5 राज्यों में मूसलाधार बारिश: हिमाचल में बादल फटा, राजस्थान में बाढ़ – 2 की मौत, जानें यह क्यों हो रहा है
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में, एक भयावह बादल फटने की घटना हुई, जिसमें दो लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। इसके साथ ही, राजस्थान में कई स्थानों पर बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जहाँ सड़कें जलमग्न हो गई हैं और नौकाओं का उपयोग यातायात के लिए करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश सहित कुल पांच राज्यों में भारी से अति भारी बारिश की खबरें हैं। यह स्थिति न केवल तत्काल जीवन और संपत्ति के नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि यह मानसून की प्रकृति, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और देश की आपदा प्रबंधन तैयारियों पर गंभीर प्रश्न भी खड़े करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट UPSC उम्मीदवारों के लिए इस घटना का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें इसके कारण, प्रभाव, विभिन्न राज्यों में स्थिति, संबंधित सरकारी नीतियां, चुनौतियाँ और भविष्य की राहें शामिल हैं।
समझना: बादल फटना, बाढ़ और भारी बारिश (Understanding: Cloudburst, Floods, and Heavy Rainfall)
सबसे पहले, इन घटनाओं के पीछे के वैज्ञानिक और भौगोलिक कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।
बादल फटना (Cloudburst)
- क्या है? बादल फटना वायुमंडलीय घटनाओं का एक चरम रूप है जहाँ कम समय (आमतौर पर कुछ घंटों के भीतर) में बहुत अधिक मात्रा में वर्षा होती है। इसे ‘स्थानीयकृत, तीव्र वर्षा’ के रूप में परिभाषित किया जाता है, जहाँ 100 मिमी (लगभग 4 इंच) से अधिक वर्षा प्रति घंटे की दर से दर्ज की जाती है।
- कैसे होता है? यह तब होता है जब हवा में जलवाष्प बहुत अधिक मात्रा में जमा हो जाती है और तेजी से संघनित होकर बूंदों में बदल जाती है। जब ये बूंदें इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा उन्हें रोक नहीं पाती, तो वे अचानक और तीव्रता से गिरती हैं। पहाड़ों में, जब यह घटना एक संकीर्ण घाटी या ढलान पर होती है, तो पानी की यह अचानक बाढ़ एक शक्तिशाली लहर का रूप ले लेती है, जिसे ‘फ्लैश फ्लड’ कहा जाता है।
- कारण:
- पहाड़ी स्थलाकृति: संकरी घाटियाँ और खड़ी ढलानें पानी के वेग को बढ़ा देती हैं, जिससे बाढ़ की तीव्रता बढ़ जाती है।
- वायुमंडलीय अस्थिरता: मानसूनी हवाओं के साथ आने वाली अत्यधिक नमी और अस्थिर वातावरण इसके प्रमुख कारण हैं।
- तापमान भिन्नता: अचानक तापमान में गिरावट भी संघनन प्रक्रिया को तेज कर सकती है।
बाढ़ (Floods)
- क्या है? बाढ़ तब होती है जब पानी का स्तर सामान्य से ऊपर उठ जाता है और भूमि के उन हिस्सों को जलमग्न कर देता है जो सामान्य रूप से सूखे रहते हैं।
- कारण:
- भारी वर्षा: लगातार या अत्यधिक तीव्र वर्षा नदियों और जल निकायों में पानी की मात्रा को बढ़ा देती है।
- बादल फटना: जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह बाढ़ का एक तीव्र रूप है।
- बांध टूटना: मानव निर्मित संरचनाओं की विफलता भी अचानक बाढ़ ला सकती है।
- बर्फ पिघलना: वसंत ऋतु में तेजी से बर्फ पिघलना नदियों में पानी की मात्रा बढ़ा सकता है।
- तूफान और सुनामी: तटीय क्षेत्रों में, ये प्राकृतिक आपदाएं बड़े पैमाने पर बाढ़ का कारण बन सकती हैं।
- बाढ़ के प्रकार:
- नदी बाढ़ (River Floods): जब नदियाँ अपने किनारों को पार कर जाती हैं।
- तटीय बाढ़ (Coastal Floods): तूफान, सुनामी या उच्च ज्वार के कारण।
- फ्लैश फ्लड (Flash Floods): अचानक और तीव्र वर्षा या बांध टूटने से।
- शहरी बाढ़ (Urban Floods): कंक्रीट के जंगल और खराब जल निकासी व्यवस्था के कारण शहरों में।
भारी से अति भारी बारिश (Heavy to Very Heavy Rainfall)
- यह सामान्य मानसून पैटर्न का हिस्सा हो सकती है, लेकिन जब यह अत्यधिक तीव्र हो जाती है, तो यह उपरोक्त दोनों प्रकार की घटनाओं को जन्म दे सकती है।
- कारण:
- मानसूनी ट्रोफ (Monsoon Trough): मानसून के दौरान निम्न दबाव का क्षेत्र जो आमतौर पर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बना रहता है। जब यह सक्रिय होता है, तो भारी बारिश होती है।
- पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances): भूमध्यसागरीय क्षेत्र से आने वाली मौसमी प्रणाली जो कभी-कभी भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में, बारिश और बर्फबारी लाती है।
- चक्रीय तूफान (Cyclonic Storms): अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में बनने वाले तूफान अपने साथ भारी मात्रा में नमी लाते हैं।
- जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि वायुमंडल में अधिक जलवाष्प धारण करने की क्षमता बढ़ाती है, जिससे अत्यधिक वर्षा की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
वर्तमान स्थिति का विस्तृत विश्लेषण (Detailed Analysis of the Current Situation)
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)
- मंडी में बादल फटना: यह घटना पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने के खतरे को रेखांकित करती है। मंडी जैसे पहाड़ी जिले, अपनी संकरी घाटियों और तेज ढलानों के साथ, फ्लैश फ्लड के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं।
- प्रभाव:
- जनहानि: 2 लोगों की मौत एक गंभीर झटका है, जो स्थानीय आबादी और पर्यटकों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है।
- बुनियादी ढांचा: सड़कें, पुल और बिजली लाइनें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे बचाव और राहत कार्यों में बाधा आती है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था: पर्यटन और कृषि जैसे क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
राजस्थान (Rajasthan)
- बाढ़ जैसे हालात: राजस्थान, जो आम तौर पर अपने शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है, में बाढ़ का अनुभव करना एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह घटना ‘आर्द्रता की घुसपैठ’ (moisture ingress) और अप्रत्याशित मानसून पैटर्न का संकेत देती है।
- प्रभाव:
- शहरी और ग्रामीण बाढ़: सड़कों पर नौकाओं का चलना दर्शाता है कि जल स्तर काफी ऊपर उठ गया है, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
- कृषि पर प्रभाव: खड़ी फसलें बर्बाद हो सकती हैं, जिससे किसानों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: जल-जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
अन्य प्रभावित राज्य (Other Affected States)
- मध्य प्रदेश और अन्य 5 राज्य: इन राज्यों में भारी बारिश का मतलब है कि पूरा क्षेत्र मानसून के एक सक्रिय चरण का अनुभव कर रहा है। यह अन्य नदियों, जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों के जल स्तर को भी बढ़ा सकता है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
- सामूहिक प्रभाव: जब एक साथ कई राज्य प्रभावित होते हैं, तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया तंत्र पर दबाव बढ़ जाता है। संसाधनों का बंटवारा और समन्वय महत्वपूर्ण हो जाता है।
कारणों की गहरी पड़ताल (Deep Dive into the Causes)
1. मानसून की बदलती प्रकृति (Changing Nature of Monsoon)
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change): यह सबसे प्रमुख कारक माना जा रहा है। वैश्विक तापन वायुमंडल में अधिक जलवाष्प धारण करने की क्षमता को बढ़ाता है। इससे जहाँ कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ सकता है, वहीं जहाँ भी नमी पहुंचती है, वहां अति-वर्षा की घटनाएं बढ़ जाती हैं।
- ‘एक्सट्रीम इवेंट्स’ का बढ़ना: जलवायु परिवर्तन ‘एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स’ (चरम मौसमी घटनाओं) की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहा है, जैसे कि अचानक भारी बारिश, बादल फटना, और हीटवेव।
- एल नीनो/ला नीना (El Niño/La Niña): ये प्रशांत महासागर की धाराएं वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती हैं। ला नीना की अवधि में अक्सर भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होती है, जबकि एल नीनो के कारण कम वर्षा की आशंका रहती है। वर्तमान मौसमी पैटर्न इन चक्रों से भी प्रभावित हो सकता है।
2. शहरीकरण और अनियोजित विकास (Urbanization and Unplanned Development)
- शहरी बाढ़ (Urban Flooding): शहरों में कंक्रीट के जंगल (concrete jungle) पानी के प्राकृतिक सोखने (infiltration) की क्षमता को कम कर देते हैं। खराब जल निकासी प्रणालियाँ, जो बढ़ती वर्षा की मात्रा को संभालने के लिए डिज़ाइन नहीं की गई हैं, शहरी बाढ़ को बढ़ाती हैं। सड़कों पर नौकाएं चलने का दृश्य शहरी नियोजन की विफलता को दर्शाता है।
- पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण: पहाड़ी क्षेत्रों में, अनियोजित निर्माण, वनों की कटाई, और भू-उपयोग में बदलाव भूस्खलन और बाढ़ के खतरे को बढ़ाते हैं। ढलानों पर निर्माण पानी के प्राकृतिक बहाव को बाधित करता है।
3. आपदा प्रबंधन में चुनौतियाँ (Challenges in Disaster Management)
- पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली (Forecasting and Warning Systems): हालांकि इन प्रणालियों में सुधार हुआ है, फिर भी बादल फटने जैसी अत्यंत स्थानीयकृत और अचानक होने वाली घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान एक चुनौती है।
- बुनियादी ढांचा: सड़कों, पुलों और संचार लाइनों का बार-बार टूटना राहत और बचाव कार्यों को धीमा कर देता है।
- जन जागरूकता और तैयारी: स्थानीय समुदायों को ऐसी आपदाओं के लिए प्रशिक्षित और तैयार करने की आवश्यकता है।
- समन्वय: राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह घटना सामान्य अध्ययन (General Studies) के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूती है:
* GS-I: भूगोल (Geography): भूभौतिकीय घटनाएँ (बादल फटना, बाढ़), जलवायु और उसकी विशेषताएँ, भारत का भौतिक भूगोल।
* GS-II: शासन (Governance): सरकारी नीतियाँ और उनका प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय समझौते (जलवायु परिवर्तन पर)।
* GS-III: पर्यावरण (Environment): जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव, पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन।
* GS-III: आंतरिक सुरक्षा (Internal Security): आपदाओं का सुरक्षा पर प्रभाव, सीमा पार जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (यदि प्रासंगिक हो)।
सरकारी नीतियां और पहल (Government Policies and Initiatives)
भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है:
* राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है, जो नीति निर्माण, योजना और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करता है।
* **आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005:** यह अधिनियम भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
* राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF): ये प्रशिक्षित दल बचाव और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
* मौसम विभाग (IMD): यह भारी वर्षा और अन्य चरम मौसमी घटनाओं के लिए पूर्वानुमान और चेतावनी जारी करता है।
* बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली (Flood Forecasting and Warning System):** नदियों में बाढ़ की निगरानी और भविष्यवाणी के लिए।
* राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF): गंभीर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
* **जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC):** जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करने के लिए विभिन्न मिशनों को शामिल करती है।
चुनौतियाँ (Challenges)
यह घटना कई गंभीर चुनौतियाँ पेश करती है:
- मौसम की अप्रत्याशितता: जलवायु परिवर्तन ने मौसम के पैटर्न को इतना अप्रत्याशित बना दिया है कि सटीक और समय पर चेतावनी जारी करना मुश्किल हो गया है।
- पहाड़ी और शहरी क्षेत्रों की भेद्यता: इन क्षेत्रों की अनूठी स्थलाकृति और विकास पैटर्न उन्हें आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
- बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण: क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे को फिर से बनाना एक महंगा और समय लेने वाला काम है, खासकर जब बार-बार ऐसी घटनाएं होती हैं।
- वित्तीय संसाधन: आपदाओं से निपटने और पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो अक्सर अपर्याप्त साबित होते हैं।
- प्रशासनिक क्षमता: जमीनी स्तर पर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक और मानवीय क्षमता का निर्माण एक सतत चुनौती है।
भविष्य की राह (The Way Forward)
इन घटनाओं से निपटने और भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
“न केवल प्रतिक्रिया (Response) पर, बल्कि रोकथाम (Prevention) और शमन (Mitigation) पर भी जोर देना आवश्यक है।”
- प्रौद्योगिकी-संचालित पूर्वानुमान:
- बादल फटने जैसी छोटी अवधि की घटनाओं के लिए अधिक सूक्ष्म (granular) और स्थानीयकृत मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों का विकास।
- जीआईएस (GIS) और रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing) तकनीकों का उपयोग करके जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान और निगरानी।
- अनुकूली विकास योजना:
- पहाड़ी और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में निर्माण के लिए कड़े नियम और अधिकृत मास्टर प्लान।
- शहरी विकास में जल निकासी और हरित अवसंरचना (green infrastructure) पर अधिक ध्यान।
- आपदा-लचीला बुनियादी ढांचा:
- ऐसे पुलों, सड़कों और इमारतों का निर्माण जो चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर सकें।
- सामुदायिक स्तर पर तैयारी:
- स्थानीय समुदायों को आपदा के समय क्या करना है, इसका प्रशिक्षण देना।
- इमरजेंसी किट और आश्रयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- जैव-विविधता का संरक्षण:
- वनों की कटाई रोकना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना, खासकर पहाड़ी और नदी तटों के किनारे। वनस्पति मिट्टी को स्थिर करती है और पानी के बहाव को धीमा करती है।
- अंतर-एजेंसी समन्वय:
- NDRF, IMD, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
- जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई:
- भारत को वैश्विक मंचों पर जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और अन्य देशों पर भी दबाव बनाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और राजस्थान में बाढ़ जैसी घटनाओं की यह लहरें हमें याद दिलाती हैं कि प्रकृति कितनी शक्तिशाली हो सकती है और मानव जाति को इसके प्रति कितना सतर्क रहना चाहिए। यह केवल एक भौगोलिक घटना नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, अनियोजित विकास और हमारी वर्तमान प्रतिक्रिया प्रणालियों की सीमाओं का एक जटिल मिश्रण है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐसी आपदाएं न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं, बल्कि शासन, पर्यावरण और सामाजिक न्याय जैसे व्यापक मुद्दों से भी जुड़ी हुई हैं। एक मजबूत, एकीकृत और भविष्योन्मुखी आपदा प्रबंधन रणनीति ही हमें इन बढ़ती चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: बादल फटना एक ऐसी घटना है जिसमें एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में बहुत कम समय में अत्यधिक मात्रा में वर्षा होती है।
कथन 2: बादल फटना अक्सर ऊंचाई वाले, पहाड़ी और तंग घाटियों वाले क्षेत्रों में अधिक देखा जाता है।
सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल कथन 1
(b) केवल कथन 2
(c) दोनों कथन 1 और 2
(d) न तो कथन 1 और न ही कथन 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: दोनों कथन बादल फटने की सही परिभाषा और उसके कारणों को बताते हैं।
2. हाल ही में प्रभावित हुए राज्यों में से कौन सा राज्य अपने शुष्क या अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है, लेकिन अब बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहा है?
(a) हिमाचल प्रदेश
(b) मध्य प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
व्याख्या: राजस्थान, जो आमतौर पर शुष्क क्षेत्र है, में बाढ़ का अनुभव अप्रत्याशित था।
3. शहरी बाढ़ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. कंक्रीट की सतहें वर्षा जल के अवशोषण को बढ़ाती हैं।
2. खराब जल निकासी प्रणालियाँ शहरी बाढ़ को बढ़ाती हैं।
3. शहरों में हरियाली की अधिकता बाढ़ के जोखिम को कम करती है।
सही कथन चुनिए:
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: कंक्रीट की सतहें अवशोषण को कम करती हैं (कथन 1 गलत है) और हरियाली बाढ़ के जोखिम को कम करती है (कथन 3 गलत है)।
4. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार, भारत में आपदा प्रबंधन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी नोडल एजेंसी है?
(a) भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(c) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(d) गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs)
उत्तर: (b)
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष नीति-निर्माण निकाय है।
5. ‘फ्लैश फ्लड’ (Flash Flood) का सबसे उपयुक्त वर्णन क्या है?
(a) किसी नदी के उफान पर आने से धीरे-धीरे जल स्तर बढ़ना।
(b) बांध टूटने या अचानक तीव्र वर्षा के कारण होने वाली अचानक और तीव्र बाढ़।
(c) समुद्र के बढ़ते ज्वार के कारण तटवर्ती क्षेत्रों में जल जमाव।
(d) ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में जल स्तर का सामान्य वृद्धि।
उत्तर: (b)
व्याख्या: फ्लैश फ्लड अचानक होने वाली तीव्र बाढ़ है।
6. जलवायु परिवर्तन से ‘एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स’ (चरम मौसमी घटनाओं) के संदर्भ में क्या अपेक्षित है?
(a) उनकी आवृत्ति और तीव्रता दोनों में वृद्धि।
(b) उनकी आवृत्ति में कमी और तीव्रता में वृद्धि।
(c) उनकी आवृत्ति में वृद्धि और तीव्रता में कमी।
(d) उनकी आवृत्ति और तीव्रता दोनों में कमी।
उत्तर: (a)
व्याख्या: जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख प्रभाव चरम घटनाओं का बढ़ना है।
7. निम्नलिखित में से कौन सी सरकारी पहल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संबोधित करने के लिए भारत की ‘राष्ट्रीय कार्य योजना’ (National Action Plan) का हिस्सा है?
(a) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF)
(b) राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission)
(c) राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)
(d) राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga)
उत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय सौर मिशन, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है।
8. पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ के खतरों को बढ़ाने में निम्नलिखित में से किसका योगदान हो सकता है?
1. वनों की कटाई
2. अनियोजित निर्माण
3. ढलानों पर निर्माण
सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी कारक पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ के जोखिम को बढ़ाते हैं।
9. “आर्द्रता की घुसपैठ” (Moisture Ingress) का क्या अर्थ हो सकता है, खासकर जब यह अप्रत्याशित स्थानों पर भारी बारिश लाता है?
(a) वायुमंडल से आर्द्रता का क्षय।
(b) भूजल स्तर का बढ़ना।
(c) ऐसे क्षेत्रों में नमी वाली हवाओं का प्रवेश जो सामान्य रूप से शुष्क होते हैं।
(d) जल निकायों से वाष्पीकरण का बढ़ना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘आर्द्रता की घुसपैठ’ का मतलब है नमी का अनपेक्षित क्षेत्रों में प्रवेश।
10. किसी क्षेत्र में बाढ़ के पूर्व-चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) के विकास में निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक सहायक हो सकती है?
1. रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing)
2. जीआईएस (GIS)
3. सैटेलाइट इमेजरी (Satellite Imagery)
सही विकल्प चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी तकनीकें निगरानी, मैपिंग और प्रारंभिक चेतावनी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “हाल ही में भारत के कई हिस्सों में देखी गई अत्यधिक वर्षा और बाढ़ की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन, अनियोजित शहरीकरण और कमजोर आपदा प्रबंधन प्रणालियों के एक जटिल परस्पर क्रिया के रूप में देखा जा सकता है। अपने उत्तर के समर्थन में विश्लेषण करें।” (250 शब्द, 15 अंक)
2. “बादल फटने की घटनाएँ, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में, भारत की भेद्यता को उजागर करती हैं। इन घटनाओं के वैज्ञानिक कारणों, उनके पर्यावरणीय प्रभावों और ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा करें।” (200 शब्द, 10 अंक)
3. “भारत की आपदा प्रबंधन नीति में शमन (Mitigation) और रोकथाम (Prevention) के महत्व पर प्रकाश डालें। हाल की बाढ़ जैसी घटनाओं को देखते हुए, भविष्य में ऐसी आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए कौन से विशिष्ट उपाय किए जा सकते हैं?” (250 शब्द, 15 अंक)
4. “राजस्थान जैसे अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति का उत्पन्न होना, मानसून के बदलते पैटर्न और शहरीकृत परिदृश्यों के अप्रत्याशित परिणामों का संकेत देता है। इस घटना के कारणों, प्रभावों और संबंधित शासन संबंधी चुनौतियों का विस्तार से विश्लेषण करें।” (200 शब्द, 10 अंक)