6 की मौत, 29 घायल: हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर भगदड़ – सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और जाँच का पूरा विश्लेषण।
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, हरिद्वार के प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में एक भयावह भगदड़ ने देश को झकझोर कर रख दिया। नवरात्रि जैसे शुभ अवसर पर, जहाँ श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं, वहीं इस घटना ने 6 मासूम जानें ले लीं और 29 लोगों को घायल कर दिया। मंदिर से मात्र 25 सीढ़ियाँ पहले हुई इस त्रासदी ने सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। चश्मदीदों द्वारा तार में करंट उतरने की बात कहने और पुलिस द्वारा इसे अफवाह करार देने के बीच, इस घटना की तह तक जाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों पर विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह घटना विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए समसामयिक मामलों, सार्वजनिक व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, सामाजिक न्याय और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
घटना का विस्तृत विवरण: (Detailed Account of the Incident):
यह हृदयविदारक घटना हरिद्वार के सिद्धपीठ मनसा देवी मंदिर में घटी। यह मंदिर गंगा नदी के दूसरी ओर विलक्षण पर्वतमाला की चोटी पर स्थित है और अपनी अलौकिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। नवरात्र के पावन दिनों में, विशेषकर नवमी के दिन, यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसी क्रम में, जब श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़ रहे थे, तो संकरे मार्ग पर अचानक अव्यवस्था फैल गई। बताया जाता है कि सुबह के समय, मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियाँ पहले, श्रद्धालुओं के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जो जल्द ही एक अनियंत्रित भगदड़ का रूप ले लिया।
- मृतकों की संख्या: 6
- घायलों की संख्या: 29 (कई की स्थिति गंभीर बताई गई)
- स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड
- समय: नवरात्र के दौरान (विशिष्ट दिन और समय की पुष्टि रिपोर्टों से हो सकती है)
- हादसे का बिंदु: मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियाँ पहले, एक संकरे मार्ग पर
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, भीड़ का दबाव इतना अधिक था कि लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। कुछ चश्मदीदों ने यह भी दावा किया कि भगदड़ का कारण बिजली के तारों में करंट उतरना था, जिससे दहशत फैल गई और लोगों ने भागना शुरू कर दिया। हालांकि, स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने इस दावे को तत्काल खारिज करते हुए इसे अफवाह बताया और मुख्य कारण भीड़ के अत्यधिक दबाव को बताया। इस विरोधाभासी बयानबाजी ने घटना की जड़ तक पहुँचने की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है।
तत्काल कारण और विवाद: (Immediate Cause and Controversy):
किसी भी भगदड़ का एक तात्कालिक कारण होता है, लेकिन अक्सर इसके पीछे कई अंतर्निहित कारक जिम्मेदार होते हैं। मनसा देवी मंदिर भगदड़ के मामले में, प्राथमिक कारण भीड़ का अत्यधिक घनत्व बताया गया है।:
- अत्यधिक भीड़: नवरात्र का अवसर होने के कारण, श्रद्धालुओं की संख्या क्षमता से कहीं अधिक थी।
- संकरे मार्ग: मंदिर तक पहुँचने वाले मार्ग संकरे थे, जिससे आपात स्थिति में लोगों के निकलने या व्यवस्था बनाए रखने में मुश्किल होती है।
- संचार की कमी: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त लाउडस्पीकर या अन्य संचार माध्यमों की कमी।
- अफवाह का प्रभाव: चश्मदीदों द्वारा करंट की बात कहना, भले ही यह अफवाह हो, ने दहशत बढ़ाने में भूमिका निभाई हो सकती है।
पुलिस द्वारा ‘करंट वाली बात को अफवाह’ कहना, यह दर्शाता है कि वे प्रारंभिक जाँच में इस बात को महत्व नहीं दे रहे हैं। हालाँकि, चश्मदीदों के बयानों को नज़रअंदाज़ करना भी ठीक नहीं। एक गहन जाँच की आवश्यकता है जो इन दावों की सत्यता का पता लगा सके। यदि किसी भी स्तर पर सुरक्षा चूक हुई है, तो उसे उजागर किया जाना चाहिए।
भगदड़ के पीछे अंतर्निहित कारण: (Underlying Causes of Stampede):
भगदड़ें केवल भीड़ या करंट की अफवाहों का परिणाम नहीं होतीं; वे अक्सर कई वर्षों से चली आ रही व्यवस्थागत कमियों का विस्फोटक परिणाम होती हैं। मनसा देवी मंदिर की घटना में, निम्नलिखित अंतर्निहित कारक जिम्मेदार हो सकते हैं:
1. अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन: विशेष आयोजनों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पूर्व-नियोजित योजना का अभाव। इसमें प्रवेश और निकास द्वारों का समुचित प्रबंधन, बैरिकेडिंग का अभाव या अप्रभावी होना, और श्रद्धालुओं के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवकों या सुरक्षा कर्मियों का न होना शामिल है।
2. बुनियादी ढाँचे की कमी: धार्मिक स्थलों पर अक्सर बढ़ती भीड़ के अनुपात में बुनियादी ढाँचे का विकास नहीं हो पाता। संकरे रास्ते, खराब वेंटिलेशन, और आपातकालीन निकास मार्गों का अभाव भगदड़ों को अधिक घातक बना सकता है।
3. पूर्व चेतावनी प्रणालियों का अभाव: बड़े धार्मिक आयोजनों में, भीड़ के दबाव को मापने और प्रारंभिक चेतावनी देने के लिए आधुनिक तकनीक (जैसे सेंसर, ड्रोन निगरानी) का उपयोग अक्सर नहीं किया जाता।
4. स्वैच्छिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय का अभाव: कई बार, धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों और सरकारी एजेंसियों पर होती है। उनके बीच प्रभावी समन्वय की कमी से समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
5. नियमों और कानूनों का अनुपालन न करना: भीड़ प्रबंधन से संबंधित मौजूदा नियमों और दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन न किया जाना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।
6. सुरक्षा के प्रति उदासीनता: कभी-कभी, आयोजक या प्रबंधन भीड़ को केवल संख्या के रूप में देखते हैं, न कि व्यक्तियों के रूप में जिनकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: (Relevance for UPSC):
यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं को छूती है:
- शासन (Governance): राज्य और स्थानीय प्रशासन की कानून व्यवस्था बनाए रखने, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और आपदा प्रबंधन में भूमिका।
- सुरक्षा (Security): सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण तकनीकें, और अति-संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा रणनीतियाँ।
- आपदा प्रबंधन (Disaster Management): प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं (जैसे भगदड़) से निपटने की तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों का महत्व।
- सामाजिक मुद्दे (Social Issues): धार्मिक आयोजनों में भीड़ का प्रबंधन, लोगों की धार्मिक भावनाएँ, और अल्पसंख्यकों या कमजोर वर्गों पर प्रभाव।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology): भीड़ प्रबंधन के लिए नई तकनीकों का उपयोग (जैसे AI-आधारित निगरानी, स्मार्ट बैरिकेडिंग)।
- नैतिकता (Ethics): सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों की जवाबदेही, निर्णय लेने की प्रक्रिया में नैतिक दुविधाएँ, और जनता के प्रति कर्तव्य।
भीड़ प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश और मानक: (Guidelines and Standards for Crowd Management):
भारत में, भगदड़ों को रोकने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। ये दिशानिर्देश विभिन्न प्रकार के सार्वजनिक समारोहों, विशेष रूप से धार्मिक आयोजनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।:
- योजना और तैयारी:
- प्रत्येक बड़े आयोजन से पहले एक विस्तृत भीड़ प्रबंधन योजना बनाई जानी चाहिए।
- आपातकालीन निकास योजनाओं, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था, और सुरक्षित स्थानों (सेफ जोन) की पहचान होनी चाहिए।
- स्थानीय पुलिस, नागरिक प्रशासन, यातायात पुलिस, अग्निशमन सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं और स्वयंसेवी संगठनों के बीच समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए।
- भीड़ की निगरानी और नियंत्रण:
- भीड़ के घनत्व की निरंतर निगरानी के लिए तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए।
- प्रवेश और निकास बिंदुओं पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए।
- श्रद्धालुओं के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और संकेत होने चाहिए।
- पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए जाने चाहिए।
- संचार:
- स्पष्ट और प्रभावी सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (Public Address System) होनी चाहिए।
- अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम किया जाना चाहिए।
- बुनियादी ढाँचा:
- रास्ते चौड़े और बाधा-मुक्त होने चाहिए।
- सुरक्षित बैरिकेडिंग का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- प्रकाश व्यवस्था पर्याप्त होनी चाहिए।
- प्रतिक्रिया तंत्र:
- आपात स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया होनी चाहिए।
- प्राथमिक उपचार और चिकित्सा सहायता तुरंत उपलब्ध होनी चाहिए।
इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन न होने के कारण ही ऐसी त्रासदियाँ घटित होती हैं।
जाँच और जवाबदेही: (Investigation and Accountability):
इस घटना के बाद, यह आवश्यक है कि एक निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच हो। जाँच में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:
- क्या आयोजन के लिए पर्याप्त अनुमति ली गई थी?
- क्या भीड़ प्रबंधन के लिए NDMA दिशानिर्देशों का पालन किया गया?
- क्या सुरक्षा कर्मियों और स्वयंसेवकों की संख्या पर्याप्त और प्रशिक्षित थी?
- क्या प्रवेश और निकास की व्यवस्था उचित थी?
- क्या चश्मदीदों द्वारा बताए गए ‘करंट’ की बात की जाँच हुई और यदि हाँ, तो उसके निष्कर्ष क्या हैं?
- क्या मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई लापरवाही बरती गई?
जाँच के निष्कर्षों के आधार पर, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। जवाबदेही सुनिश्चित करना न केवल पीड़ितों के परिवारों के लिए न्याय है, बल्कि यह भविष्य की घटनाओं को रोकने के लिए एक निवारक के रूप में भी काम करता है।
चुनौतियाँ और आगे की राह: (Challenges and Way Forward):
धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन एक जटिल चुनौती है, खासकर भारत जैसे देश में जहाँ धर्म और आस्था का गहरा जुड़ाव है।:
- धार्मिक आस्था बनाम सुरक्षा: श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाए बिना सुरक्षा उपायों को लागू करना एक नाजुक संतुलन है।
- अनियोजित विकास: कई पुराने धार्मिक स्थल, जहाँ आज भारी भीड़ उमड़ती है, उनका निर्माण उस समय हुआ था जब ऐसी भीड़ की कल्पना भी नहीं थी।
- संसाधनों की कमी: छोटे धार्मिक स्थलों या स्थानीय समुदायों द्वारा प्रबंधित मंदिरों में अक्सर आधुनिक सुरक्षा उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी होती है।
- प्रशासनिक समन्वय: विभिन्न सरकारी विभागों और स्थानीय निकायों के बीच प्रभावी समन्वय की कमी।
आगे की राह:
- तकनीक का उपयोग: भीड़ प्रबंधन के लिए AI-आधारित निगरानी, स्मार्ट बैरिकेडिंग, और ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए।
- प्रशिक्षण: सुरक्षा कर्मियों, स्वयंसेवकों और यहां तक कि मंदिर प्रबंधन के कर्मचारियों को भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया में नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- जन जागरूकता: श्रद्धालुओं को भी संयम बरतने, नियमों का पालन करने और अफवाहों से बचने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
- डिजिटल प्रवेश: बड़े आयोजनों के लिए ऑनलाइन बुकिंग या टोकन प्रणाली लागू की जा सकती है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
- कानूनी ढाँचा: भीड़ प्रबंधन से संबंधित कानूनों और विनियमों को मजबूत किया जाना चाहिए और उनका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- सुरक्षा ऑडिट: सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों का नियमित सुरक्षा ऑडिट होना चाहिए।
मनसा देवी मंदिर भगदड़ एक दुखद अनुस्मारक है कि आस्था और उत्सव के ऐसे क्षणों में भी सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। केवल घटनाओं के बाद शोक मनाने या जाँच बिठाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि हमें सक्रिय रूप से ऐसे उपाय करने होंगे जो भविष्य में ऐसी त्रासदियों को होने से रोक सकें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: हाल ही में हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
(1) यह घटना नवरात्रि के दौरान हुई।
(2) चश्मदीदों ने तार में करंट उतरने का दावा किया, जिसे पुलिस ने अफवाह बताया।
(3) इस घटना में 6 लोगों की मृत्यु हुई और 29 घायल हुए।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सत्य हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: दिए गए सभी कथन समाचार रिपोर्टों के अनुसार सत्य हैं। घटना नवरात्रि के दौरान हुई, जिसमें 6 लोगों की मौत और 29 घायल हुए, और चश्मदीदों के बयान और पुलिस की प्रतिक्रिया में विरोधाभास था। -
प्रश्न: भगदड़ों को रोकने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा जारी दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित में से क्या है?
(a) धार्मिक आयोजनों को प्रतिबंधित करना
(b) सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करना
(c) केवल आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार करना
(d) धार्मिक स्थलों पर सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करना
उत्तर: (b) सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करना
व्याख्या: NDMA दिशानिर्देशों का प्राथमिक लक्ष्य सभी सार्वजनिक समारोहों, विशेषकर धार्मिक आयोजनों में भीड़ के सुरक्षित प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करना है। -
प्रश्न: मनसा देवी मंदिर किस राज्य में स्थित है?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) हिमाचल प्रदेश
(c) उत्तराखंड
(d) मध्य प्रदेश
उत्तर: (c) उत्तराखंड
व्याख्या: मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित है। -
प्रश्न: सार्वजनिक स्थानों पर भगदड़ जैसी घटनाओं के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कारक अक्सर जिम्मेदार होता है?
(a) अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन
(b) संकरे रास्ते और खराब निकास योजना
(c) अफवाहों और दहशत का प्रसार
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: भगदड़ें आमतौर पर कई कारकों का परिणाम होती हैं, जिनमें भीड़ का अनुचित प्रबंधन, भौतिक बुनियादी ढाँचे की कमियाँ और मनोवैज्ञानिक कारक जैसे अफवाहें शामिल हैं। -
प्रश्न: “NDMA” का पूरा नाम क्या है?
(a) National Disaster Management Agency
(b) National Drought Management Authority
(c) National Disaster Mitigation Authority
(d) National Disaster Response Agency
उत्तर: (a) National Disaster Management Agency
व्याख्या: NDMA का पूरा नाम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority) है। -
प्रश्न: किसी धार्मिक स्थल पर भीड़ प्रबंधन के लिए ‘सुरक्षित स्थान’ (Safe Zone) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
(a) वह स्थान जहाँ से भगदड़ शुरू होती है
(b) वह स्थान जहाँ भीड़ को आसानी से नियंत्रित किया जा सके और आपात स्थिति में सुरक्षित निकाला जा सके
(c) वह स्थान जहाँ से भक्त सीधे मंदिर में प्रवेश करते हैं
(d) वह स्थान जहाँ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं
उत्तर: (b) वह स्थान जहाँ भीड़ को आसानी से नियंत्रित किया जा सके और आपात स्थिति में सुरक्षित निकाला जा सके
व्याख्या: सेफ ज़ोन वह क्षेत्र होता है जिसे भीड़ को नियंत्रित करने, भीड़ के घनत्व को कम करने और आपातकालीन स्थितियों में लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा मंत्रालय / विभाग भारत में सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था से संबंधित है?
(a) गृह मंत्रालय
(b) स्वास्थ्य मंत्रालय
(c) रक्षा मंत्रालय
(d) संस्कृति मंत्रालय
उत्तर: (a) गृह मंत्रालय
व्याख्या: गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) भारत में कानून व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। -
प्रश्न: धार्मिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक उपयोगी हो सकती है?
(1) AI-आधारित निगरानी
(2) ड्रोन का उपयोग
(3) ऑनलाइन टोकन प्रणाली
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ये सभी तकनीकें भीड़ प्रबंधन में सहायक हो सकती हैं। AI-आधारित निगरानी भीड़ के घनत्व का पता लगा सकती है, ड्रोन निगरानी प्रदान कर सकते हैं, और ऑनलाइन टोकन प्रणाली प्रवेश को विनियमित कर सकती है। -
प्रश्न: किसी सार्वजनिक सभा में भगदड़ की स्थिति में, निम्नलिखित में से सबसे पहले क्या किया जाना चाहिए?
(a) सभी प्रवेश द्वार बंद कर देना
(b) लोगों को शांत करने के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग करना
(c) आपातकालीन निकास मार्गों को खोलना
(d) पुलिस को बुलाना
उत्तर: (c) आपातकालीन निकास मार्गों को खोलना
व्याख्या: भगदड़ के दौरान, सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम आपातकालीन निकास मार्गों को खोलना है ताकि फंसे हुए लोगों को बाहर निकलने का रास्ता मिल सके। -
प्रश्न: मनसा देवी मंदिर घटना में, चश्मदीदों ने ‘करंट उतरने’ का दावा किया। यदि यह दावा सत्य होता, तो यह किस प्रकार की आपदा का संकेत होता?
(a) प्राकृतिक आपदा
(b) मानव निर्मित आपदा (लापरवाही के कारण)
(c) जैविक आपदा
(d) भूवैज्ञानिक आपदा
उत्तर: (b) मानव निर्मित आपदा (लापरवाही के कारण)
व्याख्या: यदि बिजली के तारों में करंट उतरने से भगदड़ होती, तो यह बिजली की अव्यवस्थित व्यवस्था या रखरखाव में लापरवाही के कारण हुई मानव निर्मित आपदा मानी जाती।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर में हुई हालिया भगदड़ घटना का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करें। इस घटना के कारणों, NDMA दिशानिर्देशों के संभावित उल्लंघन और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए आवश्यक निवारक उपायों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द)
- प्रश्न: भारत में धार्मिक स्थलों पर होने वाली भगदड़ों की बढ़ती घटनाओं के पीछे भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और प्रशासनिक सुधारों की भूमिका पर चर्चा करें। (250 शब्द)
- प्रश्न: एक IAS अधिकारी के रूप में, यदि आपको ऐसे किसी बड़े धार्मिक आयोजन में भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो आप NDMA दिशानिर्देशों और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएंगे? (150 शब्द)
- प्रश्न: सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में स्थानीय प्रशासन और नागरिक समाज की भूमिका का विश्लेषण करें। मनसा देवी मंदिर जैसी घटनाओं से सबक लेते हुए, जवाबदेही और पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जा सकती है? (150 शब्द)