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ऑपरेशन महादेव: कैसे intel ने रोकी एक और पहलगाम जैसी घटना

ऑपरेशन महादेव: कैसे intel ने रोकी एक और पहलगाम जैसी घटना

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, भारतीय सेना ने “ऑपरेशन महादेव” के तहत एक महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल की है। सेना ने जम्मू-कश्मीर में एक संभावित आतंकवादी हमले के लिए किए जा रहे संचार (कम्युनिकेशन) का पता लगाया है, जो पिछले साल पहलगाम में हुए विनाशकारी हमले जैसा हो सकता था। इस महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी की पुष्टि और आगे की कार्रवाई के लिए खुफिया तंत्र पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है। यह घटना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है और विशेष रूप से आतंकवाद से निपटने की हमारी क्षमता को रेखांकित करती है। यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं, भारतीय खुफिया तंत्र की भूमिका, ऑपरेशन महादेव की बारीकियों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व पर गहनता से प्रकाश डालेगा।

“खुफिया जानकारी की सटीकता ही दुश्मन पर जीत की पहली सीढ़ी है।” – यह कहावत भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब वे आतंकवाद जैसे अदृश्य दुश्मन से लड़ रहे हों। ऑपरेशन महादेव इसी सिद्धांत का एक जीता-जागता उदाहरण है।

ऑपरेशन महादेव: एक सिंहावलोकन (Operation Mahadev: An Overview)

“ऑपरेशन महादेव” कोई नई या अचानक शुरू की गई कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध चलाए जा रहे व्यापक और निरंतर प्रयासों का एक हिस्सा है। इस विशेष ऑपरेशन का नाम प्रतीकात्मक है, जो शिव के विनाशकारी और रक्षक दोनों रूपों का प्रतीक है – जिस प्रकार महादेव बुराई का नाश करते हैं, उसी प्रकार यह ऑपरेशन भी देश को विनाशकारी ताकतों से बचाने का लक्ष्य रखता है।

इस ऑपरेशन के तहत, सेना को जम्मू-कश्मीर के किसी संवेदनशील क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन (गुप्त संचार) का पता चला। प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला कि यह संचार पैटर्न और सामग्री पिछले साल पहलगाम में हुए हमले के दौरान इस्तेमाल किए गए तरीकों से काफी मिलती-जुलती है। पहलगाम हमला, जिसमें अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही एक बस पर हमला हुआ था, अत्यंत दुखद था और इसने सुरक्षा एजेंसियों के लिए खुफिया जानकारी जुटाने और संचार को ट्रैक करने की कमियों को उजागर किया था।

इस बार, सेना ने न केवल इस संचार का पता लगाया, बल्कि उसके स्रोत, उसमें शामिल लोगों और उसके संभावित लक्ष्य को समझने के लिए तेजी से कदम उठाए। इस डेटा को सटीक बनाने और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी में बदलने के लिए, खुफिया तंत्र (Intelligence Agencies) को तुरंत इसमें शामिल किया गया। इसमें विभिन्न एजेंसियों जैसे RAW (Research and Analysis Wing), IB (Intelligence Bureau), NTRO (National Technical Research Organisation) और स्थानीय पुलिस की खुफिया इकाइयों का समन्वय शामिल है।

पहलगाम हमला: एक कड़वा सबक (Pahalgam Attack: A Bitter Lesson)

पहलगाम हमला, जो 10 जुलाई 2022 को हुआ था, भारतीय सुरक्षा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस हमले में, आतंकवादियों ने सीमा पार से मिले निर्देशों और समर्थन का उपयोग करते हुए, अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही एक बस पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें चार तीर्थयात्री मारे गए और 15 अन्य घायल हो गए।

  • समय: 10 जुलाई 2022, लगभग शाम 5:45 बजे।
  • स्थान: जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाटेंगुंडा, पहलगाम के पास।
  • लक्ष्य: अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस।
  • परिणाम: 4 तीर्थयात्री शहीद, 15 घायल।

इस हमले के बाद, सुरक्षा एजेंसियों पर यह दबाव बढ़ गया कि वे भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए अपनी खुफिया जानकारी जुटाने और निगरानी क्षमताओं को और मजबूत करें। यह स्पष्ट हो गया था कि आतंकवादी अपने संचार के तरीकों को लगातार बदल रहे हैं और एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करके अपनी गतिविधियों को गुप्त रखने का प्रयास कर रहे हैं। पहलगाम हमले ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे दुश्मन द्वारा संचार का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है, और हमारी एजेंसियां ​​उस तक पहुँचने में कहाँ कमजोर पड़ सकती हैं।

खुफिया तंत्र की भूमिका: ऑपरेशन महादेव में ‘ब्रेन’ (Role of Intelligence Mechanism: The ‘Brain’ in Operation Mahadev)

“ऑपरेशन महादेव” में खुफिया तंत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सेना द्वारा संचार का पता लगाना पहला चरण है, लेकिन उस संचार के पीछे के ‘अर्थ’ को समझना और उसे कार्रवाई में बदलना खुफिया एजेंसियों का काम है।

खुफिया जानकारी का चक्र (Intelligence Cycle):

खुफिया जानकारी जुटाने से लेकर कार्रवाई तक एक व्यवस्थित चक्र होता है:

  1. नियोजन और निर्देशन (Planning & Direction): क्या जानकारी चाहिए? (जैसे, हमले की योजना, दुश्मन की वर्तमान स्थिति)।
  2. संग्रह (Collection): जानकारी कैसे जुटाई जाएगी? (जैसे, सिग्नल इंटरसेप्शन, मानव स्रोत, साइबर निगरानी)।
  3. प्रसंस्करण (Processing): कच्ची जानकारी को उपयोगी प्रारूप में बदलना (जैसे, अनुवाद, डिक्रिप्शन)।
  4. विश्लेषण (Analysis): जानकारी का अर्थ निकालना, पैटर्न पहचानना, भविष्य का अनुमान लगाना।
  5. प्रसार (Dissemination): विश्लेषण की गई जानकारी को निर्णय लेने वालों तक पहुँचाना।
  6. मूल्यांकन (Evaluation): खुफिया जानकारी कितनी प्रभावी थी?

ऑपरेशन महादेव में, सेना ने ‘संग्रह’ (सिग्नल इंटरसेप्शन) के माध्यम से प्रारंभिक जानकारी जुटाई। अब, खुफिया तंत्र ‘प्रसंस्करण’ (संभवतः एन्क्रिप्टेड संदेशों को डिक्रिप्ट करना), ‘विश्लेषण’ (पहलगाम हमले से तुलना, संभावित लक्ष्यों का निर्धारण), और ‘प्रसार’ (सेना, पुलिस और सरकार को सटीक जानकारी देना) पर काम कर रहा है।

प्रमुख खुफिया एजेंसियां और उनकी भूमिका:

  • RAW (Research and Analysis Wing): मुख्य रूप से विदेशी खुफिया जानकारी के लिए जिम्मेदार, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों के साथ संबंध और वित्तपोषण को ट्रैक करने में महत्वपूर्ण।
  • IB (Intelligence Bureau): घरेलू सुरक्षा, आतंकवाद, उग्रवाद और जासूसी गतिविधियों पर केंद्रित। यह जमीनी स्तर पर मानव स्रोतों के नेटवर्क के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी जुटाती है।
  • NTRO (National Technical Research Organisation): विशेष रूप से सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) और साइबर इंटेलिजेंस के लिए जिम्मेदार। एन्क्रिप्टेड संचार को ट्रैक करने और डिक्रिप्ट करने में इसकी भूमिका अहम होती है।
  • सैन्य खुफिया (Military Intelligence): सैन्य अभियानों और सीमा पार गतिविधियों से संबंधित जानकारी जुटाती है।
  • स्थानीय पुलिस खुफिया इकाइयाँ: जमीनी स्तर पर घुसपैठ, स्थानीय सहयोगियों और संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी प्रदान करती हैं।

इन सभी एजेंसियों के बीच तालमेल और डेटा साझाकरण “ऑपरेशन महादेव” की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ इस बात का भी संकेत दे सकता है कि विभिन्न एजेंसियों का एक शक्तिशाली, समन्वित प्रयास चल रहा है, जिसमें प्रत्येक अपनी विशेषज्ञता का योगदान दे रही है।

खुफिया जानकारी की तस्दीक: क्यों महत्वपूर्ण है? (Verification of Intelligence: Why is it Crucial?)

खुफिया जानकारी को ‘तस्दीक’ (Verification) करना सबसे महत्वपूर्ण और सबसे कठिन कार्य है। गलत या अपुष्ट जानकारी के आधार पर की गई कार्रवाई विनाशकारी हो सकती है।

  • झूठी जानकारी (False Information): दुश्मन जानबूझकर गलत जानकारी फैला सकता है ताकि हमारी एजेंसियों को गुमराह किया जा सके।
  • गलत व्याख्या (Misinterpretation): कभी-कभी, सही जानकारी को गलत तरीके से समझा जा सकता है, जिससे गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।
  • सक्रियण (Actionability): केवल जानकारी होना पर्याप्त नहीं है; उस जानकारी को इस तरह से सत्यापित किया जाना चाहिए कि उस पर कार्रवाई की जा सके।

खुफिया तंत्र विभिन्न स्रोतों से जानकारी की पुष्टि करने के लिए कई तरीके अपनाता है:

  • कई स्रोतों से पुष्टि (Corroboration from Multiple Sources): एक ही जानकारी की पुष्टि विभिन्न स्रोतों (मानव, तकनीकी, सिग्नल) से होने पर उसकी विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
  • विश्लेषणात्मक जाँच (Analytical Cross-Checking): जानकारी को मौजूदा ज्ञान और पैटर्न के साथ तुलना करके उसकी सत्यता जाँची जाती है।
  • निगरानी (Surveillance): संदिग्ध व्यक्तियों या स्थानों की निरंतर निगरानी करके उनके व्यवहार और गतिविधियों की पुष्टि की जाती है।
  • साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण (Evidence-Based Approach): डिजिटल फोरेंसिक, वित्तीय जांच, और अन्य भौतिक साक्ष्य जानकारी को सत्यापित करने में मदद करते हैं।

ऑपरेशन महादेव में, पहलगाम हमले के समान संचार पैटर्न का पता लगाना अपने आप में एक मजबूत संकेत है। अब, खुफिया तंत्र इस पैटर्न की सटीकता, इसमें शामिल व्यक्तियों की पहचान, उनके इरादे और उनके संभावित लक्ष्यों को सत्यापित करने पर काम कर रहा है। इस तस्दीक की प्रक्रिया ही यह तय करेगी कि सेना और अन्य सुरक्षा बल आगे क्या कार्रवाई करेंगे।

संचार का पता लगाना: तकनीक और चुनौतियाँ (Detecting Communication: Technology and Challenges)

आज के युग में, आतंकवादियों द्वारा आधुनिक संचार तकनीकों का उपयोग एक बड़ी चुनौती है। एन्क्रिप्शन, वीओआईपी (Voice over IP), एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप (जैसे टेलीग्राम, व्हाट्सएप), और छद्म नामों (Pseudonyms) का उपयोग संचार को ट्रैक करना मुश्किल बना देता है।

उपयोग की जाने वाली तकनीकें:

  • सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT): रेडियो फ्रीक्वेंसी, सेलुलर नेटवर्क और वाई-फाई से गुजरने वाले अनएन्क्रिप्टेड या एन्क्रिप्टेड सिग्नल को इंटरसेप्ट करना।
  • एन्क्रिप्शन क्रैकिंग (Encryption Cracking): मजबूत क्रिप्टोग्राफिक विधियों को तोड़ने के लिए कंप्यूटिंग शक्ति और उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करना। यह अत्यंत जटिल और समय लेने वाला हो सकता है।
  • डेटा माइनिंग और एनालिटिक्स (Data Mining & Analytics): बड़ी मात्रा में संचार डेटा (मेटेडेटा, कंटेंट) का विश्लेषण करके पैटर्न, कनेक्शन और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाना।
  • ह्यूमन इंटेलिजेंस (HUMINT): प्रशिक्षित एजेंटों द्वारा प्राप्त जानकारी, जो अक्सर सबसे सटीक होती है लेकिन सबसे जोखिम भरी भी।
  • ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT): सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी (सोशल मीडिया, समाचार) का विश्लेषण।

चुनौतियाँ:

  • एन्क्रिप्शन का बढ़ता स्तर: एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का व्यापक उपयोग संचार को लगभग अपारदर्शी बना देता है।
  • तकनीकी विशेषज्ञता: आतंकवादियों के पास अक्सर उन्नत तकनीकी कौशल होता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यदि संचार सीमा पार से होता है, तो अन्य देशों से सहयोग प्राप्त करना एक बड़ी बाधा हो सकती है।
  • गोपनीयता संबंधी चिंताएं: व्यापक निगरानी से गोपनीयता के उल्लंघन का खतरा पैदा होता है, जिससे कानूनी और नैतिक प्रश्न उठते हैं।
  • समय की कमी: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, खुफिया जानकारी को वास्तविक समय में प्राप्त करने और कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।

ऑपरेशन महादेव में, सेना ने संभवतः SIGINT और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके संचार का पता लगाया। अब NTRO जैसी संस्थाएं इसे डिक्रिप्ट करने और समझने के लिए अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर रही होंगी।

ऑपरेशन महादेव का UPSC परीक्षा के लिए महत्व (Significance of Operation Mahadev for UPSC Exam)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

1. सामान्य अध्ययन पेपर-III (सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी):

  • आंतरिक सुरक्षा: आतंकवाद, सीमा पार आतंकवाद, सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय, खुफिया तंत्र की भूमिका।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: सिग्नल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, एन्क्रिप्शन, डेटा एनालिटिक्स, रक्षा प्रौद्योगिकी।
  • चुनौतियाँ: आधुनिक संचार तकनीक का दुरुपयोग, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ।

2. सामान्य अध्ययन पेपर-II (शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध):

  • सुरक्षा बल और एजेंसियां: उनकी संरचना, कार्य, और उनका अंतर-एजेंसी समन्वय।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: यदि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय लिंक से जुड़ा है, तो कूटनीति और सहयोग का पहलू।

3. निबंध (Essay):

आप राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, प्रौद्योगिकी की भूमिका, खुफिया तंत्र की प्रभावशीलता जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए इस घटना का उपयोग कर सकते हैं।

4. समसामयिक मामले (Current Affairs):

यह सीधे तौर पर एक वर्तमान घटना है, जो सुरक्षा और शासन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल ही में चर्चा में रहा “ऑपरेशन महादेव” मुख्य रूप से किस उद्देश्य से संबंधित है?
(a) सीमा पार घुसपैठ को रोकना
(b) आतंकवादी संचार का पता लगाना और उसका विश्लेषण करना
(c) राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
(d) तटीय क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाना

उत्तर: (b)

व्याख्या: ऑपरेशन महादेव का मुख्य उद्देश्य आतंकवादी संचार का पता लगाना, पहलगाम हमले जैसे पैटर्न की पहचान करना और खुफिया तंत्र द्वारा इसकी तस्दीक करना है।

2. पहलगाम हमला, जो समाचारों में आया, किस वर्ष हुआ था और इसका मुख्य लक्ष्य क्या था?
(a) 2021, भारतीय सेना के काफिले पर
(b) 2022, अमरनाथ यात्रियों की बस पर
(c) 2020, स्थानीय राजनीतिक नेताओं पर
(d) 2023, पुलिस स्टेशन पर

उत्तर: (b)

व्याख्या: पहलगाम हमला 10 जुलाई 2022 को हुआ था, जिसमें अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही एक बस को निशाना बनाया गया था।

3. निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय खुफिया एजेंसी मुख्य रूप से सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) और तकनीकी निगरानी के लिए जिम्मेदार है?
(a) RAW
(b) IB
(c) NTRO
(d) CBI

उत्तर: (c)

व्याख्या: NTRO (National Technical Research Organisation) राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन है जो सिग्नल इंटेलिजेंस, साइबर इंटेलिजेंस और उपग्रह निगरानी में माहिर है।

4. खुफिया जानकारी के चक्र (Intelligence Cycle) के चरणों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा अंतिम चरण है?
(a) संग्रह (Collection)
(b) प्रसंस्करण (Processing)
(c) प्रसार (Dissemination)
(d) मूल्यांकन (Evaluation)

उत्तर: (d)

व्याख्या: खुफिया जानकारी के चक्र में नियोजन, संग्रह, प्रसंस्करण, विश्लेषण, प्रसार और अंत में मूल्यांकन शामिल है, जो चक्र को पूरा करता है।

5. “ऑपरेशन महादेव” में “तस्दीक” (Verification) का क्या महत्व है?
(a) दुश्मन को गुमराह करने के लिए
(b) जानकारी की सटीकता और कार्रवाईयोग्यता सुनिश्चित करने के लिए
(c) विदेशी सहायता प्राप्त करने के लिए
(d) केवल रिपोर्टिंग के लिए

उत्तर: (b)

व्याख्या: तस्दीक यह सुनिश्चित करती है कि जुटाई गई जानकारी विश्वसनीय है और उस पर कार्रवाई की जा सकती है, जिससे गलत निर्णय लेने से बचा जा सके।

6. आतंकवादी संचार को ट्रैक करने में एक प्रमुख चुनौती निम्नलिखित में से कौन सी है?
(a) कम एन्क्रिप्शन का उपयोग
(b) एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का व्यापक उपयोग
(c) सार्वजनिक संचार माध्यमों का उपयोग
(d) कम बैंडविड्थ का उपयोग

उत्तर: (b)

व्याख्या: एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वाले मैसेजिंग ऐप (जैसे टेलीग्राम, व्हाट्सएप) आतंकवादियों के संचार को ट्रैक करना अत्यधिक कठिन बना देते हैं।

7. निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी मुख्य रूप से घरेलू सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने के लिए जिम्मेदार है?
(a) RAW
(b) IB
(c) CBI
(d) ED

उत्तर: (b)

व्याख्या: IB (Intelligence Bureau) भारत के भीतर खुफिया जानकारी जुटाने, विश्लेषण करने और आतंकवाद, उग्रवाद जैसी घरेलू सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए प्राथमिक एजेंसी है।

8. “सिग्नल इंटेलिजेंस” (SIGINT) में क्या शामिल है?
(a) मानव स्रोतों से जानकारी एकत्र करना
(b) संचार संकेतों (जैसे रेडियो, इंटरनेट) को इंटरसेप्ट और विश्लेषण करना
(c) सरकारी दस्तावेजों का अध्ययन करना
(d) उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करना

उत्तर: (b)

व्याख्या: SIGINT में विभिन्न संचार माध्यमों से प्राप्त संकेतों को इंटरसेप्ट करना, उनका विश्लेषण करना और उनसे जानकारी निकालना शामिल है।

9. “ऑपरेशन महादेव” नाम किस बात का सूचक हो सकता है?
(a) केवल एक रक्षात्मक कार्रवाई
(b) एक बहु-एजेंसी, समन्वित और शक्तिशाली सुरक्षा अभियान
(c) विदेशी शक्तियों के साथ सहयोग
(d) केवल स्थानीय पुलिस की पहल

उत्तर: (b)

व्याख्या: ‘महादेव’ नाम अक्सर शक्ति, व्यापकता और विनाशकारी (बुराई को खत्म करने वाले) पहलू को दर्शाता है, जो एक बड़े, समन्वित अभियान का संकेत देता है।

10. हाल के वर्षों में, आतंकवादी अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए किस प्रकार की प्रौद्योगिकियों का तेजी से उपयोग कर रहे हैं?
(a) केवल पारंपरिक रेडियो संचार
(b) एन्क्रिप्टेड संचार और डार्क वेब
(c) खुले स्रोत (Open Source) माध्यम
(d) कम गति वाला इंटरनेट

उत्तर: (b)

व्याख्या: आतंकवादी एन्क्रिप्टेड संचार ऐप और डार्क वेब का उपयोग करके अपनी गतिविधियों को सुरक्षित और गुप्त रखने का प्रयास करते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “ऑपरेशन महादेव” द्वारा प्रकाश में लाई गई घटना, भारतीय सुरक्षा परिदृश्य में खुफिया जानकारी जुटाने, विश्लेषण करने और उसकी तस्दीक करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में भारतीय खुफिया तंत्र की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, जिसमें आधुनिक चुनौतियों और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाए। (250 शब्द)
2. भारत को लगातार आतंकवाद का सामना करना पड़ता है, जहाँ संचार सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। पहलगाम जैसे हमलों के मद्देनजर, सीमा पार से होने वाले आतंकवादी संचार को ट्रैक करने और उसका मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों का विस्तार से वर्णन करें। भविष्य में इस क्षेत्र में किन सुधारों की आवश्यकता है? (250 शब्द)
3. खुफिया जानकारी का प्रभावी प्रसार और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय राष्ट्रीय सुरक्षा की आधारशिला है। “ऑपरेशन महादेव” के संदर्भ में, विभिन्न भारतीय खुफिया एजेंसियों (जैसे IB, RAW, NTRO) के बीच समन्वय की आवश्यकता और चुनौतियों पर चर्चा करें। इस समन्वय को बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (150 शब्द)
4. डिजिटल युग में, आतंकवादियों द्वारा आधुनिक संचार तकनीकों का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की वर्तमान क्षमताएं क्या हैं और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) और एन्क्रिप्शन क्रैकिंग जैसी तकनीकों के उपयोग के नैतिक और कानूनी निहितार्थों पर प्रकाश डालें। (150 शब्द)

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