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समाजशास्त्र की गहरी समझ: दैनिक अभ्यास प्रश्न

समाजशास्त्र की गहरी समझ: दैनिक अभ्यास प्रश्न

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्रियों! अपनी अवधारणाओं को पैना करने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन, हम समाजशास्त्र के विशाल क्षेत्र से कुछ चुनिंदा प्रश्न लेकर आते हैं जो आपकी तैयारी को एक नया आयाम देंगे। आज के इस बौद्धिक मुकाबले में कूद पड़ें और देखें कि आपकी समझ कितनी गहरी है!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. ए. एल. क्रोएबर
  2. विलियम एफ. ओग्बर्न
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. चार्ल्स हॉर्टन कूली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलियम एफ. ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (1922) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका तात्पर्य है कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्यों, मानदंडों और संस्थाओं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक तरह का असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न का मानना था कि जब समाज में नई प्रौद्योगिकियाँ या आविष्कार होते हैं, तो वे अक्सर मौजूदा सामाजिक मानदंडों और मूल्यों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहते हैं, जिससे सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • गलत विकल्प: ए. एल. क्रोएबर ने संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन यह विशेष अवधारणा उनकी नहीं थी। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र में विशेषज्ञ थे। चार्ल्स हॉर्टन कूली ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 2: निम्न में से कौन सी व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक ‘खुला’ रूप मानी जाती है?

  1. जाति व्यवस्था
  2. दास प्रथा
  3. वर्ग व्यवस्था
  4. सामंतवाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: वर्ग व्यवस्था को सामाजिक स्तरीकरण का एक ‘खुला’ रूप माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्तियों को अपनी सामाजिक स्थिति बदलने की अधिक स्वतंत्रता होती है। व्यक्ति अपनी शिक्षा, आय, व्यवसाय या अन्य उपलब्धियों के आधार पर अपनी स्थिति को ऊपर या नीचे ले जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘खुला’ स्तरीकरण वह व्यवस्था है जहाँ सामाजिक गतिशीलता (mobility) अधिक संभव होती है। इसके विपरीत, ‘बंद’ स्तरीकरण व्यवस्था में गतिशीलता बहुत सीमित होती है।
  • गलत विकल्प: जाति व्यवस्था एक ‘बंद’ स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ जन्म से स्थिति निर्धारित होती है और इसमें गतिशीलता लगभग नगण्य होती है। दास प्रथा और सामंतवाद भी प्रायः बंद या अर्ध-बंद स्तरीकरण के रूप रहे हैं, जहाँ स्थिति वंशानुगत या निश्चित होती है।

प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, ‘अलगाव’ (Alienation) का प्राथमिक कारण क्या है?

  1. राज्य का हस्तक्षेप
  2. पूंजीवादी उत्पादन की प्रक्रिया
  3. धर्म का प्रभाव
  4. सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के लिए, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम, उत्पादन के साधनों, स्वयं अपने ‘सार-रूप’ (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। यह अलगाव उत्पादन की प्रक्रिया से उत्पन्न होता है जहाँ श्रमिक उत्पादन पर नियंत्रण नहीं रखता और उसका श्रम वस्तु बन जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव के चार प्रमुख रूपों का वर्णन किया है: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और साथी मनुष्यों से अलगाव।
  • गलत विकल्प: जबकि राज्य, धर्म और सामाजिक मानदंड अलगाव को प्रभावित कर सकते हैं, मार्क्स के मूल विश्लेषण में पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली ही अलगाव का मुख्य स्रोत है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर देती है?

  1. प्रायोगिक समाजशास्त्र
  2. व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
  3. मात्रात्मक समाजशास्त्र
  4. संरचनात्मक प्रकार्यवाद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) नामक पद्धति का प्रस्ताव रखा, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह पद्धति समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों और प्रेरणाओं को समझने पर ज़ोर देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्री को न केवल बाहरी व्यवहार का निरीक्षण करना चाहिए, बल्कि उस क्रिया के पीछे व्यक्ति के इरादों, विश्वासों और मूल्यों को भी समझना चाहिए। यह व्याख्यात्मक या प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के दृष्टिकोण के करीब है।
  • गलत विकल्प: प्रायोगिक समाजशास्त्र प्रयोगों पर केंद्रित है। मात्रात्मक समाजशास्त्र संख्याओं और सांख्यिकी पर निर्भर करता है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक प्रणाली के रूप में देखता है, जबकि वर्स्टेहेन व्यक्तिपरक समझ पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।

प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘आत्महत्या’ (Suicide) के प्रकारों में से कौन सा प्रकार सामाजिक एकता की अत्यधिक कमी से उत्पन्न होता है?

  1. अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
  2. स्वार्थी आत्महत्या (Altruistic Suicide)
  3. अराजकतावादी आत्महत्या (Anomic Suicide)
  4. नियतिवादी आत्महत्या (Fatalistic Suicide)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ (1897) में चार प्रकार की आत्महत्याओं का वर्णन किया। ‘अहंवादी आत्महत्या’ तब होती है जब व्यक्ति का समाज से जुड़ाव बहुत कमज़ोर होता है, जिससे वह अत्यधिक व्यक्तिगत और अलग-थलग महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक एकीकरण (social integration) के दो चरम हो सकते हैं: अत्यधिक एकीकरण (स्वार्थी) और एकीकरण की कमी (अहंवादी)। अहमवादी आत्महत्या उन समाजों में अधिक देखी जाती है जहाँ व्यक्तिवाद प्रबल होता है और सामाजिक बंधन कमज़ोर होते हैं।
  • गलत विकल्प: स्वार्थी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति का समाज से जुड़ाव अत्यधिक होता है (जैसे सैनिक या भिक्षु)। अराजकतावादी आत्महत्या तब होती है जब सामाजिक नियम या अपेक्षाएं अचानक बदल जाती हैं। नियतिवादी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति पर अत्यधिक दमनकारी नियम थोपे जाते हैं।

प्रश्न 6: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने किस प्रकार के समूह को ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) के रूप में परिभाषित किया?

  1. ऐसे समूह जो औपचारिक नियमों और संरचनाओं पर आधारित हों।
  2. ऐसे समूह जिनमें घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध हों और सहयोग की भावना प्रमुख हो।
  3. ऐसे समूह जो बड़े पैमाने पर सदस्यता और जटिल संगठन वाले हों।
  4. ऐसे समूह जिनका उद्देश्य केवल साझा हित को पूरा करना हो।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने ‘सामाजिक संगठन’ (1909) नामक अपनी पुस्तक में ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा दी। उन्होंने इसे ऐसे समूहों के रूप में परिभाषित किया जहाँ घनिष्ठ, आमने-सामने की बातचीत, सहयोग और ‘हम’ की भावना पाई जाती है। परिवार, बचपन के मित्र और खेल समूह इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली ने इन समूहों को मानव विकास और सामाजिकरण के लिए मौलिक माना, क्योंकि यहीं व्यक्ति अपनी पहचान और सामाजिक मूल्यों को विकसित करता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (c) द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) की ओर इशारा करते हैं, जो आमतौर पर बड़े, औपचारिक और कम व्यक्तिगत होते हैं। विकल्प (d) भी द्वितीयक समूहों या संघों के लिए अधिक उपयुक्त है।

प्रश्न 7: आर. के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘कार्य’ (Function) के विश्लेषण में, ‘अदृश्य कार्य’ (Latent Function) का क्या अर्थ है?

  1. समाज द्वारा प्रत्यक्ष रूप से पहचाने जाने वाले और इच्छित परिणाम।
  2. समाज द्वारा अनजाने में उत्पन्न होने वाले और अप्रत्यक्ष परिणाम।
  3. सामाजिक संरचना के वे हिस्से जो समाज के लिए अनुपयोगी हों।
  4. व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए सामाजिक क्रियाएँ।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: आर. के. मर्टन ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद में ‘कार्य’ (Function) की अवधारणा को परिष्कृत किया। उन्होंने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) को किसी सामाजिक संस्था या क्रिया के इच्छित और पहचाने जाने वाले परिणामों के रूप में परिभाषित किया, जबकि ‘अदृश्य कार्य’ (Latent Function) को अनजाने में या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पन्न होने वाले परिणामों के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य छात्रों को शिक्षित करना है, जबकि उसका अदृश्य कार्य छात्रों के बीच सामाजिक नेटवर्क का निर्माण करना हो सकता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) प्रकट कार्य (Manifest Function) का वर्णन करता है। विकल्प (c) ‘अकार्य’ (Dysfunction) की ओर इशारा करता है, और विकल्प (d) व्यक्तिगत प्रेरणाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी?

  1. जी. एस. घुरिये
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. इरावती कर्वे
  4. टी. के. उम्मेन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एम. एन. श्रीनिवास, एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री, ने ‘संसकृतिकरण’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निम्न जातियों या जनजातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, परंपराओं, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में पेश किया था। यह जाति व्यवस्था में गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है।
  • गलत विकल्प: जी. एस. घुरिये ने भारतीय जाति व्यवस्था पर महत्वपूर्ण कार्य किया, लेकिन यह अवधारणा उनकी नहीं थी। इरावती कर्वे ने नातेदारी और परिवार पर काम किया। टी. के. उम्मेन ने भी भारतीय समाज पर लिखा है।

प्रश्न 9: ‘समूह-अंतर्क्रिया’ (In-group) और ‘बाह्य-समूह’ (Out-group) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. विलियम ग्राहम समनर
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में ‘समूह-अंतर्क्रिया’ (In-group) और ‘बाह्य-समूह’ (Out-group) के बीच अंतर स्पष्ट किया। समूह-अंतर्क्रिया वे समूह होते हैं जिनसे व्यक्ति संबंधित महसूस करता है और उनके प्रति निष्ठावान होता है, जबकि बाह्य-समूह वे होते हैं जिनसे व्यक्ति संबंधित नहीं होता और अक्सर उनके प्रति उदासीन या विरोधी होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समनर के अनुसार, समूह-अंतर्क्रिया में ‘हम’ की भावना होती है और सदस्यों में सहयोग होता है, जबकि बाह्य-समूहों के प्रति अक्सर पूर्वाग्रह और प्रतिस्पर्धा देखी जाती है।
  • गलत विकल्प: वेबर, मार्क्स और सिमेल समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण विचारक हैं, लेकिन यह विशेष वर्गीकरण समनर द्वारा किया गया था।

प्रश्न 10: निम्न में से कौन सा ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का एक उदाहरण नहीं है?

  1. परिवार
  2. शिक्षा
  3. धर्म
  4. जनसमूह (Crowd)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक संस्थाएं समाज की स्थायी और संगठित प्रणालियाँ होती हैं जो समाज की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। परिवार, शिक्षा और धर्म प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। ‘जनसमूह’ (Crowd) एक अस्थायी और अनियोजित सामाजिक जमावड़ा है, न कि एक स्थापित संस्था।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएं आमतौर पर नियमों, भूमिकाओं और संरचनाओं से बंधी होती हैं, जबकि जनसमूह में अक्सर अधिक अराजकता और तात्कालिकता होती है।
  • गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म वे प्रणालियाँ हैं जिनका समाज में एक निश्चित ढाँचा, उद्देश्य और कार्य होता है।

प्रश्न 11: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य विचारक कौन है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. अगस्त कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस सिद्धांत का विकास किया कि समाज और व्यक्ति का निर्माण प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं से होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड का ‘स्वयं’ (Self) का सिद्धांत, जिसमें ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) की अवधारणाएं शामिल हैं, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके विचारों को उनके छात्रों द्वारा मरणोपरांत ‘Mind, Self, and Society’ (1934) में संकलित किया गया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत के, एमिल दुर्खीम प्रकार्यवाद और एकता के, और ऑगस्ट कॉम्ते प्रत्यक्षवाद के संस्थापक हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का एक प्रकार है?

  1. अस्थिरता
  2. पदानुक्रम
  3. ऊर्ध्वाधर गतिशीलता
  4. सांस्कृतिक परिवर्तन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है व्यक्ति या समूह की समाज में उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन। ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (Vertical Mobility) इसी का एक रूप है, जिसमें व्यक्ति अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में ऊपर (ऊर्ध्वगामी) या नीचे (अधोगामी) की ओर बढ़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता को ऊर्ध्वाधर (Vertical), क्षैतिज (Horizontal) और अंतःपीढ़ी (Intergenerational) या अंतःपीढ़ी (Intragenerational) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: ‘अस्थिरता’ (Instability) एक स्थिति है, गतिशीलता का प्रकार नहीं। ‘पदानुक्रम’ (Hierarchy) स्तरीकरण का परिणाम है। ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ (Cultural Change) व्यापक है और इसमें सामाजिक गतिशीलता शामिल हो सकती है, लेकिन यह उसका विशिष्ट रूप नहीं है।

  • प्रश्न 13: ‘जाति-व्यवस्था’ (Caste System) की प्रमुख विशेषता क्या है?

    1. खुला स्तरीकरण
    2. जन्म पर आधारित सदस्यता
    3. सामाजिक गतिशीलता की उच्च संभावना
    4. पेशा की स्वतंत्रता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि सदस्यता जन्म पर आधारित होती है। एक व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, वही उसकी सामाजिक स्थिति, व्यवसाय और जीवन के अन्य पहलुओं को निर्धारित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था एक ‘बंद’ स्तरीकरण प्रणाली है जिसमें कठोर पदानुक्रम, अंतर्विवाह (endogamy) और व्यावसायिक प्रतिबंध जैसी अन्य विशेषताएं भी शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: जाति व्यवस्था ‘बंद’ स्तरीकरण है (a), इसमें गतिशीलता की संभावना बहुत कम होती है (c), और अक्सर पेशा भी वंशानुगत होता है (d)।

    प्रश्न 14: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में आमतौर पर क्या शामिल होता है?

    1. कृषि पर अधिक निर्भरता
    2. पारंपरिक मूल्यों का सख्त पालन
    3. औद्योगीकरण और शहरीकरण
    4. स्थानीय समुदायों का अलगाव

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक समाजों का औद्योगिक, शहरी और विकसित समाजों में परिवर्तन शामिल है। इसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, शिक्षा का प्रसार और लोकतंत्रीकरण जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर तर्कसंगतता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग से जुड़ा होता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) पारंपरिक समाजों की विशेषताएं हैं। (d) आधुनिकीकरण का एक संभावित नकारात्मक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया का केंद्रीय तत्व नहीं है।

    प्रश्न 15: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा समाजशास्त्र में किसे संदर्भित करती है?

    1. व्यक्तियों के बीच अस्थायी संबंध।
    2. समाज में व्यक्तियों और समूहों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर और व्यवस्थित पैटर्न।
    3. समाज के सभी अनौपचारिक नियम और मूल्य।
    4. समाज के भौतिक और सांस्कृतिक संसाधन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सामाजिक संरचना समाज के उन मूलभूत पैटर्नों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों और समूहों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। इसमें सामाजिक संस्थाएं, भूमिकाएं, वर्ग, स्थिति और सामाजिक संबंध शामिल हैं, जो अपेक्षाकृत स्थिर और व्यवस्थित होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: संरचना समाज को एक समग्र रूप में देखने में मदद करती है और बताती है कि कैसे विभिन्न हिस्से एक साथ मिलकर काम करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तियों के बीच संबंध अस्थायी हो सकते हैं, लेकिन संरचना उन संबंधों के स्थायी पैटर्नों पर केंद्रित है। (c) सामाजिक संरचना में अनौपचारिक नियम भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन यह केवल उन तक सीमित नहीं है। (d) संसाधन संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन स्वयं संरचना नहीं।

    प्रश्न 16: ‘विपरीत-सांस्कृतिक आंदोलन’ (Counter-culture) क्या है?

    1. एक उपसंस्कृति जो मुख्यधारा की संस्कृति से भिन्न हो।
    2. एक आंदोलन जो मुख्यधारा की संस्कृति के मूल्यों और मानदंडों को सक्रिय रूप से चुनौती देता है।
    3. एक संस्कृति जो किसी विशेष जातीय समूह से जुड़ी हो।
    4. एक ऐसी संस्कृति जो बहुत तेज़ी से बदल रही हो।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: विपरीत-संस्कृति (Counter-culture) वह समूह या आंदोलन है जो मुख्यधारा की संस्कृति के स्थापित मूल्यों, मानदंडों और जीवन शैली के प्रति सक्रिय रूप से विरोध या चुनौती पेश करता है। यह अक्सर एक विशिष्ट राजनीतिक या सामाजिक एजेंडा रखता है।
    • संदर्भ और विस्तार: 1960 के दशक का हिप्पी आंदोलन इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसने तत्कालीन पश्चिमी समाज के मूल्यों जैसे उपभोक्तावाद, युद्ध और पारंपरिक परिवार को अस्वीकार किया।
    • गलत विकल्प: (a) उपसंस्कृति (Subculture) मुख्यधारा से भिन्न हो सकती है लेकिन जरूरी नहीं कि वह उसे चुनौती दे। (c) जातीय संस्कृति मुख्यधारा से भिन्न हो सकती है। (d) तेज़ी से बदलती संस्कृति ‘गतिशील संस्कृति’ (dynamic culture) हो सकती है, न कि विपरीत-संस्कृति।

    प्रश्न 17: भारत में ‘ग्राम पंचायत’ का मुख्य कार्य क्या है?

    1. राष्ट्रीय नीतियों का निर्माण करना।
    2. जिला स्तर पर विकास योजनाओं का समन्वय करना।
    3. स्थानीय स्वशासन और ग्राम स्तर पर विकास कार्यों का संचालन करना।
    4. राज्य के लिए कर एकत्र करना।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: ग्राम पंचायत भारत में पंचायती राज व्यवस्था की सबसे निचली इकाई है। इसका मुख्य कार्य ग्राम स्तर पर स्थानीय स्वशासन प्रदान करना, ग्राम के विकास के लिए योजनाएँ बनाना और उन्हें क्रियान्वित करना, तथा आवश्यक सेवाओं का प्रबंधन करना है।
    • संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे ग्राम पंचायतों को अधिक शक्तियाँ और उत्तरदायित्व मिले।
    • गलत विकल्प: राष्ट्रीय नीतियाँ केंद्र सरकार द्वारा बनाई जाती हैं (a)। जिला स्तर पर समन्वय जिला परिषद द्वारा किया जाता है (b)। कर एकत्र करने का कार्य विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा किया जाता है, न कि मुख्य रूप से ग्राम पंचायत द्वारा (d)।

    प्रश्न 18: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) किस पर केंद्रित है?

    1. ज्ञान कैसे उत्पन्न, वितरित और उपभोग किया जाता है, और सामाजिक कारक इस पर कैसे प्रभाव डालते हैं।
    2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इतिहास।
    3. विभिन्न समाजों में शिक्षा प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन।
    4. दार्शनिक विचारों का विकास।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: ज्ञान का समाजशास्त्र यह अध्ययन करता है कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक कारक ज्ञान के निर्माण, प्रसार और उपयोग को कैसे प्रभावित करते हैं। यह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि ज्ञान केवल वस्तुनिष्ठ सत्य नहीं है, बल्कि सामाजिक रूप से निर्मित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: पीटर बर्जर और थॉमस लकमैन की पुस्तक ‘The Social Construction of Reality’ इस क्षेत्र में एक मील का पत्थर है।
    • गलत विकल्प: (b), (c) और (d) संबंधित क्षेत्र हो सकते हैं, लेकिन ज्ञान का समाजशास्त्र सीधे तौर पर ज्ञान के सामाजिक निर्माण और प्रभावों का अध्ययन करता है।

    प्रश्न 19: ‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’ (Mandatory Retirement) किस प्रकार की सामाजिक नियंत्रण की विधि है?

    1. सकारात्मक
    2. नकारात्मक
    3. औपचारिक
    4. अनौपचारिक

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: अनिवार्य सेवानिवृत्ति एक ‘औपचारिक’ (Formal) सामाजिक नियंत्रण की विधि है। यह नियमों, कानूनों या संगठनात्मक नीतियों द्वारा लागू की जाती है, जो किसी व्यक्ति को एक निश्चित आयु के बाद कार्य करने से रोकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: औपचारिक नियंत्रण आमतौर पर राज्य, संस्थानों या संगठनों द्वारा लागू किए जाते हैं। अनौपचारिक नियंत्रणों में सामाजिक अस्वीकृति, अफवाहें या साथियों का दबाव शामिल होता है।
    • गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर सकारात्मक (पुरस्कार) या नकारात्मक (दंड) नहीं है, बल्कि एक नियम-आधारित प्रक्रिया है। अनौपचारिक नियंत्रणों के दायरे में नहीं आता।

    प्रश्न 20: ‘जाति व्यवस्था’ के संबंध में ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

    1. किसी व्यक्ति का अपनी ही जाति के भीतर विवाह करना।
    2. किसी व्यक्ति का अपनी जाति के बाहर विवाह करना।
    3. किसी व्यक्ति का अपनी ही गोत्र के भीतर विवाह करना।
    4. किसी व्यक्ति का अपने से उच्च जाति के सदस्य से विवाह करना।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) का अर्थ है कि विवाह किसी विशेष समूह के भीतर ही किया जाना चाहिए। जाति व्यवस्था में, यह नियम है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के सदस्य से विवाह करना चाहिए।
    • संदर्भ और विस्तार: यह नियम जाति की शुद्धता और अलगाव को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि विवाह अपने वंश समूह (जैसे गोत्र) के बाहर करना।
    • गलत विकल्प: (b) बहिर्विवाह (Exogamy) है। (c) गोत्र के भीतर विवाह को गोत्र बहिर्विवाह (Gotra Exogamy) कहते हैं, जो अंतर्विवाह के विपरीत है। (d) यह अंतर्जातीय विवाह (Inter-caste marriage) का एक रूप हो सकता है, और जाति व्यवस्था में अक्सर इसे हतोत्साहित किया जाता है।

    प्रश्न 21: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) को मापने के लिए किन दो मुख्य संकेतकों का प्रयोग किया जाता है?

    1. आय और शिक्षा
    2. जाति और धर्म
    3. ऊपरी गतिशीलता और निचली गतिशीलता
    4. शिक्षित वर्ग और अशिक्षित वर्ग

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: समाजशास्त्रीय अध्ययनों में सामाजिक गतिशीलता को अक्सर आय (Income) और शिक्षा (Education) जैसे संकेतकों का उपयोग करके मापा जाता है। ये कारक किसी व्यक्ति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उसमें आए बदलावों को दर्शाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: आय में वृद्धि या कमी, या शिक्षा के स्तर में उन्नयन या गिरावट, ऊर्ध्वाधर सामाजिक गतिशीलता के प्रमुख सूचक हैं।
    • गलत विकल्प: (b) जाति और धर्म व्यक्तिगत स्थिति के निर्धारक हो सकते हैं, लेकिन वे स्वयं गतिशीलता को मापने के प्रत्यक्ष संकेतक नहीं हैं (विशेषकर बंद प्रणालियों में)। (c) ऊपरी और निचली गतिशीलता गतिशीलता के प्रकार हैं, मापक नहीं। (d) यह एक विभाजन है, मापक नहीं।

    प्रश्न 22: ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की प्रमुख विशेषता क्या है?

    1. औद्योगिक उत्पादन पर अत्यधिक निर्भरता
    2. ज्ञान, सूचना और सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व
    3. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
    4. श्रम का बड़े पैमाने पर मशीनीकरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: डेनियल बेल जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा प्रतिपादित उत्तर-औद्योगिक समाज की मुख्य विशेषता यह है कि अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु औद्योगिक उत्पादन से हटकर ज्ञान, सूचना, प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र की ओर स्थानांतरित हो जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: ऐसे समाजों में, बौद्धिक पूंजी और सूचना का प्रबंधन महत्वपूर्ण हो जाता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) औद्योगिक समाज की विशेषताएं हैं। (c) कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पारंपरिक समाज की विशेषता है।

    प्रश्न 23: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया में आमतौर पर क्या होता है?

    1. धार्मिक अनुष्ठानों का अधिक महत्व बढ़ना।
    2. सार्वजनिक जीवन से धर्म का प्रभाव और महत्व कम होना।
    3. वैज्ञानिक ज्ञान का पतन।
    4. धार्मिक नेताओं का राजनीतिक प्रभाव बढ़ना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें धर्म का महत्व और प्रभाव सार्वजनिक जीवन, सामाजिक संस्थाओं और व्यक्तिगत विचारों से कम होता जाता है। यह तर्कसंगतता, विज्ञान और राज्य के अलगाव से जुड़ा हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब यह नहीं है कि धर्म समाप्त हो जाता है, बल्कि यह अधिक व्यक्तिगत या निजी मामला बन जाता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत दिशा में जाते हैं। (c) वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार अक्सर धर्मनिरपेक्षीकरण का एक कारक होता है, न कि परिणाम।

    प्रश्न 24: ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा, जैसा कि दुर्खीम ने प्रयोग किया, का क्या अर्थ है?

    1. समाज में अत्यधिक नियम और नियंत्रण।
    2. समाज में मानदंडों और मूल्यों की कमी या क्षरण, जिससे अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
    3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव।
    4. किसी भी प्रकार की सामाजिक व्यवस्था का अस्तित्व न होना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा को सामाजिक मानदंडों की अनुपस्थिति या कमजोर पड़ने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया। यह तब होता है जब व्यक्ति को समाज के नियमों और अपेक्षाओं के बारे में स्पष्टता नहीं होती, जिससे अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विशेष रूप से तब होता है जब समाज में अचानक बड़े बदलाव आते हैं, जैसे आर्थिक मंदी या तेजी, जिससे मौजूदा नियम अप्रासंगिक हो जाते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) और (c) अत्यधिक नियम या नियंत्रण का संकेत देते हैं। (d) अराजकता का अर्थ पूर्ण अव्यवस्था नहीं, बल्कि मानदंडों की कमी है।

    प्रश्न 25: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के प्रमुख समर्थकों में कौन शामिल हैं?

    1. कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
    2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हर्बर्ट ब्लूमर
    3. एमिल दुर्खीम और टैलकॉट पार्सन्स
    4. मैक्स वेबर और जॉर्ज सिमेल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद एक प्रमुख समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है जो समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जहाँ विभिन्न अंग (संरचनाएँ) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं (प्रक्रिया) ताकि समाज की स्थिरता और एकजुटता बनी रहे। एमिल दुर्खीम (प्रारंभिक विचारक) और टैलकॉट पार्सन्स (आधुनिक समय के प्रमुख प्रस्तावक) इसके प्रमुख समर्थक हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाज को एक ‘जीवित जीव’ (organism) के रूप में देखा जिसकी विभिन्न अंग (जैसे धर्म, परिवार) एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। पार्सन्स ने इस विचार को और विकसित किया, जिसमें AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल शामिल है।
    • गलत विकल्प: (a) मार्क्सवादी संघर्ष सिद्धांत से संबंधित हैं। (b) मीड और ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के विचारक हैं। (d) वेबर और सिमेल समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं, लेकिन वे संरचनात्मक प्रकार्यवाद के सीधे समर्थक नहीं माने जाते।

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