2256 जर्जर स्कूल: भजनलाल सरकार की ‘पहले जान, फिर ज्ञान’ राह, छात्रों का भविष्य अधर में?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** राजस्थान की भजनलाल सरकार एक ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसले की दहलीज पर खड़ी है, जिसका सीधा संबंध प्रदेश के 2256 सरकारी स्कूलों के हजारों छात्रों के भविष्य से है। शिक्षा मंत्री ने ‘पहले जान, फिर ज्ञान’ का नारा देते हुए कहा है कि इन जर्जर और खतरनाक स्कूलों के बारे में जल्द फैसला लिया जाएगा। यह बयान उन लाखों अभिभावकों और विद्यार्थियों के लिए आशा की किरण है, जो हर दिन भय के माहौल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन, इस फैसले की राह कितनी लंबी और चुनौतिपूर्ण है, और सरकार इस गंभीर समस्या का समाधान कैसे करेगी, यह सवाल महत्वपूर्ण है।
यह स्थिति केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे की दयनीय हालत एक कड़वी सच्चाई है। UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह मुद्दा न केवल समसामयिक महत्व रखता है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली, सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन, सार्वजनिक व्यय, और सामाजिक न्याय जैसे व्यापक विषयों से जुड़ा है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस मुद्दे की गहराई में उतरेंगे, इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे, और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसकी प्रासंगिकता को समझेंगे।
‘पहले जान, फिर ज्ञान’: सरकार का दृष्टिकोण और उसकी पृष्ठभूमि
शिक्षा मंत्री का यह बयान, ‘पहले जान, फिर ज्ञान’, अपने आप में एक महत्वपूर्ण दार्शनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसका अर्थ स्पष्ट है: छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और फिर ही शिक्षा की बात की जा सकती है। जब किसी स्कूल की इमारत ही इतनी जर्जर हो कि वह किसी भी क्षण ढह सकती हो, तो ऐसे माहौल में ज्ञानार्जन कैसे संभव है? यह बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
राजस्थान में 2256 सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत की रिपोर्टें लंबे समय से आ रही हैं। इन इमारतों की हालत इतनी खराब है कि दीवारों में दरारें पड़ गई हैं, छतें कमजोर हो गई हैं, और कई जगहों पर तो बारिश का पानी कक्षाओं में टपकता है। ऐसे में, इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए हर दिन एक अनिश्चितता का दौर होता है। सरकार का यह कहना कि वे इस पर जल्द फैसला लेंगे, एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन “जल्द” कितना “जल्द” है, यह देखना बाकी है।
यह स्थिति दर्शाती है कि सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के रखरखाव और उन्नयन में गंभीर कमियां रही हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे अपर्याप्त बजट आवंटन, धन का कुप्रबंधन, पुरानी नीतियों का अप्रभावी कार्यान्वयन, या फिर भ्रष्टाचार।
“बच्चों का भविष्य सुरक्षित हाथों में होना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। जर्जर स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चे इस अधिकार से वंचित हैं।”
2256 जर्जर स्कूलों का पैमाना: एक गंभीर चिंता का विषय
राजस्थान में 2256 सरकारी स्कूलों का जर्जर होना एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। यह सिर्फ इमारतों की संख्या नहीं है, बल्कि हजारों-लाखों बच्चों के जीवन और भविष्य का प्रश्न है। कल्पना कीजिए, एक छोटा बच्चा हर दिन स्कूल जाता है, यह सोचकर कि वह सीखेगा, बड़ा होगा, देश का भविष्य बनेगा। लेकिन, उसका स्कूल स्वयं एक खतरनाक ढांचा है।
- बच्चों की सुरक्षा: यह सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। एक कमजोर इमारत कभी भी ढह सकती है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
- अधिगम का वातावरण: जर्जर कक्षाओं में बच्चों का मन नहीं लगता। बारिश में भीगना, गर्मी में पसीने से तरबतर होना, या ठंड में ठिठुरना – ऐसे माहौल में एकाग्रता से पढ़ना असंभव है।
- शिक्षकों का मनोबल: जब शिक्षक स्वयं असुरक्षित महसूस करें, तो उनका मनोबल भी गिरता है। वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाते।
- सरकारी तंत्र की विफलता: इतनी बड़ी संख्या में स्कूलों का जर्जर होना, सरकारी मशीनरी की विफलता को भी दर्शाता है। चाहे वह निरीक्षण का अभाव हो, मरम्मत के लिए धन की कमी हो, या फिर जवाबदेही की कमी।
यह आंकड़ा हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि क्या यह समस्या केवल राजस्थान तक ही सीमित है? यदि हम पूरे भारत की बात करें, तो सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे की क्या स्थिति होगी? यह प्रश्न राष्ट्रव्यापी स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता और समानता पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
सरकार के सामने चुनौतियाँ (Challenges Before the Government):
भजनलाल सरकार के सामने इस समस्या का समाधान करना एक टेढ़ी खीर है। कई मोर्चों पर उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:
- वित्तीय संसाधन: 2256 स्कूलों का पुनर्निर्माण या मरम्मत एक बहुत बड़ा वित्तीय बोझ होगा। सरकार को इसके लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था करनी होगी, चाहे वह राज्य के बजट से हो, केंद्र सरकार की योजनाओं से हो, या फिर अन्य स्रोतों से।
- प्राथमिकता तय करना: सभी 2256 स्कूलों को एक साथ ठीक करना संभव नहीं होगा। सरकार को यह तय करना होगा कि किन स्कूलों की हालत सबसे ज्यादा खराब है और किन बच्चों को तत्काल राहत की आवश्यकता है।
- योजना का कार्यान्वयन: केवल घोषणाएं करना काफी नहीं है। एक ठोस योजना बनाकर उसे प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। इसमें ठेकेदारों का चयन, निर्माण की गुणवत्ता की निगरानी, और समय-सीमा का पालन सुनिश्चित करना शामिल है।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश: सरकारी निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार एक आम समस्या है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस परियोजना में पारदर्शिता बनी रहे और धन का दुरुपयोग न हो।
- वैकल्पिक व्यवस्था: जब तक पुराने स्कूलों की मरम्मत या नए स्कूल नहीं बन जाते, तब तक बच्चों को कहां पढ़ाया जाएगा? इसके लिए अस्थायी लेकिन सुरक्षित व्यवस्थाएं करनी होंगी, जैसे किराए के भवनों में या अन्य उपलब्ध परिसरों में।
- निगरानी और रखरखाव: नए स्कूल बनने या पुराने ठीक होने के बाद, उनके नियमित रखरखाव और गुणवत्ता की निगरानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।
संभावित समाधान और आगे की राह (Potential Solutions and Way Forward):
इस जटिल समस्या का समाधान बहुआयामी दृष्टिकोण की मांग करता है। सरकार के लिए कुछ संभावित कदम इस प्रकार हो सकते हैं:
- आपातकालीन मूल्यांकन: सबसे पहले, सभी 2256 स्कूलों का एक त्वरित और गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि उनकी वर्तमान स्थिति का सही आकलन हो सके और तत्काल खतरे वाले स्कूलों की पहचान की जा सके।
- प्राथमिकता-आधारित कार्रवाई: सबसे खतरनाक स्कूलों को प्राथमिकता देकर, उन्हें तत्काल खाली कराकर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए।
- नया निर्माण और मरम्मत: जहां संभव हो, पुराने भवनों की मरम्मत पर विचार किया जा सकता है, लेकिन जहां इमारतें बहुत ज्यादा जर्जर हैं, वहां नए और सुरक्षित भवनों का निर्माण प्राथमिकता होनी चाहिए।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): बुनियादी ढांचे के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ उठाया जा सकता है, बशर्ते कि गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों से कोई समझौता न हो।
- केंद्रीय योजनाओं का लाभ: सर्व शिक्षा अभियान (SSA) या राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत उपलब्ध विभिन्न केंद्रीय योजनाओं और निधियों का अधिकतम उपयोग किया जाए।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी: स्कूल प्रबंधन समितियों (SMCs) और स्थानीय समुदायों को निगरानी और रखरखाव की प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े।
- तकनीकी समाधान: प्री-फैब्रिकेटेड संरचनाओं या टिकाऊ निर्माण सामग्री का उपयोग करके निर्माण प्रक्रिया को तेज और किफायती बनाया जा सकता है।
- धन का आवंटन और प्रबंधन: शिक्षा के बुनियादी ढांचे के लिए एक समर्पित कोष स्थापित किया जा सकता है, और उसके प्रभावी प्रबंधन के लिए एक पारदर्शी प्रणाली विकसित की जा सकती है।
- नीतिगत सुधार: स्कूलों के नियमित सुरक्षा ऑडिट और रखरखाव के लिए एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए, जिसका कड़ाई से पालन हो।
उपमा: इसे ऐसे समझें जैसे किसी घर की छत टपक रही हो। आप या तो उसे तुरंत ठीक करवा लें, या फिर फर्नीचर को उठाकर एक सुरक्षित कोने में रख दें, जब तक छत का पक्का काम न हो जाए। सरकार को यही सूझबूझ दिखानी होगी – बच्चों की जान बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, भले ही वे अस्थायी हों, और साथ ही स्थायी समाधान की दिशा में काम करना होगा।
UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिकता (Relevance from UPSC Exam Perspective):
यह मुद्दा UPSC परीक्षा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है:
- शासन (Governance): यह सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन, निगरानी, और जवाबदेही का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- शिक्षा (Education): राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, सर्व शिक्षा अभियान (SSA) जैसे मुद्दों से जुड़ता है, जो शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार पर जोर देते हैं।
- सामाजिक न्याय (Social Justice): यह वंचित वर्गों के बच्चों के शिक्षा के अधिकार और समानता से जुड़ा है।
- बुनियादी ढांचा (Infrastructure): सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास और रखरखाव की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- सार्वजनिक वित्त (Public Finance): शिक्षा के क्षेत्र में बजट आवंटन, व्यय प्रबंधन, और वित्तीय दक्षता जैसे मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है।
- मानवाधिकार (Human Rights): बच्चों के सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का उल्लंघन।
- आपदा प्रबंधन (Disaster Management): यदि इमारतें ढह जाती हैं, तो यह एक प्रकार की मानव निर्मित आपदा होगी।
मुख्य परीक्षा के लिए: उम्मीदवार इस मुद्दे का उपयोग ‘शासन’, ‘शिक्षा’, ‘सामाजिक न्याय’ जैसे विषयों में केस स्टडी के रूप में कर सकते हैं। वे सरकारी तंत्र की अक्षमताओं, बजटीय बाधाओं, और समाधान के लिए अभिनव दृष्टिकोणों पर चर्चा कर सकते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए: इससे संबंधित प्रश्न राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सर्व शिक्षा अभियान, सरकारी योजनाओं के नाम, या शिक्षा के अधिकार अधिनियम जैसे विषयों से पूछे जा सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
राजस्थान में 2256 जर्जर सरकारी स्कूलों का मुद्दा सिर्फ इमारतों की मरम्मत का नहीं है, बल्कि यह लाखों बच्चों के सुरक्षित भविष्य, उनके शिक्षा के अधिकार, और सरकारी तंत्र की कार्यक्षमता का प्रतीक है। भजनलाल सरकार का ‘पहले जान, फिर ज्ञान’ का नारा एक सही दिशा में उठाया गया कदम है, लेकिन इस वादे को हकीकत में बदलने के लिए एक मजबूत, पारदर्शी और प्रभावी कार्ययोजना की आवश्यकता होगी।
सरकार को वित्तीय संसाधनों की जुगत करनी होगी, परियोजनाओं का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना होगा, और यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा के मंदिरों का पुनर्निर्माण गुणवत्तापूर्ण हो। इस समस्या का समाधान केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग का सामूहिक प्रयास होना चाहिए। जब बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में पढ़ेंगे, तभी वे राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे पाएंगे। उम्मीद है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करेगी, और ‘पहले जान, फिर ज्ञान’ का नारा सिर्फ एक नारा बनकर न रह जाए, बल्कि एक साकार वास्तविकता बने।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
-
प्रश्न: हाल ही में चर्चा में रहे ‘2256 जर्जर स्कूलों’ का मुद्दा किस राज्य से संबंधित है?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) राजस्थान
(c) मध्य प्रदेश
(d) गुजरात
उत्तर: (b) राजस्थान
व्याख्या: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने हाल ही में प्रदेश के 2256 जर्जर सरकारी स्कूलों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और इसके समाधान की बात कही है। -
प्रश्न: सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. बच्चों का सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना उनके मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।
2. ‘सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA) का उद्देश्य सभी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना और स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।
3. किसी भी स्कूल की इमारत की सुरक्षा का ऑडिट राज्य सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b) केवल 1 और 2
व्याख्या: बच्चों का सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना शिक्षा के अधिकार (Right to Education Act) के तहत आता है, जो एक मौलिक अधिकार है। सर्व शिक्षा अभियान (अब समग्र शिक्षा अभियान का हिस्सा) का एक मुख्य उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और स्कूलों का बुनियादी ढांचा सुधारना है। स्कूलों की सुरक्षा का ऑडिट राज्य सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है। -
प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुसार, प्रारंभिक वर्षों के विकास (Early Childhood Care and Education – ECCE) पर किस स्तर तक जोर दिया गया है?
(a) केवल प्राथमिक स्तर
(b) केवल माध्यमिक स्तर
(c) 3 से 8 वर्ष की आयु तक
(d) केवल उच्च शिक्षा
उत्तर: (c) 3 से 8 वर्ष की आयु तक
व्याख्या: NEP 2020 ECCE पर अत्यधिक जोर देती है, जिसे 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में प्रस्तावित किया गया है, जिसमें फाउंडेशनल स्टेज के 5 वर्ष शामिल हैं। -
प्रश्न: ‘समग्र शिक्षा अभियान’ (Samagra Shiksha Abhiyan) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा/से शामिल है/हैं?
1. पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर शिक्षा।
2. शिक्षकों के प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास।
3. व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: समग्र शिक्षा अभियान (SSA) प्री-स्कूल से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा प्रदान करने, शिक्षकों के प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास, और व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण जैसे व्यापक उद्देश्यों को शामिल करता है। -
प्रश्न: किसी भी सरकारी निर्माण परियोजना में गुणवत्ता नियंत्रण और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी संस्था या प्रक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) लोकपाल
(b) कैग (CAG)
(c) सीवीसी (CVC)
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: लोकपाल भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है, कैग सार्वजनिक धन के व्यय की लेखा-परीक्षा करता है, और सीवीसी भ्रष्टाचार निवारण के लिए नीतियों और दिशानिर्देशों का सुझाव देता है। ये सभी संस्थाएं गुणवत्ता नियंत्रण और भ्रष्टाचार रोकथाम में महत्वपूर्ण हैं। -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा/से जर्जर स्कूलों की समस्या का संभावित कारण हो सकता है?
1. अपर्याप्त बजट आवंटन।
2. धन का कुप्रबंधन या दुरुपयोग।
3. निर्माण सामग्री की निम्न गुणवत्ता।
4. नियमित निरीक्षण और रखरखाव का अभाव।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: जर्जर स्कूलों की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें बजटीय कमी, खराब प्रबंधन, निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग और नियमित निरीक्षण की कमी शामिल है। -
प्रश्न: ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP) मॉडल का एक लाभ निम्नलिखित में से कौन सा है?
(a) सरकार पर वित्तीय बोझ कम होना।
(b) परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी।
(c) निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का उपयोग।
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: PPP मॉडल में सरकार पर वित्तीय बोझ कम हो सकता है, निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ मिलता है, और परियोजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सकता है, बशर्ते कि उचित अनुबंध और निगरानी हो। -
प्रश्न: शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) 2009 के अनुसार, कितने वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है?
(a) 6 से 14 वर्ष
(b) 6 से 12 वर्ष
(c) 3 से 18 वर्ष
(d) 3 से 14 वर्ष
उत्तर: (a) 6 से 14 वर्ष
व्याख्या: RTE Act 2009, 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। -
प्रश्न: भारत में सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कौन सी केंद्रीय योजनाएं महत्वपूर्ण हैं?
1. समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan)
2. प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY)
3. राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b) केवल 1 और 3
व्याख्या: समग्र शिक्षा अभियान (SSA) और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) (जो अब SSA में एकीकृत है) सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रमुख केंद्रीय योजनाएं हैं। PMAGY मुख्य रूप से ग्रामीण विकास से संबंधित है। -
प्रश्न: ‘आधारभूत संरचना’ (Infrastructure) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक आधारभूत संरचना’ (Social Infrastructure) का उदाहरण है?
(a) सड़कें
(b) बिजली ग्रिड
(c) स्कूल
(d) दूरसंचार नेटवर्क
उत्तर: (c) स्कूल
व्याख्या: सामाजिक आधारभूत संरचना में वे सुविधाएं शामिल होती हैं जो मानव कल्याण और सामाजिक विकास में योगदान करती हैं, जैसे स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक परिवहन, आदि। आर्थिक आधारभूत संरचना में सड़कें, बिजली, बंदरगाह आदि शामिल हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: “पहले जान, फिर ज्ञान” की तर्ज पर सरकारी स्कूलों की जर्जरता की समस्या का विश्लेषण करें। इस समस्या के मूल कारणों, सरकारी तंत्र की भूमिका, और सुरक्षित शैक्षिक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 अंक)
- प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों और सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के बीच संबंध की विवेचना करें। 2256 जर्जर स्कूलों जैसे मुद्दों को संबोधित करने में NEP 2020 की प्रासंगिकता का मूल्यांकन करें। (लगभग 150 अंक)
- प्रश्न: सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल की संभावनाओं और चुनौतियों का विश्लेषण करें। 2256 जर्जर स्कूलों जैसी स्थिति से निपटने के लिए PPP मॉडल कितना प्रभावी हो सकता है, इस पर अपने विचार प्रस्तुत करें। (लगभग 150 अंक)
- प्रश्न: शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act) 2009 के तहत बच्चों के सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का उल्लेख करें। राजस्थान में 2256 जर्जर स्कूलों की स्थिति इस अधिकार के संबंध में क्या चुनौतियां प्रस्तुत करती है? (लगभग 100 अंक)