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मनसा देवी मंदिर भगदड़: चश्मदीद की ‘करंट’ की बात और पुलिस का ‘अफवाह’ – सुरक्षा पर बड़े सवाल!

मनसा देवी मंदिर भगदड़: चश्मदीद की ‘करंट’ की बात और पुलिस का ‘अफवाह’ – सुरक्षा पर बड़े सवाल!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में हुई दुखद भगदड़ की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 6 निर्दोष श्रद्धालुओं की जान चली गई और 29 अन्य घायल हो गए। यह हादसा तब हुआ जब भक्त मंदिर से लगभग 25 सीढ़ियां पहले ही पहुंच गए थे। घटना के कारणों को लेकर शुरुआती अटकलें तेज थीं, जहां एक चश्मदीद ने बिजली के तार में करंट उतरने की बात कही, वहीं पुलिस ने इसे अफवाह करार दिया। यह घटना न केवल एक त्रासदी है, बल्कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, बुनियादी ढांचे और प्रशासन की तैयारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना सार्वजनिक अव्यवस्था, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा प्रोटोकॉल और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का एक अवसर प्रदान करती है।

भगदड़ का पूरा घटनाक्रम: कब, कहाँ और कैसे?

यह दुखद घटना हरिद्वार के सिद्धपीठ श्री मनसा देवी मंदिर परिसर में हुई। लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इस मंदिर में, नववर्ष और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर भारी भीड़ उमड़ती है। रविवार की सुबह, जब मंदिर के पट भक्तों के लिए खोले गए, तो भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।

  • समय: रविवार की सुबह (विशिष्ट तिथि यदि ज्ञात हो तो यहाँ जोड़ें, जैसे – 15 जनवरी, 2023)।
  • स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार से लगभग 25 सीढ़ियां नीचे।
  • कारण (प्रारंभिक): भारी भीड़ के कारण उत्पन्न धक्का-मुक्की और अव्यवस्था।
  • हताहत: 6 लोगों की मृत्यु, 29 लोग घायल।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे-जैसे भक्तों की भीड़ बढ़ती गई, सीढ़ियों पर जगह संकरी पड़ने लगी। इस कारण धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे कई लोग गिर पड़े। इस अफरातफरी में, कुछ लोगों ने बिजली के तारों में करंट उतरने की आशंका जताई, जिससे दहशत और बढ़ गई। हालांकि, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत इन दावों को अफवाह बताते हुए खंडन किया और घटना का मुख्य कारण अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था को बताया।

चश्मदीद की गवाही बनाम आधिकारिक बयान: एक विरोधाभास

किसी भी बड़ी दुर्घटना के बाद, उसके कारणों का पता लगाना सबसे महत्वपूर्ण होता है। मनसा देवी मंदिर की भगदड़ के मामले में, शुरुआती बयानों में विरोधाभास देखा गया:

“मैंने देखा कि बिजली का तार नीचे लटक रहा था और भीड़ के दबाव से वह नीचे आ गया। मुझे लगा कि उसी की चपेट में आकर लोगों की मौत हुई है।” – एक चश्मदीद का बयान।

यह बयान न केवल एक भयावह संभावना की ओर इशारा करता है, बल्कि प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। बिजली के तारों का खुला होना, खासकर भीड़भाड़ वाले धार्मिक स्थलों पर, अत्यंत खतरनाक हो सकता है।

इसके विपरीत, पुलिस और जिला प्रशासन का प्रारंभिक रुख यह था कि यह केवल भीड़ के कारण हुई भगदड़ थी, और करंट उतरने जैसी कोई बात नहीं थी।

  • पुलिस का पक्ष: “जांच में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि किसी तार में करंट उतरा था। यह पूरी तरह से अनियंत्रित भीड़ और संकरे रास्ते के कारण हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।”

यह विरोधाभास बताता है कि कैसे किसी घटना के कारणों को स्थापित करने में शुरुआती समय में भ्रम की स्थिति हो सकती है। विस्तृत जांच और फॉरेंसिक विश्लेषण ही ऐसे विवादों को सुलझा सकते हैं।

भगदड़ के संभावित कारण: एक गहन विश्लेषण (Why and How)

किसी भी भगदड़ के पीछे एक या अनेक कारण हो सकते हैं। मनसा देवी मंदिर की घटना के संदर्भ में, निम्नलिखित संभावित कारणों का विश्लेषण किया जा सकता है, जो UPSC के सामान्य अध्ययन (GS) के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं:

1. भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) की विफलता:

  • अत्यधिक भीड़ का अनुमान न लगाना: क्या प्रशासन ने पर्व या विशेष दिनों पर आने वाली संभावित भीड़ का सही अनुमान लगाया था?
  • प्रवेश और निकास की अपर्याप्त व्यवस्था: क्या मंदिर परिसर में प्रवेश और निकास के रास्ते भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त चौड़े और सुव्यवस्थित थे?
  • बैरीकेडिंग और विभाजन: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी बैरीकेडिंग और अलग-अलग रास्तों (जैसेVIP, सामान्य, आदि) का अभाव।
  • सुरक्षा कर्मियों की अपर्याप्त संख्या: क्या भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस और स्वयंसेवक तैनात थे?

2. बुनियादी ढांचे (Infrastructure) की कमी:

  • संकरे रास्ते और सीढ़ियां: मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते, विशेषकर सीढ़ियां, भारी भीड़ के दबाव को झेलने के लिए पर्याप्त चौड़ी नहीं थीं।
  • खतरनाक बिजली व्यवस्था: जैसा कि चश्मदीदों ने इशारा किया, बिजली के तार या तो खुले थे या भीड़ के लिए खतरा पैदा कर रहे थे। यह अनियोजित विद्युतीकरण या रखरखाव की कमी का संकेत हो सकता है।
  • पर्याप्त आपातकालीन निकास: आपातकाल की स्थिति में त्वरित निकास के लिए स्पष्ट और सुलभ मार्ग का अभाव।

3. संचार (Communication) और चेतावनी प्रणाली:

  • प्रभावी घोषणा प्रणाली का अभाव: क्या भीड़ को नियंत्रित करने या शांत करने के लिए कोई सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (PA system) सक्रिय थी?
  • अफवाहों का प्रसार: प्रारंभिक अफवाहों (जैसे करंट) को तुरंत और प्रभावी ढंग से दूर करने में विफलता।

4. योजना और समन्वय (Planning and Coordination) का अभाव:

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल: पुलिस, मंदिर प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन और बिजली विभाग के बीच समन्वय की कमी।
  • आपदा प्रतिक्रिया योजना (Disaster Response Plan): क्या ऐसे किसी आयोजन के लिए एक विस्तृत और अभ्यास की हुई आपदा प्रतिक्रिया योजना मौजूद थी?

5. तीर्थयात्रियों की स्वयं की भूमिका:

हालांकि प्रशासन की जवाबदेही सर्वोपरि है, लेकिन कभी-कभी तीर्थयात्री भी अनजाने में स्थिति को बिगाड़ सकते हैं, जैसे:

  • अति उत्साह या हड़बड़ी: दर्शन की जल्दी में अनुचित दबाव बनाना।
  • सुरक्षा नियमों का उल्लंघन: प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाने का प्रयास करना।

मनसा देवी मंदिर भगदड़: सुरक्षा और अव्यवस्था पर बड़े सवाल

यह घटना केवल हरिद्वार तक सीमित नहीं है; यह भारत भर के अनगिनत धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर एक आईना है।

अव्यवस्थित विकास (Unplanned Development):

जैसे-जैसे धार्मिक पर्यटन बढ़ता है, वैसे-वैसे इन स्थलों का अनियोजित विकास होता है। मंदिर परिसर का विस्तार हो सकता है, लेकिन सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के मानकों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।

उदाहरण: महाकुंभ या अन्य बड़े धार्मिक आयोजनों में भी ऐसी अव्यवस्था देखी गई है, जहां भीड़ को संभालने में प्रशासन को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

‘चलो, चल रहा है’ मानसिकता:

अक्सर, छोटी-मोटी खामियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, यह सोचकर कि ‘सब ठीक हो जाएगा’। यह ‘चलो, चल रहा है’ (JCB – Jaroori Chal Raha Hai) वाली मानसिकता घातक साबित हो सकती है, जैसा कि इस मामले में हुआ।

संवेदनशील स्थानों पर बुनियादी ढांचा:

यह सोचना आश्चर्यजनक है कि क्या ऐसे संवेदनशील स्थानों पर बिजली की वायरिंग को इस तरह से व्यवस्थित किया गया है कि वह भीड़ या अन्य भौतिक कारणों से प्रभावित न हो।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):

  • भूगोल: भारत के प्रमुख धार्मिक स्थल, भौगोलिक विशेषताएं।
  • आंतरिक सुरक्षा: सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, आतंकवाद विरोधी उपाय (हालांकि यह मामला आतंकवाद का नहीं है, लेकिन सुरक्षा प्रोटोकॉल का मुद्दा समान है)।
  • सामान्य ज्ञान: महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनाएं।

मुख्य परीक्षा (Mains):

  • GS-I: भारतीय समाज – प्रमुख सामाजिक मुद्दे, सांस्कृतिक परिवर्तन और समाज पर इसका प्रभाव।
  • GS-II: शासन (Governance) – सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए बने हस्तक्षेपों के डिजाइन और प्रभाव। केंद्र और राज्यों के बीच विभिन्न मुद्दों को हल करने के लिए संस्थान और निकाय।
  • GS-III: आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन – आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां; विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां ​​और उनका अधिदेश। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आपदाओं और उनके प्रबंधन का एकीकरण।
  • निबंध (Essay): ‘सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा: आवश्यकता और कार्यान्वयन’, ‘आपदा प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका’, ‘धार्मिक पर्यटन: अवसर और चुनौतियां’।

सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदम (Way Forward): Recommendations for Safety

इस तरह की त्रासदियों को भविष्य में रोकने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

1. प्रभावी भीड़ प्रबंधन योजना:

  • भीड़ का पूर्वानुमान: ऐतिहासिक डेटा, मौसम और विशेष आयोजनों के आधार पर भीड़ का सटीक अनुमान लगाना।
  • नियंत्रित प्रवेश: ऑनलाइन बुकिंग, टोकन सिस्टम या विशेष समय स्लॉट के माध्यम से प्रवेश को नियंत्रित करना।
  • उन्नत बैरीकेडिंग: मजबूत, आसानी से तैनात की जा सकने वाली और स्पष्ट रूप से चिह्नित बैरीकेड्स का उपयोग करना।
  • कठोर निगरानी: सी.सी.टी.वी. कैमरों और ड्रोन का उपयोग करके हर समय भीड़ पर नजर रखना।
  • सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण: भीड़ को नियंत्रित करने, शांत करने और आवश्यकता पड़ने पर बचाव कार्य करने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण।

2. बुनियादी ढांचे का उन्नयन:

  • विस्तृत मार्ग: मंदिर परिसरों की ओर जाने वाले रास्तों और सीढ़ियों को चौड़ा करना।
  • सुरक्षित विद्युत व्यवस्था: सभी बिजली के तारों को भूमिगत करना या उन्हें सुरक्षित रूप से ढकना। नियमित विद्युत सुरक्षा ऑडिट।
  • आपातकालीन निकास: पर्याप्त, स्पष्ट रूप से चिह्नित और बाधा-मुक्त आपातकालीन निकास सुनिश्चित करना।
  • आराम क्षेत्र: लंबी कतारों में लगे लोगों के लिए बैठने और आराम करने की जगहें बनाना।

3. प्रौद्योगिकी का उपयोग:

  • क्राउड-सोर्सिंग टेक्नोलॉजी: ऐसे सेंसर और सॉफ्टवेयर का उपयोग करना जो भीड़ के घनत्व का वास्तविक समय (real-time) में पता लगा सकें।
  • स्मार्ट साइनेज: डिजिटल साइनेज का उपयोग करके भक्तों को विभिन्न रास्तों, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और महत्वपूर्ण सूचनाओं के बारे में सूचित करना।
  • मोबाइल ऐप: ऐसे ऐप विकसित करना जो मंदिर प्रबंधन, भीड़ की स्थिति और सुरक्षा निर्देशों की जानकारी प्रदान करें।

4. बेहतर संचार और चेतावनी प्रणाली:

  • स्पष्ट उद्घोषणा: बहुभाषी और उच्च-गुणवत्ता वाली सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणालियाँ स्थापित करना।
  • तेजी से अफवाह खंडन: सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर फैलने वाली अफवाहों का तुरंत खंडन करने के लिए एक समर्पित टीम।
  • आपातकालीन अलर्ट: SMS या ऐप के माध्यम से तत्काल आपातकालीन अलर्ट भेजने की क्षमता।

5. मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन का समन्वय:

  • संयुक्त कार्यबल: मंदिर ट्रस्ट, स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों के बीच एक मजबूत और स्थायी समन्वय समिति का गठन।
  • नियमित सुरक्षा बैठकें: प्रमुख आयोजनों से पहले और बाद में नियमित सुरक्षा समीक्षा बैठकें आयोजित करना।
  • जवाबदेही तय करना: किसी भी चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और निकायों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करना।

6. जन जागरूकता और शिक्षा:

तीर्थयात्रियों को भी सुरक्षा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्हें नियमों का पालन करने, घबराहट न फैलाने और शांति बनाए रखने के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ एक गंभीर त्रासदी है जिसने जीवन के साथ-साथ हमारी सुरक्षा प्रणालियों की खामियों को भी उजागर किया है। चश्मदीदों की गवाही और आधिकारिक बयानों के बीच का विरोधाभास, सुरक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और पुख्ता जांच की आवश्यकता पर बल देता है। यह घटना प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और नीति निर्माताओं के लिए एक वेक-अप कॉल है कि वे सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। केवल कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल, बेहतर बुनियादी ढांचा और प्रभावी भीड़ प्रबंधन ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का अध्ययन न केवल सामान्य ज्ञान के लिए, बल्कि शासन, सार्वजनिक व्यवस्था और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की समझ विकसित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **प्रश्न:** मनसा देवी मंदिर किस राज्य में स्थित है?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) राजस्थान
**उत्तर:** (b) उत्तराखंड
**व्याख्या:** मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है।

2. **प्रश्न:** भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक सबसे प्रभावी मानी जाती है?
(a) केवल सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाना।
(b) भीड़ के घनत्व का वास्तविक समय (real-time) पता लगाने वाले सेंसर और ऐप्स का उपयोग।
(c) केवल लाउडस्पीकर पर घोषणाएं करना।
(d) प्रवेश द्वारों पर केवल बैरिकेड्स लगाना।
**उत्तर:** (b) भीड़ के घनत्व का वास्तविक समय (real-time) पता लगाने वाले सेंसर और ऐप्स का उपयोग।
**व्याख्या:** भीड़ प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक, जैसे सेंसर और ऐप्स, भीड़ के घनत्व को सटीक रूप से मॉनिटर करने और समय पर कार्रवाई करने में मदद करती हैं, जो केवल सुरक्षा गार्डों या बैरिकेड्स से अधिक प्रभावी है।

3. **प्रश्न:** किसी बड़े सार्वजनिक आयोजन में, अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन की पहली प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?
(a) सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना।
(b) केवल प्रेस विज्ञप्ति जारी करना।
(c) सटीक जानकारी का शीघ्र और प्रभावी संचार सुनिश्चित करना।
(d) जांच समिति का गठन करना।
**उत्तर:** (c) सटीक जानकारी का शीघ्र और प्रभावी संचार सुनिश्चित करना।
**व्याख्या:** अफवाहों का मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्वयं सटीक और विश्वसनीय जानकारी को तेजी से प्रसारित किया जाए।

4. **प्रश्न:** निम्नलिखित में से कौन सी घटना ‘भगदड़’ (Stampede) का कारण बन सकती है?
I. संकरे रास्ते
II. अत्यधिक भीड़
III. अचानक बिजली गुल होना
IV. प्रभावी भीड़ प्रबंधन की कमी
(a) I, II और IV
(b) I, III और IV
(c) II, III और IV
(d) I, II, III और IV
**उत्तर:** (a) I, II और IV
**व्याख्या:** भगदड़ मुख्य रूप से अत्यधिक भीड़, संकरे रास्तों और प्रभावी प्रबंधन की कमी के कारण होती है। बिजली गुल होना दहशत बढ़ा सकता है लेकिन प्रत्यक्ष कारण नहीं होता।

5. **प्रश्न:** GS-III के संदर्भ में, ‘आंतरिक सुरक्षा’ की चुनौतियों में निम्नलिखित में से कौन सा एक शामिल है?
(a) सीमा पार आतंकवाद
(b) उग्रवाद
(c) सार्वजनिक स्थानों पर भगदड़
(d) उपरोक्त सभी
**उत्तर:** (d) उपरोक्त सभी
**व्याख्या:** सीमा पार आतंकवाद, उग्रवाद और सार्वजनिक स्थानों पर भगदड़ जैसी घटनाएं आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।

6. **प्रश्न:**GS-II के किस पहलू से मनसा देवी मंदिर जैसी घटनाएं संबंधित हैं?
(a) स्वास्थ्य सेवा वितरण
(b) शासन और सार्वजनिक अव्यवस्था
(c) शिक्षा नीति
(d) कृषि सुधार
**उत्तर:** (b) शासन और सार्वजनिक अव्यवस्था
**व्याख्या:** ऐसी घटनाएं सीधे तौर पर सरकारी तंत्र की प्रभावशीलता, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता और संबंधित संस्थानों के शासन से जुड़ी हैं।

7. **प्रश्न:** एक चश्मदीद के बयान और पुलिस के आधिकारिक बयान के बीच विरोधाभास किस समस्या को उजागर करता है?
(a) पुलिस की अकुशलता
(b) संचार की कमी और प्रारंभिक जांच में पारदर्शिता का अभाव
(c) जनता का अविश्वास
(d) केवल स्थानीय मीडिया का पूर्वाग्रह
**उत्तर:** (b) संचार की कमी और प्रारंभिक जांच में पारदर्शिता का अभाव
**व्याख्या:** जब चश्मदीद का दावा और पुलिस का खंडन अलग-अलग होता है, तो यह प्रारंभिक संचार में अस्पष्टता या अपर्याप्त पारदर्शिता को दर्शाता है।

8. **प्रश्न:** जीएस-I के ‘भारतीय समाज’ के संदर्भ में, धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन से संबंधित मुद्दा क्या है?
(a) केवल त्यौहारों का सांस्कृतिक महत्व
(b) तीर्थयात्रियों की धार्मिक स्वतंत्रता
(c) सामाजिक सुरक्षा, सार्वजनिक अव्यवस्था और भीड़ नियंत्रण की आवश्यकता
(d) केवल मंदिर की वास्तुकला
**उत्तर:** (c) सामाजिक सुरक्षा, सार्वजनिक अव्यवस्था और भीड़ नियंत्रण की आवश्यकता
**व्याख्या:** धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन सीधे तौर पर सामाजिक सुरक्षा, सार्वजनिक अव्यवस्था से निपटने और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से जुड़ा है।

9. **प्रश्न:** मनसा देवी मंदिर की घटना के संदर्भ में, ‘बुनियादी ढांचे की कमी’ का सबसे संभावित उदाहरण क्या हो सकता है?
(a) मंदिर के पास पर्याप्त पार्किंग का न होना
(b) दर्शन के लिए लंबी कतारें
(c) भीड़ के दबाव को झेलने में असमर्थ संकरे रास्ते
(d) मंदिर में सीसीटीवी कैमरों का अभाव
**उत्तर:** (c) भीड़ के दबाव को झेलने में असमर्थ संकरे रास्ते
**व्याख्या:** भगदड़ का एक मुख्य कारण अक्सर संकरे रास्ते होते हैं जो अत्यधिक भीड़ के कारण सुरक्षा जोखिम पैदा करते हैं।

10. **प्रश्न:** किसी भी बड़े सार्वजनिक समारोह या आयोजन के लिए ‘आपदा प्रबंधन योजना’ में क्या शामिल होना चाहिए?
I. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रोटोकॉल
II. आपातकालीन निकास की योजना
III. चिकित्सा सहायता की व्यवस्था
IV. अफवाहों से निपटने की रणनीति
(a) I, II और III
(b) I, III और IV
(c) II, III और IV
(d) I, II, III और IV
**उत्तर:** (d) I, II, III और IV
**व्याख्या:** एक व्यापक आपदा प्रबंधन योजना में भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन निकास, चिकित्सा सहायता और संचार (अफवाहों से निपटना भी) जैसे सभी पहलू शामिल होने चाहिए।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. **प्रश्न:** मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ की घटना का विश्लेषण करते हुए, भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) में प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालिए। भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव दें। (लगभग 250 शब्द)
2. **प्रश्न:** भारत में धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और अव्यवस्था एक गंभीर मुद्दा है। मनसा देवी मंदिर की घटना के संदर्भ में, इस समस्या के बहुआयामी कारणों का पता लगाएं और बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन के संयोजन से समाधान प्रस्तुत करें। (लगभग 250 शब्द)
3. **प्रश्न:** ‘शासन’ (Governance) के दृष्टिकोण से, ऐसी बड़ी सार्वजनिक अव्यवस्थाओं (जैसे भगदड़) के प्रबंधन में विभिन्न सरकारी एजेंसियों (पुलिस, स्थानीय प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट आदि) के बीच समन्वय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। मनसा देवी मंदिर घटना के माध्यम से इस समन्वय की आवश्यकता और इसमें आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
4. **प्रश्न:** GS-III के तहत ‘आंतरिक सुरक्षा’ के संदर्भ में, सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रौद्योगिकी-संवर्धित’ (Technology-enabled) दृष्टिकोण के महत्व का विश्लेषण करें। क्या केवल प्रौद्योगिकी पर्याप्त है, या मानव हस्तक्षेप भी उतना ही महत्वपूर्ण है? (लगभग 150 शब्द)

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