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‘आईना दिखाने’ का कूटनीतिक दांव: PM मोदी के लोकसभा भाषण का विस्तृत विश्लेषण

‘आईना दिखाने’ का कूटनीतिक दांव: PM मोदी के लोकसभा भाषण का विस्तृत विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के निचले सदन, लोकसभा में एक बहुप्रतीक्षित भाषण दिया। इस भाषण के दौरान, उन्होंने एक शक्तिशाली वक्तव्य दिया: “मैं भारत का पक्ष प्रस्तुत करने और उन लोगों को आईना दिखाने के लिए यहाँ खड़ा हूँ जो इसे देखने से इनकार करते हैं।” यह कथन न केवल आंतरिक राजनीतिक चर्चाओं के लिए बल्कि भारत की विदेश नीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक कूटनीति के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भाषण इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मुखर हो रहा है और कैसे वैश्विक मंच पर अपनी आवाज़ बुलंद कर रहा है।

यह ब्लॉग पोस्ट, “UPSC Content Maestro” के रूप में, इस महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक कथन के विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। हम समझेंगे कि इस बयान के पीछे क्या संदर्भ था, इसका भारत की विदेश नीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से उम्मीदवारों को किन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

1. ‘आईना दिखाना’ – एक कूटनीतिक प्रतीक (The ‘Showing Mirror’ – A Diplomatic Symbol)

प्रधान मंत्री मोदी का ‘आईना दिखाना’ वाला बयान केवल एक रूपक नहीं है, बल्कि यह एक परिष्कृत कूटनीतिक रणनीति का प्रतीक है। इसका अर्थ है:

  • सत्य का पर्दाफाश: उन देशों या संस्थाओं की आलोचना करना जो भारत के बारे में गलत धारणाएं रखते हैं या जानबूझकर उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं।
  • तथ्यों की प्रस्तुति: अपने दृष्टिकोण, उपलब्धियों और राष्ट्रीय हितों को स्पष्ट और अकाट्य तथ्यों के साथ प्रस्तुत करना।
  • जवाबदेही की मांग: उन आलोचनाओं या आरोपों का सामना करना जो निराधार हैं और उनके स्रोतों को जिम्मेदार ठहराना।
  • आत्मविश्वास का प्रदर्शन: राष्ट्रीय शक्ति, संप्रभुता और अपने निर्णयों में विश्वास का प्रदर्शन करना।

कल्पना कीजिए कि एक बच्चा स्कूल में अपने सहपाठियों द्वारा गलत समझा जा रहा है। जब वह शिक्षक के सामने अपनी बात रखता है और तथ्यों के साथ बताता है कि क्या हुआ था, तो वह अनिवार्य रूप से उन सहपाठियों को ‘आईना’ दिखा रहा है जो उसे गलत समझ रहे थे। प्रधान मंत्री का बयान इसी तरह, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के प्रति पूर्वाग्रहों और गलत सूचनाओं के जवाब में एक सशक्त अभिव्यक्ति है।

2. संदर्भ: यह कब और क्यों कहा गया? (The Context: When and Why was it Said?)

इस तरह के बयान अक्सर किसी विशिष्ट घटना या वैश्विक परिदृश्य के जवाब में आते हैं। हालाँकि यहाँ सीधे तौर पर विशिष्ट देश का नाम नहीं लिया गया है, यह बयान निम्नलिखित व्यापक प्रवृत्तियों के संदर्भ में समझा जा सकता है:

  • भू-राजनीतिक तनाव: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य कई भू-राजनीतिक तनावों से भरा है। कुछ देश भारत की आंतरिक नीतियों, विदेश नीति या आर्थिक विकास पर सवाल उठा रहे हैं, अक्सर पश्चिमी-केंद्रित लेंस से।
  • गलत सूचना अभियान: भारत को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लक्षित करने वाले गलत सूचना अभियानों में वृद्धि हुई है। ये अक्सर मानवाधिकारों, आंतरिक शासन, या भारत की विकास गाथा से संबंधित होते हैं।
  • भारत की बढ़ती मुखरता: भारत, एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में, अब अपनी कूटनीति में अधिक मुखर हो गया है। यह सिर्फ प्रतिक्रियात्मक नहीं है, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने और बचाव करने में विश्वास करता है।
  • द्विपक्षीय संबंध: ऐसे बयान अक्सर विशिष्ट द्विपक्षीय संबंधों में तनाव या असहमति के जवाब में दिए जाते हैं, जहाँ भारत को दूसरे पक्ष के एजेंडे या आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।

उदाहरण के लिए: सोचिए एक ऐसी स्थिति जहाँ एक देश भारत पर अनुचित व्यापार प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहा है, जबकि भारत के व्यापारिक साझेदारिता के नियम अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार ही हैं। ऐसे में, भारत का सरकार प्रमुख यह कह सकता है कि “मैं अपना पक्ष रखने और उन्हें आईना दिखाने के लिए यहाँ हूँ जो अनुचित बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।”

3. भारत की विदेश नीति पर प्रभाव (Impact on India’s Foreign Policy)

प्रधान मंत्री के इस बयान के भारत की विदेश नीति पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं:

  • ‘आक्रामक कूटनीति’ (Assertive Diplomacy): यह भारत की विदेश नीति में ‘आक्रामक’ या ‘मुखर’ दृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत अब चुपचाप बैठ कर आलोचनाएं सुनने के बजाय सक्रिय रूप से अपना बचाव करेगा।
  • नई दिल्ली का बढ़ता आत्मविश्वास: यह भारत के बढ़ते आर्थिक और सामरिक कद का भी प्रतिबिंब है। भारत को अब किसी की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है और वह अपने नियमों के अनुसार खेलना चाहता है।
  • ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) को बढ़ावा: भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने सिद्धांत को बनाए रखते हुए, किसी भी एक गुट या शक्ति के दबाव में आए बिना, अपनी विदेश नीति का निर्धारण करने की अपनी क्षमता पर जोर दे रहा है।
  • साझेदारों के साथ संबंध: यह उन देशों के साथ संबंधों को मजबूत कर सकता है जो समान ‘मुखर’ या ‘राष्ट्रीय हित-संचालित’ विदेश नीति का पालन करते हैं। हालाँकि, यह उन देशों के साथ संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है जो भारत पर अपनी राय थोपने की कोशिश करते हैं।
  • बहुपक्षवाद का पुनर्मूल्यांकन: भारत उन बहुपक्षीय मंचों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर सकता है जहाँ वह अपने पक्ष को स्पष्ट रूप से रख सके और वैश्विक शासन में अपनी भूमिका का पुनर्निर्धारण कर सके।

केस स्टडी: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कई नव-स्वतंत्र राष्ट्रों को पश्चिमी शक्तियों के एजेंडे का पालन करने के लिए मजबूर किया गया था। भारत ने तब ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ (NAM) के माध्यम से अपनी ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ का दावा किया। आज, प्रधान मंत्री का ‘आईना दिखाने’ वाला बयान, उसी ‘स्वायत्तता’ का एक नया, अधिक मुखर रूप है, जो बदलती वैश्विक शक्ति संरचनाओं के अनुरूप है।

4. ‘आईना दिखाना’: सकारात्मक और नकारात्मक पहलू (The ‘Showing Mirror’: Positives and Negatives)

किसी भी कूटनीतिक कदम की तरह, इसके भी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं:

सकारात्मक पहलू:

  • राष्ट्रीय गौरव और मनोबल में वृद्धि: यह बयान देशवासियों में गर्व और आत्मविश्वास की भावना पैदा करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज़ को मजबूती: यह भारत की चिंताओं और दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • पूर्वाग्रहों का खंडन: यह भारत के बारे में व्याप्त गलत धारणाओं और पूर्वाग्रहों को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • कूटनीतिक आक्रामकता के बजाय ‘संतुलित प्रतिक्रिया’: इसे केवल ‘आक्रामकता’ के रूप में देखने के बजाय, यह भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रति एक ‘संतुलित’ और ‘समान’ प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा सकता है।

नकारात्मक पहलू/चुनौतियाँ:

  • संबंधों में तनाव: जिन देशों को ‘आईना’ दिखाया जा रहा है, वे जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे कूटनीतिक या आर्थिक संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।
  • गलत व्याख्या का जोखिम: कुछ देश या मीडिया इस बयान को भारत की ओर से ‘अहंकार’ या ‘अड़ियल रवैये’ के रूप में व्याख्यायित कर सकते हैं।
  • संसाधनों का व्यय: ऐसे “वाद-विवाद” या “आईना दिखाने” की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कूटनीतिक और संचार संसाधन लग सकते हैं।
  • अस्थिरता का खतरा: यदि प्रतिक्रिया बहुत कठोर हो, तो यह क्षेत्रीय या वैश्विक अस्थिरता को बढ़ा सकती है।

उपमा: मान लीजिए आप एक समूह चर्चा में भाग ले रहे हैं और कोई सदस्य बार-बार आपके विचारों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहा है। यदि आप सीधे उन्हें तथ्यों के साथ अपनी गलती बताते हैं, तो यह एक ‘आईना दिखाना’ है। इससे समूह में स्पष्टता आ सकती है (सकारात्मक), लेकिन वह सदस्य अपमानित महसूस करके और अधिक असहयोगी हो सकता है (नकारात्मक)।

5. UPSC के लिए महत्वपूर्ण बिंदु (Key Takeaways for UPSC Exam)

UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, प्रधान मंत्री के इस बयान को कई दृष्टिकोणों से समझना महत्वपूर्ण है:

A. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations – IR)

  • भारत की विदेश नीति के सिद्धांत: ‘रणनीतिक स्वायत्तता’, ‘बहु-संरेखण’ (multi-alignment), ‘राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना’।
  • कूटनीतिक भाषा और प्रतीकवाद: ‘आईना दिखाना’ जैसे कथनों का सामरिक महत्व।
  • वैश्विक शक्ति संतुलन: कैसे भारत अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
  • समसामयिक वैश्विक मुद्दे: भारत के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियाँ और उन पर भारत का रुख।
  • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय कूटनीति: विभिन्न देशों और संगठनों के साथ भारत के संबंध।

B. राजव्यवस्था (Polity)

  • संसद की भूमिका: प्रधान मंत्री का लोकसभा में बयान देना।
  • सरकार की विदेश नीति का निर्धारण: कार्यपालिका की भूमिका।
  • राष्ट्रीय हित और संप्रभुता: भारत के इन सिद्धांतों की रक्षा कैसे की जाती है।

C. अंतर्राष्ट्रीय संगठन और मंच (International Organisations and Forums)

  • अंतर्राष्ट्रीय निकायों में भारत की भूमिका: कैसे भारत अपने हितों को इन मंचों पर रखता है।
  • वैश्विक शासन पर भारत का दृष्टिकोण: सुधरे हुए वैश्विक शासन की आवश्यकता।

D. समसामयिक मामले (Current Affairs)

  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की घटनाएँ: इस बयान को हाल की घटनाओं से जोड़कर समझना।
  • मीडिया की भूमिका: अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत की छवि कैसे बनती है और उसे कैसे प्रबंधित किया जाता है।

UPSC के लिए कैसे पढ़ें:

  1. पहचानें: बयान के पीछे के विशिष्ट कारण (यदि ज्ञात हो) या व्यापक भू-राजनीतिक रुझान।
  2. विश्लेषण करें: यह भारत की विदेश नीति के सिद्धांतों से कैसे मेल खाता है।
  3. मूल्यांकन करें: इसके संभावित सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं।
  4. तुलना करें: भारत के पिछले विदेश नीति दृष्टिकोणों से इसकी तुलना करें।
  5. उदाहरण दें: अपने उत्तरों में विशिष्ट उदाहरण (जैसे, किसी विशेष देश के साथ संबंध, किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का रुख) शामिल करें।

6. भविष्य की राह (The Way Forward)

प्रधान मंत्री के ‘आईना दिखाने’ वाले बयान के बाद, भारत के लिए आगे का रास्ता स्पष्ट है:

  • कूटनीतिक संचार को मजबूत करना: भारत को अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए अपने कूटनीतिक चैनलों और सार्वजनिक कूटनीति (public diplomacy) का प्रभावी ढंग से उपयोग करना जारी रखना चाहिए।
  • तथ्यों पर आधारित जवाब: किसी भी आलोचना का जवाब हमेशा ठोस, तथ्यात्मक और विश्वसनीय साक्ष्यों के साथ दिया जाना चाहिए।
  • साझेदारों के साथ जुड़ाव: उन देशों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना जो भारत के दृष्टिकोण को समझने को तैयार हैं, महत्वपूर्ण है।
  • आंतरिक शक्तियों का निर्माण: भारत की आर्थिक, सैन्य और तकनीकी ताकतें इसकी कूटनीतिक आवाज़ को और अधिक प्रभावी बनाएंगी।
  • लचीलापन: वैश्विक कूटनीति एक जटिल खेल है। भारत को लचीला रहना चाहिए और आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति को अनुकूलित करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को एक नाजुक नृत्य की तरह समझें। कभी आपको अपनी चालें स्पष्ट रूप से दिखानी होती हैं, कभी अपने साथी के कदम समझने होते हैं, और कभी-कभी, यदि साथी अनुचित व्यवहार करे, तो उसे उसकी गलती का अहसास कराना पड़ता है। प्रधान मंत्री का यह बयान उसी ‘अहसास कराने’ के चरण का प्रतिनिधित्व करता है, जो एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रधान मंत्री के ‘आईना दिखाने’ वाले बयान का मुख्य कूटनीतिक अर्थ क्या है?
    a) अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग करना
    b) गलत धारणाओं को तथ्यों से दूर करना और अपना पक्ष रखना
    c) अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना
    d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना
    उत्तर: b) गलत धारणाओं को तथ्यों से दूर करना और अपना पक्ष रखना
    व्याख्या: यह बयान भारत के मुखर कूटनीतिक रुख को दर्शाता है, जिसका अर्थ है गलत सूचनाओं का खंडन करना और अपने राष्ट्रीय हितों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना।
  2. प्रधान मंत्री के बयान को भारत की विदेश नीति के किस सिद्धांत से जोड़ा जा सकता है?
    a) अलगाववाद (Isolationism)
    b) रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)
    c) एकतरफा कूटनीति (Unilateral Diplomacy)
    d) तुष्टिकरण की नीति (Policy of Appeasement)
    उत्तर: b) रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)
    व्याख्या: यह बयान भारत की अपनी विदेश नीति तय करने और बाहरी दबावों के बिना अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की क्षमता को दर्शाता है, जो रणनीतिक स्वायत्तता का मुख्य तत्व है।
  3. ‘आईना दिखाना’ (Showing Mirror) कूटनीति का उद्देश्य क्या होता है?
    a) द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाना
    b) आलोचनाओं का जवाब देना और अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करना
    c) अंतर्राष्ट्रीय निकायों की स्थापना करना
    d) आर्थिक सहायता प्राप्त करना
    उत्तर: b) आलोचनाओं का जवाब देना और अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करना
    व्याख्या: इसका अर्थ है उन लोगों को उनकी गलतियों या पूर्वाग्रहों से अवगत कराना जो भारत को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
  4. वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में, भारत के ‘आईना दिखाने’ वाले रुख को किस संदर्भ में समझा जा सकता है?
    a) भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव
    b) चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का विरोध
    c) पश्चिमी देशों द्वारा भारत की आंतरिक नीतियों की आलोचना
    d) उपरोक्त सभी
    उत्तर: d) उपरोक्त सभी
    व्याख्या: यह बयान भारत के बढ़ते प्रभाव, पश्चिम से आलोचनाओं का सामना करने और वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव जैसे कई संदर्भों से जुड़ा है।
  5. निम्नलिखित में से कौन सा ‘आईना दिखाने’ वाले कूटनीतिक दृष्टिकोण का एक संभावित नकारात्मक परिणाम हो सकता है?
    a) राष्ट्रीय गौरव में वृद्धि
    b) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि
    c) आलोचना करने वाले देशों के साथ संबंधों में तनाव
    d) गलत सूचना का खंडन
    उत्तर: c) आलोचना करने वाले देशों के साथ संबंधों में तनाव
    व्याख्या: मुखर कूटनीति कभी-कभी अन्य देशों को असहज कर सकती है, जिससे संबंधों में तनाव आ सकता है।
  6. प्रधानमंत्री द्वारा लोकसभा में दिया गया बयान, भारत की किस क्षमता को दर्शाता है?
    a) भारत का आंतरिक राजनीतिक विभाजन
    b) राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की चिंताएं
    c) भारत का बढ़ता आत्मविश्वास और मुखर विदेश नीति
    d) अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की निष्क्रियता
    उत्तर: c) भारत का बढ़ता आत्मविश्वास और मुखर विदेश नीति
    व्याख्या: यह बयान भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और अपने हितों की रक्षा के लिए मुखर होने की उसकी इच्छा को प्रदर्शित करता है।
  7. ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे सिद्धांत, भारत की विदेश नीति के किस पहलू को रेखांकित करते हैं?
    a) केवल द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना
    b) अपनी विदेश नीति को सार्वभौमिक मूल्यों और सभी के विकास से जोड़ना
    c) अन्य देशों की नीतियों की नकल करना
    d) पूर्ण अलगाववाद
    उत्तर: b) अपनी विदेश नीति को सार्वभौमिक मूल्यों और सभी के विकास से जोड़ना
    व्याख्या: यह सिद्धांत दर्शाता है कि भारत अपनी विदेश नीति में समावेशिता और वैश्विक कल्याण को प्राथमिकता देता है।
  8. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) जैसे वित्तीय संस्थानों में भारत की बढ़ती सक्रियता किस कूटनीतिक रणनीति का उदाहरण है?
    a) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का विरोध
    b) वैश्विक आर्थिक शासन में अधिक प्रभावी भूमिका निभाना
    c) केवल आयात पर ध्यान केंद्रित करना
    d) विदेशी सहायता पर निर्भरता बढ़ाना
    उत्तर: b) वैश्विक आर्थिक शासन में अधिक प्रभावी भूमिका निभाना
    व्याख्या: भारत इन मंचों पर अपनी राय रखना और वैश्विक आर्थिक निर्णयों में अधिक योगदान देना चाहता है।
  9. प्रधान मंत्री का ‘आईना दिखाना’ निम्नलिखित में से किस पर जोर देता है?
    a) पश्चिम के साथ पूर्ण संरेखण
    b) केवल पश्चिमी देशों की आलोचना
    c) किसी भी देश या संस्था के अनुचित पूर्वाग्रहों या गलत सूचनाओं का खंडन
    d) केवल अपने आर्थिक हितों को बढ़ावा देना
    उत्तर: c) किसी भी देश या संस्था के अनुचित पूर्वाग्रहों या गलत सूचनाओं का खंडन
    व्याख्या: यह बयान किसी विशिष्ट देश तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी को संबोधित करता है जो भारत को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
  10. ‘सार्वजनिक कूटनीति’ (Public Diplomacy) का संबंध प्रधान मंत्री के इस बयान से कैसे है?
    a) यह अप्रत्यक्ष रूप से भारत की छवि और दृष्टिकोण को आकार देता है
    b) यह केवल सरकारी संचार तक सीमित है
    c) यह आंतरिक राजनीतिक बहसों को प्रोत्साहित करता है
    d) यह गुप्त मिशनों से संबंधित है
    उत्तर: a) यह अप्रत्यक्ष रूप से भारत की छवि और दृष्टिकोण को आकार देता है
    व्याख्या: प्रधान मंत्री का बयान, चाहे संसद में दिया गया हो, वैश्विक दर्शकों तक पहुंचता है और सार्वजनिक कूटनीति का एक रूप है जो भारत की छवि बनाता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रधान मंत्री के “मैं भारत का पक्ष प्रस्तुत करने और उन लोगों को आईना दिखाने के लिए यहाँ खड़ा हूँ जो इसे देखने से इनकार करते हैं” वाले बयान का विश्लेषण करें। यह भारत की समकालीन विदेश नीति के सिद्धांतों और प्रथाओं को कैसे दर्शाता है? (250 शब्द, 15 अंक)
  2. “राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक मुखर कूटनीतिक रुख अपनाना, भारत की वैश्विक शक्ति के रूप में बढ़ती भूमिका का स्वाभाविक परिणाम है।” इस कथन के आलोक में प्रधान मंत्री के हालिया बयान का मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. भारत की विदेश नीति में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ और ‘आईना दिखाना’ जैसे कूटनीतिक दृष्टिकोणों के बीच क्या संबंध है? ऐसे दृष्टिकोणों के अपनाने में क्या चुनौतियाँ और अवसर निहित हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रधान मंत्री के ‘आईना दिखाने’ वाले बयान का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर संभावित प्रभाव क्या हो सकता है? सकारात्मक और नकारात्मक दोनों दृष्टिकोणों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)

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