6 की जान गई, 29 घायल: हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में भगदड़ का सच क्या है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हुई एक दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। नवरात्र के पावन अवसर पर, जब लाखों श्रद्धालु देवी के दर्शन के लिए उमड़ते हैं, उसी दौरान मंदिर परिसर में एक भयानक भगदड़ मच गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में कम से कम 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 29 अन्य घायल हो गए। यह घटना मंदिर से मात्र 25 सीढ़ियाँ नीचे हुई, जहाँ भीड़ का दबाव बहुत अधिक था। प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों और पुलिस की प्रारंभिक प्रतिक्रियाओं में विरोधाभास इस घटना को और भी पेचीदा बना रहा है, जहाँ कुछ चश्मदीदों ने बिजली के तार में करंट उतरने की आशंका जताई, वहीं पुलिस इसे केवल अफवाह करार दे रही है। यह घटना न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और सार्वजनिक सूचना के प्रसार से जुड़े गंभीर सवालों को भी जन्म देती है।
मनसा देवी मंदिर: एक पवित्र स्थल और उसकी महत्ता
हरिद्वार, भारत के सात पवित्र शहरों में से एक है और यह गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह शहर हिंदुओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहाँ विभिन्न मंदिर और घाट स्थित हैं। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है मनसा देवी मंदिर, जो शिवालिक पहाड़ियों की ‘विलवा पर्वत’ नामक चोटी पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी, माँ मनसा देवी को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव की पुत्री और इच्छाओं को पूरा करने वाली देवी माना जाता है।
- स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड
- देवी: माँ मनसा देवी (शक्ति और इच्छा पूर्ति की देवी)
- महत्ता: यह मंदिर ‘सिद्ध पीठ’ में से एक माना जाता है, जहाँ मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- पहुँच: मंदिर तक पहुँचने के लिए या तो सीढ़ियों (लगभग 500 सीढ़ियाँ) का उपयोग करना पड़ता है या फिर केबल कार (रोपवे) का सहारा लेना पड़ता है।
- भीड़: नवरात्र, कुंभ मेले और अन्य शुभ अवसरों पर यहाँ भारी भीड़ देखी जाती है।
मनसा देवी मंदिर की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण यह विश्वास है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि विशेष अवसरों पर, जैसे नवरात्र के दौरान, इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। यही अत्यधिक भीड़, जब ठीक से प्रबंधित न हो, तो ऐसी त्रासदियों को जन्म दे सकती है।
घटना का विस्तृत विवरण: क्या हुआ था?
यह हृदय विदारक घटना तब हुई जब श्रद्धालु मंदिर के ऊपरी परिसर से नीचे उतर रहे थे। पुलिस के अनुसार, घटना मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियाँ नीचे हुई। जिस समय यह हादसा हुआ, उस समय दर्शन के लिए एक बड़ी भीड़ जुटी हुई थी।
- समय: (स्पष्ट समय उपलब्ध न होने पर, घटना के सामान्य समय का उल्लेख करें, जैसे – नवरात्र के दौरान)
- स्थान: मनसा देवी मंदिर परिसर, हरिद्वार, उत्तराखंड (मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियाँ नीचे)
- कारण (प्रारंभिक): भारी भीड़ का दबाव, संकरे रास्ते।
- मृत्यु: 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु।
- घायल: 29 श्रद्धालु घायल, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ इतनी अधिक थी कि लोगों का हिलना-डुलना भी मुश्किल हो रहा था। अचानक, किसी कारणवश (जिस पर अभी भी प्रश्नचिह्न है), भीड़ अनियंत्रित हो गई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इस धक्का-मुक्की में कई लोग गिर पड़े, और जो लोग पीछे थे, वे उन पर गिरते चले गए। इस अफरा-तफरी में दम घुटने और कुचले जाने से 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
“यह भयानक था। लोग एक-दूसरे पर गिर रहे थे। हम साँस भी नहीं ले पा रहे थे। यह सब कुछ ही पलों में हुआ।” – एक प्रत्यक्षदर्शी श्रद्धालु।
अफवाह या हकीकत: करंट की बात
इस घटना की भयावहता को और बढ़ाने वाली एक रिपोर्ट यह सामने आई कि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने आशंका जताई कि जिस स्थान पर भगदड़ मची, वहाँ किसी बिजली के तार में करंट उतर गया था, जिसने स्थिति को और बिगाड़ दिया। यह भी कहा गया कि इसी कारण कुछ लोगों को करंट लगने जैसी प्रतिक्रिया हुई, जिससे भगदड़ बढ़ी।
हालांकि, पुलिस प्रशासन ने तुरंत इस बात का खंडन किया और इसे एक ‘अफवाह’ करार दिया। पुलिस के अनुसार, शुरुआती जाँच में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि बिजली का करंट जिम्मेदार था। उनका कहना है कि यह घटना पूरी तरह से भीड़ के अत्यधिक दबाव और उसके अनियंत्रित होने के कारण हुई।
यह विरोधाभास क्यों महत्वपूर्ण है?
- जवाबदेही: यदि करंट लगने की बात सच होती, तो यह सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक का संकेत देता, जिसके लिए संबंधित प्राधिकरण सीधे तौर पर जिम्मेदार होते।
- जाँच की दिशा: करंट की अफवाह घटना की जाँच की दिशा को प्रभावित कर सकती है। यदि इसकी सही जाँच नहीं हुई, तो असली कारण दब सकता है।
- जनता का विश्वास: जनता को सटीक जानकारी देना महत्वपूर्ण है ताकि उनमें भ्रम और अविश्वास न फैले।
यह आवश्यक है कि इस ‘करंट’ वाली बात की निष्पक्ष और गहन जाँच की जाए, चाहे वह किसी भी नतीजे पर पहुँचे।
भगदड़ के पीछे के कारण: एक गहन विश्लेषण (Why the Stampede?)
किसी भी धार्मिक स्थल या सार्वजनिक समारोह में भगदड़ मचना कोई नई बात नहीं है। भारत में ऐसे कई हादसे पहले भी हो चुके हैं। मनसा देवी मंदिर में हुई इस भगदड़ के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
1. अत्यधिक भीड़ (Overcrowding)
यह सबसे प्रत्यक्ष और प्रमुख कारण है। नवरात्र जैसे पवित्र अवसर पर, जब भक्तों की संख्या सामान्य दिनों से कई गुना बढ़ जाती है, तो भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन जाता है। यदि प्रवेश और निकास द्वारों की क्षमता दर्शनार्थियों की संख्या से कम हो, तो भीड़ जमा हो जाती है।
- कारण: देवी की लोकप्रियता, विशेष अवसर, अनियंत्रित भक्त प्रवाह।
- परिणाम: तंग जगहों पर लोगों का अत्यधिक दबाव, जिससे गिरना और कुचल जाना आसान हो जाता है।
2. अपर्याप्त सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन (Inadequate Security & Crowd Management)
धार्मिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों का होना, उन्हें प्रशिक्षित करना और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग (घेरबंदी) और दिशा-निर्देशों का उचित उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- समस्या: सुरक्षाकर्मियों की कमी, प्रशिक्षित कर्मियों का अभाव, प्रभावी बैरिकेडिंग का न होना, भीड़ को विभाजित करने और नियंत्रित करने की योजना का अभाव।
- उदाहरण: यदि भीड़ को अलग-अलग कतारों में नहीं बाँटा गया है, तो एक साथ कई दिशाओं से आने वाले भक्त आपस में टकरा सकते हैं।
3. अरुक्षित ढाँचागत सुविधाएँ (Unsafe Infrastructure)
संकरे रास्ते, तीखे मोड़, फिसलन भरी सीढ़ियाँ, और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई संरचनाओं का अस्थिर होना भी भगदड़ को बढ़ा सकता है। मंदिर से 25 सीढ़ियाँ पहले का स्थान, यदि संकरा हो, तो यह समस्या को और गंभीर बना सकता है।
- चिंता: क्या सीढ़ियाँ पर्याप्त चौड़ी थीं? क्या रास्ते ठीक से चिह्नित थे? क्या कोई बाधाएँ थीं?
4. संचार की कमी और गलत सूचना (Lack of Communication & Misinformation)
यदि भक्तों को व्यवस्थित तरीके से जानकारी नहीं दी जाती है, जैसे कि दर्शन का क्रम, निकास मार्ग, या किसी विशेष क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ की चेतावनी, तो यह भ्रम पैदा कर सकता है। इसके विपरीत, अफवाहें (जैसे करंट वाली बात) भी अफरातफरी मचा सकती हैं।
- चुनौती: भक्तों तक सही और समय पर जानकारी पहुँचाना।
5. ऑफ-ड्यूटी या अप्रशिक्षित स्वयंसेवक (Off-duty or Untrained Volunteers)
कई बार, प्रबंधन की कमी को पूरा करने के लिए स्वयंसेवकों की मदद ली जाती है। यदि ये स्वयंसेवक प्रशिक्षित नहीं हैं या भीड़ प्रबंधन की समझ नहीं रखते, तो वे स्थिति को सुधारने के बजाय बिगाड़ सकते हैं।
इस घटना के निहितार्थ (Implications of the Incident)
यह भगदड़ केवल एक दुखद घटना नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी निहितार्थ हैं:
- सुरक्षा पर प्रश्न: धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक समारोहों में सुरक्षा व्यवस्था कितनी मजबूत है, इस पर गंभीर सवालिया निशान लग गया है।
- प्रशासनिक जवाबदेही: भीड़ प्रबंधन में विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या प्रशासन ने पर्याप्त एहतियाती कदम उठाए थे?
- श्रद्धालुओं का विश्वास: ऐसी घटनाएँ श्रद्धालुओं के मन में भय और प्रशासन के प्रति अविश्वास पैदा करती हैं।
- आर्थिक प्रभाव: हरिद्वार जैसे पर्यटन और तीर्थयात्रा पर निर्भर शहरों के लिए ऐसी घटनाएँ पर्यटन को प्रभावित कर सकती हैं।
चुनौतियाँ और समाधान (Challenges and Solutions)
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन प्रभावी समाधान भी मौजूद हैं:
चुनौतियाँ:
- जनसंख्या का दबाव: भारत की विशाल जनसंख्या और धार्मिकता के कारण भीड़ को नियंत्रित करना एक सतत चुनौती है।
- पारंपरिक सोच: कई बार, पुरानी परंपराओं और भीड़ प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों के बीच तालमेल बिठाना मुश्किल होता है।
- वित्तीय बाधाएँ: सुरक्षा अवसंरचना (जैसे सेंसर, ड्रोन, आधुनिक संचार प्रणाली) में निवेश के लिए पर्याप्त धन जुटाना।
- स्थानीय निकायों की क्षमता: कई छोटे शहरों में, स्थानीय निकायों के पास पर्याप्त विशेषज्ञता और संसाधन नहीं होते।
समाधान:
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तकनीक का उपयोग:
- स्मार्ट बैरिकेडिंग: भीड़ की घनत्व के आधार पर स्वचालित रूप से अनुकूलित होने वाली बैरिकेडिंग।
- सीसीटीवी और ड्रोन: पूरे परिसर की निगरानी, भीड़ के हॉटस्पॉट की पहचान और तत्काल प्रतिक्रिया के लिए।
- ऑडियो-विजुअल सूचना प्रणाली: श्रद्धालुओं को स्पष्ट निर्देश और चेतावनियाँ देने के लिए।
- मोबाइल ऐप: मंदिर परिसर के नक्शे, दर्शन की कतार की जानकारी और सुरक्षा सलाह प्रदान करने वाले ऐप।
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व्यवस्थित भीड़ प्रबंधन योजना:
- प्रवेश-निकास का बेहतर नियंत्रण: क्षमता से अधिक लोगों को प्रवेश न देना।
- कतार प्रबंधन: भीड़ को अलग-अलग, व्यवस्थित कतारों में बाँटना।
- स्पष्ट साइनेज: सभी रास्तों, निकासों और महत्वपूर्ण स्थानों को स्पष्ट रूप से चिह्नित करना।
- भीड़ को विभाजित करना: बड़े समारोहों को छोटे, प्रबंधनीय हिस्सों में बाँटना।
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सुरक्षाकर्मियों का प्रशिक्षण:
- विशेष प्रशिक्षण: भीड़ नियंत्रण, प्राथमिक उपचार और आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुरक्षाकर्मियों और स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना।
- पर्याप्त संख्या: यह सुनिश्चित करना कि आवश्यकतानुसार पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मी मौजूद हों।
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बुनियादी ढाँचे का उन्नयन:
- चौड़े रास्ते और सीढ़ियाँ: यह सुनिश्चित करना कि मंदिर परिसर के सभी मार्ग पर्याप्त चौड़े हों।
- मजबूत संरचनाएँ: भीड़ के दबाव को झेलने वाली मजबूत और सुरक्षित संरचनाएँ बनाना।
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प्रशासनिक समन्वय:
- विभिन्न एजेंसियों का सहयोग: पुलिस, स्थानीय प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और अन्य संबंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया दल: किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए एक त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन।
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जागरूकता अभियान:
- श्रद्धालुओं में जागरूकता: श्रद्धालुओं को सुरक्षा नियमों का पालन करने और अफवाहों पर ध्यान न देने के लिए जागरूक करना।
“भीड़ प्रबंधन केवल व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें तकनीक, मानव संसाधन और सूझबूझ का एक साथ इस्तेमाल आवश्यक है।”
आगे की राह: भविष्य के लिए सीख
हरिद्वार की यह भगदड़ एक दर्दनाक रिमाइंडर है कि धार्मिक उत्साह और आस्था के क्षणों में भी, सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना अनिवार्य है। सरकारों, धार्मिक संस्थानों और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
- कानूनी ढाँचा: सार्वजनिक समारोहों में सुरक्षा के संबंध में सख्त कानूनों और नियमों का प्रवर्तन।
- जवाबदेही तय करना: यदि सुरक्षा चूक पाई जाती है, तो संबंधित अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
- नियमित ऑडिट: सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों के सुरक्षा ऑडिट नियमित रूप से किए जाने चाहिए।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: सुरक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में सुधार के लिए निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
इस घटना से प्राप्त सीख हमें भविष्य में और अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करने में मदद करनी चाहिए, जहाँ आस्था का पर्व आनंद और शांति के साथ मनाया जा सके, न कि दुख और त्रासदी के साथ।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. हाल ही में हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
(a) यह घटना मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियाँ ऊपर हुई।
(b) प्रत्यक्षदर्शियों ने करंट उतरने की आशंका जताई, जिसे पुलिस ने अफवाह बताया।
(c) इस घटना में 6 लोगों की मृत्यु हुई और 29 घायल हुए।
(d) मनसा देवी मंदिर शिवालिक पहाड़ियों के ‘विलवा पर्वत’ पर स्थित है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(i) a, b और c
(ii) b, c और d
(iii) a, c और d
(iv) केवल b और c
उत्तर: (ii)
व्याख्या: कथन (a) गलत है क्योंकि घटना मंदिर से 25 सीढ़ियाँ नीचे हुई थी, ऊपर नहीं। अन्य सभी कथन सही हैं।
2. भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनाओं का मुख्य कारण निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) केवल अत्यधिक भीड़
(b) अपर्याप्त सुरक्षा उपाय और भीड़ प्रबंधन
(c) खराब मौसम की स्थिति
(d) धार्मिक स्थलों का भौगोलिक स्थान
उत्तर: (b)
व्याख्या: जबकि अत्यधिक भीड़ एक कारक है, भगदड़ के लिए अक्सर अपर्याप्त सुरक्षा उपाय और भीड़ प्रबंधन जिम्मेदार होता है, जो भीड़ को अनियंत्रित होने से रोक नहीं पाते।
3. ‘सिद्ध पीठ’ शब्द का संबंध आमतौर पर किस प्रकार के धार्मिक स्थलों से होता है?
(a) जहाँ देवताओं के पदचिह्न हों
(b) जहाँ मांगी गई मनोकामनाएँ पूरी होती हों
(c) जहाँ महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ लिखे गए हों
(d) जहाँ प्राचीन संतों ने तपस्या की हो
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘सिद्ध पीठ’ उन स्थानों को कहा जाता है जहाँ साधकों की इच्छाएं पूरी होती हैं, विशेषकर देवी मंदिरों के संदर्भ में।
4. निम्नलिखित में से कौन सी तकनीकें भीड़ प्रबंधन के लिए उपयोगी हो सकती हैं?
(i) सीसीटीवी निगरानी
(ii) स्मार्ट बैरिकेडिंग
(iii) ड्रोन द्वारा हवाई निगरानी
(iv) मोबाइल ऐप आधारित सूचना प्रणाली
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) (i) और (ii)
(b) (i), (ii) और (iii)
(c) (ii), (iii) और (iv)
(d) (i), (ii), (iii) और (iv)
उत्तर: (d)
व्याख्या: सभी सूचीबद्ध तकनीकें प्रभावी भीड़ प्रबंधन में सहायक हो सकती हैं।
5. हरिद्वार किस नदी के तट पर स्थित है?
(a) यमुना
(b) ब्रह्मपुत्र
(c) गंगा
(d) सरस्वती
उत्तर: (c)
व्याख्या: हरिद्वार गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
6. धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी होगा?
(a) केवल अधिक संख्या में पुलिस बल तैनात करना।
(b) दर्शनार्थियों की संख्या को कतारबद्ध करना और सीमित करना।
(c) श्रद्धालुओं से शांत रहने की अपील करना।
(d) भविष्य में ऐसे आयोजनों पर रोक लगाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: जबकि (a) सहायक है, (b) सीधे तौर पर भीड़ के दबाव को कम करता है, जो भगदड़ का मूल कारण है। (c) अल्पकालिक है और (d) अव्यावहारिक है।
7. मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार में हुई हालिया भगदड़ के बाद, प्रशासन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी जानकारी तत्काल महत्वपूर्ण थी?
(a) मंदिर के इतिहास की जानकारी
(b) करंट उतरने की अफवाह की सत्यता की पुष्टि
(c) मंदिर के निर्माण की शैली
(d) पिछले वर्षों में हुई दुर्घटनाओं का विवरण
उत्तर: (b)
व्याख्या: घटना के समय, अफवाहों का खंडन या पुष्टि करना जनता में शांति और विश्वास बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।
8. किसी सार्वजनिक समारोह में भीड़ प्रबंधन के लिए ‘स्मार्ट बैरिकेडिंग’ का क्या अर्थ है?
(a) रंगीन और सजावटी बैरिकेड्स का उपयोग।
(b) मजबूत धातु के बैरिकेड्स का उपयोग।
(c) ऐसे बैरिकेड्स जो भीड़ की घनत्व के आधार पर स्वचालित रूप से समायोजित हो सकें।
(d) बैरिकेड्स पर चेतावनी संदेश लिखना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: स्मार्ट बैरिकेडिंग में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भीड़ के दबाव के अनुसार व्यवस्था को अनुकूलित किया जाता है।
9. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
(i) भगदड़ की घटनाओं को अक्सर ‘डिजास्टर मैनेजमेंट’ के तहत वर्गीकृत किया जाता है।
(ii) भारत में, धार्मिक उत्सवों में भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) दिशानिर्देश जारी करता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल (i)
(b) केवल (ii)
(c) (i) और (ii) दोनों
(d) न तो (i) और न ही (ii)
उत्तर: (c)
व्याख्या: भगदड़ को एक प्रकार की आपदा माना जाता है और NDMA जैसे निकाय इसके प्रबंधन हेतु दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।
10. भगदड़ के दौरान, किसी व्यक्ति के गंभीर रूप से घायल होने का प्राथमिक कारण निम्नलिखित में से कौन सा होता है?
(a) जलना
(b) करंट लगना
(c) दम घुटने या कुचले जाने से चोटें
(d) अत्यधिक गर्मी
उत्तर: (c)
व्याख्या: भगदड़ में, मुख्य खतरा भीड़ के दबाव से दम घुटने या गिरने वाले लोगों द्वारा कुचले जाने का होता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई हालिया भगदड़ की घटना का विस्तृत विश्लेषण करें। इस घटना के पीछे के मुख्य कारणों, जिसमें भीड़ प्रबंधन की विफलता, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय और संभावित अफवाहें शामिल हैं, पर प्रकाश डालें। इस प्रकार की त्रासदियों को भविष्य में रोकने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों के आलोक में तकनीकी और प्रशासनिक समाधानों का सुझाव दें। (250 शब्द)
2. भारत में धार्मिक स्थलों पर अक्सर भगदड़ की घटनाएं देखी जाती हैं। इन घटनाओं के सामाजिक, सुरक्षा और प्रशासनिक निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी (जैसे AI, IoT, ड्रोन) के एकीकरण की आवश्यकता पर चर्चा करें, और एक मजबूत ‘आपदा-पूर्व तैयारी’ (pre-disaster preparedness) तंत्र विकसित करने के महत्व को रेखांकित करें। (250 शब्द)
3. हरिद्वार भगदड़ घटना में, प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा करंट उतरने की आशंका और पुलिस द्वारा इसे अफवाह बताने का मामला सामने आया। इस प्रकार की सूचनाओं के प्रसार और प्रबंधन का सार्वजनिक व्यवस्था और विश्वास पर क्या प्रभाव पड़ता है? ऐसे संकटों के समय में सटीक और पारदर्शी सूचना के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए क्या तंत्र स्थापित किए जाने चाहिए? (150 शब्द)