संसद में हंगामा: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और SIR का मुद्दा, कार्यवाही क्यों हुई बाधित?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारतीय संसद के लोकसभा सत्र के दौरान दो बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इस स्थगन का मुख्य कारण विपक्ष का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग करना और ‘SIR’ (Securities and Exchange Board of India – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) मुद्दे पर हंगामा मचाना रहा। यह घटना न केवल संसदीय कामकाज में व्यवधान का संकेत देती है, बल्कि उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है जो राष्ट्रीय विमर्श का केंद्र बने हुए हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस तरह की घटनाएँ न केवल समसामयिक मामलों की समझ के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि संसदीय प्रक्रियाओं, राजनैतिक बहसों और नियामक निकायों की भूमिका को समझने का एक बेहतरीन अवसर भी प्रदान करती हैं।
संसदीय कार्यवाही का महत्व: एक आधारभूत समझ (The Significance of Parliamentary Proceedings: A Foundational Understanding)
संसद, किसी भी लोकतांत्रिक देश की आत्मा होती है। यह वह मंच है जहाँ देश के कानून बनाए जाते हैं, सरकार की नीतियों पर बहस होती है, और जनता की आवाज़ को उठाया जाता है। लोकसभा, भारत की संसद का निचला सदन होने के नाते, जनता के प्रतिनिधियों का घर है। यहाँ होने वाली कार्यवाही देश के भविष्य की दिशा तय करती है। जब कार्यवाही बाधित होती है, तो इसका सीधा असर देश के विकास, शासन और नागरिकों के विश्वास पर पड़ता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में, संसदीय कार्यवाही सुचारू रूप से चलना अत्यंत आवश्यक है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- कानून निर्माण: महत्वपूर्ण विधेयक पारित करने, संशोधन करने और कानूनों को लागू करने की प्रक्रिया यहीं से चलती है।
- जवाबदेही: सरकार और उसके मंत्रियों को जनता के प्रति जवाबदेह ठहराया जाता है।
- जनता का प्रतिनिधित्व: सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों की चिंताओं और मुद्दों को उठाने का अवसर मिलता है।
- नीतिगत चर्चा: राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श और नीति निर्धारण होता है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या है? (What is ‘Operation Sindoor’?)
विपक्ष द्वारा उठाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का मुद्दा, हाल के दिनों में काफी चर्चा में रहा है। हालांकि, इस नाम से कोई आधिकारिक सरकारी ‘ऑपरेशन’ घोषित नहीं किया गया है, लेकिन विपक्ष द्वारा इस शब्द का प्रयोग अक्सर कुछ विशेष प्रकार के कथित अनियमितताओं या अनैतिक गतिविधियों को उजागर करने के लिए किया जाता है, खासकर जहाँ वित्तीय या राजनीतिक लाभ के लिए गलत कामों का आरोप हो।
“ऑपरेशन सिंदूर” जैसे शब्द अक्सर प्रतीकात्मक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं, जो किसी विशेष मुद्दे के गंभीर स्वभाव या उसमें शामिल कथित अनैतिकता को दर्शाते हैं। यह सार्वजनिक धारणा बनाने या सरकार पर दबाव बनाने का एक राजनीतिक हथकंडा भी हो सकता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब विपक्ष ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है, तो वे किसी विशिष्ट घटना, जिसमें संभवतः वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार, या सत्ता का दुरुपयोग शामिल हो, की ओर इशारा कर रहे होते हैं। इस मामले में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदर्भ संभवतः किसी वित्तीय घपले, निजी संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाने, या ऐसी किसी गतिविधि से जुड़ा हो सकता है जिसके राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था या सार्वजनिक हित पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका हो।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संभावित पहलू:
- वित्तीय अनियमितताएँ: किसी कंपनी या समूह को सरकारी पक्षपात के माध्यम से अनुचित लाभ पहुँचाना।
- भ्रष्टाचार: सार्वजनिक पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाना।
- कॉर्पोरेट लॉबिंग: शक्तिशाली कॉर्पोरेट घराने द्वारा नीतियों को प्रभावित करने के लिए अनुचित तरीके अपनाना।
- कथित राजनीतिक मिलीभगत: राजनेताओं और व्यावसायिक हितों के बीच सांठगांठ के आरोप।
विपक्ष की मांग यह होती है कि ऐसे मुद्दों की गहन जाँच हो, और यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों पर कार्रवाई की जाए। उनका उद्देश्य जनता को जागरूक करना और सरकार पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का दबाव बनाना होता है।
SIR (Securities and Exchange Board of India) मुद्दा: क्यों उठा हंगामा? (The SIR Issue: Why the Uproar?)
SIR, जिसका पूरा नाम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) है, भारत का एक प्रमुख नियामक निकाय है। SEBI शेयर बाजार, बांड बाजार, और अन्य प्रतिभूति बाजारों के विकास और विनियमन के लिए जिम्मेदार है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, बाजार के विकास को बढ़ावा देना और प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करना है।
जब SIR (SEBI) का मुद्दा संसदीय हंगामे का कारण बनता है, तो यह अक्सर निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक कारणों से हो सकता है:
- SEBI के निर्णयों की आलोचना: SEBI द्वारा लिए गए किसी निर्णय, जैसे कि किसी कंपनी पर प्रतिबंध लगाना, किसी विशेष वित्तीय उत्पाद को विनियमित करना, या बाजार के किसी व्यवहार को अनुमत या प्रतिबंधित करना, पर विवाद हो सकता है।
- बाजार में हेरफेर के आरोप: विपक्ष यह आरोप लगा सकता है कि SEBI ने बाजार में हेरफेर को रोकने में विफलता दिखाई है, या स्वयं SEBI के भीतर कुछ लोग हेरफेर में शामिल हैं।
- निवेशकों के हितों की उपेक्षा: यदि निवेशकों को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है (जैसे किसी विशेष स्टॉक या फंड में गिरावट के कारण), तो विपक्ष SEBI पर निवेशकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगा सकता है।
- नियामक विफलता: किसी बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी या बाजार के पतन के बाद SEBI की भूमिका पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
- SEBI की स्वायत्तता पर सवाल: कभी-कभी, यह आरोप लगाया जा सकता है कि SEBI अपनी स्वायत्तता से कार्य नहीं कर रहा है, बल्कि सरकार या किसी विशेष कॉर्पोरेट हित के दबाव में काम कर रहा है।
हाल के संसदीय स्थगन में SIR के मुद्दे पर हंगामा, संभवतः शेयर बाजार से जुड़े किसी बड़े घटनाक्रम, किसी विशेष कंपनी के शेयरों में अचानक आई गिरावट, या किसी प्रमुख निवेशक को हुए नुकसान से संबंधित हो सकता है। विपक्ष की मांग यह होती है कि SEBI के प्रमुख या संबंधित मंत्रियों द्वारा इस पर स्पष्टीकरण दिया जाए और उन कारणों की जाँच हो जिनके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई।
संसदीय कार्यवाही में व्यवधान: कारण और प्रभाव (Disruption of Parliamentary Proceedings: Causes and Consequences)
लोकसभा की कार्यवाही का दो बार स्थगित होना, यह दर्शाता है कि सदन में महत्वपूर्ण चर्चाएँ और विधायी कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। संसदीय कार्यवाही में व्यवधान के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
कारण (Causes):
- विपक्ष का विरोध: जब विपक्ष किसी मुद्दे पर सरकार से असंतुष्ट होता है, तो वह विरोध दर्ज कराने के लिए कार्यवाही को बाधित कर सकता है।
- महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे: जनहित से जुड़े या संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दे, जिन पर तत्काल चर्चा की आवश्यकता हो।
- सांसदों का आचरण: कभी-कभी, व्यक्तिगत सांसदों के आचरण या बयान भी हंगामे का कारण बन सकते हैं।
- आंतरिक पार्टी मुद्दे: किसी पार्टी के भीतर असहमति भी सदन में दर्शाई जा सकती है।
- बाहरी दबाव: जनता का बढ़ता असंतोष या कोई बड़ी राष्ट्रीय घटना भी संसदीय कार्यवाही को प्रभावित कर सकती है।
प्रभाव (Consequences):
- विधायी कार्यों में देरी: महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने में देरी होती है, जिसका असर शासन पर पड़ता है।
- सार्वजनिक धन की बर्बादी: जब सदन आयोजित होता है लेकिन कार्यवाही नहीं चल पाती, तो सार्वजनिक धन व्यर्थ जाता है।
- संवैधानिक संकट की आशंका: लंबे समय तक चलने वाले व्यवधान, शासन को प्रभावित कर सकते हैं और संवैधानिक संकट की आशंका को बढ़ा सकते हैं।
- लोकतंत्र में विश्वास में कमी: लगातार हंगामे और कार्यवाही में व्यवधान, नागरिकों के बीच लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के प्रति अनास्था उत्पन्न कर सकते हैं।
- सरकार की जवाबदेही पर प्रभाव: हंगामे के कारण, सरकार को महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाब देने का अवसर नहीं मिल पाता।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है:
1. सामान्य अध्ययन पेपर I (भारतीय समाज, भूगोल, विश्व इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन):
यह सीधे तौर पर प्रासंगिक नहीं है, लेकिन संसदीय प्रक्रियाओं की समझ भारत की शासन प्रणाली को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, जो इस पेपर के तहत आती है।
2. सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध):
- भारतीय संविधान: संसदीय विशेषाधिकार, सदन के कार्य संचालन के नियम (Rules of Procedure), स्पीकर की भूमिका, और सरकार के प्रति संसद की जवाबदेही जैसे विषय।
- शासन: नियामक निकायों (जैसे SEBI) की भूमिका, सार्वजनिक नीति निर्माण, और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही।
- राजव्यवस्था: संसदीय विरोध के तरीके, विपक्ष की भूमिका, विधायी प्रक्रिया, और संसद में हंगामे के कारण और प्रभाव।
- सामाजिक न्याय: यदि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दे का संबंध सामाजिक या आर्थिक असमानता से है।
3. सामान्य अध्ययन पेपर III (आर्थिक विकास, पर्यावरण, जैव विविधता, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन):
- आर्थिक विकास: शेयर बाजार का विनियमन, वित्तीय बाजार, SEBI की भूमिका, निवेशकों की सुरक्षा, और आर्थिक घपले।
- सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले आर्थिक अपराध या भ्रष्टाचार।
4. सामान्य अध्ययन पेपर IV (नीतिशास्त्र और सत्यनिष्ठा):
- सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा: भ्रष्टाचार, हितों के टकराव, और कॉर्पोरेट नैतिकता जैसे मुद्दे।
- संसदीय नैतिकता: सांसदों के आचरण, सार्वजनिक धन का सदुपयोग, और सदन की गरिमा बनाए रखना।
- नियामक निकायों की नैतिकता: SEBI जैसे निकायों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता।
UPSC परीक्षा के लिए आगे क्या? (What Next for UPSC Exam?)
UPSC उम्मीदवार इस घटना का विश्लेषण कैसे करें, इसके कुछ बिंदु यहाँ दिए गए हैं:
- तथ्यों को समझना: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और SIR (SEBI) से जुड़े विशिष्ट आरोप क्या हैं, इसके बारे में विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें।
- संसदीय प्रक्रिया: विरोध प्रदर्शन, स्थगन, और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए सदन के नियमों को समझें।
- नियामक निकायों की भूमिका: SEBI की स्थापना, उसके उद्देश्य, शक्तियाँ और सीमाएँ क्या हैं, इसका अध्ययन करें।
- आर्थिक प्रभाव: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, निवेशकों के हितों और आर्थिक स्थिरता पर ऐसे हंगामे के संभावित प्रभावों का विश्लेषण करें।
- राजकीय दृष्टिकोण: सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के तर्कों को समझें और निष्पक्ष विश्लेषण करें।
पक्ष और विपक्ष की दलीलें (Arguments of the Parties)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस तरह की संसदीय बाधाओं के पीछे अक्सर राजनैतिक दलों की अपनी-अपनी दलीलें होती हैं:
विपक्ष (Opposition):
- सरकार की जवाबदेही: वे सरकार पर पारदर्शिता की कमी और अनैतिक कार्यों को छिपाने का आरोप लगाते हैं।
- जनहित के मुद्दे: उनका तर्क होता है कि वे जनता के पैसे और हितों की रक्षा के लिए इन मुद्दों को उठा रहे हैं।
- त्वरित कार्रवाई की मांग: वे मांग करते हैं कि संबंधित अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई हो और मुद्दों की जाँच हो।
- संसदीय मर्यादा: उनका कहना है कि सरकार की निष्क्रियता के कारण उन्हें अपनी बात रखने के लिए यह कदम उठाना पड़ता है।
सरकार (Government):
- विपक्ष का तुच्छ राजनीति: सरकार अक्सर विपक्ष पर गैर-जरूरी मुद्दों पर हंगामा करके विधायी कार्यों में बाधा डालने का आरोप लगाती है।
- प्रक्रियात्मक अनियमितता: वे कह सकते हैं कि विपक्ष नियमों का पालन नहीं कर रहा है या व्यक्तिगत हमलों पर उतर आया है।
- अफवाहों को बढ़ावा देना: सरकार यह भी आरोप लगा सकती है कि विपक्ष झूठे आरोप लगाकर या अफवाहें फैलाकर देश में अस्थिरता पैदा कर रहा है।
- सबूत की मांग: सरकार अक्सर विपक्ष से ठोस सबूत पेश करने की मांग करती है।
इस प्रकार का गतिरोध, जहाँ दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहते हैं, संसदीय कामकाज को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and The Way Forward)
संसदीय कार्यवाही में व्यवधान एक स्थायी चुनौती है जिसका सामना भारत सहित कई लोकतांत्रिक देश करते हैं। इससे निपटने के लिए कुछ संभावित कदम और विचार:
चुनौतियाँ (Challenges):
- विपक्ष को संतुष्ट करना: यह सुनिश्चित करना कि विपक्ष के वैध मुद्दों को सुना जाए और उन पर कार्रवाई हो।
- सक्रिय मीडिया और जनमत: मीडिया की भूमिका जो कभी-कभी हंगामे को बढ़ा सकती है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: बढ़ता राजनीतिक ध्रुवीकरण, जहाँ समझौता करने की गुंजाइश कम हो जाती है।
- सांसदों की जवाबदेही: सांसदों द्वारा विधायी कार्यों को गंभीरता से न लेना।
भविष्य की राह (Way Forward):
- संसदीय समितियों को मजबूत करना: महत्वपूर्ण मुद्दों को गहराई से जांचने के लिए संसदीय समितियों को सशक्त बनाना।
- ‘ऑल-पार्टी मीटिंग’ (सर्वदलीय बैठक): महत्वपूर्ण विधायी सत्रों से पहले सर्वदलीय बैठकें आयोजित कर आम सहमति बनाना।
- आचार संहिता: सांसदों के लिए एक मजबूत आचार संहिता और उसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई।
- प्रक्रियात्मक सुधार: सदन के कार्य संचालन नियमों में आवश्यक सुधार ताकि विरोध प्रदर्शन के रचनात्मक तरीके हों।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सरकार और नियामक निकायों को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना ताकि विपक्ष को हंगामा करने का कम मौका मिले।
- मीडिया की संतुलित भूमिका: मीडिया को सनसनीखेज रिपोर्टिंग से बचकर तथ्यात्मक जानकारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
संसदीय कार्यवाही का सुचारू संचालन, एक स्वस्थ लोकतंत्र का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और SIR जैसे मुद्दों पर हंगामा, हालांकि ये सार्वजनिक हित के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन यदि वे विधायी कार्यों को रोकते हैं, तो वे राष्ट्रीय प्रगति के लिए बाधक बन जाते हैं। UPSC उम्मीदवारों को इन मुद्दों का विश्लेषण करते समय, संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें विभिन्न दृष्टिकोणों और संसदीय प्रक्रियाओं की समझ शामिल हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. **भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. SEBI की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी।
2. इसका मुख्य कार्य शेयर बाजार, बॉन्ड बाजार और अन्य प्रतिभूति बाजारों का विनियमन करना है।
3. SEBI का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, बाजार के विकास को बढ़ावा देना और प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करना है।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन SEBI के संबंध में सही हैं। SEBI की स्थापना 1992 में इसी नाम के अधिनियम के तहत हुई थी, और इसके प्राथमिक कार्य शेयर बाजार, बॉन्ड बाजार आदि को विनियमित करना, निवेशकों की रक्षा करना और बाजार के विकास को बढ़ावा देना है।
2. **संसदीय कार्यवाही के स्थगन (Adjournment) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. स्थगन का अर्थ है सदन की बैठक को कुछ निश्चित समय के लिए (जैसे कुछ घंटों के लिए) स्थगित करना।
2. स्थगन सत्रावसान (Prorogation) से भिन्न होता है, जो सत्र की समाप्ति का संकेत देता है।
3. अध्यक्ष (Speaker) स्थगन की घोषणा कर सकते हैं यदि सदन में व्यवस्था बनाए रखना संभव न हो।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन स्थगन की प्रकृति और उसके संदर्भ में सही हैं। स्थगन एक अस्थायी रुकावट है, जबकि सत्रावसान सत्र का अंत होता है। अध्यक्ष सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थगन की घोषणा कर सकते हैं।
3. **’ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे शब्द का प्रयोग आम तौर पर किस प्रकार की स्थितियों को इंगित करने के लिए किया जाता है?**
(a) सेना द्वारा आयोजित कोई विशिष्ट सैन्य अभियान
(b) किसी सरकारी विभाग द्वारा संचालित सामाजिक कल्याण योजना
(c) वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार या अनैतिक गतिविधियों से जुड़े कथित मुद्दे
(d) पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
उत्तर: (c) वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार या अनैतिक गतिविधियों से जुड़े कथित मुद्दे
व्याख्या: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे शब्द, जब समाचारों में आते हैं, तो अक्सर किसी विशिष्ट सरकारी अभियान के बजाय, वित्तीय घोटालों, भ्रष्टाचार या अनैतिक गतिविधियों से जुड़े आरोपों को उठाने के लिए विपक्ष या मीडिया द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं।
4. **भारतीय संसद में विपक्ष की प्राथमिक भूमिकाओं में से एक है:**
(a) सरकार द्वारा प्रस्तुत सभी विधेयकों को आँख बंद करके पारित करना।
(b) सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
(c) सदन की कार्यवाही को लगातार बाधित करना।
(d) केवल सत्तारूढ़ दल के एजेंडे का समर्थन करना।
उत्तर: (b) सरकार की नीतियों और कार्यों की आलोचना करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
व्याख्या: विपक्ष का एक महत्वपूर्ण कार्य सरकार पर अंकुश रखना, उसकी नीतियों का मूल्यांकन करना और उसे जनता के प्रति जवाबदेह ठहराना है।
5. **SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) का मुख्य नियामक उद्देश्य क्या है?**
(a) केवल बड़े कॉर्पोरेट घरानों के हितों की रक्षा करना।
(b) शेयर बाजार के माध्यम से सरकारी ऋण जुटाना।
(c) प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करना और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
(d) कंपनियों के IPO (आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव) को मंजूरी देना।
उत्तर: (c) प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करना और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
व्याख्या: SEBI का प्राथमिक उद्देश्य प्रतिभूति बाजारों को विनियमित करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है, न कि केवल कॉर्पोरेट हितों की या केवल IPO को मंजूरी देना।
6. **लोकसभा की कार्यवाही के बार-बार स्थगन का सबसे संभावित तत्काल परिणाम क्या होता है?**
(a) महत्वपूर्ण विधेयकों पर तेजी से चर्चा।
(b) सरकारी कामकाज में व्यवधान और देरी।
(c) सांसदों के बीच बेहतर तालमेल।
(d) वित्तीय बाजारों में स्थिरता।
उत्तर: (b) सरकारी कामकाज में व्यवधान और देरी।
व्याख्या: कार्यवाही के स्थगन का सीधा अर्थ है कि सदन अपने निर्धारित विधायी और अकांक्षीय कार्यों को पूरा नहीं कर पाता, जिससे सरकारी कामकाज में व्यवधान आता है।
7. **संसदीय व्यवस्था में, किसी मुद्दे पर हंगामे का उपयोग विपक्ष द्वारा निम्नलिखित में से किस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है?**
1. सरकार पर दबाव बनाना।
2. जनता का ध्यान आकर्षित करना।
3. विधायी प्रक्रिया को स्थायी रूप से रोकना।
4. विशिष्ट चिंताओं को उजागर करना।
सही कूट का चयन करें:
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a) केवल 1, 2 और 4
व्याख्या: जबकि हंगामे का प्रयोग सरकार पर दबाव बनाने, जनता का ध्यान आकर्षित करने और चिंताओं को उजागर करने के लिए किया जाता है, विधायी प्रक्रिया को स्थायी रूप से रोकना इसका मुख्य उद्देश्य नहीं होता, बल्कि चर्चा के लिए माहौल बनाना होता है।
8. **निम्नलिखित में से कौन सा एक नियामक निकाय है जो भारत में पूंजी बाजारों को नियंत्रित करता है?**
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
(c) भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)
(d) भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)
उत्तर: (b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
व्याख्या: SEBI भारत में पूंजी और प्रतिभूति बाजारों का मुख्य नियामक है। RBI मौद्रिक नीति और बैंकिंग को नियंत्रित करता है, IRDAI बीमा क्षेत्र को, और CCI प्रतिस्पर्धा से संबंधित मामलों को देखता है।
9. **संसदीय स्थगन के संदर्भ में, ‘सत्र का अंत’ (Prorogation) का अर्थ है:**
(a) सदन को अगले दिन तक के लिए स्थगित करना।
(b) सदन के कामकाज को अनिश्चित काल के लिए रोकना।
(c) सत्र की समाप्ति और सभी लंबित कार्यों (जैसे बिल) का समाप्त होना।
(d) एक विशेष मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाना।
उत्तर: (c) सत्र की समाप्ति और सभी लंबित कार्यों (जैसे बिल) का समाप्त होना।
व्याख्या: सत्रावसान, स्थगन से अलग है। यह पूरे सत्र की समाप्ति का प्रतीक है, जिसके बाद लंबित विधेयक (यदि नए सत्र में फिर से पेश न किए जाएं) समाप्त हो जाते हैं।
10. **यदि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दे का संबंध किसी बड़े वित्तीय घोटाले से है, तो यह UPSC के सामान्य अध्ययन पेपर III के किस क्षेत्र से सीधे तौर पर संबंधित होगा?**
(a) पर्यावरण और जैव विविधता
(b) राष्ट्रीय सुरक्षा
(c) आर्थिक विकास और वित्तीय बाजार
(d) विज्ञान और प्रौद्योगिकी
उत्तर: (c) आर्थिक विकास और वित्तीय बाजार
व्याख्या: बड़े वित्तीय घोटाले, चाहे वे किसी भी नाम से पुकारे जाएं, सीधे तौर पर देश के आर्थिक विकास, वित्तीय संस्थानों और पूंजी बाजारों की कार्यप्रणाली से जुड़े होते हैं, जो GS पेपर III का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
—
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. **भारतीय संसद में, विपक्ष की भूमिका को ‘सार्थक विरोध’ (constructive opposition) के रूप में परिभाषित किया जाता है। हाल के वर्षों में संसदीय कार्यवाही में बार-बार होने वाले व्यवधानों को देखते हुए, इस अवधारणा की प्रासंगिकता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों पर हंगामे और SIR (SEBI) पर चर्चा की मांग के संदर्भ में अपने उत्तर का समर्थन करें।**
(संदर्भ: GS पेपर II – शासन, राजव्यवस्था)
2. **भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को भारतीय वित्तीय बाजारों के नियामक के रूप में निवेशकों के हितों की रक्षा और बाजार के विकास को बढ़ावा देने का दोहरा जनादेश प्राप्त है। SEBI की शक्तियों, कार्यों और सीमाओं का विश्लेषण करें, और उन स्थितियों पर चर्चा करें जहाँ इसके नियामक प्रदर्शन पर प्रश्न उठाए गए हैं, जैसा कि हालिया संसदीय हंगामे के संदर्भ में देखा गया है।**
(संदर्भ: GS पेपर III – आर्थिक विकास, वित्तीय बाजार)
3. **लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसदीय कार्यवाही का सुचारू संचालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में संसदीय कार्यवाही में व्यवधान के कारणों का पता लगाएं और इसके दूरगामी प्रभावों पर चर्चा करें। एक स्वस्थ संसदीय वातावरण को बनाए रखने के लिए संभावित समाधानों का सुझाव दें, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों की भूमिका भी शामिल हो।**
(संदर्भ: GS पेपर II – शासन, राजव्यवस्था)