6 की मौत, 29 घायल: हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की चौंकाने वाली वजहें
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में एक अत्यंत दुखद घटना घटी। भारी भीड़ के दौरान हुई भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 29 अन्य घायल हो गए। यह घटना मंदिर से मात्र 25 सीढ़ियां पहले हुई, जो व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। प्रारंभिक चश्मदीदों ने बिजली के तार में करंट उतरने की आशंका जताई, जबकि पुलिस ने इसे अफवाह करार दिया। इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी भीड़ प्रबंधन, धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र की तैयारियों पर बहस छेड़ दी है।
यह ब्लॉग पोस्ट, UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, इस घटना के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करेगा। हम इसके कारणों, प्रभावों, संबंधित सरकारी नीतियों, संभावित समाधानों और परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके महत्व पर प्रकाश डालेंगे।
मनसा देवी मंदिर: एक परिचय
उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर, शक्तिपीठों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी मनसा को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव की पुत्री और नागों की देवी माना जाता है। यह मंदिर ‘नील पर्वत’ पर स्थित है और ‘पंचतीर्थ’ का एक अभिन्न अंग है। हर साल लाखों श्रद्धालु, विशेषकर नवरात्रि और अन्य प्रमुख त्योहारों के दौरान, मंदिर के दर्शन करने आते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का एक लंबा मार्ग है, और इसके साथ ही रोप-वे (रज्जुमार्ग) की सुविधा भी उपलब्ध है। यही भीड़ प्रबंधन की चुनौती को और बढ़ा देता है, खासकर जब दोनों मार्गों से श्रद्धालु एक साथ पहुँचते हैं।
घटना का विस्तृत विवरण
यह हृदय विदारक घटना तब घटी जब मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार के पास, लगभग 25 सीढ़ियां ऊपर, अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई।:
- समय: घटना का सटीक समय (जैसे, किस दिन, किस घंटे) महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्योहार या विशेष आयोजन से जुड़ा हो सकता है।
- स्थान: मंदिर परिसर के भीतर विशिष्ट स्थान (जैसे, प्रवेश द्वार, सीढ़ियों का संकरा हिस्सा)।
- कारण (प्रारंभिक): चश्मदीदों के अनुसार, एक बिजली के तार में करंट उतरने की आशंका जताई गई, जिसने भय और अफरातफरी का माहौल बनाया।
- पुलिस का खंडन: पुलिस ने इन प्रारंभिक रिपोर्टों को ‘अफवाह’ बताया और घटना का मुख्य कारण अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था को बताया।
- हताहतों की संख्या: 6 श्रद्धालुओं की दुखद मृत्यु और 29 का घायल होना। घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
- बचाव कार्य: स्थानीय प्रशासन, पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) ने मिलकर बचाव और राहत कार्य चलाया।
“यह एक भयावह अनुभव था। हम बस देवी के दर्शन के लिए जा रहे थे, और अचानक अफरा-तफरी मच गई। लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे, और कोई रास्ता नहीं था। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि हम समझ ही नहीं पाए कि क्या हो रहा है।” – एक चश्मदीद श्रद्धालु।
भगदड़ के संभावित कारण (Diving Deep)
किसी भी भगदड़ की घटना के पीछे कई कारण संयुक्त रूप से काम करते हैं। मनसा देवी मंदिर की इस दुखद घटना के विश्लेषण में, हम निम्नलिखित प्रमुख कारकों पर विचार कर सकते हैं:
1. भीड़ प्रबंधन में विफलता:
- अत्यधिक भीड़ का अनुमान न लगना: आयोजकों या स्थानीय प्रशासन द्वारा त्योहारों या विशेष दिनों पर आने वाली भीड़ का सही अनुमान लगाने में चूक।
- असुरक्षित बैरिकेडिंग: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए अवरोधक (बैरिकेड्स) पर्याप्त मजबूत या सही ढंग से स्थापित नहीं थे।
- निकास और प्रवेश द्वारों की अपर्याप्तता: एक साथ बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित रूप से संभालने के लिए पर्याप्त चौड़े या सुव्यवस्थित निकास और प्रवेश द्वार न होना।
- गलत साइनेज (Signage): श्रद्धालुओं को सुरक्षित मार्ग दिखाने वाले स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव।
2. अव्यवस्था और समन्वय की कमी:
- अंडरकवर पुलिस/सुरक्षा कर्मियों का अभाव: भीड़ को दूर से नियंत्रित करने वाले सुरक्षाकर्मियों की कमी, जो शुरुआती अव्यवस्था को भांप सकें।
- संचार की कमी: विभिन्न सुरक्षा और व्यवस्था एजेंसियों के बीच प्रभावी संचार तंत्र का अभाव।
- आपदा प्रतिक्रिया योजना का अप्रभावी कार्यान्वयन: आपात स्थिति में क्या करना है, इसकी स्पष्ट योजना का न होना या उसका ठीक से पालन न किया जाना।
3. बुनियादी ढांचे की कमियां:
- संकरे रास्ते और सीढ़ियां: मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग, विशेष रूप से सीढ़ियों का संकरा होना, भीड़ को खतरनाक तरीके से केंद्रित कर सकता है।
- प्रकाश व्यवस्था: अपर्याप्त या खराब प्रकाश व्यवस्था, विशेषकर रात के समय, अफरातफरी को बढ़ा सकती है।
- बिजली के तार: जैसा कि चश्मदीदों ने दावा किया, यदि बिजली के तार असुरक्षित थे और करंट उतरने की आशंका थी, तो यह एक बड़ा सुरक्षा चूक है। हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया है, फिर भी बिजली आपूर्ति की सुरक्षा की जाँच महत्वपूर्ण है।
4. मानव व्यवहार और मनोवैज्ञानिक कारक:
- ‘भीड़ मानसिकता’ (Herd Mentality): जब कुछ लोग धक्का-मुक्की करते हैं, तो बाकी लोग भी बिना सोचे-समझे उसी दिशा में बढ़ते जाते हैं, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
- डर और घबराहट: किसी भी छोटी सी घटना (जैसे गिरना, शोर) से भय फैल सकता है और भगदड़ बढ़ सकती है।
- अंधविश्वास या धार्मिक उत्साह: अत्यधिक धार्मिक उत्साह कभी-कभी सुरक्षा नियमों को अनदेखा करने का कारण बन सकता है।
5. आयोजकों की भूमिका:
- टिकटिंग/पास प्रणाली का अभाव: यदि प्रवेश की कोई सीमा नहीं है, तो अनियंत्रित भीड़ का आना स्वाभाविक है।
- सुरक्षा एजेंसियों की अपर्याप्त संख्या: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की तैनाती न करना।
प्रभाव और परिणाम
इस दुखद घटना के बहुआयामी प्रभाव होंगे:
- मानवीय त्रासदी: 6 जिंदगियों का नुकसान, जो अपूरणीय है। परिवारों पर गहरा सदमा।
- घायल: 29 लोगों का शारीरिक और मानसिक आघात।
- आर्थिक प्रभाव: त्योहारों के दौरान आय पर असर, पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव।
- प्रशासनिक जवाबदेही: व्यवस्था में चूक के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग।
- कानूनी कार्रवाई: एफआईआर दर्ज होना, जांच होना।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर जन जागरूकता: इस घटना के बाद, लोग और सरकार दोनों ही धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर अधिक गंभीर होंगे।
सरकारी प्रतिक्रिया और नीतियां
इस तरह की घटनाओं के बाद, सरकारें अक्सर कई कदम उठाती हैं:
- जांच का आदेश: घटना के कारणों का पता लगाने के लिए एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन।
- मरने वालों के परिवारों के लिए मुआवजा: राज्य सरकारें अक्सर मुआवजे की घोषणा करती हैं।
- सुरक्षा उपायों की समीक्षा: देश भर के धार्मिक स्थलों पर मौजूदा सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा।
- नई दिशानिर्देश जारी करना: भीड़ प्रबंधन, सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, आपातकालीन निकासी योजनाओं के संबंध में नए नियम बनाना।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: भीड़ की निगरानी के लिए सीसीटीवी, ड्रोन, और भीड़ घनत्व सेंसर जैसी तकनीकों के उपयोग पर जोर।
भारत में भीड़ प्रबंधन के लिए मौजूदा ढांचा:
भारत में, भीड़ प्रबंधन को लेकर कई दिशानिर्देश हैं, जिनमें शामिल हैं:
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देश: NDMA ने सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें घटनाओं की योजना बनाना, क्षमता मूल्यांकन, भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन प्रतिक्रिया और बाद की कार्रवाई शामिल है।
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): राज्यों की अपनी SDMA होती हैं जो NDMA के दिशानिर्देशों को लागू करती हैं और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार योजनाएं बनाती हैं।
- पुलिस अधिनियम और अन्य कानून: सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस के पास अपने अधिकार होते हैं।
- त्योहारों और मेलों के लिए विशेष योजनाएं: बड़े धार्मिक आयोजनों, जैसे कुंभ मेला, के लिए अक्सर विशेष, विस्तृत योजनाएं बनाई जाती हैं।
हालांकि, इन दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन और प्रवर्तन हमेशा प्रभावी नहीं होता है, जैसा कि इस घटना से पता चलता है।
चुनौतियाँ और आगे की राह (Way Forward)
धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन एक जटिल चुनौती है, विशेषकर भारत जैसे देश में जहाँ धार्मिक भावनाएं अत्यंत प्रबल हैं और त्योहारों पर लाखों लोग उमड़ पड़ते हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. बेहतर योजना और जोखिम मूल्यांकन:
- डेटा-संचालित अनुमान: पिछले वर्षों के आंकड़ों, मौसम की जानकारी और विशेष आयोजनों के आधार पर भीड़ का सटीक अनुमान लगाना।
- ‘कंसर्टेड प्लान’ (Concerted Plan): सभी संबंधित एजेंसियों (पुलिस, जिला प्रशासन, मंदिर प्रबंधन, स्वयंसेवक, स्थानीय निकाय) को एक साथ लाकर एक एकीकृत योजना बनाना।
- ‘वन-टाइम’ (One-Time) क्षमता: मंदिर परिसर और पहुंच मार्गों की अधिकतम सुरक्षित क्षमता निर्धारित करना और उस सीमा को पार करने से रोकना।
2. प्रभावी भीड़ नियंत्रण उपाय:
- बहु-स्तरीय सुरक्षा: मंदिर के बाहरी परिधि से लेकर अंदरूनी हिस्सों तक, विभिन्न स्तरों पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती।
- ‘क्यू मैनेजमेंट’ (Queue Management): व्यवस्थित कतारें सुनिश्चित करने के लिए मजबूत बैरिकेडिंग, रोपिंग और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती।
- ‘स्मार्ट बैरिकेडिंग’: आवश्यकतानुसार जल्दी से बैरिकेड्स को हटाने या स्थानांतरित करने की क्षमता।
- ‘डिजिटल क्यू’: ऑनलाइन टोकन या समय-स्लॉट बुकिंग की व्यवस्था, खासकर ऑफ-सीज़न के दौरान, भीड़ को फैलाने के लिए।
- ‘फ्लो कंट्रोल’: निकास और प्रवेश द्वारों पर प्रवाह को नियंत्रित करना ताकि अचानक दबाव न बने।
3. अवसंरचनात्मक सुधार:
- चौड़े रास्ते और निकास: मंदिर परिसर और आसपास के रास्तों को चौड़ा करना, और पर्याप्त आपातकालीन निकास सुनिश्चित करना।
- सुरक्षित बिजली और प्रकाश व्यवस्था: सभी बिजली के तार और फिटिंग अच्छी तरह से इंसुलेटेड और सुरक्षित होने चाहिए, साथ ही पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था हो।
- आपातकालीन निकास मार्ग: स्पष्ट रूप से चिन्हित और अवरोध-मुक्त आपातकालीन निकास मार्ग।
4. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- सीसीटीवी निगरानी: उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरों का व्यापक नेटवर्क, जिसमें AI-आधारित भीड़ विश्लेषण की क्षमता हो।
- ड्रोन: हवाई निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग, खासकर बड़े आयोजनों में।
- क्राउड-सोर्सिंग डेटा: मोबाइल ऐप या अलर्ट सिस्टम के माध्यम से श्रद्धालुओं से फीडबैक लेना।
- सार्वजनिक घोषणा प्रणाली (Public Announcement System): किसी भी आपात स्थिति या व्यवधान के बारे में तुरंत सूचित करने के लिए प्रभावी घोषणा प्रणाली।
5. प्रशिक्षण और जागरूकता:
- सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण: भीड़ प्रबंधन, प्राथमिक उपचार और आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुरक्षा कर्मियों का नियमित प्रशिक्षण।
- स्वयंसेवक प्रशिक्षण: स्वयंसेवकों को भी बुनियादी सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण तकनीकों का प्रशिक्षण देना।
- जन जागरूकता अभियान: श्रद्धालुओं को सुरक्षा नियमों का पालन करने, संयम बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने के लिए जागरूक करना।
6. मंदिर प्रबंधन की भूमिका:
- मंदिर समितियों को सशक्त बनाना: मंदिर समितियों को सुरक्षा प्रोटोकॉल के सख्त अनुपालन के लिए जवाबदेह बनाना।
- मानव संसाधन: पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों और स्वयंसेवकों की व्यवस्था करना।
- आधुनिक तकनीक: RFID, क्यूआर कोड आधारित प्रवेश प्रणाली जैसी तकनीकों को अपनाना।
UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्व
यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न चरणों में प्रासंगिक है:
* **प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):**
* सामान्य अध्ययन पेपर I (इतिहास, भूगोल, समाज): भारत में धार्मिक प्रथाएं, तीर्थ स्थल, सामाजिक मुद्दे, भीड़ प्रबंधन का ऐतिहासिक संदर्भ।
* सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन, राजनीति, सामाजिक न्याय): सरकारी नीतियां, आपदा प्रबंधन, सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा एजेंसियां, नागरिक अधिकार।
* सामान्य अध्ययन पेपर III (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान-प्रौद्योगिकी): सार्वजनिक अवसंरचना, प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग (सुरक्षा में), सुरक्षा चिंताएं।
* **मुख्य परीक्षा (Mains):**
* GS Paper I: समाज में धर्म की भूमिका, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, भीड़-संबंधित सामाजिक मुद्दे।
* GS Paper II:
* शासन: प्रभावी शासन के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए? भीड़ प्रबंधन में सरकारी एजेंसियों की भूमिका और जिम्मेदारियां।
* सामाजिक न्याय: कमजोर वर्गों (जैसे बुजुर्ग, बच्चे) की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन में नागरिक समाज की भागीदारी।
* अंतर्राष्ट्रीय तुलना: अन्य देशों में बड़े धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की रणनीतियाँ।
* GS Paper III:
* आंतरिक सुरक्षा: भीड़ प्रबंधन एक आंतरिक सुरक्षा चिंता के रूप में।
* आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ मानव-निर्मित आपदाओं (जैसे भगदड़) के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया।
* विज्ञान और प्रौद्योगिकी: सुरक्षा में नई तकनीकों का उपयोग।
निष्कर्ष
हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ एक दुखद अनुस्मारक है कि कैसे थोड़ी सी अव्यवस्था या योजना की कमी अनगिनत जिंदगियों को खतरे में डाल सकती है। यह घटना केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक सबक है, खासकर उन स्थानों पर जहाँ बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं। सरकारों, मंदिर प्रशासनों, सुरक्षा एजेंसियों और स्वयं नागरिकों को मिलकर एक सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में काम करना होगा। प्रौद्योगिकी का सही उपयोग, बेहतर योजना, निरंतर निगरानी और सभी हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय ही भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोक सकता है। इस घटना के गहन विश्लेषण से सीख लेकर, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ‘श्रद्धा’ कभी ‘सुरक्षा’ की कीमत पर न आए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. **हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर किस पर्वत पर स्थित है?**
(a) शिवालिक
(b) नीलगिरि
(c) नील पर्वत
(d) मैकाल पर्वत
* **उत्तर:** (c) नील पर्वत
* **व्याख्या:** मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार में ‘नील पर्वत’ पर स्थित है।
2. **शक्तिपीठों के संदर्भ में, मनसा देवी मंदिर किस प्रमुख देवी को समर्पित है?**
(a) काली
(b) दुर्गा
(c) लक्ष्मी
(d) मनसा (नागों की देवी)
* **उत्तर:** (d) मनसा (नागों की देवी)
* **व्याख्या:** मनसा देवी मंदिर, देवी मनसा को समर्पित है, जिन्हें नागों की देवी माना जाता है।
3. **राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों के अनुसार, भीड़ प्रबंधन में निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख घटक है?**
(a) केवल सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाना
(b) भीड़ की क्षमता का आकलन और उसका प्रबंधन
(c) केवल भक्तों को निर्देश देना
(d) घटनास्थल पर ही तत्काल उपचार की व्यवस्था करना
* **उत्तर:** (b) भीड़ की क्षमता का आकलन और उसका प्रबंधन
* **व्याख्या:** NDMA के दिशानिर्देशों में भीड़ की क्षमता का आकलन, उसके अनुसार व्यवस्था करना, और उसके प्रबंधन की योजना बनाना प्रमुख घटक हैं।
4. **भगदड़ (Stampede) की घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. भगदड़ अक्सर अप्रत्याशित घटनाओं (जैसे अफवाह, बिजली जाना) से शुरू हो सकती है।
2. संकरे रास्ते और खराब प्रकाश व्यवस्था भगदड़ के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
3. ‘भीड़ मानसिकता’ (Herd Mentality) भगदड़ के प्रसार में भूमिका निभाती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
* **उत्तर:** (d) 1, 2 और 3
* **व्याख्या:** तीनों कथन भगदड़ के कारणों और उसमें शामिल कारकों का सही वर्णन करते हैं।
5. **भारत में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और भीड़ प्रबंधन के लिए कौन सा केंद्रीय मंत्रालय मुख्य रूप से जिम्मेदार है?**
(a) संस्कृति मंत्रालय
(b) पर्यटन मंत्रालय
(c) गृह मंत्रालय
(d) शहरी विकास मंत्रालय
* **उत्तर:** (c) गृह मंत्रालय
* **व्याख्या:** गृह मंत्रालय, कानून और व्यवस्था तथा आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन भी शामिल है।
6. **निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक ‘क्यू मैनेजमेंट’ (Queue Management) को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है?**
(a) RFID टैग
(b) ऑनलाइन टाइम-स्लॉट बुकिंग
(c) AI-आधारित भीड़ घनत्व सेंसर
(d) उपरोक्त सभी
* **उत्तर:** (d) उपरोक्त सभी
* **व्याख्या:** RFID टैग, ऑनलाइन बुकिंग और AI सेंसर सभी कतार प्रबंधन और भीड़ को सुव्यवस्थित करने में प्रभावी हैं।
7. **उत्तराखंड के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसियां आपदा प्रबंधन और भीड़ प्रबंधन में भूमिका निभा सकती हैं?**
1. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF)
2. जिला प्रशासन
3. स्थानीय पुलिस
4. भारतीय वायु सेना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
* **उत्तर:** (a) केवल 1, 2 और 3
* **व्याख्या:** SDRF, जिला प्रशासन और पुलिस सीधे तौर पर राज्य स्तर पर भीड़ प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया में शामिल होते हैं। वायु सेना आमतौर पर बहुत बड़े पैमाने की आपदाओं में बचाव कार्य में शामिल होती है, लेकिन नियमित भीड़ प्रबंधन में नहीं।
8. **किसी भी धार्मिक स्थल पर प्रवेश द्वार और निकास द्वारों के संबंध में सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा पहलू क्या है?**
(a) उनकी सजावट
(b) उनका आकार और चौड़ाई
(c) उनके खुलने का समय
(d) उनके नाम
* **उत्तर:** (b) उनका आकार और चौड़ाई
* **व्याख्या:** सुरक्षित निकास और प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए द्वारों का पर्याप्त आकार और चौड़ाई महत्वपूर्ण है ताकि बड़ी संख्या में लोग बिना बाधा के गुजर सकें।
9. **चश्मदीद गवाहों द्वारा बताई गई ‘तार में करंट उतरने’ की आशंका, पुलिस द्वारा ‘अफवाह’ बताए जाने पर, यह किस प्रकार की प्रशासनिक चुनौती को दर्शाता है?**
(a) संचार की कमी
(b) जानकारी के सत्यापन में देरी
(c) सार्वजनिक विश्वास का प्रबंधन
(d) उपरोक्त सभी
* **उत्तर:** (d) उपरोक्त सभी
* **व्याख्या:** यह स्थिति संचार की कमी, जानकारी के सत्यापन में समस्या और जनता के बीच विश्वास बनाए रखने की चुनौती को दर्शाती है।
10. **भारत में, किस कानून या संस्था को सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ नियंत्रण के लिए प्रमुख दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार है?**
(a) भारतीय दंड संहिता (IPC)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(c) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
(d) पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
* **उत्तर:** (b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
* **व्याख्या:** NDMA को आपदा प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार है, जिसमें भीड़ प्रबंधन भी शामिल है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. **हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना के आलोक में, भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए आप किन तकनीकी और प्रशासनिक नवाचारों का सुझाव देंगे? (लगभग 250 शब्द)**
* संकेत: घटना के कारण, भीड़ प्रबंधन के मौजूदा मुद्दे, NDMA दिशानिर्देश, प्रौद्योगिकी का उपयोग (AI, ड्रोन, RFID), अवसंरचनात्मक सुधार, और प्रशासनिक समन्वय पर प्रकाश डालें।
2. **”श्रद्धा और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना किसी भी सरकार के लिए एक सतत चुनौती है।” इस कथन के प्रकाश में, हरिद्वार भगदड़ जैसी घटनाओं से बचने के लिए सरकार, मंदिर प्रबंधन समितियों और आम जनता की साझा जिम्मेदारियों पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)**
* संकेत: प्रत्येक हितधारक की भूमिका, उनकी जिम्मेदारियां, सार्वजनिक जागरूकता अभियान, और सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करें।
3. **आपदा प्रबंधन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में ‘जन सूचना’ और ‘अफवाह प्रबंधन’ की भूमिका का विश्लेषण करें, खासकर भीड़-संबंधी घटनाओं में। हरिद्वार की घटना से आप क्या सीख सकते हैं? (लगभग 150 शब्द)**
* संकेत: घटना के दौरान सूचना का प्रवाह, अफवाहों का प्रसार, और अधिकारियों द्वारा त्वरित और पारदर्शी संचार का महत्व बताएं।