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राष्ट्रीय सुरक्षा पर गरमाई बहस: ललन सिंह के ‘शहीद’ बयान और सीजफायर पर राहुल के सवालों ने मचाया हड़कंप!

राष्ट्रीय सुरक्षा पर गरमाई बहस: ललन सिंह के ‘शहीद’ बयान और सीजफायर पर राहुल के सवालों ने मचाया हड़कंप!

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दो ऐसे मुद्दे उछले जिन्होंने देश भर में बहस छेड़ दी है। पहला, एक वीडियो क्लिप के माध्यम से सामने आया जिसमें जेडी (यू) नेता ललन सिंह ने कथित तौर पर आतंकवादियों को ‘शहीद’ कहा। दूसरा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से “युद्धविराम के दौरान हमले क्यों रोके गए?” जैसे गंभीर सवाल पूछे। ये दोनों ही घटनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने की रणनीति और राजनीतिक बयानों के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं, जो UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट इन घटनाओं के मूल कारणों, उनके निहितार्थों, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से इनसे जुड़े महत्वपूर्ण विषयों का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा। हम जानेंगे कि ये बयान क्यों महत्वपूर्ण हैं, इनका राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और इससे जुड़े विभिन्न पहलू क्या हैं जिन पर परीक्षा में प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

समझते हैं पूरा मामला: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसके इर्द-गिर्द की राजनीति

सबसे पहले, हमें उस संदर्भ को समझना होगा जिसमें ये बयान दिए गए। हालांकि “ऑपरेशन सिंदूर” नामक विशिष्ट ऑपरेशन का सीधा उल्लेख समाचार शीर्षक में है, लेकिन अक्सर ऐसे राजनीतिक बयानों के पीछे गहरे ऐतिहासिक या समकालीन संदर्भ होते हैं। आमतौर पर, ऐसे बयान तब सामने आते हैं जब देश किसी सुरक्षा चुनौती का सामना कर रहा होता है या जब सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जाते हैं।

ललन सिंह का कथित बयान: जेडी (यू) के वरिष्ठ नेता ललन सिंह के एक कथित वीडियो में आतंकवादियों को ‘शहीद’ कहने का मामला सामने आया है। इस तरह के बयान अत्यंत संवेदनशील होते हैं क्योंकि यह आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर देश की आधिकारिक स्थिति और सार्वजनिक भावना के विपरीत जा सकता है। इस बयान के कई निहितार्थ हो सकते हैं:

  • राजनीतिक बयानबाजी: यह चुनाव प्रचार का हिस्सा हो सकता है या किसी विशेष समुदाय को लुभाने का प्रयास।
  • गलतफहमी या संदर्भ का अभाव: यह भी संभव है कि बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया हो या उसका संदर्भ अलग हो।
  • आतंकवाद पर सॉफ्ट स्टैंड का आरोप: विरोधी दल अक्सर ऐसे बयानों का उपयोग करके सरकार या सत्तारूढ़ दलों पर आतंकवाद के प्रति नरमी बरतने का आरोप लगाते हैं।

राहुल गांधी का सीजफायर पर सवाल: दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूछा कि “सीजफायर पर हमले क्यों रोके गए?”। यह बयान संभवतः किसी विशिष्ट घटना या नीतिगत निर्णय से जुड़ा है जहां सीजफायर के बावजूद आतंकवादी या अन्य शत्रुतापूर्ण तत्व सक्रिय रहे और सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई नहीं की। इस प्रश्न के पीछे कई महत्वपूर्ण बिंदु छिपे हैं:

  • सीजफायर का उद्देश्य: सीजफायर का मतलब संघर्ष विराम होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शत्रुतापूर्ण तत्वों को अपनी गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत: क्या राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए आक्रामक या निवारक कार्रवाई आवश्यक है, भले ही सीजफायर लागू हो?
  • नीतिगत पारदर्शिता: क्या सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों में पारदर्शिता की कमी है, जिसके कारण ऐसे सवाल उठ रहे हैं?

UPSC के लिए प्रासंगिक मुद्दे: एक विस्तृत विश्लेषण

यह दोनों घटनाएं UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं। विशेष रूप से, सामान्य अध्ययन पत्र I (भारतीय समाज, भूगोल), सामान्य अध्ययन पत्र II (शासन, राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध), और सामान्य अध्ययन पत्र III (सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण) के लिए यह महत्वपूर्ण है।

1. राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद (GS-III)

यह पूरा मामला सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़ा है। UPSC के पाठ्यक्रम में आतंकवाद एक प्रमुख विषय है।

“आतंकवाद एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है। इसमें केवल सैन्य प्रतिक्रिया ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके मूल कारणों, जैसे सामाजिक-आर्थिक असमानता, राजनीतिक असंतोष, और विचारधारात्मक कट्टरवाद को समझना और संबोधित करना भी आवश्यक है।”

  • आतंकवाद की परिभाषा और प्रकार: राज्य-प्रायोजित आतंकवाद, धार्मिक आतंकवाद, अलगाववादी आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद आदि।
  • भारत के समक्ष आतंकवाद की चुनौतियां: सीमा पार आतंकवाद, आंतरिक आतंकवाद, साइबर आतंकवाद।
  • आतंकवाद से निपटने के लिए सरकारी नीतियां और रणनीतियाँ: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, एकीकृत कमान, खुफिया तंत्र, कानून प्रवर्तन एजेंसियां, आतंकवाद विरोधी कानून (जैसे UAPA)।
  • अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद: वैश्विक परिदृश्य, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, UNSC की भूमिका।
  • आतंकवादियों को ‘शहीद’ कहने का निहितार्थ: यह आतंकवाद के महिमामंडन (glorification) को बढ़ावा देता है और सुरक्षा बलों के मनोबल को गिरा सकता है। यह आतंकवाद से लड़ने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय दृष्टिकोण को भी कमजोर करता है।

2. रक्षा और विदेश नीति (GS-II)

सीजफायर पर सवाल, खासकर जब यह एक रक्षा मंत्री से पूछा गया हो, भारत की रक्षा नीतियों और पड़ोसियों के साथ उसके संबंधों से जुड़ा है।

  • युद्धविराम (Ceasefire): इसका अर्थ, उद्देश्य और अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य। भारत अक्सर पाकिस्तान के साथ सीमा पर युद्धविराम समझौतों पर चर्चा करता है।
  • रक्षा कूटनीति (Defence Diplomacy): युद्धविराम समझौतों का पालन और उल्लंघन, और इसके राजनयिक प्रभाव।
  • रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy): भारत की अपनी राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता। क्या सीजफायर के दौरान कार्रवाई रोकना इस स्वायत्तता पर सवाल उठाता है?
  • सीमा प्रबंधन (Border Management): सीमाओं पर सुरक्षा बनाए रखने की चुनौतियां।

3. भारतीय राजनीति और सार्वजनिक विमर्श (GS-II)

राजनीतिक नेताओं द्वारा दिए गए बयान सार्वजनिक विमर्श को गहराई से प्रभावित करते हैं।

  • राजनीतिक बयानबाजी और उसके परिणाम: नेताओं के बयानों का समाज पर, राष्ट्रीय सुरक्षा पर, और चुनावी राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • विपक्ष की भूमिका: विपक्ष का काम सरकार की नीतियों की आलोचना करना और जवाबदेही तय करना है। राहुल गांधी का प्रश्न इसी कड़ी का हिस्सा है।
  • सेंसरशिप बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: क्या ऐसे बयानों पर कोई अंकुश होना चाहिए? यह एक विवादास्पद मुद्दा है।
  • मीडिया की भूमिका: मीडिया ऐसे बयानों को कैसे प्रस्तुत करता है और जनता की राय को कैसे आकार देता है।

केस स्टडी: आतंकवाद पर राजनीतिक मतभेद

भारत में आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीतिक दल अक्सर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहे हैं।

  • 2008 मुंबई हमले के बाद: तत्कालीन सरकार पर हमलों के लिए पाकिस्तान को पर्याप्त रूप से जवाब न देने का आरोप लगा था।
  • पठानकोट, उरी, पुलवामा हमले: इन हमलों के बाद भी अक्सर सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों और सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल उठे हैं।
  • ‘सॉफ्ट टारगेट’ बनाम ‘हार्ड टारगेट’: सुरक्षा विशेषज्ञ अक्सर बहस करते हैं कि क्या सुरक्षा बलों को केवल रक्षात्मक रहना चाहिए या आक्रामक रूप से शत्रुतापूर्ण तत्वों को बेअसर करना चाहिए।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब देश राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दों का सामना कर रहा हो, तो राजनीतिक बयानबाजी को अत्यंत सावधानी से करने की आवश्यकता होती है। ऐसे बयान न केवल आंतरिक एकता को कमजोर कर सकते हैं, बल्कि दुश्मन ताकतों को भी अवसर प्रदान कर सकते हैं।

पक्ष और विपक्ष: राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस के विभिन्न दृष्टिकोण

ललन सिंह के बयान पर:

  • विपक्ष का तर्क: ऐसे बयान आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, देश के दुश्मनों को उत्साहित करते हैं, और सुरक्षा बलों के बलिदान का अनादर करते हैं। यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करता है।
  • समर्थक/स्पष्टीकरण का तर्क (संभावित): यह भी संभव है कि उनके बयान को गलत समझा गया हो या वे किसी ऐसे संदर्भ में बोल रहे हों जहां वे किसी विशेष व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति (न कि आतंकवादी समूह की) का उल्लेख कर रहे हों। हालांकि, सार्वजनिक मंच पर ऐसे शब्दों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।

राहुल गांधी के सीजफायर पर सवाल पर:

  • राहुल गांधी का तर्क: जब युद्धविराम लागू हो, तो सुरक्षा बलों को जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए यदि कोई हमला होता है? यह एक वैध प्रश्न हो सकता है यदि युद्धविराम का उल्लंघन हो रहा हो और जवाबी कार्रवाई न की जाए। यह प्रश्न सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगता है कि क्या युद्धविराम के तहत ‘नो-फायर’ का मतलब ‘नो-एक्शन’ भी है।
  • सरकार/समर्थकों का तर्क: युद्धविराम का अपना महत्व है, और इसका उल्लंघन होने पर प्रतिक्रिया देने के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। यह भी संभव है कि सीजफायर के दौरान की गई किसी कार्रवाई को रोका गया हो, जिसके पीछे राष्ट्रीय हित में कोई विशेष रणनीतिक कारण रहा हो। रक्षा मंत्री के पास ऐसे निर्णय लेने की पूरी जानकारी और अधिकार होता है।

चुनौतियां और भविष्य की राह

चुनौतियां:

  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी राजनीतिक दल अक्सर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं, जिससे राष्ट्रीय सहमति का अभाव दिखता है।
  • बयानों की व्याख्या: सार्वजनिक बयानों को अक्सर संदर्भ से काटकर प्रस्तुत किया जाता है, जिससे गलतफहमी पैदा होती है।
  • सुरक्षा एजेंसियों का मनोबल: ऐसे बयान सुरक्षा बलों के मनोबल को प्रभावित कर सकते हैं, जो आतंकवाद से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय छवि: ऐसे बयान भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित कर सकते हैं।

भविष्य की राह:

  • जिम्मेदार बयानबाजी: राजनीतिक नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर बोलते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
  • राष्ट्रीय सहमति का निर्माण: आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
  • रणनीतिक स्पष्टता: सरकार को अपनी सुरक्षा नीतियों और रणनीतियों के बारे में अधिक स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए ताकि जनता और विपक्ष के सवालों का संतोषजनक जवाब दिया जा सके।
  • मीडिया साक्षरता: जनता को मीडिया में प्रस्तुत जानकारी का आलोचनात्मक विश्लेषण करना सीखना चाहिए, विशेष रूप से संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों के संबंध में।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों के लिए सर्वोच्च निकाय है।
  2. इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
  3. यह विदेश नीति के मामलों में सरकार को सलाह भी देती है।

उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

  1. केवल a और b
  2. केवल b और c
  3. केवल a और c
  4. a, b और c

उत्तर: d
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों के लिए सर्वोच्च निकाय है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। यह विदेश नीति, रक्षा नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर सरकार को सलाह देने का कार्य करती है।

2. प्रश्न: भारत में आतंकवाद के निम्नलिखित में से कौन से प्रमुख स्रोत माने जाते हैं?

  1. सीमा पार से घुसपैठ
  2. पड़ोसी देशों से वैचारिक समर्थन
  3. आंतरिक उग्रवाद
  4. धार्मिक और जातीय उग्रवाद

सही कूट का चयन करें:

  1. केवल a, b और c
  2. केवल a, c और d
  3. केवल b, c और d
  4. a, b, c और d

उत्तर: d
व्याख्या: भारत को सीमा पार से घुसपैठ, पड़ोसी देशों से वैचारिक समर्थन, आंतरिक उग्रवाद और विभिन्न प्रकार के धार्मिक व जातीय उग्रवाद से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद से चुनौती मिलती है।

3. प्रश्न: “युद्धविराम” (Ceasefire) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. सभी सैन्य गतिविधियों को स्थायी रूप से रोकना।
  2. शत्रुतापूर्ण तत्वों को अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर देना।
  3. बातचीत के माध्यम से राजनीतिक समाधान खोजने का अवसर पैदा करना।
  4. केवल रक्षात्मक मुद्रा में रहना।

सही विकल्प चुनें:

  1. केवल a और b
  2. केवल b और d
  3. केवल c और a
  4. केवल c

उत्तर: c
व्याख्या: युद्धविराम का मुख्य उद्देश्य तत्काल संघर्ष को रोकना और बातचीत या कूटनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से राजनीतिक समाधान खोजने के लिए एक अवसर पैदा करना होता है, न कि स्थायी रूप से सभी गतिविधियों को रोकना।

4. प्रश्न: “आतंकवाद का महिमामंडन” (Glorification of Terrorism) से क्या तात्पर्य है?

  1. आतंकवादी कृत्यों की निंदा करना।
  2. आतंकवादियों को नायक के रूप में प्रस्तुत करना।
  3. आतंकवादी विचारधाराओं का प्रचार करना।
  4. आतंकवादी हमलों के पीड़ितों का समर्थन करना।

सही कूट का चयन करें:

  1. केवल a और d
  2. केवल b और c
  3. केवल a, b और c
  4. केवल b, c और d

उत्तर: b
व्याख्या: आतंकवाद का महिमामंडन तब होता है जब आतंकवादियों को नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है या आतंकवादी विचारधाराओं का प्रचार किया जाता है, जो इसे गलत तरीके से उचित ठहराता है।

5. प्रश्न: भारत सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उपयोग किए जाने वाले प्रमुख कानूनों में से एक है:

  1. टडा (TADA)
  2. पोटा (POTA)
  3. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: c
व्याख्या: UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) वर्तमान में भारत में आतंकवाद और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों से निपटने के लिए मुख्य रूप से उपयोग किया जाने वाला कानून है। TADA और POTA पहले लागू थे।

6. प्रश्न: सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद (Cross-border terrorism) का क्या अर्थ है?

  1. आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण एक देश से दूसरे देश में होता है।
  2. आतंकवादी स्थानीय समूहों द्वारा किए जाते हैं।
  3. यह केवल आंतरिक सुरक्षा का मामला है।
  4. इसका सीधा संबंध पर्यावरण संरक्षण से है।

सही विकल्प चुनें:

  1. केवल a
  2. केवल b और c
  3. केवल c और d
  4. a, b, c और d

उत्तर: a
व्याख्या: सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का अर्थ है कि किसी देश की सरकार या संस्था किसी दूसरे देश के भीतर आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन, प्रशिक्षण, वित्तपोषण और संचालन करती है।

7. प्रश्न: किसी राष्ट्रीय नेता द्वारा आतंकवादियों को ‘शहीद’ कहना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कैसे हानिकारक हो सकता है?

  1. यह सुरक्षा बलों के मनोबल को बढ़ा सकता है।
  2. यह आतंकवाद के कृत्यों को सही ठहरा सकता है।
  3. यह आतंकवादियों को प्रेरित कर सकता है।
  4. यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

सही कूट का चयन करें:

  1. केवल a
  2. केवल b, c और d
  3. केवल b और c
  4. a, b, c और d

उत्तर: b
व्याख्या: आतंकवादियों को ‘शहीद’ कहना आतंकवाद के कृत्यों को सही ठहराता है, आतंकवादियों को प्रेरित करता है, और सुरक्षा बलों के मनोबल को गिराता है। यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि के लिए भी हानिकारक है।

8. प्रश्न: भारत में उग्रवाद (Insurgency) के मूल कारणों में से एक क्या हो सकता है?

  1. मजबूत राजनीतिक नेतृत्व
  2. सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ
  3. राष्ट्रवाद की भावना
  4. प्रभावी शासन

उत्तर: b
व्याख्या: सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ, राजनीतिक बहिष्कार, और विकासात्मक उपेक्षा अक्सर उग्रवाद के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करती हैं।

9. प्रश्न: ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) का अर्थ है:

  1. सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन करना।
  2. अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता।
  3. अन्य देशों पर पूरी तरह निर्भर रहना।
  4. केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना।

उत्तर: b
व्याख्या: रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ है कि कोई देश अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए बाहरी दबावों या प्रभावों के बिना स्वतंत्र रूप से अपनी विदेश और सुरक्षा नीतियों को तय कर सकता है।

10. प्रश्न: रक्षा मंत्री से सीजफायर के दौरान हमले रोके जाने के बारे में सवाल पूछना किस पहलू से जुड़ा है?

  1. अंतरिक्ष अन्वेषण
  2. रक्षा कूटनीति और युद्धविराम प्रबंधन
  3. आर्थिक विकास
  4. कृषि सुधार

उत्तर: b
व्याख्या: यह प्रश्न सीधे तौर पर रक्षा कूटनीति, सीमा प्रबंधन और युद्धविराम समझौतों के पालन से संबंधित है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: भारतीय सुरक्षा परिदृश्य में, राजनीतिक नेताओं द्वारा दिए जाने वाले बयानों के निहितार्थों और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके संभावित प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। आतंकवाद के संदर्भ में “आतंकवादियों को शहीद कहना” कितना गंभीर है, इस पर प्रकाश डालें। (15 अंक, 250 शब्द)
2. प्रश्न: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रीय सहमति (consensus) का निर्माण क्यों आवश्यक है? उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने की रणनीतियों पर राजनीतिक मतभेदों के नकारात्मक पहलुओं की विवेचना करें। (15 अंक, 250 शब्द)
3. प्रश्न: युद्धविराम (Ceasefire) समझौतों के संदर्भ में, भारत के रक्षा प्रतिष्ठान की नीतियों और रणनीतियों की व्याख्या करें। राहुल गांधी द्वारा रक्षा मंत्री से सीजफायर पर हमले रोके जाने के बारे में पूछे गए सवाल के महत्व का विश्लेषण करें, खासकर सीमा प्रबंधन और रणनीतिक स्वायत्तता के दृष्टिकोण से। (15 अंक, 250 शब्द)
4. प्रश्न: समकालीन भारत में, राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक विमर्श के बीच जटिल संबंधों का विश्लेषण करें। नेताओं की बयानबाजी किस प्रकार समाज में भय, अविश्वास या एकता को बढ़ावा दे सकती है, इसके उदाहरण सहित चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द)

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