‘एक भक्त फिसला’ से 6 मौतें: हरिद्वार की मंसा देवी भगदड़ – कारण, परिणाम और समाधान
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मंसा देवी मंदिर में एक दुखद भगदड़ की घटना हुई, जिसमें कम से कम 6 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। मंदिर प्रशासन के अनुसार, भगदड़ की शुरुआत कथित तौर पर एक भक्त के फिसल जाने से हुई, जिसके बाद अफरा-तफरी मच गई और लोगों की भारी भीड़ एक-दूसरे पर गिरने लगी। यह घटना न केवल एक गंभीर मानवीय त्रासदी है, बल्कि भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपदा प्रतिक्रिया की कमजोरियों पर भी प्रकाश डालती है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना भारतीय समाज, आपदा प्रबंधन, आंतरिक सुरक्षा और शासन के विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
पृष्ठभूमि: हरिद्वार और मंसा देवी मंदिर (Background: Haridwar and Mansa Devi Temple)
हरिद्वार, गंगा नदी के तट पर स्थित, भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है। यह चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार होने के साथ-साथ कई प्राचीन मंदिरों और आश्रमों का घर है। हर साल, लाखों श्रद्धालु और पर्यटक हरिद्वार आते हैं, विशेष रूप से कुंभ मेले और अन्य धार्मिक अवसरों पर।
- मंसा देवी मंदिर: यह मंदिर हरिद्वार की बिलवा पर्वत श्रृंखला पर स्थित है और हिंदू देवी मंसा को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का एक रूप माना जाता है। यह मंदिर हरिद्वार के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, और विशेष अवसरों पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है।
- धार्मिक पर्यटन का महत्व: हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थल न केवल आध्यात्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इन स्थानों पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक संख्या अप्रत्याशित चुनौतियों को जन्म देती है।
घटना का विवरण और प्रारंभिक कारण (Details of the Incident and Initial Cause)
प्रत्यक्षदर्शियों और मंदिर प्रशासन के अनुसार, भगदड़ की शुरुआत रविवार सुबह तब हुई जब मंसा देवी मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगी हुई थीं। प्रारंभिक रिपोर्टों में कहा गया है कि भीड़ के बीच किसी भक्त के फिसलने से अफरा-तफरी मची। फिसला हुआ भक्त संभवतः सीढ़ियों पर या भीड़ भरे रास्ते में संतुलन खो बैठा, जिससे उसके पीछे चल रहे लोग गिरते चले गए।
“एक भक्त के फिसल जाने की प्रारंभिक सूचना थी, जिसके बाद पीछे से आ रही भीड़ अनियंत्रित हो गई।” – मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी।
इस घटना ने तत्काल चिकित्सा और सुरक्षा प्रतिक्रिया की आवश्यकता को जन्म दिया। स्थानीय पुलिस और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे, घायलों को अस्पताल पहुंचाया और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, और 6 लोगों की जान जा चुकी थी।
भगदड़ के कारण: एक बहुआयामी विश्लेषण (Causes of Stampede: A Multifaceted Analysis)
जबकि ‘एक भक्त का फिसलना’ को तात्कालिक कारण बताया गया है, भगदड़ जैसी गंभीर घटनाओं के पीछे हमेशा कई कारक छिपे होते हैं। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, हमें इन कारणों का गहराई से विश्लेषण करना होगा:
1. अव्यवस्थित भीड़ प्रबंधन (Poor Crowd Management):
- अपर्याप्त बैरिकेडिंग और नियंत्रण: मंदिरों में लंबी कतारों को व्यवस्थित रखने के लिए मजबूत और पर्याप्त बैरिकेडिंग की कमी हो सकती है। यदि बैरिकेडिंग मजबूत नहीं हैं या सही ढंग से स्थापित नहीं हैं, तो वे दबाव में टूट सकते हैं।
- अति-उत्साह और अति-भक्ति: धार्मिक उत्साह में, भक्त अक्सर नियमों का पालन करने में चूक जाते हैं। वे सुरक्षाकर्मियों के निर्देशों को नजरअंदाज कर सकते हैं और आगे बढ़ने की जल्दी कर सकते हैं।
- नियंत्रण बिंदुओं का अभाव: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी निकास और प्रवेश बिंदु, साथ ही अलग-अलग लेन का न होना, अव्यवस्था को जन्म देता है।
- शामिल कर्मियों का अपर्याप्त प्रशिक्षण: सुरक्षा कर्मियों और स्वयंसेवकों का भीड़ को नियंत्रित करने, शांत करने और आपात स्थिति में प्रतिक्रिया देने का प्रशिक्षण अपर्याप्त हो सकता है।
2. बुनियादी ढांचे की समस्याएं (Infrastructure Issues):
- संकीर्ण मार्ग: मंदिरों की ओर जाने वाले रास्ते या सीढ़ियां अक्सर पुराने और संकरे हो सकते हैं, जो भारी भीड़ के दबाव को झेलने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं।
- खराब प्रकाश व्यवस्था: कम रोशनी या अचानक बिजली कटौती की स्थिति में भ्रम और घबराहट फैल सकती है।
- खराब वेंटिलेशन: भीड़ भरे, बंद स्थानों पर खराब वेंटिलेशन घुटन और बेचैनी पैदा कर सकता है।
3. सूचना और संचार की कमी (Lack of Information and Communication):
- स्पष्ट साइनेज का अभाव: भक्तों को सुरक्षित रूप से निर्देशित करने के लिए स्पष्ट साइनेज (दिशा-निर्देश) की कमी भ्रम पैदा कर सकती है।
- प्रभावी उद्घोषणा प्रणाली का अभाव: आपात स्थिति में त्वरित और स्पष्ट उद्घोषणाओं के लिए एक मजबूत सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली का न होना घबराहट को बढ़ा सकता है।
- अफवाहें और गलत सूचना: अफवाहें तेजी से फैल सकती हैं और अनियंत्रित भीड़ में घबराहट पैदा कर सकती हैं।
4. बाहरी कारक (External Factors):
- मौसम की स्थिति: अचानक बारिश या तीव्र गर्मी भीड़ की असुविधा को बढ़ा सकती है और लोगों को जल्दबाजी करने पर मजबूर कर सकती है।
- उचित स्वच्छता का अभाव: भीड़ भरे स्थानों पर स्वच्छता की कमी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ाती है, जिससे सामान्य बेचैनी बढ़ सकती है।
5. विनियामक और निगरानी चूक (Regulatory and Monitoring Lapses):
- नियमित सुरक्षा ऑडिट का अभाव: मंदिरों और तीर्थस्थलों के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा प्रोटोकॉल का नियमित ऑडिट नहीं किया जाता है।
- मानव रहित तकनीक का उपयोग: भीड़ की निगरानी और प्रबंधन के लिए ड्रोन या सीसीटीवी जैसे आधुनिक तकनीक का पूर्णतः उपयोग नहीं किया जाता है।
- कानून और व्यवस्था की समस्याएँ: कभी-कभी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर अत्यधिक दबाव या संसाधनों की कमी भी प्रभावी प्रबंधन में बाधा डाल सकती है।
परिणाम और प्रभाव (Consequences and Impact)
इस दुखद घटना के कई गंभीर परिणाम होते हैं:
- मानवीय क्षति: 6 निर्दोष जानें गईं और कई लोग शारीरिक और मानसिक आघात से पीड़ित हुए। यह परिवारों के लिए एक असहनीय क्षति है।
- धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर सवाल: इस घटना ने भारत भर के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
- पर्यटन और प्रतिष्ठा पर प्रभाव: हरिद्वार जैसे पर्यटन स्थलों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है, जिससे भविष्य में पर्यटकों की संख्या प्रभावित हो सकती है।
- सार्वजनिक विश्वास का हनन: सरकार और संबंधित अधिकारियों के प्रति सार्वजनिक विश्वास में कमी आ सकती है, क्योंकि वे तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: शासन और आपदा प्रबंधन (Relevance for UPSC: Governance and Disaster Management)
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न जीएस पेपर्स से जुड़ी हुई है:
GS-I: समाज (Society)
- धार्मिक प्रथाएं और सामाजिक मुद्दे: भारत में धार्मिकता और तीर्थयात्रियों की विशाल संख्या, और उनसे जुड़े सामाजिक मुद्दे।
- भारतीय समाज की संरचना: भीड़ की गतिशीलता और सामाजिक व्यवहार।
GS-II: शासन (Governance)
- सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप: पर्यटन और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए सरकारी नीतियां।
- कानून और व्यवस्था: सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन की भूमिका।
- सुरक्षा बल और एजेंसियां: उनकी भूमिका और क्षमता।
GS-III: आपदा प्रबंधन (Disaster Management)
- आपदाओं के प्रकार: मानव निर्मित आपदाएं, भीड़ से संबंधित आपदाएं।
- आपदा प्रबंधन चक्र: रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): इसकी भूमिका और दिशानिर्देश।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: भीड़ निगरानी और प्रबंधन के लिए तकनीक।
GS-IV: नैतिकता (Ethics)
- सार्वजनिक सेवा में नैतिकता: नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी।
- जवाबदेही: अधिकारियों की जवाबदेही तय करना।
- मानवीय दृष्टिकोण: संकट के समय त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया।
आगे की राह: समाधान और सुझाव (Way Forward: Solutions and Suggestions)
ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए, एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें निम्नलिखित उपाय शामिल हों:
1. बेहतर भीड़ प्रबंधन योजना (Improved Crowd Management Planning):
- संवेदनशील बिंदु पहचान: भीड़ के प्रवाह को समझने और संभावित खतरनाक क्षेत्रों की पहचान करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं।
- डिजिटल भीड़ प्रबंधन: भीड़ की घनत्व की वास्तविक समय की निगरानी के लिए AI-आधारित प्रणालियों, ड्रोन और सेंसर का उपयोग किया जाए।
- स्पष्ट क्षमता सीमा: किसी भी स्थान पर एक समय में उपस्थित होने वाले लोगों की संख्या की एक निश्चित सीमा तय की जाए और उसका सख्ती से पालन हो।
- अनुभवी कर्मियों की तैनाती: भीड़ प्रबंधन में प्रशिक्षित और अनुभवी सुरक्षा कर्मियों, स्वयंसेवकों और पुलिस को तैनात किया जाए।
2. बुनियादी ढांचे का उन्नयन (Infrastructure Upgradation):
- चौड़े रास्ते और सुरक्षित सीढ़ियां: मंदिरों की ओर जाने वाले रास्तों और सीढ़ियों को चौड़ा और अधिक सुरक्षित बनाया जाए, जिसमें फिसलन-रोधी सामग्री का उपयोग हो।
- आपातकालीन निकास: स्पष्ट रूप से चिह्नित और सुलभ आपातकालीन निकास द्वार सुनिश्चित किए जाएं।
- मजबूत बैरिकेडिंग: भीड़ के दबाव को झेलने में सक्षम मजबूत और लचीली बैरिकेडिंग का उपयोग किया जाए।
3. प्रभावी संचार और सूचना प्रणाली (Effective Communication and Information Systems):
- आधुनिक उद्घोषणा प्रणाली: पूरे परिसर में स्पष्ट और लाउड उद्घोषणा प्रणाली स्थापित की जाए।
- डिजिटल सूचना बोर्ड: भक्तों को कतार की स्थिति, दर्शन समय और सुरक्षा निर्देशों के बारे में सूचित करने के लिए डिजिटल सूचना बोर्ड लगाए जाएं।
- जागरूकता अभियान: भक्तों को सुरक्षा नियमों और व्यवहार के बारे में जागरूक करने के लिए ऑडियो-विजुअल माध्यमों का उपयोग किया जाए।
4. प्रौद्योगिकी का एकीकरण (Integration of Technology):
- सीसीटीवी निगरानी: पूरे परिसर की कवरेज के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, जिन्हें कमांड सेंटर से लाइव मॉनिटर किया जा सके।
- AI-संचालित विश्लेषण: भीड़ घनत्व, पैटर्न और संभावित अतिभारित क्षेत्रों की पहचान के लिए AI का उपयोग किया जाए।
- मोबाइल अलर्ट: महत्वपूर्ण सूचनाओं और सुरक्षा चेतावनियों के लिए मोबाइल-आधारित अलर्ट सिस्टम विकसित किया जाए।
5. नियामक ढांचा और नीति सुधार (Regulatory Framework and Policy Reforms):
- नियमित ऑडिट: सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए नियमित, स्वतंत्र सुरक्षा और बुनियादी ढांचा ऑडिट अनिवार्य किया जाए।
- मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs): प्रत्येक मंदिर के लिए विशिष्ट, व्यापक और अद्यतन SOPs विकसित की जाएं और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: मंदिर प्रबंधन समितियों, सुरक्षा कर्मियों और स्वयंसेवकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
- कानूनी प्रावधान: भीड़ प्रबंधन में लापरवाही के लिए स्पष्ट कानूनी प्रावधान और दंड निर्धारित किए जाएं।
6. अंतर-एजेंसी समन्वय (Inter-Agency Coordination):
- पुलिस, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और मंदिर प्रशासन: इन सभी एजेंसियों के बीच मजबूत समन्वय और संयुक्त योजनाएं बनाई जानी चाहिए।
- आपदा प्रतिक्रिया बल: त्वरित प्रतिक्रिया के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित आपदा प्रतिक्रिया दल (DRF) को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया जाए।
निष्कर्ष (Conclusion)
हरिद्वार की मंसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना एक गंभीर अनुस्मारक है कि भारत जैसे देश में, जहाँ विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक सभाएं आम हैं, सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन को कभी भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। ‘एक भक्त का फिसलना’ भले ही घटना का शुरुआती बिंदु हो, लेकिन असली कारण उन प्रणालियों और प्रक्रियाओं में निहित हैं जो ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रहती हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये मुद्दे केवल कानून और व्यवस्था की बात नहीं हैं, बल्कि शासन, सामाजिक जिम्मेदारियों और मानवीय गरिमा से जुड़े हुए हैं। प्रभावी योजना, प्रौद्योगिकी का उपयोग, बुनियादी ढांचे में सुधार और कठोर नियमों के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे पवित्र स्थल आस्था के केंद्र बने रहें, न कि त्रासदी के स्थल।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: हरिद्वार को भारत के सात पवित्र शहरों (सप्तपुरी) में से एक माना जाता है।
कथन 2: मंसा देवी मंदिर हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और यह भगवान शिव को समर्पित है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (a) केवल 1
व्याख्या: कथन 1 सही है। हरिद्वार भारत के सप्तपुरी में से एक है। हालांकि, कथन 2 गलत है, क्योंकि मंसा देवी मंदिर देवी मंसा को समर्पित है, न कि भगवान शिव को।
2. हाल की हरिद्वार भगदड़ जैसी घटनाओं के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार हो सकता है?
(a) अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन
(b) अव्यवस्थित भीड़ प्रबंधन और अपर्याप्त बुनियादी ढांचा
(c) मुख्य देवता का अचानक प्रकट होना
(d) अचानक बिजली गुल हो जाना
उत्तर: (b) अव्यवस्थित भीड़ प्रबंधन और अपर्याप्त बुनियादी ढांचा
व्याख्या: भगदड़ जैसी घटनाओं के लिए भीड़ प्रबंधन में विफलता, संकरे रास्ते, अपर्याप्त बैरिकेडिंग और समन्वय की कमी मुख्य कारण होते हैं।
3. भारतीय संविधान के तहत, सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी निम्नलिखित में से किस पर आती है?
(a) केंद्र सरकार
(b) राज्य सरकार
(c) स्थानीय निकाय
(d) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
उत्तर: (b) राज्य सरकार
व्याख्या: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सूची के विषय हैं, इसलिए राज्य सरकारें प्राथमिक रूप से जिम्मेदार हैं।
4. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
कथन 1: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक सर्वोच्च निकाय है।
कथन 2: NDMA का गठन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था।
कथन 3: NDMA का नेतृत्व भारत के प्रधान मंत्री करते हैं।
सही उत्तर चुनने के लिए नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन NDMA के संबंध में सही हैं।
5. भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
कथन 1: AI-आधारित सिस्टम भीड़ की घनत्व की वास्तविक समय में निगरानी कर सकते हैं।
कथन 2: ड्रोन का उपयोग भीड़ की गतिशीलता का अवलोकन करने और आपातकालीन सेवाओं को निर्देशित करने के लिए किया जा सकता है।
कथन 3: मोबाइल-आधारित अलर्ट सिस्टम भक्तों को सुरक्षा चेतावनियों से अवगत करा सकते हैं।
इनमें से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन आधुनिक प्रौद्योगिकी के भीड़ प्रबंधन में प्रभावी उपयोग को दर्शाते हैं।
6. “GS-III: आपदा प्रबंधन” के संदर्भ में, ‘शमन’ (Mitigation) से क्या तात्पर्य है?
(a) आपदा घटित होने के बाद बचाव कार्य करना।
(b) आपदा के जोखिमों और प्रभावों को कम करने के लिए उपाय करना।
(c) आपदा के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
(d) आपदा के बाद पुनर्निर्माण करना।
उत्तर: (b) आपदा के जोखिमों और प्रभावों को कम करने के लिए उपाय करना।
व्याख्या: शमन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य आपदा के प्रभाव को कम करना है, जैसे कि मजबूत भवन निर्माण कोड या बेहतर भीड़ प्रबंधन तकनीकें।
7. सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे अधिक प्रभावी होगा?
(a) केवल अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती
(b) एक मजबूत सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली
(c) भीड़ घनत्व की निगरानी के लिए AI और सेंसर का उपयोग, साथ ही प्रभावी बैरिकेडिंग और निकास योजना
(d) भक्तों को शांत रहने की अपील
उत्तर: (c) भीड़ घनत्व की निगरानी के लिए AI और सेंसर का उपयोग, साथ ही प्रभावी बैरिकेडिंग और निकास योजना
व्याख्या: केवल पुलिस या घोषणा प्रणाली पर्याप्त नहीं हैं। एक बहु-आयामी दृष्टिकोण जिसमें प्रौद्योगिकी, योजना और बुनियादी ढांचा शामिल है, सबसे प्रभावी होता है।
8. निम्नलिखित में से कौन सी घटना ‘मानव निर्मित आपदा’ (Man-made Disaster) का एक उदाहरण है?
(a) भूकंप
(b) सुनामी
(c) औद्योगिक दुर्घटना
(d) ज्वालामुखी विस्फोट
उत्तर: (c) औद्योगिक दुर्घटना
व्याख्या: औद्योगिक दुर्घटनाएं, भगदड़, आग, आदि मानव निर्मित आपदाओं के उदाहरण हैं, जबकि भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी जैसी घटनाएं प्राकृतिक आपदाएं हैं।
9. “GS-IV: नैतिकता” के संबंध में, एक सिविल सेवक की प्राथमिक जिम्मेदारी क्या है?
(a) केवल सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन
(b) सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
(c) राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देना
(d) व्यक्तिगत लाभ के अवसरों की तलाश करना
उत्तर: (b) सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
व्याख्या: सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का अर्थ नागरिकों के कल्याण और सुरक्षा को सर्वोपरि रखना है।
10. भारतीय तीर्थस्थलों पर भीड़ बढ़ने के क्या संभावित सामाजिक-आर्थिक कारण हैं?
कथन 1: गहरी धार्मिक भावनाएं और विश्वास।
कथन 2: बेहतर परिवहन सुविधाओं की उपलब्धता।
कथन 3: पर्यटन को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियां।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: गहरी धार्मिक भावनाएं, आसान यात्रा (परिवहन) और सरकारी प्रोत्साहन (पर्यटन) सभी तीर्थस्थलों पर भीड़ बढ़ने में योगदान करते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. हरिद्वार जैसी घटनाओं में भगदड़ के पीछे भीड़ प्रबंधन की विफलता एक महत्वपूर्ण कारण है। आलोचनात्मक विश्लेषण करें कि कैसे विभिन्न सुरक्षा और बुनियादी ढांचा संबंधी कारक इस विफलता में योगदान करते हैं और ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या सुधारात्मक उपाय किए जा सकते हैं? (लगभग 250 शब्द)
2. भारत में धार्मिक स्थलों पर अक्सर भारी भीड़ देखी जाती है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशानिर्देशों का उल्लेख करते हुए, बताएं कि इस प्रकार की भीड़ को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने के लिए किन तकनीकों और रणनीतियों को अपनाया जाना चाहिए? (लगभग 250 शब्द)
3. GS-II के शासन (Governance) और GS-III के आपदा प्रबंधन (Disaster Management) के दृष्टिकोण से, हालिया हरिद्वार भगदड़ जैसी घटनाओं से सीख लेते हुए, प्रभावी सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने और नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी तंत्र की क्या जिम्मेदारियां हैं? (लगभग 150 शब्द)
4. “एक भक्त के फिसल जाने” को भगदड़ का तात्कालिक कारण बताया गया। यह घटना एक बड़ी प्रणालीगत विफलता की ओर इशारा करती है। चर्चा करें कि भारत में सार्वजनिक सभाओं के आयोजन में क्या नैतिक दुविधाएं (ethical dilemmas) शामिल हैं और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अधिकारियों की जवाबदेही (accountability) कितनी महत्वपूर्ण है? (लगभग 150 शब्द)