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भारत की रेलगाड़ियाँ अब हाइड्रोजन पर! जानिए क्या है यह क्रांति और कैसे बदलेगी यात्रा

भारत की रेलगाड़ियाँ अब हाइड्रोजन पर! जानिए क्या है यह क्रांति और कैसे बदलेगी यात्रा

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल के दिनों में, भारतीय रेलवे ने महत्वाकांक्षी योजनाओं का खुलासा किया है जिसके तहत जल्द ही यात्री ट्रेनों को बिजली और जीवाश्म ईंधन की जगह हाइड्रोजन पर दौड़ाया जाएगा। यह कदम न केवल भारत को एक हरित परिवहन प्रणाली की ओर अग्रसर करेगा, बल्कि रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह परिवर्तन रेलवे के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो लंबे समय से डीज़ल इंजनों पर निर्भर रहा है।

आज हम इसी रोमांचक विकास का गहराई से विश्लेषण करेंगे, समझेंगे कि यह योजना कैसे काम करेगी, और मौजूदा बिजली एवं जीवाश्म ईंधन से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में इसके क्या फायदे और नुकसान हैं। यह लेख विशेष रूप से UPSC उम्मीदवारों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, ताकि वे इस समसामयिक मुद्दे के हर पहलू को समझ सकें।

क्या है भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन योजना?

भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन योजना, जिसे ‘ग्रीन ट्रेन’ पहल के नाम से भी जाना जा सकता है, का मुख्य उद्देश्य डीज़ल लोकोमोटिव की जगह हाइड्रोजन फ्यूल सेल (FCEV) तकनीक पर आधारित ट्रेनों का संचालन करना है। यह तकनीक बिजली और जीवाश्म ईंधन (विशेषकर डीज़ल) पर चलने वाली ट्रेनों से मौलिक रूप से भिन्न है।

हाइड्रोजन फ्यूल सेल कैसे काम करता है?

सरल शब्दों में, फ्यूल सेल एक इलेक्ट्रोकेमिकल उपकरण है जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया में, हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) मिलकर पानी (H₂O) और ऊर्जा (बिजली) बनाते हैं।

प्रक्रिया के मुख्य घटक:

  • एनोड (Anode): यहाँ हाइड्रोजन गैस को इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन में तोड़ा जाता है।
  • इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte): यह एक विशेष झिल्ली होती है जो प्रोटॉन को एनोड से कैथोड तक जाने देती है, लेकिन इलेक्ट्रॉनों को नहीं।
  • कैथोड (Cathode): यहाँ प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बनाते हैं।

यह उत्पन्न बिजली फिर ट्रेन की मोटर को शक्ति प्रदान करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रक्रिया का एकमात्र उप-उत्पाद (by-product) शुद्ध पानी या जल वाष्प है, जो इसे अत्यंत पर्यावरण-अनुकूल बनाता है।

यह पारंपरिक ट्रेनों से कैसे अलग है?

आइए, इसकी तुलना वर्तमान में प्रचलित दो मुख्य प्रकार की ट्रेनों से करें:

1. डीज़ल से चलने वाली ट्रेनें:

  • ईंधन: डीज़ल।
  • ऊर्जा रूपांतरण: डीज़ल इंजन में, डीज़ल को जलाया जाता है। यह दहन प्रक्रिया गर्मी और यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न करती है, जो पहियों को घुमाती है।
  • उत्सर्जन: इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे हानिकारक ग्रीनहाउस गैसें और प्रदूषक उत्सर्जित होते हैं।
  • दक्षता: डीज़ल इंजन अपेक्षाकृत कम कुशल होते हैं, जिसका अर्थ है कि ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा गर्मी के रूप में बर्बाद हो जाता है।

2. बिजली से चलने वाली ट्रेनें (इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव):

  • ईंधन: बिजली, जो ओवरहेड लाइनों या तीसरी रेल से प्राप्त होती है।
  • ऊर्जा रूपांतरण: बिजली सीधे इलेक्ट्रिक मोटर्स को शक्ति प्रदान करती है जो पहियों को घुमाती हैं।
  • उत्सर्जन: ट्रेन के संचालन के दौरान कोई प्रत्यक्ष उत्सर्जन नहीं होता है, क्योंकि यह बिजली पर चलती है। हालांकि, बिजली उत्पादन के स्रोत (जैसे कोयला आधारित पावर प्लांट) से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।
  • दक्षता: ये इंजन डीज़ल इंजनों की तुलना में बहुत अधिक कुशल होते हैं।

हाइड्रोजन ट्रेनों की विशिष्टता:

  • ईंधन: हाइड्रोजन गैस।
  • ऊर्जा रूपांतरण: हाइड्रोजन फ्यूल सेल रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
  • उत्सर्जन: संचालन के दौरान केवल पानी या जल वाष्प का उत्सर्जन होता है। यह ‘शून्य-उत्सर्जन’ (zero-emission) तकनीक है।
  • दक्षता: फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी डीज़ल इंजनों की तुलना में काफी अधिक कुशल है, और बिजली उत्पादन के स्रोत पर निर्भर करते हुए, इलेक्ट्रिक ट्रेनों के बराबर या उससे भी बेहतर हो सकती है।

संक्षेप में, जहाँ डीज़ल ट्रेनें जीवाश्म ईंधन जलाकर प्रदूषण फैलाती हैं, वहीं इलेक्ट्रिक ट्रेनें भले ही स्वच्छ हों, लेकिन बिजली उत्पादन का स्रोत पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। हाइड्रोजन ट्रेनें, सिद्धांततः, इस समस्या का सबसे टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करती हैं, क्योंकि वे शुद्ध हाइड्रोजन का उपयोग करके केवल पानी का उत्सर्जन करती हैं।

भारत में हाइड्रोजन ट्रेनें: योजना का विस्तृत विवरण

भारतीय रेलवे ने डीज़ल की खपत को कम करने और अपने कार्बन फुटप्रिंट को काफी हद तक समाप्त करने के लक्ष्य के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाया है।

मुख्य बिंदु:

  • डीज़ल से चलने वाले इंजनों का प्रतिस्थापन: लक्ष्य उन रेल मार्गों पर जहाँ विद्युतीकरण मुश्किल या महंगा है, डीज़ल इंजनों को हाइड्रोजन से चलने वाले इंजनों से बदलना है।
  • विशिष्ट मार्ग: शुरुआत में, यह योजना उन छोटी लाइनों या उन क्षेत्रों पर केंद्रित हो सकती है जहाँ विद्युतीकरण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। उदाहरण के लिए, नैरो-गेज लाइनों का विद्युतीकरण अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, और ऐसे स्थानों पर हाइड्रोजन ट्रेनें एक व्यवहार्य विकल्प बन सकती हैं।
  • प्रायोगिक परियोजनाएं: रेलवे ने पहले ही हाइड्रोजन से चलने वाले रेलकार (rail car) के प्रोटोटाइप पर काम शुरू कर दिया है। जींद-सोनीपत रूट पर हाइड्रोजन से चलने वाले रेलकार का परीक्षण इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
  • आधुनिक तकनीक का समावेश: इन ट्रेनों में फ्यूल सेल, हाइड्रोजन स्टोरेज टैंक और बैटरी पैक शामिल होंगे, जो ट्रेन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेंगे।

“हाइड्रोजन, ऊर्जा के भविष्य के रूप में, परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन (decarbonization) के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। भारतीय रेलवे की यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है जो हमें हरित भविष्य की ओर ले जाएगा।” – रेलवे अधिकारी (काल्पनिक उद्धरण)

हाइड्रोजन ट्रेनों को अपनाने के फायदे (Advantages)

यह तकनीक भारतीय रेलवे के लिए कई महत्वपूर्ण लाभ ला सकती है:

  1. पर्यावरणीय लाभ:

    • शून्य टेलपाइप उत्सर्जन: संचालन के दौरान कोई CO₂, NOx, SO₂ या PM उत्सर्जित नहीं होता है, जो वायु गुणवत्ता में सुधार करता है।
    • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी वैश्विक जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करती है।
  2. ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता:

    • आयातित डीज़ल पर निर्भरता कम: भारत डीज़ल के लिए आयात पर निर्भर है। हाइड्रोजन का घरेलू उत्पादन, विशेष रूप से ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ (नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित), इस निर्भरता को कम कर सकता है।
    • ऊर्जा विविधता: यह रेलवे के लिए ऊर्जा के एक नए और टिकाऊ स्रोत का द्वार खोलता है।
  3. उच्च दक्षता:

    • फ्यूल सेल तकनीक पारंपरिक डीज़ल इंजनों की तुलना में अधिक कुशल होती है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है।
  4. शांत संचालन:

    • हाइड्रोजन ट्रेनें डीज़ल ट्रेनों की तुलना में बहुत शांत होती हैं, जिससे शोर प्रदूषण कम होता है।
  5. लंबी दूरी की क्षमता:

    • हाइड्रोजन को ईंधन टैंकों में संग्रहीत किया जा सकता है, जिससे इलेक्ट्रिक ट्रेनों की तरह ओवरहेड लाइनों पर निर्भरता की आवश्यकता नहीं होती है, और वे डीज़ल ट्रेनों की तरह लंबी दूरी की यात्रा कर सकती हैं।
  6. आधुनिकीकरण और नवाचार:

    • यह भारतीय रेलवे को एक आधुनिक और विश्वस्तरीय परिवहन प्रणाली के रूप में स्थापित करेगा।

चुनौतियाँ और सीमाएँ (Challenges and Limitations)

जहां फायदे स्पष्ट हैं, वहीं इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी हैं:

  1. उच्च प्रारंभिक लागत:

    • हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक, हाइड्रोजन स्टोरेज सिस्टम और संबंधित बुनियादी ढाँचे (जैसे हाइड्रोजन उत्पादन और रीफिलिंग स्टेशन) की स्थापना की लागत वर्तमान में बहुत अधिक है।
    • डीज़ल इंजनों को हाइड्रोजन इंजनों में परिवर्तित करना या नए हाइड्रोजन लोकोमोटिव खरीदना महंगा सौदा होगा।
  2. हाइड्रोजन का उत्पादन और आपूर्ति:

    • ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन: शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन, विशेष रूप से ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ (जो नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन से इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा उत्पादित होता है), एक जटिल और ऊर्जा-गहन प्रक्रिया है।
    • हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता: भारत को बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करनी होगी।
    • भंडारण और परिवहन: हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील गैस है। इसके सुरक्षित भंडारण और परिवहन के लिए विशेष तकनीक और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है।
    • रीफिलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: रेलवे स्टेशनों पर हाइड्रोजन को स्टोर करने और ट्रेनों को रिफिल करने के लिए विशेष स्टेशन बनाने होंगे, जो एक बड़ी लॉजिस्टिक चुनौती है।
  3. तकनीकी विशेषज्ञता और रखरखाव:

    • फ्यूल सेल तकनीक नई है और इसके संचालन और रखरखाव के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता होगी।
    • विश्वसनीयता और दीर्घायु (longevity) अभी भी जांच के दायरे में हैं, खासकर भारतीय रेलवे की कठोर परिचालन स्थितियों में।
  4. दक्षता का प्रभाव:

    • हालांकि फ्यूल सेल स्वयं कुशल हैं, हाइड्रोजन उत्पादन (विशेषकर इलेक्ट्रोलाइसिस) और भंडारण में ऊर्जा हानि होती है। यह “वेल-टू-व्हील” (well-to-wheel) दक्षता को प्रभावित कर सकता है।
  5. विद्युतीकरण के साथ प्रतिस्पर्धा:

    • जिन मार्गों का विद्युतीकरण पहले से ही हो चुका है, वे इलेक्ट्रिक ट्रेनों के लिए एक स्थापित और अपेक्षाकृत कम खर्चीला विकल्प प्रदान करते हैं। हाइड्रोजन ट्रेनों को ऐसे मार्गों पर विद्युतीकृत ट्रेनों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
  6. सुरक्षा चिंताएँ:

    • हाइड्रोजन के ज्वलनशील स्वभाव के कारण, सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भविष्य की राह और रणनीतियाँ (Way Forward and Strategies)

भारतीय रेलवे को अपनी हाइड्रोजन ट्रेन योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक सुनियोजित दृष्टिकोण अपनाना होगा:

  1. चरणबद्ध कार्यान्वयन:

    • छोटे, कम-घनत्व वाले मार्गों या उन क्षेत्रों से शुरुआत करें जहाँ विद्युतीकरण की लागत बहुत अधिक है।
    • हाइड्रोजन रेलकार (DMU की तरह) जैसे छोटे अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करें, जो डीज़ल मल्टीपल यूनिट (DMU) की जगह ले सकें।
  2. ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा:

    • सरकारी नीतियों और प्रोत्साहन के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना।
    • सौर और पवन ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रोलाइजर संयंत्र स्थापित करना।
  3. बुनियादी ढांचे का विकास:

    • हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, वितरण और रीफिलिंग के लिए एक मजबूत बुनियादी ढाँचा विकसित करने हेतु रणनीतिक साझेदारी और निवेश को प्रोत्साहित करना।
    • सुरक्षित और कुशल रीफिलिंग स्टेशनों के लिए मानकीकरण (standardization) विकसित करना।
  4. अनुसंधान और विकास (R&D):

    • फ्यूल सेल की लागत कम करने, उनकी दक्षता और जीवनकाल बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना।
    • हाइड्रोजन भंडारण की बेहतर और सुरक्षित तकनीकों पर शोध करना।
  5. क्षमता निर्माण:

    • तकनीकी कर्मचारियों, इंजीनियरों और रखरखाव कर्मियों को नई तकनीकों में प्रशिक्षित करना।
  6. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:

    • हाइड्रोजन परिवहन प्रौद्योगिकियों में अग्रणी देशों के साथ ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सहयोग करना।
  7. व्यवहार्यता अध्ययन:

    • विभिन्न मार्गों और परिचालन परिदृश्यों के लिए लागत-लाभ विश्लेषण और व्यवहार्यता अध्ययन करना।

“हमारा लक्ष्य केवल ट्रेनों को चलाना नहीं है, बल्कि उन्हें ऐसे चलाना है जो हमारे पर्यावरण और भविष्य के लिए बेहतर हो। हाइड्रोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” – रेलवे मंत्री (काल्पनिक उद्धरण)

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:

  • प्रारंभिक परीक्षा (GS Paper I, III): पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण।
  • मुख्य परीक्षा (GS Paper II, III): सरकारी नीतियाँ और पहल, परिवहन क्षेत्र, ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, टिकाऊ विकास, बुनियादी ढांचा।
  • निबंध: ‘हरित भविष्य की ओर भारत’, ‘ऊर्जा संक्रमण: चुनौतियाँ और अवसर’, ‘टिकाऊ परिवहन प्रणाली का महत्व’ जैसे विषयों पर लिखते समय हाइड्रोजन ट्रेनों का उल्लेख एक मजबूत तर्क प्रदान कर सकता है।

हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था (Hydrogen Economy)

यह योजना व्यापक ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था’ के दृष्टिकोण का हिस्सा है, जहाँ हाइड्रोजन को न केवल परिवहन में, बल्कि औद्योगिक प्रक्रियाओं, ऊर्जा उत्पादन और यहां तक ​​कि घरों को गर्म करने में भी एक प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा वाहक के रूप में देखा जाता है। भारत का राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय रेलवे द्वारा हाइड्रोजन ट्रेनों को अपनाने की योजना एक साहसिक और दूरदर्शी कदम है। यह न केवल देश के डीज़ल पर निर्भरता को कम करने का वादा करता है, बल्कि परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्रांति भी ला सकता है। हालाँकि, इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिसमें उच्च लागत, बुनियादी ढांचे का विकास और तकनीकी विशेषज्ञता शामिल हैं।

यदि इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान किया जाता है, तो हाइड्रोजन ट्रेनें भारत को एक स्वच्छ, टिकाऊ और ऊर्जा-कुशल परिवहन प्रणाली की ओर ले जा सकती हैं, जो देश के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह परिवर्तन ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों के साथ भी मेल खाता है, क्योंकि यह घरेलू रूप से हाइड्रोजन उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा दे सकता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक में, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया का मुख्य उप-उत्पाद क्या है?

a) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)

b) पानी (H₂O)

c) नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)

d) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)

उत्तर: b) पानी (H₂O)

व्याख्या: हाइड्रोजन फ्यूल सेल, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली और पानी बनाते हैं। यह ‘शून्य-उत्सर्जन’ तकनीक का आधार है।

2. भारतीय रेलवे द्वारा हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को अपनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

a) ट्रेनों की गति बढ़ाना

b) डीज़ल पर निर्भरता कम करना और कार्बन फुटप्रिंट घटाना

c) परिचालन लागत को और कम करना

d) यात्री क्षमता बढ़ाना

उत्तर: b) डीज़ल पर निर्भरता कम करना और कार्बन फुटप्रिंट घटाना

व्याख्या: हाइड्रोजन ट्रेनों का मुख्य लाभ पर्यावरणीय है, जो डीज़ल के उपयोग को कम करके उत्सर्जन को शून्य करता है।

3. ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ का उत्पादन किससे किया जाता है?

a) जीवाश्म ईंधन के दहन से

b) सौर और पवन ऊर्जा से इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा

c) प्राकृतिक गैस के सुधार (reforming) से

d) कोयले से

उत्तर: b) सौर और पवन ऊर्जा से इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा

व्याख्या: ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उत्पादित होती है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया भी पर्यावरण-अनुकूल हो जाती है।

4. हाइड्रोजन ट्रेनों की तुलना में इलेक्ट्रिक ट्रेनों का एक प्रमुख अंतर क्या है?

a) इलेक्ट्रिक ट्रेनों को बिजली उत्पादन के स्रोत से ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि हाइड्रोजन ट्रेनों को नहीं।

b) हाइड्रोजन ट्रेनें संचालन के दौरान पानी का उत्सर्जन करती हैं, जबकि इलेक्ट्रिक ट्रेनें नहीं।

c) इलेक्ट्रिक ट्रेनों को ईंधन के रूप में बिजली की आवश्यकता होती है, जो ओवरहेड लाइनों से प्राप्त होती है, जबकि हाइड्रोजन ट्रेनों को नहीं।

d) इलेक्ट्रिक ट्रेनें डीज़ल ट्रेनों से कम कुशल होती हैं।

उत्तर: c) इलेक्ट्रिक ट्रेनों को ईंधन के रूप में बिजली की आवश्यकता होती है, जो ओवरहेड लाइनों से प्राप्त होती है, जबकि हाइड्रोजन ट्रेनों को नहीं।

व्याख्या: इलेक्ट्रिक ट्रेनों को निरंतर बिजली की आपूर्ति के लिए ओवरहेड लाइनों की आवश्यकता होती है, जबकि हाइड्रोजन ट्रेनें ऑन-बोर्ड फ्यूल सेल से बिजली बनाती हैं।

5. भारतीय रेलवे की हाइड्रोजन ट्रेन योजना में मुख्य चुनौती कौन सी नहीं है?

a) उच्च प्रारंभिक लागत

b) हाइड्रोजन उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला का विकास

c) ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन

d) सुरक्षा संबंधी चिंताएँ

उत्तर: c) ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन

व्याख्या: हाइड्रोजन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है, इसलिए यह एक चुनौती नहीं बल्कि एक लाभ है।

6. हाइड्रोजन फ्यूल सेल में, एनोड पर क्या प्रक्रिया होती है?

a) हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर पानी बनाते हैं।

b) हाइड्रोजन को इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन में तोड़ा जाता है।

c) प्रोटॉन इलेक्ट्रोलाइट से गुजरते हैं।

d) इलेक्ट्रॉन कैथोड की ओर बढ़ते हैं।

उत्तर: b) हाइड्रोजन को इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन में तोड़ा जाता है।

व्याख्या: एनोड वह स्थान है जहाँ हाइड्रोजन गैस को विद्युत धारा उत्पन्न करने के लिए उसके घटकों में विभाजित किया जाता है।

7. किस भारतीय शहर के पास हाइड्रोजन से चलने वाले रेलकार का हालिया परीक्षण किया गया था?

a) दिल्ली

b) मुंबई

c) जींद (हरियाणा)

d) लखनऊ

उत्तर: c) जींद (हरियाणा)

व्याख्या: भारतीय रेलवे ने जींद-सोनीपत मार्ग पर हाइड्रोजन से चलने वाले रेलकार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

8. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

1. हाइड्रोजन ट्रेनें डीज़ल इंजनों की तुलना में अधिक कुशल होती हैं।

2. हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन बहुत शांत होता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

a) केवल 1

b) केवल 2

c) 1 और 2 दोनों

d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: c) 1 और 2 दोनों

व्याख्या: फ्यूल सेल तकनीक की दक्षता और उसके संचालन की शांति दोनों ही डीज़ल इंजनों से बेहतर हैं।

9. भारत सरकार की राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

a) कोयला आधारित बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना

b) हाइड्रोजन को एक स्वच्छ ऊर्जा वाहक के रूप में विकसित करना

c) डीज़ल इंजनों का आयात बढ़ाना

d) जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता बढ़ाना

उत्तर: b) हाइड्रोजन को एक स्वच्छ ऊर्जा वाहक के रूप में विकसित करना

व्याख्या: यह मिशन भारत को स्वच्छ ऊर्जा के लिए हाइड्रोजन का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक बनाने का लक्ष्य रखता है।

10. निम्नलिखित में से कौन सा घटक हाइड्रोजन फ्यूल सेल का हिस्सा नहीं है?

a) एनोड

b) कैथोड

c) कंप्रेसर

d) इलेक्ट्रोलाइट

उत्तर: c) कंप्रेसर

व्याख्या: कंप्रेसर आमतौर पर एयर कंडीशनिंग या अन्य प्रणालियों में पाए जाते हैं; फ्यूल सेल के मुख्य घटक एनोड, कैथोड और इलेक्ट्रोलाइट हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. भारतीय रेलवे द्वारा हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को अपनाने की योजना का विस्तार से वर्णन करें। इस तकनीक के प्रमुख लाभों और चुनौतियों पर प्रकाश डालें।

2. “भारत की ‘हरित ट्रेन’ पहल देश की ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धताओं को मजबूत करती है।” इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।

3. डीज़ल, बिजली और हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करें, जिसमें उनकी दक्षता, पर्यावरणीय प्रभाव, परिचालन लागत और अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया हो।

4. भारत में हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार और रेलवे को किन रणनीतिक कदमों को उठाने की आवश्यकता है ताकि हाइड्रोजन ट्रेनों को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके?

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