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14वीं बार गोल्डन टेंपल को धमाके की धमकी: ई-मेल, जांच और सवाल – UPSC के लिए संपूर्ण विश्लेषण

14वीं बार गोल्डन टेंपल को धमाके की धमकी: ई-मेल, जांच और सवाल – UPSC के लिए संपूर्ण विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) को एक ई-मेल के माध्यम से उड़ाने की 14वीं बार धमकी मिलने से देश भर में सनसनी फैल गई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) को भेजी गई इस धमकी के साथ ही पुलिस की जांच की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह घटना न केवल धार्मिक और सामाजिक सौहार्द के लिए चिंता का विषय है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह मामला सुरक्षा, खुफिया तंत्र, धार्मिक स्वतंत्रता, और सरकारी एजेंसियों की प्रतिक्रिया जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है। आइए, इस घटना का गहराई से विश्लेषण करें और UPSC के दृष्टिकोण से इसके विभिन्न आयामों को समझें।

स्वर्ण मंदिर को धमकी: एक बार फिर चिंता का सबब (The Threat to Golden Temple: A Cause for Concern Once Again)

यह पहली बार नहीं है जब स्वर्ण मंदिर को इस तरह की धमकी मिली है। पिछले कुछ वर्षों में, यह 14वीं बार है जब इस पवित्र स्थल को उड़ाने की ई-मेल या अन्य माध्यमों से धमकी दी गई है। इस बार, SGPC को एक ई-मेल प्राप्त हुआ, जिसमें कथित तौर पर कुछ विशेष बातों का उल्लेख था, हालांकि इन बातों का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसी बार-बार की धमकियाँ सुरक्षा एजेंसियों और सरकार के लिए एक गंभीर सिरदर्द बन गई हैं, और यह सवाल उठाती हैं कि क्या इन धमकियों के पीछे कोई सुनियोजित षड्यंत्र है या यह केवल लोगों को भयभीत करने का प्रयास है।

मुख्य बिंदु:

  • आवृत्ति: स्वर्ण मंदिर को पहले भी कई बार धमकियाँ मिल चुकी हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर लगातार दबाव बना रहता है।
  • धमकी का स्रोत: ई-मेल के माध्यम से मिली इस धमकी की जांच की जा रही है।
  • SGPC की भूमिका: SGPC, जो स्वर्ण मंदिर का प्रबंधन करती है, इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग और सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • जांच पर सवाल: बार-बार की धमकियों और उनके स्रोत का पता लगाने में आ रही कठिनाइयों के कारण पुलिस और खुफिया एजेंसियों की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं।

धमकी की प्रकृति और सामग्री (Nature and Content of the Threat)

हालांकि धमकी के ई-मेल की विस्तृत सामग्री सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि इसमें स्वर्ण मंदिर को नुकसान पहुंचाने की मंशा जाहिर की गई होगी। इस प्रकार की धमकियों का मुख्य उद्देश्य जनजीवन में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करना होता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि इन धमकियों की सामग्री क्या होती है, क्या वे किसी विशेष विचारधारा से प्रेरित होती हैं, और क्या वे किसी बड़े आतंकी हमले की पूर्व सूचना का हिस्सा हो सकती हैं।

विश्लेषण के पहलू:

  • प्रेरणा: क्या यह धमकी किसी अलगाववादी समूह, धार्मिक चरमपंथियों, या राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा दी गई है?
  • संदेश: ई-मेल में क्या विशेष संदेश देने की कोशिश की गई है? क्या इसमें कोई राजनीतिक या वैचारिक पहलू छिपा है?
  • लक्ष्य: क्या स्वर्ण मंदिर पर हमला केवल एक प्रतीक के रूप में है, या इसके पीछे कोई व्यापक एजेंडा है?

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच: चुनौतियाँ और सवाल (Police and Security Agencies’ Investigation: Challenges and Questions)

यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है जहां UPSC उम्मीदवारों को गहनता से सोचना चाहिए। बार-बार की धमकियों के बावजूद, उनके स्रोत का प्रभावी ढंग से पता लगाने और उन्हें रोकने में आ रही विफलता, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

चुनौतियाँ:

  • ई-मेल की गुमनामी: आजकल ई-मेल के माध्यम से धमकी देना अपेक्षाकृत आसान हो गया है, क्योंकि प्रेषक अपनी पहचान छिपाने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं (जैसे वीपीएन, प्रॉक्सी सर्वर, फेक आईडी)।
  • अंतर्राष्ट्रीय लिंक: यदि धमकी किसी विदेशी देश से भेजी गई है, तो जांच और प्रत्यर्पण जैसी प्रक्रियाएं जटिल हो जाती हैं।
  • खुफिया तंत्र की कमी: क्या हमारे खुफिया तंत्र में ऐसी धमकियों का पहले से पता लगाने की क्षमता कमजोर है?
  • संसाधन और प्रशिक्षण: क्या पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के पास साइबर अपराधों और ऐसी धमकियों से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन और प्रशिक्षित कर्मी उपलब्ध हैं?
  • समन्वय की कमी: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों (स्थानीय पुलिस, राज्य खुफिया, राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां) के बीच प्रभावी समन्वय की कमी भी जांच को बाधित कर सकती है।

उठने वाले सवाल:

  • बार-बार धमकी देने वाले तत्वों को अब तक पकड़ा क्यों नहीं गया है?
  • क्या पिछली जांचों से कोई सबक सीखा गया है?
  • क्या सुरक्षा तंत्र पहले से ही ऐसी धमकियों को रोकने के लिए पर्याप्त रूप से सक्रिय है?
  • क्या ई-मेल की जांच के लिए आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग किया जा रहा है?

राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द पर प्रभाव (Impact on National Security and Social Harmony)

स्वर्ण मंदिर जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल को मिली धमकियाँ केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसके राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा:

  • आतंकवाद का खतरा: ऐसी धमकियाँ अक्सर किसी बड़े आतंकी हमले की पूर्व सूचना हो सकती हैं। यदि इन धमकियों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह गंभीर परिणाम दे सकता है।
  • खुफिया विफलता: लगातार धमकियों का पता न लगा पाना, देश की खुफिया तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय धारणा: ऐसी घटनाएं भारत की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की धारणा को प्रभावित कर सकती हैं।

सामाजिक सौहार्द:

  • भय और असुरक्षा: नागरिकों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा होती है, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों में विशेष रूप से चिंता बढ़ सकती है।
  • सांप्रदायिक तनाव: यदि धमकी के पीछे किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाने का इरादा हो, तो इससे सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है।
  • विश्वास का क्षरण: जनता का सरकारी एजेंसियों और सुरक्षा तंत्र में विश्वास कम हो सकता है, यदि उन्हें लगता है कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।

UPSC के दृष्टिकोण से प्रासंगिक विषय (Relevant Topics from UPSC Perspective)

यह मामला UPSC परीक्षा के विभिन्न पेपर्स के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से:

  • GS-I: समाज, भारत की सामाजिक संरचना और विविधता।
  • GS-II: सरकार, शासन, सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध (यदि मामला अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव दिखाता है)।
  • GS-III: सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, संचार, साइबर सुरक्षा, खुफिया तंत्र।
  • निबंध (Essay): राष्ट्रीय सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, सामाजिक सौहार्द, आतंकवाद का सामना।

संभावित समाधान और आगे की राह (Potential Solutions and Way Forward)

इस समस्या से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सुरक्षा, खुफिया, कानूनी और सामुदायिक सहभागिता सभी शामिल हों।

  1. खुफिया तंत्र को मजबूत करना:
    • साइबर निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना।
    • सोशल मीडिया और डार्क वेब पर निगरानी तेज करना।
    • खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग।
    • खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय।
  2. साइबर सुरक्षा को बढ़ाना:
    • धमकियों के ई-मेल स्रोतों का पता लगाने के लिए विशेष साइबर सेल का गठन।
    • इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) के साथ मिलकर काम करना।
    • इंटरपोल जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग।
  3. सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करना:
    • स्वर्ण मंदिर जैसे संवेदनशील स्थलों की भौतिक सुरक्षा बढ़ाना।
    • निगरानी कैमरों और अन्य सुरक्षा उपकरणों का बेहतर उपयोग।
    • सुरक्षा कर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण।
  4. कड़े कानून और त्वरित न्याय:
    • धमकी देने वाले तत्वों के खिलाफ त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना।
    • ऐसे मामलों के लिए विशेष फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना।
    • कानूनों को और सख्त बनाना ताकि अपराधियों को कड़ी सजा मिले।
  5. जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता:
    • आम जनता को ऐसी धमकियों के प्रति सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित करना।
    • धार्मिक नेताओं और सामुदायिक संगठनों को सुरक्षा उपायों में सहयोग करने के लिए प्रेरित करना।
    • गलत सूचनाओं और अफवाहों को फैलने से रोकना।
  6. समन्वित प्रतिक्रिया:
    • राज्य सरकार, केंद्र सरकार, SGPC और स्थानीय समुदायों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित करना।
    • SGPC जैसी संस्थाओं को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक समर्थन प्रदान करना।

“एक मजबूत राष्ट्र केवल अपने हथियारों से नहीं, बल्कि अपने नागरिकों के विश्वास और एकता से बनता है। जब हमारे पवित्र स्थलों को निशाना बनाया जाता है, तो यह केवल ईंटों और मोर्टार पर हमला नहीं होता, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना पर हमला होता है।”

निष्कर्ष (Conclusion)

स्वर्ण मंदिर को बार-बार मिली धमकियाँ एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता का विषय है। यह मामला हमारी सुरक्षा एजेंसियों की प्रभावशीलता, खुफिया तंत्र की क्षमता और साइबर अपराधों से निपटने की हमारी तैयारी पर सवाल उठाता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का विश्लेषण न केवल वर्तमान घटनाओं की समझ के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन और सामाजिक सौहार्द जैसे व्यापक मुद्दों पर एक विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में भी सहायक है। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने होंगे, जिसमें खुफिया तंत्र को मजबूत करना, साइबर सुरक्षा को बढ़ाना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सशक्त बनाना शामिल है, ताकि ऐसे तत्वों को रोका जा सके जो देश की शांति और एकता को भंग करने का प्रयास करते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के संदर्भ में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की क्या भूमिका है?

    (a) केवल मंदिर का रखरखाव और प्रबंधन

    (b) मंदिर का प्रबंधन, सिख धर्मस्थलों का प्रबंधन और गुरुद्वारों से संबंधित अन्य कार्य

    (c) केवल स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करना

    (d) स्वर्ण मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजनों का विनियमन

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: SGPC एक सिख धार्मिक निकाय है जो अमृतसर के स्वर्ण मंदिर सहित पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में फैले गुरुद्वारों और सिख धर्मस्थलों का प्रबंधन करता है। इसकी भूमिका सिर्फ रखरखाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य भी शामिल हैं।
  2. प्रश्न 2: ई-मेल के माध्यम से धमकियाँ भेजने के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक का प्रयोग प्रेषक अपनी पहचान छिपाने के लिए कर सकते हैं?

    1. वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN)

    2. प्रॉक्सी सर्वर

    3. डार्क वेब

    4. फेक ईमेल आईडी

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (a) केवल 1, 2 और 3

    (b) केवल 1, 2 और 4

    (c) केवल 1, 3 और 4

    (d) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: ये सभी तकनीकें किसी व्यक्ति को ऑनलाइन अपनी पहचान छिपाने या गुमनाम रहने में मदद कर सकती हैं, जिससे ई-मेल की उत्पत्ति का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
  3. प्रश्न 3: राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा पहलू सीधे तौर पर स्वर्ण मंदिर जैसी धार्मिक संस्थाओं को धमकी देने से प्रभावित हो सकता है?

    1. आंतरिक सुरक्षा

    2. सांप्रदायिक सद्भाव

    3. अंतर्राष्ट्रीय धारणा

    4. आर्थिक स्थिरता

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:

    (a) केवल 1 और 2

    (b) केवल 1, 2 और 3

    (c) केवल 2 और 3

    (d) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ऐसी धमकियाँ सीधे तौर पर आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देती हैं, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ सकती हैं, और देश की छवि पर नकारात्मक अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव डाल सकती हैं। आर्थिक स्थिरता पर इसका सीधा प्रभाव कम होता है, हालांकि दीर्घकालिक अस्थिरता अप्रत्यक्ष रूप से इसे प्रभावित कर सकती है।
  4. प्रश्न 4: भारत में साइबर अपराधों से निपटने के लिए कौन सी केंद्रीय एजेंसियां प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं?

    (a) RAW और IB

    (b) CBI और NIA

    (c) राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र (NCCC) औरCERT-In

    (d) ED और SFIO

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: CERT-In (Indian Computer Emergency Response Team) भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने के लिए नोडल एजेंसी है। NCCC साइबर सुरक्षा खतरों के बारे में जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और उन्हें रोकने के लिए एक एकीकृत ढांचा प्रदान करता है। RAW और IB मुख्य रूप से विदेशी खुफिया जानकारी और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित हैं, जबकि CBI और NIA अन्य गंभीर अपराधों से निपटते हैं।
  5. प्रश्न 5: “ऑपरेशन मेघदूत” निम्नलिखित में से किस मुद्दे से संबंधित था?

    (a) आतंकवाद के खिलाफ नियंत्रण रेखा पर कार्रवाई

    (b) सियाचिन ग्लेशियर पर भारत का नियंत्रण

    (c) जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद विरोधी अभियान

    (d) उत्तर-पूर्व में उग्रवाद विरोधी अभियान

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ऑपरेशन मेघदूत 1984 में भारतीय सेना द्वारा सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए चलाया गया एक सफल अभियान था। यह प्रश्नGS-I (आधुनिक इतिहास) औरGS-II (रक्षा) के लिए प्रासंगिक हो सकता है, जो सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को दर्शाता है।
  6. प्रश्न 6: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का गठन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जांच के लिए किया गया है।

    2. NIA आतंकवाद, बम विस्फोट, हवाई जहाज अपहरण और हथियार तस्करी जैसे अपराधों की जांच कर सकती है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1

    (b) केवल 2

    (c) 1 और 2 दोनों

    (d) न तो 1 और न ही 2

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: NIA का गठन 26/11 मुंबई हमलों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अपराधों की केंद्रीयकृत, व्यवस्थित और त्वरित जांच सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। यह विभिन्न प्रकार के आतंकवाद से जुड़े अपराधों की जांच करता है।
  7. प्रश्न 7: “सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925” का मुख्य उद्देश्य क्या था?

    (a) सिख धर्म को आधिकारिक धर्म घोषित करना

    (b) गुरुद्वारों का प्रबंधन सिख समुदाय के हाथों में देना

    (c) सिख समुदाय के लिए शिक्षा प्रणाली स्थापित करना

    (d) सिख तीर्थस्थलों पर तीर्थयात्रा अनिवार्य करना

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 ने ब्रिटिश भारत में गुरुद्वारों के प्रबंधन को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर सिख समुदाय को सौंप दिया, जिससे SGPC जैसी संस्थाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  8. प्रश्न 8: हाल की धमकियों के संदर्भ में, “अतिवादी” (Extremist) शब्द का अर्थ क्या है?

    (a) ऐसे व्यक्ति जो पारंपरिक विचारों का पालन करते हैं

    (b) ऐसे व्यक्ति जो अपने राजनीतिक या धार्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसक या उग्रवादी तरीकों का सहारा लेते हैं

    (c) ऐसे व्यक्ति जो गुप्त रूप से गुप्तचर गतिविधियों में संलग्न हैं

    (d) ऐसे व्यक्ति जो सामाजिक सुधारों का विरोध करते हैं

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: अतिवादी वे होते हैं जो अपने लक्ष्यों को पाने के लिए अनुचित या हिंसक साधनों का उपयोग करने में संकोच नहीं करते। यह शब्द राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
  9. प्रश्न 9: भारत में खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक उपाय हो सकता है?

    (a) सैन्य बजट में कटौती करना

    (b) मानव और तकनीकी खुफिया जानकारी के एकीकरण को बढ़ाना

    (c) विदेशी सहायता पर निर्भरता बढ़ाना

    (d) पुलिस बल का आकार घटाना

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: खुफिया जानकारी का प्रभावी संग्रह, विश्लेषण और प्रसार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। मानव (human intelligence) और तकनीकी (signals intelligence, cyber intelligence) दोनों स्रोतों का एकीकरण इसे मजबूत करता है।
  10. प्रश्न 10: “ऑपरेशन ब्लू स्टार” का संबंध किस घटना से था?

    (a) 1984 में स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों की घुसपैठ और तलाशी

    (b) 1984 में स्वर्ण मंदिर से अलगाववादियों को हटाने के लिए भारतीय सेना का सैन्य अभियान

    (c) 1984 में स्वर्ण मंदिर में एक आतंकवादी हमले की रोकथाम

    (d) 1984 में स्वर्ण मंदिर की मरम्मत का कार्य

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में भारतीय सेना द्वारा अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर से अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों को निकालने के लिए चलाया गया एक सैन्य अभियान था, जो मंदिर के अंदर छिपे थे। यह सिख इतिहास की एक अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद घटना है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: स्वर्ण मंदिर जैसी प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थाओं को बार-बार धमकियाँ मिलना भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। इस संदर्भ में, ऐसी धमकियों के मूल कारणों का विश्लेषण करें और राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, ऐसे तत्वों से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति का प्रस्ताव दें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: हाल के वर्षों में भारत में साइबर अपराधों में वृद्धि देखी गई है, जिसमें धमकियाँ भेजना भी शामिल है। स्वर्ण मंदिर को ई-मेल द्वारा धमकी के मामले को दृष्टांत के रूप में लेते हुए, भारत की साइबर सुरक्षा अवसंरचना की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करें। देश के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करने और साइबर खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब देने के उपायों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: धार्मिक स्थलों को लक्षित करना राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सौहार्द के ताने-बाने को कमजोर करता है। स्वर्ण मंदिर को मिली धमकियों के सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण करें। सरकार, नागरिक समाज और धार्मिक संस्थानों को सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और ऐसी दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के प्रसार को रोकने के लिए किस प्रकार मिलकर काम करना चाहिए, इस पर अपने विचार व्यक्त करें। (150 शब्द, 10 अंक)
  4. प्रश्न 4: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ई-मेल या अन्य ऑनलाइन माध्यमों से धमकियाँ भेजना, जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारत को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (जैसे इंटरपोल, अन्य देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों) का लाभ उठाते हुए, इन ऑनलाइन धमकियों के स्रोत का पता लगाने और अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए अपनी क्षमताओं को कैसे बढ़ाना चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)

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