं, जिसमें ‘सामान्यीकृत अन्य’ (generalized other) का दृष्टिकोण भी शामिल है।
गलत विकल्प: (a) यह विपरीत है। (c) और (d) मीड के सिद्धांत के अनुरूप नहीं हैं।
प्रश्न 23: सामाजिक अनुसंधान में ‘विषयपरकता’ (Subjectivity) और ‘वस्तुनिष्ठता’ (Objectivity) के बीच क्या संबंध है?
- विषयपरकता वस्तुनिष्ठता की दुश्मन है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
- वस्तुनिष्ठता का अर्थ है शोधकर्ता की विषयपरक भावनाओं को पूरी तरह से अलग रखना।
- सामाजिक विज्ञान में, वस्तुनिष्ठता प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि अध्ययन का विषय स्वयं मानव समाज है।
- ये दोनों अवधारणाएँ सामाजिक अनुसंधान में समान अर्थ रखती हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: प्राकृतिक विज्ञानों की तुलना में सामाजिक विज्ञानों में वस्तुनिष्ठता प्राप्त करना अधिक जटिल है। इसका कारण यह है कि समाजशास्त्री जिस समाज का अध्ययन कर रहे हैं, उसके सदस्य हैं, और उनके अपने पूर्वाग्रह, मूल्य और दृष्टिकोण हो सकते हैं जो उनके विश्लेषण को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, शोधकर्ताओं को अपनी विषयपरकता के प्रति सचेत रहना चाहिए और यथासंभव वस्तुनिष्ठ विश्लेषण करने का प्रयास करना चाहिए।
संदर्भ और विस्तार: वेबर की ‘सांवेगात्मक तटस्थता’ (affective neutrality) या ‘मूल्य-तटस्थता’ (value-neutrality) की अवधारणा इसी विचार से संबंधित है कि समाजशास्त्रियों को अपने व्यक्तिगत मूल्यों को शोध प्रक्रिया में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।
गलत विकल्प: (a) विषयपरकता को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे प्रबंधित किया जा सकता है। (b) ‘पूरी तरह से अलग रखना’ एक आदर्श है, लेकिन व्यवहार में बहुत मुश्किल है। (d) ये दोनों अवधारणाएँ भिन्न हैं।
प्रश्न 24: ‘पदानुक्रमित नौकरशाही’ (Hierarchical Bureaucracy) की अवधारणा के मुख्य निर्माता कौन माने जाते हैं?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ताल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) को आधुनिक समाज में सत्ता और संगठन के एक आदर्श प्रकार के रूप में विस्तृत रूप से वर्णित किया। उन्होंने इसकी विशेषताओं जैसे स्पष्ट पदानुक्रम, विशेषज्ञता, लिखित नियम, अवैयक्तिक संबंध और पदोन्नति को योग्यता के आधार पर समझाना।
संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को ‘तर्कसंगत-कानूनी अधिकार’ (rational-legal authority) के मुख्य वाहक के रूप में देखा। यद्यपि वेबर ने इसके दक्षतापूर्ण पहलुओं को पहचाना, उन्होंने इसके ‘लोहे के पिंजरे’ (iron cage) बनने की भी चेतावनी दी, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है।
गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने नौकरशाही को पूँजीपति वर्ग के शोषण के एक उपकरण के रूप में देखा। पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और प्रकार्यवाद पर काम किया।
प्रश्न 25: भारत में ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के कारण उत्पन्न होने वाली एक प्रमुख सामाजिक समस्या क्या है?
- बेरोजगारी में कमी
- बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता
- मलिन बस्तियों (Slums) और अनियोजित विकास का उदय
- पारिवारिक बंधन का मजबूत होना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सही होने का कारण: भारत जैसे विकासशील देशों में, शहरीकरण अक्सर तेजी से और अनियोजित होता है। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में शहरों की ओर पलायन करते हैं, लेकिन शहरी बुनियादी ढाँचे और आवास क्षमता से अधिक हो जाता है। इससे मलिन बस्तियों का विकास, भीड़भाड़, स्वच्छता की समस्याएँ, प्रदूषण और सामाजिक विघटन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
संदर्भ और विस्तार: हालांकि शहरीकरण नए अवसर भी लाता है (जैसे अधिक रोजगार, शिक्षा), अनियोजित शहरीकरण अक्सर नकारात्मक सामाजिक परिणाम पैदा करता है।
गलत विकल्प: (a) शहरीकरण अक्सर बेरोजगारी को कम करने के बजाय, ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले अतिरिक्त श्रमिकों के कारण इसे और बढ़ा सकता है। (b) बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ एक संभावित लाभ है, समस्या नहीं। (d) शहरीकरण अक्सर पारंपरिक पारिवारिक बंधनों को कमजोर करता है, न कि मजबूत।
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